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Poverty is the name of the game.মানব পাচার : দেশান্তরি করছে অভাব
May all be in peace, harmony and justice.
It is good to read and reflect rather than react!Dr Dhakal2015-05-20 9:03 GMT-04:00 Buddhi Narayan Shrestha<bordernepal@gmail.com>:I join Ratna Sansar's wordings,Buddhi Narayan shrestha2015-05-20 5:50 GMT+05:45 ratna.sansar <ratna.sansar@gmail.com>:अदालतले पनि बिखण्डनकारीलाई साथ दिएकाे त हैन हाेला !?2015-05-19 14:35 GMT+05:45 Madan Dahal<madandahal.prof@gmail.com>:विखण्डनकारी र गृह युद्धको धम्की !
एक जना विखण्डनकारीले पहाडका भूकम्प पीडितजनतालाई तराईका जिल्लाहरूमा पुनर्वास गराईएमानेपालमा गृह युद्ध हुने धम्की दिएको वारे हिजो आजसामाजिक सञ्जालमा सनसनीखेज प्रतिकृयाहरूआईरहेको छ, त्यो स्वभाविक छ। प्रतिकृया स्वरूपआफ्नो एक थोपा मात्र रगत रहे सम्म पनि मातृभूमि रक्षार्थ लडी रहने प्रण व्यक्त गरिएको छ, त्यो भावनाको सवैले उच्च सम्मान गर्नु पर्दछ। विखण्डनकारीको विष वमन प्रति तराईका नेताहरूअहिले सम्म "मौन" रहनु आश्चर्यजनक रअनपेक्षित छ।
त्यो भन्दा पनि दुर्भाग्यपूर्ण कुरा के हो भने सम्पूर्णसवुद प्रमाण (मनसा, वाचा, कर्मणा विखण्डनकोदुराशय प्रमाणित हुने पुस्तक, झण्डा, क्षेत्रफल, ठाउं-ठाउंमा नारा-जुलुस, भाषणको टेप रेकर्ड आदि)सहित देश द्रोहको मुद्दा चलेको त्यो व्यक्तिलाईअदालतले प्रमाण नपुगेको भनि सफाई दिएको छ। यसलाई तपाईंहरू के भन्नु हुन्छ?
समय समयमा अप्राकृतिक रूपमा जन्म लिएकायस्ता कुपात्रहरूको विगविगीलाई नियन्त्रण गर्नराष्ट्रिय एकतानै प्रयाप्त छ। हामी सवैलाइ चेतनाभया !
· Madan Dahal
‘आंबेडकर’ की रिंगटोन सुनने पर ऊंची ज़ात के गुंडों ने की दलित छात्र को बाइक से कुचल कर हत्या
'आंबेडकर'की रिंगटोन सुनने पर ऊंची ज़ात के गुंडों ने की दलित छात्र को बाइक से कुचल कर हत्या
शिरडी।मंदिरों के शहर शिरडी में एक दलित युवक पर बेरहमी से हमला कर उसकी हत्या कर दी गई।कहा जा रहा है कि इस युवक की हत्या उसके मोबाइल के रिंगटोन की वजह से की गई।उसका रिंगटोन डॉ. भीमराम आंबेडकर पर एक गाना था।चार हमलावरों को अरेस्ट कर लिया गया है और बाकी चार फरार हो गए हैं।नर्सिंग स्टूडेंट सागर शेजवाल विवाह समारोह में शामिल होने शिरडी आया था। 16 मई को दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे वह लोकल बियर शॉप पर अपने दो चचेरे भाइयों के साथ गया था।डेप्युटी सूपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस विवेक पाटील ने कहा कि सागर पर उसके रिंगटोन को लेकर 8 युवकों ने हमला बोला था। पाटील ने कहा, 'आठ युवक बियर शॉप के पास एक टेबल पर बैठे थे।जब सागर का मोबाइल बजा तो रिंगटोन आंबेडकर पर सॉन्ग था।वहां बैठे युवकों ने सागर से कहा कि वह मोबाइल का स्विच ऑफ कर ले।पुलिस को दिए बयान में सागर के चचेरे भाई ने बताया कि उसका रिंग टोन में यह गाना था-तुम चाहे करो जितना हल्ला, मजबूत होगा भीम का किला।इसी रिंगटोन के बाद वहां बैठे युवकों ने सागर पर बियर की बोतल से हमला बोला।इसके साथ ही उन्होंने मुक्के भी खूब मारे। सागर को फिर इन्होंने मोटर साइकल पर खींच जंगल के करीब लाया और बाइक से कुचल दिया।सागर का नंगा शव करीब साढ़े छह बजे शाम में रुई गांव के पास बरामद किया गया। कई जगह की हड्डियां टूटने से सागर की मौत हुई है।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक सागर के शरीर में करीब 25 जख्म थे।सभी हमलावर स्थानीय प्रभुत्वशाली मराठा और ओबीसी समुदाय से हैं।इन्होंने सागर के शरीर पर लगातार बाइक चढ़ाई।सागर के पिता सुभाष शेजवाल ने कहा, 'मैं समझ सकता हूं कि वे कितनी क्रूरता से हमले किए होंगे।लड़ाई किसी वक्त हो सकती है लेकिन ऐसी क्रूरता देखने लायक है।वे छोटी सी बात पर इस हद तक क्यों गए?
सीसीटीवी फुटेज
बियर शॉप पर शुरुआती हमले सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए हैं।21 मिनट के फुटेज में हमलावरों की क्रूरता साफ दिख रही है।इस मामले में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से अहम सबूत मिल गए हैं।इस मामले में पुलिस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बियर शॉप के पास में ही शिरडी पुलिस स्टेशन है। बियर शॉप के मैनेजर संदीप ने कहा कि मैंने 1.45 p.m पर पुलिस को कॉल किया था लेकिन इन्होंने आने में लंबा वक्त लिया।सागर के चचेरे भाई वहां से किसी तरह जान बचाकर भागे।
‘आंबेडकर’ की रिंगटोन सुनने पर ऊंची ज़ात के गुंडों ने की दलित छात्र को बाइक से कुचल कर हत्या
'आंबेडकर'की रिंगटोन सुनने पर ऊंची ज़ात के गुंडों ने की दलित छात्र को बाइक से कुचल कर हत्या
शिरडी।मंदिरों के शहर शिरडी में एक दलित युवक पर बेरहमी से हमला कर उसकी हत्या कर दी गई।कहा जा रहा है कि इस युवक की हत्या उसके मोबाइल के रिंगटोन की वजह से की गई।उसका रिंगटोन डॉ. भीमराम आंबेडकर पर एक गाना था।चार हमलावरों को अरेस्ट कर लिया गया है और बाकी चार फरार हो गए हैं।नर्सिंग स्टूडेंट सागर शेजवाल विवाह समारोह में शामिल होने शिरडी आया था। 16 मई को दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे वह लोकल बियर शॉप पर अपने दो चचेरे भाइयों के साथ गया था।डेप्युटी सूपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस विवेक पाटील ने कहा कि सागर पर उसके रिंगटोन को लेकर 8 युवकों ने हमला बोला था। पाटील ने कहा, 'आठ युवक बियर शॉप के पास एक टेबल पर बैठे थे।जब सागर का मोबाइल बजा तो रिंगटोन आंबेडकर पर सॉन्ग था।वहां बैठे युवकों ने सागर से कहा कि वह मोबाइल का स्विच ऑफ कर ले।पुलिस को दिए बयान में सागर के चचेरे भाई ने बताया कि उसका रिंग टोन में यह गाना था-तुम चाहे करो जितना हल्ला, मजबूत होगा भीम का किला।इसी रिंगटोन के बाद वहां बैठे युवकों ने सागर पर बियर की बोतल से हमला बोला।इसके साथ ही उन्होंने मुक्के भी खूब मारे। सागर को फिर इन्होंने मोटर साइकल पर खींच जंगल के करीब लाया और बाइक से कुचल दिया।सागर का नंगा शव करीब साढ़े छह बजे शाम में रुई गांव के पास बरामद किया गया। कई जगह की हड्डियां टूटने से सागर की मौत हुई है।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक सागर के शरीर में करीब 25 जख्म थे।सभी हमलावर स्थानीय प्रभुत्वशाली मराठा और ओबीसी समुदाय से हैं।इन्होंने सागर के शरीर पर लगातार बाइक चढ़ाई।सागर के पिता सुभाष शेजवाल ने कहा, 'मैं समझ सकता हूं कि वे कितनी क्रूरता से हमले किए होंगे।लड़ाई किसी वक्त हो सकती है लेकिन ऐसी क्रूरता देखने लायक है।वे छोटी सी बात पर इस हद तक क्यों गए?
सीसीटीवी फुटेज
बियर शॉप पर शुरुआती हमले सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए हैं।21 मिनट के फुटेज में हमलावरों की क्रूरता साफ दिख रही है।इस मामले में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से अहम सबूत मिल गए हैं।इस मामले में पुलिस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बियर शॉप के पास में ही शिरडी पुलिस स्टेशन है। बियर शॉप के मैनेजर संदीप ने कहा कि मैंने 1.45 p.m पर पुलिस को कॉल किया था लेकिन इन्होंने आने में लंबा वक्त लिया।सागर के चचेरे भाई वहां से किसी तरह जान बचाकर भागे।
सुंदरवन में अब बाघ नहीं आदमी रहते हैं ये बाघ को आदमखोर कहते हैं और मैं इन्हें। मैनग्रोव के बचे अंश गवाह है विनाश का कुछ कंकाल और हड्डियां जो अब बोल नहीं पाते दर्द के बारे में खो गयी है नदी की भाषा अब सिर्फ आदमी बोलता है। -नित्यानंद गायेन Nityanand Gayen's photo.
পাঁচ বছরে লাগামছাড়া খুন : Last 5 years see steady rise in murders
পাঁচ বছরে লাগামছাড়া খুন : Last 5 years see steady rise in murders
http://www.dhakatribune.com/bangladesh/2015/may/23/last-5-years-see-steady-rise-murders
গত পাঁচ বছরে দেশে খুনের হার বেড়েছে আশঙ্কাজনক হারে। আর এর মধ্যে সবচেয়ে বেশি খুনের ঘটনা ঘটেছে রাজধানী ঢাকায়।পুলিশ সদরদফতরের দেওয়া তথ্যমতে, ২০১৫ সালের প্রথম চার মাসেই দেশে মোট ১৩০২ জন খুন হন। জানুয়ারিতে ৩২৯, ফেব্রুয়ারিতে ৩০৯, মার্চে ৩৩৭ ও এপ্রিলে ৩২৭ জন। আর এর মধ্যে ঢাকা রেঞ্জে খুন হয়েছে- জানুয়ারিতে ১০০, ফেব্রুয়ারিতে ৯৩, মার্চে ১১৪ ও এপ্রিলে ৯৮ জন।অপরাধ বিশ্লেষকদের মতে, এ বছরের প্রথমার্ধের বেশিরভাগ সময় পুলিশকে রাজনৈতিক অস্থিরতা নিয়ে এতটাই ব্যস্ত থাকতে হয়েছিল যে তারা সাধারণ অপরাধগুলো সামলাতে পারেনি।
(हस्तक्षेप.कॉम) आदमखोर बाघों का यह सुसमय, अच्छे दिन हैं
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Modi's seeking fame and bringing us shame
Posted:Sat, 23 May 2015 19:44:22 +0000
आदमखोर बाघों का यह सुसमय, अच्छे दिन हैं
Posted:Sat, 23 May 2015 19:35:58 +0000
ये बाघ को आदमखोर कहते हैं और मैं इन्हें
Posted:Sat, 23 May 2015 19:13:45 +0000
अखिलेश यादव से कनहर में शांति स्थापित कराने की मांग
Posted:Sat, 23 May 2015 18:46:08 +0000
Students to protest at Kejriwal's residence
Posted:Sat, 23 May 2015 17:00:42 +0000
नेशन वान्ट्स टु नो – लोक का वक़ील अधिकार हड़पने वालों के वक़ील में कैसे बदल गया
Posted:Sat, 23 May 2015 16:29:49 +0000
सरगुजा में भूख से मौत: रमन-मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार
Posted:Sat, 23 May 2015 16:12:38 +0000
In Bangladesh, murders of atheist bloggers show dangers of apathy
Posted:Sat, 23 May 2015 15:52:19 +0000
Arun Jaitley Promises Better Tax Regime for Companies
Posted:Sat, 23 May 2015 15:23:24 +0000
Markandey Katju should tender apology: Dr. Jasim Mohammad
Posted:Sat, 23 May 2015 15:02:57 +0000
राष्ट्रकवि दिनकर- इतिहास की इस लड़ाई में बिहार, उत्तर प्रदेश और देश का वर्तमान लहूलुहान होगा
Posted:Sat, 23 May 2015 09:57:28 +0000
दलित अत्याचार में पिछड़े काफी अगड़े हैं!
