राष्ट्रीय शोक के परिदृश्य में क्या हम जैसा कि मंडेला ने भारत रत्न खिताब के बावजूद कहने का दुस्साहस किया था कि भारत में नस्ली भेदभाव प्रबल है, इसपर किसी विमर्श और संवाद के लिए तैयार हैं। तभी मंडेला को सही मायने में श्रद्धांजलि दी जा सकेगी। वरना यह महज एक राजनयिक कवायद भर है।
पलाश विश्वास
संजोग से आज छह दिसंबर है,देश में बाबरी विध्वंस की बरसी है आज।
संजोग से बाबरी विध्वंस की बरसी पर नेल्सन मंडेला के अवसान के बहाने राष्ट्रीय शोक है।
शायद पोयेटिक जस्टिस इसी को कहते हैं।
अजब संजोग है कि मृत्यु तिथि पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर और नेल्सन मंडेला एकाकार हो गये। जो अलग अलग देश काल परिस्थितियों में समता,सामाजिक न्याय के लिए जाति व्यवस्था,रंगभेद के खिलाफ आजीवन लड़ते रहे।
हमारे लिए यह एक मौका है कि हम सिरे से मंडेला और अंबेडकर की प्रासंगिकता पर वैश्विक जायनवादी कारपोरेट वर्ण वर्चस्वी शिकंजे में फंसे भारत के संदर्भ में दोनों की प्रासंगिकता पर समन्वित संवाद करें।इसीलिए यह आलेख।
यह भी अजब संजोग है कि अंबेडकर के निर्वाण दिवस पर बाबरी विध्वंस करने वाले युद्ध अपराधी अब बाबासाहेब की विचारधारा और आंदोलन पर काबिज हैं।
यह भी अजब संजोग है कि इस त्रिमुखी संजोग के मुहाने भारत के कारपोरेट जायनवादी हिंदू राष्ट्र बना देने की पुरजोर वैश्विक कारपोरेट आय़ोजन के तहत कारपोरेट निर्मित जनादेश का अनुमोदन करने की अनिवार्यता से जूझ रहा है देश और इतिहास।
यह इतिहास के सिंहावलोकन का यथार्थ समय है।
समता और सामाजिक न्याय को सिरे से खारिज करने वाले हम लोग मंडेला पर कितना ईमानदार शोकयापन ज्ञापन कर रहे हैं,इस पर भी मुझे संदेह है।
इसके अलावा आज के ही दिन भारत के संविधान रचयिता और वंचितों के मसीहा बाबासाहेब डा. भीमराव अंबेडकर का तिरोदान दिवस भी है।
चैत्यभूमि और शिवाजी पार्क में गणेशोत्सव की तर्ज पर बाबासाहेब का स्मरण करने वालों ने जाति उन्मूलन के एजंडा,उनकी विचारधारा ौर आंदोलन की क्या गत कर है,इस पर भी संवाद का समय है यह।
भारत रत्न नेल्सन मंडेला नहीं रहे। पचानब्वे साल की उम्र में दुनिया से अलविदा कहने वाले मंडेला के अवसान से भारत में राष्ट्रीय शोक है और बाकी दुनिया के अश्वेत वंचित मानवता के लिए यह अपूरणीय क्षति है। सत्तर दशक की दुनिया को जेल में कैद मंडेला ने निरंतर दुनिया को बदलने के लिए प्रेरित किया। छात्र जीवन में वे हमारे सबसे बड़े वैश्विक आइकन थे। निग्रोइड नस्ल की अश्वेत दुनिया की पहचान और उनकी मुक्तिकामी बगावत का नाम थे मंडेला। इसीलिए उनका जाना ठीक वैसा ही है हमारे लिए जैसे कि अपने घर में पिता पितामह सरीखे किसी का जाना है। वैदिकी रीति रिवाज मानने वाले भारतीयों के लिए भी,जो यकीनन अश्वेत विश्व के अस्तित्व की कारपोरेट साम्राज्यवाद रंगभेदी व्यवस्था के विरुद्ध लड़ाई में शामिल नहीं हैं,यह अशौच समय है। स्वतंत्रोत्तर भारत में किसी विदेशी का इतना असर भारतीय मानस पर हुआ हो,कम से कम मुझे मालूम नहीं है।
तब विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल आयोग की रपट लागू की थी और रामजन्मभूमि जिहाद भ्रूणावस्था में थी। देश आरक्षण युद्ध में झोंका जा चुका था। रोजाना आरक्षण विरोधी आत्मदाह की खबरें मीडिया के लाइव कवरेज की सनसनीखेज सुर्खिया थी।कमंडल में खिलने ही लगा था कमल। वैश्वीकरण,उदारीकरण और निजीकरण के देवमंडल ने मोर्चा संभाल लिया था। ऐसे समय में नेल्सन मंडेला भरत आये और भारत में नस्ली भेदभाव पर टिप्पणी करते हुए मंडल रपट को लागू करने का समर्थन कर दिया। आज जो लोग मंडेला के अवसान पर शोकमग्न है, उसवक्त भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप के लिए अफ्रीकी मुक्ति युद्ध और रंगभेद विरोधी वैश्विक महासंग्राम के पर्याय बने दक्षिण अफ्रिकी के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के विरुद्ध उनकी प्रतिक्रिया बेहद मारक थी।
हम उस वक्त बरेली में थे और चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व में जी रहे थे। तभी मैंने एक कहानी लिखी थी- गिद्ध,कुत्ते,चोर, प्रधानमंत्री और हम। लघुपत्रिकों में यह कहानी आयी और जब अमर उजाला के सभी संस्करणों में यह कहानी रविवारीय में छपी तो कहीं कहीं अखबार जलाया भी गया।
कोलकाता में नेल्सन मंडेला के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण हो रहा था। सविता और मैं अंदर अपने एक कमरे के डेरे में बैठे टीवी पर मंडेला दर्शन कर रहे थे। दोमंजिले मकान की छत पर कमरा था वह इकलौता और सामने छत खुली और नंगी थी।दिवाली थी। टुसु तब पहली में था। वह मस्ती में बंदूक बजा रहा था।बरेली में भंदरों का उत्पात अब भी होगा। बंदरों का झुंड हमारी छत पर आ गया तो उन्हें लक्ष्य करके टुसु ने बंदूक बजा दी। बंदर उस पर तुरंत झपटे और काट लिया।
हम लोग उसे लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचे। तो वहां हमारे इलाहाबाद समय से परिचित और कवि मित्र अग्रज वीरेन डंगवाल व मंगलेश डबराल के खास मित्र मेडिकल इंचार्ज थे।
पहले तो उन्होंने हमारी खूब खबर ली कि बच्चे को अकेले छत पर कैसे छोड़ दिया। लेकिन जब हमने सफाई में बताया कि हम मंडेला का लाइव प्रसारण देख रहे थे, वे एकदम फट पड़े। बोले, मंडेला नहीं वे मंडल हैं। वे आत्मदाह करने वाले छात्रों के शोक में दिवाली भी मना रहे थे। टुसु दिवाली के तहत ही बंदूक बाज हो गया,इसपर भी उन्हें बहुत गुस्सा आया। यह प्रकरण उस वक्त भारतीय विभाजित मानस का एक बिंब संयोजन है। जिसके गर्भ में हिंदुत्व का पुनरुत्थान तेजी से पलता रहा।
बहरहाल टुसु को चौदह इंजेक्शन लगवाने पड़े। इसी बीच अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा की पहली कोशिश पर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोलियां चला दी। दंगों का लावा फूट पड़ा। दंगों की चपेट में आ गया अमन चैन का शहर बरेली भी। फिर उसी विस्फोटक हालत में मुख्यमंत्री मुलायम ने बरेली में आम सभा की और बरेली में कर्फ्यू लागू हो गया। सांप्रदायिक तूफान में मंडल का महाविस्फोट खत्म और लहलहाने लगी कमल की फसलें।
उस युद्धभूमि में बीच कर्फ्यू और अंध सांप्रदायिक हिंसा के मध्य पत्रकार परिचय के सहारे प्रेमनगर के अपने डेरे से बरेली के तंग झुमका गिरे बाजारों की खाक होती दुकानों के पार मुझे अस्पताल जाकर टुसु को चौदह इंजेक्शन लगवाने पड़े।
यह वाकया इसलिये सुना रहा हूं कि राष्ट्रीय शोक के परिदृश्य में क्या हम जैसा कि मंडेला ने भारत रत्न खिताब के बावजूद कहने का दुस्साहस किया था कि भारत में नस्ली भेदभाव प्रबल है, इसपर किसी विमर्श और संवाद के लिए तैयार हैं। तभी मंडेला को सही मायने में श्रद्धांजलि दी जा सकेगी। वरना यह महज एक राजनयिक कवायद भर है।
मुंबई में दलित चिंतक डॉ. बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी.
और यहां उपनगरीय इलाके दादर में उनके स्मारक 'चैतन्यभूमि'पर पूरे महाराष्ट्र से पहुंचे उनके हजारों अनुयायियों ने इसे महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया.
यह पुण्यतिथि इस मायने में अहम है कि केंद्र ने अंबेडकर स्मारक के निर्माण के लिए यहां इंडिया यूनाइटेड :इंदू: मिल की जमीन देने का फैसला किया है. अंबेडकर के अनुयायी लंबे समय से इसकी मांग करते रहे हैं.
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इन दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी. चव्हाण ने कहा, ''राज्य और केंद्र सरकारें अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंबेडकर स्मारक के निर्माण के लिए कटिबद्ध हैं. ''
राज्य सचिवालय में अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी गयी. विधानभवन में कर्मचारियों ने भी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए.
शहर के परिवहन विभाग बीईएसटी अंडरटेकिंग ने दादर और शिवाजी पार्क के बीच विशेष बसें चलायीं और वहां लोगों को मुफ्त जलपान के लिए फूड स्टॉल लगाए गए थे.
जोहानिसबर्ग में अपने परिवार वालों के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला ने अलविदा कहा। इतनी बड़ी घटना को बताने के लिए राष्ट्रपति जैकब जूमा को खुद सामने आना पड़ा, "हमारे राष्ट्र ने अपने सबसे महान पुत्र को खो दिया।
Former South African President Nelson Mandela will be laid to rest at his ancestral village of Qunu in the Eastern Cape on December 15, President Jacob Zuma said on Friday.
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इनेलो ने अंबेडकरको किया याददैनिक जागरण-4 hours ago बाबा साहेब अंबेडकरके परि निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में शुक्रवार को इनेलो कार्यकर्ताओं ने पूर्व मंत्री कांता देवी के नेतृत्व में अंबेडकरचौक पर उनकी प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर उन्हे श्रद्धांजलि दी। कार्यकर्ताओं को ... |
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डा. भीमराव अंबेडकरपरि निर्वाण दिवस के प्रबंधों का ...दैनिक भास्कर-01-Dec-2013Share बसपा संसदीय क्षेत्र आनंदपुर के इंचार्ज रछपाल सिंह राजू ने 6 दिसंबर को प्रदेश स्तरीय भीमरावअंबेडकरनिर्वाण दिवस के लिए प्रबंधों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सदियों पुरानी जागीरदारी सिस्टम को अघोषित रूप ... |
Nelson Rolihlahla Mandela was a South African anti-apartheid revolutionary as well as a politician and philanthropist who served as President of South Africa ...
Graça Machel - Winnie Madikizela-Mandela - Evelyn Mase - Anti-Apartheid
News for nelson mandela
Nelson Mandela's death stirs sense of loss around the world
Times of India- 41 minutes ago
Prime Minister Manmohan Singh said, "A giant among men has passed away. This is as much India's loss as South Africa's."
Nelson Mandela tribute documentaries in TV schedules
Telegraph.co.uk - 42 minutes ago
Nelson Mandela Passes: 10 Musical Tributes to the Iconic Political Figure
Billboard - 1 hour ago
Nelson Mandela, anti-apartheid icon, dies at 95 - The Times of India
timesofindia.indiatimes.com› World
15 hours ago - South African anti-apartheid hero Nelson Mandela died at his Johannesburg home after a prolonged lung infection, plunging the world into ...
Gopi Kanta Ghosh +1'd this
BBC News - South Africa's Nelson Mandela dies in Johannesburg
www.bbc.co.uk/news/world-africa-25249520
20 hours ago - Nelson Mandela, South Africa's first black president who led the peaceful transition from white-only rule, has died aged 95, after a long illness.
Nelson Mandela dies at 95 - CNN.com
www.cnn.com/2013/12/05/world/africa/nelson-mandela/
15 hours ago - Nelson Mandela, the revered statesman who emerged from prison after 27 years to lead South Africa out of decades of apartheid, has died.
Nelson Mandela dead at 95 - World News
worldnews.nbcnews.com/_news/.../17500450-nelson-mandela-dead-at-9...
19 hours ago - Nelson Mandela, the revered South African anti-apartheid icon who spent 27 years in prison, led his country to democracy and became its first ...
Message from The Nelson Mandela Foundation, The Nelson ...
www.nelsonmandela.org/
Supports conflict resolution, removal of poverty as well as improving the health of the public, especially in regard to terminal diseases. The Foundation was ...
Nelson Mandela dead at 95 - World - CBC News
www.cbc.ca/news/world/nelson-mandela-dead-at-95-1.2417872
20 hours ago - Nelson Mandela, the anti-apartheid icon who became the first president of a democratic South Africa, passed away Thursday at his home in ...
World mourns Nelson Mandela, former South African president and ...
www.foxnews.com/world/2013/12/05/mandela-dies-age-95/
17 hours ago - National leaders and ordinary citizens around the world joined Thursday in mourning Nelson Mandela, who spent 27 years as a prisoner in ...
Nelson Mandela Dead: Former South African President Dies at 95 ...
abcnews.go.com› International
20 hours ago - Nelson Mandela, former South African president and an icon of the anti-apartheid movement, has died at age 92. Mandela spent 27 years in ...
Nelson Mandela Quotes - BrainyQuote
www.brainyquote.com/quotes/authors/n/nelson_mandela.html
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mourning in India as a mark of respect to Nelson Mandela
A decision to this effect was taken at a special meeting of the Union Cabinet, which condoled the death of the anti-apartheid icon
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AP
New Delhi/Johannesburg: The government on Friday announced a five-day state mourning as a mark of respect to Nelson Mandela.
A decision to this effect was taken at a special meeting of the Union Cabinet, which condoled the death of the anti-apartheid icon.
"Mandela was the tallest leader of not only his generation but possibly this entire paradigm. The role that he personally played in dismantling the apartheid is something exemplary," information and broadcasting minister Manish Tewari said after the meeting.
A prisoner of conscience for over 20 years, the South African leader played an extremely vital role in giving a moral leadership to the world, he said.
"The entire nation is one with the South African people in condoling his sad demise.
"The Cabinet met today and passed a resolution condoling the death of Dr Nelson Mandela and it has been decided that there would be five days' state mourning...," he said.
A global symbol of resistance who liberated South Africa from much-despised apartheid regime and served as its first black president, Nelson Mandela died at his home in Johannesburg on Thursday after battling a protracted illness.
"Our beloved Nelson Rolihlahla Mandela, the founding President of our democratic nation, has departed," South Afrcian President Jacob Zuma said in a televised address to the nation, announcing the demise of the 95-year-old Nobel laureate.
Mandela, also a recipient of India's highest civilian award 'Bharat Ratna' in 1990, was receiving medical care from a team of doctors since September at his home in the suburb of Houghton here after spending three months in a Pretoria hospital for a recurrent lung ailment.
"Our nation has lost its greatest son. Our people have lost a father," he said.
"What made Nelson Mandela great was precisely what made him human. We saw in him what we seek in ourselves."
Zuma announced a state funeral for the elder statesman. Details of the funeral have not been announced yet, but all flags will fly at half-mast until the funeral.
He said Mandela's tireless struggle for freedom earned him the respect of the world: "His humility, his compassion, and his humanity earned him their love."
Hundreds of South Africans all over the country huddled in groups from the early hours of this morning to mourn the death of Mandela, who led the liberation of South Africa from white minority rule and served as its first black president.
Mandela, a lawyer and ex-boxer, spent 27 years in prison, most of them on Robben Island, after being convicted in the Rivonia trial with several others 50 years ago.
He stepped down in 1999 after serving one term as President following the first democratic elections in 1994.
As president, Mandela worked for uniting the polarised nation dominated by tribal politics. He devoted his energy to moderating the bitterness of his black electorate and to reassuring whites with fears of vengeance.
Mandela had been in and out of hospital for the past two years with a range of medical problems. His public appearances became rare but despite that he held a special place in the consciousness of the nation and the world.
US President Barack Obama mourned Mandela's death, saying "He no longer belongs to us -- he belongs to the ages."
"We've lost one of the most influential, courageous and profoundly good human beings that any of us will share time with on this Earth," Obama said.
UN Secretary-General Ban Ki-moon and the Security Council also mourned the death of Mandela, saying the South African leader was a "giant for justice".
"Nelson Mandela was a singular figure on the global stage - a man of quiet dignity and towering achievement, a giant for justice and a down-to-earth human inspiration. I am profoundly saddened by his passing," Ban said in his condolence message.
"On behalf of the United Nations, I extend my deepest condolences to the people of South Africa and especially to Nelson Mandela's family and loved ones," he said.
British Prime Minister David Cameron said, "One of the brightest lights of our world has gone out. Nelson Mandela was not just a hero of our time, but a hero of all time, the first president of a free South Africa, a man who suffered so much for freedom and justice."
The flag above Downing Street is flying at half-mast as a mark of respect, the BBC said.
China praised the former South African president as "an old friend of the Chinese people."
The South African government has set up a special tribute website at "http://www.mandela.gov.za"www.mandela.gov.za.
"Our thoughts are with the South African people who today mourn the loss of the one person who, more than any other, came to embody their sense of a common nationhood," Zuma said.
"Our thoughts are with the millions of people across the world who embraced Madiba as their own, and who saw his cause as their cause.
"Let us reaffirm his vision of a society in which none is exploited, oppressed or dispossessed by another. Let us commit ourselves to strive together ? sparing neither strength nor courage ? to build a united, non-racial, non-sexist, democratic and prosperous South Africa," Zuma added.
In his tribute to Mandela, Nobel laureate and Archbishop Emeritus Desmond Tutu said the former president had transcended race and class in his personal actions.
He said people cared about Mandela and loved him because of his courage, convictions and his caring ways for others.
"Mandela embodied and reflected our collective greatness. He embodied our hopes and our dreams. He symbolised our enormous potential, potential that has not always been fulfilled," Tutu said in a statement.
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The Economic Times
Rebooting India Inc with The Economic Times Awards for Corporate Excellence 2013. Catch the most incisive moments right here tomorrow:http://ow.ly/rvB6i
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HISTORY
HISTORY IN THE HEADLINES: Nelson Mandela, the former South African president, died on Thursday following the latest in a series of lung infections. He was 95 years old. Find out more about the life and legacy of this anti-apartheid icon. http://histv.co/ISIF8q
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Faisal Anurag
नेल्सन मंडेला ने 27 साल के अपने कारावास के दौरान एक पर्ची पर इस कविता को लिख कर अपने पास सहेजे रखा। मंडेला के मुताबिक यही कविता थी जिसने उन्हें इतने लंबे कारावास के दौरान जि़ंदा रहने का साहस दिया। वे इस कविता को जेल में साथी कैदियों को सुनाया करते थे।
जनपथ : एक ग़ुमनाम कवि की कालजयी कविता
बहुत सुंदर ! जितनी सार्थक रचना उतनी ही कलात्मक ! शुभकामनायें !कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |http://madan-
नेल्सन मंडेलाके सम्मान में भारत में पांच दिन का राजकीय शोकएनडीटीवी खबर - 8 hours ago नई दिल्ली: सरकार ने नेल्सन मंडेलाके सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। इस आशय का फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में किया गया। मंत्रिमंडल ने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले इस महानायक को श्रद्धांजलि दी। बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंडेला सिर्फ अपनी पीढ़ी के लिए ही नहीं, बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे। रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभाई, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि 27 साल से अधिक अवधि तक जेल में रहे दक्षिण अफ्रीका के इस नेता ने दुनिया को नैतिक नेतृत्व देने ... आपको पता है, नेल्सन मंडेलाके थे पांच और भी नामZee News हिन्दी - 41 minutes ago आपको पता है, नेल्सन मंडेलाके थे पांच और भी नाम. Tag: नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, निधन, पांच नाम, मदीबा, डालिभुंगा. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 22:36. जोहान्सबर्ग : दुनिया भले ही उन्हें नेल्सन मंडेलाके नाम से जानती हो लेकिन दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति के इसके अलावा पांच और नाम थे। कुछ नाम उनके बचपन के हैं जबकि कुछ उनके सम्मानस्वरूप रखे गये हैं। नेल्सन मंडेलाफाउंडेशन के अनुसार, जन्म के समय मंडेला के पिता नकोसी मफाकन्यीसवा गडला हेनरी ने उनका नाम रोलीहलाहला रखा था। दक्षिण अफ्रीका की आधिकारिक भाषा में इसका मतलब 'परेशान करने वाला' ... नहीं रहे नेल्सन मंडेला : ट्विटर पर भी आई शोक संदेशों की बाढ़...एनडीटीवी खबर - 11 hours ago Twitter also flooded with condolence messages on Nelson Mandela. नेल्सन मंडेलाका फाइल चित्र. close. नेल्सन मंडेलाका फाइल चित्र. नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक और देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने नेल्सन मंडेलाके देहावसान पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर शोक संदेशों की बाढ़-सी आ गई है, और देश-विदेश की नामी-गिरामी हस्तियों ने नेल्सन मंडेला (#NelsonMandela) को 'महामानव', 'शांति और अहिंसा का स्तंभ', और 'मानवता के लिए प्रेरणा' बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट (@PMOIndia) पर संदेश दिया... नेल्सन मंडेलामेरे आदर्श हैं : मलाला यूसुफजईZee News हिन्दी - 4 hours ago नेल्सन मंडेलामेरे आदर्श हैं : मलाला यूसुफजई. Tag: मलाला यूसुफजई, पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता, नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, निधन. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 19:03. नेल्सन मंडेलामेरे आदर्श हैं : मलाला यूसुफजई लंदन : पाकिस्तान की किशोर सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने आज दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाको अपना 'आदर्श' बताया और कहा कि वह दुनियाभर के लोगों के लिए 'प्रेरणा' हैं। मलाला ने अपने शोक संदेश में कहा कि नेल्सन मंडेलाभले ही भौतिक रूप से हमसे अलग हो गये हों लेकिन उनकी आत्मा और प्रेरणा हमेशा जीवित रहेगी। नेल्सन मंडेलाजैसी हस्ती हम दोबारा नहीं देख पाएंगे : बराक ओबामाएनडीटीवी खबर - 13 hours ago वाशिंगटन: अपने आपको नेल्सन मंडेलासे प्रेरणा लेने वाले लाखों लोगों में से एक बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज दक्षिण अफ्रीकी रंगभेद विरोध के प्रणेता के निधन पर शोक जताया और कहा कि दुनिया को उनके जैसा नेता दोबारा नहीं मिल सकता। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति मंडेला के निधन की सूचना मिलने के कुछ ही देर बाद ओबामा ने व्हाइट हाउस के संवाददाताओं को बताया, मैं उन लाखों लोगों में से एक हूं, जिन्होंने नेल्सन मंडेलाके जीवन से प्रेरणा ली है। मेरा पहला राजनैतिक कार्य-ऐसी पहली चीज, जो मैंने कभी किसी नीति, मुद्दे या राजनीति से संबद्ध की हो, वह रंगभेद ... संसद के दोनों सदनों ने नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि दीएनडीटीवी खबर - 9 hours ago नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और रंगभेद विरोधी आंदोलन के अगुवा रहे नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि देने के बाद शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। लोकसभा में सभी दलों के सांसदों ने मंडेला को एक प्रेरणादायी शख्सियत के रूप में याद किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जैसे हमने अपने प्यारे पिता को खो दिया है। सोनिया ने कहा, उन्होंने साहस और बलिदान को फिर से परिभाषित किया है। महात्मा गांधी से प्रेरणा लेने वाले मंडेला उन्हीं की तरह हर वर्ग के लोगों से जुड़े... आठ दिन बाद होगा नेल्सन मंडेलाका अंतिम संस्कार, चौकीदार से राष्ट्रपति तक का किया सफरदैनिक भास्कर - 2 hours ago जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के पुरोधा और पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका अंतिम संस्कार 15 दिसंबर को किया जाएगा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने यह घोषणा की। नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले मंडेला का गुरुवार रात निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। मंडेला पिछले कुछ महीनों से फेफड़ों में संक्रमण के शिकार थे और जोहांसबर्ग स्थित अपने घर में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। मंडेला का पार्थिव शरीर प्रेटोरियो के एक मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने इस दुखद घटना पर राजकीय शोक की घोषणा की। छह नामों से जाने जाते थे नेल्सन मंडेलाLive हिन्दुस्तान - 1 hour ago दुनिया भले ही उन्हें नेल्सन मंडेलाके नाम से जानती हो, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति के इसके अलावा पांच अन्य नाम थे। कुछ नाम उनके बचपन के हैं जबकि कुछ उनके सम्मानस्वरूप रखे गये हैं। नेल्सन मंडेलाफाउंडेशन के अनुसार, जन्म के समय मंडेला के पिता नकोसी मफाकन्यीसवा गडला हेनरी ने उनका नाम रोलीहलाहला रखा था। दक्षिण अफ्रीका की आधिकारिक भाषा में इसका मतलब परेशान करने वाला होता है। सीएनएन की खबर के अनुसार नेल्सन नाम उन्हें उनके प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक ने दिया था। दक्षिण अफ्रीका में उन्हें मदीबा नाम से जाना जाता है। मंडेला को कई लोग टाटा और खुलू ... वैश्विक नेता और शांति के दूत थे नेल्सन मंडेलाएनडीटीवी खबर - 13 hours ago जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेलाने न सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे, जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ। मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों ... मंडेलाके निधन पर शोक में डूबा खेल जगतLive हिन्दुस्तान - 7 hours ago अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) सहित विश्व की अनेक खेल हस्तियों ने रंगभेद विरोधी आंदोलन के महानायक नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति आगे आने वाली कई पीढ़ियें के लिए प्रेरणा के स्रोत रहेंगे। आईसीसी के अध्यक्ष एलन इस्साक और मुख्यकार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि मंडेला बहुत बड़े नेता थे जो दुनिया के लोगों में एकजुटता कायम करने के लिए हमेशा याद किये जाएंगे। खेल जगत हमेशा उन्हें याद रखेगा। आईसीसी ने कहा राष्ट्रपति मंडेला एक राजनेता, विश्व नेता और मानवता के लिए प्रेरणा ... बॉलीवुड ने नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक जतायाLive हिन्दुस्तान - 6 hours ago अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड कलाकारों ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर शुक्रवार को शोक व्यक्त किया। नस्लभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता मंडेला का दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में उनके आवास पर निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, 'नेल्सन मंडेला-दृढ इच्छाशक्ति, विश्वास और धैर्य के प्रतीक एवं एक अजीम शख्सियत का आज निधन हो गया। लेकिन वह सही के लिए लड़ने की अपनी शिक्षा को पीछे छोड़ गए। मुझे दो अवसरों पर उनसे मिलने और उनके साथ समय बिताने का बड़ा सम्मान मिला। उनके अन्य अनगिनत गुणों में से उनकी ... सच्चे गांधीवादी थे नेल्सन मंडेला : मनमोहन सिंहएनडीटीवी खबर - 13 hours ago नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दक्षिण अफ्रीका के महान नेता नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि इस महान शख्सियत के निधन से जितना नुकसान दक्षिण अफ्रीका को पहुंचा है, उतना ही नुकसान भारत को हुआ है। वह एक सच्चे गांधीवादी थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नेल्सन मंडेलाके निधन पर अपने शोक संदेश कहा कि मंडेला का व्यक्तित्व महान था। