शारदा फर्जीवाड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा तो कर दिया,लेकिन विपक्ष फिरभी मुद्दा बना नहीं पा रहा
जैसे सहाराश्री को निवेशकों का पैसा लौटाने की योजना बताने को कहा गया है ,ठीक उसी तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को भी आदेश दे दिया है कि वह बतायें कि कैसे शारदा में पैसे लगाकर ठगे गये लोगों को उनकी रकम वापस दिलायेगी सरकार।अचरज की बात तो यह है कि बंगाल के राजनीतिक हल्कों में शारदा प्रकरण पर सन्नाटा है जैसे सबको सांप सूंघ गया है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
शारदा फर्जीवाड़े मामले को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापक साजिश का नतीजा बताकर भले ही बंगाल की मां माटी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है,लेकिन इसका आगामी लोकसभा चुनाव नतीजों पर कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। न निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल रहा है,न रिकवरी की को सूरत है और न चिटफंड कारोबार केंद्रीय एजंसियों की सक्रियता के बावजूद बंद हो पाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि दस दिनों के भीतर शारदा फर्जीवाड़े मामले की केस डायरी,एफआईआर,चार्जसीट की प्रतिलिपि सर्वोच्च अदालत में जमाकरें और साथ में यह भी बतायें कि इस भारी घोटाले की साजिश में आखिरकार कौन कौन लोग थे,किन्हें शारदा समूह को खुल्ला छूट देने का फायदा मिसला और किन्हें इस कंपनी से सुविधाएं वगैरह मिली हैं।जैसे सहाराश्री को निवेशकों का पैसा लौटाने की योजना बताने को कहा गया है ,ठीक उसी तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को भी आदेश दे दिया है कि वह बतायें कि कैसे शारदा में पैसे लगाकर ठगे गये लोगों को उनकी रकम वापस दिलायेगी सरकार।अचरज की बात तो यह है कि बंगाल के राजनीतिक हल्कों में शारदा प्रकरण पर सन्नाटा है जैसे सबको सांप सूंघ गया है।
अब तक प्रगति यह है कि केंद्रीयएजंसियों की गतिविधियां इस सिलसिले में ठप हैं और सेबी को पुलिसिया अधिकार देने के बावजूद इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी है। हालंकि श्यामल सेन आयोग ने शारदा समूह की संपत्ति बिक्री कर निवेशकों की संपत्ति लौटाने का निर्देश दिया है।
जबकि दिन के उजाले की तरह जगजाहिर है कि शारदा समूह की कंपनियों में बेहतर मुनाफे का लालच दिए जाने पर लोगों ने अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई लगा रखी थी।कंपनी पिछले दिनों डूब गई और निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं कर पाई।
शारदा समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुदीप्त सेन और उनके कई सहयोगी सलाखों के पीछे हैं। धोखाधड़ी और षड्यंत्र के आरोप में उन पर कानूनी कार्रवाई चल रही है।जेल में हैं सत्तादल के सांसद कुणाल घोष भी।
