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कल दोपहर से अपने साढू भाई अशोक ब मल्ल और उनके परिवार की कुशल के लिये चिंतित रहा और याद करता रहा २ वर्ष पहले स्वयं पोस्ट किये डॉ. विनोद कुमार गौड़ के इस इंटरव्यू को, जिसमें उन्होंने हिमालय में भूकम्प के खतरे और जैंतापुर परमाणु संयन्त्र आदि पर बातचीत की है.
अशोक भिनाजू से लगभग 18 घण्टों की मशक्कत के बाद सम्पर्क हो पाया और उनसे सुना कि कल रात कैसे पूरा काठमांडू सड़कों पर खड़ा रहा. सुबह के वक़्त वर्षा शुरू हो जाने के बाद ही लोग घरों में जाने की हिम्मत कर पाए.
मगर हम चेतेंगे थोड़े ही. हम जल विद्युत् परियोजनाएँ भी बनायेंगे और परमाणु संयन्त्र भी. प्रकृति चाहे केदारनाथ के बहाने बताये, चाहे काठमांडू के, हमारा विकास हर विज्ञान पर भारी पड़ता है.