Quantcast
Channel: My story Troubled Galaxy Destroyed dreams
Viewing all 6050 articles
Browse latest View live

The event Never to be replicated!As I hate to be honoured any way.Left.Colonel Siddhart Barves, Bank Employees leader Suresh Ram ji and workers from National Social Movement organized a lunch and invited us.It turned to be my birthday celebration. Sabita Babu overwhelmed with the love and she is hyper sensitive. I had to adjust with this unexpected situation. I am posting these photos with a warning that no friend should replicate it as I hate any honour or prize in this patriarchal society of apartheid caste inflicted. Palash Biswas

Next: शून्य से भी कम अंक पाने वाले भी बनेंगे इंजीनीयर तो ऐसे इंजीनियर किस काम के होंगे? एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद पर ओबीसी आरक्षण ख़त्म। সব পরীক্ষার্থীকেই ভর্তির সুযোগ ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে বেসরকারি কলেজে আসন ভরাতে নেগেটিভ নম্বর পাওয়া পড়ুয়াদেরও র‌্যাঙ্ক, ক্ষুব্ধ শিক্ষামহল एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
Previous: दुनिया बदलने की जिद न हो तो नहीं बदलेगी दुनिया! जाति उन्मूलन के लिए भी कोई मुहम्मद अली चाहिए जो राष्ट्र, राष्ट्रवाद, धर्म, सत्ता, कैरियर, साम्राज्यवाद,युद्ध और रंगभेद के खिलाफ मैदान दिखा दें! भद्रलोक कोलकाता के दिल में सामाजिक क्रांति की दस्तक, बाबासाहेब के मिशन को लेकर छात्रों युवाओं ने रचा जाति उन्मूलन पब्लिक कांवेंशन! पलाश विश्वास
$
0
0

The event Never to be replicated!As I hate to be honoured any way.Left.Colonel Siddhart Barves, Bank Employees leader Suresh Ram ji and workers from National Social Movement organized a  lunch and invited us.It turned to be my birthday celebration. 


Sabita Babu overwhelmed with the love and she is hyper sensitive. I had to adjust with this unexpected situation.


I am posting these photos with a warning that no friend should replicate it as I hate any honour or prize in this patriarchal society of apartheid caste inflicted.


Palash Biswas






--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

शून्य से भी कम अंक पाने वाले भी बनेंगे इंजीनीयर तो ऐसे इंजीनियर किस काम के होंगे? एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद पर ओबीसी आरक्षण ख़त्म। সব পরীক্ষার্থীকেই ভর্তির সুযোগ ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে বেসরকারি কলেজে আসন ভরাতে নেগেটিভ নম্বর পাওয়া পড়ুয়াদেরও র‌্যাঙ্ক, ক্ষুব্ধ শিক্ষামহল एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

$
0
0

शून्य से भी कम अंक पाने वाले भी बनेंगे इंजीनीयर तो ऐसे इंजीनियर किस काम के होंगे?

एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद पर ओबीसी आरक्षण ख़त्म।

সব পরীক্ষার্থীকেই ভর্তির সুযোগ ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে

বেসরকারি কলেজে আসন ভরাতে নেগেটিভ নম্বর পাওয়া পড়ুয়াদেরও র‌্যাঙ্ক, ক্ষুব্ধ শিক্ষামহল


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

स्वयंपोषित मुनाफावसूली के शिक्षा बाजार में उच्चशिक्षा के लिए अब प्रतियोगिता परीक्षा में रोलनंबर और एडमिट कार्ड हासिल करने के बाद निमित्तमात्र परीक्षा में बैठने की औपचारिकता भर निभानी है और ऐसी प्रवेश परीक्षा में शून्य से नीचे भी उनका अंक हो तो डाक्टरी इंजीनियरिंग के लिए उनका दाखिले की गारंटी है।ऐसा नायाब बंदोबस्त फिलहाल बंगाल में दीदी की सत्ता में वापसी के बाद हो गया है।बाकी राज्यों का हाल हम नहीं जानते।


बंगाल के निजी इंजीनियरिंग कालेज में छात्रों का टोटा पड़ गया है तो उद्योग बंधु सरकार ने नायाब तरीका निकाला है कि ज्वाइंटइंजीनियरिंग परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्तियों के अंक चाहे शून्य से कम क्यों न हों,उन सभी के लिए इंजीनियरिंग कालेजों के सिंहद्वार खुले हुए है और अभिभावकों की जेबें भारी हैं या स्वयंवित्त पोषित योजनाओं के तहत छात्र क्रज हासिल कर लें तो इन महंगे निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में शून्य से भी कम अंक के बावजूद न उनका दाखिला तय है बल्कि वे इंजीनियर भी बन जायेंगे।


शून्य से भी कम अंक पाने वाले भी बनेंगे इंजीनीयर तो ऐसे इंजीनियर कस काम के होंगे?