गौरतलब है कि इससे पहले पहले शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार राज्यसभा के सांसद कुणाल घोष ने इस पूरे मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुकुल रॉय को घसीटा भी है,फिरभी विपक्ष इस मामले को मुद्दा नहीं बना सका,यह बंगाल में विपक्ष की बदहाली का आलम है।
हालांकि सहारा मामले में सहाराश्री की गिरफ्तारी के बाद बाद बंगाल में भी निवेशकों के पैसे लौटाने के हालात बन जाने चाहिए थे,जो हरगिज नहीं बने।गौरतलब है कि गोरखपुर से शुरू हुआ 'सहारा' का सफर आज अरबों रुपयों तक पहुंच चुका है।चिटफंड से लेकर कई नामी स्कीम्स चलाने के साथ ही सहारा ने रियल स्टेट्स, स्पोर्ट्स स्पॉन्सरशिप, फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया के कारोबार में अपनी मजबूत पकड़ बनाई।सुप्राम कोर्ट के फैसले से लेकिन सहारा को भी निवेशकों को पैसे लौटाने की पहल के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
लेकिन दूसरी तरफ, बंगाल में ऐसा कुछ होने के आसार अब भी नहीं बने हैं और न शारदा फर्जीवाड़े में गिरफ्तार सुदीप्तो और देवयानी से साजिश की परतें खुल पायी है।
अब अगर राज्य सरकार अपनी ओर से पहल करके दोषियों को सजा दिलाने के साथ निवेशकोंं को उनका पैसा वापस दिलाने का काम कर देती है तो विपक्ष को आरोप लगाने का भी मौका नहीं लगेगा।
दरअसल बंगाल में सत्तापक्ष को सड़क पर चुनौती देने वाली कोई ताकत है ही नहीं।कांग्रेस अब साइनबोर्ड जैसी पार्टी हो गयी है और उसकी जगह तेजी से भाजपा ले रही है। लेकिन शारदा फर्जीवाड़े मामले को चुनावी मुद्दा में बदलने की कोई कवायद न कांग्रेस ने की है और भाजपा ने।
वामपक्ष अपने बिखराव से बेतरह परेशान है और उसे खोये हुए जनाधार की वापसी की जितनी फिक्र है,मुद्दों पर जनता को गोलबंद करने की उनकी तैयारी उतनी नहीं है। अचानक चुनाव के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के इस मंतव्य को चुनावी मुद्दा बनाने की हालत में बगाल की राजनीति कतई नहीं है और न ममता बनर्जी उन्हें कोई मौका देने की भूल करेंगी।
दरअसल इस घोटाले के साथ देशव्यापी चिटफंड कारोबार का पोंजी नेटवर्क का तानाबाना ऐसा है कि हर दल के रथी महारथी इस जंजाल में फंसे हुए हैं।
इसलिए पार्टियों के सामने अपनी अपनी खाल बचाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं रह गया और किसी राजनीतिक दल ने इसे मुद्दा बनाकर कोई जनांदोलन छेड़ा नहीं।
इस घोटाले के पर्दाफाश से जो शुरु आती प्रतिक्रिया हुई,विपक्ष की निष्क्रियता से सत्तापक्ष ने उसको भी रफा दफा कर दिया।मंत्रियों,सांसदों, विधायकों और पार्टी नेताओं पर गंभीर आरोप होने के बावजूद ममता ने आक्रामक रवैया अपनाकर उनका बचाव कर लिया और विपक्ष शुरुआत में सीबीआई जांच की रट लगाते रहने के बावजूद खारिज हो गया।
