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ट्रंप की ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल पलाश विश्वास

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ट्रंप की ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल

पलाश विश्वास

नई विश्वव्यवस्था  में नागपुर तेलअबीब और वाशिंगटन गठभंधन के आधर पर अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर ग्लोबल हिंदुत्व के उम्मीदवार घनघोर रंगभेदी डोनाल्ड ट्रंप के ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल लागू हो गया है। नये नोटों में अब लालकिला और मंगलयान चस्पां है और उनके साथ फिलहाल गांधी नत्थी है और गुरु गोलवलकर या सावरकर या नाथुराम गोडसे की तस्वीर फिलहाल लगी नहीं है।लेकिन लालकिले से हिंदुत्व के मंगल यान का खुल्ला अंतरिक्ष अभियान शुरु हो गया है।भारत का हिंदुत्व का एजंडा अब अमेरिका का एजंडा भी है और इसलिए राष्ट्रीय प्रतीकों का इतिहास करेंसी के जरिये बदलने की कार्वाई भी ग्लोबल हिंदुत्व की जीत का जश्न बन गया है।हिंदुत्व एजंडे का यह ट्रंप कार्ड है।

प्रधानमंत्री द्वारा 500 और 1000 रूपये के नोट बंद करने की घोषणा के कुछ घंटे बाद रिजर्व बैंक ने आज नयी विशेषताओं तथा नये आकार में 500 और 2000 रूपये के नोटों की नई श्रृंखला जारी की।आरबीआई ने कहा कि पहली बार जारी हो रहे दो हजार रूपये के नोटों को महात्मा गांधी (नई) सीरिज कहा जाएगा और इसके पीछे मंगलयान मिशन की तस्वीर छपी है। इसमें कहा गया कि इस नोट का मूल रंग गहरा गुलाबी रंग और नोट का आकार 66 मिमी गुना 166 मिमी होगा।इसमें कहा गया कि 500 रूपये के नये नोट की थीम दिल्ली का लालकिला होगी।

न संसद,न अशोक चक्र और न ससंविधान थीम लालकिला का मतलब भी बूझ लें।

एक हजार के नोट से ही लोग तबाह थे और अब दो हजार के नोट एटीएम से निकलेंगे,तो हाल क्या होना है,समझ लीजिये।इस 2000 रुपये के महात्‍मा गांधी सीरीज के नए नोट के पिछले हिस्‍से में मंगलयान का चित्र है। उल्‍लेखनीय है कि दो साल पहले देश ने पहली बार मंगल ग्रह पर मंगलयान को सफलतापूर्वक भेजा। इस नोट का बेस कलर मेंजेटा है. नए नोट का साइज 66 मिमीx166 मिमी है।

बहरहाल सोना चांदी हीरे जवाहरात जैसी अकूत संपदा जब्त करने का कोई कार्यक्रम नहीं है और न विनिवेश मार्फत निवेश में सफेद हुए विदेशी जमीन से आये काले धन का किस्सा खत्म होने जा रहा है।उद्योगों,सेवाओं और बुनियादी जरुरतों के क्षेत्र में जो निवेश है ,जो अचल संपत्ति बेदखल जल जंगल जमीन और आजीविका की बदौलत है,उन्हे भी कोई खतरा नहीं है।

राजधानी नई दिल्ली वायु प्रदूषण की वजह से अभी नागपुर स्थानांतरित भी नहीं हुआ है।घांधी को आहिस्ते से हाशिये पर खिसकाने की इस प्रक्रिया को आप हिंदुत्वकरण भी नहीं कह सकते और रिजर्व बैंक और वित्तीय प्रबंधन की स्वायत्तता का असहिष्णु सवाल उठा सकते हैंं क्योंकि यह अर्थव्यवस्था या अर्थशास्त्र का कोई मामला हो न हो,विशुध राष्ट्रहित के लिए सलवाजुड़ुम या फौजी हुकूमत है और गौरतलब है कि युद्ध परिस्थिति जैसे आपातकाल में सेना वायुसेना और जलसेना के प्रधानों को यकीन में लेकर राष्ट्रहित में आम जनता के खजाने का यह खुलासा है।

वित्तीय प्रबंधन में भी फौजी हस्तक्षेप और वित्तमंत्री का अता पता नहीं है,कैबिनेट मंजूरी है और कैबिनेट में उदयोग जगत का किसी का कोई लेना देना नहीं है सो विशुध यह राजकाज फासिज्म का कारपोरेट गोरखधंधा है,यह लांछन लगाना देशद्रोह का मामला बन सकता है।

इस पर तुर्रा यह कि केंद्र सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया है।लेकिन इसकी घोषणा रिजर्व बैंक के गवर्नर के बदले राष्ट्र को प्रधानमंत्री के संबोधन में की गयी है।

सबसे लोकतांत्रिक किस्सा तो यह है कि लंबे समय तक भाजपाई राजकाज से पहले तक आयकर और तमाम टैक्स न देने के आरोपों में घिरे केसरिया राजकाज में उपभोक्ता बाजार में सबसे बड़े ब्रांड बतौर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पछाड़कर करीब एकाधिकार कायम करने वाले पतंजलि बाबा मीडिया पर इस सर्जिकल स्ट्राइक के सबसे बड़े प्रवक्ता है तो रिजर्व बैंक की ओर से आधिकारिक रुप में जारी हो जाने से पहले नये दो हजार और पांच सौ रुपये के नोट की डिजाइन सोशल मीडिया पर वाइरल है।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन के बदले अब गुजरात के ही अर्जित पटेल हैं,जो प्रधानमंत्री के खासमखास हैं और रिजर्व बंक के सभी सत्ताइस अंगों में निजी क्षेत्रों के निर्देशक प्रस्थापित है।

जाहिर है कि नोट की डिजाइन के लीक होने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि निजी क्षेत्र के निदेशकों और इस सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने वाले लोगों की निष्ठा भी इसीतरह लीक हुई है या नहीं।खास तौर पर यह गौरतलब है कि भारत सरकार ने आरबीआई की ओर से जारी 500 और 1000 रुपयेके नोटों को बंद करने की तैयारी दस महीने पहले से ही कर ली थी। काले धन पर लगाम लगाने के लिए देश में लम्बे अर्से से 500से हजार रुपयेकी नोटों को बंद करने की मांग चल रही थी। हाल ही में सुब्रहमन्यम स्वामी ने इस बात को फिर से कहा था। इससे पहले बाबा रामदेव, अन्ना हजारे औरकई अर्थशास्त्री इसके लिए मांग कर चुके थे। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री औरआरबीआई गवर्नर ने बडे ही गुपचुप तरीके से अपनी इस योजना का अंजाम दिया। इसकी तैयारी दस महीने से चल रही थी।दस महीने की इस तैयारी में नोटों की डिजाइन की तरह यह फैसला लीक नहीं हुआ और इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से जुड़े कालाधन के कारोबारियों को इसकी सूचना न मिली हो तो समझ लीजिये कि रामराज्य है।

अगर लीक हुई है तो सत्तापक्ष के नजदीकी तमाम कंपनियों और घरानों का काला धन यकीन मान लीजिये कि अब तक सफेद पतंजलि है।बाकी आम जनता को साबित करना है कि उनकी जमापूंजी में काला कुछ नहीं है।कल आधी रात से दरअसल यही कवायद शुरु हो गयी है।आम आदमी को ही अपना दामन साफ कराने के लिए बाकायदा पहचान पत्र के साथ बैंकों में हाजिरी लगानी है।

खास बात यह भी है कि मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मंगलवार आधी रात से 500 और 1000 रुपयेके नोट बंद कर दिए हैं। इसके बाद सोने के दाम में उछाल आया है. मुंबई में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत में 4000 रुपयेका इजाफा हुआ है। सोने के नए रेट सुबह 11 बजे मार्केट खुलने के बाद आएंगे।कालेधन पर अंकुश के उपायों तथा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद मजबूत वैश्विक इशारों के बीच यहांनई दिल्ली में सोना 900 रुपये की छलांग के साथ तीन साल के उच्चस्तर 31,750 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया।

नकदी पर रोक है।सौना पर कोई रोक नहीं है ।जाहिर है कि देश भर में लोग लगातार गोल्ड की बुकिंग करवा रहे हैं।सबसे हैरत की बात यह है कि लोग सोने की बुकिंग किलोग्राम में करवा रहे हैं।किलोग्राम में सोना बुक करवाने लोग जाहिर है कि बैंकों और एटीएम पर कतारबद्ध लोगों में नहीं हैं।कालाधन इसतरह निकल रहा है और वह सरकारी खजाने में इसतरह जमा होने लगा है और आम जनता को इसीके लिए मामूली सा त्याग करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि सरकार के पांच सौ और एक हजार रुपये के मौजूदा नोटों को आम लेनदेन के लिए तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने के फैसले से एक समय लगभग 1700 अंक का गोता लगा चुका बीएसई का सेंसेक्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद काफी हद तक वापसी करता हुआ आखिरकार 339 अंक की गिरावट के साथ 27,253 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 'नोट' पर मचे हाहाकार से शुरुआती कारोबार में 541 अंक टूटने के बाद कारोबार की समाप्ति पर अपनी गिरावट 111.55 अंक पर सीमित कर 8,432 अंक पर बंद होने में कामयाब रहा।

जाहिर है कि इस फैसले का टांका कहीं न कहीं हिंदुत्व के नये ईश्वर डोनाल्ड ट्रंप से भी जुडा़ है।कहां जुड़ा है,वह फिलहाल बताया नहीं जा सकता।

अजीब संजोग है कि ट्रंप के अमेरिका फतह करने की पूर्व संध्या पर फासिज्म के राजकाज के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए देश के वित्तीय प्रबंधन में ऐतिहासिक फौजी हस्तक्षेप के तहत युद्धउन्मादी यह औपचारिक घोषणा की। हालांकि आम जनता को मोहलत दी गयी है कि, 10 नवंबर से 31 दिसंबर 2016 तक आप 500 रुपये और 1000 रुपये के अपने सभी पुराने नोट बैंक या डाकघर से उचित पहचान पत्र तक दिखाकर बदल सकेंगे।गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया है।

इसी बीच केंद्रीय बैंक के चीफ जनरल मैनेजर राजिंदर कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'आम लोगों की बैंकिंग लेनदेन की जरूरत को देखते हुए शनिवार औररविवार को भी बैंक खुले रहेंगे।' बयान के मुताबिक बैंकों को कहा गया है कि वह अन्य कार्य दिवसों की तरह ही शनिवार औररविवार को भी पूरे ड्यूटी आवर्स में काम करें। इसके अलावा उन्हें सभी तरह के ट्रांजैक्शंस को चालू रखने के लिए कहा गया है। बैंकों की ओर से भी इस बारे में आम लोगों को जानकारी देने को कहा गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंडराते घने संकट के बादल की आड़ में लोकतांत्रीकि संस्थाओं और आम जनता के हकहकूक पर हमलों की नरंतरता के मध्य फौजी प्रधानों से मुलाकात के बाद वित्तीय पर्बंधन अपने हाथ में लेते हुए नोटों को रद्द करने का ऐलान करते हुए आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि सीमा पार से आतंकवाद को पैसा दिया जाता है। सीमा पार से जाली नोटों का धंधा हो रहा है। अब जरूरत आतंकवाद और कालेधन पर निर्णायक लड़ाई की है क्योंकि कालाधन और आतंकवाद देश को बर्बाद कर रहा है। मोदी ने कहा कि अब देश के लोग चाहते हैं कि आतंकवाद, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई हो।

रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या से लेकर जेएनयू के छात्र नजीब के मामलों में बुरी तरह फंसी सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता खत्म करके केसरियाकरण की मुहिम चला रही है तो जल जंगल जमीन आजीविका नागरिक मानवाधिकार के खिलाफ अनंत सलवाजुड़ुम जारी है और जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालयों की दो प्राध्यापिकाओं समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ एनडीटीवी पर एकदिनी प्रतिबंध कारपोरेट मीडिया बैरन प्रणव राय के आत्मसमर्पण के तहत वापस लेने के तुरंत बाद हत्या का मुकदमा दायर किया गया है।समाने पंजाब और यूपी के चुनाव हैं।

ऐसे माहौल में जब अमेरिका में लोग नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाल रहे थे,राष्ट्र को प्रधानमंत्री के अभूतपूर्व संदेश के बाद सारा देश एटीएम के बाहर कतारबद्ध हो गया ताकि अगले दजिन के खर्च के लिए सौ सौ के चार नोट एक एक बार निकालकर अगले कई दिनों की रोजमर्रे की जरुरतें पूरी करने का जुगाड़ लगा सके।कालाधन निकालने की इस कवायद का नतीजा जो बी हो,घर में रखी नकदी यकायक जादुई छड़ी से देशभर में रद्दी में बदल जाने से सामान्य जनजीवन पटरी से बाहर हो गया।

खासकर शादी व्याह के लिए निकासी आत्मघाती साबित हो गयी।खेती बाड़ी में लगे जनसमुदायों की नकद लेनदेन की वजह से देहात घहरे संकट में है।वेतन मजूरी का पैसा निकालकर महीनेभर का राशन,मकान किराया,बिजली बिल,बच्चों की फीस,यातायात के किराया औरतमाम तरह का बकाया भरने के लिए नौकरीपेशा लोगों ने उसी दिन या एक दो दिनपहले एटीएम से पांच सौ और एक हजार के नोट पाये थे,अब वे किसी काम के नहीं है।

अपना सारा कामकाज छोड़कर मेहनत की गाढे़खून पसीने की वह कमाई और घरेलू महिलाओं ने घर का ख्रच बचाकर आदतन जो थोड़ी बहुत बचत की थी ,वह सबकुछ बैंकों और डाकघरों में अगले दिनों न जाने कब तक धरना देकर जमा करने की आपाधापी शुरु हो गयी है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे आर्थिक आपातकाल कहा है तो माकपा महासचिव ने इसे आर्थिक अराजकता बता दिया है।ममता दीदी ने खुद कहा है कि एक दिन पहले उन्होंने खर्च के बाबत निजी खाते से पचास हजार रुपये निकाले हैं जो उन्हें अब बैंक में वापस कराने हैं।

लोकतांत्रिक संस्थानों का कबाड़ा करने के बाद बैंकिंग और बीमा निजी क्षेत्र के हवाले करने के बाद,खुदरा बाजार से लेकर परमाणु ऊर्जा,राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा में विनिवेश करने के बाद राष्ट्र और राष्ट्रकी सुरक्षा के नाम देशबक्ति साबित करने की आम जनता की परेड लगाने का यह तुगलकी फरमान कितना गोपनीय रहा है,वह भी संदिग्ध है जबकि राजकाज नागपुर वाशिंगटन और तेलअबीब से संचालित होते हैं।नीतियां निजीक्षेत्र के धुरंधर बनाते हैं।विशेषज्ञ समितियां भी उन्हीं की है।देस का वित्तमंत्री मशहूर कारपोरेट वकील है और रिजर्व बैंक का भी निजीकरण हो गया है तो रक्षा सौदों में दलाली भी अब जायज है।

किस गलियारे से काला धन वापस आयेगा जबकि कालाधन का कारोबार करने वाले नोटों का कारोबार अमूमन करते नहीं हैं और नकदी जमा रखने के बजाय वे सोना चांदी जमीन और कारोबार उद्योग में सारी पूंजी खपाते हैं।जरुरी खर्च के लिए भी वे आम जनता की तरह नोटों के सहारे होते नहीं है।मोरारजी भाई  ने जब नोट वापस लिए थे तबके हालात और अबके हालत में भारी अंतर है।

भारत में पहले भी बड़े नोटों को बैन किया गया है।बड़े नोटों का चलन बंद करना कोई नई बात नहीं है। 1000 रुपयेके नोट का चलन पहली बार जनवरी 1946 में और फिर 1978 में बंद किया गया था। उस समय भी यह फैसला कालेधन औरउससे चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था को रोकने के लिए किया गया था। आपातकाल के बाद के दौर में कालेधन का प्रयोग काफी प्रासंगिक हो चला था। इस फैसले को लागू करने के लिए हाइ डेमोमिनेशन बैंक नोट ऐक्ट 1978 नाम से कानून बनाया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1938 और 1954 में सबसे बड़ा नोट 10,000 रुपयेका छापा था।  1978 में भी सरकार ने कालेधन से निपटने के लिए 1000, 5000 और 10000 रुपये को नोटों पर रोक लगाया था।उस वक्त भी कालाधन कहीं से निकला नहीं था।

अबकी दफा कालाधन सफेद करने के हजार दरवाजा खुल्ला रखकर आम लोगों को बलि का बकरा बनाने की यह कवायद इसलिए किसी भी मायने में वित्तीय प्रबंधन नहीं है,यह विशुध हिंदुत्वकरण है और इसकी शुरुआत गांधी को हाशिये पर ऱखने के लिए लालकिले और मंगलयान को नये नोटों से चस्पां करने के साथ हो गयी है।

बहरहाल पीएम मोदी ने ने भरोसा दिलाया है कि आपकी धनराशि आपकी ही रहेगी, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। देशवाशियों को कम से कम तकलीफ का सामना करना पड़े, इसके लिए हमने कुछ इंतज़ाम किए हैं। 100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 10 रुपये, 5 रुपये, 2 रुपये और 1 रूपया का नोट और सभी सिक्के नियमित हैं और लेन देन के लिए उपयोग हो सकते हैं।

गौरतलब है कि दस का सिक्का रिजर्व बैंक के वैध घोषित किये जाने के बावजूद बंगाल में लिया नहीं जा रहा है।पटना से लेकर गुजरात तक में यही संकट है।

प्रधानमंत्री के वायदे के मुताबिक आपके 500 और 1000 रुपये के नोट 8 नवंबर की  रात बारह बजे से कागज का मामूली टुकड़ा होजाने के बावजूद लेकिन घबराइये नहीं, आपके पास जो नोट हैं उनके बदले 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट मिलेंगे। 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक आप अपने 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट अपने बैंक खाते में जमा करा सकेंगे। 30 दिसंबर तक भी किसी कारण से आप अपने नोट नहीं बदल पाए तो आपको 31 मार्च 2017 तक आपको एक आखिरी मौका मिलेगा। रिजर्ब बैंक की तरफ से तय किए गए ऑफिस में आपको नोट बदलने का मौका मिलेगा।

फिलहाल एटीएम से आप एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 10000 और एक सप्ताह में 20000 रुपये ही निकाल पाएंगे। इस सीमा में बाद में वृद्धि की जाएगी। 10-24 नवंबर तक तत्काल जरुरत के लिए 500 रुपये और 1000 रुपये के 4000 रुपये तक के नोट बदले जा सकते हैं। बैंकों या पोस्ट ऑफिस में पहचान पत्र दिखाकर नोट बदले जा सकते हैं। 25 नवंबर से 4000 रुपये की ये सीमा बढ़ाई जाएगी। 9 और 10 तारीख को बैंकों के एटीएम काम नहीं करेंगे। इन्हीं हालात में  9 नवंबर को बैंकों में पब्लिक का काम नहीं हुआ।

जाहिर है कि सरकार के इस बड़े फैसले से आम जनता में अफरा-तफरी मची है। सरकार के फैसले के बाद एटीएस पर भीड़ लगी हुई है। लोग पूरी जानकारी के लिए परेशान हैं और छुट्टा देने के लिए कोई तैयार नहीं है।शुरू के 72 घंटों में यानि 11 नवंबर रात 12 बजे तक खास जरूरतों के लिए विशेष व्यवस्था दी गई है। इसमें अस्पताल में, डॉक्टर के पर्चे पर दवाई दुकान में, रेलवे, बस, हवाई जहाज के टिकट में, मान्यता प्राप्त को-ऑपरेटिव की दुकानों में, पब्लिक सेक्टर के पेट्रोल और गैस आउटलेट में, अंतिम संस्कार की जगहों पर 500 और 1000 रुपये के नोट चलेंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 5000 रुपये तक की विदेशी मुद्रा या देसी नोट बदलने की सुविधा भी रहेगी। रिजर्ब बैंक ने 500 और 2000 रुपये के नए नोट को मंजूरी दी है, जो बाद में जारी किए जाएंगे।

गौरतलब है कि बाजार में 15.93 लाख करोड़ रुपये (2016) की कुल करेंसी है और इस कुल करेंसी की वैल्यू में 500 और 1000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी करीब 85 फीसदी है।

जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से रियल एस्टेट शेयरों, दामों में भारी गिरावट आएगी। तीसरी, चौथी तिमाही में होटल कंपनियों और कंज्यूमर ड्यूरेबल बिक्री घट सकती है।वहीं क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजेक्शन बढ़ने से बैंकों को फायदा होगा। बैंकों का सीएएसए बढ़ने से ये कदम बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छा रहेगा। आपको बता दें कि 1987 में आरबीआई ने नोटों की संख्या और महंगाई को नियंत्रण करने के लिए 500 के नोट जारी किए थे। वहीं 1000 के नोट पहली बार 1954 में लाए गए थे।




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বড় টাকার নোট মানে আরো বেশি জাল যদি এই তত্ত্বে ৫০০/১০০০ বাতিল হয়, তাহলে কোন যুক্তিতে ২০০০ টাকার নোট বাজারে আসে? আসা দরকার ছিল তো ২০০ টাকার নোট! ভারতের কর্পোরেটাইজেশনের চূড়ান্ত দিকে যাওয়ার আশংকা।অনলাইন ব্যবসা বাড়ানোর চেষ্টা।

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ভাষা ও চেতনা সমিতি ৯৪৩৩১১৫৫৯৫
১। ক্ষুদ্র ছোট ছোট ব্যবসায়ীদের হাতে হ্যারিকেন হবে -- সাতশ টাকার মাল কিনলে সাতটা একশ টাকা বা ৭০টা ১০ টাকা আর কে দেবে! শপিং মলের রমরমা বাড়বে।
২। ব্যবসাটা বড় ব্যবসায়ীদের দিকে যাবে।
৩। পাড়ার যে সব দোকানে ক্রেডিট কার্ডে কেনার সুযোগ নেই তাঁদের ব্যবসা মল বা মলের মত পাড়ায় পাড়ায় ছোট ছোট মলে/এসি দোকানে যাবে। সব্জি ব্যবসা মার খাবে। মার খাবে দেশি ওষূধ ব্যবসা। 
৪। বড় টাকার নোট মানে আরো বেশি জাল যদি এই তত্ত্বে ৫০০/১০০০ বাতিল হয়, তাহলে কোন যুক্তিতে ২০০০ টাকার নোট বাজারে আসে? আসা দরকার ছিল তো ২০০ টাকার নোট!
ভারতের কর্পোরেটাইজেশনের চূড়ান্ত দিকে যাওয়ার আশংকা।অনলাইন ব্যবসা বাড়ানোর চেষ্টা।
৫। কেউটের মুখে হাসি/ চিন্তায় মরে চাষি । এক বিশিষ্ট অর্থনীতিবিদের মতে, বিগ বিজনেস ক্লাস এবং কর্পোরেট লবি খুশি। ওদের বেআইনি টাকা নেই হতেই পারে না। আগেই জানতো তাই ব্যবস্থা করে রেখেছে। ব্যবস্থা করে রেখেছে মোদি এবং তাঁর ঘনিষ্ঠরা। বিপদ গরিব স্বল্পবিত্ত মধ্যবিত্ত মানুষের । টুইন টাওয়ার ধ্বংসে কোনও ইহুদি মারা যান নি। সেদিন অফিস যান নি কেউ । বিগ মাড়োয়ারি লবি, বিজনেস ক্লাস কর্পোরেট লবির খুশি আমাদের দুশ্চিন্তার কারণ। ব্যাংক বন্ধ এ টি এম্বন্ধে তাঁদের আপত্তি নেই কেন? 
৬। প্রতিদিন ২০০০ টাকা তুলতে যাওয়া সম্ভব? বিরাট লাইন পড়বে ন? ১০০ টাকা সহজে এ টি এমে মেলে না।
৭। 'একবারে ৪০০০ টাকার বেশি পালটানো যাবে না'। বৃদ্ধ বৃদ্ধা বা চকুরিরতরা ব্যাঙ্কে যাবেন কখন, কী করে? যথেষ্ট টাকা ছাপা নেই। এত তাড়াহুড়ো কেন? ৯ নভেম্বর এন ডি টিভি কেলেংকারি ঢাকতে?
৮। জাল টাকা তো নতুন নোটে বেশি সম্ভাবনা। এখন আমরা অনেক দিন দেখে ৫০০/১০০০ টাকার চিনতে আপ্রি নতুন কোনটা আসল / নকল চিনব কী করে? 
৯। আর এস এস লবি যদি জাল নোট ছেপে উত্তরপ্রদেশ বা পাঞ্জাবে বিলি করে মানুষ জানবে বুঝবে কী করে?
১০। জাল টাকা কত? সরকারে তো দু বছরের বেশি বিজেপি। জাল নোটের দায়িত্ব কার? এর জন্য মোদি রাজনাথ জেটলি পদত্যাগ করলেন না কেন? ২০০০ টাকা নোট ছাপার খবর সোস্যাল মিডিয়ায় ছিল। কারা ছাড়াল? কেন? তাঁদের বিরুদ্ধে ব্যবস্থা নেওয়া হল না কেন? সুপরিকল্পিত ষড়যন্ত্র।
১১। দেশের কত ক্ষতি হল? ১২। বিমান টিকিট কাটাযাবে? যার মোদি মার্কা টাকা আছে তিনি ২০-২০০০ কোটি টাকার বিমান টিকিট কেটে বাতিল করে টাকাটা তুলে নিতে পারবে।
ঋণ- অমিয় বাগচী।। বিশ্বেন্দু নন্দ।। বহু ্সহ
নাগরিক


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"No More Racism~!""Not My President!" America chants! How many people did see Rs 1000 or Rs 10000 notes in 1978 which were withdrawn without any consequence?Was there any cash crisis? Scrapped notes being exchanged in Delhi,Banaras and every part of the nation with cut money!Ins business hubs money is transferred to other accounts to make it white.Now the scrapped notes have to be exchanged in subordinate accounts! But with ATM money in 500 and 1000 notes,the masses suffer from unprecedented cash crunch which has no dented the HAVES at all! Palash Biswas

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"No More Racism~!""Not My President!" America chants!

