ऐसा नहीं है
कि जो कुछ फिलिस्तीन में हो रहा है
या इराक में
या फिर दुनिया के किसी और कोने में घट रही
दुर्घटनाएं नहीं घट रही हैं यहाँ
मेरे देश में
जितना विस्तार है भूगोल धरती का
उससे कहीं भी कमतर नहीं हैं दुर्घटनाओं का विस्तार
बस सीमित हैं हमारी जानकारी
नज़रें कुछ कमजोर
हम अक्सर ख्यालों में करते हैं सैर
और बिखराते हैं संवेदनाओं का प्रसाद
मैं अक्सर पहुँच जाता हूँ अफ्रीका महाद्वीप के देशों में
वहां के जंगलों से गायब होते जानवरों की गिनती करने
पहुँच जाता हूँ विशाल रेगिस्तानों में
पहचानने की कोशिश करता हूँ आगुन्तकों के पैरों के निशान
फिर लौट कर पहुँच जाता हूँ
विदर्भ के किसानों के बीच
उनके खेतों में भी पाता हूँ ठीक वहीं पद चिह्न
चाहे छत्तीसगढ़ के जंगल हों
या हों कालाहांडी का क्षेत्र
या भूख , गरीबी और शोषण से प्रभावित दुनिया का कोई और हिस्सा हों
आगुन्तक वही हैं
उनके पद चिन्ह एक हैं
हर जगह .
- नित्यानंद गायेन