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और मानवता के प्रतीक थे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम में से बहुत से लोग गांधी जो को नहीं देख पाए, लेकिन हम ख़ुशनसीब हैं कि हमने नेल्सन मंडेलाको देखा है। मंडेला ने ... नेल्सन मंडेलासे भी ज्यादा दिलचस्प कहानी है उनकी पूर्व पत्नी विनी मंडेला कीदैनिक भास्कर - 9 hours ago नेल्सन मंडेलासे भी ज्यादा दिलचस्प कहानी है उनकी पूर्व पत्नी विनी मंडेला की. दुनिया के दूसरे गांधी के नाम से मशहूर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपतिनेल्सन मंडेलाका 95 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले दो साल से फेफड़े की बीमारी से ग्रस्त थे। इस दौरान उनकी पूर्व पत्नी विनी मंडेला ने उनकी काफी सेवा की। हालांकि वर्षो पूर्व दोनों का तलाक हो चुका था। बावजूद इसके विनी और वर्तमान पत्नी ग्रेसा उनके मंडेला के आखिरी दिनों में रात-दिन देखरेख में जुटी रहती थीं। पूर्व पत्नी और वर्तमान पत्नी के बीच यहां बेहद नजदीकियां देखने को मिल रहीं थीं। जब मंडेला अस्पताल थे, ... दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन, दुनिया भर के नेताओं ने जताया शोकZee News हिन्दी - 4 hours ago Tag: Nelson Mandela, South Africa, Apartheid, Nobel Peace, नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 15:53. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन, दुनिया भर के नेताओं ने जताया जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और वैश्विक रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता नेल्सन मंडेलाका लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, '' हमारे लोकतांत्रिक देश के संस्थापक राष्ट्रपति, हमारे प्यारे नेल्सन मंडेलानहीं रहे। नेल्सन मंडेलाकी मौत पर प्रधानमंत्री ने जताया शोकदैनिक जागरण - 5 hours ago इस दुनिया में रहने वाले बहुत से लोगों की तरह मैं अपने जीवन को मंडेलाकी पेश मिसाल के बिना पूरी तरह नहीं सोच सकता। अपने जीवन की अंतिम सांस तक मैं वह सब करूंगा, जो मैं उनसे सीखने के लिए कर सकता हूं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरन ने मंडेलाको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारी दुनिया का सबसे चमकीला प्रकाश हमारे बीच से चला गया। उन्होंने कहा कि मंडेलान केवल हमारे समय के, बल्कि सर्वकालीन नायक थे। दक्षिण अफ्रीका की स्वतंत्रता व न्याय के लिए उन्होंने बहुत कुछ सहन किया था। चीन ने भी मंडेलाके निधन पर शोक जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के माध्यम से ... नेल्सन मंडेलाके सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोकLive हिन्दुस्तान - 7 hours ago ...सिर्फ अपनी पीढी के लिए ही नहीं, बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे। रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभायी, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि 27 साल से अधिक अवधि तक जेल में रहे दक्षिण अफ्रीका के इस नेता ने दुनिया को नैतिक नेत1त्व देने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। तिवारी ने कहा कि मंडेला के निधन पर पूरा देश दक्षिण अफ्रीका की शोकाकुल जनता के साथ है। उन्होंने कहा कि आज कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया और तय किया गया कि पांच दिन का राजकीय शोक रखा जाएगा। 20. नेल्सन मंडेलासच्चे गांधीवादी और महामानव थे : प्रधानमंत्रीZee News हिन्दी - 1 hour ago नेल्सन मंडेलासच्चे गांधीवादी और महामानव थे : प्रधानमंत्री नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक प्रकट किया और उन्हें सच्चा गांधीवादी बताया। मंडेला का गुरुवार रात निधन हो गया, वह 95 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंसानों में एक महामानव का निधन हो गया। यह दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत की भी बड़ी हानि है। वह सच्चे गांधीवादी थे। मनमोहन सिंह ने एक वक्तव्य में कहा कि किसी कवि ने कहा है, `यहां-वहां समय-समय पर भगवान इंसानों में किसी को महामानव बनाते हैं। मंडेला इंसानों के बीच एक महामानव थे। जानें- नेल्सन मंडेलाके निधन पर बॉलीवुड ने क्या कहाZee News हिन्दी - 8 hours ago जानें- नेल्सन मंडेलाके निधन पर बॉलीवुड ने क्या कहा. Tag: नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीकी नेता, निधन, बॉलीवुड, अमिताभ बच्चन. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 14:48. जानें- नेल्सन मंडेलाके निधन पर बॉलीवुड ने क्या कहा नई दिल्ली : अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड कलाकारों ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर शुक्रवार को शोक व्यक्त किया। नस्लभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता मंडेला का दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में उनके आवास पर निधन हो गया है। वह 95 वर्ष के थे। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, ''नेल्सन मंडेला- दृढ़ इच्छाशक्ति, विश्वास और ... नेल्सन मंडेलाने साहस की नई परिभाषा गढ़ी: सोनिया गांधीLive हिन्दुस्तान - 8 hours ago कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को रंगभेद विरोधी आंदोलन के अगुआ नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने साहस और कुर्बानी की नई परिभाषा गढ़ी। सोनिया ने लोकसभा में कहा, ''नेल्सन मंडेलाएक सच्चे नेता थे, जिन्होंने आगे आकर हमेशा अपने देश का नेतृत्व किया। वह लाखों लोगों की प्रेरणा और आधार थे।'' मंडेला का गुरुवार रात निधन हो गया। सोनिया ने कहा, ''उन्होंने साहस और कुर्बानी की नई परिभाषा गढ़ी।'' सोनिया ने कहा कि उनका साहस महामानव जैसा था। सोनिया ने कहा, ''महात्मा गांधी, जिन्होंने उन्हें प्रेरित किया, की तरह वह भी पूरी मानवता से जुडेम् ... नेल्सन मंडेलाका निधन, दुनिया से चला गया दूसरा गांधीLive हिन्दुस्तान - 12 hours ago दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनियाभर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुकेनेल्सन मंडेलाने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे, जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उदभव हुआ। मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण ... दक्षिण अफ्रीका के गांधी मंडेलाका था भारत से गहरा नाताZee News हिन्दी - 1 hour ago दक्षिण अफ्रीका के गांधी मंडेला का था भारत से गहरा नाता. Tag: नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका का गांधी, भारत, गहरा नाता. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 22:06. जोहान्सबर्ग : 'दक्षिण अफ्रीका के गांधी' कहे जाने वाले नेल्सन मंडेलाका भारत से गहरा नाता था और भारत के 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी तथा उनके बीच अक्सर समानताएं खोजी जाती हैं। रंगभेद नीति के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने वाले मंडेला का भारत से संबंध इस बात से पता चलता है कि 27 साल जेल में बिताने के बाद वर्ष 1990 में उन्होंने पहली बार विदेश जाने के लिए अपने 'राजनीतिक गुरु' और 'आदर्श' गांधी की धरती भारत को चुना। दरअसल, वह ... अश्वेतों के गांधी का भारत से जुड़ावनवभारत टाइम्स - 12 minutes ago एनबीटी महात्मा गांधी ने रंगभेद के खिलाफ अगर अपना संघर्ष दक्षिण अफ्रीका में शुरू किया, तो नेल्सन मंडेलाने उसी जमीन पर गांधी की विरासत को आगे बढ़ाया। बता दें कि भारत का जितना गहरा रिश्ता दक्षिण अफ्रीका से है, उतना ही नेल्सन मंडेलासे भी। भारत का सबसे बड़ा सम्मान (भारत रत्न) पाने वाले नेल्सन मंडेलाभारतीय उपमहाद्वीप के बाहर के पहले शख्स बने। उन्हें यह सम्मान 1990 में दिया गया। हालांकि इससे पहले पाकिस्तान के खान अब्दुल गफ्फार खान को भी यह सम्मान दिया जा चुका था, लेकिन सरहदी गांधी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था। मदर टेरेसा को भी इस सम्मान से नवाजा गया, ... नेल्सन मंडेलाके निधन पर नीतीश ने जताया शोकSahara Samay - 1 hour ago नीतीश कुमार ने नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेलाके निधन पर गहरी शोक-संवेदना व्यक्त की है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के नायक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेलाके निधन पर गहरी शोक-संवेदना व्यक्त की है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि मंडेला को एक सच्चा गांधीवादी नेता बताते हुए कहा है कि उनके निधन से विश्व को अपूरणीय क्षति हुई है. नीतीश ने अपने शोक संदेश में कहा कि मंडेला जी ने अपना पूरा जीवन अन्याय एवं असमानता के विरुद्ध संघर्ष में बिताया. वे सहिष्णुता एवं आशा के सच्चे प्रतीक ... दुनियाभर के शोक संदेशों से अभिभूत हुआ मंडेलापरिवारLive हिन्दुस्तान - 1 hour ago नेल्सन मंडेलाके परिवार ने शुक्रवार को लोगों को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति की स्वास्थ्य परेशानियों के समय उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वे मंडेला के निधन पर दुनियाभर से आ रही भावभीनी श्रद्धांजलि से अभिभूत हैं। मंडेला के पोते मांडला ने एक बयान में कहा कि मैं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए बहुत आभारी हूं। हम परिवार के सदस्य के तौर पर मानते हैं कि मदीबा (मंडेला का प्यार का नाम) केवल हमारे नहीं बल्कि पूरे विश्व के हैं। उन्होंने कहा कि कल रात से हमें मिले संदेशों से हम अभिभूत हैं। मैं मदीबा के लंबे समय तक चली स्वास्थ्य दिक्कतों के दौरान ... नेल्सन मंडेलाके निधन पर संयुक्त राष्ट्र ने शोक जतायाLive हिन्दुस्तान - 12 hours ago संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून और सुरक्षा परिषद ने नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक जताया और कहा कि एक मानव प्रेरणा थे, जिन्होंने नस्लभेद उत्पीड़न के खिलाफ जिंदगी भर जंग की। बान ने अपने शोक संदेश में कहा, नेल्सन मंडेलाविश्व मंच पर एक अनूठी हस्ती थे - शांति गरिमा और आसमान छूती उपलब्धियों के व्यक्ति, न्याय के लिए विशाल और विनम्र मानव प्रेरणा। मैं उनके गुजरने से बेहद दुखी हूं। उन्होंने कहा, दक्षिण अफ्रीका की तरफ से मैं दक्षिण अफ्रीका के अवाम और खासकर नेल्सन मंडेलाके परिवार और उनके प्रियजन को गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। बान ने कहा कि मंडेला ने अपनी जिंदगी अपने ... नेल्सन मंडेलाके निधन से दुनिया भर में शोकआज तक - 5 hours ago बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, 'सुबह नेल्सन मंडेलाजी के निधन के बारे में पता चला. वह एक प्रेरक हीरो थे, जिन्होंने लोगों को न्याय दिलाने और भेदभाव मिटाने की जंग लड़ी.' उद्योगपति रतन टाटा ने ट्वीट किया, 'दुनिया ने एक महान नेता खो दिया है. नेल्सन मंडेलाउस दक्षिण अफ्रीका के जनक थे जहां लोगों समान अधिकार मिले. उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.' मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर पर लिखा, 'यह मानवता के लिए एक दुखद दिन है. दुनिया कभी भी नेल्सन मंडेलाको नहीं भूलेगी. उनके विचार और शिक्षा हमारे साथ हमेशा रहेगी.' क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने लिखा, ... दूसरे 'गांधी' भी दुनिया से विदा: घर छोड़ने के बाद चौकीदारी करनी पड़ी थी नेल्सन मंडेलाकोदैनिक भास्कर - 12 hours ago साथियो, नेल्सन मंडेलाने हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे।' विश्व भर के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जाताया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि मंडेला न सिर्फ अपने समय के महानतम नेता थे बल्कि वो इतिहास के महानतम नेताओं में शामिल हैं। मंडेला के निधन पर शोक जताने वालों में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा, प्रिंस विलियम्स सहित देश और दुनिया के कई नेता शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति को रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रिय नेता के रूप में जाना जाता रहेगा। उनके जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र 'नेल्सन मंडेलाडे' के ... हमारे विश्व का सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंज चला गया : डेविड कैमरनएनडीटीवी खबर - 13 hours ago लंदन: ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, हमारे विश्व के सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंजों में से एक आज चला गया। कैमरन ने कहा, हमारे विश्व के सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंजों में से एक ज्योतिपुंज आज चला गया। नेल्सन मंडेलासिर्फ हमारे समय के नायक नहीं थे, वे तो सर्वकालिक नायक हैं। दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति मंडेला एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वतंत्रता और न्याय के लिए बहुत कष्ट उठाए हैं। बीबीसी ने कहा कि मंडेला के सम्मान में डाउनिंग स्ट्रीट का झंडा आधा झुका दिया गया है। कैमरन ने कहा कि इस दुख की घड़ी ... विश्वभर के नेताओं ने दी नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलिLive हिन्दुस्तान - 12 hours ago विश्वभर के नेताओं ने रंगभेद नीति के खिलाफ मुहिम चलाने वाले अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक प्रकट किया है। मंडेला का जोहांसबर्ग के उपनगर हॉटन स्थित उनके घर में गुरुवार को निधन हो गया। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने राष्ट्रीय टेलीविजन को संबोधित करते हुए गुरुवार रात घोषणा कि मदिबा (मंडेला) का शाम में निधन हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित विश्वभर के नेताओं ने मंडेला को श्रद्धांजलि दी। ओबामा ने कहा, ''मंडेला ने बेहतरी के लिए बदलाव के वादे को पूरा किया।'' ओबामा ने कहा कि मंडेला की उपलब्धि किसी व्यक्ति से की ... साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधननवभारत टाइम्स - 17 hours ago मंडेला का जन्म 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ साऊथ अफ्रीका के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह मदीबा कबीले से थे और साउथ अफ्रीका में उन्हें अक्सर उनके कबीले के नाम यानी 'मदीबा' कहकर बुलाया जाता था। उनके कबीले ने उनका नाम रोलिहलाहला दालिभंगा रखा था लेकिन उनके स्कूल के एक शिक्षक ने उनका अंग्रेजी नाम नेल्सन रखा। उनके पिता थेंबू राज परिवार में सलाहकार थे और जब उनकी मृत्यु हुई तो नेल्सन मंडेला 9 साल के थे। उनका बचपन थेंबू कबीले के मुखिया जोंगिनताबा दलिनदयाबो की देखरेख में बीता। वह 1943 में अफ्रीका नैशनल कांग्रेस से जुड़े। आगे चलकर वह अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी ... |
ओपेरा के हीरो रहे हैं नेल्सन मंडेला
दैनिक जागरण - 4 hours ago
ओपेरा के हीरो रहे हैं नेल्सन मंडेला. नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन से दुखी ओपरा विनफ्रे का कहना है कि वे हमेशा से मेरे हीरो रहे हैं। उनका जीवन हम सबके लिए उपहार था। ओपेरा, नेल्सन मंडेलाको अपना खास दोस्त, विश्वासपात्र और मेंटर मानती थीं। ओपेरा कहती हैं मेरे जीवन का वह सबसे बड़ा सम्मान का पल था जब नेल्सन मंडेलाने मुझे अपने घर पर आमंत्रित किया था। उनके साथ निजी समय बिताने और उन्हें जानने का मौका मिला। वे बहुत विनम्र और कड़वाहट से दूर से थे। उन्हें हमेशा अच्छा मजाक करना पसंद था। उनके साथ बैठकर ऐसा महसूस होता था जैसे आप महामहिम के ...
भारत-दक्षिण अफ्रीका श्रृंखला मंडेलाको समर्पित
Live हिन्दुस्तान - 46 minutes ago
दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला 18 दिसंबर से शुरू होगी और उसके भी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होने की संभावना है, लेकिन 14 दिसंबर से बेनोनी में होने वाले दो दिवसीय अभ्यास मैच को रद्द किया जा सकता है, क्योंकि मंडेला का अंतिम संस्कार 15 दिसंबर को किया जाएगा। सीएसए के अध्यक्ष क्रिस नेनजानी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके विशाल दक्षिण अफ्रीकी परिवार के रूप में सीएसए मादिबा के परिवार, देश और दुनिया के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि वह जब युवा थे तो एमेच्योर मुक्केबाज थे, लेकिन उन्हें सभी खेलों से प्यार था और इसमें उन्हें देश के सभी ...
लोकसभा ने नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि दी, बैठक दिनभर के लिए स्थगित
प्रभात खबर - 9 hours ago
नयी दिल्ली : रंगभेद विरोधी आंदोलन के महानायक नेल्सन मंडेलाके निधन पर आज लोकसभा ने गहरा शोक प्रकट किया और उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद उनके सम्मान में सदन की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि वह ऐसी अजीम शख्सियत और भारत के एक महान मित्र थे, जिनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा. उन्होंने कहा कि रंगभेद और असमानता के खिलाफ संघर्ष और उसके लिए करीब 28 वर्षों तक राबिन आईलैंड में जेल का कष्ट झेल कर उन्होंने पूरी मानवता को उत्पीड़न से मुक्ति का संदेश दिया है. इस स्थान पर जाना किसी तीर्थयात्रा ...
मंडेलाकी मौत: भारत में पाँच दिनों का राष्ट्रीय शोक
बीबीसी हिन्दी - 5 hours ago
...मित्र को भेजें · प्रिंट करें. दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके मौत पर दुख प्रकट करते हुए भारत सरकार ने पाँच दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. वर्ष 1990 में नेल्सन मंडेलाको भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. नई दिल्ली में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में नेल्सन मंडेलाकी मौत पर दुख व्यक्त किया गया. कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, "पूरा भारत इस घड़ी में दक्षिण अफ़्रीका के लोगों के साथ है. कैबिनेट ने पाँच दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित करने का फ़ैसला किया है." ...
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन
Live हिन्दुस्तान - 14 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और वैश्विक रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता नेल्सन मंडेलाका आज तड़के 95 साल की उम्र में निधन हो गया। राष्ट्रपति जैकब जूमा ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर यह घोषणा करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीकी हमवतनो, हमारे प्यारे, हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र के संस्थापक राष्ट्रपति चल बसे। जूमा ने बताया कि उनका निधन 5 दिसंबर को रात 8.50 मिनट (स्थानीय समयानुसार) पर हो गया। राष्ट्रपति जूमा ने कहा कि मंडेला का निधन हो गया है। हमारे राष्ट्र ने अपना महान सपूत खो दिया। हमारे अवाम ने एक पिता को खो दिया है। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मंडेला ...
बॉलीवुड ने दी नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि
Sahara Samay - 8 hours ago
अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड कलाकारों ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर आज शोक व्यक्त किया. नस्लभेद विरोधी आंदोलन के प्रणोता मंडेला का दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में उनके आवास पर निधन हो गया है. वह 95 वर्ष के थे. अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, "नेल्सन मंडेला- दृढ इच्छाशक्ति, विास और धैर्य के प्रतीक एवं एक अजीम शख्सियत का आज निधन हो गया. लेकिन वह सही के लिए लड़ने की अपनी शिक्षा को पीछे छोड़ गए. मुझे दो अवसरों पर उनसे मिलने और उनके साथ समय बिताने का बड़ा सम्मान मिला. उनके अन्य अनगिनत गुणों में से उनकी विनम्रता उनकी ...
मंडेलासे 2007 में मिलकर भावुक हो गयी थीं सोनिया
Live हिन्दुस्तान - 5 hours ago
प्रिंट टिप्पणियॉ: (0) अ+ अ-. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2007 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलासे शिष्टाचार मुलाकात के दौरान उस समय कुछ भावुक हो गयी थीं, जब उन्होंने सुना कि किस प्रकार अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस उनकी सास इंदिरा गांधी और उनके पति राजीव गांधी की ऋणी है। रंगभेद विरोधी वरिष्ठ कार्यकर्ता अहमद कथरादा ने उस समय सोनिया गांधी का परिचय अतिथियों और बड़ी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों से कराते हुए हुआ था कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तथा भारत ने एक देश के रूप में रंगभेद मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभायी थी।
मंडेलाको श्रद्धांजलि देने वालों का तांता
बीबीसी हिन्दी - 5 hours ago
नेल्सन मंडेलादुनिया के बेहतरीन राजनेताओं में शुमार किए जाते थे. उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्लीय सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वे 27 साल तक जेल में रहे. लंदन में पार्लियामेंट स्कवायर पर बनी मंडेला की मूर्ति के आगे लोगों ने फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. नेल्सन मंडेला. हॉफटन में नेल्सन मंडेलाके घर के बाहर लोग मोमबत्तियां जलाकर और फूल चढ़ाकर शोक व्यक्त कर रहे हैं. नेल्सन मंडेला. विश्व भर में चली रंगभेद के ख़िलाफ़ मुहिम में मंडेला एक प्रतीक बन गए. दुनिया भर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद टीम इंडिया के दौरे पर संकट के बादल?
Zee News हिन्दी - 11 hours ago
नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद टीम इंडिया के दौरे पर संकट के बादल? Tag: नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका, टीम इंडिया, दौरा, महेंद्र सिंह धोनी, वनडे, टेस्ट मैच, Nelson Mandela, Nelson Mandela`s demise, India`s tour of South Africa, India vs South Africa, three-match ODI se. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 12:12. नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद टीम इंडिया के दौरे पर संकट के बादल? ज़ी मीडिया ब्यूरो जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद टीम इंडिया के दौरे पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रिपोर्टों की मानें तो दक्षिण अफ्रीका के साथ ...
...जब मंडेलासे मिलकर भावुक हो गई थीं सोनिया गांधी
Zee News हिन्दी - 5 hours ago
जब मंडेला से मिलकर भावुक हो गई थीं सोनिया गांधी. Tag: सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला, मंडेला का निधन, Sonia Gandhi, Nelson Mandela. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 18:10 ...जब मंडेला से मिलकर भावुक हो गई थीं सोनिया गांधी जोहानिसबर्ग : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2007 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलासे शिष्टाचार मुलाकात के दौरान उस समय कुछ भावुक हो गयी थीं जब उन्होंने सुना कि किस प्रकार अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस उनकी सास इंदिरा गांधी और उनके पति राजीव गांधी की ऋणी है। रंगभेद विरोधी वरिष्ठ ...
भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज मदीबा को समर्पित
आईबीएन-7 - 3 hours ago
क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) ने मौजूदा भारत और दक्षिण अफ्रीका वनडे सीरीज को देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाको समर्पित किया है। सीएसए ने शुक्रवार को मंडेला के निधन के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रही सीरीज को रोकने की खबरों का भी खंडन किया। क्रिकेट बोर्ड ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि हम मदीबा के पूरे परिवार को इस दुखभरी घड़ी में सांत्वना देते हैं। सीएसए के अध्यक्ष क्रिस नेन्जानी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रही इस सीरीज को मंडेला की याद में समर्पित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि पूरा खेल ...
मंडेलाका अंतिम संस्कार 15 दिसंबर को
बीबीसी हिन्दी - 6 hours ago
दक्षिण अफ़्रीका और दुनिया भर में लाखों लोग नेल्सन मंडेलाकी मौत का मातम मना रहे हैं. दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा ने घोषणा की है कि 15 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जोहानेसबर्ग के बाहरी इलाक़े में स्थित एक 95,000 लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में राष्ट्रीय शोक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसके बाद नेल्सन मंडेलाका शव राजधानी प्रीटोरिया में तीन दिन तक दर्शना के लिए रखा जाएगा और फिर उनके गांव कुनु लिए ले जाया जाएगा, जहाँ उनका अंतिम संस्कार होगा. जोहानेसबर्ग में उनके घर के बाहर और सोवेटो की ...
मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे नेल्सन मंडेला: प्रणब
Zee News हिन्दी - 13 hours ago
प्रणब ने कहा कि दोनों देशों के बीच मित्रता में उनके योगदान के सम्मान में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने एक बयान में कहा कि मैं भारत के लोगों और सरकार के साथ साथ अपनी ओर से दिवंगत राष्ट्रपति मंडेलाके परिवार के सदस्यों और दक्षिण अफ्रीकी सरकार और लोगों के प्रति तहे दिल से संवेदना व्यक्त करता हूं। देश में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने और जेल से रिहा होने के बाद जुल्म ढाने वाले श्वेतों को क्षमा करने के वाले दक्षिण अफ्रीका के पहले निर्वाचित अश्वेत राष्ट्रपति मंडेलाका दुनिया भर में बहुत सम्मान है। मंडेलाका 95 साल की उम्र में आज तड़के ...
पढ़ें: मंडेलाकी वो बातें, जिन्होंने बनाया महान
आईबीएन-7 - 11 hours ago
नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के 'गांधी' नेल्सन मंडेलाने दुनिया को अलविदा कह दिया। नेल्सन मंडेलाके निधन की खबर से दुनिया भर में शोक की लहर फैल गई है। अफ्रीका के काले लोगों का नायक पूरी दुनिया में इंसानी अधिकारों के संघर्ष की मिसाल बन गया। नेल्सन मंडेलाकी कुछ ऐसी बातें जिन्होंने मंडेला को महान बना। मंडेला की कुछ ऐसी ही महान बातें-. 1. जिंदगी भर मैंने रंगभेद के खिलाफ संघर्ष किया। मैं उस ऐहसास को लेकर हमेशा रोमांचित रहा, जहां एक लोकतांत्रिक और आजाद समाज में लोग समान अधिकार के साथ खुशी से रहते हैं। ये एक ऐसा ऐहसास है जिसके लिए मैं मरने तक के लिए तैयार हूं। 2.
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन
Jagran Josh - 10 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और रंगभेद से संघर्ष के प्रतीक नेल्सन मंडेलाका जोहान्सबर्ग (Johannesburg ) में 5 दिसंबर 2013 को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्लीय सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वह 27 वर्ष तक जेल में रहे. देश के पहले काले राष्ट्रपति का पद संभालते हुए उन्होंने कई अन्य संघर्षों में भी शांति बहाल करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई. image नेल्सन मंडेलाको सरकार के तख्ता पलटने के आरोप में वर्ष 1962 में गिरफ्तार कर लिया गया. रिवोनिया की अदालत में उन्होंने अपना खुद का ...
आज भी टूट कर प्यार करती है नेल्सन मंडेलाकी तलाकशुदा बीवी, देखें तस्वीरें
दैनिक भास्कर - 16 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष नेता नेल्सन मंडेला (94) की पूर्व पत्नी विनी मंडेला अभी भी उन्हें प्यार करती हैं। हालाकि वर्षों पूर्व दोनों का तलाक हो चुका है। विनी मंडेला और वर्तमान पत्नी ग्रेसा प्रिटोरिया अस्पताल में भर्ती मंडेला की रात-दिन देखरेख में जुटी हैं। मंडेला की पूर्व पत्नी और वर्तमान पत्नी के बीच यहां बेहद नजदीकियां देखने को मिल रहीं हैं। वे दोनों आपस में खूब बातें करती हैं और दोनों मंडेला को अपना पति कहकर संबोधित करती हैं। उन्हें अभी भी उम्मीद है कि मंडेला ठीक हो जाएंगे। विनी ग्रेसा को अपनी छोटी बहन बताती है। विनी आज भी अपने आपको मंडेला से भावनात्मक रूप ...
नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि
Zee News हिन्दी - 12 hours ago
लंदन में पार्लियामेंट स्कवॉयर के बाहर स्थित नेल्सन मंडेलाकी मूर्ति के पास श्रद्धांजलि के रूप में चढ़ाए गए फूल और उनकी तस्वीर। crousel. न्यूयार्क में दक्षिण अफ्रीकी वाणिज्य दूतावास के बाहर कैंडल जलाकर नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि देती एक महिला। crousel. न्यूयार्क में दक्षिण अफ्रीकी वाणिज्य दूतावास के बाहर कुछ इस अंदाज में श्रद्धांजलि देती दक्षिण अफ्रीका की एक युवती। crousel. जोहानिसबर्ग में नेल्सन मंडेलाके घर के बाहर जुटे शोकाकुल लोग। crousel. एडिलेड में नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि अर्पित करती इंग्लैंड क्रिकेट की टीम। crousel. लंदन में दक्षिण अफ्रीकी उच्चायोग ...
मंडेलाके निधन पर बोले दलाई लामा,एक प्यारे दोस्त की याद सताएगी
प्रभात खबर - 6 hours ago
नयी दिल्ली : तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने रंगभेद विरोध के प्रतीक नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रुप से अपने एक प्यारे दोस्त की याद सताएगी. मंडेला के परिवार को भेजे एक पत्र में गहरी संवेदना व्यक्त करते हुये दलाई लामा ने कहा कि विश्व ने एक महान नेता को खो दिया जिसने रंगभेद शासन से दक्षिण अफ्रीका के संक्रमण काल के दौरान शांति स्थापना में दृढ़ एवं महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व काल में दक्षिण अफ्रीका मेल-मिलाप की भावना के साथ शांतिपूर्ण तरीके से बदल गया था. धामिक गुरु ने कहा कि उन्हें ...
मंडेला: सफल नेता का असफल परिवारिक जीवन
बीबीसी हिन्दी - 4 hours ago
नस्ल भेद पर जीत ने नेल्सन मंडेलाको दुनिया भर में एक उम्मीद का प्रतीक बना दिया था लेकिन राजनीति के लिए प्रतिबद्धता अकसर उनके परिवारिक जीवन को हानि पहुंचाती रही. मंडेला की पहली पत्नी एवेलिन एक नर्स थी और वो उनके राजनीतिक सहयोगी और भविष्य में जेल के सहयात्री बनने वाले एएनसी नेता वॉल्टर सिसुलु की बहन भी थीं. मंडेला ने बाद में एवेलिन को 'एक चुप रहने वाली ख़ूबसूरत ग्रामीण लड़की कहा.' दोनों ने वर्ष 1944 में शादी कर ली. उनके चार बच्चे हुए लेकिन ये शादी मंडेला के राजनीतिक दायित्वों और प्रेम संबंधों के कारण जल्दी डांवाडोल हो गई. एक बार एवेलिन ने मंडेला के प्रेम संबंधों से ...
दक्षिण अफ्रीकी गांधी मंडेलाका था भारत से गहरा नाता
Live हिन्दुस्तान - 4 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के गांधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेलाका भारत से गहरा नाता था और भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा उनके बीच अक्सर समानताएं खोजी जाती हैं। रंगभेद नीति के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने वाले मंडेला का भारत से संबंध इस बात से पता चलता है कि 27 साल जेल में बिताने के बाद वर्ष 1990 में उन्होंने पहली बार विदेश जाने के लिए अपने राजनीतिक गुरु और आदर्श गांधी की धरती भारत को चुना। दरअसल वह वर्ष 1990 में जेल से रिहा हुए और भारत ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। वर्ष 1993 में उन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। मंडेला ...