How many people did see Rs 1000 or Rs 10000 notes in 1978 which were withdrawn without any consequence?Was there any cash crisis?

Scrapped notes being exchanged in Delhi,Banaras and every part of the nation with cut money!Ins business hubs money is transferred to other accounts to make it white.Now the scrapped notes have to be exchanged in subordinate accounts!

But with ATM money in 500 and 1000 notes,the masses suffer from unprecedented cash crunch which has no dented the HAVES at all!


Palash Biswas

Hundreds of protestors rallying against Donald Trump gather outside of Trump Tower in New York on Wednesday evening.

Drew Angerer/Getty Images

Racism best explains Trump Card of the Golbal Hindutva Agenda .And "No More Racism~!""Not My President!" America chants!

Would we learn some thing to help the helpless Indian people and stop to target them for their political religious faith as we have ourselves NO POLITICAL or Economical Vision at all and ideologies,Utopian theories without grass root level committed activism would only help them grow like blood seeds mythical.

See the currency clean up  magic to work in the national capital itself!Vendors in Old Delhi area, have come to the rescue for the people and at the same time, earn some money. The vendors exchange the high value notes, keeping a margin, so that when they deposit the notes in the bank, they get some profit, The Indian Express reporter.

Who would pay for the exercise to help the hegemony to make black WHITE afresh as fake notes would also be exchanged without any filter ,I am afraid.

How many people did see Rs 1000 or Rs 10000 notes in 1978 which were withdrawn without any consequence?Was there any cash crisis?

Scrapped notes being exchanged in Delhi, Banaras and every part of the nation with cut money!Ins business hubs money is transferred to other accounts to make it white.Now the scrapped notes have to be exchanged in subordinate accounts!

But with ATM money in 500 and 1000 notes,the masses suffer from unprecedented cash crunch which has no dented the HAVES at all!

The vendors, who have started this new business, generally work near Old Delhi, exchanging old, torn and damaged notes for a small some of money.

Ha!Prime Minister Narendra Modi's announcement on Tuesday about the scrapping of high denomination currency, has given a business idea to a few vendors. The move by the government was in a bid to curb black money as the high value notes are the basis of any form of corruption and illicit deals related to unaccounted money. But undoubtedly, this has caused a lot of hassle for many, even as a deadline has been set on December 30 to exchange the notes at the bank.

American people had no alternative to Donald Trump against the war economy represented by Madam Hillary and they opted for ultra nationalism as racists whites stood behind him including majority women. 

Trump played his cards of blind nationalism with stunning strategic marketing and Hillary had no chance at all as Super Power America did not address the day to day problems of the masses.

It was dream unlimited reshaped from Obama mode which made history and proved Money Power is the ultimate truth and so called American Democracy reduced to a Trump Card exposed the myth of democracy,the democracy run by dead numbers naked.

It is just helplessness spilling the streets as we witness the tragedy enacted in Jantar Mantar every day without hearing and never witness the plight of the persecuted masses in every corner of the Nation!

In India, I am sorry that almost every one is attacking the supporters of Modi who are also the citizens of India and they support Modi just because the people have no alternative.We just behave like the Americans who defeated in th e elections have come out on streets to protest Trump.

What should be the alternative?

Modi phenomenon is nothing different from Trump Success.

Indian Politics have nothing to do with the day to day problems of masses.No political leader or activists dares to work on grass root level and everyone is engaged to use the democracy as ATM,Ideology as ATM,Political status as ATM irrespective of colour and lost credit.

The Left and Secular politics uprooted could not represent the masses and divided in every sense they attack the Modi Bhaktas only to help Modi because without any solid alternative and sound vision,these reactions against Modi Act would enhance the Modi Card.

With Trump Card,this governance of Fascism is going to be full of killing instinct and no one would be spared unless rock solid resistance made possible.

I is reported right from America!

http://www.npr.org/sections/thetwo-way/2016/11/09/501513889/anti-trump-protests-break-out-in-cities-across-the-country

Updated at 7:30 a.m. Thursday

Protesters took to the streets in cities across the United States, angered by the surprise election of Donald Trump. Demonstrations began shortly after president-elect Trump claimed victory in the early hours of Wednesday. On Wednesday night and into Thursday morning, they spread to several major cities.

A number of the demonstrations were centered around Trump-owned properties. Crowds gathered in New York City's Union Square and marched to the building where Trump lives. The crowds stopped traffic in Times Square, where protesters held up signs that said "No More Racism." NPR's Sarah McCammon, who is in New York, said many chanted "Not My President," which also has become a social media hashtag.

Anti-Trump protesters gather in a park on Wednesday as New Yorkers react to the election.

Spencer Platt/Getty Images

Trump-owned properties also were targeted in Chicago and Washington, D.C. Police have set up barricades to keep crowds away.

Outside of Trump International Hotel in D.C., Carmel Delshad of member station WAMU spoke with protester Josiah Case.

"I wasn't politically active up until this point, and I really regret that," Case said. "So I just feel like now I've got to do something, even if that's just show the rest of the world that there are Americans who aren't OK with this."

An anti-Trump rally is held on Wednesday in Seattle, Washington.

Karen Ducey/Getty Images

In Seattle, crowds gathered downtown, carrying signs that said "Fight Racism" and "Not My President." One of the speakers called on protesters to "stand together and fight like hell."

In Los Angeles on Wednesday night, thousands of protesters took to the streets, with some shutting down traffic on the 101 Freeway as they chanted "Not my president" and "Respect all women," the Los Angeles Times reports.

Demonstrators gather to protest a day after President-elect Donald Trump's victory, at a rally outside Los Angeles City Hall on Wednesday. Protesters burned a giant orange-haired head of Donald Trump in effigy, lit fires ins the streets and blocked traffic lanes late into the night.

Ringo Chiu/AFP/Getty Images

An effigy of Trump was burned at that protest, The Associated Press reports:

"Flames lit up the night sky in California cities Wednesday as thousands of protesters burned a giant papier-mache Trump head in Los Angeles ... Los Angeles demonstrators also beat a Trump piñata and sprayed the Los Angeles Times building and news vans with anti-Trump profanity. One protester outside LA City Hall read a sign that simply said 'this is very bad.' "

Protests also took place in Philadelphia, Boston, New Orleans and Miami — as well as Richmond, Va., Providence, R.I., Omaha, Neb., Kansas City, Mo. and Portland, Maine.

Protestors burn an American flag outside of Trump Tower in New York City on Wednesday.

Drew Angerer/Getty Images

High school students across California also protested on Wednesday afternoon, Danielle Karson reports for NPR.

The protests largely have been peaceful. In Oakland, protesters set garbage fires, CBS reports, while in Portland police detained at least one man after protesters said he assaulted someone, according to KGW.com.

A protester wearing an American flag faces police during an anti-Trump protest in Oakland, California on Wednesday. Thousands of protesters rallied across the United States expressing shock and anger over Donald Trump's election, vowing to oppose divisive views they say helped the Republican billionaire win the presidency.

Josh Edelson/AFP/Getty Images

Five people were shot and injured near a protest in Seattle, but police say the shooting and the protest were unrelated, Kate Walters of member station KUOW reports.

Dozens of people were arrested on Wednesday night, including at least 13 in Los Angeles and 15 in New York, according to media reports.

A woman argues with NYPD officers as she takes part in a protest against President-elect Donald Trump in New York City tonight.

Kena Betancur/AFP/Getty Images

In his post-election victory speech, Trump said that he would be the president for all Americans, and that it was "time to come together as one united people."

"I pledge to every citizen of our land that I will be president for all Americans. And this is so important to me. For those who have chosen not to support me in the past, of which there were a few people, I'm reaching out to you for your guidance and your help so we can work together and unify our great country."

But many are not convinced. Trump's threats to deport illegal immigrants and ban all Muslims from entering the country has many worried they will become targets. Many NPR readers and listeners fear that race relations will deteriorate, despite Trump's words.

Protestors shout slogans from a lamppost during in a demonstration on 5th Avenue across from Trump Tower on Wednesday, after Donald Trump was elected as the next president of the U.S.

Mandel Ngan/AFP/Getty Images

At a protest in Miami, Cindy Wiesner, who helps undocumented workers, told NPR's Greg Allen that many of them were scared.

"We have been getting calls from our members from last night to this morning, not knowing if they should go out the door, if they should go to work — what they are going to do," she said.


New York


Boston


Seattle


San Francisco


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#DeMonetisation अमेरिका में नस्ली दंगे शुरु और हम नस्लवाद के शिकंजे में हैं! लीक हुए नोटबदल का आप क्या खाक विरोध करेंगे? जनता जब प्रतिरोध करना भूल जाती है तो उनके लिए गैस चैंबर ही बनते हैं। जनांदोलन है नहीं।जनप्रतिबद्धता मुंहजुबानी है।विचारधारा और मिशन एटीएम हैं। तो सत्ता वर्चस्व कायम रखने के लिए यूपी और पंजाबजैसे राज्यों के चुनावमें विपक्ष को कैशलैस करने की कवायद से आपको तकलीफ तो होनी ह�

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#DeMonetisationअमेरिका में नस्ली दंगे शुरु और हम नस्लवाद के शिकंजे में हैं!

लीक हुए नोटबदल का आप क्या खाक विरोध करेंगे?

जनता जब प्रतिरोध करना भूल जाती है तो उनके लिए गैस चैंबर ही बनते हैं।

जनांदोलन है नहीं।जनप्रतिबद्धता मुंहजुबानी है।विचारधारा और मिशन एटीएम हैं।

तो सत्ता वर्चस्व कायम रखने के लिए यूपी और पंजाबजैसे राज्यों के चुनावमें विपक्ष को कैशलैस करने की कवायद से आपको तकलीफ तो होनी है।

कारोबार पर एकाधिकार के लिए कारोबारियों के सफाये का बेहतरीन इंतजाम है!

अब वह दिन भी दूर नहीं जब कोई अरबपति भारत का भाग्यविधाता बन जायेगा। हम अमेरिकाकी राह पर हैं लेकिन हम अमेरिकी नहीं हैं।हमें सड़क पर उतरने की हिम्मत ही नहीं होती।जय हो।

पलाश विश्वास

अब वह दिन भी दूर नहीं जब कोई अरबपति भारत का भाग्यविधाता बन जायेगा। हम अमेरिका की राह पर हैं लेकिन हम अमेरिकी नहीं हैं।हमें सड़क पर उतरने की हिम्मत ही नहीं होती।जय हो।

अमेरिका में नस्ली दंगे फिर शुरु हो गये हैं।गृहयुद्ध से कभी अब्राहम लिंकन ने अमेरिका को बचाया था और कुक्लाक्स के पुनरूत्थान से अमेरिका में फिर गृहयुद्ध है।

हम दसों दिशाओं से दंगाइयों से घिरे हैं लेकिन युद्धोन्मादी बन जाने का मजा यह है गृहयुद्ध की आंच से आपकी पतंजलि कांति को तनिक आंच नहीं आती है,जी।

अबाध पूंजी प्रवाह का मतलब पूरी अर्थव्यवस्था कालेधन की बुनियाद पर है।

कामायनी बालि महाबल ने एकदम सही लिखा हैः

99% of black money is with 1% of people. So, 99% of people are tortured for 1% of black money. #DeMonetisation

अब खुल्ला खेल फर्रूखाबादी है।इतना खुल्ला बाजार है कि कालाधन के बहाने आम जनता को नंगा करके खुदरा कारोबार और देश मं तमाम धंधों पर एकाधिकार कायम करने के खतरनाक राजनीतिक खेल सिरे से बेपर्दा है।

हमें पहले जो आशंका हो रही थी रिजर्व बैंक की भूमिका को लेकर,उसकी स्वायत्तता के उल्लंघन को लेकर,गांधी और अशोक चक्र को हाशिये पर डालने की प्रक्रिया को लेकर,वह अब सिर्फ आशंका नहीं,नंगा सच है।

कैशलैस सोसाइटी बनाकर नेट बैंकिंग और क्रेडिट डेबिट कार्ड की डिजिटल अर्थव्यवस्था के मार्फत छोटे और मंझौले कारोबारियों को खुदरा बाजार से बेदखली का चाकचौबंद इंतजाम है जबकि हालात यह है कि कोई बैंक यह गारंटी देने की हालत में भी नहीं है कि आपका खाता सुरक्षित है।

डिजिटल बैंकिंग अपने जोखिम पर आप बखूब कर सकते हैं जैसे शेयर बाजार में हर स्रोत से लगा और आपकी सहमति के बिना लगाया गया पैसे का जोखिम भी आपको ही उठाना है।

राजीव खन्ना ने एकदम सही लिखा हैः

इसके उलट बड़े शहरों में उच्च मध्यम वर्ग का जीवन जैसे के तैसा चल रहा है। paytm , क्रेडिट कार्ड , online shopping और उधार योग्यता (credit worthiness ) जैसी सुविधाओं के रहते उनके रोज़मर्रा के जीवन में कुछ अधिक उथल पुथल नहीं हुई। सुनने में आ रहा है की उनकी जमा की गयी रकम भी शायद कुछ बट्टा देने पर सुरक्षित हो सकती है।

इस कवायद का मतलब वही आनलाइन मुक्तबाजार है जिससे भारत को दुनिया की सबसे बड़ी खुली अर्थव्यवस्था बनानी है।

अजित साहनी का कहना हैः

40 करोड़ लोग एक महीने में कुल 500 नहीं कमा पाते , 80 करोड़ लोग ऐसे हैं देश में , जो एक दिन के लिए 500 का नोट पास में रखें तो भूखे मर जाएंगे ।

# दो करोड़ लोग होंगे देश में जिनके पास काला धन हो सकता है , उसमे भी 20 लाख लोगों के पास पूरे काले धन का 98 % होगा ।

जनांदोलन है नहीं।जनप्रतिबद्धता मुंहजुबानी है।विचारधारा और मिशन एटीएम हैं।

तो सत्ता वर्चस्व कायम रखने के लिए यूपी और पंजाब जैसे राज्यों के चुनाव में विपक्ष को कैशलैस करने की कवायद से आपको तकलीफ तो होनी है।

जनता जब प्रतिरोध करना भूल जाती है तो उनके लिए गैस चैंबर ही बनते हैं।

कुछ भी साबित करने की जरुरत अब नहीं है।

इसी बीच हिंदी गुजराती और दूसरी भाषाओं में भी राष्ट्र के नाम संबोधन से काफी पहले ,यहां तक कि 2015में ही राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह सार्वजनिक खुलासा कर दिया था कि पांच सौ और एक हजार के नोट खारिज हो जाने वाले हैं।

जिनके पास अकूत कालाधन है,उनके लिए विदेशों में कानूनी तौर पर करोड़ों डालर स्थानांतरित करने का इंतजाम भी हो गया और विदेशी निवेश के रास्ते ज्यादातर कालाधन का निवेश विकास के खाते में इतना भयंकर निवेश बन चुका है कि देश अब निजी संपत्ति है और सार्वजनिक संपत्ति नामक कोई चीज नहीं रह गयी है और नागरिकों को जल जंगल जमीन नागरिकता से उखाड़कर विस्थापित बना दिया गया है।ट्रिलियन डालर तो सिर्फ सड़कों और जहाज रानी में निवेश है।बाकी विदेशी निवेश के आंकड़े मिले तो पता चलेगा कि कितना कालाधन कहां है।आम जनता के काते खंगालकर फूटी कौड़ी नहीं मिलनेवाली है।बेनामी का गोरखधंधा जारी है बेलगाम।

अमेरिका में संघीय राष्ट्र व्यवस्था है।राष्ट्रपति चुनाव में जब किसी प्रत्याशी को किसी राज्य में बहुमत इलेक्ट्राल वोट मिलते हैं,तो उस राज्य के सारे वोट उसीके नाम हो जाते हैं।इस हिसाब से हिलेरी के मुकाबले डोनाल्ड ट्रंप को राज्यों के 276 वोट मिल गये जो जरुरी 270 से छह ज्यादा हैं।इसी के बाद चुनाव परिणाम की घोषणा हो गयी और जैसे अल गोरे को बुश के मुकाबले जनता के वोट ज्यादा मिलने की वजह से हारना पड़ा, उसी तरह हिलेरी भी जनता के बहुमत सर्थन पाकर भी हार गयीं।

सैंडर्स अगर डेमोक्रेट प्रत्याशी होते तो ट्रंप की जीत इतनी आसान नहीं होती।

चुनाव के दौरान अमेरिकी हितों के खिलाफ हिलेरी की तमाम गतिविधियों के इतने सबूत आये कि श्वेत जनता के ध्रूवीकरण की रंगभेदी कु कल्क्स क्लान संस्कृति के मुकाबले अमेरिकी जनता को कोई विकल्प ही नहीं मिला।लेकिन चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद से अमेरिका भर में अश्वेत जनता सड़कों पर हैं तो श्वेत जनता का हिस्सा जो नस्लवाद के खिलाफ है,महिलाएं भी सड़कों पर हैं और खुलकर कह रहे हैं कि प्रेसीडेंट ट्रंप उनका राष्ट्रपति नहीं है।इसीसे अमेरिका में नस्ली दंगे भड़क रहे हैं।

गौरतलब है कि यह जनविद्रोह किसी राजनीतिक दल का आयोजन नहीं है।स्वतःस्फूर्त इस जनविद्रोह में राज्यों से भी अमेरिका से अलगाव के स्वर तेज होने लगा है।कैलिफोर्निया में अमेरिका से अलगाव का अभियान तेज हो गया है।

अमेरिका का यह संकट सत्ता पर कारपोरेट वर्चस्व की वजह से है तो युद्धक अर्थव्यवस्था पर एकाधिकारवादी वर्चस्व भी इसका बड़ा कारण है।इसी एकाधिकारवादी वर्चस्व के प्रतिनिधि धनकुबेर ट्रंप ने अमेरिकी लोकतंत्र को हरा दिया है,जो सिरे से नस्लवादी है।हार गया है अमेरिका का इतिहास भी।

अमेरिका से पहले हमने भारत को हरा दिया है।इतिहास और संस्कृति को हरा दिया है।सहिष्णुता औैर बहुलता विविधता की हत्या कर दी है.अमेरिकियों को फिरभी अहसास है और हमें कोई अहसास नहीं है।

दूसरी ओर,भारत में हम अपनी अपनी जाति,पहचान,अस्मिता और आस्था के तिलिस्म में घिरे हुए इसी नस्ली नरसंहार संस्कृति के कु क्लक्स क्लान के गिरोह में शामिल हैं और इसी के साथ हम असमानता और अन्याय की बुनियाद पर खड़ी पितृसत्ता को अपना वजूद मानते हैं।

इसीलिए हमने सिखों के नरसंहार के खिलाफ आवाज नहीं उठायी।

मध्य बिहार के नरसंहारों के हम मूक दर्शक रहे तो आदिवासी भूगोल में जारी सलवाजुड़ुम से हमारी सेहत पर असर होता नहीं है।

गुजरात के नरसंहार और बाबरी विध्वंस के पीछे हम तमाम दंगों में हिंदू राष्ट्र के पक्ष में बने रहे हैं और दलितों और पिछड़ों,शरणार्थियो को मुसलमानों के साथ दंगों की सूरत में या वोटबैंक समीकरण सहजते हुए ही हिंदू मानते हैं लेकिन अस्पृश्यता के साथ असुर राक्षस वध की तरह उनके नरसंहार के खिलाफ भी हम नहीं हैं।

हर स्त्री हमारे लिए सूर्पनखा है,दासी है या देवदासी हैं,जिन्हें हम उनकी तमाम योग्यताओं के बावजूद उनके ही परिवार में पले बढ़े होने के बावजूद मनुष्य नहीं मानते हैं।स्त्री आखेट रोजमर्रे की जिंदगी है और किसीको शर्म आती नहीं है।

आदिवासियों को हम देश और समाज की मुख्यधारा में नहीं मानते तो हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर के लोग हमारी नजर में नागरिक ही नहीं है.नागरिक और मानवाधिकार,पर्यावरण और जलवायु की हमें कोई परवाह नहीं है।

हम अमेरिकी नागरिकों की तरह युद्ध के विरुद्ध कोई आंदोलन नहीं कर सकते।

हमने जल जंगल जमीन और नागरिकता से बेदखली के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं किया है।

हमने खुले बाजार के खिलाफ 1991 से लेकर अब तक कोई आंदोलन नहीं किया है।

किसी भी राजनीतिक दल ने आर्थिक सुधारों का अबतक विरोध नहीं किया है।

आधार परियोजना के जरिये जो नागरिकता,गोपनीयता और संप्रभुता का हरण है,नागरिकों की खुफिया निगरानी है,उसका भी किसी रंग की राजनीति ने अब तक कोई विरोध नहीं किया है।

हम देश भक्तों ने रक्षा,आंतरिक सुरक्षा और परमाणु ऊर्जा में विनिवेश का किसी भी स्तर पर विरोध नहीं किया है और न हम सरकारी उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण का कोई विरोध किया है।

हमने बैंकिंग,बीमा,शिक्षा ,चिकित्सा,संचार,उर्जा कुछ प्राइवेट हो जाने दिया है।

हम नदियों और समुंदरों की बेदखली के बाद कोक और मिनरल में जी रहे हैं और आक्सीजन सिलिंडर पीठ पर लादकर जीने के लिए बेताब हैं।

यही वजह है कि ट्रंप का जो विरोध अमेरिका में स्वतःस्फर्त है,वैसा कोई विरोध न हमने 1091 के बाद से लेकर अबतक देखा है और न खुल्लमखुल्ला नस्ली नरंसंहार की सत्ता का हमने मई,2014 के बाद अबतक कोई विरोध किया है।

अब करेंसी बदलने के बहाने कैशलैस सोसाइटी में कारोबारियों के कत्लेआम के जरिये जो एकाधिकार वर्चस्व कायम करने की कवायद है,उसके लिए हम सीधे सत्ता से टकराने की बजाय फिर आम जनता की आस्था को लेकर उसे निशाने पर रखकर चांदमारी करके इसी नस्ली फासीवाद के पक्ष में ही ध्रूवीकरण उसीतरह कर रहे हैं जैसे अश्वेतों के खिलाफ अमेरिका में श्वेत ध्रूवीकरण हुआ है और जैसा हमने अमेरिका से सावधानमें चेताया है,उसीतरह अमेरिका का विघटन और अवसान सोवियत इतिहास को दोहराकर होना है।

अमेरिका में राजनीतिक कोई विकल्प नहीं है तो भारत में भी कोई राजनीतिक विकल्प नहीं है।अेरिका का हाल वही हो रहा है जो सोवियत इतिहास है।अमेरिका और सोवियत के बाद हमारा क्या होनाहै,हमने अभी सोचा ही नहीं है।कश्मीर या मध्यभारत पर चर्चा निषिद्ध है तो पूर्व और पूर्वोत्रभारत में अल्फाई राजकाज है।

एटीएम से पैसा निकल नहीं रहा है और इस देश का प्रधानमंत्री पेटीएम के माडल हैं।इससे बेहतरीन दिन और क्या हो सकते हैं कि सवा अरब जनता एटीेम के बाहर चक्कर लगा रहे हैं और पीएम विदेश दौरे पर हैं।परमाणु चूल्हे खरीद रहे हैं।हथियारों के सौदे कर रहे हैं।सत्ता दल के नेताओं तक राष्ट्र के नाम संबोधन से पहले नये नोट पहुंच चुके हैं और बैंकों में पैसे रखकर भी सारे नागरिक दाने दाने को मोहताज हैं।

जी हां,1978 में भी नोट वापस लिये गये थे।एक हजार और दस हजार के नोट।नैनीताल जैसे पर्यटक स्थल पर एमए की पढ़ाई करते हुए भी उनमें से किसी नोट का हमने दर्शन नहीं किया।

उस वक्त सौ रुपये का नोट भी मुश्किल से गांव देहात में निकलता था।इसलिए नोट बदल जाने से कहीं पत्ता भी हिला कि नहीं,कमसकम हमें मालूम नहीं है।

अब इस देश में एटीएम में बहनेवाली सारी नकदी पांच सौ और हजार रुपये में है।जिन्हें एकमुश्त खारिज कर देने का सीधा मतलब यह है कि आम जनता को क्रयशक्ति से जो वंचित किया गया है ,वह जो है सो है,लेकिन इसका कुल आशय बाजार पर एकाधिकार वर्चस्व है और किसानों के बाद अब छोटे और मंझौले कारोबारियों और व्यवसायियों का कत्लेआम है।

बाजार में खुदरा कारोबार ठप है।कई दिनों से।सब्जी अनाज से लेकर फल फूल मांस मछली का कारोबार ठप है और किराने की दुकानों में मक्खियां भिनभिना रही हैं। आम जनता की कितनी परवाह है?