भाजपा बेहतर हालत में थी क्योंकि राज्य और केंद्र में सत्ता से बाहर होने की वजह से उसके नेता फंसे नहीं हैं। लेकिन रहस्यमय चुप्पी ओढ़कर भाजपा ने वह मौका गवां दिया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला तब आया है जबकि राजनीतिक दलों ने अपने अपने उम्मीदवार घोषित भी कर दिये। सत्तापक्ष के आरोपित सभी लोग चुनाव मैदान में हैं,इसके बावजूद अपनी अपनी मजबूरी की वजह से राज्य के राजनीतिक दल इसे लेकर संबद्ध लोगों की घेराबंदी कर पायेंगे,इसकी संभावना भी कम है।
সারদা-কাণ্ড বৃহত্তর ষড়যন্ত্র, বলল কোর্ট
গৌতম হোড়
নয়াদিল্লি: সারদা-কেলেঙ্কারিকে এ বার 'বৃহত্তর ষড়যন্ত্র' আখ্যা দিয়ে পশ্চিমবঙ্গ সরকারকে তুমুল অস্বস্তিতে ফেলল সুপ্রিম কোর্ট৷ এই মামলার তদন্তের গতিপ্রকৃতি নিয়ে বুধবার রাজ্য সরকার যে হলফনামা দিয়েছে, তাতে দেশের সর্বোচ্চ আদালত অসন্ত্তষ্ট৷ বিচারপতি টি এস ঠাকুর এবং বিচারপতি সি নাগাপ্পান সরকারি আইনজীবীদের তীব্র ভত্র্সনা করেন৷ তাঁরা নির্দেশ দিয়েছেন, দশ দিনের মধ্যে কেস ডায়েরি, এফআইআর, চার্জশিটের কপি-সহ রাজ্য সরকারকে জানাতে হবে, সারদা-কেলেঙ্কারির এই বৃহত্তর ষড়যন্ত্রে কারা জড়িত ছিল, কারা টাকা এবং অন্যান্য সুযোগ-সুবিধা পেয়েছে, সারদা গোষ্ঠী যে কোটি কোটি টাকা বাজার থেকে তুলেছিল, সেই টাকা কী করে বিনিয়োগকারীদের কাছে ফেরত দেওয়া হবে ইত্যাদি যাবতীয় তথ্য৷
দুই বিচারপতির মন্তব্য, 'রাজ্য সরকারের পেশ করা হলফনামায় এ সব নিয়ে কিছুই বলা হয়নি৷ আসল মামলা তো ওই বৃহত্ ষড়যন্ত্র৷ তার কী তদন্ত হচ্ছে?' রাজ্য সরকারের আইনজীবীরা ভোটের অজুহাত দেখিয়ে পরবর্তী শুনানি চার সপ্তাহ পিছিয়ে দেওয়ার আর্জি জানান৷ দুই বিচারপতির ডিভিশন বেঞ্চ সেই আর্জি খারিজ করে হলফনামা জমা দেওয়া এবং পরবর্তী শুনানির দিন ৯ এপ্রিল ধার্য করেছে৷ এতে সারদা-কাণ্ড নিয়ে ভোটের মুখে রাজ্য সরকারের চাপ আরও বাড়ল৷ যদিও ভোটের আগেই সারদা-কাণ্ডের সিবিআই তদন্তের রায় ঘোষণা হবে কি না, সে ব্যাপারে বিচারপতিরা স্পষ্ট করে কিছু জানাননি৷ তাঁরা জানিয়ে দিয়েছেন, এই মামলার তদন্তকারী অফিসারদের ভোটের কাজে লাগানো যাবে না৷ বিচারপতি ঠাকুর জানতে চান, রাজ্যে কবে ভোট হচ্ছে, কবে তা শেষ হচ্ছে৷
রাজ্য সরকার তাদের হলফনামায় চার্জশিটের তিনটি নমুনা দিয়েছিল৷ আবেদনকারীর পক্ষের আইনজীবী বিকাশ ভট্টাচার্য বলেন, 'এই চার্জশিটে দেখা যাচ্ছে, যে-সব আমানতকারী টাকা দিয়েছিলেন, তাঁদের দাবি সত্যি কি না, সে বিষয়ে যাবতীয় তদন্ত করা হয়েছে৷ এটা অত্যন্ত সাধারণ চার্জশিট৷ কিন্ত্ত তাঁদের টাকা কোথায় গেল, এই কেলেঙ্কারিতে কারা জড়িত সে সব বিষয়ে কোনও তদন্ত না-করেই চার্জশিট দেওয়া হয়েছে৷' বিচারপতি ঠাকুর রাজ্য সরকারের আইনজীবীকে বলেন, 'চার্জশিটে এই কেলেঙ্কারির ব্যাপকতা, টাকা কোথায় গেল, তাতে কারা জড়িত সে সব তো কিছুই নেই৷ আপনারা তো ক্ষুদ্র দৃষ্টিতে বিষয়টি দেখেছেন৷ এটা নিছক একটা লেনদেনের বিষয় নয়৷ লাগাতার লেনদেন হয়েছে৷ চক্রান্ত হয়েছে৷ নিশ্চয়ই তার বৃহত্তর প্রতিক্রিয়া আছে৷ কারও হয়ত ৫০ হাজার টাকা জালিয়াতি হয়েছে৷ আপনি যদি শুধু ওই ৫০ হাজার টাকা দেখেন তা হলে তো হবে না৷ ২ হাজার কোটি টাকারও বেশি অর্থ এর সঙ্গে জড়িত৷ সেই বিষয়টি দেখতে হবে৷ সেটা কবে দেখবেন? আদৌ দেখবেন কি?'