दूसरे गांधी ने भी दुनिया को कहा अलविदा: घर छोड़ने के बाद चौकीदारी करनी पड़ी थी नेल्सन मंडेलाको
दैनिक भास्कर - 12 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका लंबी बीमारी के बाद गुरुवार रात जोहान्सबर्ग में निधन हो गया। मंडेला पिछले दो साल से फेफड़े की बीमारी से ग्रस्त थे। नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त 95 वर्षीय मंडेला ने अपने घर में अंतिम सांस ली। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने उनके निधन की घोषणा करते हुए कहा कि राष्ट्र ने अपने सबसे महान बेटे को खो दिया है। हमारे लोगों ने अपने पिता को खो दिया। साथियो, नेल्सन मंडेलाने हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे।' विश्व भर के नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जाताया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड ...
कॉलेज से निकाल दिए गए थे मंडेला, करनी पड़ी थी चौकीदार की नौकरी
दैनिक भास्कर - 13 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका लंबी बीमारी के बाद गुरुवार रात जोहान्सबर्ग में निधन हो गया। मंडेला पिछले दो साल से फेफड़े की बीमारी से ग्रस्त थे। उन्होंने अपने घर में अंतिम सांस ली। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने उनके निधन की घोषणा करते हुए कहा- राष्ट्र ने अपने सबसे महान बेटे को खो दिया। हमारे लोगों ने अपने पिता को खो दिया। साथियो, नेल्सन मंडेलाने हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे। मंडेला के निधन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, अमेरिकी ...
भारत-दक्षिण अफ्रीका वनडे सीरीज मंडेलाको समर्पित
दैनिक जागरण - 35 minutes ago
जोहानिसबर्ग। क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच जारी वनडे सीरीज को रंगभेद विरोधी आंदोलन के महानायक नेल्सन मंडेलाके नाम पर समर्पित कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका के पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए राष्ट्रपति का निधन गुरुवार की शाम (भारतीय समयानुसार आधी रात के बाद ) को हो गया था। 95 वर्षीय नेल्सन मंडेलाके निधन की खबर सुनकर दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया भर में शोक का माहौल है। क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच जारी वनडे सीरीज पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जारी ...
नेल्सन मंडेलाके सम्मान में भारत में 5 दिन का राजकीय शोक
Oneindia Hindi - 5 hours ago
नई दिल्ली। गांधीवादी विचाराधारा वाले दक्षिण अफ्रिका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके सम्मान में केंद्र सरकार ने 6 से 10 दिसंबर तक पांच दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, राजकीय शोक के दौरान देशभर में 6 से 10 दिसंबर तक राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा और इस दौरान किसी तरह के सरकारी समारोह आयोजित नहीं किए जाएंगे। 95 साल के नोबेल पुरस्कार विजेता मंडेला पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त 95 वर्षीय मंडेला ने अपने घर में अंतिम सांस ली।इस बात की जानकारी राष्ट्रपति जैकब जूमा के कार्यालय ...
रंगभेद विरोधी नायक दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन
प्रभात खबर - 12 hours ago
द अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए अपने एक राष्ट्रीय टेलीविजन संबोधन में कहा "दक्षिण अफ्रीका ने अपनी महान संतान को खो दिया है, वे अब आराम कर रहें हैं, वे अब शांति में है."मंडेला को आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का पितामह माना जाता है. उन्होंने रंगभेद नीति के खिलाफ लडाई लडी और देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने. दक्षिण अफ्रीका के वर्तमान राष्ट्रपति जैकब जूमा ने कहा, जिस चीज ने नेल्सन मंडेलाको इंसान बनाया, उसी ने उन्हें महान बनाया. हम उनमें जो देखते हैं, वह हम अपने भीतर खोजते है. चिकित्सकों का एक दल यहां सितंबर से हावटन उपनगर में मंडेला ने निवास ...
तब मुझमें आजादी की भूख जगने लगी: मंडेला
आईबीएन-7 - 13 hours ago
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वो इस धरती पर सबसे प्रभावशाली, साहसी और बेहतरीन इंसान रहे। नेल्सन मंडेलाको 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1964 में जेल जाने के बाद नेल्सन मंडेलादुनिया भर में नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष के एक आइकन बन गए। 1994 में हुए पहले लोकतांत्रिक चुनावों में मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुन लिए गए। मंडेला महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थे। लोग उन्हें साउथ अफ्रीका के गांधी भी कहते थे। उनके राजनीतिक आंदोलनों और संघर्षों में महात्मा गांधी के विचारों का असर ...
मंडेलाके निधन से विश्व ने महान राजनेता खो दियाः चौहान
नवभारत टाइम्स - 5 hours ago
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर गहरा शोेक जताते हुए कहा है कि इससे केवल साउथ अफ्रीका ही नहीं, अपितु समूचे विश्व ने एक महान राजनेता खो दिया है। चौहान ने शुक्रवार को यहां अपने शोक संदेश में कहा कि मंडेला ने साउथ अफ्रीका में नस्लभेदी सरकार की जगह लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए दीर्घकालीन संघर्ष किया और इस दौरान उन्होने अपने जीवन के अमूल्य 27 वर्ष जेल में भी गुजारे। उन्होंने कहा कि जेल से छूटने के बाद वह दुनिया भर में नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष ...
नस्लीय भेदभाव को दर्शाती 15 तस्वीरें, अश्वेतों का कर रखा था जीना मुहाल
दैनिक भास्कर - 8 hours ago
नस्लीय भेदभाव को दर्शाती 15 तस्वीरें, अश्वेतों का कर रखा था जीना मुहाल. जोहानसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के पुरोधा और पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका कल निधन हो गया। वह 95 साल के थे। मंडेला पिछले कुछ महीनों से फेफड़ों में संक्रमण के शिकार थे और जोहांनसबर्ग स्थित अपने घर में स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने मंडेला के निधन की जानकारी दी। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान वह लगभग तीन दशकों तक जेल में बंद रहे थे। वह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। राष्ट्र के नाम अपने शोक संदेश ...
नेल्सन मंडेलादुनिया छोड़ गए, भावाभीनी श्रद्धांजलि
लोकतेज - 10 hours ago
नेल्सन मंडेलादुनिया छोड़ गए, भावाभीनी श्रद्धांजलि. नई दिल्ली । मानवाधिकार व रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महान शख्सियत दक्षिण अप्रिâका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलादुनिया छोड़ गए। मंडेला का ९५ वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मंडेला ने अपनी जिंदगी के २८ साल रंगभेद की नीति से लड़ने के लिए जेल में बिताए। उनके कभी न भूलने वाले व्यक्तित्व के चलते दक्षिण अप्रिâका ही नहीं दुनियाभर में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। भारत में संसद के दोनों सदनों लोकसभा राज्यसभा में तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी वहीं तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने अपने शोक ...
मंडेलामेरे दिल में हमेशा रहेंगेः तेंडुलकर
नवभारत टाइम्स - 4 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका लंबी बीमारी के कारण गुरुवार को जोहानिसबर्ग के हाबटन उपनगर में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेलसन मंडेला ने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के ...
नहीं रहे नेल्सन मंडेला, पूरी दुनिया में शोक की लहर
दैनिक जागरण - 15 hours ago
जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति व रंगभेद विरोध के प्रणेता नेल्सन मंडेलाका बृहस्पतिवार रात निधन हो गया। 95 वर्षीय मंडेला फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें 1993 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए टेलीविजन संबोधन में कहा कि देश के पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन रोलिहलाला मंडेला का बृहस्पतिवार रात स्थानीय समय रात आठ बजकर 50 मिनट पर निधन हो गया। वह अब आराम कर रहे हैं..शांति में हैं। हमारे देश ने अपना महान ...
नेल्सन मंडेलामरा नहीं करते...
Webdunia Hindi - 5 hours ago
नेल्सनशाही परिवार से जुड़े थे। पिता की मौत के बाद भी उन्हें अच्छे स्कूलों में जाने का मौका मिला। अच्छी पढ़ाई करने का मौका मिला। स्कूल में उन्होंने बॉक्सिंग खेली, एथलेटिक्स में हिस्सा लिया। लेकिन काला होने का मतलब क्या है, इसका पता उन्हें कॉलेज में चला। एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें सस्पेंड कर दिया। 1940 के दशक में उन्होंने जाना कि जिस अफ्रीका में वह रह रहे हैं, वहां दो दुनिया हैं। एक दुनिया गोरों की है जो राज करते हैं और दूसरी कालों की, जो सिर्फ मरते रहते हैं। मंडेलाने तब भी मरने से इनकार कर दिया था और भेदभाव के अन्यायपूर्ण हालातों से लड़ने ...
National > नेल्सन मंडेलाको भाजपा ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
पंजाब केसरी - 1 hour ago
नई दिल्ली : भाजपा के नेताओं ने दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद को उखाड़ फेंकने वाले कद्दावर नेता नेल्सन मंडेलाके निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा, मंडेला ने भेदभाव और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वह गांधीवादी तरीकों और दर्शन में विश्वास रखते थे। अपने लोगों की आजादी के लिए खुद की आजादी त्याग कर वह महानायक बन गए। उन्होंने कहा कि मंडेला आधुनिक इतिहास के उन महानतम नेताओं में एक हंै जिन्होंने मानव की गरिमा और सम्मान के अपने संघर्ष से दुनिया भर को प्रेरित किया।वहीं अरुण जेटली ने कहा कि मंडेला ने ना सिर्फ अपने आंदोलन से दक्षिण ...
हमारे विश्व का सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंज चला गया: कैमरन
Live हिन्दुस्तान - 13 hours ago
ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आज नेल्सन मंडेलाके निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, हमारे विश्व के सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंजों में से एक आज चला गया। कैमरन ने कहा कि हमारे विश्व के सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंजों में से एक ज्योतिपुंज आज चला गया। नेल्सन मंडेलासिर्फ हमारे समय के नायक नहीं थे, वे तो सर्वकालिक नायक हैं। दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति मंडेला एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वतंत्रता और न्याय के लिए बहुत कष्ट उठाए हैं। बीबीसी ने कहा कि मंडेला के सम्मान में डाउनिंग स्ट्रीट का झंडा आधा झंका दिया गया है। कैमरन ने कहा कि इस दुख की घड़ी ...
मंडेलाथे एक अजीम शख्सियत: प्रधानमंत्री
Sahara Samay - 6 hours ago
नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें एक ऐसी 'अजीम शख्सियत' बताया जो अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ने वालों के लिए उम्मीद की एक ज्योति थे. रंगभेद के खिलाफ लड़ने में अपना जीवन समर्पित कर देने वाले इस महान नेता के निधन पर शोक जताते हुए सिंह ने कहा कि मंडेला के जाने से जितनी क्षति दक्षिण अफ्रीका को हुई है, उतनी ही क्षति भारत और बाकी विश्व को भी हुई है. अपने शोक संदेश में सिंह ने कहा, ''राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके निधन पर मुझे गहरा दुख है.'' मंडेला के महान व्यक्तित्व के लिए सिंह ने किसी अज्ञात कवि की अंग्रेजी में लिखी कविता की ...
नेल्सन मंडेलाकी महान गाथा
आईबीएन-7 - 10 hours ago
नेल्सन मंडेलाकी महान गाथा. नेल्सन मंडेलाकी महान गाथा. IBN7. नेल्सन मंडेलाका 95 साल की उम्र में निधन हो गया। मंडेला के संघर्ष भरे जीवन की नींव बचपन में ही पड़ गई थी, जिस समाज में उन्होंने जन्म लिया था, वहां आजादी का कोई मतलब नहीं रह गया था। ऐसे में मडीबा मंडेला ने एक लंबी लड़ाई शुरू की, और पूरी दुनिया उनके साथ हो ली। तस्वीरों में देखिए मंडेला के संघर्ष की महान गाथा। 1 · 2 · 3 · 4 · 5 · 6 · 7 · 8 · 9 · 10 · Next ». और अधिक फोटोगैलरी. चलेगा आर...राजकुमार का जादू! शाहिद की 10 दमदार फिल्में · पोस्ट पोल सर्वेः कौन जीतेगा-कौन हारेगा · कुशाल के खिलाफ गौहर! आमिर ने मनाया बेटे का जन्मदिन.
मंडेलामेरे आदर्श हैं: मलाला
Sahara Samay - 3 hours ago
पाकिस्तान की किशोर सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाको अपना 'आदर्श' बताया और कहा कि वह दुनियाभर के लोगों के लिए 'प्रेरणा' हैं. मलाला ने अपने शोक संदेश में कहा कि नेल्सन मंडेलाभले ही भौतिक रूप से हमसे अलग हो गये हों लेकिन उनकी आत्मा और प्रेरणा हमेशा जीवित रहेगी. वह पूरी दुनिया के हैं क्योंकि वह समानता, स्वतंत्रता, प्रेम और ऐसे मूल्यों के प्रतीक हैं जिनकी हमें हमेशा हर जगह जरूरत होती है. मलाला ने कहा कि उनका लंबा संघर्ष मानवता का उदाहरण है. मैंने नेल्सन मंडेलासे बहुत कुछ सीखा है और वह मेरे आदर्श हैं. मेरे और ...
मंडेलाको भाजपा की श्रद्धांजलि
Sahara Samay - 4 hours ago
भाजपा के नेताओं ने दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद को उखाड़ फेंकने वाले कद्दावर नेता नेल्सन मंडेलाके निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है. पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा, ''मंडेला ने जीवन पर्यंत लोगों के विरूद्ध होने वाले भेदभाव और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी. वह गांधीवादी तरीकों और दर्शन में विश्वास रखते थे. अपने लोगों की आजादी के लिए खुद की आजादी त्याग कर वह महानायक बन गए.'' उन्होंने कहा कि मंडेला आधुनिक इतिहास के उन महानतम नेताओं में एक हैं जिन्होंने मानव की गरिमा और सम्मान के अपने संघर्ष से दुनिया भर को प्रेरित किया. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण ...
नेल्सन मंडेलाके निधन पर दुनिया भर में शोक की लहर
Worldnow - 5 hours ago
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने कहा कि मंडेला ने कई देशों को शांतिपूर्ण आंदोलन की प्रेरणा दी। सयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मंडेला के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता रहे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबॉच ने उन्हें याद करते हुए सदी का सबसे बड़े नेता बताया है। धर्म गुरू दलाई लांबा ने संवेदना व्यक्त करते हुए कहा उन्होंने अपना एक प्यारा दोस्त खो दिया है। नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'हम में से बहुतों को गांधी जी को जिंदा देखने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन हम खुशनसीब हैं कि हम नेल्सन मंडेलाके जीवन के गवाह बने। हमने अहिंसा और शांति ...
शांति के दूत थे नेल्सन मंडेला...
p7news - 2 hours ago
नेल्सन मंडेलाहमारे बीच नहीं रहे। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेलाने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ। मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, ...
मंडेलाके निधन पर संयुक्त राष्ट्र ने शोक जताया
Sahara Samay - 11 hours ago
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून और सुरक्षा परिषद ने नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक जताया और कहा कि वह एक मानव प्रेरणा थे. बान ने अपने शोक संदेश में कहा कि नेल्सन मंडेलाविश्व मंच पर एक अनूठी हस्ती थे- शांति गरिमा और आसमान छूती उपलब्धियों के व्यक्ति, न्याय के लिए विशाल और विनम्र मानव प्रेरणा. मैं उनके गुजरने से बेहद दुखी हूं. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की तरफ से मैं दक्षिण अफ्रीका के अवाम और खासकर नेल्सन मंडेलाके परिवार और उनके प्रियजन को गहरी संवेदना प्रकट करता हूं. बान ने कहा कि मंडेला ने अपनी जिंदगी अपने लोगों और मानवता की सेवा में लगा दी और उन्होंने ऐसा ...
तस्वीरों में मंडेलाकी ज़िंदगी का सफ़र
बीबीसी हिन्दी - 5 hours ago
गोरे अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ लंबे समय तक संघर्ष करने के बाद नेल्सन मंडेलादक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने. इस तस्वीर में मंडेला अपने लॉ फर्म ऑफिस में खड़े दिख रहे हैं. नेल्सन मंडेला. ईस्टर्न केप के मुखिया परिवार में जन्मे मंडेला जोहानेसबर्ग भाग आए. यहां मंडेला वकील बने और रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले संगठन अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए. नेल्सन मंडेलाबॉक्सिंग कर रहे हैं. युवावस्था में मंडेला बॉक्सिंग के बेहद शौकीन रहे. अपनी जीवनी "लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम" में उन्होंने लिखा है, बॉक्सिंग में कोई भेदभाव नहीं है. रिंग के अंदर ओहदा, उम्र, रंग और ...
मंडेलामेरे आदर्श:मलाला
प्रभात खबर - 4 hours ago
लंदन : पाकिस्तान की किशोर सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने आज दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाको अपना 'आदर्श' बताया और कहा कि वह दुनियाभर के लोगों के लिए 'प्रेरणा' हैं. मलाला ने अपने शोक संदेश में कहा कि नेल्सन मंडेलाभले ही भौतिक रुप से हमसे अलग हो गये हों लेकिन उनकी आत्मा और प्रेरणा हमेशा जीवित रहेगी. वह पूरी दुनिया के हैं क्योंकि वह समानता, स्वतंत्रता, प्रेम और ऐसे मूल्यों के प्रतीक हैं जिनकी हमें हमेशा हर जगह जरुरत होती है. मलाला ने कहा कि उनका लंबा संघर्ष मानवता का उदाहरण है. मैंने नेल्सन मंडेलासे बहुत कुछ सीखा है और वह मेरे आदर्श हैं.
भारत रत्न नेल्सन मंडेला
विस्फोट - 10 hours ago
पंचानबे साल की अहिंसक यात्रा पूरी हो गई। इसी साल जून में दक्षिण अफ्रीका के पितृ पुरुष मदीबा (नेल्सन मंडेला) को जब दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहान्सबर्ग के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था तब से लेकर 5 दिसंबर तक उनके जीवन और मौत के बीच जारी जंग पर दक्षिण अफ्रीका में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में चर्चा होती रही। दक्षिण अफ्रीका में भी उन्हें क्लिनिकल जिंदगी देने पर सवाल उठाये जा रहे थे और इन्हीं सवालों के बीच 1 सितंबर को नेल्सन मंडेलाको उनके हॉफ्टन एस्टेट स्थित घर पहुंचा दिया गया था। और महान मंडेला ने अपनी अंतिम सांस अस्पताल में नहीं बल्कि अपने इसी घर में ...
मंडेलासच में प्रेरणादायक इंसान : तेंदुलकर
Sahara Samay - 1 hour ago
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुकेनेल्सन मंडेलाने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था. अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे. मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में दक्षिण अफ्रीका के उनके आंदोलनों से प्रेरित थे. मंडेला ने भी हिंसा पर आधारित रंगभेदी शासन के खिलाफ अहिंसा के माध्यम ...
नेल्सन मंडेलाका सफ़र...
बीबीसी हिन्दी - 10 hours ago
मीडिया प्लेयर. नेल्सन मंडेलाके जाने के बाद पूरी दुनिया शोक में भले ही डूब गई हो, लेकिन उनकी विरासत अमर रहेगी. देखिएmp4. इस ऑडियो/वीडियो के लिए आपको फ़्लैश प्लेयर के नए संस्करण की ज़रुरत है. फ्लैश हासिल करें · वैकल्पिक मीडिया प्लेयर में सुनें/देखें.नेल्सन मंडेलाके जाने के बाद पूरी दुनिया शोक में भले ही डूब गई हो, लेकिन उनकी विरासत अमर रहेगी. उनके सफ़र पर एक नज़र... ये रिपोर्ट आप हमारी टेलीविज़न प्रस्तुति ग्लोबल इंडिया में भी देख सकते हैं. बीबीसी ग्लोबल इंडिया का प्रसारण समय ईटीवी नेटवर्क पर. शुक्रवार – शाम छह बजे – ईटीवी राजस्थान, ईटीवी-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़, ईटीवी ...
पढ़िए, नेल्सन मंडेलाकी अनसुनी कहानियां
अमर उजाला - 5 hours ago
एक बेहतरीन राजनेता. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। नेल्सन मंडेलादुनिया के बेहतरीन राजनेताओं में शुमार किए जाते थे। उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वे 27 साल तक जेल में रहे। देश के पहले काले राष्ट्रपति का पद संभालते हुए उन्होंने कई अन्य संघर्षों में भी शांति बहाल करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्हें 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। 1 of 5. आगे पढ़ें >> खुशमिजाज व्यक्तित्व ...
मंडेलाके सम्मान में 5 दिन का राजकीय शोक
Zee News हिन्दी - 39 minutes ago
मंडेला के सम्मान में 5 दिन का राजकीय शोक. Tag: नेल्सन मंडेला, दक्षिणी अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, मंडेला का निधन, राजकीय शोक, भारत. Last Updated: Friday, December 06, 2013, 17:44. नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दक्षिणी अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. नेल्सन मंडेलाके निधन पर उनके सम्मान में 6 से 10 दिसंबर तक पांच दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। गांधी के विचारों से प्रेरित एवं रंगभेद विरोधी नेता मंडेला का गुरुवार 5 दिसंबर की रात देहांत हो गया। गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, राजकीय शोक के दौरान देशभर में 6 से 10 दिसंबर तक राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा और इस दौरान ...
दुनियाभर में नेल्सन मंडेलाकी मौत पर शोक
Inext Live - 5 hours ago
दुनियाभर में नेल्सन मंडेलाकी मौत पर शोक. Updated on: Fri 06-Dec-2013 05:13:01 (GMT). दक्षिण अफ़्रीका और दुनिया भर में लाखों लोग नेल्सन मंडेलाकी मौत का मातम मना रहे हैं. माना जा रहा है कि जोहानेसबर्ग के बाहरी इलाक़े में स्थित एक 95,000 लोगों की क्षमता वाले स्टेडियम में राष्ट्रीय शोक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसके बाद नेल्सन मंडेलाका शव राजधानी प्रीटोरिया में तीन दिन तक दर्शना के लिए रखा जाएगा और फिर उनके गांव कुनु लिए ले जाया जाएगा, जहाँ 14 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार होगा. जोहानेसबर्ग में उनके घर के बाहर और सोवेटो की सड़कों पर लोगों की भीड़ जमा हो रही है.
अलविदा नेल्सन मंडेला (1918-2013)
खबरें l Deutsche Welle - 3 hours ago
जोहानिसबर्ग में अपने परिवार वालों के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेलाने अलविदा कहा. इतनी बड़ी घटना को बताने के लिए राष्ट्रपति जैकब जूमा को खुद सामने आना पड़ा, "हमारे राष्ट्र ने अपने सबसे महान पुत्र को खो दिया. हमारे लोगों ने अपना पिता खो दिया. हालांकि हमें पता था कि यह दिन आएगा, लेकिन इस क्षति को भरना बहुत मुश्किल दिख रहा है." रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष करने वाले मंडेला के बारे में जूमा ने कहा, "निश्चित तौर पर यह हमारे लिए सबसे ज्यादा दुख का समय है." दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाको लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका का संस्थापक ...
नई दिल्ली। वैश्विक रंगभेद विरोधी नायक नेल्सन मंडेलाके निधन पर आज भारत ने
Jansatta - 11 hours ago
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी मंडेलाके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ''एक अजीम शख्सियत का निधन हो गया। यह दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत के लिए भी उतनी ही बड़ी क्षति है। वह एक सच्चे गांधीवादी थे। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए आंतरिक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे लोगों में मैं भी शामिल हूं।'' देश में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने और जेल से रिहा होने के बाद जुल्म ढाने वाले श्वेतों को क्षमा करने के कारण दक्षिण अफ्रीका के पहले निर्वाचित अश्वेत राष्ट्रपति मंडेलाका दुनिया भर में बहुत सम्मान ...
मंडेलाको उनकी इंसानियत ने महान बनाया: जैकब जुमा
Live हिन्दुस्तान - 13 hours ago
जुमा ने कहा कि मंडेलाको राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी और राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा। बीबीसी के अनुसार, मंडेलाका शव प्रिटोरिया स्थित कब्रिस्तान ले जाया जाएगा और अंतिम संस्कार शनिवार को होने की संभावना है। नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित मंडेलाविश्व के श्रेष्ठ नेताओं में थे। वह 2004 में राजनीति से सन्यास लेने के बाद से सार्वजनिक स्थान पर बेहद कम नजर आते थे। उन्हें 2010 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित फुटबॉल विश्वकप में आखिरी बार सार्वजनिक स्थान पर देखा गया था। जुमा ने कहा कि मंडेलाको उनकी इंसानियत ने महान बनाया था। हमने उनमें वह देखा है, जो हम खुद में ...
भारत-अफ्रीका वनडे श्रृंखला नेल्सन मंडेलाको समर्पित
Webdunia Hindi - 50 minutes ago
नेल्सन मंडेलाके प्रति सम्मान दिखाते हुए क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) ने भारत के खिलाफ चल रही वर्तमान एकदिवसीय श्रृंखला को 'स्वर्गीय नेल्सन मंडेलाको समर्पित' नाम दिया है। रंगभेद विरोधी अभियान से जुड़ी महान हस्ती मंडेला का कल 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने हालांकि पुष्टि की कि भारतीय दौरा विशेषकर वनडे श्रृंखला तय कार्यक्रम के अनुसार होगी। दूसरा वनडे रविवार को डरबन में खेला जाएगा और दोनों टीमें पहले ही वहां पहुंच चुकी हैं। सीएसए के अध्यक्ष क्रिस नेनजानी ने कहा पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाके विशाल दक्षिण अफ्रीकी परिवार के ...
विश्व खेल जगत मंडेलाके निधन पर दुखी
Sahara Samay - 7 hours ago
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) सहित विश्व की अनेक खेल हस्तियों ने रंगभेद विरोधी आंदोलन के महानायक नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त किया है. खेल जगत ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति आगे आने वाली कई पीढ़ियें के लिये प्रेरणा के स्रोत रहेंगे. आईसीसी के अध्यक्ष एलन इस्साक और मुख्यकार्यकारी डेविड रिचर्डसन ने दुबई में जारी बयान में कहा,'' मंडेला बहुत बड़े नेता थे जो दुनिया के लोगों में एकजुटता कायम करने के लिये हमेशा याद किये जाएंगे. खेल जगत हमेशा उन्हें याद रखेगा.'' आईसीसी ने कहा राष्ट्रपति मंडेला एक राजनेता, विश्व नेता और ...
नेल्सन मंडेला : आजादी का मसीहा...
Webdunia Hindi - 3 hours ago
हम बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रीकी गांधी नेल्सन मंडेलाकी, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। मंडेला ने अपने देश को एक राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दक्षिण अफ्रीका की प्रिटोरिया सरकार का शासनकाल मानव सभ्यता के इतिहास में 'चमड़ी के रंग' और नस्ल के आधार पर मानव द्वारा मानव पर किए गए अत्याचारों का सबसे काला अध्याय है। वह दुनिया की एकमात्र ऐसी सरकार थी, जिसने जातीय पृथक्करण एवं रंगभेद पर आधारित लिखित कानून बना रखा था। वहां के 75 प्रतिशत मूल अश्वेत अपनी ही जमीन पर बेगाने हो गए और बाहर से आए 15 प्रतिशत गोरी चमड़ी वाले 87 प्रतिशत ...
मंडेलासे मिलकर भावुक हो गयी थीं सोनिया
Sahara Samay - 6 hours ago
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2007 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलासे शिष्टाचार मुलाकात के दौरान भावुक हो गयी थीं. रंगभेद विरोधी वरिष्ठ कार्यकर्ता अहमद कथरादा ने उस समय सोनिया गांधी का परिचय अतिथियों और बड़ी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों से कराते हुए हुआ था कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तथा भारत ने एक देश के रूप में रंगभेद मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभायी थी. अहमद 26 साल तक दक्षिण अफ्रीकी जेलों में मंडेला के साथ बंद रहे और उनके करीबी सहयोगियों में से एक रहे. अहमद ने कहा था कि इंदिरा गांधी ने अपने पूरे जीवन में ...
मंडेलाकी मौत के वक्त उनकी बेटियां देख रही थी फिल्म
Oneindia Hindi - 6 hours ago
लंदन। नक्सलवाद के लिए लड़ने वाले दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन हो गया। जिस वक्त उनकी मौत हुई, उस वक्त उनकी दोनों बेटियां लंदन में फिल्म देख रही थीं। नेल्सन मंडेलाकी दोनों बेटियां मंडेला पर बनी फिल्म "मंडेला-लोंग वाक टू फ्रिडम" का लंदन में प्रिमियम देख रही थी। फिल्म के प्रिमियम के दौरान ही उन्हें नेल्सन मंडेलाकी मौत की खबर मिली। फिल्म के दौरान उन्हें फोन पर अपने पिता की मौत की खबर मिली। खबर मिलते ही फिल्म के प्रोडेक्शन से जुड़े लोगों ने फिल्म रोकने की बात कही, लेकिन उनकी बेटियों ने उसे जारी रखने के लिए कहा। इस फिल्म के ...
27 साल तक कारावास में बंद रहे थे नेल्सन मंडेला
Live हिन्दुस्तान - 13 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति और रंगभेद विरोधी मुहिम चलाने वाले नेता नेल्सन मंडेला का निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। यह जानकारी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने गुरुवार रात यहां दी। फेंफड़े में संक्रमण की वजह से उन्हें तीन माह तक अस्पताल में रहना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें उनके घर में ही गहन चिकित्सा सुविधा के दायरे में रखा गया था। मंडेला ने 27 साल तक कारावास में रहने के बाद 90 के दशक में राष्ट्रपति का पदभार संभाला था। 00. like dislike. imageloading ई-मेल Image Loading प्रिंट टिप्पणियॉ: (0) अ+ अ- share स्टोरी का मूल्याकंन. दक्षिण अफ्रीका| पहले अश्वेत राष्ट्रपति| ...