चंद प्रतिक्रियाओं पर जरुर गौर करेंः

Shubha Shubha

रोहतक मे बैंकोमेें भयानक भीड़ है।मुझे ख़ाली हाथ लौटना पड़ा।बैंककर्मी परेशान हैं।दिहाड़ीदार, छोटे व्यापारी ,रेहड़ी वाले ,छात्र और आम गृहस्थ का जीवन अस्त -व्यस्त हो गया है।दुकाने ख़ाली पड़ी हैं।रेहड़ी वाले और छोटे दुकानदार माल नहीं उठा पा रहे मण्डी और थोक विक्रेता उन्हें उधार नहीं दे रहे,किसान बीज नहीं ख़रीद पा रहे।सभी निर्माण कार्य -बाधित हैं,शादी-ब्याह वाले घरों का हाल मत पूछो,नौकरी करने वाले डेली पैसेंजर छुट्टियां लेकर लाईन मे खड़े हैं,मज़दूरों का बड़ा हिस्सा लेबर चौक से निराश लौट रहे हैं।एक दिन मे सिर्फ चार हज़ार निकाल सकते हैं इसलिये रोज़ाना मण्डी से माल लाने वाले बेहाल हैं चार हज़ार मे क्या लाएं और क्या बेचें ,पूरा दिन तो बैंक मे ही निकल जाता है।यह भीड़ कम नहीं होगी क्योंकि अपनी ज़रूरतों के हिसाब से एक आदमी को कई-कई बार बैंक जाना होगा।यात्रा करने वालों का हाल सबसे ज़यादा ख़राब है पैसे हैं नहीं और घर से बाहर हैं जहां पानी भी पैसे से मिलता है।यह जनद्रोही फैसला है।लोगों का जीवन अस्त व्यस्त करके ,उनमे असुरक्षा और सत्ता का डर बिठाया जा रहा है।बाकी चुनाव और असली काला धन के चोरों को बचाना तो है ही।

Skand Kumar Singhजो व्यक्ति अपने कपड़ों की बोली लगा सकता है 10 लाख का सूट बेच सकता है ।करोड़ों भें।वह फ्री में जियो लाइफ का paytm का प्रचार करता है दाल में काला है और आमिर खान खान को हटाकर snapdeal का अतुल्य भारत का ब्रांड एंबैसडर बन जाता है Apne Kahin Koi model toन चुन लिया

Skand Kumar Singhहमने आज तक किसी भी चीज का पेमेंट चेक से या पैन कार्ड से नहीं किया रोजमर्रा की डेली चीज की चीजें जिन्होंने वह पैसा आपसे लिया आपकी नजर में वह चोर है चोर तो आप हैं जिन्होंने बगैर चेक का पैसा दिया चाय पीएम मोदी ने लोगों को चाय पिलाई बगैर चैक याा पैन कार्ड के पैसा लिया अब दस लाखका सूट पहनते हैं वह करोड़ों में बिकता है क्या वह काला धन है दो करोड़ का सूट विका 30 परसेंट के हिसाब से साठ लाखरुपए इनकम टेक्स बैठता है काला धन

पैसा जमा करने के दौरान स्टेड बैंक में दो महिला बेहोश

तारापुर से संजय वर्मा एवं शंभूगंज से ठाकुर विनोद सिंह की रिर्पोट

देश में 9 नमंबर से 500 व 1000 के नोट बंद करने के बाद शुक्रवार को पुराने पैसा जमा करने के लिए शंभूगंज के पाँचो बैको की शाखाओ में ग्राहको की भीड़ जमा हो गई. खासकर यूको बैक व स्टेट बैक शंभूगंज में तो सुबह से ही बैक गेट के बाहर लोगो की हुजूम उमड़ पड़ी जहाँ बैक खुलते ही बैको के अंन्दर ग्राहको की इतनी भीड़ लग गई कि बैक कर्मीयो को बैक प्रवेश करना मुश्किल हो गया . इधर स्टेड बैक शंभूगंज के शाखा प्रबंधक कुमार भावानंद ने भीड़ की सुचना शंभूगंज थानाध्यक्ष अभिषेक कुमार को दिया जहां थानाध्यक्ष ने सअनि ब्रजमोहन श्रीवास्तव को पुलिस बल व महिला पुलिस बल के साथ बैक भेजा तब जाकर बैको में जुटी ग्राहको की भीड़ को नियंत्रण कर पुराना नोट जमा करने का काम शुरू किया गया वही भीड़ के बीच पैसा जमा करने आई करसोप गाँव के रानी देवी, और जोगनी गाँव के रूकसाना मुर्छित होकर गिर गई .जहां दोनो को आनन फानन में बैक से बाहर कर निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया. शुक्रवार को भी लोगो के उम्मीदो पर तब पानी फिर गया जब आस लगाकर बैक में घंटो कतार में खड़े रहने के बाद भी उन्हे नया नोट नही मिला . शाखा प्रबंधक कुमार भावानंद ने बताया कि शुक्रवार को करीब एक करोड़ रूपया से भी ज्यादा की पुराना नोट जमा किया गया है


Dheeresh Sainiयहां Shillong में यही हाल है। सरकारी बैंकों के ATM बन्द हैं। SBI के यहां के हेड ऑफिस में पैसे जमा तो कर रहे हैं पर भुगतान नहीं कर रहे। पुलिस बाज़ार में HDFC के ATM पर लम्बी लाइन में खड़ा हूँ। यह भरोसा नहीं कि नम्बर आने तक ATM में पैसा रहेगा भी।

सुबह अरुणाचल प्रदेश जाना है। टैक्सी वाले को मना किया तो वह जायज ही कह रहा है कि उसने और बुकिंग नहीं ली है इसलिए नहीं जाने पर भी उसका पैसा बनता है।


बाकी जो आम लोग हैं, उनकी दिक्कतों से बेशर्मों को कोई मतलब नहीं है। बहुत सारों का तो ATM से कोई वास्ता ही नहीं है। सड़कें खाली हैं। फुटपाथ के दुकानदार रो रहे हैं। बीमार सदस्य वाले मध्य वर्गीय परिवार भी परेशान हैं।

बाकी हवा में यह भी है कि देश के लिए इतना सहना भी पड़ता है।

भाजपा जानती थी कि क्या होने वाला है,यह कहना कि सिर्फ 6लोग जानते थे एकदम गलत है,भाजपा नियंत्रित अखबार की यह खबर पढ़ें तो जान जाएंगे कि 2हजार का नोट पहले से छप रहा है।यह खबर जागरण में काफी पहले छपी थी,सरकार ने इसका खंडन नहीं किया था।यह अखबार भी भाजपाईयों का है-



#Surgical strike against the people of India#RBI killed#Banking collapsed! You have to wait for weeks to get money from ATM as Cashless India gets Hiroshima and Nagasaki! Just stand in the queues my countrymen.You are habitual! Palash Biswas

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#Surgical strike against the people of India#RBI killed#Banking collapsed!

You have to wait for weeks to get money from ATM as

Cashless India gets Hiroshima and Nagasaki!

Just stand in the queues my countrymen.You are habitual!


Palash Biswas

The citizens countrywide have to wait for cash and entire political class irrespective of ideology and colour enjoy the life with their unlimited plastic money.

Some people have to breathe last standing in the queue,more would die because they may not resolve immediate problems just because of demonetization,some would starve and some would commit suicide and some would die in riots sooner or later.

But the mastermind behind this unprecedented demonetization killing business,banking and the masses with single surgical strike may ride the bullet train or may dance with some music as the music of life is lost for Indian citizens!

Never mind,cashless India gets Hiroshima and Nagasaki and we would get bread an butter from nuclear plants around.

You have to wait for two or three weeks to get cash as the FM says.Two day extended to two or three weeks.

Has the FM any idea whatsoever what it means!

Zero Cash status for indefinite period would kill the masses.

It is bloodless mass destruction!

Finance minister Arun Jaitley said on Saturday it would take time for banks to make changes to ATMs to dispense the new banknotes as millions of people lined up at branches to get cash.

Read: It's a massive operation; ATM recalibration will take 2-3 weeks, says Jaitley

He said ATMs had not been calibrated before the announcement to demonetise Rs 500 and Rs 1,000 notes to maintain secrecy. "It is a massive operation, it will take time."

 #Surgical Strike against the people of India!

They prepared to save their money power and friends and did nothing to meet the crisis.They did not cared for the people without cash.

Economic Anarchy looming large!

The demonetization was leaked but the masses have to make their white money white again and have to succumb as the Banking system collapsed. 

ATMs Shuttered down!

Bills unpaid!

Banks out of cash!

markets almost closed!

Business almost crashed!

Monopoly sustained only!

Nothing available without plastic money subjected to fraud unlimited.Banks face the serpent queues infinite and no respite seems within next ten days.The Nation is made a nuclear plant as Cashless India gets HIROSHIMA and Nagasaki return thanks to political fiscal management.RBI killed.Long live RBI.

Damn with your emergency validity despite demonetization in general!

How would people dare to plan a travel without cash status zero?

None of us is a PM or a FM or a Business tycoon or simply some Neta,MP or MLA.

Who would pay the house rent?

How to get Insulin and life saving medicines asmedical care is privatized long before and very few people opt for govt.hospitals?

Tickets are not enough you need hard cash for travelling and ATMs would be out of order for weeks,the FM confirmed?

School fees have to be paid in time.Who would pay?

Those children who stay out of home because of their job or education,who would support them?

How the workers who live on daily wage should survive for weeks without money?

It was promised that ATMs would pay the cash after two days  and FM now says,it would take two or three weeks!

Just stand in the queues my countrymen.You are habitual!

However,here are 10 things Jaitley said in his speech to justify demonetization:

1) Don't rush to banks right now for exchanging or withdrawing old Rs 500 or Rs 1000 notes as there are massive crowds. Wait for a few days as the scheme is open till December 30.

2) It will take 2-3 weeks to update the hardware and software of ATMs to dispense the new currency because it is a "long-drawn" process.

3) The government couldn't calibrate ATMs before the currency withdrawal scheme was announced because it would compromise the secrecy of the move.

4) Customers shouldn't demand a choice of currency at the banks because there may be a shortage. They should accept whatever currency they are getting.

5) The government will monitor any Jan Dhan accounts with suspicious activity and gold traders transacting in old currency.

6) The banking system is fully equipped to deal with the currency shake-up. The State Bank of India has received Rs 47,868 crore in deposits since the withdrawal of Rs 500 and Rs 1,000 notes was announced on Tuesday. Total deposits in all the banks must be around Rs 2-2.25 lakh crore.

7) The bankers are doing a good job. The SBI alone has conducted 22.8 million transactions after demonetization. The total number of transactions must be five times that number.

8) People should move more and more to cashless transactions as they make life simple.

9) Some new 500 notes have already been introduced in the market, the rest will be done soon.

10) GPS chip in Rs 2000 note, reports of digital lockers are rumours.


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Wait for fifty more days without currency until everyone gets Paytm! Palash Biswas

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Jet lee told officially that the ATMs need two or three weeks more.Now the NRI PM appeals to bear shortage of currency for fifty days.Hope every one gets smart phone and learns to use it without being victim of some cyber crime and it is the best way to make in Digital India for which everyone has to dial PAY TM.
At last we have an omnipotent supermodel who sells some service making it mandatory.
Those who may not use Pay TM or Plastic money or net banking may opt to starve or simply commit suicide as the peasantry has opted for.
I have not any smart phone and I have not eternal ration.I need live saving medicines for the family and I have no home and have to pay bills including house rent and electricity.
I am a retired person with zero income status and may not feed myself with token pension for name`s shake.
But I may live on credit for some more days if the landlady is so pleased.
Just thing about the small and medium business community who would be out of market within these fifty days.
Just thin about those marginalized people who have not an bank or Post Office account.
Just think about those persons who have to buy basic needs and services with their daily wage.

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नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा? उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया? मरने वाले और कुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है? पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है? क्या उन कातिलों के किलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्म�

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नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा?

उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया?

मरने वाले और कुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है?

पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है?

क्या उन कातिलों के किलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्मत करेंगे?

क्या बाबा साहेब ने ये भी कहा था कि यह सब जनता को एकमुश्त मारने के लिए अचानक कर देना चाहिए ?

मोदी की नोटबंदी बहुजन समाज के खिलाफ!

अब बेनामी संपत्ति जब्त करने का शगूफा! कालाधन निकालने की पेटीएम कवायद के बाद कारिंदों को रक्षा कवच देने का यह ट्रंप कार्ड!

पलाश विश्वास

अंबेडकर छात्र संगठन के कार्यकर्ता हमारे मित्र रजनीश अंबेडकर ने एक ज्वलंत सवाल किया है,कृपया उस पर गौर करेंः


नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपत्ति जब्त करने का ताजा शगूफा है।तो दूसरी ओर, भ्रष्टाचार खत्म करने का नया नजारा पेश होने वाला है कि सरकारी बाबुओं के खिलाफ जांच के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी।कालाधन निकालने की पेटीएम कवायद के बाद कारिंदों को रक्षा कवच देने का यह ट्रंप कार्ड है।

आजकल मोदी के हक में हैरतअंगेज तरीके से कुछ अंबेडकरवादी केसरिया नोटबंदी को बाबासाहेब और संविधान से जोड़ रहे हैं कि उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए हर दस साल में नोट बदलने चाहिए।  क्या बाबा साहेब ने ये भी कहा था कि यह सब जनता को एकमुश्त मारने के लिए अचानक कर देना चाहिए ?

मोदी की नोटबंदी बहुजन समाज के खिलाफ है क्योंकि यह कोई वित्तीय प्रबंधन नहीं है,बाजार और व्यवसाय,नागिकों की संप्रभूता पर एकाधिकार कारपोरेट पूंजी वर्चस्व का राजनीतिक प्रबंधन है और नोटबंदी की इस कवायद से आम जनता को बुनियादी जरुरतें और बुनियादी सेवाओं से वंचित कर दिया गया है ताकि सत्तावर्ग इस मौके का फायदा उठाकर मनचाहा सत्ता समीकरण अपना धनबल बहाल रखते हुए विपक्ष को कंगाल बनाकर पा सके।

मुक्तबाजार में आम लोगों से क्रयशक्ति छीनने का मतलब हवा पानी केबिना आम जनता को गेस चैंबर में मारने की यह कवायद है क्योंकि दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्था में अब कुछ भी फ्री नहीं है।बिन पैसे एक कदम चलना मुश्किल है तो एक मिनट जीना भी मुश्किल है।

बाजार में खुल्ला और रेजगारी सुनियोजित तरीके से एटीएम के जरिये खत्म कर दी गयी है और आम जनता के पास जो सफेद धन है,वही कतारबद्ध जमा हो रहा है।तामम सांढ़ और भालू छुट्टा घूम रहे हैं।पांच सौ और एक हजार के नोट से कालाधन दमा होता है तो फिर दो हजार के नोट जारी किये जा रहे हैं जो आम जनता के लिए सरदर्द का सबब है तो कालाधन की लेनदेन उससे फिर अबाध ही समझिये।

बाबासाहेब ने ऐसा बताया था?

नोटबंदी से पहले तैयारी का आलम यह है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने रिलांयस की कंपनी से छुट्टी लेने के बाद सिर्फ एक महीने पहले पद संभाला था तो रिजर्व बैंक का निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है,जिसके सत्ताइस विभागों में निजी क्षेत्र के कारिंदे बैठे हुए हैं तो ज्यादातर बैंकों के निदेशक निजी क्षेत्र के लोग हैं।

जाहिर है कि नोटबंदी लीक हो जाने से इसका मकसद बेकार हो गया क्योंकि आम जनता मरने को है और अबाध पूंजी के तमाम कारोबारी मजे में हैं और प्लास्टिक मनी के जरिये सत्तावर्ग की क्रय शक्ति जस की तस है।

मारे जाने वाले तो बहुजन समाज के लोग हैं,जिनसे खेती के बाद फासिज्म का राजकाज नौकरियां और आरक्षण और अब काम धंधा कारोबार भी छीन रहा है।बहुजनों के इस नरसंहार के हिंदुत्व एजंडे के पक्ष में कृपया बाबासाहेब को न घसीटें।

यह सारा खेल यूपी के चुनाव जीतने के मद्देनजर चल रहा है।

कश्मीर के बहाने धर्मोन्मादी युद्धोन्माद से भी यूपी का समीकरण सधा नहीं तो वहां सत्ता की प्रबल दावेदार बहुजन समाज पार्टी को ठिकाने लगाने के लिए यह तमाशा खड़ा किया गया है,जिसके नतीजतन देशभर में राशन पानी का टोटा पड़ गया है।

नोट बदलने के फिराक में लोग पंक्तिबद्ध दम तोड़ रहे हैं और भक्तजन फिर युद्धोन्माद की भाषा में पाकिस्तान को सबक सिखाने और कतारबद्ध लोगं को सरहदों पर तैनात जवानों से तुलना कर रहे हैं।

जवानों को किसी ने कहीं बुनियादी जरुरतों और सेवाओं के लिए कतार में खड़े होकर पुलिस की लाठियां खाते हुए देखा है तो बतायें।

पहले तो वित्त मंत्री या रिजर्वबैंक के गवर्नर का अता पता नहीं था।फिर रिजर्व बैंक के नोट जारी होने से पहले नये नोट का डिजाइन लीक हो गया तो बाद में वे अखबार के पन्ने भी सामने गये जिनमें नोटबंदी से पहले अप्रैल और अक्तूबर में पांच सौ और एक हजार के नोट खारिज करने का ऐलान  कर दिया गया,फिर नये नोट खास लोगों तक नोटबंदी से पहले पहुंचने की कबर सामने आने लगीं।

सारी तैयारी कालाधन को चुनिंदा तरह से सफेद धन बनाकर अपना धनबल अटूट रखकर दूसरों को कंगाल बनाने की रही है।

दो दिन में एटीएम से दो दो हजार रुपये की निकासी की घोषणा की गयी तो चार दिन हो गये देश में सारे एटीएम बेकार पड़े हैं।लंबी कतारों में लोग दम तोड़ने लगे हैं।जरुरत के वक्त कंगाल हो जाने से देश के कोने कोने में लोगों के दम तोड़ने या खुदकशी कर लेने,बिना इलाज बच्चों के मरने की खबरें आने लगीं तो वित्त मंत्री की कुंभकर्णी नींद खुल गयी और मैदाने जंग में उतरकर उनने फरमाया कि सारे एटीएम नये नोट उगलने के लायक नहीं हैं और उन्हें उस लायक बनाने में दो तीन हफ्ते लग जायेंगे।

बहरहाल उन्होंने नोटबंदी पर जनता के सहयोग की सराहना की। वित्त मंत्री ने कहा कि नोट बदलने की प्रक्रिया काफी चुनौती भरी है और इसमें समय भी लगेगा उन्होंने कहा कि आने वाले 2-3 हफ्ते में एटीएम में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। करीब 2 लाख एटीएम में सुरक्षा के चलते पहले बदलाव नहीं किए गए। आरबीआई के पास पर्याप्त मात्रा में पैसा है। लोगों के पास काफी मोहलत है उनसे अपील है कि जल्दबाजी न करें।

नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा?

उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया?

मरने वालों और खुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है?

पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है?

क्या उन कातिलों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?

क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्मत करेंगे?

एक दो दिन मे खर्च चलाने लायक पैसा निकालने के बारे में जो सोचने लगे थे, उन्हें वित्तमंत्री ने सांप सूंघा दिया तो जापान से हिरोशिमा और नागासाकी खरीदकर फारिग हुए पेटीएम के सर्वशक्तिमान माडल महोदय ने वित्तमंत्री को दो तीन हफ्ते की मोहलत को एक झटके से पचास दिनों के इंतजार में बदल दिया है।

पूरे पचास दिन तक कैशलैस हो जाने से उत्पादन इकाइयों और अर्थव्यवस्था, बाजार और प्रतिद्वंद्वता से जो करोडो़ं लोग बाहर हो जायेंगे और बुनियादी जरुरतों, सेवाओं और आपात स्थिति में आम जनता को जो तकलीफ होगी,उसका निदान विशुद्ध देशभक्ति बतायी जा रही है।

आस्था और अस्मिता के सवाल खड़े करके नागरिकों के हक हकूक छीने जा रहे हैं और आप बहुजन समाज के इस कत्लेआम में बाबासाहेब को हत्यारों के हक में खड़े कर रहे हैं और यह भी चाहते हैं कि न्याय और समता की बुनियाद पर समाज बनाने के लिए आप सत्ता दखल कर लें और आपको मामूली सी बात समझ में नहीं आ रही है कि यह सारा खेल आपको ही सत्ता से बेदखल करने का करतब है।

जल्दी मसला सुलझ नहीं रहा है और न जल्दी इस एकतरफा नोटबंदी से आम जनता की बेइंतहा तकलीफें खत्म होने जा रही है।तो मदारी का नया खेल शुरु हो गया कि बेनामी संपत्ति जब्त कर ली जायेगी।

दूसरी तरफ, देशभक्त सरकार ने रिटायर्ड और मौजूदा अधिकारियों को कार्यकाल के दौरान लिए प्रामाणिक फैसलों के चलते बेवजह की जांच से बचाने के लिए सुरक्षा कवच देने का फैसला कर लिया है। वह ऐसा प्रावधान करने जा रही है, जिससे सीबीआइ जैसी जांच एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा कि वे किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच करने से पहले केंद्र और राज्य सरकार की पूर्व अनुमति जरूर हासिल कर लें।

खबरों के मुताबिक  सरकार की इस मंशा के अनुरूप कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इस बारे में जल्द निर्णय ले सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उनका कहना है कि पूर्व एवं मौजूदा अधिकारियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के बारे में डीओपीटी शीघ्र कदम उठा सकता है।

गौरतलब है कि  आइएएस एसोसिएशन बहुत समय से यह मांग कर रहा है कि कार्यकाल के दौरान नेकनीयती से लिए गए फैसलों को लेकर जांच एजेंसियों से उनकी हिफाजत की जाए। अपनी इस मांग के समर्थन में एसोसिएशन ने 2जी और कोयला घोटाले में फंसे वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों श्यामल घोष, पीसी पारेख और एचसी गुप्ता का हवाला दिया और दावा किया कि ये बेहद काबिल अफसर हैं, फिर भी जांच का सामना कर रहे हैं।

कहा जा रहा है कि राज्य सभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप डीओपीटी ने अधिकारियों को बेवजह की जांच से सुरक्षा कवच प्रदान कर सकता है। उच्च सदन की इस समिति ने भ्रष्टाचार रोधी कानून, 1988 में संशोधन संबंधी एक विधेयक के परीक्षण के दौरान इस तरह की सिफारिश की थी।

बहरहाल,सरकार के 500-1000 के नोट बंद करने के फैसले से कालाधन पर कितना बड़ा प्रहार हुआ ये तय कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इस फैसले ने आम जिंदगी गुजारने वाले लोगों को जरूर कंगाल कर दिया है। न तो बैंक और न ही एटीएम लोगों की जरूरत को पूरा कर पा रहे हैं। आज भी पैसे निकालने के लिए लोग मारामारी करते दिखे।ज्यादातर एटीएम में नोट नहीं हैं। लोगों की लंबी लंबी कतारें लगी हैं देश के हर शहर हर कस्बे में एटीएम और बैंकों का बुरा हाल है। छुट्टी का दिन होने के बावजूद लोग एटीएम से पैसे निकालने के लिए सुबह से लाइन में लगे हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि घंटों खड़े होने के बाद भी एटीएम से पैसे निकालने में नाकामयाब हैं।

पचास दिनों की तकलीफ का मतलब है कि नीति आयोग के विशेषज्ञों की परियोजना के तहत देश को कैशलैस बनाकर एटीएम की जगह पेटीएम चालू करना है।सर्वशक्तिमान सुपर माडल का करतब देखिये कि कैसे पचास दिनों में ही पेटीएम के लिए देश को कैशलैस करके डिजिटल बना रहे हैं।

डिजिटल बनने का ताजा नजारा धोखाधड़ी,जोखिम और फ्रांड का अनंत सिलसिला ही नहीं है सरकारी कामकाज और राजकाज के जरिये मुनाफावसूली भी है।