Posted:Sat, 23 May 2015 09:26:06 +0000
Convention against Silencing Democracy & Criminalizing Dissent
Posted:Sat, 23 May 2015 00:56:38 +0000
राजनैतिक आखातीज का एक दिन
Posted:Sat, 23 May 2015 00:35:24 +0000
मोदी सरकार का एक साल-बुरा हाल
Posted:Sat, 23 May 2015 00:22:13 +0000
Khedut Chetna Yatra (Farmers' Awareness Yatra) ends at Mithi Virdi Farmers
Posted:Fri, 22 May 2015 21:26:51 +0000
Obama Takes Unexpected Setback on Trade Agenda as Fast Track Passes Senate
23 May 2015
Attorney for ISIL suspect: Feds waving 'bloody flag of terrorism' | 22 May 2015 | The attorney for one of seven men charged with supporting terrorism accused the government Fridayof "waving the bloody flag of terrorism" during a hearing in federal court to determine whether his client could be released before trial. In the most contentious and politicized hearing since a group of Twin Cities men were charged with plotting to leave the country to fight alongside terrorists in Syria, both sides hashed out in U.S. District Court in Minneapolis whether Abdirahman Yasin Daud, 21, should be released before he stands trial on charges of supporting terrorists. "The government came out here waving the bloody flag of terrorism," Daud's attorney, Bruce Nestor, said, mentioning atrocities and beheadings by U.S. allies. "What about the 5,000 Americans who died in Iraq under false pretenses?"
Citizens for Legitimate Government (CLG)
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OECD Report: Global Social Inequality Hits New Record
OECD Report: Global Social Inequality Hits New Record
If you think the content of this news letter is critical for the dignified living and survival of humanity and other species on earth, please forward it to your friends and spread the word. It's time for humanity to come together as one family! You can subscribe to our news letter here http://www.countercurrents.org/subscribe.htm. You can also follow us on twitter, http://twitter.com/countercurrents and on Facebook, http://www.facebook.com/countercurrents
In Solidarity
Binu Mathew
Editor
www.countercurrents.org
OECD Report: Global Social Inequality Hits New Record
By Gabriel Black
http://www.countercurrents.org/black230515.htm
Income inequality in many developed countries has reached an all-time high, according to a report released Thursday by the Organization for Economic Co-operation and Development (OECD). The report also notes that growth of social inequality has been accompanied by the growth of part-time and contingent labor, particularly for younger workers
100% Clean Energy By 2050: Decarbonization As Denial
By Bill Henderson
http://www.countercurrents.org/henderson230515.htm
I hope you take climate change seriously. We need open debate about our real predicament. We need to escape denial and consider real, effective mitigation strategies. Ask yourself: what will our kids look back and think of our present conceptualization of climate danger and our hands tied behind our back ineffectual mitigation?
A Color Revolution For Macedonia
By Paul Craig Roberts
http://www.countercurrents.org/roberts230515.htm
During the Cold War Washington was concerned about communists fomenting street protests that they could turn into revolutions, with groomed politicians waiting in the wings to take over the new government, thus expanding the Soviet empire. Today this is precisely what Washington does. We recently witnessed this operation in Ukraine and now it seems to be underway in Macedonia
Fast Track" Violates The U.S. Constitution"
By Eric Zuesse
http://www.countercurrents.org/zuesse230515.htm
The Constitution's two-thirds Senate rule regarding treaties is violated by Fast Track as it currently stands and has stood; and that provision of Fast Track (reducing the required two-thirds down to merely half of the Senators voting "Yea") would need to be eliminated and the Constitution's two-thirds-Senate requirement restored, in order for there to be able to be any further applications of Fast Track; this would not necessarily apply regarding past applications of Fast Track such as NAFTA, and prudentiality might sway against such retrospective applications; but, for TPP, TTIP, TISA, and other future applications of Fast Track
The SOB's of Wichita: The Koch Brothers
Reviewed by Jane LaTour
http://www.countercurrents.org/latour230515.htm
A review of "Sons of Wichita: How the Koch Brothers Became America's Most Powerful and Private Dynasty" by Daniel Schulman (Grand Central, 2014)
Why Leftists Should Read John Ralston Saul — Critically
By Justin Podur
http://www.countercurrents.org/podur230515.htm
John Ralston Saul is a rare and influential public intellectual in Canada. Indigenous sovereigntists have engaged critically with his most recent book, The Comeback. It's high time the Canadian left joined the debate
Unlike Chavez, Chavistas Appealed To A Powerless
US President Who Works For Investors In Genocide!
By Jay Janson
http://www.countercurrents.org/janson230515.htm
Chavez called Obama a clown, the US a "terrorist government," said intelligence showed that it plans to invade his country. Were Venezuelans petitioning a clown chief executive of a terrorist government planning to invade Venezuela? Though the intention of this petition surely was to bring world attention to US threats, it made Obama look important and helped a criminal war investing elite maintain it's nefarious anonymity
Baghdadi, You Are Wrong
By Mike Ghouse
http://www.countercurrents.org/ghouse230515.htm
Muslims Challenge Al-Baghdadi's Lunatic Message
South Sudan: Escalation Of Violence Points To
Failed Regional And International Action
By Amnesty International
http://www.countercurrents.org/ai230515.htm
New research conducted by Amnesty International on the surge in military activity in South Sudan over the past weeks clearly shows that regional and international efforts to end the human suffering caused by armed conflict in South Sudan have failed
Interview With Redur Xelil, The Spokesman of People's Protection Units (YPG)
By Zanyar Omrani
http://www.countercurrents.org/omrani230515.htm
Interview with Kurdish resistance fighters in Syria
The Religious Domination Of World Affairs
By Sazzad Hussain
http://www.countercurrents.org/sazzadhussain230515.htm
Now it seems that the Islamist forces, led by Saudi Arabia, Qatar etc are in perfect sync with the global powers and business houses to run their functions unaffected. Likewise Turkey's ruling party is also leaning towards Islmaism, transforming the Kemalite secularism to Sunni identity and supporting the Islamist forces fighting the Assad regime in Syria. Turkey's present government is also very business and industry friendly allowing all types of capital to operate in their country
Through The People's Lens: Modi's Development Model So Far
By Dr Rahul Pandey, Bobby Ramakant and Dr Sandeep Pandey
http://www.countercurrents.org/pandey230515.htm
Story of Modi's development model so far: Cutting health and education expenditure, forcing land acquisition, buying expensive jets and unsafe nuclear power, benefitting Big Business, diluting employment guarantee, fanning communal fires, exploiting Ganga, curbing dissent and shielding governance from public scrutiny
Press release - Report of intimidation of activist in Mirzapur Jail - letter to CM UP Kanhar anti dam and anti land acquisition protest in sonbhadra, UP
23 मई 2015
सेवा में,
माननीय मुख्य मंत्री,
श्री अखिलेश यादव,
उत्तर प्रदेश सरकार।
विषय: जनपद सोनभद्र में 14 व 18 अप्रैल को कनहर बांध के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रर्दशन कर रहे ग्रामीणों पर गोलीकांड़ की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच एवं जिला प्रशासन द्वारा इलाके में अघोषित आपातस्थिति को समाप्त करने एवं असंवैधानिक भू अधिग्रहण व बांध निर्माण पर तत्काल रोक के लिए
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,
जैसा कि आपको विदित है कि जनपद सोनभद्र में प्रस्तावित निर्माणधीन कनहर बांध परियोजना को लेकर आसपास के कई गांव जैसे सुन्दरी, भीसुर, कोरची, सुगवामन, नाचनटाड़, लामी आदि गंाव पिछले दिसम्बर 2014 से शांतिपूर्वक ढ़ंग से इस गैरकानूनी भू अधिग्रहण के खिलाफ अपना धरना चला रहे थे। जिस सम्बन्ध में नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल में भी एक याचिका दायर की गई थी तथा माननीय न्यायालय द्वारा 24 दिसम्बर 2014 सरकार द्वारा वन अनुमति पत्र न प्रस्तुत किए जाने पर निर्माण कार्य पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी काम ज़ारी रहा जिसकी वजह से लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। इसी दौरान 30 दिसम्बर 2014 को केन्द्र सरकार द्वारा भू अध्यादेश लाया गया जिसका विरोध पूरे देश में शुरू हो गया। इस संदर्भ में आपकी पार्टी द्वारा भी अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ राजनैतिक मोर्चा बनाया गया व जिसके तहत भू अध्यादेश का विरोध अभी तक भी ज़ारी है। आपके द्वारा भी यह घोषणा की गई है कि प्रदेश में जबरदस्ती भू अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। देश के कई जनसंगठन, वामपंथी दलों से जुड़े किसान संगठन आदि ने 24 फरवरी 2015 को नई दिल्ली के संसद मार्ग पर विशाल जनसमागम के साथ इस भूअध्यादेश का विरोध किया। इस कार्यक्रम में हमारी यूनियन एक मुख्य आयोजक थी। इसी कार्यक्रम में कनहर के ग्रामीण भी हज़ारों की संख्या में शामिल हुए थे व संसद मार्ग में गठित ''भू अधिकार आंदोलन''का हिस्सा बन गए। इसी आंदोलन की घोषणा अनुसार 23 मार्च को शहीद-ए- आज़म भगतसिंह को श्रद्धांजलि देते हुए भू अधिग्रहण के खिलाफ देश भर में विरोध हुआ था। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 5 हज़ार लोगों ने ग्राम अमवार में जहां पर कनहर बांध का अवैध निर्माण हो रहा है वहां पर शांतिपूर्वक जुलूस किया। इसके पश्चात यह तय हुआ कि 6 अप्रैल को पूरे देश में भू अध्यादेश की प्रतियां जलाई जाएगंी उस कार्यक्रम के तहत भी 3 अप्रैल से लेकर 6 अप्रैल तक कनहर के सुन्दरी, भीसूर एवं कोरची गांवों में सैकड़ों की संख्या में महिला पुरूष ने जनजागरण के लिए रैली निकाली। इसकी पूरी सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी। 6 अप्रैल को यह प्रतियां ग्रामीणों द्वारा जलाई भी गई और मिटटी में दबा कर पेड़ भी लगाए गए। तत्पश्चात भू अधिकार आंदोलन के कार्यक्रम के तहत 14 अप्रैल 2015 को अम्बेडकर जयंती के दिन भू अधिग्रहण के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रम तय किए गए उसी श्रंखला में कनहर में भी