रंगभेद के खिलाफ लड़ने वाले नेल्सन मंडेलानहीं रहे
अमर उजाला - 13 hours ago
उन्होंने कहा, ''दक्षिण अफ्रीका के साथियों, नेल्सन मंडेला ने हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे। तब तक हमारा राष्ट्रीय ध्वज झुका रहेगा।'' पढ़ें, नेल्सन मंडेलाः एक 'मसीहा' की विदाई मंडेला के निधन पर दुनियाभर के मौजूदा और भूतपूर्व नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किए हैं। 1918 में हुआ जन्म नेल्सन मंडेला का जन्म 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ़ साऊथ अफ़्रीका के एक छोटे से गांव में हुआ। वो मदीबा कबीले से थे और दक्षिण अफ़्रीका में उन्हें अक्सर उनके कबीले के नाम यानी 'मदीबा' कहकर बुलाया जाता था। उनके कबीले ने उनका नाम रोलिहलाहला ...
मंडेलाके निधन पर दुनिया भर में शोक
Sahara Samay - 9 hours ago
दुनिया भर के लोगों ने नेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक सच्चा गांधीवादी और लाखों लोगों की प्रेरणा बताया. दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का लंबी बीमारी के कारण शुक्रवार तड़के जोहानिसबर्ग के हाबटन उपनगर में उनके आवास पर निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे लोकतांत्रिक देश के संस्थापक राष्ट्रपति, हमारे प्यारे नेल्सन मंडेला नहीं रहे. उन्होंने कहा कि हमारे देश ने अपना महान सपूत खो दिया है. हमारे लोगों ने एक पिता खो दिया है. मंडेला ...
नीतीश व राबड़ी ने मंडेलाके निधन पर दुख प्रकट किया
Oneindia Hindi - 38 minutes ago
पटना। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति, रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के नायक और नोबल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि वे एक सच्चे गांधीवादी नेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन अन्याय एवं असमानता के विरुद्ध संघर्ष में बिताया। वे सहिष्णुता एवं भाषा के सच्चे प्रतीक थे और उनके निधन से पूरे विश्व को अपूरणीय क्षति हुई है। नीतीश ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के लिए किए गए संघर्ष से उन्हें पूरी दुनिया में सम्मान तथा अपनी मानवता एवं विनम्रता से सबको प्यार मिला।
दक्षिण अफ्रीका: एएनसी ने मंडेलाके निधन पर शोक जताया
Live हिन्दुस्तान - 12 hours ago
दक्षिण अफ्रीका की सत्तारूढ़ पार्टी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) ने गुरुवार पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक प्रकट किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, पार्टी ने वक्तव्य जारी कर कहा, ''इस दुखद खबर से एएनसी को गहरा दुख हुआ है और यह अथाह क्षति महसूस कर रहा है।'' राष्ट्रपित जैकब जुमा ने गुरुवार को आधी रात से पहले मंडेला (95) के निधन की पुष्टि की। मंडेला का जोहांसबर्ग के हॉटन स्थित उनके घर में निधन हो गया। वक्तव्य के मुताबिक, ''हमारे देश ने एक महापुरुष, विनम्रता, समानता, न्याय, शांति की मूर्ति और देश व विश्व के लाखों लोगों की आशा को खो दिया।'' मंडेला का ...
मंडेलाके सम्मान में भारत में पांच दिन का राजकीय शोक
दैनिक जागरण - 3 hours ago
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति व रंगभेद विरोध के प्रणेता नेल्सन मंडेला के सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। इस आशय का फैसला शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में किया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले इस महानायक को श्रद्धांजलि दी। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंडेला सिर्फ अपनी पीढ़ी के लिए ही नहीं, बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे। रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभाई, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि 27 ...
मंडेलाके निधन पर भारत ने दुख जताया
Business Standard Hindi - 11 hours ago
वैश्विक रंगभेद विरोधी नायक नेल्सन मंडेला के निधन पर भारत ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक 'अजीम शख्सियत' और 'भारत के एक महान मित्रÓ थे, जिनका जीवन और कार्य आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा। अपने शोक संदेश में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा, 'राष्ट्रपति मंडेला एक राजनेता, विश्व नेता और मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे। वह भारत के एक महान मित्र थे और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने में दिया गया उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।' प्रणव ने कहा, 'दोनों देशों के बीच की मित्रता में दिए गए मंडेला के योगदान के सम्मान में उन्हें भारत रत्न से ...
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने मंडेलाको दी श्रद्धांजलि
आईबीएन-7 - 12 hours ago
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक प्रकट किया है। मंडेला का गुरुवार रात निधन हो गया, वह 95 साल के थे। राष्ट्रपति ने कहा कि मंडेला एक नेता, विश्व के नेता और मानवता के लिए प्रेरणा थे। वह भारत के महान मित्र थे और दोनों देश के संबंध को मजबूती देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। रंगभेद नीति के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले मंडेला के निधन पर राष्ट्रपति ने भारत सरकार और जनता की तरफ से हार्दिक संवेदना प्रकट की। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं मेरी, देश की जनता और भारत सरकार की तरफ से मंडेला ...
जब गांधीगिरी से भी नहीं चला था काम, तो इस दूसरे गांधी ने उठा ली थी बंदूक
दैनिक भास्कर - 11 hours ago
सदियों से चले आ रहे रंगभेद और नस्लवाद के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाले नेल्सन मंडेला आज 95 साल वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे विश्व के सबसे लोकप्रिय राजनेता थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति अपनाने वाली सरकार के खिलाफ लंबा और जुझारू संघर्ष किया। इसके चलते उन्हें जेल में 27 साल गुजारने पड़े। जब वह 1990 में जेल से बाहर आए तो उन्हें जनता ने राष्ट्रपति के रूप में देश का प्रमुख चुना। उनकी प्रतिष्ठा सिर्फ दक्षिण अफ्रीका तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वे दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए। लंबे और शांतिपूर्ण संघर्ष करने पर मंडेला को 1993 में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ...
मंडेलाके जीवन पर एक नजर: त्याग और संघर्ष की अनूठी मिसाल थे वे
दैनिक जागरण - 12 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम और पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला ने अपनी जिंदगी के 27 वर्ष रॉबेन द्वीप पर कारागार में रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ते हुए बिताए थे। मंडेला का जन्म बासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेजों गांव में 18 जुलाई, 1918 को हुआ था। उनके पिता ने उन्हें नाम दिया 'रोहिल्हाला' यानी पेड़ की डालियों को तोड़ने वाला या फिर प्यारा शैतान बच्चा। नेल्सन के पिता गेडला हेनरी गांव के प्रधान थे। उनका परिवार परंपरा से ही गांव का प्रधान परिवार था। घर का कोई लड़का ही इस पद पर सुशोभित होता था। नेल्सन के परिवार का संबंध क्षेत्र के शाही परिवार से था। अठारहवीं ...
नेल्सन मंडेलाके निधन पर भारत ने दुख जताया
Webdunia Hindi - 10 hours ago
वैश्विक रंगभेद विरोधी नायक नेल्सन मंडेला के निधन पर शुक्रवार को भारत ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे एक 'अजीम शख्सियत' और 'भारत के एक महान मित्र' थे जिनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। अपने शोक संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति मंडेला एक राजनेता, विश्व नेता और मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे। वे भारत के एक महान मित्र थे और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने में दिया गया उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। प्रणब ने कहा कि दोनों देशों के बीच की मित्रता में दिए गए मंडेला के योगदान के सम्मान में उन्हें ...
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने मंडेलाके निधन पर दुख जताया
दैनिक जागरण - 3 hours ago
जागरण ब्यूरो, शिमला : राज्यपाल उर्मिला सिंह और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत रत्न से सम्मानित डॉ. नेल्सन आरमंडेला के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उर्मिला सिंह ने कहा कि डॉ. मंडेला के निधन से दक्षिण अफ्रीका, भारत और विश्व के लिए अपूर्णनीय क्षति है। वहीं वीरभद्र सिंह ने कहा कि डॉ. मंडेला विश्व की महान विभूति थे, जो सर्वश्रेष्ठ मानवीय मूल्यों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शाति के लिए प्रार्थना की है। उधर, आइपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ठाकुर कौल ...
मानवता के पथ प्रदर्शक थे मंडेला : सोनिया
प्रभात खबर - 9 hours ago
नयी दिल्ली : रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता डॉ नेल्सन मंडेला को साहस, बलिदान और क्षमा की प्रतिमूर्ति बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि वह पूरी मानवता के लिए पथ प्रदर्शक थे. सोनिया गांधी ने लोकसभा में मंडेला को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुनिया ने आज उस महान व्यक्तित्व को खो दिया जिसने रंगभेद, दमन, भेदभाव और गरीबी के खिलाफ जीवन भर पूरे साहस के साथ संघर्ष किया और हम महसूस करते हैं कि उनके निधन से हमने अपने प्यारे पिता को खो दिया. उन्होंने कहा कि वह करीब 27 वर्ष तक जेल में रहे लेकिन उनका साहस नहीं टूटा. जेल से बाहर निकलने और सत्ता हासिल करने ...
National > नेल्सन मंडेलाकी मौत पर दुनिया में शोक
पंजाब केसरी - 12 hours ago
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रंगभेद विरोधी आंदोलन के अगुआ नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने साहस और कुर्बानी की नई परिभाषा गढ़ी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के संवाददाताओं को बताया, ''मैं उन लाखों लोगों में से एक हूं, जिन्होंने नेल्सन मंडेला के जीवन से प्रेरणा ली है। मेरा पहला राजनैतिक कार्य-ऐसी पहली चीज, जो मैंने कभी किसी नीति, मुद्दे या राजनीति से संबद्ध की हो, वह रंगभेद का विरोध था।'' ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, ''हमने अपना हीरो खो दिया। एक चमकते सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया।'' अन्याय के ...
नेल्सन मंडेलानहीं रहे
Inext Live - 12 hours ago
ज़रा भी कड़वाहट नहीं वहीं नेल्सन मंडेला के साथ वर्ष 1993 में शांति पुरस्कार साझा करने वाले दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति एफ डब्ल्यू डी क्लार्क ने बीबीसी को बताया, "मंडेला में कटुता या कड़वाहट वाली बात ज़रा भी नहीं थी, जो उनकी एक ख़ास बात है. वे मेरे लोगों की चिंताओं को समझते थे. वे ये भी समझते थे कि मैं सार्वजनिक जीवन में किसकी नुमाइंदगी करता हूं. और वो ये सब अपने उसूलों को ताक पर रखकर नहीं करते थे." क्लार्क ने कहा "उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया. जब बातचीत होती थी तो वे अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस की चिंताओं को भी समझते थे जो काले लोगों की ...
'अब वो हमारे नहीं रहे, युगों के हो गए हैं'
अमर उजाला - 13 hours ago
मेरी ज़िंदगी का पहली राजनीतिक विरोध प्रदर्शन रंगभेद के ख़िलाफ़ था। मैं जब तक ज़िंदा रहूंगा मंडेला की जिंदगी से सीखने की कोशिश करता रहूंगा।" नामुमकिन कुछ नहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने अपने शोक संदेश में कहा है कि नेल्सन मंडेला ने दुनिया को दिखाया कि अगर सब एक साथ मिलकर ख़्वाब देखें, इंसाफ़ और इंसानियत के लिए एकजुट होकर काम करें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। तस्वीरों में: नहीं रहे दक्षिण अफ्रीका के 'गांधी' बान की मून ने 2009 में मंडेला के साथ हुई अपनी मुलाक़ात को याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने मंडेला को उनकी कर्बानियों के लिए धन्यवाद दिया तो ...
राज्यसभा ने दी मंडेलाको श्रद्धांजलि, सम्मान में बैठक दिनभर के लिए स्थगित
प्रभात खबर - 11 hours ago
नई दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के महानायक नेल्सन मंडेला के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए राज्यसभा की कार्यवाही को आज उनके सम्मान में दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया. मंडेला को 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. सुबह उच्च सदन की बैठक शुरु होते ही सभापति हामिद अंसारी ने उनके निधन का जिक्र किया और उन्हें मौजूदा समय की महानतम हस्तियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि मंडेला ने सर्वोत्तम मानवीय भावना और मूल्यों का प्रतिनिधित्व किया. अंसारी ने कहा कि रंगभेद विरोधी नेता को 1964 में दक्षिण अफ्रीका की तत्कालीन रंगभेदी सरकार ...
एक शख़्स जिसने नस्लभेद को मिटा दिया
बीबीसी हिन्दी - 12 hours ago
वर्ष 1964 में जेल जाने के बाद नेल्सन मंडेला विश्व भर में नस्लभेद के ख़िलाफ़ संघर्ष के एक प्रतीक बन गए. लेकिन नस्लभेद के ख़िलाफ़ उनका विरोध इससे कई साल पहले शुरू हो चुका था. बीसवीं सदी के ज़्यादातर हिस्से में दक्षिण अफ़्रीका में नेशनल पार्टी और डच रिफ़ॉर्म चर्च का बोलबाला था. उनका सिद्धांत 'अफ़्रीकनर' ढंग से बाइबल को पढ़ने और बोएर लोगों की सत्ता में भूमिका निभाने पर आधारित था. नस्लभेद यानि 'एपरथाइड' की जड़ें दक्षिण अफ़्रीका में यूरोपीय शासन के शुरूआती दिनों से ही मौजूद थीं. लेकिन 1948 में नेशनल पार्टी की पहली सरकार के सत्ता में आने के बाद नस्लभेद को क़ानूनी ...
मंडेलाकी अद्भुत जीवन गाथा
Sahara Samay - 11 hours ago
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभा कर दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुकेनेल्सन मंडेला ने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था. अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उद्भव हुआ. मंडेला महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांतों, विशेषकर वकालत के दिनों में ...
नेल्सन मंडेलाकी मौत पर दुनिया में शोक
पंजाब केसरी - 14 hours ago
नेल्सन मंडेला की मौत पर दुनिया में शोक. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नेल्सन मंडेला के निधन पर दुख जताया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा, ''इंसानों के बीच मसीहा समान मंडेला नहीं रहे। उनका निधन जितनी बड़ी क्षति दक्षिण अफ्रीका के लिए उतनी ही भारत के लिए भी। वो एक सच्चे गांधीवादी इंसान थे।'' कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रंगभेद विरोधी आंदोलन के अगुआ नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने साहस और कुर्बानी की नई परिभाषा गढ़ी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस के संवाददाताओं को ...
मंडेलाका 95वां जन्मदिन, बधाई देने वालों का लगा तांता
p7news - 2 hours ago
पूरे विश्व में आज दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का 95वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंडेला के 95वें जन्मदिन पर उन्हें बधाई दी है। उधर इस मौके पर दक्षिण अफ्रीका में तस्वीरों के ज़रिए मंडेला के जीवन और संदेश को उकेरने की कोशिश की गई है। ओबामा भी मंडेला के लाखों फैंस में से एक हैं। मंडेला पिछले कुछ समय से अस्पताल में हैं। ओबामा ने एक बयान में कहा कि अपने परिवार और अमेरिकी जनता की ओर से मिशेल तथा मैं नेल्सन मंडेला को उनके 95वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हैं और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। अमेरिकी ...
मंडेलाके निधन पर मुख्यमंत्री ने जताया शोक
Sahara Samay - 9 hours ago
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा शोक जताया. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि मंडेला महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और भारत से बेहद प्रभावित थे और अश्वेत लोगों के साथ अन्याय को मिटाने में उन्होंने अविस्मरणीय योगदान किया. विश्व राजनीति में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि मंडेला ना सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में बल्कि पूरे विश्व में रंगभेद के विरोध के प्रतीक थे. गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के पहले अेत राष्ट्रपति और वैिक रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणोता ...
मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे मंडेला: प्रणब मुखर्जी
Live हिन्दुस्तान - 13 hours ago
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वैश्विक रंगभेद विरोधी नायक नेल्सन मंडेला के निधन पर आज गहरा दुख व्यक्त करते हुये कहा कि वह मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि इस राजनेता, विश्व नेता और मानवता के प्रेरणा के प्रतीक के निधन पर वह गहरा दुख और संवेदना व्यक्त करते हैं। देश में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने और जेल से रिहा होने के बाद जुल्म ढाने वाले श्वेतों को क्षमा करने के कारण दक्षिण अफ्रीका के पहले निर्वाचित अश्वेत राष्ट्रपति मंडेला का दुनिया भर में बहुत सम्मान है। मंडेला का 95 साल की उम्र में आज तड़के जोहानिसबर्ग में निधन ...
जब 27 साल की कैद से निकले मंडेला
बीबीसी हिन्दी - 10 hours ago
नेल्सन मंडेला का साक्षात्कार करने वाले भारत के पहले पत्रकार सईद नकवी से जानिये मंडेला से जुड़ी ख़ास बातें. सुनिएmp3. इस ऑडियो/वीडियो के लिए आपको फ़्लैश प्लेयर के नए संस्करण की ज़रुरत है. फ्लैश हासिल करें · वैकल्पिक मीडिया प्लेयर में सुनें/देखें. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेलाका निधन हो गया है. वे 95 साल के थे. नेल्सन मंडेला दुनिया के बेहतरीन राजनेताओं में शुमार किए जाते थे. उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वे 27 साल तक जेल में रहे. जेल से आने के बाद उनसे ...
मंडेलाजैसा अद्भुत गुणों वाला नेता कभी नहीं होगा: ओबामा
Oneindia Hindi - 12 hours ago
वॉशिंगटन। दक्षिण अफ्रीका में व्याप्त रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के देहांत पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शोक जताया है और कहा कि मैं उन लाखों लोगों में से एक हूं जिन्होने मंडेला से प्रेरणा ली है, उनके जैसा नेता दोबारा फिर कभी नहीं आएगा। ओबामा ने व्हाइट हाउस के संवाददाताओं को बताया कि मेरा पहला राजनीतिक कार्य जो किसी नीति या मुद्दे से जुड़ा हो वो रंगभेद का विरोध ही था। जिस दिन मंडेला जेल से रिहा हुए उस दिन मुझे महसूस हुआ कि इंसान अपनी उम्मीदों के दिशा निर्देशन पर जो कर सकता है, वह डर से कभी नहीं कर ...
वैश्विक शांति के प्रतीक मंडेलाके निधन पर विश्वभर में शोक की लहर
Bhasha-PTI - 10 hours ago
वाशिंगटन: लंदन, 6 दिसंबर :भाषा: बेहद दुखी मन और नम आंखों से दुनिया भर के लोगों ने वैश्विक रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेतानेल्सन मंडेला के निधन पर आज गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक ''सच्चा गांधीवादी'' और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे लाखों लोगों की प्रेरणा बताया। दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का लंबी बीमारी के कारण आज तड़के जोहानिसबर्ग के हाबटन उपनगर में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। अपनी टिप्पणी पोस्ट करे । नाम. ईमेल आईडी. विषय. चेक, अगर आप इस साइट पर अपना नाम प्रदर्शित नहीं करना चाहते। चेक, अगर आप इस तरह की और खबरे ...
"अब वो हमारे नहीं रहे, युगों के हो गए हैं"
बीबीसी हिन्दी - 15 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने जैसे ही नेल्सन मंडेला के निधन की घोषणा की, न सिर्फ दक्षिण अफ्रीका में बल्कि पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई. कहा जा रहा है कि अब शायद ही कोई नेता हो जिसके लिए पूरी दुनिया में इस तरह से शोक मनाया जाए और श्रद्धांजलियां बरसें. नेल्सन मंडेला के निधन की खबर देते हुए जैकब जूमा ने कहा, "हमारी जनता ने अपने पिता को खो दिया है. हालांकि हम जानते थे कि ये दिन आना ही है, लेकिन हमारे इस नुकसान की भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती है. हमारी सहानुभूति और प्रार्थना मंडेला परिवार के साथ है." ...
मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक थे मंडेला: प्रणब
Sahara Samay - 12 hours ago
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नेल्सन मंडेला के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह मानवता के लिए प्रेरणा के एक प्रतीक और भारत के एक महान मित्र थे. अपने शोक संदेश में उन्होंने इस राजनेता, विश्व नेता और मानवता के लिए प्रेरणा के प्रतीक के निधन पर गहरी दुख एवं संवेदना व्यक्त की है. राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि राष्ट्रपति मंडेला एक राजनेता, विश्व नेता और मानवता के प्रेरणा के प्रतीक थे. वह भारत के एक महान मित्र थे और दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने में दिया गया उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा. प्रणब ने कहा कि दोनों देशों के बीच मित्रता में उनके योगदान के सम्मान ...
वीडियो देखें: मंडेलाके संघर्ष की महान गाथा
आईबीएन-7 - 10 hours ago
वीडियो देखें: मंडेला के संघर्ष की महान गाथा. आईबीएन-7 | Dec 06, 2013 at 12:08pm. Tweet. More on: #Nelson Mandela # Anti-Apartheid Icon # Great man. नई दिल्ली। नेल्सन मंडेला के संघर्ष भरे जीवन की नींव बचपन में ही पड़ गई थी, जिस समाज में उन्होंने जन्म लिया था, वहां आजादी का कोई मतलब नहीं रह गया था। ऐसे में मंडेला ने एक लंबी लड़ाई शुरू की, वीडियो देखें. IBNkhabar के मोबाइल वर्जन के लिए लॉगआन करें m.ibnkhabar.comपर! अब IBN7 देखिए अपने आईपैड पर भी। इसके लिए IBNLive का आईपैड एप्स डाउनलोड कीजिए। बिल्कुल मुफ्त!
सोनिया जब मंडेलासे मिलकर हो गई थीं भावुक
khaskhabar.comहिन्दी - 2 hours ago
सोनिया जब मंडेला से मिलकर हो गई थीं भावुक. सोनिया जब मंडेला से मिलकर हो गई थीं भावुक. published: 06/12/2013 | 20:49:23 IST. जोहानिसबर्ग। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 2007 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से शिष्टाचार मुलाकात के दौरान उस समय कुछ भावुक हो गयी थीं जब उन्होंने सुना कि किस प्रकार अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस उनकी सास इंदिरा गांधी और उनके पति राजीव गांधी की ऋणी है। रंगभेद विरोधी वरिष्ठ कार्यकर्ता अहमद कथरादा ने उस समय सोनिया गांधी का परिचय अतिथियों और बडी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों से कराते हुए हुआ था कि इंदिरा गांधी और राजीव ...
नेल्सनमंडेलाः एक युग का अंत
बीबीसी हिन्दी - 19 hours ago
क्लिक करें मंडेला का जन्म 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ़ साऊथ अफ़्रीका के एक छोटे से गांव में हुआ. वो मदीबा कबीले से थे और दक्षिण अफ़्रीका में उन्हें अक्सर उनके कबीले के नाम यानी 'मदीबा' कहकर बुलाया जाता था. उनके कबीले ने उनका नाम रोलिहलाहला दालिभंगा रखा था लेकिन उनके स्कूल के एक शिक्षक ने उनका अंग्रेज़ी नाम नेल्सन रखा. उनके पिता थेंबू राज परिवार में सलाहकार थे और जब उनकी मृत्यु हुई तो नेल्सन मंडेला नौ साल के थे. उनका बचपन थेंबू कबीले के मुखिया जोंगिनताबा दलिनदयाबो की देखरेख में बीता. वो 1943 में अफ़्रीका नैशनल कांग्रेस से जुड़े, पहले एक कार्यकर्ता के तौर पर और फिर ...
नेल्सन मंडेलाका निधन, पूरे विश्व में शोक की लहर...
p7news - 16 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन हो गया है। वो 95 साल के थे। उन्होंने जोहान्सबर्ग के अपने घर में अंतिम सांस ली। मंडेला पिछले तीन सालों से बीमार चल रहे थे। पिछले 6 महीनों से उनकी हालत ज़्यादा गंभीर थी। दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद से आज़ादी मंडेला की अगुवाई में ही पाई थी। इस मकसद को हासिल करने के लिए उन्होंने पूरी ज़िंदगी लगाई। सन् 1964 से 1990 के बीच उन्हें बदनाम रॉबेन आईलैंड जेल में रखा गया। उनकी कोशिशों का नतीजा था कि 1994 में पहली बार दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से आज़ाद सरकार बनी और मंडेला 1999 तक इस सरकार के राष्ट्रपति रहे। 1993 में मंडेला ...
एक युग का हुआ अंत-विश्वभर के नेताओं ने दी नेल्सन मंडेलाको श्रद्धांजलि
Media Passion - 11 hours ago
जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन हो गया है। वे 95 साल के थे। फेफड़े में संक्रमण की बीमारी के चलते सितंबर में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनका घर पर ही इलाज किया जा रहा था। मंडेला के निधन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित दुनिया के शीर्ष नेताओं ने शोक जताया है। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे, जिससे देश पर अब तक चले आ रहे अल्पसंख्यक श्वेतों के अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उदभव हुआ। मंडेला ...
मंडेलाअब तस्वीरें ही बाकी....
Sahara Samay - 11 hours ago
रंगभेद विरोधी आंदोलन के प्रणेता नेल्सन मंडेला का निधन. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा राष्ट्रीय टेलीविजन पर यह घोषणा करते हुए कहा, ''दक्षिण अफ्रीकी हमवतनो, हमारे प्यारे .. हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र के संस्थापक राष्ट्रपति चल बसे.''जूमा ने बताया कि उनका निधन 5 दिसंबर को रात 8.50 बजे (अफ्रीकन समयानुसार) पर निधन हो गया. जोहान्सबर्ग में द. अफ्रीका के शांति के नोबेल विजेता और पहले अश्वेत पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का बृहस्पतिवार को आवास में निधन हो गया. द अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकोब जूमा ने उनके निधन की पुष्टि कर दी है. मंडेला लंबे समय से बीमार चल रहे थे उनके ...
नहीं रहे पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, दुनिया में शोक की लहर
Palpalindia - 14 hours ago
जोहान्सबर्ग. साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और नस्लभेद-विरोधी आंदोलन के आइकन नेल्सन मंडेला का 95 साल की उम्र में निधन हो गया. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने देश के नैशनल टेलिविजन चैनल पर एक बयान में कहा, 'राष्ट्र ने अपने सबसे महान बेटे को खो दिया है. साउथ अफ्रीका के साथियो, नेल्सन मंडेला ने हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे.' मंडेला की पहचान दुनिया के बेहतरीन नेताओं में थी. उन्होंने साउथ अफ्रीका में नस्लभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया. इस संघर्ष के दौरान वह 27 साल तक जेल में रहे. देश के ...
मंडेलाको रहा बॉक्सर नहीं बन पाने का दुख!
khaskhabar.comहिन्दी - 7 hours ago
मंडेला बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उनके पैतृक गांव में वर्ष 2002 में çRसमस की वार्षिक पार्टी में 20 हजार से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया था और वहां तीन-चार दिनों तक बच्चों ने खूब धमाचौकडी की। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को खत्म करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनियाभर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेला ने ना सिर्फ पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों को भी स्वतंत्रता की भावना से ओत-प्रोत किया था। अपनी जिंदगी के स्वर्णिम 27 साल जेल की अंधेरी कोठरी में काटे मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे, जिससे देश पर अब ...
'राष्ट्रपिता' मंडेलाफेफड़े में संक्रमण के बाद हॉस्पिटल में भर्ती
p7news - 2 hours ago
गांधीवादी नेता और रंगभेद विरोधी आंदोलन के नायक व दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को फेफड़े में संक्रमण की परेशानी के कारण फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय ने लोगों से इस 94 वर्षीय नायक के लिए दुआ करने की अपील करते हुए बताया कि मंडेला को बुधवार मध्य रात्रि के करीब अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। लगभग चार महीनों के दौरान मंडेला तीसरी बार अस्पताल में भर्ती हुए हैं। राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता मैक महाराज ने एक बयान में कहा, 'चिकित्सक उनको देख रहे हैं। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पूर्व राष्ट्रपति को अच्छे से अच्छा उपचार ...
मंडेलाके सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोक
Bhasha-PTI - 8 hours ago
नयी दिल्ली, 6 दिसंबर :भाषा: सरकार ने नेल्सन मंडेला के सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक का आज ऐलान किया। इस आशय का फैसला केन्द्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में किया गया। मंत्रिमंडल ने रंगभेद के खिलाफ लडाई लडने वाले इस महानायक को श्रद्धांजलि दी। बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंडेला सिर्फ अपनी पीढी के लिए ही नहीं बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे। रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभायी, वह अतुलनीय है। अपनी टिप्पणी पोस्ट करे । नाम. ईमेल आईडी. विषय. चेक, अगर आप इस साइट पर अपना नाम प्रदर्शित नहीं करना ...
मंडेलाका निधन, दुनियाभर में शोक
Jano Duniya - 9 hours ago
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का गुरूवार रात को निधन हो गया। उनकी मौत की खबर सुनकर पूरे विश्व में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। हर कोई उन्हें अपने तरीके से श्रद्धांजली देने में लगा है। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शोक संदेश जारी कर कहा है कि मंडेला मानवता की प्रेरणा थे। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट किया है कि हम में से बहुतों को गांधी जी को जिंदा देखने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन हम खुशनसीब हैं कि हम नेल्सन मंडेला के जीवन के गवाह बने। हमने अहिंसा और शांति का एक प्रतीक खो दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ...
