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स्मार्ट सिटी के नाम पर बनारस को उजाड़ा जा रहा है ।

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स्मार्ट सिटी के नाम पर बनारस को उजाड़ा जा रहा है ।

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के बगल में भगवानपुर,छित्तूपुर सीरगोवर्धनपुर और डाफी में स्मार्ट सिटी के तहत सड़क चौड़ा करने के नाम पर उन लोगो का घर उजाड़ा जा रहा है । जिन्होंने अपनी जमीने देकर बीएचयू को बनाया है । और वे आज सपरिवार रात-रात भर बैठ कर रो रहे है । पचास- हजार रुपये का ठेका देकर खुद अपना घर तुड़वा रहें हैं और तोड़ रहें हैं । वहाँ के लोगों का कहना है कि "हमने ही इस मोदी सरकार को चुना था लेकिन वही सरकार आज विकास के नाम पर उनका घर उजाड़ रही है । गंगा को साफ करते करते हम लोग का घर ही साफ कर दे रहें है । और कोई भी नेता इस बात पर नहीं बोल रहा है ।" वे भी इस देश के नागरिक उन्हें रहने जीने का अधिकार है । कोर्ट का भी आदेश है कि दुकानों व घरों को बिना पुनर्स्थापित किये उसे उजाड़ नहीं सकते । ऐसे में हम छात्रों खास तौर पर बीएचयू के छात्रों का दायित्व बनता है की उनके दुखो को समझें और उनके लिए सरकार से उचित मुआवजे की मांग करें । 

उनके बीच एक सर्वे करने के बाद बांटा गया यह परचा :

भगवानपुर,छित्तूपुर और सीरगोवर्धनपुर की जनता से अपील !

साथियों,
नयी सरकार आने के बाद सौ स्मार्ट सिटी बनाने की योजना आई है। उन सौ सिटी में से एक अपना बनारस भी है। जिसे जापान के सहयोग से क्योटो की तरह सिटी बनाया जायेगा और वहाँ सड़कों को चौड़ा करने के नाम पर इसका काम भी शुरु हो चूका है। इसी के अंतर्गत लंका से डाफी तक सड़क को ३०,४० या ६० फीट चौड़ा करने की बात की जा रही है । जो अभी स्पष्ट नहीं है। फिर भी सरकार द्वारा बिना किसी नोटिस दिए यह धमकी दिया गया है कि लोग अपनी जमीन खाली कर दे नहीं तो वे खुद खाली करा देगी । जिससे डर कर प्रभावित लोग खुद ही अपना घर और दुकान तोड़ने लगे । और इस तथाकथित स्मार्ट सिटी बनाने कि कीमत चुकाने के लिए मजबूर है। अभी तो यह शुरुआत है आगे हजारो लोगों को इसकी कीमत चुकानी है। क्योकि बनारस को अब आम नहीं खास लोगों का शहर बनाया जा रहा है। यह खास लोग है बहुराष्ट्रीय कम्पनिया इसके दलाल पूंजीपति और भू माफियाँ जिनके लिए बनारस के आस-पास के २०० गांव को उजाड़ने की योजना है। ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों,शॉपिंग मॉल,मल्टिनेशनल दुकाने और फैक्ट्री लगा सके।

साथियो इसी क्रम में भगवानपुर,छित्तूपुर और सीरगोवर्धनपुर में सड़क के किनारे रहने वाले परिवारों को विस्थापित किया जा रहा है। इन परिवारों की जीविका का मुख्य साधन उनकी दुकान है। जो सड़क के किनारे स्थित है इसी से वे अपने परिवार का पेट भरते है । और यहाँ कई पीढियों से रहते आ रहे है। पर सरकार ने इनके जीविका पर लात मारते हुए बिना कोई नोटिस दिए और बिना पूछे सड़क चौड़ा करने के नाम पर जमीन खाली करने की धमकी दिया है। और सरकार का कहना है कि उन्होंने अतिक्रमण करके सरकारी जमीन पर अपना घर और दुकान बनाया है । इसीलिए उन्हें मुवावजा नहीं दिया जायेगा। लेकिन यहाँ रहने वाले लोगों और दुकानदारों का कहना है कि सरकार झूठ बोल रही है। ये जमीन आबादी की है और वे कई पीढियों से यहाँ रहते आ रहे है। इसलिए जमीन उनकी है और उन्हें मुआवजा मिलना चाहिये क्योंकि भगवानपुर,छित्तूपुर और सीरगोवर्धनपुर गाँव है। और हर गाँव की सड़क इतनी ही चौड़ी होती है। सरकार झूठा प्रचार करके मुफ्त में ही हमारी जमीन व जीविका छिनना चाहती है। यहाँ कुछ मकान तो सौ साल पुराना है इन्हें अंग्रेजों ने भी नहीं तोडा उसे "अच्छे दिन आने वाले है " का वादा करने वाली सरकार तोड़ रही है। फर्क बस इतना है कि अब गोरे अंग्रेजो कि जगह काले अंग्रेज शासक हो गए है। और कोई भी कमिसनखोर चुनावबाज पार्टियाँ भी हमारा दुःख पूछने नहीं आ रही है। कैसी विडम्बना है कि जिस काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को बनाने के लिये यहाँ के लोगों ने अपना खेत-खलिहान, गाँव को इसके संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय को दान में दे दिया है और बचऊ यादव ने कुर्बानी तक भी दी। उनको विश्वविद्यालय के एक सौ वर्ष पुरे होने पर भारत रत्न दिया जा रहा है वहीं दान देने वाले लोगों को एक बार फिर बिना मुआवजा दिए ही विकास के नाम पर उजाड़ा जा रहा है ।

साथियों ,
इस दुःख की घड़ी में हम आपके साथ है। आप सभी ग्राम वासियों और विस्थापित हो रहे लोगों से यह निवेदन करते है कि इस उजाड़ने वाले स्मार्ट सिटी का विरोध करें ! संगठित होकर अपने मुआवजा और जीविका के साधन कि व्यवस्था करने के लिए आवाज उठाओ !
इंकलाब जिन्दाबाद ! 
क्रन्तिकारी अभिवादन सहित - 

भगत सिंह छात्र मोर्चा ( बीसीएम )-8181025014 गणेश (सीरगेट) 7398350499 कान्ता पाल ( छित्तूपुर )- 9795414784


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