রাজ্যের আইনজীবী বৈদ্যনাথনও অবশ্য স্বীকার করে নেন, বেশিরভাগ তদন্তই হয়েছে ব্যক্তিগত ঠকানোর বিষয় নিয়ে৷ তবে আমতা আমতা করে তিনি দাবি করেন, বৃহত্তর প্রশ্ন নিয়েও সরকার তদন্ত করছে৷ সেই তদন্তের কাজ ৯০ শতাংশ এগিয়েছে৷ বিধাননগর কমিশনারেট এ বিষয়ে তদন্ত করে চার্জশিট দিয়েছে৷
সারদার সম্পত্তি নিয়ে রাজ্য সরকার যে হলফনামা দিয়েছিল তাতেও সন্ত্তষ্ট হননি বিচারপতিরা৷ তাঁরা জানিয়েছেন, এই হলফনামাতেও প্রচুর গলদ আছে৷ রাজ্য সরকারের হলফনামায় বলা হয়েছে, সারদা গোষ্ঠী রাজ্যে ২০৯টি সম্পত্তি কিনেছিল ৪০ কোটি টাকা দিয়ে৷ আর ভিন্ রাজ্যে সারদা ৫ কোটি টাকা দিয়ে সম্পত্তি কেনে৷ কিন্ত্ত হলফনামার অন্য এক জায়গায় বলা হয়েছে, সারদা মোট ১১০ কোটি টাকা দিয়ে সম্পত্তি কিনেছিল৷ বিচারপতি ঠাকুরের প্রশ্ন, 'এখানে তো ৪৫ কোটি টাকার হিসাব পাওয়া যাচ্ছে, কিন্ত্ত হলফনামার অন্য এক জায়গায় বলা হয়েছে, ১১০ কোটি টাকা দিয়ে সম্পত্তি কেনা হয়েছে৷ তা হলে বাকি টাকা কোথায় গেল?' তখন রাজ্য সরকারের আইনজীবী বৈদ্যনাথন জানান, কিছু সম্পত্তি পাওয়ার অফ অ্যাটর্নি দিয়ে কেনা হয়েছিল৷ সে সব হিসাব এখানে নেই৷ কারণ সেল ডিড পাওয়া যায়নি৷ বিচারপতির প্রশ্ন, তা হলে তদন্তের সময় কি ওই সব সম্পত্তির মালিকদেরও জিজ্ঞাসাবাদ করা হয়েছে? তাঁরা কী বলছেন? বৈদ্যনাথনের জবাব, ওঁরাও অনেকে পাওয়ার অফ অ্যাটর্নি দিয়েই সম্পত্তি কিনেছিলেন৷ বৈদ্যনাথন আরও জানান, সারদা গোষ্ঠী বাজার থেকে যে টাকা তোলার কথা বলছে, সবই তাদের কম্পিউটারের সফটওয়ারের তথ্য৷ এরপর বিচারপতি ঠাকুরের মন্তব্য, 'ঠিক আছে, মেনে নেওয়া গেল, সারদা ১১০ কোটি টাকা দিয়েই সম্পত্তি কিনেছে৷ বাকি টাকার কী হল? সারদা যে বাজার থেকে ২৪৬০ কোটি টাকা তুলেছে বলে আপনারা বলছেন, সেই টাকাটা কোথায় গেল? সেটা কি আপনারা তদন্ত করে দেখেছেন? নাকি এক বছর পরেও সারদার সফটওয়ারের তথ্য ছাড়া আপনাদের কাছ আর কোনও তথ্য নেই?'
বিচারপতিরা পরিষ্কার জানিয়ে দিয়েছেন, শ্যামল সেন কমিশনের ব্যাপারে তাঁদের কিছুই বলার নেই৷ কমিশন যেমন কাজ করে যাচ্ছে, তেমনই করবে৷ দ্বিতীয়ত, বিচারপতিরা এটাও পরিষ্কার করে দিয়েছেন, সিবিআই হোক বা না হোক, তাঁরা তদন্তের দেখভাল করবেন না৷ হাইকোর্টের অধীনে থেকেই তদন্ত হবে৷ বিচারপতিরা বলেন, 'আমাদের জানার বিষয় দু'টি৷ তদন্ত ঠিকমতো হচ্ছে কি না৷ তদন্তের ভার রাজ্যের তদন্তকারী সংস্থার হাতেই থাকবে নাকি সিবিআই-এর হাতে তা তুলে দেওয়া হবে৷ আর সারদার এই ষড়যন্ত্রে কারা জড়িত৷
http://eisamay.indiatimes.com/city/kolkata/supreme-asks-state-to-file-a-new-affidavit/articleshow/32737479.cms