विरोध प्रर्दशन तय किया गया। इसी कार्यक्रम के तहत कनहर निवासीयों ने 14 अप्रैल को निर्माण स्थल पर प्रर्दशन के लिए सुबह 6 बजे जा रहे थे तो कोतवाल कपिल यादव ने अकलू चेरो आदिवासी पर सीधे गोली चलाई जो कि उनके सीने से आर पार हो गई। आंदोलनकारीयों से न कोई बात की गई न ही उन्हें चेतावनी दी गई कि उनपर गोली चलाई जाएगी। अकलू चेरो निवासी सुन्दरी के सीने के उपरी हिस्से से गोली आर पार हो गई व 35 अन्य लोग घायल हो गए। इससे लोगों में और भी आक्रोश पैदा हो गया व ग्रामीणों ने पांच दिन तक काम को रोक दिया लेकिन प्रशासन द्वारा धरना स्थल पर आकर ग्रामीणों से किसी भी प्रकार की वार्ता करने की कोशिश नहीं की गई। जबकि सभी अधिकारी 14 अप्रैल से पास में ही स्थित फील्ड हास्टल में मौजूद थे। 18 अप्रैल की सुबह 6 बजे जिस तरह से पुलिस प्रशासन ने निहत्थी महिला, बजुर्गो एवं पुरूषों पर जानलेवा हमला किया वह हमारे लोकतांत्रिक प्रणाली को शर्मसार करती है। पुलिस की इस बर्बरता, अत्याचार एवं जनवादी जगह को समाप्त करने की कोशिश से एक बार फिर यहां के आदिवासीयों को माओवादीयों की ओर धकेलने की कोशिश की जा रही है। इस काम के लिए स्थानीय दबंग, माफिया और पुलिस की सांठ गांठ बनी हुई है। ज्ञातव्य रहे कि कैमूर क्षेत्र में एक दशक पहले तक माओवादी पार्टी की भारी मौजूदगी रही लेकिन जनवादी संगठनों के प्रयासों की वजह से यहां से लेकर बिहार के अधौरा कैमूर तक माओवादी गुट कमज़ोर हुए और अभी उनकी मौजूदगी यहां नहीं है। इस बात की पुष्टि दोनों प्रदेशों की सरकारों ने की है। हमारे यूनियन का 100 सदस्यीय प्रतिनिधि मंड़ल आपसे पिछले वर्ष 14 अप्रैल को वनक्षेत्र में वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए आपके आवास में मिला था जहां पर आपने आश्वसत किया था कि पूरे प्रदेश में वनाधिकार कानून को प्रभावी ढ़ंग से लागू किया जाएगा। इस संदर्भ में आपके द्वारा सभी जिलाधिकारीयों को आदेश भी ज़ारी किए गए थे। हमारा विश्वास है कि सरकार के साथ वार्ता कर ही समस्याओं का निदान हो सकता है। इसी तरह बिहार के मुख्य मंत्री नीतिश जी ने खुद पिछले वर्ष 6 अप्रैल को अधौरा में जनता और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों से बात की और आयुक्त पटना ने कई बार क्षेत्र के विकास के लिए संगठन के साथ कार्यक्रम भी तैयार किए जो कि अभी भी ज़ारी है। जिसमें वनाधिकार कानून 2006 को लागू करने के लिए हमारे यूनियन के साथ कई बैठके भी हुई हैं।
इस संदर्भ में कनहर के आसपास के गांव में किया जा रहा भू-अधिग्रहण सरासर गैरकानूनी है, आदिवासी अपनी जमींन नहीं छोड़ना चाहते। तथा आपके द्वारा भी कई बार कहा गया कि प्रदेश में जबरदस्ती भू अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। लेकिन इन घोषणाओं के बावजूद भी पुलिस प्रशासन, दबंग, दलाल व गुंड़े पूरी तरह से इस क्षेत्र में हावी है व एक आपातकालीन स्थिति घोषित कर 144 धारा गैरकानूनी रूप से लागू की गई है। प्रभावित क्षेत्र के लेागों को आपस में बात नहीं करने दिया जा रहा, उन्हें आने जाने से रोका जा रहा है, घायलों के उपचार के लिए अस्पताल जाने नहीं दिया जा रहा, अपनी पैरवी करने अदालत नहीं जाने दिया जा रहा आदि। राजनैतिक रूप से इस क्षेत्र में ख़तरनाक स्थिति बनती जा रही है चूंकि यह क्षेत्र चार राज्यों का बार्डर है इसलिए यह क्षेत्र अतिसंवेदनशील है। इस समय इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया तो पड़ोसी राज्यों में भी इसका असर पड़ेगा एवं आंतक के माहौल का सरकार और लोगों दोनों के लिए राजनैतिक अंजाम अच्छा नहीं होगा। प्रशासन जमींनी स्तर पर पूरी तरह से मोदी सरकार की जुबान में बात कर रही है और बकौल पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव के लिए यह कनहर परियोजना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
इस मामले में आपके द्वारा हस्तक्ष्ेाप की अंत्यंत आवश्यकता है ताकि इस मामले में वार्ता का माहौल तैयार हो कर इस समस्या का सामधान निकाला जा सके। जिससे इस क्षेत्र में शांति बहाली की स्थापना हो सकती है। इस संदर्भ में इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है अन्यथा इस क्षेत्र में एक अराजक स्थिति उत्पन्न होने की आंशका है -
1.राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के 7 मई 2015 के आर्डर के तहत नए निर्माण पर तत्काल रोक लगाई जाए व क्षेत्र मंे जनवादी माहौल को कायम किया जाए।
2.कनहर नदी पर बन रहे अवैध बांध के आस पास के गांव में पुलिसिया दमन पर तत्काल रोक लगाई जाए। दमन के लिए अवैधानिक रूप से धारा 144 लागू कर दमन को और भी तेज़ किया जा रहा है धारा 144 को तुरंत खारिज किया जाए।
3.14 व 18 अप्रैल 2015 को गोलीकांड़ एवं लाठीचार्ज की शुरूआत पुलिस द्वारा की गई व इससे पूर्व भी 23 दिसम्बर 2014 को पुलिस के द्वारा ही ग्रामीणों से झड़प हुई। इन तीनों घटनाओं के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय न्यायिक अथवा सी0बी0आई जांच कराई जाए।
4.इस संदर्भ में छतीसगढ़ बचाओं आंदोलन, दिल्ली से गई एक जांच दल, संदीप पांड़े के नेतृत्व में सोशिलिस्ट पार्टी आफ इंडि़या के सदस्यों, व एन0ए0पी0एम की नेता मेधा पाटकर द्वारा अपनी रिपोर्ट में पुलिसिया दमन के बारे में काफी महत्वपूर्ण तथ्य भी उजागर किए हैं। व इस दमन की भरपूर निंदा की है। इन सभी रिपोर्टो का संदर्भ लेते हुए भी तत्काल निहत्थे महिला व पुरूषों पर हुए पुलिसिया दमन की जांच कर दोषी अधिकारीयों, पुलिस कर्मीयों पर प्राथमिकी दर्ज कर सज़ा दी जाए।
5.गोली चलाने की आखिर क्यों जरूरत पड़ी? क्या वजह थी गोली अकलू चेरो के सीधे सीने पर दागी गई? क्या गोली चलाने से पूर्व जो नियम है उन नियमों का पालन किया गया? अगर नहीं तो क्यों नहीं? बुजुर्गो व महिला पर लाठी चार्ज सीधे सिर पर क्यों किया गया? व लाठी चार्ज के दौरान क्यों कोई महिला पुलिस वहां पर मौजूद नहीं थी? इन सब प्रश्नों की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
6.अभी तक अकलू चेरो निवासी सुन्दरी जिसकों गोली लगी थी उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, 14 अप्रैल को 35 लोग घायल हुए थे जिसमें सबसे अधिक महिलाए थी उनकी भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई व 18 अप्रैल को जो घायल हुए जिसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोग थे जिनके सीधे सर पर लाठी मारी गई उनकी भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई व दोषी अधिकारीयों को नामजद नहीं किया गया है। जबकि बड़ी संख्या में ग्रामीणों व आंदोलनकारीयों पर असंख्स झूठे फर्जी केस लादे गए हैं व उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है। इस एकतरफा कार्यवाही पर रोक लगाई जाए व न्याय का पक्ष लिया जाए।
7.अकलू चेरो के इलाज के लिए काफी दिक्कतें आ रही हैं उसके लिए प्रशासन से कुछ मदद जरूर की गई लेकिन जब उन्हें डिस्चार्ज किया गया तब उनके साथ पुलिस द्वारा काफी खराब बर्ताव किया गया। उन्हें शाम 6.30 बजे रार्बटसगंज पुलिस द्वारा वाराणसी से रार्बटसगंज तक ले जाया गया । रात 10 बजे उस बीमार आदमी को बस में चढ़ा दिया गया उसके घर जाने के लिए जो कि वहां से लगभग 70 किमी दूरी पर जंगल में स्थित है। बस में प्रशासन द्वारा मदद के 6000 रू व उसके अपने 5 हज़ार रू बस में चढ़ते ही चोरी कर लिए गए। हमारी आंशका है यह चोरी पुलिस की सांठ गांठ से की गई हैै। इस संदर्भ में सभी अधिकारीयों को कई पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन अभी तक अकलू चेरो से लूटे गए पैसे उसे वापिस नहीं मिले हैं। इस संदर्भ में जांच कर उन्हें यह पैसा तुरंत वापिस दिलाया जाए।
8.14 अप्रैल को अकलू चेरो के साथ अस्पताल में दाखिल कराने गए उसके दो साथीयों अशर्फी यादव और लक्ष्मण भुईयां को वाराणसी के सर सुन्दर लाल अस्पताल से शाम 4 बजे ही रहस्यमयी ढ़ंग से गायब कर दिया गया। इनका तीन दिन तक कुछ पता ही नहीं चला। जिलाधिकारी से काफी पूछने पर पता चला कि ये दोनों लोग जेल में हैं। अकलू की देखभाल में लापरवाही के चलते उसकी मौत भी हो सकती थी। इस संदर्भ में भी हमारी मांग है कि उच्च स्तरीय जांच की जाए कि आखिर इन दोनों लोगों को जो कि एक बीमार की देखभाल करने गए थे कब और क्यों गायब किया गया। और क्या उनको गिरफतार करने से पहले सोनभद्र पुलिस ने वाराणसी पुलिस को सूचना दी थी?
9.मिर्जापुर जेल में निरूद्ध आंदोलनकारीयों राजकुमारी व गंभाीरजी द्वारा सूचना भेजी गई है कि उनके साथ पुलिस द्वारा अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। मार कर काम कराया जा रहा है व पर्याप्त भोजन नहीं दिया जा रहा। उनके स्वास्थ का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। और न ही उन्हें किसी से मिलने दिया जा रहा है। हमारी यूनियन की टीम के कार्यकारिणी सदस्य मातादयाल को गंभीरा जी, पंकज भारती, अशर्फी यादव, लक्ष्मण भुईयां व अन्य आंदोलन के साथीयों से 22 मई 2015 को नहीं मिलने दिया गया केवल राजकुमारी से मिलने दिया गया। कनहर के आंदोलनकारी साथीयों के मानवाधिकार हनन नहीं होना चाहिए व उनको सभी से आज़ादी से मिलने दिया जाए। वे लोग चोर, उच्चके, डाकू, हत्यारे या बलात्कारी नहीं बल्कि सत्याग्रही है। उनके साथ जेल प्रशासन सम्मानजनक व्यवहार करे।
10.शांतिपूर्वक धरना प्रर्दशन को प्रशासन द्वारा हिंसक प्रर्दशन बताया जा रहा है जबकि हिंसा पुलिस प्रशासन ने वहां के स्थानीय गुंडों के साथ मिल कर प्रर्दशनकारीयों पर की व उल्टे ही कनहर बांध विरोधी संघर्ष समिति एवं कनहर बचाओ आंदोलन के गंभीरा प्रसाद, शिवप्रसाद खरवार, अयूब, पंकज भारती, यूनियन के महिला कार्यकर्ता सोकालो गोंण, राजकुमारी भुईयां, रोमा पर लूट व डकैती के अंसख्य फर्जी मुकदमें लाद दिए गए हैं जिससे साफ पता चलता है जिला प्रशासन अराजकता फैला कर बांध को अवैधानिक तरीके से बनाना चाहती है व इलाके के आदिवासी बाहुल्य इलाके की भूमि को जबरदस्ती लूटना चाहती है। इन तमाम फर्जी मुकदमों को तुरंत वापिस लिया जाए व इलाके में ज़ारी गैरकानूनी 144 धारा को भी तुरंत समाप्त किया जाए।
11.आंदोलन के नेता गंभीरा प्रसाद को भी 21 अप्रैल को इलाहाबाद में उनके वकील श्री रवि किरण जैन के घर के बाहर से गुंड़ों द्वारा अपने आप को पुलिस कहने वालों ने जिस तरह से गिरफतार किया वह भी मानवाधिकार का सरासर उल्लघंन है। उनकी गिरफतारी के बारे में भी सोनभद्र पुलिस द्वारा इलाहाबाद पुलिस को किसी प्रकार की सूचना नहीं दी गई थी। जिससे साफ पता चलता है कि गंभीरा जी की भी जान सुरक्षित नहीं थी अगर वहां उपस्थित लोगों ने तीन लोगों को पकड़ नहीं लिया होता तो निश्चित ही गुंड़ों ने उन्हें मार गिराया होता। इस मामले में भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए व दोषी अधिकारीयों को सज़ा दी जानी चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि कनहर बांध बनाने के लिए जो बजट है उसे इलाके में गुंड़ो की बड़ी फौज खड़ा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस संदर्भ में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