भारत में मंडेलाके सम्मान में पांच दिन का राजकीय शोक
Sahara Samay - 8 hours ago
भारत सरकार ने नेल्सन मंडेला के सम्मान में पांच दिन के राजकीय शोक का शुक्रवार को ऐलान किया. इस आशय का फैसला केन्द्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में किया गया. मंत्रिमंडल ने रंगभेद के खिलाफ लडाई लडने वाले इस महानायक को श्रद्धांजलि दी. बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मंडेला सिर्फ अपनी पीढी के लिए ही नहीं बल्कि अब तक की सभी मिसालों में सबसे कद्दावर नेता थे. रंगभेद समाप्त करने में उन्होंने निजी तौर पर जो भूमिका निभायी, वह अतुलनीय है. देखें नेल्सन मंडेला की तमाम तस्वीरें. उन्होंने कहा कि 27 साल से अधिक अवधि तक जेल में रहे दक्षिण अफ्रीका के इस ...
दुनिया के दूसरे गांधी नेल्सन मंडेलाका निधन
Webdunia Hindi - 14 hours ago
महान नेता और साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। वह फेफड़े में संक्रमण की वजह से बीमार थे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने मंडेला के निधन की जानकारी दी। दक्षिण अफ्रीका मे रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान वह लगभग तीन दशकों तक जेल मे बंद रहे थे। वह अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस से संबद्ध रखते थे। राष्ट्र के नाम अपने शोक संदेश मे राष्ट्रपति जैकब जुमा ने देशवासियो से कहा कि दक्षिण अफ्रीका के लोकतंत्र के संरक्षक और हमारे प्यारे नेल्सन मंडेला अब हमारे बीच नहीं रहे। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति के निधन के पश्चात देश में ...
नेल्सन मंडेलाका निधन, अंत्येष्टि 15 को, भारत में 5 दिन का राजकीय शोक
khaskhabar.comहिन्दी - 3 hours ago
उन्हें 2010 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित फुटबॉल विश्वकप में आखिरी बार सार्वजनिक स्थान पर देखा गया था। विश्वभर के नेताओं ने दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के निधन पर शोक प्रकट किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार विजेतामंडेला ने 1994-99 के बीच राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था और उन्हें हाल के महीनों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही थी, उन्हें फेंफड़े में संक्रमण की वजह से कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से नवाजे गए मंडेला को फेंफड़े में शिकायत की वजह से 85 दिनों तक अस्पताल में ...
नहीं रहे नेल्सन मंडेला
खबरें l Deutsche Welle - 15 hours ago
मंडेला के निधन के बाद पूरी दुनिया में शोक की लहर छा गई है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने इस बात का एलान करते हुए कहा, "प्यारे देशवासियो, हमारे प्यारे नेल्सन रोहलिल्हा मंडेला, हमारे लोकतांत्रिक देश के संस्थापक गुजर गए हैं." जूमा ने कहा कि मंडेला अब शांति में सो रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी मंडेला की मौत पर गहरा दुख जाहिर किया है. मंडेला 1994 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए. उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर एक कार्यकाल पूरा किया और इसके बाद पद छोड़ दिया. उन्हें इस साल फेफड़े में इंफेक्शन की शिकायत के बाद अस्पताल में दाखिल ...
नहीं रहे रंगभेद विरोधी मुहिम के हीरो नेल्सन मंडेला
Worldnow - 13 hours ago
रंगभेद विरोधी मुहिम के हीरो और दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला(95) का निधन हो गया। यह जानकारी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने गुरुवार रात दी। फेंफड़े में संक्रमण की वजह से उन्हें तीन माह तक अस्पताल में रहना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें उनके घर में ही गहन चिकित्सा सुविधा के दायरे में रखा गया था। जुमा ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर वक्तव्य जारी कर कहा मंडेला नहीं रहे। हमारे देश ने एक महान बेटे को खो दिया। जुमा ने कहा कि मंडेला को राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी और राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा। जुमा ने कहा कि मंडेला को उनकी इंसानियत ने महान बनाया था।
मदीबा की अनजानी बातें
खबरें l Deutsche Welle - 1 hour ago
इतिहास रचने वाले नेल्सन मंडेला के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो लोग नहीं जानते. मिसाल के तौर पर वह वैलेंटाइन्स डे पर क्या सोचते थे और फुटबॉल के साथ उनका कैसा रिश्ता था. 1990 में पत्नी विनी के साथ. 1995 में नेल्सन मंडेला वैलेंटाइन्स डे पर एक युवा फैन को चिट्ठी लिख रहे थे. मंडेला के माता पिता अनपढ़ थे, लिहाजा मंडेला को काफी सालों तक पता नहीं चला कि एक पूरा दिन केवल रोमांस और प्यार करने वालों के लिए रखा गया है. पिछले साल करीब 12 लाख डॉलर लगाकर इतिहासकारों ने मंडेला की जिंदगी के सारे दस्तावेजों को एक साथ जुटाने और दुनिया भर में शोधकर्ताओं और मंडेला प्रेमियों को ...
मंडेलाको दुनिया का सलाम
खबरें l Deutsche Welle - 7 hours ago
राष्ट्रपति मंडेला भी उन्हीं महान व्यक्तियों में एक थे." नेल्सन मंडेला की याद में भारत का राष्ट्रीय ध्वज पांच दिन झुका रहेगा. ध्वज संहिता के मुताबिक किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति के निधन पर ध्वज झुकाया जाता है. राष्ट्रपति मुखर्जी ने मंडेला को इंसानियत के लिए प्रेरणा कहा. अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा कई बार मंडेला को निजी प्रेरणा के स्रोत बता चुके हैं. उन्होंने एक पंक्ति में अपनी भावनाओं को उंडेल दिया, "अब वे हमारे नहीं रहे. अब वे इतिहास के हो गए." ओबामा का कहना है कि मंडेला के जेल के अंदर और बाहर के संघर्ष को देख कर उन्होंने अपनी राजनीतिक जिंदगी को ...
दलाई लामा ने मंडेलाको बताया प्यारा दोस्त
khaskhabar.comहिन्दी - 2 hours ago
दलाई लामा ने मंडेला को बताया प्यारा दोस्त. दलाई लामा ने मंडेला को बताया प्यारा दोस्त. published: 06/12/2013 | 20:50:50 IST. नई दिल्ली। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने रंगभेद विरोध के प्रतीक नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपने एक प्यारे दोस्त की याद सताएगी। मंडेला के परिवार को भेजे एक पत्र में गहरी संवेदना व्यक्त करते हुये दलाई लामा ने कहा कि विश्व ने एक महान नेता को खो दिया जिसने रंगभेद शासन से दक्षिण अफ्रीका के संस्त्र5मण काल के दौरान शांति स्थापना में दृढ एवं महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनके नेतृत्व काल में दक्षिण ...
नहीं रहे दक्षिण अफ्रीका के 'गाँधी'
बीबीसी हिन्दी - 19 hours ago
दो दशकों से भी अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 1990 में नेल्सन मंडेला आखिरकार रिहा हुए. मंडेला लंदन में (फ़ोटो-बीबीसी). रिहाई के बाद मंडेला ने दुनिया के कई देशों का दौरा किया. इस तस्वीर में वे लंदन के साउथ अफ़्रीका भवन में देखे जा सकते हैं. मंडेला और डि क्लार्क (फ़ोटो - एपी). लंबे दौर की बातचीत के बाद दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति एफ़ डब्ल्यू डी क्लार्क एक-व्यक्ति एक-वोट के तहत चुनाव कराने के लिए सहमत हो गए. इस समझौते के लिए इन दोनों को साल 1993 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. मतदान के लिए कतार (फ़ोटो - एपी). दक्षिण अफ़्रीका के पहले लोकतांत्रिक चुनाव 27 अप्रैल 1994 को ...
हमने अपना पिता खो दिया : जैकब जूमा
बीबीसी हिन्दी - 14 hours ago
सितम्बर में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उनका घर पर ही इलाज किया जा रहा था. सुनिएmp3. इस ऑडियो/वीडियो के लिए आपको फ़्लैश प्लेयर के नए संस्करण की ज़रुरत है. फ्लैश हासिल करें · वैकल्पिक मीडिया प्लेयर में सुनें/देखें. वो व्यक्ति जिसने सरकार गिराई, संविधान बदला और करोड़ों की किस्मत पलट दी लेकिन सदभाव और इंसानियत को टूटने नही दिया. ऐसे थे नेल्सन मंडेला. सुनिये क्या कहा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने नोबेल पुरस्कार विजेता नेल्सन मंडेला के निधन के बाद. मंडेला के निधन पर दुनियाभर के मौजूदा और भूतपूर्व नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन ...
हमारा प्रकाशस्तंभ है उनकी आत्मा
Raviwar - 4 hours ago
नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला का एकता का ऐसा प्रतीक बन जाना सचमुच उल्लेखनीय है. जो व्यक्ति गोरों के रंगभेदी शासन को खत्म करने के लिए हुए ऐतिहासिक संघर्ष का नेता और उसका सबसे बड़ा प्रतीक रहा हो, बाद में उसी के साये को श्वेत समुदाय के लोग अपनी सुरक्षा की गारंटी समझने लगे तो इस महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम का ऐतिहासिक महत्त्व स्वयंसिद्ध हो जाता है. पिछले जून में जब मडिबा गंभीर रूप से बीमार थे, श्वेत समुदाय की चर्चाओं में यह आशंका अक्सर जाहिर हो रही थी कि 'स्वार्ट गेवार' (काले समुदाय का खतरा) अब कहीं हकीकत तो नहीं जो बन जाएगा, जो 1990 में मानवीय मूल्यों एवं लोकतंत्र के प्रति ...
गांधी की राह पर मंडेलाके साथ चार कदम!
बीबीसी हिन्दी - 19 hours ago
दस क़दम की दूरी पर वो लहीम-शहीम इंसान खड़ा था, कोट-पैंट-टाइ और चमकते जूते पहने हुए. तनिक आगे को झुका सा दिखता था -- शायद अपनी लंबाई के कारण. मैंने अब तक सिर्फ़ उसकी तस्वीर अख़बारों में देखी थी या फिर टेलीविज़न पर. मैं उन दिनों जनसत्ता अख़बार में काम किया करता था जहाँ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने उस शख्स की युवावस्था की तस्वीर वाला एक पोस्टर लगा दिया था: नेल्सन मंडेला को रिहा करो. वही नेल्सन मंडेला मुझसे कोई दस क़दम की दूरी पर खड़े थे. मैंने देखा रंगभेदी शासकों की जेल में सत्ताईस साल काटने के बाद जनसत्ता के पोस्टर वाली छवि पर उम्र की रेखाएँ उभर आई थीं. काले बालों ...
रंगभेद नीति के खिलाफ मंडेलाकी संघर्ष गाथा
Shri News - 9 hours ago
कौन थे नेल्सन मंडेला. मंडेला को आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का पितामह माना जाता है. उन्होंने रंगभेद नीति के खिलाफ लडाई लड़ी और देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने. दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद को समाप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाकर दुनियाभर में अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन चुके नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को हुआ था. अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ जिंदगी के 27 साल जेल में काटने वाले मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे जिससे देश में अश्वेत विरोधी शासन का अंत हुआ और एक बहु-नस्ली लोकतंत्र का उदय हुआ. उनका व्यक्तित्व बड़ा चमत्कारी था ...
मुख्यमंत्री ने श्री नेल्सन मंडेलाके निधन पर शोक व्यक्त किया
Pressnote.in - 11 hours ago
मुख्यमंत्री ने श्री नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक व्यक्त किया जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति श्रीनेल्सन मंडेला के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। श्री गहलोत ने शोक संदेश में कहा कि श्री मंडेला ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों का अनुसरण करते हुए रंगभेद एवं नस्लवाद के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन विश्व में शान्ति, स्वतंत्रता, समानता, लोकतांत्रिक शासन की स्थापना एवं आपसी भाईचारे के लिए समर्पित कर दिया। वे पूरी दुनिया के लिए हमेशा एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत की ...
धरती को धरोहर का इंतजार
खबरें l Deutsche Welle - 1 hour ago
और इसी दिन उनके संघर्ष ने असीमित समर्थन हासिल करना शुरू कर दिया. कैद, कोड़े, उतार चढ़ाव, अपमान और खुशी के आंसुओं के बीच अब जाकर इस यात्रा पर पूर्ण विराम लगा है. कुनू से शुरू हुआ सफर कुनू में पूरा हो रहा है. लेकिन यह परिक्रमा सिर्फ गांव से शहर तक की नहीं रही, बल्कि सीमाओं को तोड़ती वैश्विक स्तर पर पहुंच चुकी है. गांधी के बाद अन्याय के खिलाफ अहिंसक आंदोलन करने वालों में मंडेला का नाम सबसे ऊपर आता है. मंडेला परिवार के पास आज भी गांव में थोड़ी जमीन है. इसी जमीन में नेल्सन मंडेला के तीन बच्चे और कुछ दूसरे करीबी रिश्तेदार भी चिर निद्रा में हैं. अब मंडेला भी इसी मिट्टी में ...
नहीं रहे मंडेला
Chhattisgarh Khabar - 13 hours ago
जोहंसबर्ग | समाचार डेस्क: दुनिया के दूसरे गांधी नेल्सन मंडेला नहीं रहे.उन्होंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेदी सरकार की जगह एक लोकतांत्रिक बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया और इसके लिए वे 27 साल तक जेल में रहे. दुनिया में अपनी तरह के संघर्ष के सबसे बड़े नायक नेल्सन मंडेला के निधन से दुनिया भर में शोक का माहौल है. 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ़ साऊथ अफ़्रीका के एक छोटे से गांव में पैदा होने वाले मंडेला के पिता थेंबू राज परिवार में सलाहकार थे और जब उनकी मृत्यु हुई तो नेल्सन मंडेला नौ साल के थे. देश के पहले काले राष्ट्रपति का पद संभालते हुए उन्होंने कई अन्य संघर्षों ...
नेल्सनमंडेलाः 'इस दुनिया का अकेला सूर्य' अस्त
अमर उजाला - 9 hours ago
पढ़िए, नेल्सन मंडेला बनने की पूरी कहानी · रंगभेद के खिलाफ लड़ने वाले नेल्सन मंडेला नहीं रहे · विनोद कुमार शुक्ल आज के दौर के हिंदी के जानेमाने कवि और लेखक हैं। उनकी कविताओं में समाज के हर दौर का प्रतिबिंब नजर आता है। छत्तीसगढ़ में मजदूरों का संघर्ष हो या नस्लभेद के खिलाफ अफ्रीका में नेल्सन मंडेला का क्रांतिकारी संघर्ष। उनकी कविताओं ने हर पहलू को बड़ी संवेदनशीलता से छुआ है।नेल्सन मंडेला पर ये कविताएं उन्होंने उस समय लिखीं जब वो जेल में थे। एक गुलाम देश का सूरज एक गुलाम देश का सूरज गुलाम ही है गुलाम, चंद्रमा, चाँदनी सुख दुःख भी गुलाम हवा, हरियाली, उड़ता पक्षी
दक्षिण अफ्रीका ने खोया अपना पितामह 'नेल्सन मंडेला' का निधन
पंजाब केसरी - 14 hours ago
जोहांसबर्ग: द अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का गुरुवार को उनके अपने जोहांसबर्ग स्थित आवास में निधन हो गया। द अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकोब जूमा ने उनके निधन की पुष्टि की है 95 वर्षीय मंडेला फेफडे के संक्रमण से पीडित थे व लंबे समय से बीमार चल रहे थे उन्हें 1993 में शांति के नोबेल से सम्मानित किया गया था। द अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने उनकी मौत की पुष्टि करते हुए अपने एक राष्ट्रीय टेलीविजन संबोधन में कहा दक्षिण अफ्रीका ने अपनी महान संतान को खो दिया है, वे अब आराम कर रहें हैं, वे अब शांति में है। मंडेला को आधुनिक दक्षिण अफ्रीका का पितामह माना जाता है ...
मानवता के पथ-प्रदर्शक थे डॉ. मंडेला : सोनिया
Webdunia Hindi - 7 hours ago
नेल्सन मंडेला को साहस, बलिदान और क्षमा की प्रतिमूर्ति बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि वे पूरी मानवता के लिए पथ-प्रदर्शक थे। सोनिया गांधी ने लोकसभा में मंडेला को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि दुनिया ने शुक्रवार को उस महान व्यक्तित्व को खो दिया जिसने रंगभेद, दमन, भेदभाव और गरीबी के खिलाफ जीवनभर पूरे साहस के साथ संघर्ष किया और हम महसूस करते हैं कि उनके निधन से हमने अपने 'प्यारे पिता' को खो दिया। उन्होंने कहा कि वे करीब 27 वर्ष तक जेल में रहे लेकिन उनका साहस नहीं टूटा। जेल से बाहर निकलने और सत्ता हासिल करने के बाद भी उन्होंने बदले की ...
BBC World News
South Africa's first black president and anti-apartheid icon Nelson Mandela has died, South Africa's president says http://bbc.in/18c49YV
Mr Mandela, 95, led South Africa's transition from white-minority rule in the 1990s, after 27 years in prison.
LIVE: Reaction to Nelson Mandela's death...See More
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BBC World News
"Our nation has lost its greatest son." http://bbc.in/18c1j6g
South Africa's first black president and anti-apartheid icon Nelson Mandela has died, South Africa's president says.
Mr Mandela, 95, led South Africa's transition from white-minority rule in the 1990s, after 27 years in prison. He had been receiving intense home-based medical care for a lung infection after three months in hospital.
In a statement on South African national TV, Mr Zuma said Mr Mandela had "departed" and was at peace.
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24 Ghanta
বিশ্বনেতার প্রয়াণে পৃথিবী কাঁদছে। বর্ণবৈষম্যবাদ বিরোধী আন্দোলন, সংগ্রামের এক মহাতারকার জীবনপ্রদীপ নিভল। কলকাতা শোকস্তব্ধ, জানান আপনার শ্রদ্ধার্ঘ্য।
http://zeenews.india.com/bengali/?cfghgddssssdd
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BBC World News added 19 new photos to the album MANDELA HUGS.
South Africans have gathered in Johannesburg and Soweto to mourn their former leader, Nelson Mandela, who died on Thursday aged 95.
Crowds paid tribute, dancing and singing in front of Mr Mandela's former home in Soweto throughout the night.
Flags flew at half mast after President Jacob Zuma announced his death in a late night national TV address....See More
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Fri, 06 Dec 2013 13:30:00 GMT | By Reuters
South Africans, some fearful, wake to life without Nelson Mandela
For South Africa, the loss of its most beloved leader comes at a time when the nation has been experiencing bloody labour unrest, growing protests against poor services, poverty, crime and unemployment and corruption scandals tainting Zuma's rule
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Reuters
Johannesburg: South Africans woke on Friday to a future without Nelson Mandela, and some said they feared the anti-apartheid hero's death could leave their country vulnerable again to racial and social tensions that he did so much to pacify.
As dawn broke and commuters headed to work in the capital, Pretoria, the commercial hub, Johannesburg, and Cape Town in the south, many were still in shock at the passing of a man who was a global symbol of reconciliation and peaceful co-existence.
South Africans heard President Jacob Zuma tell them late on Thursday that the former president and Nobel Peace Prize laureate passed away peacefully at his Johannesburg home in the company of his family after a long illness.
Despite reassurances from leaders and public figures that Mandela's passing, while sorrowful, would not halt South Africa's advance away from its bitter apartheid past, some still expressed a sense of unease about the physical absence of a man famed as a peacemaker.
"It's not going to be good, hey! I think it's going to become a more racist country. People will turn on each other and chase foreigners away," said Sharon Qubeka, 28, a secretary from Tembisa township as she headed to work in Johannesburg.
"Mandela was the only one who kept things together," she said.
The tributes flowed in. US President Barack Obama and British Prime Minister David Cameron were among world leaders and dignitaries who paid fulsome tribute to Mandela as a moral giant and exemplary beacon for the world.
American talk show host Oprah Winfrey added her voice to the tributes, saying Mandela "will always be my hero".
"His life was a gift to us all," she said in a statement.
Many saw today's South Africa - the African continent's biggest economy but also one of the world's most unequal - still distant from being the "Rainbow Nation" ideal of social peace and shared prosperity that Mandela had proclaimed on his triumphant release from prison in 1990.
"I feel like I lost my father, someone who would look out for me. Already as a black person with no connections you are disadvantaged," said Joseph Nkosi, 36, a security guard from Alexandra township in Johannesburg.
Referring to Mandela by his clan name, he added: "Now without Madiba I feel like I don't have a chance. The rich will get richer and simply forget about us. The poor don't matter to them. Look at our politicians, they are nothing like Madiba."
Flags flew at half mast across the country and Zuma has announced a full state funeral for South Africa's first black president, who emerged from prison to help guide the country through bloodshed and turmoil to democracy.
'LIFE WILL CARRY ON'
Just hours after the news of Mandela's death, one of his veteran anti-apartheid comrades, former Archbishop of Cape Town Desmond Tutu, sought to assuage fears that the revered statesman's absence could revive some of the violent ghosts of apartheid.
"To suggest that South Africa might go up in flames - as some have predicted - is to discredit South Africans and Madiba's legacy," Tutu said in a reassuring statement.
"The sun will rise tomorrow, and the next day and the next ... It may not appear as bright as yesterday, but life will carry on," Tutu said. Zuma and his ruling African National Congress face presidential and legislative elections next year which are expected to reveal widespread discontent among voters about persisting poverty and unemployment two decades after the end of apartheid.
But the former liberation movement is expected to maintain its dominance over South African politics, despite the absence of one of its most towering figures.
"It is painful losing him but the ANC is going to stay strong and be dominant. The party is powerful and will stay in power," said office worker Tumi Matshidiso, 27. Mark Rosenberg, Senior Africa Analyst at the Eurasia Group, said that while Mandela's death might give the ANC a sympathy-driven boost for elections due next year, it would hurt the party in the long term.
He saw Mandela's absence "sapping the party's historical legitimacy and encouraging rejection by voters who believe the ANC has failed to deliver on its economic promises and become mired in corruption."
"In short, Mandela's death will further de-couple the ANC from the liberation struggle on which it still bases much of its legitimacy," Rosenberg said in a briefing note. Although Zuma's initial announcement of Zuma's death left the country hushed, later a crowd gathered overnight outside Mandela's old house in Vilakazi Street, Soweto, to sing songs in his praise.
"Mandela you brought us peace" was one of the songs.
DEMOCRATIC MODEL FOR AFRICA
Mandela rose from rural obscurity to challenge the might of white minority rule - a struggle that gave the 20th century one of its most respected and loved figures.
He was among the first to advocate armed resistance to apartheid in 1960 but was quick to preach reconciliation and forgiveness when the country's white minority began easing its grip on power 30 years later. He was elected president in landmark all-race elections in 1994 after helping to steer the racially divided country towards reconciliation and away from civil war.
"His greatest legacy is that we are basically at peace with each other," F.W. de Klerk, the white Afrikaner president who released Mandela in 1990, told the BBC in an interview. Mandela was awarded the Nobel Peace Prize in 1993, an honour he shared with de Klerk.
In 1999, Mandela handed over power to younger leaders better equipped to manage a modern economy - a rare voluntary departure from power cited as an example to African leaders. This made him an exception on a continent with a bloody history of long-serving autocrats and violent coups.
In retirement, Mandela shifted his energies to battling South Africa's AIDS crisis, a struggle that became personal when he lost his only surviving son to the disease in 2005.
Mandela's last major appearance on the global stage came in 2010 when he attended the championship match of the soccer World Cup hosted by South Africa.
http://news.in.msn.com/national/south-africans-some-fearful-wake-to-life-without-nelson-mandela
যুগের অবসান, প্রয়াত ভারতরত্ন ম্যান্ডেলা
এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: অসুস্থতা এবং বয়সের কাছে হার মানলেন মাদিবা। ৯৫ বছর বয়সে মৃত্যু হল জাতিবিদ্বেষ বিরোধী আন্দোলনের আইকন এবং দক্ষিণ আফ্রিকার প্রাক্তন রাষ্ট্রপতি নেলসন ম্যান্ডেলার। জোহানেসবার্গের নিজের বাড়িতেই শেষ নিঃশ্বাস ত্যাগ করেন তিনি। স্থানীয় সময় অনুসারে বৃহস্পতিবার রাত ৮টা ৫০ মিনিট নাগাদ তাঁর মৃত্যু হয়। দীর্ঘ দিন ধরেই ফুসফুসের সংক্রমণে ভুগছিলেন তিনি। তাঁর শেষ ইচ্ছাকে প্রাধান্য দিয়ে মাদিবার গ্রাম কুনুতেই তাঁর অন্ত্যেষ্টি সম্পন্ন হবে।
জাতীয় টিভি চ্যানেলে ম্যান্ডেলার মৃত্যুর খবর দেশবাসীকে জানান রাষ্ট্রপতি জ্যাকব জুমা। জাতির উদ্দেশে নিজের ভাষণে তিনি বলেন, 'দেশ নিজের সবচেয়ে মহান সন্তানকে হারিয়েছে। দক্ষিণ আফ্রিকার সঙ্গীরা, নেলসন ম্যান্ডেলা আমাদের একত্রিত করেছেন। আমরা সকলে মিলে তাঁকে শেষ শ্রদ্ধাঞ্জলি দেব।'
নেলসন ম্যান্ডেলার মৃত্যুতে শোকের ছায়া বিশ্বজুড়ে। শোকব্যক্ত করেছেন ভারতের রাষ্ট্রপতি এবং প্রধানমন্ত্রীও। শুক্রবার রাষ্ট্রপতি প্রণব মুখোপাধ্যায় বলেন, নেলসন ম্যান্ডেলা সত্যিকারের মানবতার প্রেরণা। আবার প্রধানমন্ত্রী নিজের শোকবার্তায় বলেছেন, ম্যান্ডেলা প্রকৃত অর্থেই এখজন গান্ধীবাদী। তাঁর মৃত্যুতে দক্ষিণ আফ্রিকার মতো ভারতেরও ক্ষতি হল।
শোক প্রকাশ করেছেন আমেরিকার রাষ্ট্রপতি বারাক ওবামাও। বলেন, 'বিশ্ব সর্বাধিক প্রভাবশালী, নির্ভীক এবং এক ভালো মানুষকে হারাল।' ব্রিটিশ প্রধানমন্ত্রী ডেভিড ক্যামেরনের ভাষায় ম্যান্ডেলা 'আমাদের সময়কালের হিরো' এবং তিনি বলেন, 'বিশ্বের উজ্জ্বল আলো নিভে গেল।'
মাদিবার মৃত্যুর খবর পাওয়ার পর থেকেই শোকাহত দক্ষিণ আফ্রিকার মানুষ। এক বাসিন্দার ভাষায়, 'মনে হচ্ছে যেন নিজের বাবাকে হারালাম। তিনি খুবই ভালো মানুষ ছিলেন। তিনি আমাদের রোল মডেল। আমাদের নেতাদের থেকে সম্পূর্ণ ভিন্ন।' মাদিবার মৃত্যুতে আশঙ্কার মেঘও গুনছেন বেশ কয়েকজন। তাঁদের আশঙ্কা, যে বর্ণবিদ্বেষের হাত থেকে দেশকে মুক্ত করতে তিনি সংগ্রাম চালিয়ে ছিলেন, তাঁর মৃত্যুর পর দেশে পুনরায় সেই সমস্যা মাথাচাড়া দিয়ে উঠতে পারে।
নেলসন ম্যান্ডেলার মৃত্যুর খবর পেয়ে রাষ্ট্রসঙ্ঘের নিরাপত্তা পরিষদের বৈঠক স্থগিত করে এক মিনিটের নীরবতা পালন করা হয়। নেলসন ম্যান্ডেলাকে 'জায়েন্ট ফর জাস্টিস' বলে অভিহিত করেন রাষ্ট্রসঙ্ঘের মহাসচিব বান কি-মুন। বলেন, 'যদি আমরা বিশ্বাস করি, ন্যায় এবং মনুষত্বের জন্য একসঙ্গে স্বপ্ন দেখা এবং কাজ করা যায়, তা হলে বিশ্ব এবং নিজেদের জন্য কী কী করা সম্ভব, তা নেলসন ম্যান্ডেলা করে দেখিয়েছিলেন।'
রাষ্ট্রীয় মর্যাদায় মাদিবার অন্ত্যেষ্টি সম্পন্ন হবে বলে জানিয়েছেন রাষ্ট্রপতি জুমা। জাতীয় পতাকা অর্ধনমিত করারও নির্দেশ দেন তিনি।
Mandela's struggle was personal inspiration for me: Obama
American president Obama, who has often referred to South Africa's first black president as his source of inspiration said that Mandela belonged to the ages
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Reuters
Washington: America's first black president, Barack Obama, hailed Nelson Mandela as a source of personal inspiration whose struggle against racism in South Africa jump-started his own involvement in politics.
Speaking in the White House press room shortly after the announcement of Mandela's death, a somber-looking Obama said the 95-year-old leader left a legacy of freedom and peace.
"I am one of the countless millions who drew inspiration from Nelson Mandela's life. My very first political action, the first thing I ever did that involved an issue or a policy or politics, was a protest against apartheid," Obama said.