मसलन फोज जी नेटवर्किंग का ताजा नजारा यह है कि  अगर आप विदेशी वेबसाइट से ई-बुक, फिल्में, गाने या गेम्स डाउनलोड करते हैं तो अब 1 दिसंबर से आपको 15 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा। यही नहीं, विदेशी सर्विस प्रोवाइडर से डाटा स्टोरेज स्पेस लेने पर भी टैक्स लगेगा। सीबीईसी यानि सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम ने नोटिफिकेसन जारी कर दिया है इसके तहत भारत में सेवाएं देने वाली तमाम विदेशी कंपनियों को सरकार को टैक्स देना होगा और भारतीय कानून के तहत पंजीकरण कराना होगा।

गौरतलब है कि ये टैक्स केवल पेड सर्विस पर ही लगेगा मुफ्त कंटेंट पर नहीं ऐसे में पेड सर्विसेज के महंगे होने का डर है। इस नोटीफिकेशन के लागू होने के बाद पेड गाने, फिल्में डाउनलोड करना, सॉफ्टवेयर खरीदना, इंटरनेट कॉलिंग करना, पेड गेम्स खरीदना और डाटा स्टोरेज स्पेस खरीदना महंगा हो जाएगा।

बहरहाल कालाधन छिपाने वालों को प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर चेतावनी दे डाली है। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान में भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि जिन लोगों ने अपनी अघोषित आय का खुलासा अब तक नहीं किया है उनके पास 30 दिसंबर तक आखिरी मौका है। इसके बाद ना कोई दूसरी स्कीम आएगी और ना ही कोई नरमी बरती जाएगी। 30 दिसंबर के बाद ठिकानों पर छापेमारी होगी। बिना हिसाब के कुछ हाथ आया तो कार्रवाई होगी। पीएम ने कहा कि सरकार ने आईडीएस के जरिए पहले ही काला धन जमा करवाने का मौका दिया था।

पुराने नोट बदलने पर पीएम मोदी ने कहा कि वे आम लोगों के सहयोग को नमन करते हैं। लोगों ने तकलीफ सही और सहयोग दिया। देश के लिए लोग तकलीफ उठा रहे हैं। तकलीफ के बाद भी लोगों ने फैसला स्वीकारा है।

उन्होंने कहा कि नोट बंद करने के फैसले को गोपनीय रखना जरूरी था। चोरी का माल निकलना चाहिए। नोटबंदी के बाद गंगा में नोट बह रहे हैं। नोटबंदी किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। 2.5 लाख रुपये तक जमा कराने पर कोई सवाल नहीं किया जाएगा। सरकार ईमानदार लोगों की रक्षा करेगी लेकिन बैंकों में कालाधन लाने वाले नहीं बचेंगे।




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500 और 1000 के नोटों की बन्दी : भारत पर अनन्तकाल तक शासन करने का फासिस्ट फरमान—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

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500 और 1000 के नोटों की बन्दी : भारत पर अनन्तकाल तक शासन करने का फासिस्ट फरमान—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'



2016-11-13 5:56 GMT+05:30 डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-National President-BAAS & National Chairman-JMWA <baasoffice@gmail.com>:
500 और 1000 के नोटों की बन्दी : भारत पर अनन्तकाल तक शासन करने का फासिस्ट फरमान—डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
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मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बन्द करके 2000 का नोट जारी करने के निर्णय को प्रारम्भ में बहुत कम लोग समझ पाये। मगर जैसे ही जनता की सड़कों पर लम्बी कतारें नजर आने लगी राजनैतिक दलों ने प्रतिक्रिया देना शुरू की है।
यद्यपि वास्तविकता को अभी तक भी सही तरीके से सामने नहीं लाया जा रहा है। इसे समझने के लिये सबसे पहले हमें इस बात को खुलकर स्वीकार करना होगा कि भारतीय #लोकतंत्र_की_आधारशिला————''#दलीय_लोकतंत्र''———है और दलीय लोकतंत्र की आधारशिला है ——————''#काला धन''————— है। ''काला धन'' की अधाराशिला पर सभी राजनैतिक दल/पार्टी और सभी जनप्रतिनिधि टिके हुए हैं या ''काला धन'' में डूबने को विवश हैं, क्योंकि किन्हीं अपवादों को छोड़कर बिना ''काला धन'' की अपार आपूर्ति के चुनावी समर जीतना असम्भव है।
अब जब हम यह मानते और स्वीकारते हैं कि दलीय लोकतंत्र की आधारशिला ——————''काला धन''————— है, तो इस बात को भी मानना होगा कि सभी राजनैतिक दलों के पास जो अकूत ''काला धन'' आता वह नगदी के रूप में अज्ञात स्थानों पर 500 एवं 1000 के नोटों के रूप में जमा रहता रहा है। जिसका स्रोत या लेखा—जोखा मांगने या जानने का आम जनता को सूचना अधिकार/#आरटीआई के कानून तहत भी हक नहीं है।
इससे स्वतः प्रमाणित है कि यह राजनैतिक दलों की सामूहिक स्वीकारोक्ति है कि उनके पास #अपवित्र_स्रोतों से ''काला धन'' आता है और चुनावी समर में अपवित्र तरीके से ''काला धन'' खर्च किया जाता है। इस प्रकार ''काला धन'' हमारे लोकतंत्र की वास्तविक आत्मा और राजनैतिक दलों की दुखती रग बन चुका है। ऐसे में वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा इस दुखती रग पर वार करके शेष सभी दलों की आत्मा को मार दिया गया है। अंधभक्तों और शातिर लोगों द्वारा #राष्ट्रभक्ति की आड़ में इस निर्णय की प्रशंसा में गीत गाये जा रहे हैं। लेकिन इसके पीछे छिपी/निहित वास्तविकता को समझना बहुत जरूरी है।
लोकतंत्र की #आवश्यक_बुराई बन चुके ''काला धन'' की आधारशिला पर खड़े भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिये चालाकी से परिपूर्ण इस निर्णय के छद्म मकसद को जानना और समझना प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिये बहुत जरूरी है। बल्कि संविधान की और राष्ट्र की रक्षा हेतु अपरिहार्य है। तो यह जाना जाये की तत्काल अपुष्ट, किन्तु महत्वूपर्ण स्रोतों से छन—छन कर जो जानकारी सामने आ रही है, वह अत्यधिक भयावह और हिला देने वाली है। सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों #सत्ताधारी_दल और उसके रिमोट संघ से सम्बद्ध अनेकों लोगों ने—
  • 1. राजस्थान के अजमेर जिले में हजारों करोड़ रुपये की #जमीनें_खरीदी गयी हैं। अन्य राज्यों में भी ऐसा हुआ है।
  • 2. देशभर में हजारों करोड़ रुपये का #सोना_खरीदा गया है।
  • 3. देशभर में हजारों करोड़ रुपये #रियल_स्टेट में लगाये गये हैं।
  • 4. हजारों करोड़ #विदेशों_में_जमा करवाया गया है।
  • और
  • 5. अपनी हैसियत और सत्ता से नजदीकी का दुरुपयोग करते हुए हजारों करोड़ों की राशि को 2000 के नोटों में #बदलाया जा चुका/रहा है।
उक्त पांचों प्रकार के ''काले धन'' को बहुत आसानी से #सफेद_धन में बदलकर भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों द्वारा उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों के विधानसभा चुनावों और लोकसभा के अगले आम चुनावों में पानी की भांति बहाया जा सकेगा, बल्कि बहाया जायेगा। गरीब वोटरों को आसानी से अपने पक्ष में #दिग्भ्रमित किया जा सकेगा और, या #खरीदा भी जा सकेगा और चुनावों के असली हथियार ''काला धन'' से निहत्थी हो चुकी शेष सभी पार्टियाँ निरीह और असहाय अवस्था में चुनावी समर में अपनी हार को स्वीकारने को मजबूर होंगी।
निश्चय ही 500 और 1000 के नोट बन्द करके 2000 का नोट जारी करने का निर्णय भारत पर अनन्त काल तक शासन करने और जनमत के समर्थन के नाम पर अपनी पुरातनपंथी अमानवीय #फासिस्ट और #मनुवादी विचारधारा को जबरन थोपने के दूरगामी अमोघ अस्त्र के रूप में चला गया है! जिसे सभी दलों की सामूहिक एकता के बिना, केवल आम जनता के भरोसे असफल करना असम्भव है। अन्यथा भारत के दलीय लोकतंत्र को धराशाही होने से बचाना असम्भव है!
@फिर भी इस आलेख को लिखने की सार्थकता तब ही सिद्ध होगी, जबकि लोकतंत्र को ज़िंदा रखने को प्रतिबद्ध प्रत्येक पाठक/राष्ट्रभक्त इस लेख में अंतर्निहित सत्य की पुष्टि करने वाले 5 बिंदुओं में निहित #षड्यंत्र के अपने आसपास बिखरे पड़े सबूतों को उजागर करने वाले प्रमाण जुटाने में सक्रिय सहयोगी बनकर, अपना #संवैधानिक_फर्ज अदा करने का साहस दिखायेगा। आज के संदर्भ में यह साहसिक पहल राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रशक्ति, राष्ट्रीयता और राष्ट्र को बचाने के समर/युद्ध में अपने-अपने योगदान/बलिदान का वक्त है! जो भी फर्ज निभायेगा शहीदों से कम गौरव नहीं पायेगा।
आखिर कब तक सिसकते रहोगे?
बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे??
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हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!!
Our goal is clear! Justice to all!!
जय भारत। जय संविधान।
नर-नारी, सब एक सामान।
मेरा संक्षिप्त परिचय :
* सेवासुत डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
* मीणा आदिवासी परिवार में जन्म।
* मूलवासी-आदिवासी : रियल ऑनर ऑफ़ इंडिया-Indigenous-Aboriginal : Real Owner of India.
* मैं-आस्तिक हूँ, अन्धविश्वासी नहीं।
* धार्मिक हूँ, पाखण्डी नहीं।
* बुद्धानुयाई हूँ, बुद्धिष्ट नहीं।
* भारतवासी हूँ, हिन्दु या हिन्दुस्थानी/हिन्दुस्तानी नहीं।
* संविधानवादी हूँ, अम्बेडकरवादी नहीं।
* NC-HRD, NACB, JMWA & BAAS
* M/WA No. : 09875066111
* 12.11.2016/10.14 PM
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महत्वपूर्ण खबरें और आलेख नोटबंदी-मरने वाले और खुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला मोदीजी 2016/11/13

Next: #DeMonetisation Carpet Bombing जमा धन में कितना निकला कालाधन?कहां कहां नहीं बन रहे हैं कब्रिस्तान ? चार महीने तक यह समस्या सुलझी नहीं तो खुदरा कारोबार खत्म है,आर्थिक लेन देन सिरे से बंद है और इसे जुड़े तमाम लोगो का काम धंधा,रोजगार बंद है हमेशा के लिए।खेती और नौकरियां पहले ही खत्म हैं।दिहाड़ी कमाकर बुनियादी जरुरतें पूरी करने वाली ज्यादातर आम लोगों और लुगाइयों के लिए यह युद्ध परिस्थिति में दुश्मनों क�
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#DeMonetisation Carpet Bombing जमा धन में कितना निकला कालाधन?कहां कहां नहीं बन रहे हैं कब्रिस्तान ? चार महीने तक यह समस्या सुलझी नहीं तो खुदरा कारोबार खत्म है,आर्थिक लेन देन सिरे से बंद है और इसे जुड़े तमाम लोगो का काम धंधा,रोजगार बंद है हमेशा के लिए।खेती और नौकरियां पहले ही खत्म हैं।दिहाड़ी कमाकर बुनियादी जरुरतें पूरी करने वाली ज्यादातर आम लोगों और लुगाइयों के लिए यह युद्ध परिस्थिति में दुश्मनों क�

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#DeMonetisation Carpet Bombing जमा धन में कितना निकला कालाधन?कहां कहां नहीं बन रहे हैं कब्रिस्तान ?

चार महीने तक यह समस्या सुलझी नहीं तो खुदरा कारोबार खत्म है,आर्थिक लेन देन सिरे से बंद है और इसे जुड़े तमाम लोगो का काम धंधा,रोजगार बंद है हमेशा के लिए।खेती और नौकरियां पहले ही खत्म हैं।दिहाड़ी कमाकर बुनियादी जरुरतें पूरी करने वाली ज्यादातर आम लोगों और लुगाइयों के लिए यह युद्ध परिस्थिति में दुश्मनों की कार्पेटं बांबिंग में मारे जाने या जख्मी विकलांग हो जाने से बड़ा हादसा है जो बंगाल की भुखमरी से ज्यादा व्यापक है और इस हादसे की चपेट में एक एक नागरिक है।

टैक्स चुराने वालों के अपराध की सजा टैक्स चुकाने वाले ईमानदार लोगों को भूखों मारकर देने का फासिज्म का यह राजकाज है।यह गुजरात नरसंहार ,बाबरी विध्वंस और सिखों के नरसंहार या भोपाल गैस त्रासदी से ज्यादा संक्रामक भयानक राष्ट्रीय त्रासदी है।

पलाश विश्वास

इंडियन एक्सप्रेस की खबर हैः

Demonetisation appears to be carpet bombing, not surgical strike: SC

Demonetisation appears to be carpet bombing, not surgical strike: SC

The apex court was hearing a clutch of petitions against the government's move to scrap old Rs 500, Rs 1000 notes. Adjourning the hearing till November 25, the bench said that it will examine the legal validity of the government notification and then take a decision.

साभार इंडियन एक्सप्रेस

जमा धन में कितना निकला कालाधन?

कहां कहां नहीं बन रहे हैं कब्रिस्तान ?

कार्पेट बांबिंग से युद्धोन्मादी माहौल में भारतीय जनता के सफाये का इंतजाम है यह।क्योंकि अब यह साफ है कि पहले से लीक हो जाने की वजह से कालाधन पकड़ में नहीं आ रहा है और आर्थिक अपराधियों के खिलाफ इस अभियान में अपने खून पसीने की कमाई को ही सफेद साबित करने में लगी है जनता।

ताजा खबर है कि अब नोट जमा करने के लिए या एटीएम से पैसा निकालने के लिए भी उंगलियों पर निशान लगाये जा रहे हैं तो बेरोजगार युवाओं,गरीबों और घरेलू नौकरों के खाते में कालाधन जमा हो रहा है और इसके लिए आधार कार्ड किराये पर है।अभी बैंक जमा के पिछले छह महीने के आंकड़ों से भी पता चल रहा है कि इस कायमत के बारे में खास लोगं को खास जानकारी थी और उन्होंने भारी पैमाने पर देश विदेश में लेन देन करके कालाधन सफेद बना लिया है।सोना और बेनामी संपत्ति 30 दिसंबर के बाद जमी करने की चैतावनी देकर फिर चुनिंदा लोगों को बचाने की तैयारी है और फिर इसी तरह कार्पेट बांबिंग से आम जनता को लहूलुहान किया जाना है।

नोटबंदी के एलान के बाद चार दिनों में जमा पुराने नोट डेढ़ लाख करोड़ की रकम पार कर गया है।कालाधन निकालने के लिए इस युद्धक अभियान को सुप्रीम कोर्ट ने सर्जिकल स्ट्राइक न मानकर कार्पेट बांबिंग कहा है।यानि जो हम लिख रहे थे कि यह आम जनता के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक है,उसीको कार्पेट बांबिंग कह रहा है देश का सर्वोच्च न्यायालय यानी अपराधी को मार गिराने के लिए पूरी आबादी का सफाया।

बहरहाल सरकार के लिए जरुर राहत है कि नोटबंदीके खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्टने इस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि लोगों को परेशानी न हो इसका ध्यान सरकार रखे. केंद्र क्या कदम उठा रहा है हलफनामा दें।जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट से भी आम जनता को इस कार्पेट बांबिंग से राहत नहीं मिलने वाली है।अदालत ने सरकार से पूछा कि लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए क्या उपाय किए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी।

इस कार्पेट बांबिंग के तहत जमा धन में कितना निकला कालाधन?

पहले उम्मीद थी कि नोटबंदी के बाद एटीएम खुलते ही सिमसिम खुल जा की तरह आम जनता के लिए खजाना खुल जायेगा।फिर लंबी कतारें ऐसी लगी हैं कि बैंकों और एटीएम के दरवाजे तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।बैंकों और एटीएम के खुले बंद दरावाजे पर नो कैश का नोटिस टंग गया है।वित्तमंत्री ने कहा कि नये नोट निकालने के लिए सारे एटीएम के साफ्टवेयर बदलने होंगे।दो तीन हफ्ते लग जायेंगे।फिर अगले ही दिन प्रधानमंत्री ने पचास दिनों की मोहलत मांग ली।अब कहा जा रहा है कि चार महीने कम से कम लगेंगे और तब तक नकदी का विकल्प प्लास्टिक मनी है।आपातकालीन सेवाओं के लिए पुराने नोट की वैधता की अवधि फिलहाल 24 नवंबर तक बढ़ायी गयी है जो आगे और बढ़ायी जा सकती है।यही कार्पेट बांबिंग है।

गौरतलब है कि पांच सौ और एक हज़ार रुपए के नोटों को बंद करने के फ़ैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार के इस फैसले से नागरिकों के जीवन और व्यापार करने के साथ ही कई अन्य अधिकारों में बाधा पैदा हुई है।इसे तो कोई राहत नहीं मिली है तो दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने विपक्ष की गोलबंदी करके संसद में हंगामा करने की पूरी तैयारी कर ली है।इस गोलबंदी में वामदल भी उनके साथ हैं।मायावती,अरविंद केजरीवाल,लालू,नीतीशकुमार जैसे लोग भी हंगामा बरपा सकते हैं।इसके बावजूद फासिज्म के राजकाज का कोई राजनीतिक प्रतिरोध होते दीख नहीं रहा है और न कोई विकल्प बन रहा है।

राजनीतिक प्रतिरोध नहीं है और न राजनीतिक विकल्प है।राजनीतिक राहत की फिलहाल दूर दूर तक संभावना नहीं है।आम जनता के इस भयानक संकट में राजनीतिक दल अपना अपना चुनावी समीकरण साध रहे हैं तो यूपी , पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर जैसे राज्यों में चुनाव जीतने के लिए यह चांदमारी है,इसे भी अब साबित करने की जरुरत नहीं है।

आम जनता के बारे में न कोई राजनीतिक विचारधारा है और न कोई राजनीतिक पहल है।इस चांदमारी में मारे जाने वाले लोगों के खून से किसके हाथ रंगे नहीं हैं,पिलहाल कहना मुश्किल है।कब्रिस्तान तो हर कहीं बनेंगे।

ढाई लाख से ज्यादा रकम जमा करने पर आयकर तो लगेगा ही ,उसके साथ दस गुणा पेनाल्टी लग सकती है।अब समझने वाली बात है कि आयकर,पेनाल्टी और कानूनी झंझट की बाधाधौड़ पार करके कितने कालाधन वाले कतारबद्ध होकर बैंकों में जाकर जमा करने का जोखिम उठायेंगे जो आम माफी जैसे माहौल में बिना पेनाल्टी के लिए काला धन जमा करने को तैयार नहीं थे।

आखिर क्या है यह कालाधन?

सीधे तौर पर कायदा कानून को धता बताकर बिना देय टैक्स चुकाये अर्जित और जमा धन को कालाधन कहा जा सकता है।जो ज्यादातर छुपा हुआ है और खुले बाजार में प्रचलित नहीं है।इसका इस्तेमाल नकदी में खरीददारी और अचल संपत्ति में निवेश से लेकर विदेशी विनिवेश तक में है।जबकि आम जनता के पास जो पैसा है,उसी से खुदरा बाजार चलता है।पांच सौ और एक हजार के नोट रद्द हो जाने पर आम जनता के पास खर्च चलाने के लिए नकदी नहीं है तो इसका सीधा मतलब यह है कि खुदरा बाजार बंद है।

2011 में सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के दाखिल हलफनामा में विदेशी बैंकों में तबतक भारतीयों के खातों में पांच सौ बिलियन रुपया जमा है जो पचास हजार करोड़ डालर के बराबर है।रक्षा क्षेत्र में विनिवेश और रक्षा सौदों में दलाली के साथ युद्धोन्मादी परिस्थितियों में हथियारों और परमाणु ऊर्जा की खरीददारी की अंधी दौड़,देश के सारे संसाधन बेच देने के अश्वमेधी अभियान में 2011 के बाद पिछले पांच सालों में यह रकम किस तेजी से बढ़ी होगी ,इसका अंदाजा भी लगाया नहीं जा सकता।

नोटबंदी से उस कालाधन का कितना हिस्सा देश के बैंको में जमा हुआ है,सरकार संसद के शीतकालीन अधिवेशन में यह ब्यौरा पेश करें तो त्याग और बलिदान और देशभक्ति के पीछे जो खुल्ला खेल फर्ऱूखाबादी चल रहा है,उसका खुलासा हो रहा। गौरतलब है कि नोटबंदी के विरोध में लामबंद राजनेता ऐसी कोई मांग नहीं कर रहे हैं।

देश में मौजूद कुल नकदी जब विदेशों में जमा कालाधन के मुकाबले आधा भी नहीं है तो अर्थशास्त्री विवेक देबराय के मुताबिक इस युद्धक अभियान का मकसद कालाधन निकालना कतई नहीं हो सकता।आज बांगला दैनिक आनंदबाजार के संपादकीय लेख में उन्होंने कालाधन का अर्थशास्त्र डिकोड कर दिया है।

विवेक देबराय के मुताबिक जनता की दक्कतें दूर करने की पूरी तैयारी करके ही ऐसा कदम उठाना था।संघ परिवार और शिवसेना भी आम जनता की तकलीफों का रोना रो रहे हैं।सुब्रह्मण्यम स्वामी और पतंजलि बाबा तक इससे होने वाली अराजकता के खिलाफ मुंह खोलने लगे हैं।जाहिर है कि दांव उल्टा निकला है तो अब डैमेज कंट्रोल के लिए आत्म आलोचना का संघी विवेक भी अंगड़ाई लेने लगा है।आध्यात्म भी जगने वाला है।कुंडलिनी तो जग ही गयी है।

बहरहाल,चार महीने तक यह समस्या सुलझी नहीं तो खुदरा कारोबार खत्म है,आर्थिक लेन देन सिरे से बंद है और इसे जुड़े तमाम लोगो का काम धंधा,रोजगार बंद है हमेशा के लिए।खेती और नौकरियां पहले ही खत्म हैं।

दिहाड़ी कमाकर बुनियादी जरुरतें पूरी करने वाली ज्यादातर आम लोगों और लुगाइयों के लिए यह युद्ध परिस्थिति में दुश्मनों की कार्पेटं बांबिग में मारे जाने या जख्मी विकलांग हो जाने से बड़ा हादसा है जो बंगाल की भुखमरी से ज्यादा व्यापक है और इस हादसे की चपेट में एक एक नागरिक है।

टैक्स चुराने वालों के अपराध की सजा टैक्स चुकाने वाले ईमानदार लोगों को भूखों मारकर देने का फासिज्म का यह राजकाज है।

यह गुजरात नरसंहार ,बाबरी विध्वंस औरसिखों के नरसंहार या भोपाल गैस त्रासदी से ज्यादा संक्रामक भयानक राष्ट्रीय त्रासदी है।

पेटीएम से मार्केटिंग चालू हो गयी और सरकारी योजना के तहत सोसाइटी को जानबूझकर जबर्दस्ती कैशलैस कर दिया गया जैसा कि इस दीर्घकालीन युद्धक अभियान या कार्पेट बांबिंग का असल मकसद है तो बाजार पर ईटेलिंग और नेटवर्किंग के जरिये बड़ी पूंजी का एकाधिकार कायम होना है और छोटे और मंझौले तमाम कारोबारी बाजार से हमेशा के लिए बेदखल है जिनका कोई वैकल्पिक काम धंधा नहीं है और न कोई वैकल्पिक रोजगार सृजन है।

खेती बहुजन जनता की आजीविका है और खेती चौपट होने के बाद कुदरा बाजार खत्म करने के इस कार्पेट बांबिंग का मतलब यह है कि खेती और कारोबार दोनों सेक्टर में आम जनता की हिस्सेदारी खत्म और इसके साथ सात नौकरियां भी खत्म है।यह करोड़ों लोगों का रक्तहीन नरसंहार है।

बहरहाल इन आंकड़ों पर तनिक गौर कीजिये एक साल में लोग जितना पैसा बैंकों में जमा नहीं करते उससे 172 प्रतिशत ज्यादा पैसा तो चार दिन में बैंकों के पास आ गया है। मार्च 2015 में बैंकर्स के पास 1177.24 करोड़ रुपया जमा पूंजी थी। जो कि मार्च 2016 में 89.63 करोड़ रुपए बढ़कर 1266 करोड़ रुपया पहुंच गई थी। लेकिन बीते चार दिनों में ही बैंकों में 155 करोड़ रुपया ओर जमा हो गया है। इस हिसाब से बैंकों की जमापूंजी 1266 करोड़ रुपए से बढ़कर 1406 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है।