12.गंभीरा प्रसाद पर जिस तरह से फर्जी केसों को लादा जा रहा है व उनके बुनियादी अधिकार जमानत से वंचित किया जा रहा है इस पर तत्काल रोक लगाई जाए व उन्हें बाईज्जत बरी किया जाए।
13.सुन्दरी गांव के ही पंचायत मित्र पंकज भारती को आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए संस्पेंड़ कर कई केस लाद कर जेल भेज दिया गया है। लोतांत्रिक प्रणाली में अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के आंदोलन को नेतृत्व देना तो कोई अपराध नहीं है? पंकज भारती को फौरन बहाल किया जाए व उन्हें भी बाईज्जत बरी किया जाए।
14.आंदोलनकारीयों के अमवार पांगन नदी के किनारे दिसम्बर 2014 से चल रहे धरने का पूरा सामान 18 अप्रैल को पुलिस द्वारा लूटा गया जिसमें दो जेनरेटर सेट, टैंट, बर्तन, दस्तावेज़, झंड़े बैनर आदि काफी सामान था उसे तुरंत संघर्ष कर रहे ग्रामीणों को लौटाया जाए।
15.सभी घायल महिला, बूढ़े व पुरूषों को किसी प्रकार से चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल रही है, हमले के बाद दुद्धी व रार्बटसगंज अस्पताल को पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव द्वारा जेल में तब्दील कर दिया गया था। गंभीर घायल लोगों की दुर्दुशा जब दिल्ली से आई जांच दल द्वारा मीडिया में खबरें आई तब सभी की छुटटी कर दी गई। गांव से लोगों को पुलिस द्वारा बाहर नहीं आने दिया जा रहा। ऐसे में घायल लोग अपनी दवा भी नहीं करवा पा रहे। इस आपातकालीन स्थिति को समाप्त कर घायल लोगों के उपचार की समुचित व्यवस्था की जाए व सभी को उनकी मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए।
16.आदिवासी महिला नेतृत्व को व सामाजिक कार्यकर्ताओं के जिले में प्रवेश निषेध सम्बन्धी आदेशों को फौरन वापिस लिया जाए। जिला सोनभद्र में बड़े पैमाने पर कलवंत अग्रवाल जैसे बलात्कारी, ओबरा खनन हादसे के अपराधी खनन माफिया, अफसर आदि, कई भ्रष्ट अधिकारी व हत्यारे खुले घूम रहे हैं सरकार व प्रशासन को उनपर कार्यवाही कर उन्हें जेल भेजना चाहिए व सामाजिक स्तर पर काम कर रहे लोगों व खासतौर पर महिलाओं का सम्मान करना चाहिए।
17. पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव को मासूम ग्रामीणों, महिलाओं व आदिवासीयों पर बर्बरता अपनाने, इलाके में गुंड़ों, चुगले, दलालों के साथ सांठ गांठ कर हमला करवाने, लोगों की जानमाल की सुरक्षा न करने, क्षेत्र में सभी संवैधानिक अधिकारों व मानवाधिकारों का हनन करने, ग्राम सुन्दरी, भीसूर, कोरची आदि गांवों में लूट पाट करवाने, घर तुड़वाने व इस क्षेत्र में आपातकालीन जैसी स्थिति उत्पन्न करने के लिए संस्पैड किया जाए व उनपर आपराधिक मुकदमें दर्ज किए जाए।
18.आपसे अनुरोध है कि कनहर बांध के संदर्भ में तमाम पर्यावरण कानूनों के उल्लघंन एवं अवैध भू अधिग्रहण को रोकने के संदर्भ में वार्ता का माहौल बनाया जाए। वनाधिकार कानून 2006 को प्रभावी ढ़ंग से लागू किया जाए। इस देश के नागरिकों को यह संवैधानिक अधिकार प्राप्त है कि वे संविधान में प्राप्त अपने मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 19 के तहत अपनी बात रख सके, संगठन कर निर्माण कर सकें व संगठित हो कर अन्याय के विरूद्ध लड़ सकें। पुलिस अधिकारीयों कपिलदेव यादव, प्रभारी निरिक्षक थाना दुद्धी, अशोक सिंह यादव, थानाध्यक्ष बभनी, सर्वेश कु0 सिंह थानाध्यक्ष विन्ढ़मगंज, महाबीर यादव चैकी प्रभारी अमवार, चन्द्रशेखर यादव उपनिरिक्षक थाना दुद्धी, चन्दन सिंह, सुनील यादव आरक्षी थाना दुद्धी, राजेन्द्र यादव आरक्षी थाना दुद्धी, फूलचन्द मिश्रा आरक्षी थाना दुद्धी, संजय यादव, आरक्षी थाना बभनी, अतुल कुमार आरक्षी थाना विन्ढ़मगंज, देवेन्द्र सिंह आरक्षी थाना विन्ढ़मगंज, बृजेश कुमार आरक्षी थाना ओबरा, अविनाश राय आरक्षी पुलिस लाईन, अमृत राय मुख्य आरक्षी पुलिस लाईन, गौरी शंकर यादव मुख्य आरक्षी पुलिस लाईन कभ0द0स0 तहत 166,167,191,193,218,307,308,323,326,339,352,511 और 32 के तहत व अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(x) (xi), 3(2) (i), (ii), (v), (vii) o धारा 4 के तहत कार्यवाही की जाए।
19.इसके अलावा पुलिस द्वारा आंदोलनकारीयों पर हमला करनवाने के लिए अन्य बांध समर्थक जो कि 18 अप्रैल को आंदोलनकारीयों पर हमला करने में शामिल थे सादिक पुत्र नूर मोहम्मद, एजाज पुत्र सादिक,फईआज़ पुत्र नूरमोहम्मद, मुरहक पुत्र फजीतो करीब, बहादर पुत्र मुहम्मद सभी ग्राम बघाडू, शमशेर पुत्र सादिक हुसैन व मुहम्मद पुत्र रमजान अली ग्राम सुन्दरी से, निराला पुत्र किसुन, रमेश पुत्र गुलाब, अलाउदीन पुत्र हैदर,सुवास प्रधान पुत्र रोशन सभी ग्राम अमवार से, चिन्तामणि पुत्र मीठू, जगदीश पुत्र गंगा, सीतल पुत्र सेवक यादव, रामजीत पुत्र शोभी सभी ग्राम भीसूर से, सलाउदीन पुत्र इस्लाम ग्राम बैरखड से, जगदीश यादव ग्राम जोरूखाड़, जुब्रैल दुद्धी से, कभ0द0स0 तहत 166,167,191,193,218,307,308,323,326,339,352,511 और 32 के तहत व अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(1)(x) (xi), 3(2) (i), (ii), (v), (vii) o धारा 4 के तहत कार्यवाही की जाए।
20.इस आक्रमण में क्षेत्र रूबी प्रसाद विधायक दुद्धी, अविनाश कुशवाहा विधायक राबर्टसगंज एवं पूर्व विधायक विजय सिहं गोंण पर स्थानीय आंदोलनकारीयों पर गोली चलवाने व लाठी चार्ज में शामिल रहे उनपर भी दण्ड़ात्मक कार्यवाही कर उनपर क्षेत्र की जनता की सुरक्षा न करने पर अपराधिक मुकदमें दर्ज किए जाए।
घायलो के नाम की सूची जिनके द्वारा प्राथमिकी दर्ज की जाए
1 अकलू चेरो पुत्र विक्रम ग्रा0सुन्दरी, 2. शांति देवी पत्नि भरत ग्राम सुन्दरी, 3.सन्तोष पुत्र शिवप्रसाद ग्रा0 भीसुर, 4. राजदेव पुत्र हरदेव ग्रा0 महुली 5.धर्मवीर पुत्र फुलेश्वर ग्रा0 सुन्दरी 6. रामप्रसाद पुत्र रामदयाल ग्रा0 सुन्दरी 7. बूटन साव पुत्र सरजू साव ग्रा0 सुन्दरी, 8. माताप्रसाद पुत्र रामअवतार ग्रा0 भीसूर 9. रूपशाह पुत्र जागेश्वर ग्रा0 कोरची 10. रजकरिया पत्नि रामआधार ग्रा0 भीसूर 11. मानपती पत्नि रामसकल ग्रा0 सुन्दरी 12. फूलमती पत्नी बल्ला शाह ग्रा0 कोरची 13. देवकलिया पत्नी सनीचर ग्रा0 सुन्दरी 14. किसमतिया पत्नी गनपत ग्रा0 भीसुर 15.मनोज खरवार पुत्र केश्वर निवासी पचरवल जिला बलरामपुर छतीसगढ़ 16. फैाजदार पुत्र केशवराम ग्रा0 भीसुर 17. उदय पुत्र मेवल ग्रा0 भीसुर 18. सनीचर पुत्र रामदास ग्रा0 सुन्दरी 19. जहूर पुत्र गुलाम रसूल ग्रा0 सुन्दरी 20. अजीबुददीन पुत्र नूर मोहम्मद ग्रा0 सुन्दरी 21. मोईन पुत्र एनुल ग्रा0 सुन्दरी 22. बखोरी पुत्र सम्पत ग्रा0 सुन्दरी 22. विजेन्द्र जयसवाल पुत्र रामवेनी ग्रा0 अमवार 23.धनेश्वरी, 24 अतवारी, 25.कलावती 26. शांति,27.बिफनी, .28फूलपतिया 29.काउली 30.देवकली31.रजवन्ती 32.अकली 33. रजमनीया 34. पनवा 35.फूलवन्ती 36. रामनगीना 37. दीनानाथ 38. रामदिहल 39. देवराज 40. कलाम्मुददीन 41. कामता खवार 42. आत्मा खरवार 43. संजय 44. अजय 45. धर्मजीत 46. परमेश्वर 47. बैजनाथ सभी ग्राम सुन्दरी से व 48. रामदुलार 49. संतोष 50. रजिया 51. बुद्धिनारायण 52. मंगला 53 प्रमोद ग्राम भीसुर से 54. केवलपति पत्नी नंदकुमार 55. विध्यांचल पुत्र दुनिया ग्रा0 सुन्दरी से।
हम आशा करते है आप इन सब मांगों पर गंभीरता से लेगें व तत्काल इस पर कार्यवाही शुरू की जाएगी एवं बातचीत का माहौल बनाया जाएगा। वार्ता सीधे सरकार और लोगों के बीच होनी चाहिए तभी एक दीर्घकालीन समाधान संभव है अन्यथा इस अराजक स्थिति का इस्तेमाल अराजक तत्व व हथियार बंद ताकतों द्वारा किया जा सकता है। वर्षो के संघर्ष के बाद यह क्षेत्र हथियार बंद कार्यवाही से मुक्त हुआ है व जनवादी संघर्षो एवं जनांदोलनों से जनवादी परिसर कायम किया गया है जिसमें वनाधिकार कानून 2006 की एक बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए जल्द से जल्द इस मामले में राजनैतिक हस्तक्षेप कर स्थिति में शांति बहाली की व्यवस्था कराई जाए व जनवादी मूल्यों की रक्षा की जाए।
धन्यवाद
जारजूम ऐटे अशोक चैधरी मुन्नीलाल रोमा
अध्यक्ष महासचिव संगठन सचिव उपमहासचिव
कार्यकारिणी सदस्य - सोकालो गोंण( सोनभद्र उ0प्र0) शोभा भारती ( सोनभद्र उ0प्र0) रामचंद्र राणा( खीरी उ0प्र0) मातादयाल( रीवा म0प्र0) मंगल प्रसाद ( चित्रकूट उ0प्र0) नबादा राणा( खीरी उ0प्र0) फूलमति राणा( खीरी उ0प्र0) कमला खरवार( कैमूर बिहार) रजनीश गंभीर ( खीरी उ0प्र0) रमाशंकर( सोनभद्र उ0प्र0) धनपति( चन्दौली उ0प्र0) सनीचर अगरिया ( गढ़वा झाड़खंड) राजकुमारी ( मिर्जापुर उ0प्र0) हरिंिसंह व शिमला ( हरिद्वार उत्तराखंड़) मुजाहिद नफीस( गुजरात)
Record 13 Muslim MPs elected in UK Parliament
Record 13 Muslim MPs elected in UK Parliament
Record 13 Muslim MPs elected
Nusrat Ghani who became the first female Muslim Conservative MP
Naz Shah who won Bradford West back for Labour
Imran Hussain gained Bradford East from the Liberal Democrats
"at the bottom of the league table". He called for more support, scrutiny and intervention from the centre, "a similar model to the London Challenge."
Labour's Rupa Huq scored a major upset by winning the Ealing Central and Acton seat from former the Tories
Tulip Siddiq held the knife-edge Hampstead and Kilburn constituency for Labour
Bethnal Green & Bow MP Rushanara Ali increased Labour's share of the vote by 18.3 per cent
Labour MP Sadiq Khan will serve a third consecutive term for Tooting
Labours Yasmin Qureshi re-elected as the MP for Bolton South East
Shabana Mahmood comfortably defended her Ladywood seat in Birmingham
Terrorism pays no regards to religion at all.
Religion and Terrorism
‘ধর্ষণের ঘটনা পূর্বপরিকল্পিত’
আদিবাসী তরুণীটি গত বৃহস্পতিবার যমুনা ফিউচার পার্ক থেকে কাজ সেরে বাড়ি ফেরার পথে চলন্ত মাইক্রোবাসে পালাক্রমে ধর্ষণের শিকার হন। ওই দিনই রাত সাড়ে ১২টায় ভাটারা থানায় তিনি মামলা করেন http://www.prothom-alo.com/bangladesh/article/536011
A demonstration to protest against the killings of the Dalits in Nagaur was held at Rajasthan Bhawan at Prithviraj Road.
अत्यंत दुखद खबर डांगावास नरसंहार के एक और पीड़ित गणपत मेघवाल की भी अजमेर हॉस्पीटल में मृत्यु हो गई है.जब तक राज्य सरकार डांगावास मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश नहीं करती ,हमें शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिये.सब लोगों को पीड़ितो के प्रति एकजुटता दिखाते हुये अजमेर पहुंचना चाहिये.
अत्यंत दुखद खबर
डांगावास नरसंहार के एक और पीड़ित गणपत मेघवाल की भी अजमेर हॉस्पीटल में मृत्यु हो गई है.जब तक राज्य सरकार डांगावास मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश नहीं करती ,हमें शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिये.सब लोगों को पीड़ितो के प्रति एकजुटता दिखाते हुये अजमेर पहुंचना चाहिये.
