PUCL कानपुर इकाई हाशिमपुरा नरसंहार कांड के पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से न्याय की मांग करती है |
हाशिमपुरा में जो हुआ उसकीं जितनी निंदा की जाए कम है यह सिर्फ मानवी जिस्मों की हत्या नहीं है वरन उस मानवीय संवेदना और विशवास की हत्या है जो अपने समाज और अपनी हुकूमत से संरक्षण और न्याय की उम्मीद करती है | बिना किसी जाँच और सबूत के बेकसूर लोगों की सिर्फ इसलिए हत्या कर देना कि वे किसी दूसरे धर्म से आते है हमारे समाज की संकुचित सोच को दर्शाता है और साथ ही धार्मिक उन्माद को उकसाने में घी डालने का काम करता है | एक तरफ सरकारें कहती हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना चाहती हैं और वही दूसरी ओर उन्हीं निर्देशों पर हाशिमपुरा जैसे कांड होते है | बेहद विरोधाभाषी चीजें हैं जिससे साफ जाहिर है कि साम्प्रदायिक और जातीय राजनीति ही हमारी सरकारों का मुख्य मकसद हैं जनता के सरोकार उनके लिए कोई खाश मायने नहीं रखते |
इतने संवेदनशील और अमानवीय मामले में 28 साल तक न्यायिक प्रक्रिया का चलना और उसके बाद आये निर्णय में दोषियों का बिना किसी सजा के बच जाना, हमारे देश की लचर न्यायिक व्यवस्था को प्रदर्शित करता है और यह साबित करता है कि भारत देश तो आज़ाद हो गया है लेकिन भारत की जनता आज भी गुलाम है हाथों में हथकड़ियाँ भले न हो पर इन्साफ आज भी कैद में है |
PUCL कानपुर एक नागरिक समाज के नाते उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से पूरे मामले में फिर से अपील करने और दोषियों के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही की मांग करती है | यदि इस ओर जल्द ध्यान न दिया गया तो हम आम जन मानस को सरकारी कार्य प्रणाली के खिलाफ जन आन्दोलन के लिए प्रेरित करेंगे |
धन्यवाद
सौजन्य से
के एम् भाई
PUCL कानपुर
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