इस जमा धन में कितना निकला कालाधन?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों के दौरान सितंबर महीने में रेकॉर्ड डिपॉजिट देखने को मिला। सितंबर महीने में बैंकों में कुल 5.98 लाख करोड़ रुपये जमा हुए। इस वजह से बैंकों का डिपॉजिट ऑल टाइम हाई (1,02,08,290 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। सितंबर महीने की बैंक डिपॉजिट में कुल 13.46 फीसदी का उछाल देखने को मिला।इससे पहले जुलाई 2015 में रेकॉर्ड डिपॉजिट देखने को मिला था। तब बैंकों में कुल 1.99 लाख करोड़ रुपये डिपॉजिट किए गए थे। जुलाई की बैंक डिपॉजिट में 12.68 फीसदी का उछाल आया था। अब विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस मुद्दे को पकड़ लिया है और इसका इस्तेमाल सरकार के खिलाफ कर रही है।

नोटबंदी से पहले यह रकम किन लोगों के खाते में जमा है,इसका ब्यौरा अभी नहीं मिला है।नोटबंदी से पहले हुए इस रिकार्ड जमा से किन लोगों ने काला धन सफेद किया है,इसका खुलासा नहीं हुआ है।

सरकार ने नकदी संकट का कोई उपाय अभी तक नहीं सोचा तो अब जब मौतों और आत्महत्याओं की खबरें तेजी से रोज सुर्खियां बनने लगी है तो नोटबंदी के  बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लंबी कतारों के बीच सरकार ने कैश क्रंच से निपटने के लिए नए नियम जारी किए हैं।आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा आज से नोट बदलवाने पर उंगली पर स्याही का निशान लगाया जाएगा।अब युद्धक विमानों से आम जनता पर नोट बरसाने की तैयारी है तो कतारों में खड़े लोगों पर पुलिस लाठीचार्ज तेज हैं और कुछ दिनों में यही हाल है तो सलवा जुड़ुम भी शुरु हो जायेगा।

देश में कालाधन रोकने के लिए अभी ये सिर्फ शुरुआत है। इस बार बजट में कालाधन रोकने के लिए सरकार बड़ा ऐलान कर सकती है। सीएनबीसी-आवाज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक एक तय रकम से ज्यादा रखने या फिर इसके लेनदेन पर पाबंदी का ऐलान बजट में किया जा सकता है। इसके अलावा, सरकार 30 दिसंबर के बाद गोल्ड के इंपोर्ट पर सख्ती बढ़ा सकती है।

दावा है कि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत दी है। उन्होंनें पुराने नोटों के चलन की समय सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया है। अब 500-1000 रुपये के पुराने नोट 24 नवंबर तक पेट्रोल पंप, अस्पतालों में चलेंगे। पहले ये नोट 14 नवंबर तक ही इस्तेमाल किए जा सकते थे। इसके अलावा बैंकिंग कॉरेसपोंडेट की संख्या बढ़ाने और एक दिन में एक से ज्यादा बार कैश निकालने पर फैसला काफी अहम है। बैंकों और डाक घरों में नोटों की सप्लाई बढ़ाने का भी फैसला लिया गया।

एटीएम को नए नोटों के लायक जल्द से जल्द बनाने के लिए सरकार ने आरबीआई के डिप्टी गर्वनर की अगुआई में टास्क फोर्स का भी गठन किया है। इधर, एनएचएआई ने भी सभी हाईवे 18 नवंबर की रात तक फ्री कर दिए हैं। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास ने बताया कि बैंकों को मोबाइल एटीएम चलाने के लिए भी कहा गया है, जिनसे क्रेडिट और डेबिट कार्ड से पैसा निकाला जा सकेगा।

दूसरी तरफ, बैंकों में बड़े ट्रांजैक्शन को लेकर सीबीडीटी चेयरमैन सुशील चंद्रा का कहना है कि विभाग सभी बड़े डिपॉजिट और निकाली गई राशि की जानकारी ले रहा है। 2.5 लाख रुपये से ज्यादा डिपॉजिट कराने वालों की जांच होगी।

खबर है कि बजट में कालेधन पर बड़ा ऐलान हो सकता है और 3 लाख रुपये से ज्यादा नकदी रखने पर पाबंदी संभव है। दरअसल कालेधन पर बनाई गई एसआईटी ने पहले ही सरकार को इसकी सिफारिश की है। यही नहीं बैंकों से मोटी रकम निकालने पर पूछताछ भी हो सकती है। विदेशों में संपत्ति खरीदने पर जानकारी देने पड़ सकती है। इन नए प्रावधानों के लिए आईटी एक्ट और ब्लैकमनी एक्ट में बदलाव संभव है।

खबर ये भी है कि सरकार कालेधन से सोना खरीदने पर सख्ती की तैयारी कर रही है। सरकार सोने के इंपोर्ट पर शिकंजा कस सकती है। ज्यादा सोना खरीदने पर आईटी विभाग को जानकारी देगी होगी। सरकार जल्द ही गोल्ड पॉलिसी का ऐलान कर सकती है। साथ ही बेनामी संपत्ति भी सरकार के निशाने पर है और बता दें कि 1 नवंबर से बेनामी एक्ट लागू हो चुका है।

इसी बीच देश में नोटबंदी के बाद आयकर विभाग हरकत में आ गया है। पिछले 5 दिन से ज्वेलर्स, बिल्डर्स पर आयकर विभाग की कड़ी नजर है। आयकर विभाग के अफसर कस्टमर बनकर नजर रख रहे हैं। दिल्ली-मुंबई समेत कई जगहों पर छापेमारी हो रही है। जहां गोवा में ज्वेलर्स से 90 लाख रुपये जब्त किए गए हैं। वहीं कोलकाता से 3 करोड़ रुपये नकद बरामद किया गया है। ज्वेलर्स के साथ एयरपोर्ट और बिल्डर्स के लेन-देन पर भी आयकर विभाग की पैनी नजर है।

खेती के मरघट में नजारा कुछ और है।किसानों की खेती गेहूं की बुआई के लिए तैयार है मगर सघन सहकारी गोदामों पर हजार व पांच सौ के पुराने नोटों को नहीं लिए जाने के कारण किसानों को खाद्य व बीज नहीं मिल पा रहा है।खरीफ सीजन की उपज की बिक्री और रबी फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है। नगदी संकट में सुधार जल्दी नहीं हुआ तो किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नोटों की कम आपूर्ति कृषि गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है।

BBC के मुताबिक भारत में नाटकीय रूप से 500 और 1000 के नोटों को रद्द किए जाने के कदम को कौशिक बासु ने भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका देने वाला बताया है।

विश्व बैंक के पूर्व चीफ़ इकोनॉमिस्ट कौशिक बासु ने कहा कि भारत में 500 और 1000 के रुपयों को रद्द करना अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। प्रोफ़ेसर बासु ने कहा कि इससे फायदे की जगह व्यापक नुक़सान होगा।

विश्व बैंक के पूर्व चीफ़ इकनॉमिस्ट कौशिक बासु का कहना है, ''भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अर्थव्यवस्था के लिए ठीक था लेकिन विमुद्रीकरण (नोटों का रद्द किया जाना) ठीक नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था काफ़ी जटिल है और इससे फायदे के मुक़ाबले व्यापक नुक़सान उठाना पड़ेगा।''

प्रोफ़ेसर बासु पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे और अभी न्यूयॉर्क कोर्नेल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

प्रोफ़सर बासु का कहना है कि एक बार में सबकुछ करने के बावजूद ब्लैक मनी के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि अब इसकी मौज़ूदगी संभव नहीं है। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस कदम का सीमित असर होगा। लोग नई करेंसी के आते ही तत्काल ब्लैक मनी ज़मा करना शुरू कर देंगे। इनका कहना है कि इसकी क़ीमत चुकानी होती है।

NDTV के मुताबिक  विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार का 500 और 1,000 का नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 'अधिक नियमन' वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है।

सोरमन ने कहा कि राजनीतिक नजरिये से बैंक नोटों को बदलना एक स्मार्ट कदम है। इससे कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है, हालांकि, यह भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता।

सोरमन ने पीटीआईसे साक्षात्कार में कहा, 'अत्यधिक नियमन वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है। भ्रष्टाचार वास्तव में लालफीताशाही और अफसरशाही के इर्दगिर्द घूमता है। ऐसे में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नियमन को कुछ कम किया जाना चाहिए।'

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जल्दबाजी में संचालन का तरीका कुछ निराशाजनक है। इसके लिए पहले से बताए गए कार्यक्रम के जरिये एक स्पष्ट रास्ता एक अधिक विश्वसनीय तरीका होता।

सोरमन ने कई पुस्तकें लिखी हैं. इनमें 'इकनॉमिस्ट डजन्ट लाई : ए डिफेंस ऑफ द फ्री मार्केट इन ए टाइम ऑफ क्राइसिस'भी शामिल है।

हालांकि जानी-मानी अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अचानक 500 और 1,000 का नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं.।इससे निश्चित रूप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे, जिनके पास नकद में कालाधन है। भ्रष्ट अधिकारी, राजनेता और कई अन्य सोच रहे हैं कि वे इस स्थिति में नकदी से कैसे निपटें।'

हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा ऊंचे मूल्य के नोटों को नए नोटों से बदला जाएगा।ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि भ्रष्टाचार में नकदी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा। पटनायक ने कहा कि इस आशंका में कि फिर से नोटों को बंद किया जा सकता है, भ्रष्टाचार में डॉलर, सोने या हीरे का इस्तेमाल होने लगेगा।

खबरों के मुताबिक 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद धनकुबेरों ने अपनी काली कमाई को सफेद करने के लिए बेरोजगार युवकों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ये लोग आधार कार्ड वाले युवकों को 4000 रुपए बैंकों से बदलवाने पर एक हजार रुपए देने का ऑफर दे रहे हैं। लिहाजा, जबसे प्रधानमंत्री ने बड़े नोटों के बंद करने का ऐलान किया है, आधार कार्ड रखने वाले युवक इस गंदे धंधे में एक दिन में 3-4 हजार रुपए तक कमा रहे हैं।


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#DeMonetisationdestructiionforpoliticaleconomicmonopolyethniccleansing पचास घंटे तक भांजे की लाश का इंतजार नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं। सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा। बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,उस परिवार ने हमें खुल्ला न्यौता दे दिया की मकान किराया गिनते रहने के बजाय हम तुरंत उनके घर शिफ्ट हो जायें।वे हमारे कुछ नहीं लगते।जो लगते हैं,उन्होंने हमसे कुछ नहीं पूछा। घनघोर निजी त्रासदी की इस घड़ी में लंबे अरसे से देहात से कटे होने के बावजूद मुझे राहत मिली है कि देहात के लोग दिलोदिमाग से अभी खच्चर नहीं बने हैं।वे घोड़े या गधे तो कभी नहीं थे।एबीपी न्यूज ने वाइरल वीडियो में नये नोट में चस्पां वीडियो को सही दिखाकर हिंदुत्व के जिस नोटबंदी एजंडा को जगजाहिर कर दिया है,वह देहात के इसी इंसानियत के भूगोल की वजह से कभी कामयाब हो नहीं सकता,17 नवंबर की रात मुझे पक्का यकीन हो गया है।   पलाश विश्वास

पचास घंटे तक भांजे की लाश का इंतजार नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं। सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा। बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,उस परिवार ने हमें खुल्ला न्

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पचास घंटे तक भांजे की लाश का इंतजार
नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं।
सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा।
बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,उस परिवार ने हमें खुल्ला न्यौता दे दिया की मकान किराया गिनते रहने के बजाय हम तुरंत उनके घर शिफ्ट हो जायें।वे हमारे कुछ नहीं लगते।जो लगते हैं,उन्होंने हमसे कुछ नहीं पूछा।
घनघोर निजी त्रासदी की इस घड़ी में लंबे अरसे से देहात से कटे होने के बावजूद मुझे राहत मिली है कि देहात के लोग दिलोदिमाग से अभी खच्चर नहीं बने हैं।वे घोड़े या गधे तो कभी नहीं थे।एबीपी न्यूज ने वाइरल वीडियो में नये नोट में चस्पां वीडियो को सही दिखाकर हिंदुत्व के जिस नोटबंदी एजंडा को जगजाहिर कर दिया है,वह देहात के इसी इंसानियत के भूगोल की वजह से कभी कामयाब हो नहीं सकता,17 नवंबर की रात मुझे पक्का यकीन हो गया है।

पलाश विश्वास
पिछले कई दिनों से लिखना नहीं हो पाया।अगले कई दिनों तक भी लिखना मुश्किल लग रहा है।इस बीच नोटबंदी के आलम में छत्तीसगढ़ के जगदलपुर इलाके के बीजापुर में निर्माणकार्य में लगे भांजे प्रदीप की पीलिया से किडनी और लीवर खराब होने से 15 नवंबर को रात ग्यारह बजे रायपुर के एक निजी नर्सिंगहोम में निधन हो गया।सोलह को शाम तक हमें खबर मिली और हम अपने फुफेरी दीदी के घर वनगाव के गोपालनगर कस्बे के पास रामचंद्रपुर पहुंच गये,जहां अठारह नवंबर को रात एक बजे लाश लेकर एंबुलेंस पहुंचा।
प्रदीप मेरी फुफेरी बहन का इकलौता बेटा था और जब वह सिर्फ 30 दिन का था,उसके पिता का निधन हो गया।उसकी बड़ी बहन छाई साल की थी।
चालीस साल के प्रदीप के बेटे चार पांच साल का है और उसकी बेटी तेरह चौदह साल की है और वह इस साल माध्यमिक परीक्षा देने वाली है।
बहू के बैंकखाते में कुल दो सौ रुपये जमा हैं।घर अपना है लेकिन जमीन दो तीन बिघा से ज्यादा नहीं है।वह पूरे इलाके में बेहद लोकप्रिय है।गोपाल नगर से लेकर वनगांव तक।
गोपाल नगर में किसी चायवाले पान वाले ने हमसे पैसा नहीं लिया क्योंकि उन्हें मालूम था कि हम अपने प्रिय भांजे का इंतजार कर रहे हैं।
इससे पहले वह मध्यप्रदेश में दंतचिकित्सा का चैंबर खोलकर बैठा था।उससे भी पहले वह कोलकाता में दंत चिकित्सा का काम ही कर रहा था।तब बिना नोटिस वह जब तब आ धमकता था और आपातकालीन परिस्थितियों में तो वह बिना बुलावे पता नहीं कहां से आकर हाजिर हो जाता था।
प्रदीप को जगदलपुर मिशनरी अस्पताल से रायपरु के नर्सिंग होम में रिफर किया गया था।हालत इतनी खराब थी कि उसे उसके सहकर्मी कोलकाता नहीं ला पाये और न घरवालों से संपर्क साध पाये।बहरहाल नोटबंदी के आलम में उन लोगों ने न जाने कैसे एक लाख रुपये इलाज में खर्च कर दिये।
एंबुलेंस आधीरात बाद रायपुर से रांची हजारीबाग धनबाद के रास्ते भटकते भटकते गोपालनगर पहुंचा वर्दवान होकर।उसी वक्त बिना एटीएम के गांव के लोगों ने न जाने कहां से तीस हजार के करीब रुपये पैदा कर दिये,जिससे एंबुलेंस के 27 हजार का भुगतान हो गया और बाकी तीन हजार रुपये से अंतिम संस्कार हो गया।
वे हर फैसला हमसे पूछ कर कर रहे थे जबकि हमने कहा कि गांववाले जो भी फैसला करेंगे हम उनके साथ हैं।
सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा।
बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,उस परिवार ने हमें खुल्ला न्यौता दे दिया की मकान किराया गिनते रहने के बजाय हम तुरंत उनके घर शिफ्ट हो जायें।वे हमारे कुछ नहीं लगते।जो लगते हैं,उन्होंने हमसे कुछ नहीं पूछा।
यह मौत जाहिर है कि नोटबंदी की वजह से नहीं हुई।लेकिन हम निजी इस त्रासदी की कथा आपसे इसलिए शेयर कर रहे हैं कि भारत के शहर और कस्बे भले बदल गये हों,लेकिन गांवों में साझा चूल्हा अभी खूब सुलग रहा है। बैंको में कैश नहीं है।एटीएम कंगाल है।रोज नये नये आदेश जारी हो रहे हैं।
रोजमर्रे की जरुरतों और सेवाओं के लोग दर दर भटक रहे हैं।दम तोड़ रहे हैं।लेकिन भारत के गांवों का देहाती मिजाज अभी सही सलामत है।
नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं।
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#Daulatabadsedelhi #Rollbacktomakblackinwhite #NOTEBANDINASBANDI अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी, बलि के बकरे भी तैयार मोदी दीदी ध्रूवीकरण सबसे खतरनाक भारतीय बैंकिंग हिंदुत्व के एजंडे के सौजन्य से दिवालिया है और देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है। भारत अब कैशलेश पेटीएमइंडिया है।जिसमें भारत और इंडिया के लोग अलग अलग दो कौमें हैं।इंडिया के लोग जीने के लिए चुन लिये गये हैं और भारत के लोग बेमौत मारे जायेंगे�

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अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी,

बलि के बकरे भी तैयार

मोदी दीदी ध्रूवीकरण सबसे खतरनाक

भारतीय बैंकिंग हिंदुत्व के एजंडे के सौजन्य से दिवालिया है और  देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है। भारत अब कैशलेश पेटीएमइंडिया है।जिसमें भारत और इंडिया के लोग अलग अलग दो कौमें हैं।इंडिया के लोग जीने के लिए चुन लिये गये हैं और भारत के लोग बेमौत मारे जायेंगे।

किसी धर्मस्थल पर जमा अकूद नकदी सोना चांदी वगैरह वगैरह जो देश की कुल नकदी और संपदा है,किसी छापेमारी की कोई खबर नहीं है।

सफेज धन से का मोहताज आम जनता और कालाधन को सफेद करने की संसदीय सर्वदलीय राजनीति तेज

पलाश विश्वास

2000 और 500 रुपए के नए नोट में पीएम मोदी की स्पीच के वीडियो की बातें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। दावा है कि नए नोट को स्मार्टफोन से स्कैन करने पर पीएम की वह स्पीच सुनी जा सकती है जो उन्होंने ब्लैक मनी और करप्शन को लेकर दी थी। dainikbhaskar.comने नए नोट को लेकर इस दावे को क्रॉस चेक किया। हमारी जांच में दावा सच पाया गया। साभार दैनिक भास्कर।

इससे पहले एबीपी न्यूज ने भी अपनी जांच में इस वीडियो को सौ टका सही पाया है।यह नोटबंदी का असल मकसद है कि गांधी फिलहाल जायें न जायें,अशोक चक्र रहे न रहें,हर नोट के साथ मोदी महाराज का वीडियो जरुर चस्पां हो।

हिंदुत्व का नोटबंदी एजंडा दरअसल यही

रुपए के नए नोटपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण।

सुनने में यह अचरज से भरता है, लेकिन है सोलह आने सच। बस इसके लिए आपको "मोदी के नोट" एप डाउनलोड करना होगा।

#Daulatabadsedelhi

#Rollbacktomakblackinwhite

अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी।

इसी बीच भारतीय बैंकिंग हिंदुत्व के एजंडे के सौजन्य से दिवालिया है और  देश लगातार 12 दिनों से कैश की कमी से जूझ रहा है।

भारत अब कैशलेश पेटीएमइंडिया है।

जिसमें भारत और इंडिया के लोग अलग अलग दो कौमें हैं।

इंडिया के लोग जीने के लिए चुन लिये गये हैं

और भारत के लोग बेमौत मारे जायेंगे।

बलि के बकरे भी तैयार।

सफेज धन से का मोहताज आम जनता और कालाधन को सफेद करने की संसदीय सर्वदलीय राजनीति तेज।

मोदी दीदी ध्रूवीकरण।

नोटबंदी का फैसला जैसे औचक हुआ वैसे ही अब नोटबंदी का फैसला वापस हो सकता है।सर्वदलीय सहमति की राजनीति इसी दिशा में बढ़ रही है।

ममता बनर्जी नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष को गोलबंद कर रही हैं तो मोदी महाराज को अब चिटफंड की याद आयी है ,जिसे बंगाल में कांग्रेस और माकपा का नामोनिशां मिटाने की मोदी दीदी युगलबंदी के तरह रफा दफा कर दिया गया है और सीबीआई जांच का नतीजा चूंचू का मुरब्बा है।

नारदा में घुसखोरी के थोक वीडियो फुटेज मिलने पर भी खामोश रहे मोदी अब फिर 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार चिटफंड के शिकार लोगों के लिए आंसू बहाने लगे हैं।

अभी अभी हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में किसी संघी या भाजपाई को चिटफंड की याद नहीं आयी।मोदी या शाह को शारदा का नाम लेते किसी ने नहीं सुना।

किसी धर्मस्थल पर जमा अकूद नकदी सोना चांदी वगैरह वगैरह जो देश की कुल नकदी और संपदा है,किसी छापेमारी की कोई खबर नहीं है।

धार्मिक ध्रूवीकरण की तरह यह दीदी मोदी ध्रूवीकरण बेहद खतरनाक है।अब बैंक आफिसर्स एसोसियोसिएशन ने नोटबंदी प्रबंधन में नाकामी के लिए रिलायंस ठप्पे वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर को हटाने की मांग भी कर दी है।

खाताधारकों,आयकरदाताओं को पिछले दस दिनों से उनका पैसा वापस देने में नाकाम भारतीय बैंकिंग प्रणाली अक्षरशः दिवालिया है और इसकी वजह हर नये नोट में चस्पां हिंदुत्व का एजंडा है और इसका राजनीतिक प्रबंधन है।जिसमें न अर्थव्यवस्था के हित हैं और न अर्थशास्त्र है।

वित्तीय प्रबंधन उसी तरह नहीं है जिस तरह सवा अरब नागरिकों की जानमाल की कोई परवाह नहीं है।उनकी आजादी और उनकी संप्रभुता की कोई परवाह नहीं है।

आधार के जरिये बूंद बूंद नकदी जो दी जा रही है,उस आधार का क्या क्या इस्तेमाल होने जा रहा है,कोई नहीं जानता।

कालाधन के लिए किसी राजनेता,हथियारों के सोदागर,निजीकरण के दलाल,कारपोरेट घराने के वारिशान को आयकर नोटिस गया हो या नहीं,कतारबद्ध होकर किसी आपातकाल के लिए निकाले पैसे फिर बैंक में जमा करने वालों को थोक आयकर नोटिस का चाकचौबंद इंतजाम है।

अकेले विजय माल्या को अकेले एसबीआई ने दोहजार करोड़ का कर्ज माफ कर दिया तो कितने और माल्या को कितने बैंकों ने कितने हजार या लाख करोड़ माफ कर दिये हम नहीं जानते।

आम जनता के पास अब धेला भी नकद बचा नहीं है।

अब पुराने पांच सौ और हजार के नोट जो करीब दस से बारह ट्रिलियन जमा नहीं हुए,वैध करार दिये गये,तो आम जनता को कोई राहत मिलने वाली नहीं है।

यह दौलताबाद से दिल्ली की कवायद दस बारह ट्रिलियन कालाधन को सफेद बनाने के लिए शुरु हो गयी है।सर्वदलीय संसदीय राजनीति इसका माहौल बना रही है मोदी दीदी ध्रूवीकरण के तहत।यह फासीवादी राजकाज की तस्वीर का दूसरा पहलू है।

कैश संकट का कमाल यह है कि दस रुपये के सिक्के असली बता दिये गये हैं।

10 रुपये के जिन सिक्कों पर रुपये के चिह्न (₹) बने हैं और जिन सिक्कों पर रुपये के चिह्न नहीं बने हैं, वे सभी सही हैं। रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लगातार फैल रहे अफवाह पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि जुलाई 2011 के बाद के सिक्कों में रुपये के चिह्न बने हैं जबकि उससे पहले के सिक्कों में रुपये के चिह्न नहीं हैं। केंद्रीय बैंक के मुताबिक दोनों तरह के सिक्के बिल्कुल सही हैं और किसी को भी इनके लेनदेन से परहेज नहीं करना चाहिए। आरबीआई के मुताबिक, चूंकि 10 रुपये के सिक्के लंबे समय से प्रचलन में हैं।

मौजूदा संकट से कल्कि महाराज बैंकिग प्रणाली को दिवालिया बनाकर साफ बच निकले हैं और उन्हें कोई कटघरे में खड़ा भी नहीं कर रहा है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर और बाकी बैंकों के गवर्नर और बाकी बैंकों के टाप अफसरान बैंको के दिवालिया बनने के हादसेके बाद बलि के बकरे बनकर कतारबद्ध हैं तो आम जनता को राहत देने की राजनीति कुल मिलाकर यह है कि नोटबंदी फिर वापस ले ली जाये तो कालाधन जो अभी नकदी में है,उसे उन्हें कारपोरेट चंदा बतौर मिल जाये।यह नोटबंदी से भी ज्यादा खतरनाक खेल है।

इस खेल का ताजा नजारा मसलन लोकसभा में विपक्ष की बैठक खत्म हो गई है। नोटबंदी पर विपक्ष राष्ट्रपति भवन तक मार्च करेगा और संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास धरना देगा।