ব্যাখ্যায় সন্তুষ্ট না হলে সিবিআইয়ের ইঙ্গিত
সারদায় লাভবান কারা, প্রশ্ন তুলল সুপ্রিম কোর্ট
নিজস্ব সংবাদদাতা
নয়াদিল্লি,২৭ মার্চ , ২০১৪, ০৩:০৯:৩২
বুধবার বিকেল ৩টে নাগাদ বসিরহাটে সারদা কাণ্ডে অভিযুক্ত দেবযানীকে বসিরহাট এসিজেএম আদালতে তোলা হয়। বিচারক ৯ এপ্রিল তাঁকে ফের আদালতে হাজির করানোর নির্দেশ দিয়েছেন। ছবি: নির্মল বসু।
সারদা কেলেঙ্কারিতে কারা জড়িত এবং তার থেকে কারা লাভবান হয়েছেন, তার স্পষ্ট উত্তর চায় সুপ্রিম কোর্ট। রাজ্য সরকার যদি দশ দিনের মধ্যে এর সন্তোষজনক জবাব দিতে না পারে, তা হলে সারদা মামলা সিবিআইয়ের হাতে যাওয়ার সম্ভাবনা যে বেড়ে যাবে, আজ সে কথা জানিয়ে দিল সর্বোচ্চ আদালত।
আজ সারদা-মামলার শুনানির সময় বিচারপতিরা রাজ্য সরকারের সামনে পাঁচটি গুরুত্বপূর্ণ প্রশ্ন রেখেছেন। নির্বাচনের কথা বলে ওই সব প্রশ্নের জবাব দিতে রাজ্য সরকারের তরফে চার সপ্তাহ সময় চাওয়া হয়। কিন্তু লগ্নিকারীদের দিকে তাকিয়ে রাজ্যকে ১০ দিনের মধ্যে হলফনামা জমা দেওয়ার নির্দেশ দেয় বিচারপতি টি এস ঠাকুর ও বিচারপতি সি নাগাপ্পনের বেঞ্চ। ৯ এপ্রিল মামলার পরবর্তী শুনানি হবে।
সারদা মামলায় গত শুনানির দিনেও রাজ্যের তদন্ত নিয়ে কড়া মন্তব্য করেছিল সুপ্রিম কোর্ট। তার পরে এমন একটা ধারণা তৈরি হয়েছিল যে, সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দেওয়া হবে কি না, তা নিয়ে এ দিনই সিদ্ধান্ত জানিয়ে দিতে পারে সর্বোচ্চ আদালত। শেষ পর্যন্ত যদি সারদা তদন্তের দায়িত্ব সিবিআইয়ের হাতে যায়, তা হলে লোকসভা ভোটের আগে রাজ্য রাজনীতির উপরে কতটা প্রভাব ফেলতে পারে, তা নিয়ে জোর জল্পনাও শুরু হয়ে যায়।
শেষ পর্যন্ত এ দিন অবশ্য সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দেয়নি সর্বোচ্চ আদালত। তবে সে প্রসঙ্গও উঠেছে। বিচারপতিরা সরাসরি রাজ্যের কাছে জানতে চান, কোটি কোটি টাকার এই কেলেঙ্কারিতে কারা জড়িত? কারা এর ফলে লাভবান হয়েছেন? রাজ্য কি এই বিষয়গুলি নিয়ে তদন্ত করছে? তাঁদের বক্তব্য, এটি একটি বৃহত্তর ষড়যন্ত্র। এর রহস্যমোচনে রাজ্য সরকার কী করছে? এর পরে তাঁদের মন্তব্য, যদি ইচ্ছাকৃত ভাবে এই বিষয়টি এড়িয়ে যাওয়ার চেষ্টা হয়, তা হলে সিবিআই তদন্তের দরকার পড়বে।
সারদা সংস্থার হয়ে সুদীপ্ত সেন কোথায়, কত টাকায় কত সম্পত্তি কিনেছিলেন, সে বিষয়ে রাজ্যের কাছে সবিস্তার রিপোর্ট চেয়েছিল সুপ্রিম কোর্ট। আজ সেই রিপোর্ট নিয়ে অসন্তোষ প্রকাশ করেন বিচারপতিরা। তাঁরা বলেন, ওই রিপোর্টে যথেষ্ট ফাঁকফোকর রয়েছে। একই ভাবে সারদা-কাণ্ডে পুলিশ যে সব চার্জশিট পেশ করেছে, তার নমুনা দেখেও অসন্তোষ প্রকাশ করেন বিচারপতিরা। বিচারপতি ঠাকুর বলেন, সঙ্কীর্ণ দৃষ্টিকোণ থেকে তদন্ত হচ্ছে। এক জন লগ্নিকারীকে কী ভাবে ঠকানো হল, কে প্রতারণা করল এখানে শুধু তার তদন্ত করে চার্জশিট পেশ হচ্ছে। বৃহত্তর ষড়যন্ত্রের রহস্য উদ্ঘাটন প্রয়োজন।