"Like so many around the globe, I cannot fully imagine my own life without the example that Nelson Mandela set, and so long as I live I will do what I can to learn from him," he said.
Obama, the son of a black man from Kenya and a white woman from Kansas, has long referred to Mandela as an inspiration. A picture of the two men together hangs in the family residence at the White House, next to a photograph of Mandela with first lady Michelle Obama and the two Obama daughters, taken when they went to South Africa two and a half years ago.
The president said he read Mandela's writings as a young man. The day Mandela was released from prison gave Obama "a sense of what human beings can do when they're guided by their hopes and not by their fears," he said.
The Obamas went to Cape Town and Johannesburg during an Africa tour in June but did not visit the ailing leader, who was in the hospital at the time. They toured the Robben Island prison where Mandela had been held and stood in his cell. The president and the first lady also met with Mandela's family.
Mandela died in his Johannesburg home on Thursday after a prolonged lung infection.
"He achieved more than could be expected of any man. Today, he has gone home," Obama said. "We have lost one of the most influential, courageous, and profoundly good human beings that any of us will share time with on this earth. He no longer belongs to us - he belongs to the ages."
During his Africa trip, Obama urged the continent to follow Mandela's example, and he said on Thursday that the former leader's legacy would endure.
"To the people of South Africa, we draw strength from the example of renewal, and reconciliation, and resilience that you made real," Obama said. "A free South Africa at peace with itself - that's an example to the world, and that's Madiba's legacy to the nation he loved," he said, referring to Mandela by his clan name.
Obama is expected to go to South Africa for Mandela's funeral.
"We will not likely see the likes of Nelson Mandela again," he said. "So it falls to us as best we can to forward the example that he set: to make decisions guided not by hate, but by love; to never discount the difference that one person can make; to strive for a future that is worthy of his sacrifice."
Updated: Fri, 06 Dec 2013 05:30:00 GMT | By Reuters
Nelson Mandela, from apartheid fighter to president and unifier
Mandela's years behind bars made him the world's most celebrated political prisoner and a leader of mythic stature for millions of black South Africans
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Reuters
Johannesburg: South Africa's peace icon Nelson Mandela breathed his last today.
Nelson Mandela guided South Africa from the shackles of apartheid to multi-racial democracy, as an icon of peace and reconciliation who came to embody the struggle for justice around the world.
Imprisoned for nearly three decades for his fight against white minority rule, Mandela emerged determined to use his prestige and charisma to bring down apartheid while avoiding a civil war.
"The time for the healing of the wounds has come. The moment to bridge the chasms that divide us has come," Mandela said in his acceptance speech on becoming South Africa's first black president in 1994.
"We have, at last, achieved our political emancipation." In 1993, Mandela was awarded the Nobel Peace Prize, an honour he shared with F.W. de Klerk, the white Afrikaner leader who freed him from prison three years earlier and negotiated the end of apartheid.
Mandela went on to play a prominent role on the world stage as an advocate of human dignity in the face of challenges ranging from political repression to AIDS. He formally left public life in June 2004 before his 86th birthday, telling his adoring countrymen: "Don't call me. I'll call you". But he remained one of the world's most revered public figures, combining celebrity sparkle with an unwavering message of freedom, respect and human rights.
Whether defending himself at his own treason trial in 1963 or addressing world leaders years later as a greying elder statesman, he radiated an image of moral rectitude expressed in measured tones, often leavened by a mischievous humour. "He is at the epicentre of our time, ours in South Africa, and yours, wherever you are," Nadine Gordimer, the South African writer and Nobel Laureate for Literature, once remarked.
Mandela's years behind bars made him the world's most celebrated political prisoner and a leader of mythic stature for millions of black South Africans and other oppressed people far beyond his country's borders. Charged with capital offences in the 1963 Rivonia Trial, his statement from the dock was his political testimony.
"During my lifetime I have dedicated myself to this struggle of the African people. I have fought against white domination, and I have fought against black domination. "I have cherished the ideal of a democratic and free society in which all persons live together in harmony and with equal opportunities," he told the court.
"It is an ideal I hope to live for and to achieve. But if needs be, it is an ideal for which I am prepared to die."
Nelson Rolihlahla Mandela was born on July 18, 1918, destined to lead as the son of the chief councillor to the paramount chief of the Thembu people in Transkei.
He chose to devote his life to the fight against white domination. He studied at Fort Hare University, an elite black college, but left in 1940 short of completing his studies and became involved with the African National Congress (ANC), founding its Youth League in 1944 with Oliver Tambo and Walter Sisulu.
Mandela worked as a law clerk then became a lawyer who ran one of the few practices that served blacks. In 1952 he and others were charged for violating the Suppression of Communism Act but their nine-month sentence was suspended for two years.
Mandela was among the first to advocate armed resistance to apartheid, going underground in 1961 to form the ANC's armed wing, Umkhonto weSizwe, or 'Spear of the Nation' in Zulu. He left South Africa and travelled the continent and Europe, studying guerrilla warfare and building support for the ANC.
After his return in 1962, Mandela was arrested and sentenced to five years for incitement and illegally leaving the country. While serving that sentence, he was charged with sabotage and plotting to overthrow the government along with other anti-apartheid leaders in the Rivonia Trial. Branded a terrorist by his enemies, Mandela was sentenced to life imprisonment in 1964, isolated from millions of his countrymen as they suffered oppression, violence and forced resettlement under the apartheid regime of racial segregation.
He was incarcerated on Robben Island, a penal colony off Cape Town, where he would spend the next 18 years before being moved to mainland prisons. He was behind bars when an uprising broke out in the huge township of Soweto in 1976 and when others erupted in violence in the 1980s. But when the regime realised it was time to negotiate, it was Mandela to whom it turned.
In his later years in prison, he met President P.W. Botha and his successor de Klerk. When he was released on February 11, 1990, walking away from the Victor Verster prison hand-in-hand with his wife Winnie, the event was watched live by television viewers across the world.
"As I finally walked through those gates ... I felt even at the age of 71 that my life was beginning anew. My 10,000 days of imprisonment were at last over," Mandela wrote of that day.
In the next four years, thousands of people died in political violence. Most were blacks killed in fighting between ANC supporters and Zulus loyal to Mangosuthu Buthelezi's Inkatha Freedom Party, although right-wing whites also staged violent actions to upset the moves towards democracy.
Mandela prevented a racial explosion after the murder of popular Communist Party leader Chris Hani by a white assassin in 1993, appealing for calm in a national television address. That same year, he and de Klerk were jointly awarded the Nobel Peace Prize.
Talks between the ANC and the government began in 1991, leading to South Africa's first all-race elections on April 27, 1994. The run-up to the vote was marred by fighting, including gun battles in Johannesburg townships and virtual war in the Zulu stronghold of KwaZulu Natal.
But Mandela campaigned across the country, enthralling adoring crowds of blacks and wooing whites with assurances that there was a place for them in the new South Africa. The election result was never in doubt and his inauguration in Pretoria on May 10, 1994, was a celebration of a peoples' freedom.
Mandela made reconciliation the theme of his presidency. He took tea with his former jailers and won over many whites when he donned the jersey of South Africa's national rugby team - once a symbol of white supremacy - at the final of the World Cup in 1995 at Johannesburg's Ellis Park stadium.
The hallmark of Mandela's mission was the Truth and Reconciliation Commission which investigated apartheid crimes on both sides and tried to heal the wounds. It also provided a model for other countries torn by civil strife.
In 1999, Mandela, often criticised for having a woolly grasp of economics, handed over to younger leaders - a voluntary departure from power cited as an example to long-ruling African leaders. A restful retirement was not on the cards as Mandela shifted his energies to fighting South Africa's AIDS crisis.
He spoke against the stigma surrounding the infection, while successor Thabo Mbeki was accused of failing to comprehend the extent of the crisis. The fight became personal in early 2005 when Mandela lost his only surviving son to the disease.
But the stress of his long struggle contributed to the break-up of his marriage to equally fierce anti-apartheid campaigner Winnie. The country shared the pain of their divorce in 1996 before watching his courtship of Graca Machel, widow of Mozambican President Samora Machel, whom he married on his 80th birthday in 1998.
Friends adored "Madiba", the clan name by which he is known. People lauded his humanity, kindness, attention and dignity. Unable to shake the habits of prison, Mandela rose daily between 4 a.m. and 5 a.m. to exercise and read. He drank little and was a fervent anti-smoker.
An amateur boxer in his younger days, Mandela often said the discipline and tactics drawn from training helped him to endure prison and the political battles after his release.
But prison and old age took their toll on his health. Mandela was treated in the 1980s for tuberculosis and later required an operation to repair damage to his eyes as well as treatment for prostate cancer in 2001. His spirit, however, remained strong.
"If cancer wins I will still be the better winner," he told reporters in September of that year. "When I go to the next world, the first thing I will do is look for an ANC office to renew my membership."
Most South Africans are proud of their post-apartheid multi-racial 'Rainbow Nation'. But Mandela's legacy of tolerance and reconciliation has been threatened in recent years by squabbling between factions in the ANC and social tensions in a country that, despite its political liberation, still suffers great inequalities.
Mandela's last major appearance on the global stage came in 2010 when he donned a fur cap in the South African winter and rode on a golf cart, waving to an exuberant crowd of 90,000 at the soccer World Cup final, one of the biggest events in the country's post-apartheid history.
"I leave it to the public to decide how they should remember me," he said on South African television before his retirement. "But I should like to be remembered as an ordinary South African who together with others has made his humble contribution."
Nelson Mandela: Famous Quotes
On his ideals (1964 trial)
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"During my lifetime I have dedicated myself to this struggle of the African people. I have fought against white domination, and I have fought against black domination. I have cherished the ideal of a democratic and free society in which all persons will live together in harmony and with equal opportunities. It is an ideal which I hope to live for. But, my lord, if needs be, it is an ideal for which I am prepared to die."
Updated: Fri, 06 Dec 2013 03:15:00 GMT |
World mourns death of Nelson Mandela
Candle for Mandela
AP Photo: Denis FarrellShow Thumbnails1 of 15
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Nelson Mandela, the South African anti-apartheid icon, died Thursday at his home aged 95. The world reacts to his death and recalls his life. Here people light a candle outside the Johannesburg home of former South African President Nelson Mandela upon hearing of his death Thursday, Dec. 5.
Fri, 06 Dec 2013 03:30:00 GMT | By Reuters
Stunned South Africa falls silent at Mandela's passing
For most, the passing of South Africa's first black president was and will remain an unforgettable moment in history
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Johannesburg: The music decks and end-of-year office parties fell silent across South Africa on Thursday when President Jacob Zuma delivered the news nobody wanted to hear: Beloved anti-apartheid hero Nelson Mandela had died.
From sweaty nightclubs in the sprawling township of Soweto to the heart of Johannesburg's Sandton financial district, DJs hit the pause button as party-goers stood in stunned silence to listen to Zuma's nationally televised address.
"As soon as we saw Zuma on TV, the music stopped and everyone rushed to watch the TV, to listen to what was happening," said 19-year-old school leaver Lesego Tsimo outside a Soweto nightclub.
"People got emotional, some cried, and everyone started talking about Mandela," he added. "I feel very sad. I feel overwhelmed with emotion. He has done so much for us."
Non-South Africans paid tribute to the 95-year-old for bringing the continent's biggest and most sophisticated economy out of decades of apartheid isolation.
"I can speak next to you now because of Nelson Mandela. If it wasn't for him, I wouldn't be standing here in South Africa now speaking to you," said 31-year-old Congolese businessman Papi Josias, who has been in South Africa for eight years.
"He united many nations. I came to South Africa because Mandela made peace." Outside Mandela's home in the posh neighbourhood of Houghton, hundreds of people, many of them young women teetering down the road in high heels after office parties, gathered to pay their respects to a man revered around the world as a symbol of peace and reconciliation.
"It's late but this is one day in history and I want my children to remember who Mandela was," said 35-year-old businessman Philip Sikhumbuzo, holding the hands of his two small children, still dressed in their pyjamas.
Near Mandela's home on Vilakazi Street in Soweto, the epicentre of the decades-long struggle against apartheid, people took to the streets draped in the flags of the Mandela's post-apartheid "Rainbow Nation" and the African National Congress.
Some sang anthems from the anti-apartheid struggle. Others stood in quiet contemplation.
"I have mixed feelings. I am happy that he is resting but I am also sad to see him go," said 45-year-old housewife Molebogeng Ntheledi.
Although Mandela's death is expected to be largely symbolic, some hinted at political shifts after the death of a leader criticised by some blacks as giving too much ground to whites in the 1994 transition to multi-party democracy.
"There's going to be a change now that Mandela has gone. Whether good or bad, there will be a change - just like when he came out of prison, there was a change," said 48-year-old Soweto resident Elias Nkosi.
More than 1,500 km (1,000 miles) away in Cape Town, traffic officials started taking up positions outside City Hall, where Mandela delivered his first speech to a massive crowd after his release from 27 years in prison in 1990.
Sindisa Makana, a 21-year-old petrol attendant at a 24-hour garage, summed up the feelings of South Africa and the world after hearing the news on the radio: "The legend is gone".
Fri, 06 Dec 2013 01:15:00 GMT | By AFP
The shirts, the humour -- the magic of Mandela
Mandela drew politicians from around the world, as well as ordinary children and adults keen to get a glimpse of the freedom icon who spent 27 years in prison
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Johannesburg: South Africans called it the "Madiba magic" after his clan name -- Nelson Mandela's quirky mix of grandeur and simplicity, his ready quips, his ability to relate to the poor, his colourful custom-made shirts and his dancing prowess.
Mandela -- who succumbed to a recurrent lung infection on Thursday aged 95 -- drew politicians from around the world, as well as ordinary children and adults keen to get a glimpse of the freedom icon who spent 27 years in prison.
Many remember his solemn inauguration as South Africa's first black president on May 20, 1994 at the age of 75, when he shuffled a few steps in perfect time despite the wear and tear on his body, fists clenched, with a beaming smile. The now famous "Madiba jive" was born.
Entertainers parodied it, radio stations took up the beat, and every time Mandela made a public appearance someone would ask him to jive despite his increasing frailty over the years.
Parodied too, in many bars in South Africa, was his distinctive accent -- a slow, punctuated growl.
Indissolubly associated with the Madiba magic were his loose shirts -- riots of colour which stood out among the sober suits and ties of his associates.
They were inspired by the shirts worn by former president Suharto of Indonesia, and hand-made for him by a Burkina Faso national living in Ivory Coast.
The photographers loved them, even though they were forbidden to use flash when taking pictures of Mandela because his eyes had been weakened when working in the glare of a limestone quarry on Robben Island, off Cape Town, where he was imprisoned for 18 years.
Thabo Mbeki, his successor as president who wore elegantly tailored dark suits, once described the shirts as "bizarre".
The Madiba magic drew politicians from around the world, eager to be photographed alongside him long after he retired in 1999.
But when US President George W. Bush visited South Africa in 2003 he passed up the chance, after Mandela criticised the invasion of Iraq in stinging terms, describing Bush as "a president who can't think properly".
The children of South Africa adored Madiba, who had a special empathy with youngsters as he missed seeing his own grow up while in apartheid prisons.
In 2002, when he gave his annual Christmas party for children in his home village of Qunu in the impoverished southeast, more than 20,000 children turned up -- some trekking for two or three days -- and pandemonium erupted.
Thousands of children and adults stampeded, with three needing hospital treatment, and security men had to cut down fences to prevent kids from being crushed.
American talk-show hostess Oprah Winfrey was present, carrying thousands of black dolls for the girls and soccer balls for the boys.
Her security detail swung into action and assisted in moving many of the children out of harm's way.
Mandela's empathy for individuals often came at the most unlikely moments.
He once interrupted a meeting to ask after the health of a heavily pregnant journalist, tapping her swollen belly gently with his big boxer's hands and asking her when the baby was due.
He was also adept at poking fun at himself, saying in 2000: "My bosses always say that I have had 27 years in prison to loaf. It is now time to do some catching up".
In 1998, he declared: "My greatest regret in life is that I never became the heavyweight boxing champion of the world".
And when South Africa narrowly lost its bid for the 2006 World soccer cup he said: "At least we have the right to get drunk... next time we will win". He was right.
Roelf Meyer, one of the apartheid regime's negotiators on the transition to democracy, said his eyes opened to Mandela's charisma shortly after his liberation from jail in 1990 when dozens of young white soldiers queued up to shake the hand of the former "terrorist".
Nelson Mandela
His Excellency Nelson Rolihlahla Mandela OM AC CC OJ GCStJ QC GCH BR RSO NPK | |
---|---|
President of South Africa | |
In office 10 May 1994 – 14 June 1999 | |
Deputy | Thabo Mbeki F. W. de Klerk |
Preceded by | F. W. de Klerk |
Succeeded by | Thabo Mbeki |
Personal details | |
Born | Rolihlahla Mandela 18 July 1918 Mvezo, South Africa |
Died | 5 December 2013 (aged 95) Johannesburg, South Africa |
Nationality | South African |
Political party | African National Congress |
Spouse(s) | Evelyn Ntoko Mase (m. 1944–1957; divorced) Winnie Madikizela (m. 1958–1996; divorced) Graça Machel (m. 1998–2013; his death) |
Children |
|
Alma mater | University of Fort Hare University of London External System University of South Africa University of the Witwatersrand |
Religion | Christianity (Methodism) |
Signature | |
Website | www.nelsonmandela.org |
Nelson Rolihlahla Mandela (Xhosa pronunciation: [xoˈliːɬaɬa manˈdeːla]; 18 July 1918 – 5 December 2013) was a South African anti-apartheid revolutionary as well as a politician and philanthropist who served as President of South Africa from 1994 to 1999. He was the first black South African to hold the office, and the first elected in a fully representativeelection. His government focused on dismantling the legacy of apartheid through tackling institutionalised racism, poverty and inequality, and fostering racial reconciliation. Politically an African nationalist and democratic socialist, he served as the President of the African National Congress (ANC) from 1991 to 1997. Internationally, Mandela was theSecretary General of the Non-Aligned Movement from 1998 to 1999.
A Xhosa born to the Thembu royal family, Mandela attended the Fort Hare University and the University of Witwatersrand, where he studied law. Living in Johannesburg, he became involved in anti-colonial politics, joining the ANC and becoming a founding member of itsYouth League. After the South African National Party came to power in 1948, he rose to prominence in the ANC's 1952 Defiance Campaign, was appointed superintendent of the organisation's Transvaal chapter and presided over the 1955 Congress of the People. Working as a lawyer, he was repeatedly arrested for seditious activities and, with the ANC leadership, was unsuccessfully prosecuted in the Treason Trial from 1956 to 1961. Although initially committed to non-violent protest, he co-founded the militant Umkhonto we Sizwe (MK) in 1961 in association with the South African Communist Party, leading asabotage campaign against the apartheid government. In 1962 he was arrested, convicted of conspiracy to overthrow the government, and sentenced to life imprisonment in theRivonia Trial.
Mandela served 27 years in prison, initially on Robben Island, and later in Pollsmoor Prison and Victor Verster Prison. An international campaign lobbied for his release, which was granted in 1990 amid escalating civil strife. Mandela published his autobiography and opened negotiations with President F.W. de Klerk to abolish apartheid and establishmultiracial elections in 1994, in which he led the ANC to victory. As South Africa's first black president Mandela formed a Government of National Unity in an attempt to defuse racial tension. He also promulgated a new constitution and created the Truth and Reconciliation Commission to investigate past human rights abuses. Continuing the former government's liberal economic policy, his administration introduced measures to encourage land reform, combat poverty, and expand healthcare services. Internationally, he acted as mediator between Libya and the United Kingdom in the Pan Am Flight 103 bombing trial, and oversaw military intervention in Lesotho. He declined to run for a second term, and was succeeded by his deputy, Thabo Mbeki. Mandela subsequently became an elder statesman, focusing on charitable work in combating poverty and HIV/AIDS through the Nelson Mandela Foundation.
Although Mandela was a controversial figure for much of his life, he became widely popular following his release. Although right-wing critics who continued to denounce him as acommunist sympathiser and terrorist, he gained international acclaim for his activism, having received more than 250 honours, including the 1993 Nobel Peace Prize, the USPresidential Medal of Freedom, and the Soviet Order of Lenin. He is held in deep respect within South Africa, where he is often referred to by his Xhosa clan name, Madiba, or asTata ("Father"); he is often described as "the father of the nation".
Contents
[hide]Early life
Childhood: 1918–1936
Mandela was born on 18 July 1918 in the village of Mvezo in Umtatu, then a part of South Africa's Cape Province.[1] Given the forename Rolihlahla, a Xhosa term colloquially meaning "troublemaker",[1] in later years he became known by his clan name, Madiba.[2] Hispatrilineal great-grandfather, Ngubengcuka, was ruler of the Thembu people in the Transkeian Territories of South Africa's modernEastern Cape province.[3] One of this king's sons, named Mandela, became Nelson's grandfather and the source of his surname.[4]Because Mandela was only the king's child by a wife of the Ixhiba clan, a so-called "Left-Hand House", the descendants of his cadet branch of the royal family were morganatic, ineligible to inherit the throne but recognized as hereditary royal councillors.[4] Nonetheless, his father, Gadla Henry Mphakanyiswa, was a local chief and councillor to the monarch; he had been appointed to the position in 1915, after his predecessor was accused of corruption by a governing white magistrate.[5] In 1926, Gadla, too, was sacked for corruption, but Nelson would be told that he had lost his job for standing up to the magistrate's unreasonable demands.[6] A devotee of the godQamata,[7] Gadla was a polygamist, having four wives, four sons and nine daughters, who lived in different villages. Nelson's mother was Gadla's third wife, Nosekeni Fanny, who was daughter of Nkedama of the Right Hand House and a member of the amaMpemvu clan of Xhosa.[8]
"No one in my family had ever attended school [...] On the first day of school my teacher, Miss Mdingane, gave each of us an English name. This was the custom among Africans in those days and was undoubtedly due to the British bias of our education. That day, Miss Mdingane told me that my new name was Nelson. Why this particular name I have no idea."
Later stating that his early life was dominated by "custom, ritual and taboo",[10]Mandela grew up with two sisters in his mother's kraal in the village of Qunu, where he tended herds as a cattle-boy, spending much time outside with other boys.[11] Both his parents were illiterate, but being a devout Christian, his mother sent him to a localMethodist school when he was about seven. Baptised a Methodist, Mandela was given the English forename of "Nelson" by his teacher.[12] When Mandela was about nine, his father came to stay at Qunu, where he died of an undiagnosed ailment which Mandela believed to be lung disease.[13] Feeling "cut adrift", he later said that he inherited his father's "proud rebelliousness" and "stubborn sense of fairness".[14]
His mother took Mandela to the "Great Place" palace at Mqhekezweni, where he was entrusted under the guardianship of Thembu regent, Chief Jongintaba Dalindyebo. Although he would not see his mother again for many years, Mandela felt that Jongintaba and his wife Noengland treated him as their own child, raising him alongside their son Justice and daughter Nomafu.[15] As Mandela attended church services every Sunday with his guardians, Christianity became a significant part of his life.[16] He attended a Methodist mission school located next to the palace, studying English, Xhosa, history and geography.[17] He developed a love of African history, listening to the tales told by elderly visitors to the palace, and becoming influenced by the anti-imperialist rhetoric of Chief Joyi.[18] At the time he nevertheless considered the European colonialists as benefactors, not oppressors.[19] Aged 16, he, Justice and several other boys travelled to Tyhalarha to undergo the circumcision ritual that symbolically marked their transition from boys to men; the rite over, he was given the name "Dalibunga".[20]
Clarkebury, Healdtown, and Fort Hare: 1936–1940
Intending to gain skills needed to become a privy councillor for the Thembu royal house, Mandela began his secondary education at Clarkebury Boarding Institute in Engcobo, a Western-style institution that was the largest school for black Africans in Thembuland.[21] Made to socialise with other students on an equal basis, he claimed that he lost his "stuck up" attitude, becoming best friends with a girl for the first time; he began playing sports and developed his lifelong love of gardening.[22] Completing his Junior Certificate in two years,[23] in 1937 he moved to Healdtown, the Methodist college in Fort Beaufort attended by most Thembu royalty, including Justice.[24] The headmaster emphasised the superiority of English culture and government, but Mandela became increasingly interested in native African culture, making his first non-Xhosa friend, a Sotho language-speaker, and coming under the influence of one of his favourite teachers, a Xhosa who broke taboo by marrying a Sotho.[25] Spending much of his spare time long-distance running and boxing, in his second year Mandela became a prefect.[26]
With Jongintaba's backing, Mandela began work on a Bachelor of Arts (BA) degree at the University of Fort Hare, an elite black institution in Alice, Eastern Cape, with around 150 students. There he studied English, anthropology, politics, native administration, and Roman Dutch law in his first year, desiring to become an interpreter or clerk in the Native Affairs Department.[27] Mandela stayed in the Wesley House dormitory, befriending Oliver Tambo and his own kinsman, K.D. Matanzima.[28] Continuing his interest in sport, Mandela took up ballroom dancing,[29] and performed in a drama society play about Abraham Lincoln.[30] A member of the Students Christian Association, he gave Bible classes in the local community,[31] and became a vocal supporter of the British war effort when the Second World War broke out.[32] Although having friends connected to theAfrican National Congress (ANC) and the anti-imperialist movement, Mandela avoided any involvement.[33] Helping found a first-year students' House Committee which challenged the dominance of the second-years,[34] at the end of his first year he became involved in a Students' Representative Council (SRC) boycott against the quality of food, for which he was temporarily suspended from the university; he left without receiving a degree.[35]
Arriving in Johannesburg: 1941–1943
Returning to Mqhekezweni in December 1940, Mandela found that Jongintaba had arranged marriages for him and Justice; dismayed, they fled to Johannesburg via Queenstown, arriving in April 1941.[36] Mandela found work as a night watchman at Crown Mines, his "first sight of South African capitalism in action", but was fired when the induna (headman) discovered he was a runaway.[37] Staying with a cousin in George Goch Township, Mandela was introduced to the realtor and ANC activist Walter Sisulu, who secured him a job as anarticled clerk at law firm Witkin, Sidelsky and Eidelman. The company was run by a liberal Jew, Lazar Sidelsky, who was sympathetic to the ANC's cause.[38] At the firm, Mandela befriended Gaur Redebe, a Xhosa member of the ANC and Communist Party, as well as Nat Bregman, a Jewish communist who became his first white friend.[39] Attending communist talks and parties, Mandela was impressed that Europeans, Africans, Indians and Coloureds were mixing as equals. However, he stated later that he did not join the Party because its atheism conflicted with his Christian faith, and because he saw the South African struggle as being racially based rather than class warfare.[40] Becoming increasingly politicised, in August 1943 Mandela marched in support of a successful bus boycott to reverse fare rises.[41] Continuing his higher education, Mandela signed up to a University of South Africa correspondence course, working on his bachelor's degree at night.[42]
Earning a small wage, Mandela rented a room in the house of the Xhoma family in the Alexandra township; although rife with poverty, crime and pollution, Alexandra always remained "a treasured place" for him.[43] Although embarrassed by his poverty, he briefly courted a Swazi woman before unsuccessfully courting his landlord's daughter.[44] In order to save money and be closer to downtown Johannesburg, Mandela moved into the compound of the Witwatersrand Native Labour Association, living among miners of various tribes; as the compound was a "way station for visiting chiefs", he once met the Queen Regent of Basutoland.[45] In late 1941, Jongintaba visited, forgiving Mandela for running away. On returning to Thembuland, the regent died in winter 1942; Mandela and Justice arrived a day late for the funeral.[46] After passing his BA exams in early 1943, Mandela returned to Johannesburg to follow a political path as a lawyer rather than become a privy councillor in Thembuland.[47] He later stated that he experienced no epiphany, but that he "simply found myself doing so, and could not do otherwise."[48]
Revolutionary activity
Law studies and the ANC Youth League: 1943–1949
Beginning law studies at the University of Witwatersrand, Mandela was the only native African student, and though facing racism, he befriended a number of liberal and communist European, Jewish, and Indian students, among them Joe Slovo, Harry Schwarz and Ruth First.[49] Joining the ANC, Mandela was increasingly influenced by Sisulu, spending much time with other activists at Sisulu's Orlandohouse, including old friend Oliver Tambo.[50] In 1943, Mandela met Anton Lembede, an African nationalist virulently opposed to a racially united front against colonialism and imperialism or to an alliance with the communists.[51] Despite his friendships with non-blacks and communists, Mandela supported Lembede's views, believing that black Africans should be entirely independent in their struggle for political self-determination.[52] Deciding on the need for a youth wing to mass mobilise Africans in opposition to their subjugation, Mandela was among a delegation that approached ANC President Alfred Bitini Xuma on the subject at his home in Sophiatown; theAfrican National Congress Youth League (ANCYL) was founded on Easter Sunday 1944 in the Bantu Men's Social Centre in Eloff Street, with Lembede as President and Mandela as a member of the executive committee.[53]
At Sisulu's house, Mandela met Evelyn Mase, an ANC activist from Engcobo, Transkei, who was training at the time to become a nurse. Married on 5 October 1944, after initially living with her relatives, they rented House no. 8115 in Orlando from early 1946.[54] Their first child, Madiba "Thembi" Thembekile, was born in February 1946, while a daughter named Makaziwe was born in 1947, dying nine months later of meningitis.[55] Mandela enjoyed home life, welcoming his mother and sister Leabie to stay with him.[56] In early 1947, his three years of articles ended at Witkin, Sidelsky and Eidelman, and he decided to become a full-time student, subsisting on loans from the Bantu Welfare Trust.[57]
In July 1947, Mandela rushed Lembede to hospital, where he died; he was succeeded as ANCYL president by the more moderate Peter Mda, who agreed to co-operate with communists and non-blacks, appointing Mandela ANCYL secretary.[58] Mandela disagreed with Mda's approach, in December 1947 supporting an unsuccessful measure to expel communists from the ANCYL, considering their ideology un-African.[59] In 1947, Mandela was elected to the executive committee of the Transvaal ANC, serving under regional president C.S. Ramohanoe. When Ramohanoe acted against the wishes of the Transvaal Executive Committee by co-operating with Indians and communists, Mandela was one of those who forced his resignation.[60]
In the South African general election, 1948, in which only whites were permitted to vote, the Afrikaner-dominated Herenigde Nasionale Party under Daniel François Malan took power, soon uniting with the Afrikaner Party to form the National Party. Openly racialist, the party codified and expanded racial segregation with the new apartheid legislation.[61] Gaining increasing influence in the ANC, Mandela and his cadres began advocating direct action against apartheid, such as boycotts and strikes, influenced by the tactics of South Africa's Indian community. Xuma did not support these measures and was removed from the presidency in a vote of no confidence, replaced by James Moroka and a more militant cabinet containing Sisulu, Mda, Tambo and Godfrey Pitje; Mandela later related that "We had now guided the ANC to a more radical and revolutionary path."[62] Having devoted his time to politics, Mandela failed his final year at Witwatersrand three times; he was ultimately denied his degree in December 1949.[63]
Defiance Campaign and Transvaal ANC Presidency: 1950–1954
Mandela took Xuma's place on the ANC National Executive in March 1950.[64] That month, the Defend Free Speech Convention was held in Johannesburg, bringing together African, Indian and communist activists to call an anti-apartheid general strike. Mandela opposed the strike because it was not ANC-led, but a majority of black workers took part, resulting in increased police repression and the introduction of the Suppression of Communism Act, 1950, affecting the actions of all protest groups.[65] In 1950, Mandela was elected national president of the ANCYL; at the ANC national conference of December 1951, he continued arguing against a racially united front, but was outvoted.[66] Thenceforth, he altered his entire perspective, embracing such an approach; influenced by friends like Moses Kotane and by the Soviet Union's support for wars of independence, Mandela's mistrust of communism also broke down. He became influenced by the texts of Karl Marx, Friedrich Engels, Vladimir Lenin, Joseph Stalin and Mao Zedong, and embraced dialectical materialism.[67] In April 1952, Mandela began work at the H.M. Basner law firm,[68] though his increasing commitment to work and activism meant he spent less time with his family.[69]
In 1952, the ANC began preparation for a joint Defiance Campaign against apartheid with Indian and communist groups, founding a National Voluntary Board to recruit volunteers. Deciding on a path of nonviolent resistance influenced by Mahatma Gandhi, some considered it the ethical option, but Mandela instead considered it pragmatic.[70] At a Durban rally on 22 June, Mandela addressed an assembled crowd of 10,000, initiating the campaign protests, for which he was arrested and briefly interned in Marshall Square prison.[71] With further protests, the ANC's membership grew from 20,000 to 100,000; the government responded with mass arrests, introducing the Public Safety Act, 1953 to permit martial law.[72] In May, authorities banned Transvaal ANU President J. B. Marks from making public appearances; unable to maintain his position, he recommended Mandela as his successor. Although the ultra-Africanist Bafabegiya group opposed his candidacy, Mandela was elected regional president in October.[73] On 30 July 1952, Mandela was arrested under the Suppression of Communism Act and stood trial as a part of the 21 accused – among them Moroka, Sisulu and Dadoo – in Johannesburg. Found guilty of "statutory communism", their sentence of nine months' hard labour was suspended for two years.[74] In December, Mandela was given a six-month ban from attending meetings or talking to more than one individual at a time, making his Transvaal ANU presidency impractical. The Defiance Campaign meanwhile petered out.[75] In September 1953, Andrew Kunene read out Mandela's "No Easy Walk to Freedom" speech at a Transvaal ANC meeting; the title was taken from a quote by Indian independence leader Jawaharlal Nehru, a seminal influence on Mandela's thought. The speech laid out a contingency plan for a scenario in which the ANC was banned. This Mandela Plan, or M-Plan, involved dividing the organisation into a cell structure with a more centralised leadership.[76]
Mandela obtained work as an attorney for the firm Terblanche and Briggish, before moving to the liberal-run Helman and Michel, passing qualification exams to become a full-fledged attorney.[77] In August 1953, Mandela and Oliver Tambo opened their own law firm,Mandela and Tambo, operating in downtown Johannesburg. The only African-run law firm in the country, it was popular with aggrieved blacks, often dealing with cases of police brutality. Disliked by the authorities, the firm was forced to relocate to a remote location after their office permit was removed under the Group Areas Act; as a result, their custom dwindled.[78] Though a second daughter, Makaziwe Phumia, was born in May 1954, Mandela's relationship with Evelyn became strained, and she accused him of adultery. Evidence has emerged indicating that he was having affairs with ANC member Lillian Ngoyi and secretary Ruth Mompati; persistent but unproven claims assert that the latter bore Mandela a child. Disgusted by her son's behaviour, Nosekeni returned to Transkei, while Evelyn embraced the Jehovah's Witnesses and rejected Mandela's obsession with politics.[79]
Congress of the People and the Treason Trial: 1955–1961
"We, the people of South Africa, declare for all our country and the world to know:
That South Africa belongs to all who live in it, black and white, and that no government can justly claim authority unless it is based on the will of the people."