लोकसभाः पीएम के सभा में बयान देने को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी। राज्यसभाः राज्यसभा हंगामे में चलते हुआ स्थगित; राज्यसभा में 'नरेंद्र मोदी शर्म करो' के नारे लगा रहे हैं विपक्षी सांसद।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए रोज नए पैंतरे ला रहा है। अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष नोटबंदी को लेकर शुरू हुई बहस से भाग रहा है।

अब दौलताबाद से दिल्ली वापसी की तैयारी है।

नोटबंदी के फैसले के औचित्य पर अब कोई बहस नहीं हो रही।मीडिया,राजनीति और आम जनता भी नोटबंदी प्रबंधन को मौजूदा संकट के लिए जिम्मेदार बता रही हैं।इसका सीधा मतलब है कि कुल मिलाकर नोटबंदी को जायज ठहराने की कवायद सर्वदलीय है और इस सर्वदलीय राजनीति को देश के वित्तीय प्रबंधन या अर्थव्यवस्था या मुक्तबाजार से कोई शिकायत नहीं है।जाहिर है कि कल्कि महाराज का छप्पन इंच का सीना पता नहीं कितने इंच का हो गया होगा जबकि ग्लोबल हिंदुत्व का ट्रंप कार्ड चल चुका है।प्रधानमंत्री का ताजा बयान यह है कि वे जब चाहेंगे,नीति बदल देंगे।

भयानक त्रासदियों का यह दुस्समय प्राकृतिक आपदाओं पर भारी है।अंटार्टिका पिघल जाये या हिमालय के सारे ग्लेशियर एक मुश्त बहकर मैदानों का नामोनिशां मिटा दें,उससे भारी यह कयामत है जब करदाताओं के बैंकों में अपने खाते में जमा पैसा देने में असमर्थ है भारतीय बैंकिंग प्रणाली।

इस जमापूंजी का बाकायदा इनकाम टैक्स भुगतान हो चुका है।रिटर्न दाखिल हो चुका है।बैंक खाते में जमा वेतन, पेंशन, भत्ता, पीएफ,ग्रेच्युटी से लेकर सब्सिडी सबकुछ सफेद है।फिभी आपको साबित करना है कि यह कालाधन नहीं है।

चार पांच लाख ट्रिलियन रुपये बैंकों में जो जमा हुआ है,वह जाहिर है सफेद है।इसके बाहर जो दस बारह लाख रुपये अभी जमा नहीं है,उस कालाधन को सफेद में बदलने की अब संसदीय राजनीति है।सावधान।

कानपुर में ट्रेन हादसे में सवासौ लाशों की गिनती हो चुकी है,जिनके नाम रेलवे और यूपी सरकार ने मुआवजे का ऐलान कर दिया।भारतीय बैंकिंग नेटवर्क से बाहर जो वर्गहीन समाज है,जिसका न बैंक खाता है,न आधार कार्ड है,उसमें शामिल हर हतदरिद्र मनुष्य की जिंदगीभर की जमापूंजी एक झटके से कालाधन में तब्दील है।

मेहनत मजदूरी करके घर चला रही स्त्रियां,माताएं,बहनें,पत्नियां जो अपीने कुसल वित्तीय प्रबंधन से जिंदगीभर जोड़ा है,रातोंरात वह कालाधन है।

आयकर छापे से पहले ही उन्हें वह रकम बैंक में लाइन लगाकर जमा करना पड़ा या परिजनों को सौंप देना पड़ा।

उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और उनका आत्मविश्वास एक झटके से खत्म हो गया। ये जिंदा लाशें हैं हर घर में,जिनकी गिनती किसी ने नहीं की है।

नोटबंदी संकट में जो लोग बेमौत मारे गये हैं और आगे भी मारे जायेंगे,उनके लिए मुआवजे का कोई ऐलान अभीतक हुआ है कि नहीं,नहीं मालूम है।

प्रधानमंत्री के भाषण का वीडियो दिखाने वाला नया नोट अब भी अतिदुर्लभ है।पांच सौ और हजार के नोट रद्द हो गये तो नया कालाधन बनाने,चलाने और जमा करने के लिए भाषम चस्पां हिंदुत्व का एजंडा जेब में हुआ तो उसके बदले खुदरा सामान खरीदने का उपाय नहीं है क्योंकि छुट्टा आम दुकानदारों के पास नहीं है।

फिर जो पेटीएम से कारोबार नहीं करते,जो कार्ड स्वाइप नही करते ,उन करोडो़ं लोगों का कारोबार बंद है और वे बाजार से बाहर हैं और उनका कोई वैकल्पिक रोजगार भी नहीं है।

वे तमाम लोग जब आहिस्ते आहगिस्ते मारे जायेंगे या अलग अलग खुदकशी करेंगे,तो हम किसी भी सूरत में इसकी वजह नोटबंदी साबित नहीं कर

के लिए मुआवजे का ऐलान हो भी जाये तो जिनके सर पर अभी मौत मंडरा रही है और देर सवेर जो मारे जाएंगे,उन्हें कानपुर की रेल दुर्घटना की तरह कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।खेतों और चाय बागानों और कल कारखानों में नवउदारवाद के अस्वमेधी अबियान के बलि करोड़ों लोगों की मौत का कोई लेखा जोखा कहीं नहीं है।

अब पेटीएम चालू है और देस डिजिटल है।इस सिलसिले में हमने पहले ही लिखा है कि चार महीने से आम आदमी के डेबिट कार्डएटीएम पिन चोरी हो रहे थे।

बैंकों को इस बात की जानकारी भी थी, मगर उन्होंने यह जानकारी अपने ग्राहकों से छिपा ली।साइबर क्राइम से बड़ा अपराध तो भारतीय वित्त मंत्रालय,रिजर्व बैंक और बैंकिग प्रबंधन का है।

जबकि बैंकिंग के नियमानुसार आरबीआई के ड्राफ्ट के मुताबिक, खाता धारकों द्वारा धोखाधड़ी की सूचना दिए जाने पर बैंक को 10 कार्यदिवसों के अंदर ग्राहक के खाते से गायब हुआ पैसा वापस करना होगा। इसके लिए ग्राहक को तीन दिन के अंदर ही धोखाधड़ी की सूचना देनी होगी और उसे यह दिखाना होगा कि उसकी तरफ से किसी तरह का लेनदेन नहीं किया गया और पैसा बिना उसकी जानकारी के गलत तरह से गायब हुआ है।

आरबीआई का निर्देश है कि बैंक यह सुनिश्चित करें कि ग्राहक की शिकायत का निपटारा 90 दिनों के अंदर हो जाए. क्रेडिट कार्डसे पैसे गायब होने की हालात में बैंक यह सुनिश्चित करें कि कस्टमर को किसी भी तरह का ब्याज न देना पड़े।

बैंकों से समय के भीतर सूचना नहीं मिली तो पैसे वापस लेने के लिए तीन दिनों में शिकायत भी नहीं कर सकते ग्राहक।

इस हादसे के बावजूद पेटीएम इंडिया के हिंदुत्व एजंडे के तहत यह नोटबंदी, नोटबंदी नहीं भोपाल गैस त्रासदी है और इस गैस चैंबर में मौत बरसाने वाली गैस सुगंधित नहीं है और उसका कोई रासायनिक नाम भी नहीं है।

किसके लिए

नोटबंदीके बाद बैंकिंग प्रणाली में जो अतिरिक्त नकदी रही है, वह जल्द वापस नहीं निकलेगी। इससे भविष्य में ब्याज दरों को नीचे लाने में मदद मिलेगी। देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यह बात कही। एसबीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार के हालिया नोटबंदी कदम स्वागत योग्य है। भारी मात्रा में पैसा बचत और चालू खातों में रहा है। इस भारी राशि से प्रणाली में अधिशेष तरलता की स्थिति बनी है। हमारा मानना है कि यह जल्दबाजी में नहीं निकलेगा। इससे ब्याज दरें और नीचे आएंगी।

चेतावनीः

दूसरों के अकाउंट में अपनी बेहिसाबी रकम जमा कराने वाले अब सरकार की पकड़ से नहीं बच पाएंगे क्योंकि नोटबंदी के बाद एेसे लोगों को आयकर विभाग ने चेतावनी दी है। ऐसे लोगों के खिलाफ बेनामी लेनदेन कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। दोषी पाए जाने पर जुर्माना और अधिकतम सात साल की कठोर कैद की सजा हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग ने आठ नवंबर के बाद से बंद हो चुके नोटों के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर 80 से अधिक सर्वे किए और लगभग 30 तलाशियां लीं। इनमें 200 करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित आय पकड़ी गई है।

इस नजारे पर गौर करेंः

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार तड़के सुबह पैसे के लिए एटीएम की लाइन में लगे लोगों से मिलने के लिए दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में पहुंच गए. जहांगीरपुरी के बाद राहुल गांधी इंद्रलोक, आनंद परबत, आजाद मार्केट और इंदर लोक इलाके में भी एटीएम के बाहर लोगों से मिले और उनकी परेशानियां जानीं. संबंधित खबरें. तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को बताया संवेदनहीन, कहा- कर रहे वोटों की खेती · PM मोदी ने लोगों को किया आगाह, कहा- बहकावे में अकाउंट का ना करें दुरुपयोग. सुबह-सुबह पहुंचकर राहुल गांधी ने यहां लोगों से बात की. लोग पैसे निकालने के लिए एटीएम के बाहर लाइन में खड़े हुए थे.साभारःगुगल

एनडीवी की इस रपट के जरिये कयामती फिजां पर गौर फरमायेंः

केन्द्र के नोटबंदी के निर्णय से पश्चिम बंगाल के ऐसे कारोबारियों की मानसिक परेशानी बढ़ गई है, जिनकी पूरी बिक्री ही नकदी में होती है. नोटबंदी की घोषणा के एक दो दिन तक आलू विक्रेता बहुत परेशान हो रहा, क्योंकि उसके पास कोल्डस्टोर में करीब 50 से 60 लाख रुपये तक की सब्जी पड़ी हुई थी.


कारोबारी ने थोक आलू उधार में खरीदा था, जबकि वह इसे छोटे कारोबारियों को नकदी में बेचता था, लेकिन अब नकदी की कमी के कारण खरीदार ही नहीं आ रहे हैं.


वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक संजय गर्ग ने प्रेट्र से कहा, ''थोक विक्रेताओं को डर है कि उनका पूरा भंडार बर्बाद हो जाएगा, जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा. उनमें तनाव और परेशानी है और नोटबंदी के कारण मरने की बात सोच रहे हैं.''मनोचिकित्सक के अनुसार सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय के बाद उनके पास मानसिक तनाव वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है.


गर्ग ने बताया कि इनमें से ज्यादातर मरीज मध्यम और उच्च मध्यम परिवारों के हैं. यह सभी लोग बंगाल के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जहां प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल बहुत सीमित है.


एक अन्य महिला चिकित्सिक संतश्री गुप्ता ने कहा, ''उनके पास एक 50 वर्षीय विधवा महिला आई, जिसके पास अपने मृत पति का 30 लाख रुपये नकदी में था.''गुप्ता ने कहा, ''वह एक फ्लैट खरीदने की योजना बना रही थी. जबकि शेष राशि को अपने पुत्र की शादी में खर्च करना चाहती थी. अब वह बहुत असुरक्षित महसूस कर रही है.''उन्होंने बताया कि उसे कुछ दिनों के लिए चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया है.''


कोलकातासे मीडिया की खबर: नोटबंदी पर कोलकाता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है और सरकार के इस निर्णय को बिना सोचा समझा फैसला करार दिया है. कोर्ट ने कहा, "केंद्र ने सही तरीके से सोच विचार कर ये फैसला नहीं लिया है."

नोट बदलने को लेकर सरकार की तरफ हर रोज़ कुछ न कुछ बदले जा रहे नियम पर भी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि इससे साबित होता है कि सरकार ने बिना होमवर्क किए है ये बड़ा फैसला लिया है.

हाईकोर्ट ने जनता को आसानी से पैसा मुहैया नहीं कराने के लिए बैंक कर्मचारियों की भी आलोचना की है.

हाईकोर्ट ने कहा, "मैं सरकार के फैसले को बदल नहीं सकता, लेकिन बैंक कर्मचारियों की प्रतिबद्धता होनी चाहिए."

नोटबंदी पर पीआईएल की सुनवाई करते हुए बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस ने कहा, "लोग पैसा निकाले के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं और अस्पताल में इलाज नहीं मिल रहा है. इस फैसले ने सब की ज़िदगी बदलकर रख दी है, जो सही नहीं है."

जस्टिस ने कहा कि उनका बेटा बीमार है और उसे डेंग्यू है, लेकिन अस्पताल कैश में पैसा नहीं ले रहा है. हालांकि, कोर्ट ने इस अर्जी पर कोई फैसला नहीं सुनाया. इसपर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.

पीएम के हमले पर ममता बनर्जी, मायावती ने किए पलटवार, कहा - जनता माफ नहीं करेगी

आगरा: विमुद्रीकरण या नोटबंदी को लेकर संसद में विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे ज़ोरदार हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई अपनी रैली के दौरान पलटवार किया, और किसी का भी नाम लिए बिना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा, और शारदा चिटफंड घोटाले के चार साल से जेल में बंद मास्टरमाइंड सुदीप्तो सेन से उनके ताल्लुकात का ज़िक्र किया.


उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के संदर्भ में आयोजित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की 'परिवर्तन रैली' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं जानता हूं कि किस तरह के लोग मेरे खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं... क्या देश नहीं जानता कि चिटफंड व्यापार में किन लोगों का पैसा निवेश किया गया...? करोड़ों लोगों ने अपना पैसा इन चिटफंड में लगाया... लेकिन नेताओं के आशीर्वाद से इन चिटफंड से सैकड़ों करोड़ गायब हो गए..." उन्होंने यह भी कहा, "चिटफंड में हुए नुकसान की वजह से सैकड़ों परिवारों ने खुदकुशी कर ली..."


गौरतलब है कि शारदा चिटफंड घोटाले में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों-सांसदों के नाम आए, और कुछ को जेल भी जाना पड़ा.


तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने इन आरोपों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री पर पलटवार किया. उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कहा, "प्रधानमंत्री जी, आप भ्रष्टाचार को उन सभी से जोड़ रहे हैं, जो आपकी नीतियों का विरोध करते हैं... क्या आप ही अकेले जादूगर हैं...? जनता की आवाज़ को सुनिए, उनके दर्द को महसूस कीजिए... वे परेशानियां झेल रहे हैं, और वे इसके लिए आपको माफ नहीं करेंगे..."


वैसे, प्रधानमंत्री ने सिर्फ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर ही निशाना नहीं साधा था. उन्होंने कहा था कि उनके कदम (नोटबंदी) को वे राजनैतिक दल पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं, जो "अपने विधायकों से नोट लेकर चुनाव का टिकट बेचा करते हैं", और "देश 70 साल तक चुप रहा है..." उनका इशारा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो पूर्व सदस्यों के बयानों की तरफ था, जिनमें उन्होंने पार्टी प्रमुख मायावती पर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए टिकट बेचने का आरोप लगाया था. पिछले लोकसभा चुनाव की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश ने एक भी ऐसे नेता को नहीं चुना, जो बिकाऊ हो..." गौरतलब है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बसपा का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया था.


इसके लगभग तुरंत बाद मायावती ने भी कानपुर के निकट पुखरायां में हुई ट्रेन दुर्घटना स्थल पर जाने की जगह रैली करने पहुंचने को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. मायावती ने प्रधानमंत्री की रैली के बाद कहा, "आने वाले चुनाव में लोग उन्हें नहीं बख्शेंगे, और यह पीएम मोदी के लिए 'बुरे दिनों' की शुरुआत है..."


अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने दोहराया था कि वह विपक्ष के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे. उन्होंने कहा था, "यह बहुत लंबी लड़ाई है, लेकिन मैं गरीबों के लिए लड़ता रहूंगा, क्योंकि गरीबों के लिए लड़ते रहने का आनंद ही कुछ और है..." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा काले धन के खिलाफ उठाए गए नोटबंदी के फैसले से मध्यम वर्ग तथा गरीबों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने से अघोषित धन बाहर आया है, और इससे आखिरकार ईमानदारों को ही फायदा होगा.


उन्होंने कहा था, "मैं गरीबों, मध्यम वर्ग था ईमानदार लोगों के सामने सम्मान के साथ सिर झुकाता हूं, और उन्हें प्रणाम करता हूं... वे मुश्किलें झेल रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने इस कदम का समर्थन किया..." उन्होंने जनता से 50 दिन तक सब्र रखने की अपनी अपील को भी दोहराया, और कहा कि तब तक नकदी संकट खत्म हो जाएगा.

साभारःएनडीटीवी


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#Cashlessrevolution!Now,the plan to scrap Rs Two Thousand note as well!Transaction tax to be introduced and we have to be taxed all over again and the billionaire class has to pay as much we pay in Tax! Palash Biswas

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Palash Biswas

#DAULATABADSEDELHI
Bengali daily Anand Bazar Patrika had published lead story on Modi`s Future plan after demonetization.He would replace income tax by transaction tax!
Moreover,the Rs Two Thousand note has to be scrapped which we are getting for ATMs and Bank counter. We have seen the Demonetization experiment in USSR to Nizeria. Now,We have not recovered for Demonetization in India and Banks have become Bankrupt in digital India.Now,the plan to scrap Rs Two Thousand not as well
I have just retired.Whatever I earned during 36 years in job is white.I have paid taxes for it.I have filed returns without fail.Now,I my status is zero income.My token pension may not sustain me and this pension roots in my PF due paid by employers share into pension account.It is withheld payment.Now, Prime minister of India is going to finish income tax.I have not to pay income tax anymore.But I have to pay transaction tax in place of income tax.It means that I have to pay taxes over again for my deposit in bank for which I have already paid income tax.
Moreover,the tax rate would be the same for me or for any billionaire millionaire in the  country.The beggars and Have NOTs would pay the transaction tax at the same rate which the Billionaire millionaire class would pay.
It is the exact scenario of cashless classless digital India.No doubt,the political leadership might be reincarnated as Karl Marx.
We have to be deprived of equality and justice.
We would be deprived of civic and human rights.
We have to deprived of job,market,business,livelihood and whatever we have.
PayTM has grown five times after 8th November and scores of Indian citizens and Taxpayers have succumbed before ATMs and Banks.
Bankrupt Indian Banks are writing letters to each account holder to opt for net banking and mobile banking but they may not ensure us how they would defend us against hacking and cyber crimes.The ATM pins were being hacked for four months and nobody informed.
"The government is committed to fight against corruption. This is also a fight against those who have not declared their black money. Modiji gave them time to declare their assets, but they didn't. The fight against them will continue," said Naidu, at a rally in New Delhi.

"The Prime Minister first tried to bring back black money from foreign countries, now he is trying to unearth black money from within country," added Naidu.

Anandbazar published!

পিছু হটা দূর, আরও এগোতে তৈরি মোদী

কালো টাকার দাওয়াই
• আয়কর তুলে দিয়ে সব লেনদেনের উপরে কর
• এটিএম থেকে টাকা তোলার উপরে নিয়ন্ত্রণ
• সোনা-হিরে মজুতে ঊর্ধ্বসীমা
• নয়া ২০০০ টাকার নোট বাতিল
Piclg

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पेटीएम का कल्कि जलवा अब वित्तीय प्रबंधन और अर्थव्यवस्था दोनों हैं दो हजार के नोट के रदद करने के साथ लेनदेन टैक्स का समाजवाद हिंदुत्व एजंडा का लक्ष्य भारतीय बैंकिंग प्रणाली के दिवालिया हो जाने से देश के खेत खलिहाल,कल कारखाने और खुदरा बाजार मरघट में तब्दील हैं। जो अरबपति नहीं है,करोड़पति नहीं है,उनपर भी उनके बराबर टैक्स,आयकर जो लगा है ,सो लगा है,अब ट्रांजक्शन टैक्स भी भरिये #Daulatabadsedelhi #C

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पेटीएम का कल्कि जलवा अब वित्तीय प्रबंधन और अर्थव्यवस्था दोनों हैं

दो हजार के नोट के रदद करने के साथ लेनदेन टैक्स का समाजवाद हिंदुत्व एजंडा का लक्ष्य

भारतीय बैंकिंग प्रणाली के दिवालिया हो जाने से देश के खेत खलिहाल,कल कारखाने और खुदरा बाजार मरघट में तब्दील हैं।

जो अरबपति नहीं है,करोड़पति नहीं है,उनपर भी उनके बराबर टैक्स,आयकर जो लगा है ,सो लगा है,अब ट्रांजक्शन टैक्स भी भरिये

#Daulatabadsedelhi

#Currencyspeechhindutvaagenda

#Bloodlessgenocide

#Digitalnondigitaldivide

पलाश विश्वास

पेटीएम का कल्कि जलवा अब वित्तीय प्रबंधन और अर्थव्यवस्था दोनों हैं।

दो हजार के नोट के रदद करने के साथ लेनदेन टैक्स का समाजवाद हिंदुत्व एजंडा का लक्ष्य है।

भारतीय बैंकिंग प्रणाली के दिवालिया हो जाने से देश के खेत खलिहाल,कल कारखाने और खुदरा बाजार मरघट में तब्दील हैं।

जो अरबपति नहीं है,करोड़पति नहीं है,उनपर भी उनके बराबर टैक्स

#Daulatabadsedelhi

#Currencyspeechhindutvaagenda

#Bloodlessgenocide

#Digitalnondigitalddivide

पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद किए जाने के प्रधानमंत्री के फैसले से पूरे देश में हलचल है। देश में आर्थिक क्रांति के जनक कहे जाने वाले अनिल बोकिल कीटीम ने प्रधानमंत्री के इस कदम को सही ठहराते हुए दावा किया है कि जल्द ही देश में अधिकांश कारोबार कार्ड व चेक से किए जाने लगेंगे।हम शुरु से लिख रहे थे कि कालाधन निकालना नहीं,इस नोटबंदी का असल मकसद कैसलैस सोसाइटी बनाना है,जिससे उत्पादक जनसंख्या को अर्थव्यवस्था और बाजार से बाहर फेंककर बहुराष्ट्रीय कंपिनयों का एकाधिकार कायम कर सकें देशभक्तों की यह सरकार।यह अभूतपूर्व नरसंहारी अश्वमेध अभियान है।दवितीय विश्वयुद्ध के दौरान कोलकाता में दो चार बम गिरने के अलावा पूरे बंगाल में कहीं बम नहीं गिरा लेकिन लाखों लोग भुखरी के शिकार हो गये और लोगों के काम धंधे चौपट हो गये्भूतपूर्व कृषि संकट की वजह से।अब हरित क्रांति के बाद खेती के लिए लगातार नकदी चाहिए लेकिन वह नकदी किसानों को नहीं मिल रही है तो समझ लीजिये अब बंगाल की भुकमरी पूरे देश की नियति है।दूसरी ओर,इस कयामती फिजां में भी अंध राष्ट्रवाद का जो कीर्तन जारी है और नये नोट पर प्रधानमंत्री के भाषण का जो हिंदुत्व एजंडा है,उसके तिलिस्म में कैद आम लोगों को मालूम भी नहीं है कि कैसे पूरा देश अब गैस चैंबर में तब्दील है और कैसे वे भोपाल गेस त्रासदी के शिंकजे में हैं।

बंगाल में नोटबंदी के आलम में सबसे लोकप्रिय अखबार के पहले पेज पर दोहजार रुपये के नये नोट जल्द ही वापस किये जाने की प्रधानमंत्री की नई योजना को लेकर अफरा तफरी मच गयी है।कालाधन निकालने के लिए अभी अभी जारी दो हजार रुपये के नोट भी रद्द होने वाले हैं जबकि 24 नवंबर के बाद पुरना पांच सौ और एक हजार के नोट बैंकों में जमाम नहीं होंगे।सौ के नोट पहले दो तीन दिन में ही खत्म हो गये।बैंकों से दस,बीस और पचास के नोटभी नहीं मिल रहे हैं।

फिलहाल एटीएम और बैंकों से बूंद बूंद जो कैश निकल रहा है,वह इकलौता दोहजार रुपल्ली का नोट है।उसे खुदरा बाजार में चलाना मुश्किल है तो बैंको से निकाले गये ये रुपये फिर बदलने के लिए लाइन लगानी होगी,इस आशंका से एटीएम पर लाइनें सिकुड़ गयी है।नोटबंदी (#Demonetization) के 16वें दिन आज रात 12 बजे के बाद से रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, सरकारी अस्पताल और पेट्रोल पंपों पर भी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट नहीं चलेंगे। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने नोट बंद करने के ऐलान के बाद इन चार जगहों पर भी पुराने नोट चल रहे थे। हालांकि 31 दिसंबर तक आप बैंक और डाकघर में पुराने नोटों को बदल सकते हैं। वहीं आज से बैंक, एटीएम और पेट्रोल पंपों के अलावा बिग बाजार से भी 2000 रुपये निकाले जा सकेंगे।

बैंकों में इसल नोटबंदी संकट से निपटने के लिए पुराने कर्मचारियों को अस्थाई तौर पर वापस बुलाया जा रहा है लेकिन संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में लाखों नौकरियां यकबयक खत्म हैं और करोडो़ं लागों का न सिर्फ रोजगार छिना है वे हमेशा से अपने धंधे और बाजार से बाहर चले गये हैं।