রাজ্য পুলিশের তদন্তের গুণগত মান বুঝতে এর আগের দিন কিছু চার্জশিটের নমুনা পেশ করার নির্দেশ দিয়েছিল সর্বোচ্চ আদালত। আবেদনকারীদের আইনজীবী বিকাশ ভট্টাচার্য সেই সব চার্জশিট দেখিয়ে অভিযোগ তোলেন, প্রতারণা করে তোলা টাকা কোথায় গেল, কোনও চার্জশিটেই তার জবাব নেই। বিচারপতি ঠাকুর এই সময় রাজ্যের আইনজীবীকে উদ্দেশে বলেন, "এই বড় বিষয়টি চার্জশিটে অনুপস্থিত। ক্ষুদ্র পরিসরে বিষয়টি দেখা হচ্ছে। তদন্তের আসল লক্ষ্য তা হওয়া উচিত নয়।"
আদালতে উপস্থিত বিধাননগরের পুলিশ কমিশনার রাজীব কুমার রাজ্যের আইনজীবী সি এস বৈদ্যনাথনের মাধ্যমে আদালতকে জানান, বিধাননগর থানায় দায়ের হওয়া একটি মামলায় যে চার্জশিট পেশ হবে, তাতে এই বৃহত্তর ষড়যন্ত্রের বিশদ বিবরণ থাকবে। ওই মামলার তদন্তের কাজ ৯০ শতাংশ হয়ে গিয়েছে। দু'মাসের মধ্যে সেই চার্জশিট পেশ হবে। বিচারপতি নাগাপ্পন বলেন, "সেটাই তো প্রধান মামলা হওয়া উচিত। অথচ এ বিষয়ে কোনও হলফনামাতেই একটাও কথা নেই।"
সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক খতিয়ানের রিপোর্ট পেশ করে রাজ্য সরকারের আইনজীবী সি এস বৈদ্যনাথন জানান, সারদার মোট ২২৪টি সম্পত্তি চিহ্নিত করে বাজেয়াপ্ত করা হয়েছে। এর মধ্যে ২০৯টি সম্পত্তি পশ্চিমবঙ্গে। সারদার হিসেবনিকেশের সফটওয়্যার থেকে পাওয়া তথ্য অনুযায়ী, এই জমি-বাড়ি সম্পত্তি কিনতে ৪০ কোটি টাকা খরচ করেছিল তারা। রাজ্যের বক্তব্য, তার বাইরেও নগদে ১০০ কোটি টাকা মেটানো হয়েছিল। বাকি সম্পত্তিগুলি রয়েছে প্রতিবেশী রাজ্যে। যার জন্য ব্যয় হয়েছে ৫ কোটি টাকা। আবার রাজ্যের তরফে এ-ও জানানো হয়েছে, সব মিলিয়ে জমি-বাড়ি কিনতে প্রায় ১১০ কোটি টাকা ব্যয় হয়েছে।
রাজ্য সরকারের রিপোর্টে আরও বলা হয়েছে, পাওয়ার অব অ্যাটর্নির মাধ্যমে বহু সম্পত্তি কিনেছিলেন সুদীপ্ত সেন। এ জন্য কোথায় কত টাকা খরচ হয়েছিল, তার কোনও হিসেব মেলেনি। বাজার থেকে মোট ২৪৬০ কোটি টাকা তুলেছিল সারদা। যার ৯০ শতাংশই নগদে তোলা হয়েছে। ব্যাঙ্কের মাধ্যমে কোনও রকম লেনদেন হয়নি। এর মধ্যে ৪৭৫ কোটি টাকা লগ্নিকারীদের ফিরিয়ে দেওয়া হয়েছে।