Mandela came to the opinion that the ANC "had no alternative to armed and violent resistance" after taking part in the unsuccessful protest to prevent the demolition of the all-black Sophiatown suburb of Johannesburg in February 1955.[81] He advised Sisulu to request weaponry from the People's Republic of China, but while supporting the anti-apartheid struggle, China's government believed the movement insufficiently prepared forguerilla warfare.[82] With the involvement of the South African Indian Congress, the Coloured People's Congress, the South African Congress of Trade Unions and theCongress of Democrats, the ANC planned a Congress of the People, calling on all South Africans to send in proposals for a post-apartheid era. Based on the responses, a Freedom Charter was drafted by Rusty Bernstein, calling for the creation of a democratic, non-racialist state with the nationalisation of major industry. When the charter was adopted at a June 1955 conference in Kliptown attended by 3000 delegates, police cracked down on the event, but it remained a key part of Mandela's ideology.[83]
Following the end of a second ban in September 1955, Mandela went on a working holiday to Transkei to discuss the implications of the Bantu Authorities Act, 1951 with local tribal leaders, also visiting his mother and Noengland before proceeding to Cape Town.[84] In March 1956 he received his third ban on public appearances, restricting him to Johannesburg for five years, but he often defied it.[85] His marriage broke down as Evelyn left Mandela, taking their children to live with her brother. Initiating divorce proceedings in May 1956, she claimed that Mandela had physically abused her; he denied the allegations, and fought for custody of their children. She withdrew her petition of separation in November, but Mandela filed for divorce in January 1958; the divorce was finalised in March, with the children placed in Evelyn's care.[86] During the divorce proceedings, he began courting and politicising a social worker, Winnie Madikizela, who he married in Bizana on 14 June 1958. She later became involved in ANC activities, spending several weeks imprisoned.[87]
On 5 December 1956, Mandela was arrested alongside most of the ANC Executive for "high treason" against the state. Held in Johannesburg Prison amid mass protests, they underwent a preparatory examination in Drill Hall on 19 December, before being granted bail.[88] The defence's refutation began on 9 January 1957, overseen by defence lawyerVernon Berrangé, and continued until adjourning in September. In January 1958, judgeOswald Pirow was appointed to the case, and in February he ruled that there was "sufficient reason" for the defendants to go on trial in the Transvaal Supreme Court.[89] The formalTreason Trial began in Pretoria in August 1958, with the defendants successfully applying to have the three judges – all linked to the governing National Party – replaced. In August, one charge was dropped, and in October the prosecution withdrew its indictment, submitting a reformulated version in November which argued that the ANC leadership committed high treason by advocating violent revolution, a charge the defendants denied.[90]
In April 1959, militant Africanists dissatisfied with the ANC's united front approach founded the Pan-African Congress (PAC); Mandela's friend Robert Sobukwe was elected president, though Mandela thought the group "immature".[91] Both parties campaigned for an anti-pass campaign in May 1960, in which Africans burned the passes that they were legally obliged to carry. One of the PAC-organized demonstrations was fired upon by police, resulting in the deaths of 69 protesters in the Sharpeville massacre. In solidarity, Mandela publicly burned his pass as rioting broke out across South Africa, leading the government to proclaim martial law.[92] Under the State of Emergency measures, Mandela and other activists were arrested on 30 March, imprisoned without charge in the unsanitary conditions of the Pretoria Local prison, while the ANC and PAC were banned in April.[93] This made it difficult for their lawyers to reach them, and it was agreed that the defence team for the Treason Trial should withdraw in protest. Representing themselves in court, the accused were freed from prison when the state of emergency was lifted in late August.[94] Mandela used his free time to organise an All-In African Conference near Pietermaritzburg, Natal, in March, at which 1,400 anti-apartheid delegates met, agreeing on a stay-at home protest to mark 31 May, the day South Africa became a republic.[95] On 29 March 1961, after a six-year trial, the judges produced a verdict of not guilty, embarrassing the government.[96]
Umkhonto we Sizwe and African tour: 1961–1962
Disguising himself as a chauffeur, Mandela travelled the country incognito, organising the ANC's new cell structure and a mass stay-at-home strike for 29 May. Referred to as the "Black Pimpernel" in the press – a reference to Emma Orczy's 1905 novel The Scarlet Pimpernel – the police put out a warrant for his arrest.[97] Mandela held secret meetings with reporters, and after the government failed to prevent the strike, he warned them that many anti-apartheid activists would soon resort to violence through groups like the PAC's Poqo.[98]He believed that the ANC should form an armed group to channel some of this violence, convincing both ANC leader Albert Luthuli – who was morally opposed to violence – and allied activist groups of its necessity.[99]
Inspired by Fidel Castro's 26th of July Movement in the Cuban Revolution, in 1961 Mandela co-founded Umkhonto we Sizwe ("Spear of the Nation", abbreviated MK) with Sisulu and the communist Joe Slovo. Becoming chairman of the militant group, he gained ideas from illegal literature on guerilla warfare by Mao and Che Guevara. Officially separate from the ANC, in later years MK became the group's armed wing.[100] Most early MK members were white communists; after hiding in communist Wolfie Kodesh's flat in Berea, Mandela moved to the communist-owned Liliesleaf Farm in Rivonia, there joined by Raymond Mhlaba, Slovo and Bernstein, who put together the MK constitution.[101] Although Mandela himself denied ever being a Communist Party member, historical research has suggested that he might have been for a short period, starting from the late 1950s or early 1960s.[102] Operating through a cell structure, the MK agreed to acts of sabotage to exert maximum pressure on the government with minimum casualties, bombing military installations, power plants, telephone lines and transport links at night, when civilians were not present. Mandela noted that should these tactics fail, MK would resort to "guerilla warfare and terrorism."[103] Soon after ANC leader Luthuli was awarded the Nobel Peace Prize, the MK publicly announced its existence with 57 bombings on Dingane's Day (16 December) 1961, followed by further attacks on New Year's Eve.[104]
The ANC agreed to send Mandela as a delegate to the February 1962 Pan-African Freedom Movement for East, Central and Southern Africa (PAFMECSA) meeting in Addis Ababa, Ethiopia.[105] Traveling there in secret, Mandela met with Emperor Haile Selassie I, and gave his speech after Selaisse's at the conference.[106] After the conference, he travelled to Cairo, Egypt, admiring the political reforms of President Gamal Abdel Nasser, and then went to Tunis, Tunisia, where President Habib Bourguiba gave him £5000 for weaponry. He proceeded to Morocco, Mali, Guinea, Sierra Leone, Liberia and Senegal, receiving funds from Liberian President William Tubman and Guinean President Ahmed Sékou Touré.[107] Leaving Africa for London, England, he met anti-apartheid activists, reporters and prominent leftist politicians.[108] Returning to Ethiopia, he began a six-month course in guerrilla warfare, but completed only two months before being recalled to South Africa.[109]
Imprisonment
Arrest and Rivonia trial: 1962–1964
On 5 August 1962, police captured Mandela along with Cecil Williams near Howick.[110]Jailed in Johannesburg's Marshall Square prison, he was charged with inciting workers' strikes and leaving the country without permission. Representing himself with Slovo as legal advisor, Mandela intended to use the trial to showcase "the ANC's moral opposition to racism" while supporters demonstrated outside the court.[111] Moved to Pretoria, where Winnie could visit him, in his cell he began correspondence studies for a Bachelor of Laws(LLB) degree from the University of London.[112] His hearing began on 15 October, but he disrupted proceedings by wearing a traditional kaross, refusing to call any witnesses, and turning his plea of mitigation into a political speech. Found guilty, he was sentenced to five years' imprisonment; as he left the courtroom, supporters sang Nkosi Sikelel iAfrika.[113]
"In a way I had never quite comprehended before, I realized the role I could play in court and the possibilities before me as a defendant. I was the symbol of justice in the court of the oppressor, the representative of the great ideals of freedom, fairness and democracy in a society that dishonoured those virtues. I realized then and there that I could carry on the fight even in the fortress of the enemy."
On 11 July 1963, police raided Liliesleaf Farm, arresting those they found there and uncovering paperwork documenting MK's activities, some of which mentioned Mandela. The subsequent Rivonia Trial began at Pretoria Supreme Court on 9 October, with Mandela and his comrades charged with four counts of sabotage and conspiracy to violently overthrow the government. Their chief prosecutor was Percy Yutar, who called for them to receive the death penalty.[115] Judge Quartus de Wet soon threw out the prosecution's case for insufficient evidence, but Yutar reformulated the charges, presenting his new case from December until February 1964, calling 173 witnesses and bringing thousands of documents and photographs to the trial.[116]
With the exception of James Kantor, who was innocent of all charges, Mandela and the accused admitted sabotage but denied that they had ever agreed to initiate guerilla war against the government. They used the trial to highlight their political cause; one of Mandela's speeches – inspired by Castro's "History Will Absolve Me" speech – was widely reported in the press despite official censorship.[117] The trial gained international attention, with global calls for the release of the accused from such institutions as the United Nations and World Peace Council. The University of London Union voted Mandela to its presidency, and nightly vigils for him were held in St. Paul's Cathedral, London.[118] However, deeming them to be violent communist agitators, South Africa's government ignored all calls for clemency, and on 12 June 1964 de Wet found Mandela and two of his co-accused guilty on all four charges, sentencing them to life imprisonment rather than death.[119]
Robben Island: 1964–1982
Mandela and his co-accused were transferred from Pretoria to the prison on Robben Island, remaining there for the next 18 years.[120] Isolated from non-political prisoners in Section B, Mandela was imprisoned in a damp concrete cell measuring 8 feet (2.4 m) by 7 feet (2.1 m), with a straw mat on which to sleep.[121] Verbally and physically harassed by several white prison wardens, the Rivonia Trial prisoners spent their days breaking rocks into gravel, until being reassigned in January 1965 to work in a lime quarry. Mandela was initially forbidden to wear sunglasses, and the glare from the lime permanently damaged his eyesight.[122] At night, he worked on his LLB degree, but newspapers were forbidden, and he was locked insolitary confinement on several occasions for possessing smuggled news clippings.[123]Classified as the lowest grade of prisoner, Class D, he was permitted one visit and one letter every six months, although all mail was heavily censored.[124]
The political prisoners took part in work and hunger strikes – the latter considered largely ineffective by Mandela – to improve prison conditions, viewing this as a microcosm of the anti-apartheid struggle.[125] ANC prisoners elected him to their four-man "High Organ" along with Sisulu, Govan Mbeki and Raymond Mhlaba, while he also involved himself in a group representing all political prisoners on the island, Ulundi, through which he forged links with PAC and Yu Chi Chan Clubmembers.[126] Initiating the "University of Robben Island," whereby prisoners lectured on their own areas of expertise, he debated topics such as homosexuality and politics with his comrades, getting into fierce arguments on the latter with Marxists like Mbeki and Harry Gwala.[127] Though attending Christian Sunday services, Mandela studied Islam.[128] He also studied Afrikaans, hoping to build a mutual respect with the warders and convert them to his cause.[129] Various official visitors met with Mandela; most significant was the liberal parliamentary representative Helen Suzman of the Progressive Party, who championed Mandela's cause outside prison.[130] In September 1970 he met British Labour Party MP Dennis Healey.[131] South African Minister of Justice Jimmy Kruger visited in December 1974, but he and Mandela did not get on.[132] His mother visited in 1968, dying shortly after, and his firstborn son Thembi died in a car accident the following year; Mandela was forbidden from attending either funeral.[133] His wife was rarely able to visit, being regularly imprisoned for political activity, while his daughters first visited in December 1975; Winnie got out of prison in 1977 but was forcibly settled in Brandfort, still unable to visit him.[134]
From 1967, prison conditions improved, with black prisoners given trousers rather than shorts, games being permitted, and food quality improving.[135] In a FIFA documentary, Mandela commented on how football gave hope to his fellow inmates; "the game made us feel alive and triumphant despite the situation we found ourselves in".[136] In 1969, an escape plan for Mandela was developed by Gordon Bruce, but it was abandoned after being infiltrated by an agent of the South African Bureau of State Security (BOSS), who hoped to see Mandela shot during the escape.[137] In 1970, Commander Piet Badenhorst became commanding officer. Mandela, seeing an increase in the physical and mental abuse of prisoners, complained to visiting judges, who had Badenhorst reassigned.[138] He was replaced by Commander Willie Willemse, who developed a co-operative relationship with Mandela and was keen to improve prison standards.[139] By 1975, Mandela had become a Class A prisoner,[140] allowing greater numbers of visits and letters; he corresponded with anti-apartheid activists like Mangosuthu Buthelezi and Desmond Tutu.[141] That year, he began his autobiography, which was smuggled to London, but remained unpublished at the time; prison authorities discovered several pages, and his study privileges were stopped for four years.[142] Instead he devoted his spare time to gardening and reading until he resumed his LLB degree studies in 1980.[143]
By the late 1960s, Mandela's fame had been eclipsed by Steve Biko and the Black Consciousness Movement (BCM). Seeing the ANC as ineffectual, the BCM called for militant action, but following the Soweto uprising of 1976, many BCM activists were imprisoned on Robben Island.[144] Mandela tried to build a relationship with these young radicals, although he was critical of their racialism and contempt for white anti-apartheid activists.[145] Renewed international interest in his plight came in July 1978, when he celebrated his 60th birthday.[146] He was awarded an honorary doctorate in Lesotho, the Jawaharlal Nehru Award for International Understanding in India in 1979, and the Freedom of the City of Glasgow, Scotland in 1981.[147][148][149] In March 1980 the slogan "Free Mandela!" was developed by journalist Percy Qoboza, sparking an international campaign that led the UN Security Council to call for his release.[150]Despite increasing foreign pressure, the government refused, relying on powerful foreign Cold War allies in US President Ronald Reaganand UK Prime Minister Margaret Thatcher; Thatcher considered Mandela a communist terrorist and supported the suppression of the ANC.[151]
Pollsmoor Prison: 1982–1988
In April 1982 Mandela was transferred to Pollsmoor Prison in Tokai, Cape Town along with senior ANC leaders Walter Sisulu, Andrew Mlangeni, Ahmed Kathrada and Raymond Mhlaba; they believed that they were being isolated to remove their influence on younger activists.[152] Conditions at Pollsmoor were better than at Robben Island, although Mandela missed the camaraderie and scenery of the island.[153] Getting on well with Pollsmoor's commanding officer, Brigadier Munro, Mandela was permitted to create a roof garden,[154]also reading voraciously and corresponding widely, now permitted 52 letters a year.[155] He was appointed patron of the multi-racialUnited Democratic Front (UDF), founded to combat reforms implemented by South African President P.W. Botha. Botha's National Party government had permitted Coloured and Indian citizens to vote for their own parliaments which would have control over education, health, and housing, but black Africans were excluded from the system; like Mandela, the UDF saw this as an attempt to divide the anti-apartheid movement on racial lines.[156]
Violence across the country escalated, with many fearing civil war. Under pressure from an international lobby, multinational banks stopped investing in South Africa, resulting in economic stagnation. Numerous banks and Thatcher asked Botha to release Mandela – then at the height of his international fame – to defuse the volatile situation.[157] Although considering Mandela a dangerous "arch-Marxist",[158] in February 1985 Botha offered him a release from prison on condition that he '"unconditionally rejected violence as a political weapon". Mandela spurned the offer, releasing a statement through his daughter Zindzi stating "What freedom am I being offered while the organisation of the people [ANC] remains banned? Only free men can negotiate. A prisoner cannot enter into contracts."[159]
In 1985 Mandela underwent surgery on an enlarged prostate gland, before being given new solitary quarters on the ground floor.[160] He was met by "seven eminent persons", an international delegation sent to negotiate a settlement, but Botha's government refused to co-operate, in June calling a state of emergency and initiating a police crackdown on unrest. The anti-apartheid resistance fought back, with the ANC committing 231 attacks in 1986 and 235 in 1987. Utilising the army and right-wing paramilitaries to combat the resistance, the government secretly funded Zulu nationalist movementInkatha to attack ANC members, furthering the violence.[161] Mandela requested talks with Botha but was denied, instead secretly meeting with Minister of Justice Kobie Coetsee in 1987, having a further 11 meetings over 3 years. Coetsee organised negotiations between Mandela and a team of four government figures starting in May 1988; the team agreed to the release of political prisoners and the legalisation of the ANC on the condition that they permanently renounce violence, break links with the Communist Party and not insist on majority rule. Mandela rejected these conditions, insisting that the ANC would only end the armed struggle when the government renounced violence.[162]
Mandela's 70th birthday in July 1988 attracted international attention, notably with the Nelson Mandela 70th Birthday Tribute concert at London's Wembley Stadium.[163] Although presented globally as a heroic figure, he faced personal problems when ANC leaders informed him that Winnie had set herself up as head of a criminal gang, the "Mandela United Football Club", who had been responsible for torturing and killing opponents – including children – in Soweto. Though some encouraged him to divorce her, he decided to remain loyal until she was found guilty by trial.[164]
Victor Verster Prison and release: 1988–1990
Recovering from tuberculosis caused by dank conditions in his cell,[165] in December 1988 Mandela was moved to Victor Verster Prison near Paarl. Here, he was housed in the relative comfort of a warders house with a personal cook, using the time to complete his LLB degree.[166] Allowed many visitors, Mandela organised secret communications with exiled ANC leader Oliver Tambo.[167] In 1989, Botha suffered a stroke, retaining the state presidency but stepping down as leader of the National Party, to be replaced by the conservative F. W. de Klerk.[168] In a surprise move, Botha invited Mandela to a meeting over tea in July 1989, an invitation Mandela considered genial.[169]Botha was replaced as state president by de Klerk six weeks later; the new president believed that apartheid was unsustainable and unconditionally released all ANC prisoners except Mandela.[170]Following the fall of the Berlin Wall in November 1989, de Klerk called his cabinet together to debate legalising the ANC and freeing Mandela. Although some were deeply opposed to his plans, de Klerk met with Mandela in December to discuss the situation, a meeting both men considered friendly, before releasing Mandela unconditionally and legalising all formerly banned political parties on 2 February 1990.[171] The first photographs of Mandela were allowed to be published in South Africa for 20 years.[172]
Leaving Victor Verster on 11 February, Mandela held Winnie's hand in front of amassed crowds and press; the event was broadcast live across the world.[173] Driven to Cape Town's City Hall through crowds, he gave a speech declaring his commitment to peace and reconciliation with the white minority, but made it clear that the ANC's armed struggle was not over, and would continue as "a purely defensive action against the violence of apartheid." He expressed hope that the government would agree to negotiations, so that "there may no longer be the need for the armed struggle", and insisted that his main focus was to bring peace to the black majority and give them the right to vote in national and local elections.[174] Staying at the home of Desmond Tutu, in the following days Mandela met with friends, activists, and press, giving a speech to 100,000 people at Johannesburg's Soccer City.[175]
End of apartheid
Early negotiations: 1990–1991
Mandela proceeded on an African tour, meeting supporters and politicians in Zambia, Zimbabwe, Namibia, Libya and Algeria, continuing to Sweden where he was reunited with Tambo, and then London, where he appeared at the Nelson Mandela: An International Tribute for a Free South Africa concert in Wembley Stadium.[176] Encouraging foreign countries to support sanctions against the apartheid government, in France he was welcomed by President François Mitterrand, in Vatican City by Pope John Paul II, and in England he met Margaret Thatcher. In the United States, he met President George H.W. Bush, addressed both Houses of Congress and visited eight cities, being particularly popular among the African-American community.[177] In Cuba he met President Fidel Castro, whom he had long emulated, with the two becoming friends.[178] In Asia he met President R. Venkataraman in India, President Suharto in Indonesia and Prime Minister Mahathir Mohamad in Malaysia, before visiting Australia to meet Prime Minister Bob Hawke and Japan; he notably did not visit the Soviet Union, a longtime ANC supporter.[179]
In May 1990, Mandela led a multiracial ANC delegation into preliminary negotiations with a government delegation of 11 Afrikaner men. Mandela impressed them with his discussions of Afrikaner history, and the negotiations led to the Groot Schuur Minute, in which the government lifted the state of emergency. In August Mandela – recognising the ANC's severe military disadvantage – offered a ceasefire, the Pretoria Minute, for which he was widely criticised by MK activists.[180] He spent much time trying to unify and build the ANC, appearing at a Johannesburg conference in December attended by 1600 delegates, many of whom found him more moderate than expected.[181] At the ANC's July 1991 national conference in Durban, Mandela admitted the party's faults and announced his aim to build a "strong and well-oiled task force" for securing majority rule. At the conference, he was elected ANC President, replacing the ailing Tambo, while a 50-strong multiracial, multi-gendered national executive was elected.[182]
Mandela was given an office in the newly purchased ANC headquarters at Shell House, central Johannesburg, while moving with Winnie to her large Soweto home.[183] Their marriage was increasingly strained as he learned of her affair with Dali Mpofu, but he supported her during her trial for kidnapping and assault. He gained funding for her defence from the International Defence and Aid Fund for Southern Africa and from Libyan leader Muammar Gaddafi, but in June 1991 she was found guilty and sentenced to six years in prison, reduced to two on appeal. On 13 April 1992, Mandela publicly announced his separation from Winnie, while the ANC forced her to step down from the national executive for misappropriating ANC funds; Mandela moved into the mostly white Johannesburg suburb ofHoughton.[184] Mandela's reputation was further damaged by the increase in "black-on-black" violence, particularly between ANC and Inkatha supporters in KwaZulu-Natal, in which thousands died. Mandela met with Inkatha leader Buthelezi, but the ANC prevented further negotiations on the issue. Mandela recognised that there was a "third force" within the state intelligence services fuelling the "slaughter of the people" and openly blamed de Klerk – whom he increasingly distrusted – for the Sebokeng massacre.[185] In September 1991 a national peace conference was held in Johannesburg in which Mandela, Buthelezi and de Klerk signed a peace accord, though the violence continued.[186]
CODESA talks: 1991–1992
The Convention for a Democratic South Africa (CODESA) began in December 1991 at the Johannesburg World Trade Center, attended by 228 delegates from 19 political parties. Although Cyril Ramaphosa led the ANC's delegation, Mandela remained a key figure, and after de Klerk used the closing speech to condemn the ANC's violence, he took to the stage to denounce him as "head of an illegitimate, discredited minority regime". Dominated by the National Party and ANC, little negotiation was achieved.[187] CODESA 2 was held in May 1992, in which de Klerk insisted that post-apartheid South Africa must use a federal system with a rotating presidency to ensure the protection of ethnic minorities; Mandela opposed this, demanding a unitary system governed by majority rule.[188]Following the Boipatong massacre of ANC activists by government-aided Inkatha militants, Mandela called off the negotiations, before attending a meeting of the Organisation of African Unity in Senegal, at which he called for a special session of the UN Security Council and proposed that a UN peacekeeping force be stationed in South Africa to prevent "state terrorism". The UN subsequently sent special envoy Cyrus Vance to the country to aid negotiations.[189] Calling for domestic mass action, in August the ANC organised the largest-ever strike in South African history, while supporters marched on Pretoria.[190]
Following the Bisho massacre, in which 28 ANC supporters and one soldier were shot dead by the Ciskei Defence Force during a protest march, Mandela realised that mass action was leading to further violence and resumed negotiations in September. He agreed to do so on the conditions that all political prisoners be released, that Zulu traditional weapons be banned, and that Zulu hostels would be fenced off, the latter two measures to prevent further Inkatha attacks; under increasing pressure, de Klerk reluctantly agreed. The negotiations agreed that a multiracial general election would be held, resulting in a five-year coalition government of national unity and a constitutional assembly that gave the National Party continuing influence. The ANC also conceded to safeguarding the jobs of white civil servants; such concessions brought fierce internal criticism.[191] The duo agreed on an interim constitution, guaranteeing separation of powers, creating a constitutional court, and including a US-style bill of rights; it also divided the country into nine provinces, each with its own premier and civil service, a concession between de Klerk's desire for federalism and Mandela's for unitary government.[192]
The democratic process was threatened by the Concerned South Africans Group (COSAG), an alliance of far-right Afrikaner parties and black ethnic-secessionist groups like Inkatha; in June 1993 the white supremacist Afrikaner Weerstandsbeweging (AWB) attacked the Kempton Park World Trade Centre.[193] Following the murder of ANC leader Chris Hani, Mandela made a publicised speech to calm rioting, soon after appearing at a mass funeral in Soweto for Tambo, who had died from a stroke.[194] In July 1993, both Mandela and de Klerk visited the US, independently meeting President Bill Clinton and each receiving the Liberty Medal.[195] Soon after, they were jointly awarded the Nobel Peace Prize in Norway.[196] Influenced by young ANC leader Thabo Mbeki, Mandela began meeting with big business figures, and played down his support for nationalisation, fearing that he would scare away much-needed foreign investment. Although criticised by socialist ANC members, he was encouraged to embrace private enterprise by members of the Chinese and Vietnamese Communist parties at the January 1992 World Economic Forum in Switzerland.[197] Mandela also made a cameo appearance as a schoolteacher reciting one of Malcolm X's speeches in the final scene of the 1992 film Malcolm X.[198]
General election: 1994
With the election set for 27 April 1994, the ANC began campaigning, opening 100 election offices and hiring advisor Stanley Greenberg. Greenberg orchestrated the foundation of People's Forums across the country, at which Mandela could appear; though a poor public speaker, he was a popular figure with great status among black South Africans.[199] The ANC campaigned on a Reconstruction and Development Programme (RDP) to build a million houses in five years, introduce universal free education and extend access to water and electricity. The party's slogan was "a better life for all", although it was not explained how this development would be funded.[200] With the exception of theWeekly Mail and the New Nation, South Africa's press opposed Mandela's election, fearing continued ethnic strife, instead supporting the National or Democratic Party.[201] Mandela devoted much time to fundraising for the ANC, touring North America, Europe and Asia to meet wealthy donors, including former supporters of the apartheid regime.[202] He also urged a reduction in the voting age from 18 to 14; rejected by the ANC, this policy became the subject of ridicule.[203]
Concerned that COSAG would undermine the election, particularly in the wake of the Battle of Bop and Shell House Massacre – incidents of violence involving the AWB and Inkatha, respectively – Mandela met with Afrikaner politicians and generals, including P.W. Botha, Pik Botha and Constand Viljoen, persuading many to work within the democratic system, and with de Klerk convinced Inkatha's Buthelezi to enter the elections rather than launch a war of secession.[204] As leaders of the two major parties, de Klerk and Mandela appeared on a televised debate; although de Klerk was widely considered the better speaker at the event, Mandela's offer to shake his hand surprised him, leading some commentators to consider it a victory for Mandela.[205] The election went ahead with little violence, although an AWB cell killed 20 with car bombs. Mandela voted at theOhlange High School in Durban, and though he was elected President, he publicly accepted that the election had been marred by instances of fraud and sabotage.[206] Having taken 62% of the national vote, the ANC was just short of the two-thirds majority needed to unilaterally change the constitution. The ANC was also victorious in 7 provinces, with Inkatha and the National Party each taking another.[207]