ভারতীয় দলের সর্বেসর্বা হচ্ছেন সৌরভই
পদ যা-ই হোক ভারতীয় গণমাধ্যমের দাবি, ভারতীয় দলের সর্বেসর্বা হতে যাচ্ছেন সাবেক এই বাঙালি অধিনায়ক http://www.prothom-alo.com/sports/article/536233
Paid back with BABAJI KAA THULLU,India Incs cries for reforms which would not help without addressing the Production System! Palash Biswas
हिन्दू राष्ट्र के जाटलैंड में दलित संहार
हिन्दू राष्ट्र के जाटलैंड में दलित संहार
डांगावास में दलितों के सामूहिक नरसंहार की सी बी आई जांच की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमति अरूणा रॉय तथा नेशनल फैडरेशन ऑफ इंडियन वुमन की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, पीयूसीएल महासचिव कविता श्रीवास्तव तथा महिला आयोग की पूर्व चेयरपर्सन लाडकुमारी जैन के नेतृत्व में जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने लाठियां भांजी जिससे कुछ लोगों को चोट पहुंची। …………………………………………………….................
राजस्थान का जाट बाहुल्य नागौर जिला जिसे जाटलैंड कह कर गर्व किया जाता है,आधिकारिक रूप से अनुसूचित जाति ,जनजाति के लिए एक ' अत्याचारपरक जिला 'है . यहाँ के दलित आज भी दोयम दर्जे के नागरिक की हैसियत से ही जीवन जीने को मजबूर है .दलित अत्याचार के निरंतर बढ़ते मामलों के लिए कुख्यात इस जाटलैंड का एक गाँव है डांगावास ,जहाँ पर तकरीबन 16 सौ जाट परिवार रहते है.इस गाँव को जाटलैंड की राजधानी कहा जाता रहा है .यहाँ पर सन 1984 तक तो दलितों को वोट डालने का अधिकार तक प्राप्त नहीं था ,हालाँकि उनके वोट पड़ते थे ,मगर नाम उनका और मतदान कोई और ही करता था .यह सिर्फ वोटों तक सीमित नहीं था ,जमीन के मामलों में भी कमोबेश यही हालात है .जमीन दलितों के नाम पर और कब्ज़ा दबंग जाटो का . राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 (बी ) भले ही यह कहती हो कि किसी भी दलित की जमीन को कोई भी गैर दलित न तो खरीद सकता है और न ही गिरवी रख सकता है ,मगर नागौर सहित पूरे राजस्थान में दलितों की लाखों एकड़ जमीन पर सवर्ण काबिज़ है ,डांगावास में ही ऐसी सैंकड़ों बीघा जमीन है ,जो रिकॉर्ड में तो दलित के नाम पर दर्ज है ,लेकिन उस पर अनाधिकृत रूप से जाट काबिज़ है .
डांगावास के एक दलित दौलाराम मेघवाल के बेटे बस्तीराम की 23 बीघा 5 बिस्वा जमीन पर चिमनाराम नामक दबंग जाट ने 1964 से कब्ज़ा कर रखा था ,उसका शुरू शुरू में तो यह कहना था कि यह ज़मीन हमारे 1500 रुपये में गिरवी है ,बाद में दलित बस्ती राम के दत्तक पुत्र रतना राम ने न्यायालय की मदद ले कर अपनी जमीन से चिमनाराम जाट का कब्ज़ा हटाने की गुहार करते हुए एक लम्बी लडाई लड़ी और अभी हाल ही में नतीजा उसके पक्ष में आया .दो माह पहले मिली इस जीत के बाद दलित रतना राम मेघवाल ने अपनी जमीन पर एक छोटा सा घर बना लिया और वहीँ परिवार सहित रहना प्रारम्भ कर दिया . यह बात चिमनाराम जाट के बेटों ओमाराम तथा कानाराम जाट को बहुत बुरी लगी ,उसने जेसीबी मशीन ला कर उक्त भूमि पर तालाब बनाना शुरू कर दिया और खेजड़ी के हरे पेड़ काट डाले.इस बात की लिखित शिकायत रतना राम मेघवाल की ओर से 21 अप्रैल 2015 को मेड़ता थाने में की गयी,लेकिन नागौर जिले के पुलिस महकमे में जाट समुदाय का प्रभाव ऐसा है कि उनके विरुद्ध कोई भी अधिकारी कार्यवाही करना तो दूर की बात है ,सोच भी नहीं सकता है,इसलिए कोई कार्यवाही नहीं की गयी .इसके बाद दलितों को जान से खत्म कर दने की धमकियाँ मिलने लगी और यह भी पता चला कि जाट शीघ्र ही गाँव में एक पंचायत बुला कर दलितों से जबरन यह जमीन खाली करवाएंगे अथवा मारपीट कर सकते है ,तो इसकी भी लिखित में शिकायत 11 मई को रतना राम मेघवाल ने मेड़ता थाने को देकर अपनी जान माल की सुरक्षा की गुहार की ,फिर भी पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की .
14 मई 2015 की सुबह 9 बजे के आस पास डांगावास गाँव में जाट समुदाय के लोगों ने अवैध पंचायत बुलाई ,जिसमे ज्यादातर वे लोग बुलाये गए ,जिन्होंने दलितों के नाम वाली जमीनों पर गैरकानूनी कब्ज़े कर रखे है ,इस हितसमूह ने तय किया कि अगर रतना राम मेघवाल इस तरह अपनी ज़मीन वापस ले लेगा तो ऐसे तो सैंकड़ो बीघा जमीन और भी है जो हमें छोडनी पड़ेगी ,अतः हर हाल में दलितों का मुंह बंद करने का सर्वसम्मत फैसला करके सब लोग हमसलाह हो कर हथियारों –लाठियों ,बंदुको ,लोहे के सरियों इत्यादि से लैश होकर तकरीबन 500 लोगों की भीड़ डांगावास गाँव से 2 किमी दुरी पर स्थित उस जमीन पर पंहुची ,जहाँ पर रतना राम मेघवाल और उसके परिजन रह रहे थे .उस समय खेत पर स्थित इस घर में 16 दलित महिला पुरुष मौजूद थे,जिनमे पुरोहितवासनी पादुकला के पोखर राम तथा गणपत राम मेघवाल भी शामिल थे .ये दोनों रतना राम की पुत्रवधू के सगे भाई है ,अपनी बहन से मिलने आये हुए थे .दलितों को तो गाँव में हो रही पंचायत की खबर भी नहीं थी कि अचानक सैंकड़ों लोग ट्रेक्टरों और मोटर साईकलों पर सवार हो कर आ धमके और वहां मौजूद लोगों पर धावा बोल दिया .उन्होंने औरतो को एक तरफ भेज दिया ,जहाँ पर उनके साथ ज्यादती की गयी तथा विरोध करने पर उनके हाथ पांव तोड़ दिए गए ,दो महिलाओं के गुप्तांगों में लकड़ियाँ घुसेड़ दी गयी ,वहीँ दूसरी ओर दलित पुरुषों पर आततायी भीड़ का कहर टूट गया .उन्हें ट्रेक्टरों से कुचल कुचल कर मारा जाने लगा ,लाठियों और लोहे के सरियों से हाथ पांव तोड़ दिए गए ,रतना राम के पुत्र मुन्ना राम पर गोली चलायी गयी ,लेकिन उसी समय किसी ने उसके सिर पर सरिये से वार कर दिया जिससे वह गिर पड़ा और गोली भीड़ के साथ आये रामपाल गोस्वामी को लग गई ,जिसने मौके पर ही दम तोड़ दिया .
जाटों की उग्र भीड़ ने मजदूर नेता पोखर राम के ऊपर ट्रेक्टर चढ़ाया तथा उनकी आँखों में जलती हुयी लकड़ियाँ डाल दी ,लिंग नौंच लिया .उनके भाई गणपत राम की आँखों में आक वृक्ष का दूध डाल कर आंखे फोड़ दी गयी .इस तरह एक पूर्व नियोजित नरसंहार के तहत पोखर राम ,रतना राम तथा पांचाराम मेघवाल की मौके पर ट्रेक्टर से कुचल कर हत्या कर दी गयी तथा गणपत राम एवं गणेश राम सहित 11 अन्य लोगों को अधमरा कर दिया गया .मौत का यह तांडव दो घंटे तक जारी रहा ,जबकि घटनास्थल से पुलिस थाना महज़ साढ़े तीन किमी दुरी पर स्थित है .लेकिन दुर्भाग्य से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ,पुलिस उपाधीक्षक तथा मेड़ता थाने का थानेदार तीनों ही जाट होने के कारण उन्होंने सब कुछ जानते हुए भी इस तांडव के लिए पूरा समय दिया और जब सब ख़त्म हो गया तब मौके पर पंहुच कर सबूत मिटाने और घायलों को हटाने के काम में लगे .मनुवादी गुंडों की दादागिरी इस स्तर तक थी कि जब उन्हें लगा कि कुछ घायल जिंदा बच कर उनके विरुद्ध कभी भी सिर उठा सकते है तो उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में मेड़ता अस्पताल पर हमला करके वहां भी घायलों की जान लेने की कोशिस की .अंततः घायलों को अजमेर उपचार के लिए भेज दिया गया और मृतको का पोस्टमार्टम करवा कर उनके अंतिम संस्कार कर दिए गए .
पीड़ित दलितों के मौका बयान के आधार पर पुलिस ने बहुत ही कमजोर लचर सी एफ आई आर दर्ज की तथा दूसरी ओर रामपाल गोस्वामी की गोली लगाने से हुयी मौत का पूरा इलज़ाम दलितों पर डालते हुए गंभीर रूप से घायल दलितों सहित 19 लोगों के खिलाफ हत्या का बेहद मज़बूत जवाबी मुकदमा दर्ज कर लिया गया .इस तरह जालिमों ने एक सोची समझी साज़िश के तहत कर्ताधर्ता दलितों को तो जान से ही ख़त्म कर दिया ,बचे हुओं के हाथ पांव तोड़ कर सदा के लिए अपाहिज बना दिया और जो लोग उनके हाथ नहीं लगे या जिनके जिंदा बच जाने की सम्भावना है ,उनके खिलाफ हत्या जैसी संगीन धाराओं का मुकदमा लाद दिया गया ,इस तरह डांगावास में दबंग जाटों के सामने सिर उठा कर जीने की हिमाकत करने वाले दलितों को पूरा सबक सिखा दिया गया .राज्य की वसुंधराराजे की सरकार ने इस निर्मम नरसंहार को जमीनी विवाद बता कर इसे दो परिवारों की आपसी लडाई घोषित कर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया .हालाँकि पुलिस ,प्रशासन और राज्य सरकार के नुमाईनदों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि दो पक्षों के खुनी संघर्ष में सिर्फ एक ही पक्ष के लोग क्यों मारे गए तथा घायल हुए है ,दुसरे पक्ष को किसी भी प्रकार की चौट क्यों नहीं पंहुची है और जब दलितों के पास आत्मरक्षा के लिए लाठी तक नहीं थी तो रामपाल को गोली मारने के लिए उनके पास बन्दुक कहाँ से आ गयी और फिर सभी दलित या तो घायल हो गए अथवा मार डाले गए तब वह बन्दुक कौन ले गया .जिससे गोली चलायी गयी थी .मगर सच यह है कि दलितों की स्थिति गोली चलाना तो दूर की बात ,वो थप्पड़ मारने का साहस भी अब तक नहीं जुटा पाए है .23 मई को एक और घायल गणपत राम ने भी दम तोड़ दिया है ,जिसकी लाश को लावारिस बता कर गुप चुप पोस्टमार्टम कर दिया गया .
नागौर जिला दलित समुदाय के लोगों की कब्रगाह बन गया है ,यहाँ पर विगत एक साल में अब तक दर्जनों दलितों की हत्यायें हो चुकी है ,इसी डांगावास गाँव में जून 2014 में जाटों द्वारा मदन मेघवाल के पांव तोड़ दिए गए है ,जनवरी 2015 में मोहन मेघवाल के बेटे चेनाराम की हत्या कर दी गयी ,बसवानी गाँव की दलित महिला जड़ाव को जिंदा जला दिया गया ,उसका बेटा भी बुरी तरह से झुलस गया .मुंडासर की एक दलित महिला को ज्यादती के बाद ट्रेक्टर के गर्म सायलेंसर से दाग दिया गया ,लंगोड़ में एक दलित को जिंदा ही दफना दिया गया ,हिरड़ोदा में दलित दुल्हे को घोड़ी से नीचे पटक कर जान से मारने का प्रयास किया गया .इस तरह नागौर की जाटलैंड में दलितों पर कहर जारी है और राजस्थान का दलित लोकतंत्र की नई नीरों ,चमचों की महारानी,प्रचंड बहुमत से जीत कर सरकार चला रही वसुंधराराजे के राज में अपनी जान के लिए भी तरस गया है .राज्य भर में दलितों पर अमानवीय अत्याचार की घटनाएँ बढ़ती जा रही है और राज्य के आला अफसर और सूबे के वजीर विदेशों में ' रिसर्जेंट राजस्थान 'के नाम पर रोड शौ करते फिर रहे है .कोई भी सुनने वाला नहीं है ,राज्य के गृह मंत्री तो साफ कह चुके है कि उनके पास कोई ज़ादू की छड़ी तो है नहीं जिससे अपराधियों पर अंकुश लगा सके. पुलिस 'अपराधियों में भय और आम जन में विश्वास ' के अपने ध्येय वाक्य के ठीक विपरीत ' आम जन में भय और अपराधियों में विश्वास ' कायम करने में सफल होती दिखलाई पड़ रही है .जाटलैंड का यह निर्मम दलितसंहार संघ के कथित हिन्दुराष्ट्र में दलितों की स्थिति पर सवाल खड़ा कर रहा है .