इसे हमने पहले ही रक्तहीन नरसंहार भोपाल गैस त्रासदी लिखा है।

खेती के लिए किसानों के पास नोट नहीं है तो इस नोटबंदी से आगे भुखमरी का भारी संकट है।किसानों को राहत देने का राजनीतिक दाव जितना है,खेती के लिए संकट के मुकाबले की कोी तैयारी है नहीं।हरित क्रांति के बाद खेती बैंकिंग के सहार चल रही है।भारतीय बैंकिंग प्रणाली के दिवालिया हो जाने से देश के खेत खलिहाल,कल कारखाने और खुदरा बाजार मरघट में तब्दील हैं।

देश सिर्फ कैशलैस नहीं हो रहा है।बल्कि आयकर खत्म करके पूंजीपतियों का सारा कालाधन सफेद बनाने की तैयारी है।आम जनता का जो भी पैसा जमा है या जो उन्हें वेतन,भत्ता,जमा,पेंशन,ग्रेच्युटी बीमा के रुप में मिला है और जो बैंकों में जमा है,उसपर आयकर लगा है,स्रोत से ही कट गया है।

अब अपने इस सफेद धन की लेनदेन पर उनपर ट्रांजक्शन  टैक्स लगना है।कायदे से उन्हें,खासकर सेवानिवृत्त और बैरोदगार लोगों पर टैक्स लगना नही है।उन सारे लोगों पर टैक्स लगेगा।जबिक अरबपतियों को भी उसी दर से लेनदेन टैक्स देना होगा।राजा भोज और गंगू तेली लेन देन के लिए ससमान दर से टैक्स अदा करेंगे। अरबपति करोड़पतिकालाधन वालों का पैसा सफेद तो हो ही गया है और अब उनकी नकदी पर गरीबों के बराबर टैक्स लगेगा।

कल्कि महाराज के राजकाज में समता और सामाजिक न्याय के बिना यह समाजवादी राजकाज है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500-1000 रुपये के नोटबंदी के ऐलान से पूरे देश में हलचल मची है. कहा गया कि सरकार ने अर्थक्रांति नाम के संगठन को चलाने वाले अनिल बोकिल की सलाह पर यह कदम उठाया है।उन्हीं बोकिल साहब का कहना हैःकाला धन पर अंकुश लगाने के लिए टैक्स सिस्टम को भी ठीक करना पड़ेगा और अर्थक्रांति का पूरा प्रस्ताव सिर्फ नोटबंदी नहीं है, नोटबंदी के साथ-साथ टैक्स को निकाल देना है, यह भी हमारा प्रस्ताव है। टैक्स नहीं होना चाहिए। टैक्स की जगह बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स होना चाहिए। इस पर काफी चर्चा पहले भी हुई है और आज भी हो रही है।

उन्हीं बोकिल साहब का कहना हैःइसीलिए तो हम समझते हैं नोटबंदी जो है वह अर्थक्रांति का प्रस्ताव शायद नहीं है, क्योंकि अर्थक्रांति का प्रस्ताव पूरा एक कैप्सूल जो नोटबंदी के साथ-साथ बैंक ट्रांजक्शन टैक्स की बात करती है। अर्थक्रांति नोट रिप्लेसमेंट की बात नहीं कर रही है, अर्थक्रांति नोटबंदी की बात कर रही है। अर्थक्रांति का सुझाव आनुक्रमिक है (क्रमवार है), आकस्मिक नहीं है।

अब दावा है कि काली कमाई के धन कुबेरों से ब्लैक मनी को बाहर निकलवाने के लिए की गई नोटबंदी के बाद वित्त मंत्रालय व इनकम टैक्स विभाग हर खाते पर नजर रखे हुए हैं। अगले कुछ दिनों में सरकार द्वारा तय लिमिट से ज्यादा कैश जमा कराने वाले खाता धारकों को जांच के दायरे में लिया जाएगा। बड़े स्तर पर नोटिस और जांच कार्रवाई 1 जनवरी से शुरू होगी। क्योंकि, केंद्र सरकार ने बैन किए 1000/500 के नोट 30 दिसंबर तक बैंक खातों में जमा कराने की व्यवस्था की है। ब्लैक मनी के मालिक अभी इन्वेस्ट व नकदी को कमीशन में बदलकर काली कमाई खपाने के इंतजाम में जुटे हैं। इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, बैंक अफसरों के साथ इनकम टैक्स विभाग के अफसरों से संबंधों का फायदा लेने की पूरी कोशिश भी हो रही है।

अब पहले की तरह एटीएम से जब चाहे तब रुपये निकलने की आजादी भी खत्म हो रही है।फिलहाल नोटबंदी के आलम में जो एटीेम से पैसा निकालने पर पाबंदी है ,यह पाबंदी आगे भी जारी रहनी है।यानी जबर्दस्ती कैशलैस बनाने का इतजाम है।इसका नजारा बी खूब है।कैश लेन-देन के लिए सरकार लगभग तीन हजार तक की सीमा तय कर सकती है। मोदी सरकार के कदम इसी इरादे से ई-बैंकिंग क्रांति की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़े नोट बंद करने का सुझाव महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी व मैकेनिकल इंजीनियर अनिल बोकिल ने ही दिया था।

अनिल बोकिल की टीम पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से भी मिली थी। इसके बाद 2011-12 के दौरान बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकर व अन्ना हजारे से भी मिले थे। इन सभी ने बोकिल के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था।

दो हजार के नोट भी बाद में हो सकते हैं बंद

नोएडा के सेक्टर 25 में रहने वाले अनिल बोकिल की 11 सदस्यीय टीम के अहम सदस्य आदर्श धवन के अनुसार, हाल ही में जारी दो हजार रुपए के नोट भी बाद में बंद किए जा सकते हैं। अब अमेरिका जैसे देशों की तर्ज पर ई-बैंकिंग से अधिकांश कारोबार होंगे। देश में कुल नकद राशि का करीब 86 फीसद नोट 500 व एक हजार रुपए के हैं।

बोकिल के पांच अहम प्रस्ताव

देश में इंपोर्ट ड्यूटी छोड़कर सभी तरह के टैक्स खत्म कर देने चाहिए। सरकार को सिर्फ मनी ट्रांजेक्शन टैक्स प्राप्तकर्ता पर दो फीसद तक लगाना चाहिए। इससे मौजूदा टैक्स नीति से होने वाली आय से 25 फीसद से अधिक आय कर के रूप में आएगी। कोई भी टैक्स चोरी नहीं कर पाएगा।

50 या 100 रुपए से बड़े सभी नोट बंद कर देने चाहिए। इससे भ्रष्टाचार व अपराध खत्म हो जाएगा। कैश ट्रांजेक्शन पर कोई टैक्स नहीं होना चाहिए। कैश इस्तेमाल की लिमिट 2000 रुपये तक सीमित की जानी चाहिए।

गौर करें कि पेटीएम के सुपरमाडल कौन है।अपने ब्रांड की कामयाबी के लिए उनने देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं,आम जनता की रोजमर्रे की जिंदगी बंधक बना दी है।अभी बीसियों लोर इस नोटबंदी में मारे गये हैं।

छह महीने तक हालात सामान्य हो जाये तो भी नकदी मिलने वाली नहीं है और इस कैशलैस एजंडा के करेंसी स्पीच को भक्तगण क्रांति बता रहे हैं।

कल्कि महारज को कार्ल मार्क्स कहा जा रहा है।देश में गरीबी अमीरी के अलावा डिजिटल विभाजन के हालात है।जिनके पास तकनीक है और पैसा भी है,उनके लिए मजे ही मजे,जिनके पास न तकनीक है और न पैसा,उनके लिए मौत और खुदकशी के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

हालत यह है कि नोटबंदी के बाद कैश में लेन-देन और खरीददारी पर तो समझिए बैन लग गया है। जाहिर है कि जमाना 4 घंटे में डिजिटल हो गया और अब इसका सबसे बड़ा फायदा पेटीएम को होता नजर आ रहा है।

पेटीएम से रोजाना 70 लाख सौदे होने लगे हैं जिनका मूल्य करीब 120 करोड़ रपये तक पहुंच गया है।सौदों में आई भारी तेजी से कंपनी को अपने पांच अरब डॉलर मूल्य की सकल उत्पाद बिक्री (जीएमवी) लक्ष्य को तय समय से चार महीने पहले ही प्राप्त कर लिया है।आलम ये है कि भारत में फिलहाल पेटीएम का इस्तेमाल डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भी ज्यादा हो रहा है।आठनवंबरके बाद पेटीएम का ग्रोथ पांच गुणा हो गया है और आने वाले एक महीने तक पेटीएम की ग्रोथ इसी रफ्तार में रहने की उम्मीद है। हैरानी की बात है कि कोई दूसरा मोबाइल वैलेट इतना कारोबार क्यों नहीं कर पर रहा है।सीधा जबाव है कि उनका माडल कोई और है।

इसी बीच एयरटेल ने देश का पहला पेमेंट्स बैंक लॉन्च किया है। कंपनी ने इसकी शुरुआत राजस्थान में अपना पहला पेमेंट बैंक खोलकर पायटल प्रोजेक्ट के तौर पर की है। एयरटेल का यह बैंक बचत खातों पर 7.25 फीसदी की दर से ब्याज देगा, जबकि ज्यादातर बैंक बचत खातों पर सिर्फ चार फीसदी ब्याज ही देते हैं।

बहरहाल नोटबंदी की परेशानी झेल रही जनता के लिए पेटीएम एक बड़ा सहारा बनकर उभरा है। पिछले 15 दिनों में कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए पेटीएम ने 5-6 गुना नए ग्राहक जोड़े हैं। साथ ही अपनी सर्विसेज को भी अपग्रेड किया है। नए ग्राहकों को जोड़ने की योजनाओं पर कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने सीएनबीसी-आवाज़ के साथ बात करते हुए कहा कि आने वाले समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन की मांग बढ़ेगी जिसको देखते हुए पेटीएम ऐप अब कुल 10 भाषाओं में लॉन्च किया जा चुका है। जरूरी पेमेंट फीचर्स अब स्थानीय भाषाओं में भी आ गए हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 8 नवंबर की रात को 8 बजे जब 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था, तब कुछ-कुछ जगहों को अपवाद की सूची में भी रखा गया था। इनमें ज्यादातर सरकारी सेवाएं शामिल थीं, जिनके लिए लोग लोग पुराने नोट दे सकते थे। लेकिन, आज 24 नवंबर की आधी रात से इन जगहों पर भी पुराने नोट नहीं लिए जाएंगे। यानि, गुरुवार से 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट कहीं नहीं चलेंगे। सिर्फ किसानों को ही 500 रुपए के पुराने नोटों से बीज खरीदने की छूट मिली रहेगी। हालांकि, पुराने नोटों को आप 30 दिसंबर तक अपने अकाउंट में जमा करा सकते हैं।

इस बीच नोटबंदी पर विपक्ष गोलबंदी के साथ आगे बढ़ रहा है। 13 पार्टियों के 200 सांसदों ने सरकार को दो टूक संदेश दे दिया है कि नोटबंदी के खिलाफ हम साथ साथ हैं। उधर जंतर-मंतर पर ममता बनर्जी ने भी मोर्चा संभाला। संसद में गतिरोध नोटबंदी पर बहस के तरीके पर बना हुआ है। विपक्ष चाहता है कि संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी पर चर्चा करें।यह कवायद पूरीतरह राजनीतिक है और इससे आम जनता की समस्या का कोई समाधान निकलने वाला नहीं है।

दरअसल 1991 से आर्थिक सुधारों का सिलसिला लगातार जारी रहा है।राजनीतिक मतभेद चाहे जितने हों,आर्थिक सुधारों का कोई राजनीतिकदल यहां तक कि वामपंथी भी विरोध नहीं कर सकते क्योंकि कारपोरेट चंदे से ही राजनीति चलती है और आर्थिक सुधारों का मतलब कारपोरेट एकाधिकार और उत्पादक समुदायों का नरसंहार है।कारपोरेट हितों के खिलाप राजनीति चल नहीं सकती चाहे सत्ता में एबीसी डी कोई भी रहे।1991 से सरकारें बहुमत में हों या अल्पमत में देश मुक्तबाजार में तेजी से तब्दील हो ता रहा है और अब अंध राष्य्रवाद उफान पर है लेकिन राष्ट्र कहीं नहीं है।

हो सकता है कि अगले लोकसभा चुनाव तक नई सरकार आ जाये,जिसके लिए यह मोदी ममता ध्रूवीकरण की कवायद है,मुक्तबाजार जस का तस रहना है और बुनियादी बदलाव कुछभी नहीं होना है।आम जनता की कहीं सुनवाई होनी नहीं है।

बहरहाल संसदीय प्रक्रिया यह है कि चर्चा नियम 56 के तहत हो जिसमें चर्चा के बाद वोटिंग होती है और निंदा का प्रावधान भी होता है जबकि सरकार नोटबंदी पर सिर्फ चर्चा चाहती है, वोटिंग नहीं। सरकार का आरोप है कि विपक्ष सिर्फ बहानेबाजी कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को छोड़कर कोई भी नोटबंदी वापस लेने की मांग नहीं कर रहा है, तो क्या वाकई इसकी जेपीसी जांच की जरूरत है। दूसरी ओर सरकार के कदमों से धीरे-धीरे लोगों को राहत भी मिल रही है, ऐसे में गतिरोध ज्यादा खिंचा तो विपक्ष के अपने ही चक्रव्यूह में उलझ जाने का खतरा है।

संसद के प्रति इस सरकार की कोई जबावदेही नहीं है।नोटबंदी पर संसद में हंगामा चल रहा है लेकिन अब तक प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। वे किसी तानाशाह की तरह सीधे जनता को संबोधित कर रहे हैं और तमाम लोकतांत्रिक संस्तानों यहां तक की भारत की संसद को ठेंगे पर रख रहे हैं। हल्ला है कि आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री आ सकते हैं और नोटबंदी पर वो बयान भी दे सकते हैं। लोकसभा में विपक्ष जहां इस मामले पर स्थगन प्रस्ताव की मांग पर अड़ा हुआ है, वहीं सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। कल हंगामे के बाद राज्यसभा भी दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए लेकिन संसद में हंगामा नहीं थमा। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने विपक्ष के हंगामे पर एतराज जताते हुए कहा कि सदन में प्रधानमंत्री मौजूद हैं तो अब बहस क्यों नहीं हो रही है तो जवाब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिया और कहा सरकार बहस चाहती ही नहीं।

नोटबंदी पर सरकार के खिलाफ संसद ही नहीं सड़क पर भी हंगामा जारी है लेकिन विपक्ष की एकता में दरार दिखी। ममता के विरोध प्रदर्शन से कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने किनारा किया। जंतर मंतर पर ममता बनर्जी ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। ममता बनर्जी के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने शरद यादव खुद जंतर मंतर पर पहुंचे। वहीं संसद परिसर में स्थित गांधी मूर्ति के पास राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस और लेफ्ट के 200 सासंदों ने नोटबंदी का विरोध किया।

नोटबंदी के खिलाफ पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री के खिलाफ हमलावर हो गया है। राहुल ने जहां एक बार फिर से सूटबूट वाली सरकार की बात दोहराई, तो वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और बीएसपी नेता मायावती ने सरकार के खिलाफ जोरदार हमला बोला।

इसी बीच देशमें इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्‍गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने बीते 6 महीने के दौरान अपने 14 हजार कर्मचारियों की छंटनी की है। आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही कंपनी का दावा है कि खुद को मार्केट में बनाए रखने के लिए यह जरूरी था। वह 10 की जगह 5 लोगों से काम चलाने की कोशिश कर रही है।

कंपनी ने यह कदम अप्रैल-सितंबर छमाही में रेवेन्यु और प्रॉफिट पॉजिटव रहने के बावजूद उठाया है। एलएंडटीने इसे रणनीतिक फैसला बताया एलएंडटीके चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर आर. शंकर रमन ने कहा कि यह एक रणनीतिक फैसला है।

केंद्र सरकार द्वारा जो कदम उठाए गए हैं उसके बाद अब अर्थक्रांति प्रतिष्‍ठान का मानना है कि अगले 6 महीने में भारत कैशलेस हो जाएगा। इसके बाद भारत में प्‍लास्टिक करेंसी और ऑनलाइन बैंकिंग चलेगी।

यह प्रतिष्‍ठान वही है जिसे पीएम मोदी के नोटबंदी वाले कदम के पीछे का थिंक टैंक माना जाता है। गुरुवार को प्रतिष्‍ठान ने कहा कि अगले 6 महीने से साल भर में भारत कैशलेस हो जाएगा और फिर सरकार 2000 और 500 रुपएके नोट भी हमेशा के लिए बंद कर दे।

एक अखबार से बात करते हुए इसके एक थिंक टैंक अमोद फाल्‍के ने कहा कि नोटबंदी ने प्‍लान में अगला स्‍टेप जोड़ दिया है जो बैंकिंग ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स के रूप में होगा। अर्थक्रांति प्रतिष्‍ठान के अनुसार बड़े नोटों को बंद करने के बाद भारत में लगने वाले सभी टैक्‍स मसलन इन्‍कम टैक्‍स, वैट, एक्‍साइज ड्यूटी और प्रस्‍तावित जीएसटी भी हट जाएंगे और इन सभी को 1-2 प्रतिशत बैंकिंग ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स से रिप्‍लेस कर दिया जाएगा।

बैंकिंग पर टैक्‍स रेवेन्‍यू 21 लाख करोड़ तक होगा

बैंकिंग ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स के अंतर्गत लोगों को 1-2 प्रतिशत टैक्‍स देना होगा। यह टैक्‍स केंद्रीय, राज्‍य और स्‍थानीय बॉडीज के बीच बांटा जाएगा। जब सभी ट्रांजेक्‍शन कैशलेस होंगे तो प्रतिष्‍ठान का मानना है कि बीटीटी को मिलने वाले टैक्‍स 21 लाख करोड़ तक पहुंच जाएंगे जो उन सभी टैक्‍सों से मिलने वाली रकम के बराबर हैं जो केंद्र और राज्‍यों द्वारा लगाए गए हैं।

फाल्‍के ने दावा किया कि वो पीएम मोदी से 2013 से अपने प्रस्‍ताव लेकर मिल रहे हैं और उस समय वो गुजरात के सीएम थे। उनके अनुसार जैसे की भारत की अर्थव्‍यवस्‍था काफी बड़ी मात्रा में नकदी पर निर्भर है ऐसे में पीएम मोदी एक वक्‍त में सभी बड़े नोट बाजार से नहीं हटा सकते। लेकिन उन्‍होंने अपने भाषण में साफ कहा था कि 2000 रुपए का नोट रेगुलेट होगा। जैसे ही लोग कैशलेस तरीकों को अपनाने लगेंगे, इस नोट को बाजार से हटाना असान हो जाएगा।


बचे रहेंगे 50 और 100 के नोट

अर्थक्रांति के अनुसार बाजार में 50 और 100 के नोट बने रहेंगे क्‍योंकि गरीब आदमी को कैशलेस होने में वक्‍त लगेगा। उसके अनुसार अगर आप अमेरिका या दूसरे देशों की अर्थव्‍यवस्‍था को देखें तो वहां लोग भारी मात्रा में कैश लेकर नहीं चलते लेकिन भारत में बड़े नोटों की वजह से लोग बैंकिंग सिस्‍टम से काफी दूर हैं।

फाल्‍के ने आगे कहा कि उनके प्‍लान में वो बिल्‍कुल नहीं चाहते की लोग अपने अकाउंट में 100 करोड़ जमा कर दें और पेनल्‍टी भुगतें। पहले टैक्‍सेशन सिस्‍टम डिफेक्टिव था जिसके चलते लोगों को बड़ी रकम जम करने में पेनल्‍टी नहीं लगती थी। सरकार अब इसका 10 प्रतिशत टैक्‍स ले सकती है और बचा हुआ अमाउंट 15 साल के बॉन्‍ड के माध्‍यम से दे सकती है।

उन्‍होंने कहा कि यह पूरी तरह वक्‍त पर निर्भर है कि कब उनकी पॉलिसी लागू की जाती है। संभव है यह 2017-18 में हो या फिर 2019 में। लोगों को हमारे प्‍लान की ताकत का एहसास हो चुका है।

ऑनलाइन भुगतान सेवा प्रदान करने वाली देश की अग्रणी कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के अनुसार नोटबंदी की घोषणा के बाद हर दिन लाखों की संख्या में ग्राहक पेटीएम से जुड़ रहे हैं। विजय शेखर ने एक समाचार चैनल से कहा, "इतना ही नहीं, हम जिस चीज को लेकर बेहद उत्साहित हैं वह है हमारे सक्रिय उपयोगकर्ताओं द्वारा पेटीएम के माध्यम से किए जाने वाले लेनदेन की संख्या में भारी इजाफा।"

विजय शेखर के अनुसार, पेटीएम के मौजूदा उपभोक्ताओं की संख्या 15.5 करोड़ है, जबकि कुछ ही दिन पहले यह 11.5 करोड़ थी।

उन्होंने कहा कि देशभर में कार्ड के जरिए खरीद-बिक्री करने वाले केंद्रों की संख्या सिर्फ 14 लाख है, लेकिन 'हमने इस संख्या को भी पार कर लिया है, क्योंकि हमने अपनी सेवा मोबाइल पर भी शुरू कर दी है'।

विजय शेखर ने कहा, "इससे पहले हम कह चुके हैं कि 2020 तक हमारे उपभोक्ताओं की संख्या एक अरब हो जाएगी। लेकिन अब मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि 2018 के आखिर तक आते-आते हमारे ग्राहकों की संख्या 50 करोड़ तो निश्चित तौर पर पहुंच जाएगी।"

पेटीएम के लिए काम करने वाले कर्मचारियों की बात की जाए तो अब तक पेटीएम में 4,500 कर्मचारी थे, लेकिन वर्षात तक यह संख्या 12,000 तक पहुंच चुकी है।

शर्मा ने धनराशि जुटाने के विषय पर कहा कि कंपनी के पास बैंकों में 2,000 करोड़ रुपये जमा हैं, जिन्हें कंपनी जल्द ही खर्च करेगी।

विजय शेखर ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि एक दिन पेटीएम 100 अरब डॉलर की कंपनी बन जाएगी।

पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते ही 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया था। इस ऐलान के बाद शायद हर कोई नकदी की समस्या से जूझ रहा है और कुछ समय तक हर किसी के पास सीमित नकदी ही रहने वाली है। ऐसे में डिजिटल वॉलेट और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक करेंसी कंपनियों के यूज़र में बड़ी संख्या बढ़ें हैं। पेटीएम, मोबिक्विक, फ्रीचार्ज के यूज़र तेजी से बढ़े। इसके अलावा वॉलेट ऑन डिलिवरी की सुविधा भी शुरू हुई।

इस चलन को बरकरार रखते हुए, पेटीएम ने पिछले हफ्ते 'नियरबाय' नाम से एक फ़ीचर की घोषणा की। इसके जरिए आप अपने आसपास पेटीएम वॉलेट के जरिए पेमेंट लेने वाले दुकानदार को आसानी से खोज पाएंगे। इस फ़ीचर से उन ग्राहकों को मदद मिलेगी जिनके पास नकदी की कमी है। पेटीएम के 'नियरबाय' फ़ीचर में देशभर में मौज़ूद कंपनी के करीब 8 लाख से ज्यादा ऑफलाइन दुकानदार की डायरेक्टरी है। कंपनी ने ईमेल के जरिए एक बयान जारी कर बचाया कि पहले चरण के तहत करीब 2 लाख दुकानदारों को इस फ़ीचर में जोड़ दिया गया है।

कंपनी का कहना है कि ग्राहक पेटीएम ऐप यूज़र ऐप व वेबसाइट पर अपने पास स्थित उन दुकानों और जगह की लिस्ट देख सकते हैं जो पेटीएम स्वीकारते हैं। इसके लिए उन्हें पेटीएम वॉलेट में कैश डालना होगा और केवाईसी कर अकाउंट अपग्रेड करना होगा। हालांकि, स्टोरी लिखे जाने तक यह फ़ीचर ना तो लेटेस्ट आईओएस और एंड्रॉयड ऐप व वेबसाइट पर उपलब्ध था।

पेटीएम की डीजीएम सोनिया धवन ने यह ऐलान करते समय कहा, ''पेटीएम के जरिए, हमारा उद्देश्य एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाने का है जिससे ग्राहकों और व्यापारी दोनों का फायदा हो। मुझे विश्वास है कि हमारे ग्राहक अपने आसपास मौज़ूद पेटीएम सर्विस को अब पहले से ज्यादा आसानी से खोज़ सकेंगे।''

Financial transaction tax

From Wikipedia, the free encyclopedia

A financial transaction tax is a levy placed on a specific type of monetary transaction for a particular purpose. The concept has been most commonly associated with the financial sector; it is not usually considered to include consumption taxes paid by consumers.[1]

A transaction tax is not a levy on financial institutions per se; rather, it is charged only on the specific transactions that are designated as taxable. So if an institution never carries out the taxable transaction, then it will never be subject to the transaction tax.[2] Furthermore, if an institution carries out only one such transaction, then it will only be taxed for that one transaction. As such, this tax is neither a financial activities tax (FAT), nor a Financial stability contribution (FSC), or "Bank tax",[3] for example. This clarification is important in discussions about using a financial transaction tax as a tool to selectively discourage excessive speculation without discouraging any other activity (as John Maynard Keynes originally envisioned it in 1936).[4]

There are several types of financial transaction taxes. Each has its own purpose. Some have been implemented, while some are only proposals. Concepts are found in various organizations and regions around the world. Some are domestic and meant to be used within one nation; whereas some are multinational.[5] In 2011 there were 40 countries that made use of FTT, together raising $38 billion (€29bn).[6][7]


नोटबंदी नहीं,यह मृत्यु महोत्सव है! मारे जायेंगें देश के आम नागरिक क्योंकि तमाम रंगबिरंगे अरबपति राजनेता मुक्तबाजार के कारिंदे हैं और उन्हें इस देश की जनता से कोई मुहब्बत नहीं है। #BankruptRBI #BnakruptIndianbanking #Nobanktorefusepaymentworldwide #IndialivesonPayTMBigBazarAirtel #PoliticalsystemconvertedintoBlackhole #MultipleorganfailureculminatinginfamineandslumptoaccomplishtheHindutvaagendaofmassdestruction पलाश विश्वास

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नोटबंदी नहीं,यह मृत्यु महोत्सव है!