Presidency of South Africa: 1994–1999
Mandela's inauguration took place in Pretoria on 10 May 1994, televised to a billion viewers globally. The event was attended by 4000 guests, including world leaders from disparate backgrounds.[208] South Africa's first black President, Mandela became head of aGovernment of National Unity dominated by the ANC – which alone had no experience of governance – but containing representatives from the National Party and Inkatha. In keeping with earlier agreements, de Klerk became first Deputy President, while Thabo Mbeki was selected as second.[209] Although Mbeki had not been his first choice for the job, Mandela would grow to rely heavily on him throughout his presidency, allowing him to organise policy details.[210] Moving into the presidential office at Tuynhuys in Cape Town, Mandela allowed de Klerk to retain the presidential residence in the Groote Schuur estate, instead settling into the nearby Westbrooke manor, which he renamed "Genadendal", meaning "Valley of Mercy" in Afrikaans.[211] Retaining his Houghton home, he also had a house built in his home village of Qunu, which he visited regularly, walking around the area, meeting with locals, and judging tribal disputes.[212]
Aged 76, he faced various ailments, and although exhibiting continued energy, he felt isolated and lonely.[213] He often entertained celebrities, such as Michael Jackson, Whoopi Goldberg, and the Spice Girls, and befriended a number of ultra-rich businessman, like Harry Oppenheimer of Anglo-American, as well as British monarch Elizabeth II on her March 1995state visit to South Africa, resulting in strong criticism from ANC anti-capitalists.[214] Despite his opulent surroundings, Mandela lived simply, donating a third of his 552,000 rand annual income to the Nelson Mandela Children's Fund, which he had founded in 1995.[215] Although speaking out in favour of freedom of the press and befriending many journalists, Mandela was critical of much of the country's media, noting that it was overwhelmingly owned and run by middle-class whites and believing that it focused too much on scaremongering around crime.[216] Changing clothes several times a day, after assuming the presidency, one of Mandela's trademarks was his use of Batik shirts, known as "Madiba shirts", even on formal occasions.[217]
In December 1994, Mandela's autobiography, Long Walk to Freedom, was finally published.[218] In late 1994 he attended the 49th conference of the ANC in Bloemfontein, at which a more militant National Executive was elected, among them Winnie Mandela; although she expressed an interest in reconciling, Nelson initiated divorce proceedings in August 1995.[219] By 1995 he had entered into a relationship with Graça Machel, a Mozambican political activist 27 years his junior who was the widow of former presidentSamora Machel. They had first met in July 1990, when she was still in mourning, but their friendship grew into a partnership, with Machel accompanying him on many of his foreign visits. She turned down Mandela's first marriage proposal, wanting to retain some independence and dividing her time between Mozambique and Johannesburg.[220]
National reconciliation
Presiding over the transition from apartheid minority rule to a multicultural democracy, Mandela saw national reconciliation as the primary task of his presidency.[221] Having seen other post-colonial African economies damaged by the departure of white elites, Mandela worked to reassure South Africa's white population that they were protected and represented in "the Rainbow Nation".[222]Mandela attempted to create the broadest possible coalition in his cabinet, with de Klerk as first Deputy President while other National Party officials became ministers for Agriculture, Energy, Environment, and Minerals and Energy, and Buthelezi was named Minister for Home Affairs.[223] The other cabinet positions were taken by ANC members, many of whom – like Joe Modise, Alfred Nzo, Joe Slovo,Mac Maharaj and Dullah Omar – had long been comrades, although others, such as Tito Mboweni and Jeff Radebe, were much younger.[224] Mandela's relationship with de Klerk was strained; Mandela thought that de Klerk was intentionally provocative, while de Klerk felt that he was being intentionally humiliated by the president. In January 1995, Mandela heavily chastised him for awarding amnesty to 3,500 police just before the election, and later criticised him for defending former Minister of Defence Magnus Malan when the latter was charged with murder.[225]
Mandela personally met with senior figures of the apartheid regime, including Hendrik Verwoerd's widow Betsie Schoombie and the lawyer Percy Yutar; emphasising personal forgiveness and reconciliation, he announced that "courageous people do not fear forgiving, for the sake of peace."[226] He encouraged black South Africans to get behind the previously hated national rugby team, the Springboks, as South Africa hosted the 1995 Rugby World Cup. After the Springboks won an epic final over New Zealand, Mandela presented the trophy to captain Francois Pienaar, an Afrikaner, wearing a Springbok shirt with Pienaar's own number 6 on the back. This was widely seen as a major step in the reconciliation of white and black South Africans; as de Klerk later put it, "Mandela won the hearts of millions of white rugby fans."[227] Mandela's efforts at reconciliation assuaged the fears of whites, but also drew criticism from more militant blacks. His estranged wife, Winnie, accused the ANC of being more interested in appeasing whites than in helping blacks.[228]
More controversially, Mandela oversaw the formation of a Truth and Reconciliation Commission to investigate crimes committed under apartheid by both the government and the ANC, appointing Desmond Tutu as its chair. To prevent the creation of martyrs, the Commission granted individual amnesties in exchange for testimony of crimes committed during the apartheid era. Dedicated in February 1996, it held two years of hearings detailing rapes, torture, bombings, and assassinations, before issuing its final report in October 1998. Both de Klerk and Mbeki appealed to have parts of the report suppressed, though only de Klerk's appeal was successful.[229] Mandela praised the Commission's work, stating that it "had helped us move away from the past to concentrate on the present and the future".[230]
Domestic programmes
Mandela's administration inherited a country with a huge disparity in wealth and services between white and black communities. Of a population of 40 million, around 23 million lacked electricity or adequate sanitation, 12 million lacked clean water supplies, with 2 million children not in school and a third of the population illiterate. There was 33% unemployment, and just under half of the population lived below the poverty line.[231] Government financial reserves were nearly depleted, with a fifth of the national budget being spent on debt repayment, meaning that the extent of the promised Reconstruction and Development Programme (RDP) was scaled back, with none of the proposed nationalisation or job creation.[232] Instead, the government adopted liberal economic policies designed to promote foreign investment, adhering to the "Washington consensus" advocated by theWorld Bank and International Monetary Fund.[233]
Under Mandela's presidency, welfare spending increased by 13% in 1996/97, 13% in 1997/98, and 7% in 1998/99.[234] The government introduced parity in grants for communities, including disability grants, child maintenance grants, and old-age pensions, which had previously been set at different levels for South Africa's different racial groups.[234] In 1994, free healthcare was introduced for children under six and pregnant women, a provision extended to all those using primary level public sector health care services in 1996.[235] By the 1999 election, the ANC could boast that due to their policies, 3 million people were connected to telephone lines, 1.5 million children were brought into the education system, 500 clinics were upgraded or constructed, 2 million people were connected to the electricity grid, water access was extended to 3 million people, and 750,000 houses were constructed, housing nearly 3 million people.[236]
The Land Restitution Act of 1994 enabled people who had lost their property as a result of the Natives Land Act, 1913 to claim back their land, leading to the settlement of tens of thousands of land claims.[237] The Land Reform Act 3 of 1996 safeguarded the rights of labour tenants who live and grow crops or graze livestock on farms. This legislation ensured that such tenants could not be evicted without a court order or if they were over the age of sixty-five.[238] The Skills Development Act of 1998 provided for the establishment of mechanisms to finance and promote skills development at the workplace.[239] The Labour Relations Act of 1995 promoted workplace democracy, orderly collective bargaining, and the effective resolution of labour disputes.[240] The Basic Conditions of Employment Act of 1997 improved enforcement mechanisms while extending a "floor" of rights to all workers,[240] while the Employment Equity Act of 1998 was passed to put an end to unfair discrimination and ensure the implementation of affirmative action in the workplace.[240]
Many domestic problems however remained. Critics like Edwin Cameron accused Mandela's government of doing little to stem the HIV/AIDS pandemic in the country; by 1999, 10% of South Africa's population were HIV positive. Mandela later admitted that he had personally neglected the issue, leaving it for Mbeki to deal with.[241] Mandela also received criticism for failing to sufficiently combat crime, South Africa having one of the world's highest crime rates; this was a key reason cited by the 750,000 whites who emigrated in the late 1990s.[242] Mandela's administration was mired in corruption scandals, with Mandela being perceived as "soft" on corruption and greed.[243]
Foreign affairs
Following the South African example, Mandela encouraged other nations to resolve conflicts through diplomacy and reconciliation.[245] He echoed Mbeki's calls for an "African Renaissance", and was greatly concerned with issues on the continent; he took a soft diplomatic approach to removing Sani Abacha's military junta in Nigeria but later became a leading figure in calling for sanctions when Abacha's regime increased human rights violations.[246] In 1996 he was appointed Chairman of the Southern African Development Community (SADC) and initiated unsuccessful negotiations to end the First Congo War in Zaire.[247] In South Africa's first post-apartheid military operation, Mandela ordered troops into Lesotho in September 1998 to protect the government of Prime Minister Pakalitha Mosisili after a disputed election prompted opposition uprisings.[248]
In September 1998, Mandela was appointed Secretary-General of the Non-Aligned Movement, who held their annual conference in Durban. He used the event to criticise the "narrow, chauvinistic interests" of the Israeli government in stalling negotiations to end the Israeli-Palestinian conflict and urged India and Pakistan to negotiate to end theKashmir conflict, for which he was criticised by both Israel and India.[249] Inspired by the region's economic boom, Mandela sought greater economic relations with East Asia, in particular with Malaysia, although this was scuppered by the 1997 Asian financial crisis.[250] He attracted controversy for his close relationship with Indonesian President Suharto, whose regime was responsible for mass human rights abuses, although privately urged him to withdraw from the occupation of East Timor.[251]
Mandela faced similar criticism from the west for his personal friendships with Fidel Castro and Muammar Gaddafi. Castro visited in 1998, to widespread popular acclaim, while Mandela met Gaddafi in Libya to award him the Order of Good Hope.[252] When western governments and media criticised these visits, Mandela lambasted the criticisms as having racist undertones.[253] Mandela hoped to resolve the long-running dispute between Libya and the US and Britain over bringing to trial the two Libyans, Abdelbaset al-Megrahi andLamin Khalifah Fhimah, who were indicted in November 1991 and accused of sabotaging Pan Am Flight 103. Mandela proposed that they be tried in a third country, which was agreed to by all parties; governed by Scots law, the trial was held at Camp Zeist in the Netherlands in April 1999, and found one of the two men guilty.[254]
Withdrawing from politics
The new Constitution of South Africa was agreed upon by parliament in May 1996, enshrining a series of institutions to check political and administrative authority within a constitutional democracy.[255] De Klerk however opposed the implementation of this constitution, withdrawing from the coalition government in protest.[256] The ANC took over the cabinet positions formerly held by the National Party, with Mbeki becoming sole Deputy President.[257] When both Mandela and Mbeki were out of the country in one occasion, Buthelezi was appointed "Acting President", marking an improvement in his relationship with Mandela.[258]
Mandela stepped down as ANC President at the December 1997 conference, and although hoping that Ramaphosa would replace him, the ANC elected Mbeki to the position; Mandela admitted that by then, Mbeki had become "de facto President of the country". Replacing Mbeki as Deputy President, Mandela and the Executive supported the candidacy of Jacob Zuma, a Zulu who had been imprisoned on Robben Island, but he was challenged by Winnie, whose populist rhetoric had gained her a strong following within the party; Zuma defeated her in a landslide victory vote at the election.[259]
Mandela's relationship with Machel had intensified; in February 1998 he publicly stated that "I'm in love with a remarkable lady", and under pressure from his friend Desmond Tutu, who urged him to set an example for young people, he set a wedding for his 80th birthday, in July.[260] The following day he held a grand party with many foreign dignitaries.[261] Mandela had never planned on standing for a second term in office, and gave his farewell speech on 29 March 1999, after which he retired.[262]
Retirement
Continued activism and philanthropy: 1999–2004
Retiring in June 1999, Mandela sought a quiet family life, to be divided between Johannesburg and Qunu. He set about authoring a sequel to his first autobiography, to be titled The Presidential Years, but it was abandoned before publication.[263] Finding such seclusion difficult, he reverted to a busy public life with a daily programme of tasks, meeting with world leaders and celebrities, and when in Johannesburg worked with the Nelson Mandela Foundation, founded in 1999 to focus on combating HIV/AIDS, rural development and school construction.[264] Although he had been heavily criticised for failing to do enough to fight the pandemic during his presidency, he devoted much of his time to the issue following his retirement, describing it as "a war" that had killed more than "all previous wars", and urged Mbeki's government to ensure that HIV+ South Africans had access to retrovirals.[265] In 2000, the Nelson Mandela Invitational charity golf tournament was founded, hosted by Gary Player.[266] Mandela was successfully treated for prostate cancer in July 2001.[267]
In 2002, Mandela inaugurated the Nelson Mandela Annual Lecture, and in 2003 the Mandela Rhodes Foundation was created atRhodes House, University of Oxford, to provide postgraduate scholarships to African students. These projects were followed by the Nelson Mandela Centre of Memory and the 46664 campaign against HIV/AIDS.[268] He gave the closing address at the XIII International AIDS Conference in Durban in 2000,[269] and in 2004, spoke at the XV International AIDS Conference in Bangkok, Thailand.[270]
Publicly, Mandela became more vocal in criticising Western powers. He strongly opposed the 1999 NATO intervention in Kosovo and called it an attempt by the world's powerful nations to police the entire world.[271] In 2003 he spoke out against the plans for the US and UK to launch the War in Iraq, describing it as "a tragedy" and lambasting US President George W. Bush and UK Prime Minister Tony Blair for undermining the UN. He attacked the US more generally, asserting that it had committed more "unspeakable atrocities" across the world than any other nation, citing the atomic bombing of Japan; this attracted international controversy, although he would subsequently reconcile his relationship with Blair.[272] Retaining an interest in Libyan-UK relations, he visited Megrahi in Barlinnie prisonand spoke out against the conditions of his treatment, referring to them as "psychological persecution".[273]
"Retiring from retirement", illness: 2004–2013
In June 2004, aged 85 and amid failing health, Mandela announced that he was "retiring from retirement" and retreating from public life, remarking "Don't call me, I will call you."[274]Although continuing to meet with close friends and family, the Foundation discouraged invitations for him to appear at public events and denied most interview requests.[275]
He retained some involvement in international affairs. In 2005, he founded the Nelson Mandela Legacy Trust,[276] travelling to the U.S., to speak before the Brookings Institute and the NAACP on the need for economic assistance to Africa.[276][277] He spoke with U.S. Senator Hillary Clinton and President George W. Bush and first met then-U.S. SenatorBarack Obama.[277] Mandela also encouraged Zimbabwean President Robert Mugabe to resign over growing human rights abuses in the country. When this proved ineffective, he spoke out publicly against Mugabe in 2007, asking him to step down "with residual respect and a modicum of dignity."[278] That year, Mandela, Machel, and Desmond Tutu convened a group of world leaders in Johannesburg to contribute their wisdom and independent leadership to some of the world's toughest problems. Mandela announced the formation of this new group, The Elders, in a speech delivered on his 89th birthday.[279]
Mandela's 90th birthday was marked across the country on 18 July 2008, with the main celebrations held at Qunu,[280] and a concert in his honour in Hyde Park, London.[281] In a speech marking the event, Mandela called for the rich to help the poor across the world.[280]Throughout Mbeki's presidency, Mandela continued to support the ANC, although usually overshadowed Mbeki at any public events that the two attended. Mandela was more at ease with Mbeki's successor Jacob Zuma, although the Nelson Mandela Foundation were upset when his grandson, Mandla Mandela, flew him out to the Eastern Cape to attend a pro-Zuma rally in the midst of a storm in 2009.[282]
In 2004, Mandela had successfully campaigned for South Africa to host the 2010 FIFA World Cup, declaring that there would be "few better gifts for us in the year" marking a decade since the fall of apartheid. Mandela emotionally raised the FIFA World Cup Trophy after South Africa was awarded host status.[283] Despite maintaining a low-profile during the event due to ill-health, Mandela made what would be his final public appearance during the World Cup closing ceremony, where he received a "rapturous reception".[284][285]Between 2005 and 2013, Mandela, and later his family, were embroiled in a series of legal disputes regarding money held in family trusts for the benefit of his descendants.[286] In mid-2013, as Mandela was hospitalised for a lung infection in Pretoria, his descendants were involved in intra-family legal dispute relating to the burial place of Mandela's deceased children, and ultimately Mandela himself.[287][288][289]
In February 2011, he was briefly hospitalised with a respiratory infection, attracting international attention,[290] before being re-hospitalised for a lung infection and gallstone removal in December 2012.[291] After a successful medical procedure in early March 2013,[292] his lung infection recurred, and he was briefly hospitalised in Pretoria.[293] On 8 June 2013, his lung infection worsened, and he was rehospitalised in Pretoria in a serious condition.[294] After four days, it was reported that he had stabilised and remained in a "serious, but stable condition".[295] En route to the hospital, his ambulance broke down and was stranded on the roadside for 40 minutes. The government was criticised for the incident, but Zuma countered that throughout, Mandela was given "expert medical care."[296]
On 22 June 2013, CBS News stated that he had not opened his eyes in days and was unresponsive, and the family was discussing how much medical intervention should be given.[297] Former bodyguard Shaun van Heerden, described by CBS News as "Mandela's constant companion for the last 12 years", had publicly asked the family to "set him free" a week prior.[298] On 23 June 2013, Zuma announced that Mandela's condition had become "critical".[299][300][301] Zuma, accompanied by the Deputy President of the ANC, Cyril Ramaphosa, met Mandela's wife Graça Machel at the hospital in Pretoria and discussed his condition.[302] On 25 June Cape Town Archbishop Thabo Makgoba visited Mandela at the hospital and prayed with Graça Machel Mandela "at this hard time of watching and waiting".[303] The next day, Zuma visited Mandela in the hospital and canceled a visit scheduled for the next day to Mozambique.[304] A relative of Mandela told The Daily Telegraphnewspaper he was on life support.[305]
On 4 July, it was reported that David Smith, a lawyer acting on behalf of Mandela family members, claimed in court on 26 June that Mandela was in a permanent vegetative state and life support should be shut off.[306][307][308] The South African Presidency stated that the doctors treating Mandela denied that he was in a vegetative state.[309][310] On 10 July, Zuma's office announced that Mandela remained in critical but stable condition, and was responding to treatment.[311]
On 1 September 2013, Mandela was discharged from hospital[312] although his condition remained unstable.[313]
Death and funeral
Mandela died of a lung infection on 5 December 2013 at his home in Houghton, Johannesburg surrounded by his family. He was 95 years of age.[314] His death was announced by President Jacob Zuma.[314][315] On 6 December Zuma announced a national mourning period of ten days, with the main event being an official memorial service to be held at the FNB Stadium in Johannesburg on 10 December 2013. Mandela's body will lie in state from 11 to 13 December at the Union Buildings in Pretoria and a state funeral will be held on 15 December 2013 in Qunu.[316][317]
Personal and public life
Image
Across the world, Mandela came to be seen as "a moral authority" with a great "concern for truth".[318] Considered friendly and welcoming, Mandela exhibited a "relaxed charm" when talking to others, including his opponents.[319] Although often befriending millionaires and dignitaries, he enjoyed talking with their staff when at official functions.[320] In later life, he was known for looking for the best in everyone, even defending political opponents to his allies, though some thought him too trusting of others.[321] He was renowned for his stubbornness and loyalty,[322] and exhibited a "hot temper" which could flare up in anger in certain situations, also being "moody and dejected" away from the public eye.[323] He also had a mischievous sense of humour.[324]
Very conscious of his image, throughout his life he sought fine quality clothes, carrying himself in a "regal style" stemming from his childhood in the Thembu royal house, and during his presidency was often compared to a constitutional monarch.[325] Considered a "master of imagery and performance", he excelled at presenting himself well in press photographs and producing soundbites.[326]
In late 1996 Mandela was asked by friends if he was religious, Mandela explained he was a Methodist but he felt at ease in any house of prayer.
Political ideology
Mandela was an African nationalist, an ideological position he held since joining the ANC,[327] also being "a democrat, and a socialist".[328] Although he presented himself in an autocratic manner in several speeches, Mandela was a devout believer in democracy and would abide by majority decisions even when deeply disagreeing with them.[329] He held a conviction that "inclusivity, accountability and freedom of speech" were the fundamentals of democracy,[330] and was driven by a belief in natural and human rights.[331] This belief drove him to not only pursue racial equality but also to promote gay rights as part of the post-apartheid reforms.[332]
A democratic socialist, Mandela was "openly opposed to capitalism, private land-ownership and the power of big money".[333] Influenced by Marxism, during the revolution Mandela advocated scientific socialism,[334] although he denied being a communist during the Treason Trial.[335] Biographer David James Smith thought this untrue, stating that Mandela "embraced communism and communists" in the late 1950s and early 1960s, though was a "fellow traveller" rather than a party member.[336] In the 1955 Freedom Charter, which Mandela had helped create, it called for the nationalisation of banks, gold mines, and land, believing it necessary to ensure equal distribution of wealth.[337] Despite these beliefs, Mandela nationalised nothing during his presidency, fearing that this would scare away foreign investors. This decision was in part influenced by the fall of the socialist states in the Soviet Union and Eastern Bloc during the early 1990s.[338]
Family
Mandela was married three times, fathered six children, had 17 grandchildren[339] and a growing number of great-grandchildren.[340] He could be stern and demanding of his children, although he was more affectionate with his grandchildren.[341]
Mandela's first marriage was to Evelyn Ntoko Mase, who was also from the Transkei, although they met in Johannesburg before being married in October 1944.[54] The couple broke up in 1957 after 13 years, divorcing under the multiple strains of his adultery and constant absences, devotion to revolutionary agitation, and the fact that she was a member of the Jehovah's Witnesses, a religion requiring political neutrality.[86] The couple had two sons, Madiba "Thembi" Thembekile (1946–1969) and Makgatho Mandela (1950–2005), and two daughters, both named Makaziwe Mandela (known as Maki; born 1947 and 1953). Their first daughter died aged nine months, and they named their second daughter in her honour.[citation needed] Mase died in 2004, and Mandela attended her funeral.[342] Makgatho's son, Mandla Mandela, became chief of the Mvezo tribal council in 2007.[343]
Mandela's second wife, Winnie Madikizela-Mandela, also came from the Transkei area, although they, too, met in Johannesburg, where she was the city's first black social worker.[344] They had two daughters, Zenani (Zeni), born 4 February 1958, and Zindziswa (Zindzi) Mandela-Hlongwane, born 1960.[344] Zindzi was only 18 months old when her father was sent to Robben island. Later, Winnie would be deeply torn by family discord which mirrored the country's political strife; separation (April 1992) and divorce (March 1996), fueled by political estrangement.[345] Mandela was still in prison when his daughter Zenani was married in 1973 to Prince Thumbumuzi Dlamini, a brother of both King Mswati III of Swaziland[346] and of Queen Mantfombi of the Zulus.[347] Although she had vivid memories of her father, from the age of four up until sixteen, South African authorities did not permit her to visit him.[348] In July 2012, Zenani was appointed ambassador to Argentina, becoming the first of Mandela's three remaining children to enter public life.[349]
Mandela remarried on his 80th birthday in 1998, to his third wife, Graça Machel (née Simbine), widow of Samora Machel, the former Mozambican president and ANC ally who was killed in an air crash 12 years earlier.[350]
Legacy
Orders, decorations, and monuments
Within South Africa, Mandela was widely considered to be "the father of the nation",[351] and "the founding father of democracy",[352] being seen as "the national liberator, the saviour, itsWashington and Lincoln rolled into one".[353] In 2004, Johannesburg granted Mandela thefreedom of the city,[354] and the Sandton Square shopping centre was renamed Nelson Mandela Square, after a Mandela statue was installed there.[355] In 2008, another Mandela statue was unveiled at Groot Drakenstein Correctional Centre, formerly Victor Verster Prison, near Cape Town, standing on the spot where Mandela was released from the prison.[356]
He has also received international acclaim. In 1993, he received the joint Nobel Peace Prize with de Klerk.[357] In November 2009, the United Nations General Assembly proclaimed Mandela's birthday, 18 July, as "Mandela Day", marking his contribution to the anti-apartheid struggle. It called on individuals to donate 67 minutes to doing something for others, commemorating the 67 years that Mandela had been a part of the movement.[358]
Awarded the US Presidential Medal of Freedom,[359] and the Order of Canada,[360] he was the first living person to be made anhonorary Canadian citizen.[361] The last recipient of the Soviet Union's Lenin Peace Prize from the Soviet Union,[362] and first recipient of the Al-Gaddafi International Prize for Human Rights,[363] in 1990 he received the Bharat Ratna Award from the government of India,[364] and in 1992 received Pakistan's Nishan-e-Pakistan.[365] In 1992 he was awarded the Atatürk Peace Award by Turkey. He refused the award, citing human rights violations committed by Turkey at the time,[366] but later accepted the award in 1999.[362]Elizabeth II awarded him the Bailiff Grand Cross of the Order of St. John and the Order of Merit.[367]
Tributes by musicians
Many artists have dedicated songs to Mandela. One of the most popular was from The Special AKAwho recorded the song "Free Nelson Mandela" in 1983, which Elvis Costello also recorded and had a hit with. Stevie Wonder dedicated his 1985 Oscar for the song "I Just Called to Say I Love You" to Mandela, resulting in his music being banned by the South African Broadcasting Corporation.[368] In 1985, Youssou N'Dour's album Nelson Mandela was the Senegalese artist's first US release. Other artists who released songs or videos honouring Mandela include Johnny Clegg,[369] Hugh Masekela,[370] Brenda Fassie,[371] Beyond,[372] Nickelback,[373] Raffi,[374] and Ampie du Preez andAB de Villiers.[375] South African songstress Zahara, who happens to be an ambassador of the Nelson Mandela Children's Hospital, released Nelson Mandela, an extended play that pays tribute to Mandela whilst celebrating his lifetime accomplishments. The EP's lead single titled "Nelson Mandela" was released at a time when Mandela was critically ill but stable at the Medi-Clinic Heart Hospital in Pretoria.[376][377]
Cinema and television
Mandela has been depicted in cinema and television on multiple occasions. The 1997 film Mandela and de Klerk starred Sidney Poitier as Mandela,[378] while Dennis Haysbert played him in Goodbye Bafana (2007).[379] In the 2009 BBC television film Mrs Mandela, Nelson Mandela was portrayed byDavid Harewood,[380] and Morgan Freeman portrayed him in Invictus (2009).[381] He is portrayed byIdris Elba in the 2013 film, Mandela: Long Walk to Freedom.[382]
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