-भंवर मेघवंशी
{ लेखक मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ जुड़े है और राजस्थान में दलित,आदिवासी एवं घुमन्तु समुदाय के मुद्दों पर सक्रिय है ,उनसे 095710 47777 पर संपर्क किया जा सकता है }
सुसाइड नोट: ‘बस मरना ही हमारे हिस्से है..’ विनय सुल्तान
किसानों की आत्महत्या का विमर्श हिंदी पत्रकारिता से एकदम नादारत् है.. जबकि 'अच्छे दिनों' के आ जाने के इस सालभर में भी हिंदी पट्टी में ही सैकड़ों किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं..
इन आत्महत्याओं की वजहों की पड़ताल करती Vinay Sultan की डायरी 'सुसाइड नोट' पढ़ने का आग्रह हम उन सभी लोगों करना चाहते हैं जो इस देश में किसानों और उनकी ज़िंदगी को किसी भी लिहाज़ से अहम मानते हों.
बिना संसाधनों और बड़े बैनर की ओर तांके विनय ने बड़े ही साहस से तीन राज्यों के ग्रामीण इलाकों में घूमकर वहां किसानों के हालात का जायजा लेने की कोशिश की है.
अंग्रेजी अख़बारों में पी. साईनाथ की इस तरह की रिपोर्टों की पीठ सहला देना अंग्रेजी में जुगाली करने वाले हमारे मध्यवर्गीय तबके के लिए शगल ही है..
लेकिन हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में ये काम किया जाना जितना अहम है उतना ही चुनौती भरा भी है..
गिने चुने जो लोग यह दुस्साहस कर पा रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित करनाा हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है..
प्रैक्सिस में हम विनय की इस डायरी सोसाइड नोट को हर रविवार किश्तों में प्रकाशित कर रहे हैं.. आज पढ़ें तीसरी किस्त-
सुसाइड नोट: 'बस मरना ही हमारे हिस्से है..'
सुसाइड नोट - 2
हाँ यह सच है, लोग गश खा कर गिर रहे हैं…
सुसाइड नोट: 'बस मरना ही हमारे हिस्से है..'
"युद्ध का वर्णन सरल होता है. कुछ लोग युद्ध करते हैं. शेष उनका साथ देते हैं. कितना ही घमासान हो, महाकाव्य उसे शब्दों में बांध लेते हैं. पर आज तो हर व्यक्ति छोटा सा रणक्षेत्र बना अपनी प्राणरक्षा के युद्ध में लगा है. जान हथेली पर है, पीठ दीवार से टिकी हुई है, शस्त्र इतना विश्वसनीय नहीं और जिंदा रहना बहुत जरुरी है. आप कितने युद्धों का वर्णन एक साथ करेंगे? चप्पा-चप्पा मामले हैं और कोई बचाव जोखिम से खाली नहीं है. बूचड़खाना बन गया है देश……"
- शरद जोशी
(बातें बयान से बाहर हैं )
हमारे जेहन में हर शब्द के साथ एक या अधिक छवियां जुड़ी होती हैं. मसलन बुंदेलखंड नाम सुनते ही लक्ष्मी बाई, फूलन देवी, ददुआ, मोड़ा-मोड़ी, चंद्रपाल-दीपनारायण, ललितपुर का एक दोस्त जैसी छवियाँ उपरी माले के आटाले से निकल कर सामने आ जाती हैं. एक दोस्त की शादी के सिलसिले में हुए 24 घंटे से कम के प्रवास को अगर छोड़ दिया जाए तो यह बुंदेलखंड से मेरा पहला साबका था.
उत्तर प्रदेश के सात और मध्यप्रदेश के छह जिले मिल कर जिस भौगौलिक क्षेत्र को मुक्कमल करते हैं उसका नाम है बुन्देलखंड. बेतवा,केन और चम्बल जैसी नदियाँ, विंध्य पर्वतमाला और गंगा-जमुना के मैदान के बीच का अध सूखा-अध गीला क्षेत्र. यहां 1.75 करोड़ हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें से 40 फीसदी सिंचित है. इस पर 2.33 करोड़ किसानों की आजीविका निर्भर है.
2-3 और 14-15 मार्च को पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हुई बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने भारतीय कृषि के चमकदार आंकड़ों की सतह के नीचे उबल रहे शोषण और जिल्लत के लावा को विस्फोटक मोड़ पर ला कर छोड़ दिया. अचानक पूरे देश से किसानों के दिल के दौरे पड़ने और आत्महत्या की वजह से मौत होने की खबरों का तांता सा लग गया.
विदर्भ,मराठवाड़ा,तेलंगाना,आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश,कर्णाटक के अलावा, राजस्था, हरियाणा,बृज,गंगा के मैदानों से भी किसानों की आत्महत्या की खबरें आनी शुरू हो गईं.
एक दोस्त की शादी के दौरान लातिलपुर में 24 घंटे से कम के प्रवास को छोड़ दें तो यह मेरी बुंदेलखंड की पहली यात्रा थी. 6 अप्रैल तक सूबे में मरने वाले किसानों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी थी. इसमें से 62 किसान बुन्देलखंड से थे.
अब ये आंकड़ा 250 के पार पहुंच चुका है जिसमें से अकेले बुंदेलखंड में 158 किसान मारे जा चुके हैं.
भारतीय रेल के नागरिक…..
कोटा से मुझे बीना होते हुए झांसी का सफ़र तय करना था. वहां से अगले चरण में जालौन जाना था जहां किसान आत्महत्या के सबसे अधिक केस थे. कोटा से बीना की यात्रा के दौरान मेरे सामने एक दिलचस्प वाकया पेश आया.
जनरल डब्बे में आपके पास नींद लेने के बहुत विकल्प नहीं होते हैं, अगर आप किस्मत से ऊपर की सीट कब्जाने में कामयाब नहीं हो पाए हों. क्योंकि भोपाल-कोटा पेशेंजर कोटा से ही बन कर चलती है इसलिए खिड़की की सीट पर कब्ज़ा जमाने के कामयाब रहा था.
रात को लगभग एक बजा होगा. ट्रेन गुना स्टेशन पर रुकी. नींद आ नहीं रही थी, ऊपर से सामान की चिंता अलग से थी. मैने चाय पीने की गरज से नीचे उतरने की सोची. गेट के पास पहुंचा तो देखा एक आदमी शौचालय और गेट के बीच बनी गैलरी में लम्बा पसरा हुआ है. किसी भी तरह से उसे लांघ कर गेट तक पहुंचना संभव नहीं था.
खिचड़ी बाल,बढ़ी दाढ़ी,मैले-कुचैले कपड़े उम्र 55 से कम तो क्या रही होगी. चाय पीने की तलब थी सो काफी सोचने के बाद उसे उठाया. डर ये था कि कहीं ट्रेन रवाना ना हो जाए. वैसे गुना बड़ा स्टेशन था ट्रेन का 5 मिनट से ज्यादा रुकना लाजमी था. मैंने उसे हिलाया वो इस झटके के साथ उठा मानों ऊपर से कोई बम गिर गया हो.
मुझे किसी को नींद से उठाना हमेशा से एक किस्म की अश्लील हरकत लगती है. क्योंकि मुझे खुद का नींद से उठाया जाना कभी बर्दाश्त नहीं हुआ. इसी अपराधबोध में मैंने गैलरी में लेटे पड़े उस आदमी से चाय के लिए पूछ लिया. उसने 'हाँ'के अंदाज में सिर हिलाया. मैंने एक चाय उसे भी ला कर दी. इसके बाद उसने पूछा, 'कुछ खाने को है?'मैं पास ही खड़े ठेले तक गया और उसे एक पैकेट पार्ले-जी ला कर दे दिया.
उसके बिस्किट थमाने के साथ ही ट्रेन ने हॉर्न दे दिया. वो झटके से नीचे उतर गया. उसने चाय और बिस्किट पकडे हुए हाथों से एक किस्म के नमस्कार की मुद्रा बनाई. उसकी आंखे धन्यवाद ज्ञापित कर रहीं थी. इस बीच ट्रेन ने हलका सा झटका खाया और धीमी गति में चल पड़ी. वो ट्रेन की गति की विपरीत दिशा में जाने लगा. थोड़ी दूर जा कर उसने मुड़ कर देखा. मैं अब भी गेट पर खड़ा उसे देख रहा था. उसने बिस्किट के पैकेट वाले हाथ को उठाया और हवा में लहरा दिया. ट्रेन की अब गति पकड़ती जा रही थी. मैं उसे तब तक देखता रहा जब तक वो प्लेटफार्म के अंतिम छोर के अंधेरे में गुम नहीं हो गया.
मैंने बंद कमरें में भूपेन हजारिका का गाया हुआ 'हाँ आवारा हूँ…"सैंकड़ों बार सुना है. आवारगी मेरे खयाल में दुनिया का सबसे खूबसूरत काम है. गाने की शुरुवात से पहले बांग्ला से हिंदी के तर्जुमाकार गुलजार कहते हैं, 'आवारा कहीं का, या आवारा कहीं का नहीं.'मैंने इस वाक्य को हजारों बार दोहराया है. इस घटना के बाद मुझे पहली बार महसूस हुआ कि बिना मंजील के भटकते रहा कई स्थितियों में खूबसूरत काम नहीं होता है.
भारतीय रेल उन लाखों लोगों का अघोषित देश है जो लगातार सालों से भटक रहे हैं. प्लेटफार्म पर सो रहे हैं. हर रात इनका सफ़र एक पैकेट बिस्किट, यात्रियों के बचे हुए खाने या पेंट्रीकार्ट के कर्मचारियों की उदारता पर खत्म होता है. ये भारतीय रेल के नागरिक हैं. शेष भारत में इनकी नागरिकता निलंबित कर दी गई है. जब इनकी लाश प्लेटफार्म के किसी कोने, ट्रेन की बोगी या पटरियों पर मिलती है,तो रेलवे पुलिस गुमनाम शख्स के तौर इसे अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लेती है.
या इलाही ये मांजरा क्या है ?
कोटा से बीना, झांसी होते हुए मैं शाम 5 बजे उरई पहुंचा. बुंदेलखंड के जालौन जिले में सबसे ज्यदा किसानों के मारे जाने की खबर थी. कहने को उरई महज एक तहसील है लेकिन जालौन जिले का मुख्यालय यहीं पर हैं . जिले का प्रशासन यहीं से संचालित होता है. बस स्टॉप से बाहर निकलते ही मैं किताबघर पर रुक गया. स्थानीय अखबारों में हो रहा कवरेज काफी हद तक मददगार साबित होता आया है. तीन राष्ट्रीय अखबारों के स्थानीय संस्करणों ने एक दिन में 9 किसानों के आत्महत्या करने की खबर को पहले पन्ने पर छापा था. हमीरपुर, बांदा, उरई, महोबा में 3 किसानों के आत्महत्या करने की खबर थी, वहीँ 6 किसान सदमे का शिकार हुए थे.
अखबार के अंदर के पन्ने में सूबे की फतेहपुर सीट से सांसद और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री निरंजन ज्योति का बयान छपा था. यह बयान आपकी वैज्ञानिक चेतना को सम्पूर्णता में ध्वस्त करता है. मथुरा में बांकेबिहारी के दर्शन करने के बाद साध्वी जी को दिव्य ज्ञान की प्राति हुई. उन्होंने बाहर आ कर पत्रकारों को प्रवचन दिया-
'जिस प्रकार देश में कन्या भ्रूणहत्या, गौहत्या और बलात्कार जैसे घृणित अपराध हो रहे हैं, उसके चलते ये आपदा आ रही हैं.'
फरवरी से अप्रैल के बीच हर साल देश में पश्चिमी विक्षोभ आते हैं. भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर से नमी ले कर चलने वाली तेज हवाएं सर्दी के मौसम में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश और ओलावृष्टि का सबब बनती हैं. हर साल इनकी तादाद एक महीने में दो या तीन रहती है. इस बार हमारे खेतों ने दस दिन में बीस विक्षोभों का सामना किया है. इतनी बड़ी तादाद में आए पश्चिमी विक्षोभों ने मौसम और पर्यावरण के जानकारों की चिंता को बढ़ा दिया है. आखिर जलवायु परिवर्तन के लिहाज से इस मसले को गंभीरता से लिया जाना जरुरी है. लेकिन साध्वी जी की अपनी व्याख्या है और आप इसे चुनौती नहीं दे सकते.