डब्ल्यूबीजेइइ के अध्यक्ष सजल दासगुप्ता ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस बार परीक्षा में बैठनेवाले सभी छात्रों को रैंक कार्ड दिया जायेगा। भले ही कुछ छात्रों के कम अंक आये हों, लेकिन नतीजों में सभी छात्रों को रैंक कार्ड दिया जायेगा।


डब्ल्यूबीजेइइ के अध्यक्ष बताया कि यह रैंक कार्ड छात्र बोर्ड की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। सभी छात्रों का नाम मेरिट लिस्ट में शामिल किया जायेग। साथ ही अधिक व कम अंक पानेवाले सभी छात्रों की काउंसेलिंग की जायेगी।


गौरतलबहै कि  डब्ल्यूबीजेइइ की गुणवत्ता बढ़ाने व छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस बार बोर्ड ने एक सुझाव बॉक्स भी तैयार किया था, जिसमें छात्रों व शिक्षकों के सुझाव मांगे गये थे। इसी आधार पर परीक्षा के प्रश्नपत्र के पैटर्न व आवेदन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया था।


यह दावा भी गौरतलब है कि  राज्य में हाल ही में स्थापित इंजीनियरिंग कॉलेजों में एआइसीटीइ (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) के मापदंड के अनुसार गुणवत्ता व वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के एफिलिएशन के आधार पर उनके कामकाज पर निगरानी की जा रही है।


इस पर तुर्रा यह कि  इस आधार पर जेइइ के छात्रों को कम रैंक आने पर भी अच्छे कॉलेजों में दाखिला मिल सकता है। गत वर्ष निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 36 प्रतिशत सीटें खाली ही रह गयी थीं। उम्मीद है, इस बार कॉलेजों में सीटें रिक्त नहीं रहेंगी।

बांग्ला के प्रमुख अखबारों के मुताबिक शून्य से नीचे अंक पाने वाले भी रैंकिंग में होंगे और उन्हें बेशक निजी इंजीनियरंग कालेजों में दाखिला मिल जायेगा।




संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण विनिवेश से भारत अब शिक्षा का बाजार है और दुनियाभर के कारोबारी मशरुम की तरह कोचिंग सेंटर,एजुकेशन सेंटर,विश्वविद्यालय,मेडिकल औऱ इंजीनियरिंग कालेज की तर्ज पर नानाविध कोर्स चालू करके छात्रों और अभिभावकों से मनचाही फीस वसूल रहे हैं।


इन पर किसी तरह की निगरानी नहीं है।फैकल्टी है या नहीं है,कोई नहीं देखता।सिलेबस से लेकर पठन पाठन तक अनियंत्रित है और यह शिक्षा कारोबार का खुल्ला खेल फर्ऱूखाबादी है।


गौरतलब है कि इस बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराजन ने चेतावनी भी जारी कर दी है कि गैरजरुरी डिग्रा से कुछभी हासिल नहीं होने वाला है।


ताजा खबर यह है कि यूजीसी ने अपनी ताज़ा अधिसूचना में कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफ़ेसर व प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण न दिया जाये। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए इन पदों पर आरक्षण जारी रहेगा।


इससे पूर्व सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ उड़ीसा और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ केरल समेत विभिन्न यूनिवर्सिटियों में इन पदों पर भी ओबीसी को आरक्षण दिया जाता रहा है, जबकि दिल्ली यूनिवर्सिटी व जेएनयू में इसके लिए संघर्ष जारी था।


यह नया घटनाक्रम बहुत चिन्ताजनक है तथा न सर्फ मनुवाद की स्थापना की दिशा में उठाया गया कदम है, बल्कि वंचित समुदायों में फूट डालने की रणनीति का भी हिस्सा प्रतीत होता है।


गौरतलब है एक आरटीआई के अनुसार केंद्रीय विश्विद्यालयों में प्रोफ़ेसर पद पर ओबीसी से समुदाय से  आने वालों की संख्या उँगलियों पर गिनने लायक है।


जो सिरे से आरक्षण विरोधी हैं और निजीकरण का सिर्फ इसलिए समर्थन कर रहे हैं कि निजी क्षेत्र में आरक्षण और कोटा नहीं है,उनके लिे यह बहुत बड़ी खुशखबरी है कि राजनीति और सरकारी नौकरियों के मामले में आरक्षण और कोटा हो तो क्या शिक्षा के अबाध अनियंत्रित बाजार में उनके बच्चों के साथ न्याय होगा और बिना आरक्षण और कोटा के,बिना सरकारी शिक्षा संस्थानों के बहुसंख्यक जनगण के बच्चे उच्चशिक्षा से वंचित होकर सर्वशिक्षा जैसे सराकीर आयोजन की तरह साक्षर या तकनीशयन की तरह सत्तावर्ग की गुलामी में नत्थी हो जायेंगे और उनके बच्चों का भविष्य सोने से मढ़ा होगा।