রাজ্যের রিপোর্ট বিচারপতিদের যে সন্তুষ্ট করতে পারেনি, তা তাঁদের প্রশ্ন থেকেই পরিষ্কার। রিপোর্ট বলছে, গত বছরের এপ্রিল থেকে তদন্ত শুরু হয়েছে। কিন্তু রাজ্য যে সব তথ্য পেশ করছে, সেগুলি সারদার সফ্টওয়্যার থেকে পাওয়া। বিচারপতিরা প্রশ্ন তোলেন, "পুলিশ নিজে কী করেছে? যাদের কাছ থেকে পাওয়ার অব অ্যাটর্নির মাধ্যমে সম্পত্তি কেনা হয়েছিল, তাদের কাছ থেকে তথ্য জোগাড়ের চেষ্টা হয়নি কেন?"রাজ্যের আইনজীবী যুক্তি দেন, কেউ প্রশাসনের দ্বারস্থ হয়নি। বিচারপতিদের প্রশ্ন, "পুলিশ নিজে গিয়ে কেন তাঁদের বয়ান নথিভুক্ত করেনি? যদি ১১০ কোটি টাকার সম্পত্তি কেনা হয়ে থাকে, তা হলে বাকি টাকা কোথায়?"রাজ্যের তরফে বলা হয়, অভিযুক্তদের বিরুদ্ধে প্রতারণার দাবিও খতিয়ে দেখা হচ্ছে। তদন্ত শেষ করতে পুলিশকে মে মাস পর্যন্ত সময় দেওয়া হোক। বিচারপতিরা সেই আবেদন নাকচ করে দেন।
রাজ্য সরকারের আইনজীবী আজ আদালতে অভিযোগ তুলেছেন, সিবিআই তদন্ত দাবির পিছনে রাজনৈতিক উদ্দেশ্য রয়েছে। এক জন আবেদনকারী কংগ্রেসের প্রার্থী হয়েছেন।
আবেদনকারীদের আইনজীবী কলকাতার মেয়র ছিলেন। বিকাশবাবু জবাব দেন, "মেয়র ছিলাম বলে কি মামলা লড়তে পারি না? কোনও আবেদনকারীই কংগ্রেসের প্রার্থী হননি।"বিচারপতি ঠাকুর মন্তব্য করেন, "রাজনৈতিক সম্পর্ক থাকলেও তা নিয়ে আলোচনার এটা আদর্শ সময় নয়। বাইরে নির্বাচনী যুদ্ধ শুরু হয়ে গিয়েছে।"পশ্চিমবঙ্গে ভোটগ্রহণ কবে কবে, সে বিষয়েও জানতে চান তিনি।
বিচারপতিরা জানতে চান, কত দিনের মধ্যে রাজ্য হলফনামা পেশ করতে পারবে? রাজ্যের যুক্তি ছিল, নির্বাচনী প্রক্রিয়া শুরু হয়েছে। চার সপ্তাহ সময় লাগবে। তদন্তকারীদের অনেকেই ভোটের কাজে ব্যস্ত হয়ে পড়বেন। বিকাশবাবু বলেন, এই তদন্তের সঙ্গে ভোটের সম্পর্ক নেই। রাজ্য সিবিআই তদন্তে ভয় পাচ্ছে। তাই সময় নষ্ট করছে। বিচারপতিরা জানান, সারদার তদন্তকারীদের যাতে আইন-শৃঙ্খলার দায়িত্ব না দেওয়া হয়, তার নির্দেশ দেওয়া হবে।
প্রতারিতদের টাকা ফেরত দেওয়ার বিষয়ে কী কী করা হয়েছে, আজ সুপ্রিম কোর্টে শ্যামল সেন কমিশনের তরফে তা জানানো হয়। বিচারপতিরা জানান, কমিশন ভাল কাজ করে থাকতে পারে। সেটা এখানে বিচার্য নয়। বিচারপতি ঠাকুর বলেন, "সুপ্রিম কোর্ট শ্যামল সেন কমিশনের কাজে কোনও বাধা দিচ্ছে না। আমরা সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দিলে একটাই পার্থক্য হবে। কলকাতা হাইকোর্ট তখন রাজ্য পুলিশের বদলে সিবিআই তদন্তে নজরদারি করবে।"
এ দিনই সারদার কাছে প্রতারিত ১০ হাজার লোকের তরফে একটি আবেদনে সিবিআই তদন্তের বিরোধিতা করা হয়। আবেদনকারীদের আইনজীবী পি ভি শেট্টি বলেন, সিবিআই-কে তদন্তভার দিলে গোটা প্রক্রিয়া পিছিয়ে যাবে। প্রতারিতদের টাকা ফেরত পেতে সমস্যা হবে। বিচারপতি ঠাকুর প্রশ্ন করেন, সিবিআই তদন্ত হলে এই প্রতারিতদের সমস্যা কোথায়? সত্যিই প্রতারিতরা এই আবেদন করছেন কি না, সেই প্রশ্নও তোলেন তিনি।