बहरहाल कहानी यहीं खत्म नहीं होती. होटल में पहुंच कर टीवी खोला तो सूबे के मुख्य सचिव अलोक रंजन की प्रेस वार्ता दिखाई जा रही थी. मुख्य सचिव महोदय का कहना था कि अब तक सूबे में 35 लोगों के मारे जाने की खबर है. उन्होंने साफ-साफ़ कहा कि अब तक किसी भी किसान के फसल खराबे की वजह से मारे जाने की जानकारी नहीं है और इस मामले में जिलाधिकारी को जांच के आदेश दे दिए गए हैं. दिल्ली लौटने के बाद जब मैंने सन्दर्भ के लिए रंजन के बयान को गूगल किया तो ज़ी न्यूज और एनडीटीवी की वेबसाईट पर लिखा था कि राज्य में 35 किसानों के मारे जाने की बाट स्वीकारी गई है. मुख्यधारा का मीडिया के पास सलेक्टिव बहरेपन की शक्ति मौजूद है. जिनका जिक्र रंजन साहब कर रहे थे वो लोग वर्षा जनित हादसों का शिकार हुए थे.
7 अप्रैल को मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के तीन क्षेत्रों का दौरा करने के बाद केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सभी जगह किसान फसलों के चौपट होने से दु:खी हैं. गेंहू की फसल तो पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है, लेकिन मैं किसानों से कहता हूं कि इससे निराश होने की जरुरत नही है. केन्द्र की सरकार किसानों की जितनी मदद कर सकती है, उतनी मदद आपकी करेगी. आप निराश मत हों. निश्चित रुप से किसानों को राहत मिलेग.
दिल्ली लौटने के बाद झांसी से पत्रकार साथी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के दौरे का लिंक शेयर किया. मई दिवस के दिन राजनाथ सिंह जी बांदा में किसानों के हालात का जायजा ले रहे थे. उन्होंने किसानों से साफ़ कह दिया कि कर्ज माफ़ करना हमारे बस की बात नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि हम किसानों की आंखों में धूल नहीं झोंकना चाहते हैं, इसलिए साफ-साफ कह रहे हैं कि कर्ज माफ नहीं कर पाएंगे. इसकी वजह यह कि आज यदि उत्तर प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करेंगे तो कल बिहार-पंजाब में भी कर्ज माफ करना पड़ेगा, फिर पूरे देश में.
वित्त राज्य मंत्री जयंत सिंहा ने राज्य सभा में बताया कि 4.85 लाख करोड़ का कर उद्योग जगत पर बकाया है. वित्त राज्य मंत्री ने राज्य सभा दिए एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, '28 फरवरी तक प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत कॉर्पोरेट टैक्स के मद में कुल 3.20 लाख करोड़ रुपये का बताया है. 31 मार्च तक अप्रत्यक्ष कर के मद में लगभग 1.65 लाख करोड़ रुपये का बकाया था, जिसमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और शुल्क शामिल है.
वर्ष 2014-15 में 62,398.6 करोड़ का कर उद्योग जगत से वसूला नहीं जा सका. यह पिछले साल के मुकबले 8 फीसदी ज्यादा है. पिछले साल यह आंकड़ा 57,793 करोड़ था. देश में 77 ऐसी कम्पनियाँ हैं जो 100 करोड़ से ज्यादा के टैक्स की देनदार हैं.
आप निरंजन ज्योति से जयंत सिंहा तक के सभी बयानों को पढ़ कर किस नतीजे पर पहुंचे? दरअसल किसी नतीजे पर पहुंचना संभव ही नहीं है. सबसे पहले साध्वी जी कहती हैं अगर इस देश में बलात्कार और गौहत्या खत्म हो जाए तो कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आएगी. मतलब किसानों को मुआवजे के आन्दोलन करने की बजाए अब गौहत्या रोकने के लिए आन्दोलन शुरू कर देने चाहिए क्योंकि पूरे फसाद की जड़ यही है.
केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री कहता है कि किसानों को चिंता करने की जरुरत नहीं है, मोदी सरकार उनके साथ हैं. महीने भर बाद गृहमंत्री आ कर बताता है कि हम आपकी आंख में धूल नहीं झोंकना चाहते दरअसल हमारे पास कर्जमाफ़ी के लिए पैसा नहीं है. जब गृहमंत्री यह बात कह रहा है होता है उसके दो दिन पहले वित्तराज्य मंत्री कहता है कि हमें 4.85 लाख करोड़ का टैक्स वसूलना है. इस बीच सूबे का मुख्य सचिव पहले ही बता चुका है कि नुक्सान 1100 करोड़ का हुआ है. और एक भी किसान नहीं मारा है.
तो आखिर ये लोग चाहते क्या हैं? प्रधानसेवक जी अपने चुनावी भाषणों में कहते थे कि हम भूमिपुत्रों को मरने नहीं देंगे. यह वास्तव में बयान का आधा हिस्सा हिस्सा था. आधा हिस्सा जो कहा नहीं गया वो कुछ इस तरह से है, 'हम बस यह सुनिश्चित करेंगे कि किसान के पास मरने के अलावा कोई विकल्प ना बचे.'
किससे जा कर कहें? कोई सुनने वाला है नहीं …..
उरई में मुझे स्थानीय पत्रकार ने जिलाधिकारी जांच की वो रिपोर्ट ला कर दी जिसका जिक्र मुख्य सचिव घंटे भर पहले टीवी पर कर रहे थे. रिपोर्ट के मजमून में लिखा हुआ था कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में बनी कमिटी ने हर मृत्यु प्रकरण की स्थलीय जांच करने के बाद बाद गंभीरता से विचार कर नतीजे हासिल किए हैं. मैंने इसी रिपोर्ट को क्रॉस चेक करने का फैसला किया.
जालौन जिले की उरई तहसील का गांव करमेर . भगवानदीन(सरकारी रिकॉर्ड में भगवानदास) आधे बीघे के काश्तकार हैं. वो साल भर पहले तक दो बीघे के मालिक हुआ करते थे. पोती की शादी के खातिर लिए गए कर्ज को पाटने के लिए उन्हें अपनी डेढ़ बीघा जमीन 1.25 लाख में बेच दी थी. सीमान्त किसान किस प्रक्रिया से भूमिहीन बनता है इसको समझाना मुश्किल नहीं है उन्होंने 6 बीघा जमीन 5500 सौ रूपए प्रतिबीघा की दर से लीज पर ली थी. स्थानीय भाषा में इसे बलकट कहा जाता है.
बुंदेलखंड में 1.76 करोड़ हैक्टेयर भूमि पर 2.33 करोड़ किसानों का परिवार पल रहा है. इसमें से 1.85 करोड़ किसान सीमान्त की श्रेणी में आते हैं जिनके पास एक हैक्टेयर भूमि की मिल्कियत भी नहीं है. इन सीमान्त किसानों के लिए जिन्दगी गुजारने के लिए बलकट पर खेती करना एक किस्म की मजबूरी बन चुका है.
15 तारीख को हुई ओलावृष्टि के बाद खेत देखने गए भगवानदीन ने सदमें की वजह से दम तोड़ दिया. उनके भाई घटना को याद करते हुए कहते हैं-
'सुबह के सात-आठ बजे का वक्त रहा होगा. चार दिन पहले ही बारिश हुई थी. सब चौपट हो गया था. भाई खेत में गए तो बर्बादी उनसे बर्दाश्त नहीं हुई. वहीँ बैठ गए. सीने में जोर से दर्द होने की शिकायत की. खेत से लोगों ने हमें आकर खबर दी. मैं पहुंचा और उन्हें घर लेजाने लगा तो कहने लगे एक कदम भी चल नहीं पाएंगे. इसके बाद दो लोग घर से दौड़ कर खाट ले कर आए. उस पर लिटा कर घर ले कर आए. बस यहीं उन्होंने प्राण त्याग दिए.
वो कह ही रहे थे कि पास ही बैठी अधेड़ महिला ने भगवानदीन के घर के बाहर लगे नीम की तरफ इशारा कर के बताने लगीं , 'इसी नीम के पास ला कर लेटा दिया था इन लोगो ने. मैं भैंस का सानी-पानी कर रही थी. बड़ी जोर-जोर से चिल्ला रहे थे बहुत दरद हो रहा है. हमने कहा कि अस्पताल ले जाओ पर अस्पताल कहाँ पहुंचाते दस मिनट में मिट्टी हो गए.'
भगवानदीन के भाई ने बताया कि उनका भतीजा मजदूरी के लिए उरई गया हुआ था. इसलिए पोस्टमार्टम नहीं हो सका. जब मैं भगवानदीन के घर पर बैठ कर उनकी मौत के प्रकरण को दर्ज कर रहा हूँ उस समय भगवानदीं का बेटा उरई में दिहाड़ी मजदूरी कर रहा है.
सरकारी रिपोर्ट कहती है कि भगवानदीन सांस की बिमारी की वजह से मौत का शिकार हुए. उन्होंने पूरे कुनबे की जमीन को उनके खाते में लिख दिया है. हालांकि फिर भी यह आंकड़ा 1 हैक्टेयर के पार नहीं जा पाया. आर्थिक स्थिति के कॉलम में 'ठीक है'बैठा दिया गया है. भगवानदीन बुन्देलखंड के 1.85 करोड़ सीमान्त किसानों में से एक है. ये परिवार उस लक्ष्मण रेखा के नीचे है जिसे अर्थशास्त्री बीपीएल कहते हैं. अब कोई भी ठीक दिमाग का आदमी इस परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक कैसे करार दे सकता है?
मैं चलने को होता हूँ कि भगवानदीन के भाई मेरे साथ उठ खड़े होते हैं. उनके हाथ जुड़ जाते हैं. वो कहते है, 'क्या बताएं साहब बस मरना ही हमारे पल्ले है. इतना कष्ट हम लोग भोग रहे हैं पर किसे जा कर कह दें? कई सुनने वाला है नहीं.'
मोटरसाइकिल की पिछली सीट से मैं एक बार भगवानदीन के घर की तरफ नजर घुमाता हूँ. दरवाजे के किनारे टंगा आँखों का एक जोड़ा गली के अंत तक मेरा पीछा करता है. शायद ये भगवानदीन की छोटी पोती होगी जिसकी शादी इस साल होने वाली थी…..
सामाजिक न्याय का मोतियाबिंद….
दोपहर के 1 बज रहे हैं. उरई तहसील का गांव बम्हौरी कला. इस क्षेत्र में घूमने के दौरान मेरी दो नामों से बार-बार मुठभेड़ होती रही है. बम्हौरी और चमारी. बम्हौरी मतलब सवर्णों का गांव और चमारी मतलब दलित बस्तियां. मैं जैसे ही बम्हौरी के अंदर जाने वाली सड़क पर मुड़ता हूँ मुझे फर्क नजर आ जाता है. दो तल्ले का इंटर कॉलेज. पानी सप्लाई की टंकी. टूटी सकड़ जिससे मैं रास्ते भर परेशान रहा यहां मुड़ते ही राष्ट्रीय राजमार्ग का रूप ले लेती है. पक्के मकान. साफ़ पोखर. गांव वालों से बात करने पर पता चलता है कि मुख्यमंत्री ने साल भर पहले इस गांव का दौरा किया था.
मैं गांव के बीच बने मंदिर के बाहर रुकता हूँ. मुझे गोटीराम के घर का पता पूछना है. गांव का एक आदमी हमारी मोटरसाइकिल पर लद जाता है. हम एक संकरी सी गली के बाहर रुकते हैं. वो आदमी मुझे कहता है इस गली में गोटीराम का घर है. मेरे गोटीराम के घर तक छोड़ने के आग्रह को वो ख़ारिज कर देता है. 'आप चले जाइए मैं इधर नहीं जाता.'साथ में गए स्थानीय पत्रकार ने बताया कि यह ठाकुरों का गांव है. यहां के ठाकुरों का काफी 'रौला'है आसपास के क्षेत्र में.
फरवरी के महीने में जालौन राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में था. यहां एक दलित ने ठाकुरों के बराबर बैठ कर खाना खाने का दुस्साहस किया था. इसके चलते ठाकुरों की नाक कट गई. बदले में ठाकुरों ने अमर सिंह दोहरे नाम के दलित की नाक काट ली. पुलिस ने इस मामले को नाक पर लगी चोट करार दिया था. इसके कुछ दिनों बाद ही एक दलित को मल-मूत्र खिलाने की खबर ने फिर से सामाजिक न्याय के नारे पर खड़ी प्रदेश सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था.
जब में उस संकरी गली को पार करके गोटीराम के घर पर पहुंचा तो वहां चार बच्चियों और एक 70 वर्षीय विकलांग वृद्ध के अलावा कोई नहीं था. बड़ा बेटा बलवान अपनी छोटी बहन और बीवी के साथ दूसरों के खेत में गेंहू काटने गया हुआ था . गोटीराम की पत्नी अपने छोटे बेटे के साथ मुआवजे के चक्कर में तहसील गई हुई थीं.
मेरे पहुंचने पर पड़ोस की महिला ने पास ही खड़ी आठ साल की लड़की को अंदर से बैठने के लिए खाट लाने के लिए कहा. बच्ची अंदर से जो खाट लाइ उसकी भौतिक स्थिति यह नहीं थी कि वो मेरा वजन संभाल सके. महिला ने बच्ची को 'अच्छी खाट'लाने के लिए कहा. बच्ची का जवाब था, 'सभी खाट तो टूटी हुई हैं.'इस पर मैंने महिला को कहा कि वो अपने घर से कोई कुर्सी दे दें. महिला का जवाब था हम लोग इनके छुए को हाथ नहीं लगाते. हमारी बिरादरी अलग है. पूछने पर पता चला कि पड़ोसी महिला कुम्हार बिरादरी की थीं. जबकि गोटीराम चमार.