मारे जायेंगें देश के आम नागरिक क्योंकि तमाम रंगबिरंगे अरबपति राजनेता मुक्तबाजार के कारिंदे हैं और उन्हें इस देश की जनता से कोई मुहब्बत नहीं है।


#BankruptRBI

#BnakruptIndianbanking

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#PoliticalsystemconvertedintoBlackhole

#MultipleorganfailureculminatinginfamineandslumptoaccomplishtheHindutvaagendaofmassdestruction

पलाश विश्वास

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में नोटबंदी को क़ानूनन चलाई जा रही व्यवस्थित लूट की संज्ञा दी है।

डा.मनमोहन सिंह मुक्तबाजार के मौलिक ईश्वर हैं और अर्थशास्त्र वे हमसे बेहतर जानते हैं भले ही कल्कि महाराज और उनकी अर्थक्रांति के बगुला विशेषज्ञ का अर्थशास्त्र उनसे बेहतर हो।

माननीय ओम थानवी ने कल फेसबुक पर टिप्पणी की है कि पुराना पाप उनका धुल गया है।लेकिन उनका पाप इतना बड़ा है कि तमाम ग्लेशियर पिघलकर गंगाजल बनकर भी उसे धो नहीं सकता।वे संसद में जो बोले,वह दरअसल मुक्तबाजार का व्याकरण है।जो सौ टका सही है।

दुनिया में सचमुच ऐसा कोई देश नहीं है जहां बैंक करदाताओं और ग्राहकों कोमना कर कर दें।भुगतान न कर पाने की स्थिति दिवालिया हो जाना है।नोटबंदी ने भारतीय बैंकिंग प्रणाली को दिवालिया बना दिया है।

सिर्फ मनमोहन सिंह ही नहीं,तमाम रेटिंग एजंसियां विकास दर में कमी की आसंका जता चुके हैं।कृषि उत्पादन ठप है।औद्योगिक उत्पादन गिर रहा है।मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हो रहा है।अब बेदखल हुआ बाजार भी नोटबंदी की वजह से बंद है।बाजार की गतिविधियां इसी तरह ठप रही और डिजिटल देश का नानडिजिटल बहुसंख्या जनता अगर उत्पादन प्रणाली,अर्थव्यवस्था और बाजार से बाहर कर दिये जाये तो यह दिनदहाड़े डकैती नहीं है।डकैती के बावजूद अर्थव्यवस्था,उत्पदन प्रणाली और बाजार की गतिविधियां ठप नहीं पड़े जाती।

देश के नागरिकों से उनकी क्रय क्षमता रातोंरात छिनकर कल्कि महाराज ने मुक्तबाजार को ही बाट लगा दी है और यह नोटबंदी मुक्त बाजार के व्याकरण के खिलाफ है।डा.मनमोहन सिंह का कहना कुल मिलाकर यही है।

सारी बुनियादी सेवाएं और बुनियादी जरुरतें जब आपकी क्रय क्षमता से जुड़ी हैं तो वह क्रयक्षमता छिन जाने से आप हवा पानी भी खरीदने की हालत में नहीं हैं और राशन पानी दूर की कौड़ी है।पूरा देश अब गैसत्रासदी के शिकंजे में हैं।

एक मुश्त खेती,कारोबार और बाजार को ठप करने का एक ही नतीजा है और वह है मौत जिसका भुगतान बैंकों की नकदी प्रवाह की तरह आहिस्ते आहिस्ते होगा।

कतारों में खड़े कुछ लोगों को नकद भुगतान जरुर हो गया है लेकिन जो अपने घरों में बीवी बच्चों,मां बाप बहन के साथ तिल तिल तड़प तड़प कर मरने को अभिशप्त हैं,उनकी लाशों की गिनती कभी नहीं होने वाली है।

पिछले सत्तर सालों से भारत के देहात में किसान सपरिवार इसीतरह मरते खपते रहे हैं और बाकी देश ने तनिको परवाह नहीं की।

आजादी के बाद से आदिवासियों की बेदखली जारी है।उनका कत्लेआम जारी है।प्राकृतिक संसाधनों की इस खुली लूट और सैन्य राष्ट्र के सलवा जुड़ुम का बाकी देश समर्थन करता है।

कश्मीर और मणिपुर में सैन्य शासन और दमन का भी राजनेता विरोध नहीं करते।न आदिवासियों,दलितों, पिछडो़ं,अल्पसंख्यकों और स्त्रियों के कत्लेआम की कोई परवाह है उन्हें,जबतक न वोटबैंक राजनीति इसके लिए उन्हें मजबूर न कर दें।

बिग बाजार कोई बैंक नहीं है।उसे बैंकिंग की इजाजत है।पेमेंट बैंकिगं अलग हो रही है।ईटेलिंग के अलावा अब कोई विकल्प बचा नहीं दिखता।

दूसरी ओर,चौतरफा खरीदारी के इस माहौल में भी आज पीएसयू बैंकों की पिटाई देखने को मिल रही है। निफ्टी का पीएसयू बैंक इंडेक्स 0.12 फीसदी की कमजोरी के साथ कोरोबार कर रहा है।

पेटीएम के अलावा नकदी कहीं नहीं है।ऐसे हालात में देहात और कस्बों से लेकर महानगरों तक किराना दुकानदारों से लेकर फलवालों,रेहड़ीवालों,फुटपाथवालों, हाकरों,सब्जी मछलीवालों का सारा कारोबरा अब शापिंग माल में चला गया है।

छह महीन तक नकदी का संकट नहीं सुलझा तो इनके पास कारोबार चलाने लायक पैसा भी नहीं बचेगा।खुदरा बाजार में कितने लोग हैं,कल्कि महाराज इसका कोई सर्वे करा लेते तो बेहतर होता।

एटीएम और बैंकों से लाशें बहुत कम निकलने वाली है जाहिर है।खेत खलिहानों, कारखानों और खुदरा बाजार,चायबागानों से लाशों का जो जुलूस निकलने वाला है,उनमें नौकरीपेशा लाशें भी कम नहीं निकलेंगी।एकाधिकार पूंजी सारी नौकरियां का जायेंगी।

नोटबंदी नहीं,यह मृत्यु महोत्सव है।

अकेले बंगाल के 300 चाय बागानों के करीब पांच लाक मजदूरों को उनकी दिहाड़ी नहीं मिल रही है।खेत मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के करोडो़ं लोग यकबयक बेरोजगार हो गये हैं और हाट बाजार में खुदरा दुकानदारों का कारोबार ठप हैं।

किसान न खेत जोत पा रहे हैं न बीज बो पा रहे हैं।फसल तैयार है तो उसे बेच भी नहीं पा रहे हैं।

अब आगे भुखमरी है जो मंदी की वजह से और भयंकर होगी।आटा चाल दाल तेल सबकुछ मंहगा हो रहा है और आय के सारे साधन खत्म हो रहे हैं।

लोगों के हाथ पांव तो एकमुश्त काट ही लिये गये है।उनके दिलोदिमाग और एक एक अंग प्रत्यंग बेदखल हैं।

अब वे सीना ठोंककर कहने लगे हैं कि वे डिजिटल इंडिया बना रहे हैं और नोटबंदी का मकसद दरअसल कैशलैस सोसाइटी है।

कालाधन निकालने का मकसद वे खुद गलत बताने लगा है।

अपनी सिरजी आपदा को लंबे अरसे तक जारी रखकर वे एकाधिकार पूंजी केहवाले कर रहे हैं सबकुछ और आम जनता की तकलीफों,उनकी जिंदगी और मत की उन्हों कोई परवाह नहीं है।

अब 28 नवंबर को नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद है।इस बारे में आदरणीय मोहन क्षोत्रियकी टिप्पणी लाजबाव है।उन्होने लिखा हैः

दुकान बंद हो जाती है तो लगता है भारत बंद है ,

दुकान खुली रहती है तो लगता है भारत खुला है l

बाबा को व्यापारी और व्यापारी को बाबा बनाने की नीति के बारे में सोचिये l

अब दुकानदारों को सोचना है कि भारत बंद रहेगा या खुला l

भारत तो अब 8 नवंबर से बंद ही है।सारी जनता काम धंधा बंद करके एटीएम,बैंक से लेकर बिग बाजार के सामने कतारबद्ध है।एक एक करके उत्पादन इकाइयां बंद है।असंगठित क्षेत्र में नकदी के अभाव के चलते कोई काम नहीं है।

शापिंग माल के अलावा सारा खुदरा कारोबार मय किराना साग सब्जी फल मछली अनाज हाट बाजार राशन पानी घर का चूल्हा सारा कुछ बंद है और आम जनता इसतरह केसरिया फौज हैं कि उनकी तबीयत हरी हरी है।

सावन के अंधे को सारा कुछ हरा हरा नजर आता है।कहीं किसी प्रतिरोध की सुगबुगाहट नहीं है।लोग कतार में खड़े खड़े मर रहे हैं।

लाशें निकल रही हैं एटीएम और बैंकों से।

दुनिया में भारत पहला देश है जहां नकद जमा होने के बावजूद करदाताओं और ग्राहकों को धेला भी नहीं मिल रहा है।

रोज दिहाड़ी नहीं मिल रही है।चूल्हा सुलगाने के लिए दिल्ली दरबार से रोज नये फरमान जारी हो रहे हैं।रिजर्व बैंक के नियम रोज बदल रहे हैं।

सारे बैंकों और एटीएम पर नो कैश की तख्ती टंगी है और हाट बाजार के साथ साथ काम धंधे से लोग बेदखल हो रहे हैं।

जलजंगलजमीन नागरिकता से वे पहले ही बेदखल हैं।

कानून बदलकर पूंजीपतियों के तीस लाख करोड़ देश से बाहर निकालने के बाद नोट बंदी हुई है जिसकी गोपनीयता का आलम अब बेपर्दा है क्योंकि राष्ट्र के नाम वह ऐतिहासिक भाषण लाइव नहीं था।पहले से जो रिकार्डिंग की गय़ी थी,उस संबोधन की गोपनीयता की भी बलिहारी।

जिन क्षत्रपों ने राजनीतिक गोलबंदी के लिए पहल की है,कमसकम वे कल्कि महाराज के विकल्प नहीं है क्योंकि आम जनता को उनके कारनामे और तमाम किस्से मालूम है।वे अपने अपने हिस्से के कालाधन बचाने की जुगत लगा रहे हैं और कुल मिलाकर उन्हें शिकायत यही है कि संघियों और भाजपाइयों ने तो अपना कालाधन सफेद कर लिया,लेकिन उन्हें कोई मोहलत नहीं मिली है।

इसीलिए हिंदुत्व एजंडे के संघियों से भी बड़े झंडेवरदार शिवसेना के सारे अंग प्रत्यंग नोटबंदी के खिलाफ चीख पुकार मचाने लगे हैं।

इस राजनीतिक गोलबंदी से बदलेगा कुछ भी नही।

आधार परियोजना से लेकर तमाम आर्थिक सुधारों के नरमेधी अश्वमेधी अभियान के रंगबिरंगे सिपाहसालार एकजुट होकर आगामी चुनाव में सत्ता पर काबिज होने की जुगत लगा रहे हैं और यूपी पंजाब के चुनाव के बाद पता भी चल जायेगा कि इसका नतीजा क्याहोने वाला है।

1991 के बाद से लगातार हो रहे सत्ता परिवर्तन से लगातार आम जनता के सफाया का कार्यक्रम जारी है जो हर सत्ता बदल के बाद तेज से तेज होता जा रहा है,जो हिंदुत्व का विशुध पतंजलि ग्लोबल एजंडा है।

मुक्तबाजार के पहरुओं से जनांदोलन की उम्मीद लगाना बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं है।ये तमाम लोग समता और न्याय के किलाफ रंगभेदी वर्ण वर्चस्व और अस्मिता गृहयुद्ध के महारथी हैं।

जनविद्रोह जो आजादी तक लगातार जारी रहा है,उसका सिलसिला भारत विभाजन के बाद थम गया है।

जमींदारियों और रियासतों के वारिशान ने सत्ता में साझेदारी के तहत देश के तमाम संसाधनों पर कब्जा कर लिया है और मिलजुलकर वे देश बेच रहे हैं।

हिस्सेदारी की लड़ाई बाकी है।

सलवा जुड़ुम के खिलाफ कोई नहीं बोल रहा है।फर्जी मुठभेडों के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा रहा है।

सैन्य दमन के पक्ष में हैं सारे के सारे और रंगभेदी युद्धोन्माद इन सभी का राष्ट्रवाद है क्योंकि वे अइपनी जमींदारी और रियासत बचाने में लगे हैं।

देश की राजनीति आम जनता के लिए ब्लैकहोल है।

यह सुरसामुखी राजनीति सबकुछ हजम कर जाने वाली है।

मारे जायेंगें देश के आम नागरिक क्योंकि तमाम रंगबिरंगे अरबपति राजनेता मुक्तबाजार के कारिंदे हैं और उन्हें इस देश की जनता से कोई मुहब्बत नहीं है।

इसी बीच टाटा ग्रुप के कार्यकारी चेयरमैन रतन टाटा ने नोटबंदी पर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा है कि नोटबंदी के कारण जनता को काफी दिक्कत हो रही है। खासकर इलाज कराने में ज्यादा परेशानी हो रही है। कैश की कमी के कारण गरीबों को रोजमर्रा की चीजें नहीं मिल रही हैं। सरकार अपनी तरफ से नए नोट मुहैया कराने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन अभी वैसी राहत की जरूरत है जैसी राष्ट्रीय आपदा के समय होती है।

सीएनबीसी-आवाज़ को सूत्रों से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सरकार कालेधन वालों को 2 विकल्प दे सकती है। बताया जा रहा है कि पहले विकल्प के तौर पर 60 फीसदी टैक्स और पेनाल्टी जमाकर चिंतामुक्त हो सकते हैं। वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर 50 फीसदी टैक्स के साथ 4 साल के लॉक-इन पीरियड के जरिए राहत मिल सकती है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने अघोषित आय पर 2 नए विकल्पों के प्रस्तावों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेज दिया है। इन विकल्पों में गोल्ड होल्डिंग सीमा तय करने की योजना नहीं है। लेकिन, बैंक में अघोषित आय जमा करने पर 50 फीसदी टैक्स और 4 साल का लॉक-इन पीरियड लागू हो सकता है। साथ ही बैंक में अघोषित आय जमा करने पर 60 फीसदी टैक्स और पेनाल्टी लागू हो सकता है।

इस बीच नोटबंदीका आज 17वां दिन है। विपक्षी दल चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को वापिस ले जबकि पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि जनता उनके साथ है इसलिए वे अपना फैसला वापिस नहीं लेंगे। वहीं लोकसभा और राज्यसभा में आज भी जोरदार हंगामा हुआ। राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने पीएम को बुलाने की मांग के साथ फिर हंगामा किया। विपक्षी दलों ने पीएम से अपने बयान पर माफी मांगने की मांग की जिसमें पीएम ने कहा था कि विपक्ष को हमारी तैयारियों से दिक्कत नहीं हैं बल्कि नोटबंदीके ऐलान ने उन्हें तैयारी करने का मौका नहीं दिया इसलिए वो भड़के हैं।

नोटबंदीके मुद्दे पर शुक्रवार सुबह विपक्ष ने आते ही राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोला। विपक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि नोटबंदीके मुद्दे पर पीएम मोदी सड़कों पर खूब बोलते है लेकिन संसद में उसी बात को बोलने में क्यों डर रहे हैं। बता दें इससे पहले विपक्ष की मांग पर प्रधानमंत्री गुरुवार को राज्यसभा में बहस के दौरान मौजूद रहे लेकिन वे इस मुद्दे पर एक शब्द भीनहीं बोले। विपक्ष नोटबंदीके मुद्दे पर संसद में बहस के दौरान प्रधानमंत्री की लगातार मौजूदगी की मांग कर रहा है। आज भी इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा में विपक्ष हंगामा किया।

आजतक के मुताबिक नोटबंदीको लेकर संसद में हंगामा जारी है. शुक्रवार सुबह 11 बजे से लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई. राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने पीएम को बुलाने की मांग के साथ फिर हंगामा किया, जिसके बाद सदन को 2.30 बजे तक स्थगित कर दिया गया. वहीं हंगामे के चलते लोकसभा को 28 नवंबर तक स्थगित कर दिया गया है. इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मोदी जी पहले हंस रहे थे, फिर रोने लगे.

जनसत्ता में हमारे पूर्व संपादक ओम थानवीके मुताबिक मोदी और उनके भक्त आपस में नोटबंदी "सर्वे" की बधाई बाँट रहे हैं, हक़ीक़त यह है कि लोग त्राहिमाम-त्राहिमाम कर उठे हैं। यह होना ही था। रिज़र्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में 16.4 लाख करोड़ के नोट चलन में हैं। इनमें 38.6 प्रतिशत 1000 के नोट हैं, 47.8 प्रतिशत 500 के। अर्थात् देश की 86 प्रतिशत से ज़्यादा की मुद्रा को बग़ैर बदलवाए उसका 'धारक' इस्तेमाल नहीं कर सकता।

इसे किसी ने बेहतर उपमा यों दी है - आप अगर किसी के शरीर से 86 प्रतिशत ख़ून निकाल दें, तो उसका Multiple Organ Failure होना लाज़िमी है।

पर इस बात को देश के स्वनामधन्य "सर्जन" को कौन समझाए? उनके इर्द-गिर्द चापलूसों की भीड़ है, जैसे इंदिरा गांधी के गिर्द हुआ करती थी। ख़ासकर इमरजेंसी के "अनुशासन पर्व" के बाद।

राजनीति और राजनेताओं की साख के मद्देनजर ही हमारे गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी ने लिखा हैः

जस अम्बानी तस पेटीएम.

भाई पलाश! अभी गहराई से देखते रहो. राजनीतिक दलों की हाय तोबा तो अपने कालाधन पर खतरे के कारण है. कम से कम नोट्बन्दी के इस दर्द के सहते हुए भी आम जन के चेहरे पर उम्मीदों की लाली देख रहा हूँ क्या साम्यवाद या समाजवाद के झंडा बरदारों ने आम जनता में भीतर ही भीतर में पनप रहे इस आक्रोश को वाणी व देने ाका प्रयास किया.. हिन्दूवाद का घोर विरोधी होते हुए भी मैं अभी इस मामले में मोदी के साथ हूँ. 'अभी"शब्द पर भी ध्यान दें

रौतेला जी! जुगाड़ और कथनी और करनी में अन्तर ही भारतीय संस्कृति की आत्मा है. यही उपनिषदों के तवत्तिष्ठति दशांगुलम का सार है.( वह उससे ( हर विधान से) दस अंगुल आगे है) मौका लगने पर हम भी कहाँ पीछे रहने वाले हैं. जनधन खातों में इक्कीस हजार करोड़ की माया आ गयी है. महाभारत है मित्र! जो जुए में पत्नी को भी दाँव पर लगा दे वह धर्मराज, जिसके लिए लक्ष्य प्राप्ति के लिए नीति और अनीति में कोई फर्क ही न हो केवल गीता का उपदेश दे. जो ्नियम से चलने का प्रयास कर उस राम को १२ कलाओं का अवतार माना जाय और जो आज के अर्थों में चालू हो ( कृष्ण)वह १६ कलाओं का अवतार. सब लीला है.

ललित सती ने अपने फऱेसबुकवाल पर खूब लिखा हैः

- बाकी पार्टियों ने 2014 में काले धन से चुनाव लड़ा, हमने 10 हजार करोड़ रुपया अनुलोम-विलोम करके उत्पन्न कर लिया, बस उत्ते से पैसे से काम चला लिया। एक कानी कौड़ी ब्लैक मनी नहीं हमारे पास

- कैसे-कैसे भ्रष्टाचारी, दुराचारी, देशद्रोही दूसरी पार्टियों में भरे पड़े हैं। हमारे यहाँ एक नहीं। हमारे यहाँ जो आता है हम उसके कान में एक मंत्र फूँक देते हैं, वह तत्काल प्रभाव से सदाचारी, पक्का राष्ट्रभक्त हो जाता है

- स्कैम, घोटाला जैसा कोई शब्द हमारी डिक्शनरी में कहीं नहीं है। हमने उन्हें अपनी भाषा से बहिष्कृत कर दिया। भ्रष्टाचार शब्द ही नहीं रहेगा तो भ्रष्टाचार का वजूद कैसा। हम यज्ञ और उत्सव की परंपरा वाले हैं। व्यापमं यज्ञ, विमुद्रीकरण उत्सव आदि

- कांग्रेस ने कैसी देश विरोधी नीतियाँ लागू कर रखी थीं, देशी-विदेशी लुटेरों की मौज आई हुई थी। हमने सारी नीतियों को शंख फूँककर अपना बना लिया, वे अब राष्ट्रवादी हो गईं। अवतार के तेजोमयी प्रकाश में लुटेरों का हृदयपरिवर्तन हो गया, वे अब देशसेवक हो गए। बला के जादूगर हैं हम

.... और भी बहुत बहुत कुछ हैं हम। बताएँगे नहीं। हमारा मातृसंगठन भी बहुत कुछ नहीं बताता है। उसने आज तक नहीं बताया कि आजादी की लड़ाई में कहाँ थे हम। हालाँकि अब समय आ गया है अपने इतिहासकारों से लिखवाएँगे कि कहाँ थे हम। नये सत्य गढ़ने के पारंगत जो हैं हम।

'नोटबंदी क़ानूनन चलाई जा रही व्यवस्थित लूट'

साभार बीबीसी हिंदी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में नोटबंदी को क़ानूनन चलाई जा रही व्यवस्थित लूट की संज्ञा दी है.

संसद में कई दिनों तक नोटबंदी के मामले में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हुई हंगामें के बाद राजयसभा में नोटबंदी पर बहस शुरू हुई है.

मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में ये 6 अहम बातें कहीं-

1.मैं नोटों को रद्द किए जाने के उद्देश्यों से असहमत नहीं हूं, लेकिन इसे ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया.

2.पीएम बताएं ऐसा कौन सा देश है जहाँ लोग बैंक में पैसा जमा करा सकते हैं लेकिन अपना पैसा निकाल नहीं सकते हैं.

3.लॉन्ग रन या लंबे समय में असर की बात हो तो उस अर्थशास्त्री की बात याद करें - दीर्घकाल में तो हम सब मर चुके होंगे.

4.असर क्या होगा मुझे नहीं पता. इससे लोगों का बैंकों में विश्वास ख़त्म होगा. जीडीपी में 2 पर्सेंट की गिरावट आ सकती है.

5. इससे छोटे उद्योगों और कृषि को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

6. बैंक हर दिन नियम बदल रहे हैं जिससे लगता है कि पीएमओ और रिज़र्व बैंक ठीक से काम नहीं कर रहे हैं.

मनमोहन सिंह के बाद राज्यसभा में बोलते हुए समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री, अहंकार हमेशा अंधकार की ओर ले जाता है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था तो उन्हें भी लगता था जनता इस फ़ैसले से खुश है लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. अग्रवाल ने कहा कि पीएम मोदी को भी ऐसा ही लगता है कि लोग खुश हैं पर आनेवाले चुनाव में उन्हें पता चल जाएगा.

बहुजन समाजवादी पार्टी चीफ़ मायावती ने भी कहा कि उनकी पार्टी नोटों को रद्द करने के ख़िलाफ़ नहीं है लेकिन इसे लागू करने का तरीका सही नहीं है. उन्होंने कहा कि लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मायावती ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह सदन में मौजूद रहें.


महत्वपूर्ण खबरें और आलेख मारे जायेंगें देश के आम नागरिक, नोटबंदी नहीं, यह मृत्यु महोत्सव है!

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