योजनाबद्ध ढंग से शिक्षा अब क्रयशक्ति के आधार पर खरीदी जाती है और इसकी अर्थव्यवस्था सेल्फ फायनेसिंग है यानी अभिभावक मर खप पर पैसे का इंतजाम करें या छात्र सीधे बाजार या बैंक या नियोक्ताओं के पास अपना भविष्यगिरवी पर रखकर उच्चशिक्षा के साथ रोजगार हासिल करें।


कहीं भी किसी स्क्रीनिंग नहीं है और माध्यमिक उच्चमाध्यमिक परीक्षाओं में थोक के भाव सौ फीसद से लेकर अस्सी फीसद तक अंक हासिल करके सरकारी संस्थानों में स्थानाभाव की वजह से निजी संस्थानों मे महज क्रयशक्ति के आधार पर करोड़ों बच्चे दाखिला ले रहे हैं और इनमें से ज्यादातर बच्चे या तो सत्ता वर्ग से किसी न किसी तरीके से नत्थी है या जाति से सवर्ण हैं या बहुजनों के मलाईदार तबके के बच्चे ये हैं।इन संस्थानों की फीस और फीस के अलावा दूसरे खर्चइतने प्रबल हैं कि माध्यमिक उच्चमाध्यमिक तक अंग्रेजी सीखकर नौकरी पाने की जुगत में सबकुछ दांव पर लगाकर जो आम लोग अपने बच्चों को शत फीसद से लेकर अस्सी फीसद तक अंक हासिल करते देख फूला न समाये,उनकी औकात इन संस्थानों के स्वयंवित्त पोषित वातानुकूल बाड़ेबंदी में घुसने की होती नहीं है और क्रमशः जल जंगल जमीन आजीविका नौकरी और नागरिकता से भी वंचित इन बहुसंख्य आम लोगों के बच्चे इस अभूतपूर्व मेधा बाजार में घुस ही नहीं सकते।


पूरा खेल संपन्न और नवधनाढ्य अच्छे दिनों के वारिसान की जेब काटने का है,जो इस बंदोबस्त के सबसे बड़े समर्थक है और आरक्षण और कोटा के अंध विरोध में निजीकरण,विनिवेश,विनियमन और विनियंत्रण के अबाध आखेटगाह में अपने बच्चों को खुशी खुशी बलि चढ़ाने को तैयार हैं ताकि बहुजनों के बच्चों को उनके बच्चों के मुकाबले कोई मौका ही न मिले।




--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Soumyadip Mahato writes about Unknwn Kurmies Sheetal Mahato,Ganesh Mahato,Sahadev Mahato and Mohan mahato who were killed in Jungle Mahal in Bengal while the police opened fire on 25th January 1930.on 30th September the rebels attacked Manbajar Tahna where Chunaram Mahato and Govind Mahato were killed by British.Raghram Mahato is a legend.Rest of India is quite unaware about the Char revolt from 1767 to 1805.

Previous: शून्य से भी कम अंक पाने वाले भी बनेंगे इंजीनीयर तो ऐसे इंजीनियर किस काम के होंगे? एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद पर ओबीसी आरक्षण ख़त्म। সব পরীক্ষার্থীকেই ভর্তির সুযোগ ইঞ্জিনিয়ারিংয়ে বেসরকারি কলেজে আসন ভরাতে নেগেটিভ নম্বর পাওয়া পড়ুয়াদেরও র‌্যাঙ্ক, ক্ষুব্ধ শিক্ষামহল एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
$
0
0

We ,the people so blind nationalist do not know the martyrs till this date who belonged to indigenous communities.Kudmi Mahto community for Adivasi landscape in Bihar,Jharkhand and Orissa fought against British since 1757 just after Clive defeated Siraj in Plassy and we branded all indigenous rulers from Maharashtra to Assam,bihar,Jharkhand,MP and Bengal as criminals.Chuar Vidroh is all abot that.The history has no record as I have been engaged to onect the missing links.