गोटीराम के घर के दरवाजे पर खड़ा मैं सोच रहा था कि सामाजिक न्याय की जिस राजनीति की कसमें खाई जा उसका मुहाना कहाँ जा कर खुलता है? सवर्ण और अवर्ण के भीतर के तकरार को छोड़ दीजिए यहां पिछड़ा भी दलितों को दोयम दर्जे का नागरिक समझाता है. इतना ही नहीं चमार मेहतर को खुद से नीचा समझाता और कुम्हार चमार से खुद को ऊँचा समझता है. ब्राह्मण और ठाकुरों के बीच उच्चता के लिए इसी किस्म का झगड़ा है. ब्रहामणों में अपनी उप-जातियों के बीच इसी किस्म की तकरार मौजूद है. हमारे बुद्धिजीवी जो सामाजिक न्याय के झंडाबदार है इस कोंट्राडिक्शन से वाकिफ नहीं हैं क्या? दरअसल वोटों के लिहाज से पिछड़ा और दलित मिला कर जो समीकरण तैयार होता है उससे सत्ता की चाबी बनती है. सत्ता अक्सर असल सवालों को किनारे लगा देती है. सलेक्टिव अँधापन अच्छा शब्द है….
और उसकी लाश दो घंटे तक लटकती रही……
पचास साल के गोटीराम एक भूमिहीन किसान हैं. वो हर साल बलकट पर भूमि ले कर जोतते हैं. इसके अलावा परिवार खेत में मजदूरी करता है. दो लड़कों और चार लड़कियों के पिता गोटीराम ने इस साल दस बीघा जमीन 5500 रूपए प्रति बीघा की दर से लीज पर ली थी. साल भर पहले अपनी सबसे बड़ी बेटी की उन्होंने शादी की थी. इसके लिए उन्होंने स्थानीय महाजन से 60 हजार रूपए 10 प्रतिशत प्रति माह की दर से उधार लिए थे. अब यह रकम 1.5 लाख रूपए के लगभग पहुंच चुकी है.
गोटीराम ने 8 मार्च को अपने घर के बाहरी कमरे में फांसी लग कर आत्महत्या कर ली. जिसे मैं गोटीराम का घर कह रहा हूँ वो एक कमरे, दालान और खुली रसोई का मिट्टी और खपरेल से बना हुआ ढांचा है. दलान में तीन टूटी खाट हैं. एक तेल की चिमनी और दूध का डब्बा लटका हुआ है. डब्बे में बकरी का दूध होगा क्योंकि बाहर एक बकरी का छोटा बच्चा बंधा हुआ है. गोटीराम की 10 और 8 साल की दो बेटियां अपनी 1 और 3 साल की विकलांग भतीजी का ध्यान रखने के लिए घर पर छोड़ दी गई हैं.
गोटीराम के पुत्र बलवान पूरी घटना को इस तरह से बयान करते हैं-
'आठ मार्च की बात है. मेरी मां और मैं उरई गए हुए थे. मजदूरी के लिए. पिता जी दोपहर को खेत से लौटे. इसके बाहर के कमरे में खुद को बंद कर लिया. मैं घर पर था नहीं. शाम को घर वालों ने चाय के लिए दरवाजा बजाया. अंदर से कोई जवाब नहीं आया. तब जा कर दरवाजा तोड़ा गया. अंदर बाबा की लाश गमछे से लटक रही थी. मैं सात बजे तक उरई से लौटा. रास्ते में ही हमें समाचार मिल गया था. घर पहुंचा तो बाबा की लाश वैसे ही लटकी हुई थी. '
पिता की लाश के दो घंटे लटकते रहने का कारण जानने की कोशिश की तो बलवान थोड़ा असहज हो गए. पहले कहा कि घर में सिर्फ औरते थीं सो उनकी हिम्मत नहीं पड़ी लाश उतारने की. जब मैंने कहा कि गांव में से कोई उतार देता तो बलवान का जवाब था, 'कोई हमारी बिरादरी की लाश को क्यों छुएगा?'
बलवान की छोटी 8 साल की छोटी बहन सुमन बीच में कहती है, 'जब से बाबा मरे हैं तब से उस कमरे में नहीं जाती. भीतर जाने से डर लगता है.'
बलवान आगे बताते हैं कि उनके पिता की मृत्यु शाम को 5 बजे के लगभग हुई थी. पुलिस उनके घर दूसरे दिन सुबह 9 बजे पहुंच पाई. बम्हौरी से नजदीकी पुलिस स्टेशन की दूरी 6 किलोमीटर है. इस दूरी को तय करने में पुलिस को 15 घंटे का समय मिल गया.
सरकारी जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में बलकट भूमि के कॉलम में 'नहीं'शब्द को सभी 27 जांचों में कॉपी-पेस्ट कर दिया है. जबकि मैं बलवान के साथ उनके उस खेत पर जा कर आया जिसे उसने बलकट के रूप में लिया था.
जमींदारी उन्मूलन कानून की धारा 229 बी के अनुसार जमीन को खेती के लिए लीज पर देना और लेना कानूनी जुर्म है. अगर कोई किसान निश्चित समय अवधी तक किसी भूमि को जोतता आया हो तो वो उसकी मिल्कियत हो जाएगी. यह कानून बटाईदारी प्रथा को समाप्त करने के लिए बनाया गया था. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बुंदेलखंड में 40 फीसदी से ज्यादा किसान बलकट पर भूमि लेते हैं. इन पेचीदगियों के चलते जांच दल ने इस कॉलम में 'नहीं'चस्पा कर दिया. अब सवाल यह है कि इस कॉलम से जांच रिपोर्ट की शोभा और अविश्वसनीयता को बढ़ाए जाने की मजबूरी क्या थी? बहरहाल सरकारी जांच दल ने बड़ी गंभीरता से जांच करने के बाद पाया कि गोटीराम ने पारिवारिक कलह की वजह से जान दी.
बातचीत खत्म और चाय आने के बीच के समय में बलवान अपने कुत्ते को सहलाने में व्यस्त था. मैं अपने सामान बैग में तह कर रहा था. इतने में बलवान मेरी तरफ मुड़ा. 'ये हमारा कुत्ता है साहब. यह रात भर बाबा की लाश के पास बैठा रहा. सात दिन तक खाना नहीं खाया. ये जानवर है साहब. आप सोचिए हमारा क्या हाल रहा होगा?'
मैं उरई लौट रहा हूँ. शाम हो चुकी है. बिल्कुल बगल से एक स्कार्पियो सनसनसनाती हुई गुजर गई. गाडी पर कोई नंबर प्लेट नहीं है. हालांकि पिछले सीसे पर नेता जी का फोटो मय साईकिल चस्पा हुआ है. मैंने कान में इयरफोन लगा रहे थे. हिरावल गोरख को गा रहा था-
'हाथी से आई, घोड़ा से आई
अंग्रेज बाजा बजाई…
समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई
समाजवाज उनके धीरे-धीरे आई '
पिछली दो किश्तें –
सुसाइड नोट : दिल के दौरों और सरकारी दौरों के बीच….
सुसाइड नोट: हाँ यह सच है, लोग गश खा कर गिर रहे हैं….
Rihai Manch Press Note- भाजपा के मनुवादी एजेण्डे के तहत हुआ नागौर और शिरडी में दलितों पर हमला - रिहाई मंच
Rihai Manch Press Note- भाजपा के मनुवादी एजेण्डे के तहत हुआ नागौर और शिरडी में दलितों पर हमला - रिहाई मंच
For Resistance Against Repression
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भाजपा के मनुवादी एजेण्डे के तहत हुआ नागौर और शिरडी में दलितों पर हमला
- रिहाई मंच
नियुक्तियों में भ्रष्टाचार और भूमि अधिग्रहण जैसी जनविरोधी नीतियों वाली
यूपी सरकार धरना स्थल बदलकर दबाना चाहती है लोकतांत्रिक आवाजों को
लखनऊ, 24 मई 2015। राजस्थान में नागौर जिले के कई गावों में हुए दलित
उत्पीड़न और शिरडी में संविधान निर्माता अंबेडकर के गाने का रिंगटोन बजने
पर दलित युवक की हत्या को रिहाई मंच ने फासिस्ट शक्तियों की क्रूरता का
एक और उदाहरण कहते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। मंच ने
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा धरने-प्रदर्शन के स्थल को विधानभवन से फिर से
दूर करने के प्रस्ताव को प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा
कि सरकार को खतरा है कि उसकी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ किसान-युवा एक
जुट हो रहा है ऐसे में उसने धरना स्थल को दूर कर उनकी आवाज को दबाने की
कोशिश कर रही है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि राजस्थान के नागौर जिले के बसमानी,
लंगोड, मुंडासर, हिरडोदा गांव में दलितों के घरों में अगलगी, दलितों को
जिंदा जलाने और दफन करने और महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटना, शिरडी में
संविधान निर्माता अंबेडकर के गाने का रिंगटोन बजने पर दलित युवक सागर
शेजवाल की हत्या तो वहीं पिछले दिनों मुंबई में मुस्लिम समुदाय के होने
के कारण जीशान को नौकरी न देने के कंपनी के फरमान के प्रकरण साफ कर रहे
हैं कि देश में फासिस्ट ताकतों के हौसले बुलंद हैं। जिस तरीके से पिछले
दिनों यूपी में शाहजहांपुर के जलालाबाद के हरेवां गांव में दलित महिलाओं
को निर्वस्त्र कर घुमाया गया वह साफ करता है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान,
गुजरात, महाराष्ट्र जैसे भाजपा नीति सरकारों और यूपी-बिहार जैसे जगहों की
सरकारें दलित, आदिवासी, मुस्लिम समाज की उत्पीड़न पर एक मत हैं। उन्होंने
कहा कि विकास के नाम पर केन्द्र में आई भाजपा सरकार के एक वर्ष के
कार्यकाल के बाद केन्द्र सरकार द्वारा विकास का ढोल पीटकर असलियत को
छुपाने की कोशिश हो रही है। विकास का सीधा संबन्ध वंचित तबके से होता है,
जबकि हाल यह है कि केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के बाद उससे उसके जीने
का अधिकार भी छीना जा रहा है।
रिहाई मंच कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने राज्य लोकसेवा आयोग, पुलिस
कर्मियों की भर्तियों समेत पूरे सूबे में नियुक्तियों में धांधली और
प्रदेश में फिल्म सिटी, स्मार्ट सीटी, ट्रंास गंगा सिटी जैसी विकास के
नाम पर किसानों के विस्थापन की परियोजनाओं के खिलाफ बढ़ रहे जनता के
असंतोष को देखते हुए सरकार द्वारा धरना स्थल को विधानभवन से और अधिक दूर
करने के निर्णय को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि बसपा
सरकार के दौरान धरना स्थल हटाए जाने पर मुलायम सिंह ने लोहिया के कथन को
दोहराया था कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करती। ऐसे में लोहिया
को भूलकर कारपोरेट की गोद में खेलने वाले मुलायम सिंह और उनके कुनबे को
यह सनद रहना चाहिए कि लोकतंत्र मुल्क की नींव है और इस नींव को कमजोर
करने की कोशिश को अवाम बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि लोकसेवा
आयोग के अध्यक्ष द्वारा क्षेत्र विशेष के जाति विशेष की नियुक्तियों और
अध्यक्ष की नियुक्ति, परीक्षाओं के पेपर लीक प्रकरण में सपा सरकार की
आपराधिक भूमिका है। सूबे में विभिन्न नियुक्तियों में जाति विशेष के
लोगों की नियुक्ति कर सपा चुनावी ध्रवीकरण का खेल-खेल रही है। जबकि
वास्तविकता जनता जानती है कि इन नियुक्तियों में किस तरीके से मुलायम
सिंह और उनके कुनबे के क्षेत्रों से ही नियुक्तियां और लेन-देन का
कारोबार हुआ है। अनिल यादव ने कहा कि जब उन्नाव में 23 से अधिक किसानों
की पिछले दो महीनों में आत्महत्या व दिल का दौरा पड़ने व सदमें से मौत हो
गई है ऐसे में फिल्म सिटी के नाम पर 300 एकड़, ट्रांस गंगा सिटी के नाम
पर 1100 एकड़ भूमि अधिग्रहण की अखिलेश सरकार की नीति ने साफ कर दिया है
कि उनके पास युवाओं और किसानों के लिए कोई नीति नहीं है। अखिलेश यादव
बताएं कि फिल्म सिटी बनाकर वह किसानों की लाचारी और भुखमरी पर फिल्में
बनवाएंगे क्या।
द्वारा जारी
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता, रिहाई मंच
09415254919
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