Now 

Soumyadip Mahato writes about Unknwn Kurmies Sheetal Mahato,Ganesh Mahato,Sahadev Mahato and Mohan mahato who were killed in Jungle Mahal in Bengal while the police opened fire on 25th January 1930.on 30th September the rebels attacked Manbajar Tahna where Chunaram Mahato and Govind Mahato were killed by British.Raghram Mahato is a legend.Rest of India is quite unaware about the Char revolt from 1767 to 1805.
Palash Biswas



Soumyadip Mahato writes

স্বাধীনতার এত বছর পরেও কুড়মী/ মাহাত স্বাধীনতা সংগ্রামীরা ইতিহাসের পাতায় জায়গা পেল না, শহীদের মর্যদা তো অনেক দূরে। এদের মধ্যে লাঠি চর্চা, তিরন্দাজ প্রভৃতি জন্মগত। 1930সালে 15ই জানুয়ারী সত্যকিংকর দত্তের স্মরন সভায় 144ধারা জারী করে ব্রীটিশ সরকার নিরস্ত্র আন্দোলন কারীদের উপর গুলি চালায় শহিদ হন শীতল মাহাত, গনেশ মাহাত, গোকুল মাহাত, সহদেব মাহাত, মোহন মাহাত এই স্মরন সভা আজও সত্যমেলা নামে পরিচিত। 1942সালে 30শা সেপ্টেম্বর মান বাজারে থানা আক্রমন কালে শহিদ হন চুনারাম মাহাত, গোবিন্দ মাহাত। রঘুনাথ মাহাত র অবদানের কথা অনেকে শুনে থাকবেন। 1767 থেকে 1805 চূয়াড় বিদ্রোহের ইতিহাসে কুড়মীদের অবদান অপরিসীম, দুঃখের কথা এটাই ইতিহাস এদেরকে চূয়াড় বললেও ইতিহাসের পাঠ্যসূচীতে কারও নাম নেই। কুড়মীদের উপজাতি তালিকাতেও আর জায়গা নেই।
কৃতঞ্জতা স্বীকার

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Manotosh Bairagi সুনেত্রা দিপালী শাস্ত্র গ্রন্থের যৌনতা নিয়ে পোস্ঠ করায় তাকে এবং মতুয়াদের তীব্রতর ভাষায় আকাশ রায় নামক ব্যাক্তি আক্রমন করে। তার প্রতিবাদে শাস্ত্র গ্রন্থের কিছু নগ্ন চিত্র তুলে ধরার চেস্ঠা করছি।

$
0
0

Manotosh Bairagi


সুনেত্রা দিপালী শাস্ত্র গ্রন্থের যৌনতা নিয়ে পোস্ঠ করায় তাকে এবং মতুয়াদের তীব্রতর ভাষায় আকাশ রায় নামক ব্যাক্তি আক্রমন করে। তার প্রতিবাদে শাস্ত্র গ্রন্থের কিছু নগ্ন চিত্র তুলে ধরার চেস্ঠা করছি।

((((((((((((( ধর্ষক - ধর্মারতার ))))))))))))

চতুর্থ পর্ব *********************
১৮) ছদ্মবেশী নায়ক আমি------------------
ক) ব্রহ্মা,বিষ্ঞু,মহেশ্বর তিন দেবতা ব্রহ্মনের ছদ্মবেশে অত্রীমুনির স্ত্রী অনুসুয়ার গৃহে প্রবেশ করে তাকে উলঙ্গ হয়ে খাবার দিতে বাধ্য করান।

১৯) কে কার সন্তান ****************
ক) মহাভারতে যযাতি উপখ্যানে মাধবী তিনরাজা ও এক ঋষির শয্যাভাগিনী হয়ে চারটি সন্তান প্রসব করেন।

২০) যৌন মিলনে অন্যের সাহায্য নেওয়া
*************************-********
যৌন মিলনের কলা কৌশল সম্বলিত কামসূত্র গ্রন্থ ব্রহ্মপুত্র গন রচনা করেন।এই কলা কৌশলের ভুমিকা এত কঠিন যে তা সম্পূর্ণ করতে দু- এক জন সাহা্য্য কারির প্রয়োজন হয়।
খ) কোন কোন মন্দিরে এই ধরনের ভঙ্গিমা খুদিত ও অঙ্কিত আছে।( সূর্য মন্দির)

২১) নৃত্য সভায় নগ্নতা ***************
ক) ইন্দ্র দেবতার সভায় রম্ভা,উর্বশী,মেনকা নাচত আর সুরাপায়ী দেবতারা ঐ অর্ধ নগ্ন রমনিদের দেহ তরঙ্গের উত্তাল ঢেউ উপভোগ করত।
খ) মুনিদের ধ্যান ভাঙ্গাতে মহিলাদের নগ্ন প্রায় নৃত্য হত।

২২) জুয়াড়িতে বাজী নারী।**--*
ক) আর্যরা জুয়াড়ী জাতি, তারা রাজ্য,কন্যা,স্ত্রী দের বাজী রাখত। 
নল রাজা রাজ্য বাজী রেখে জুয়া খেলেন।
খ) পান্ডবরা রাজ্য এবং তাদের স্ত্রী দ্রৌপদীকে বাজী রেখে দুটোই হারান।

২৩) সকল কাজের আগে যৌনক্রিয়া
******************************
ছান্দোগ উপনিষদে দেখা যায় যে,যখন কোন ঋষি যজ্ঞ সম্পাদন কাজে নিযুক্ত থাকবেন, তখন কোনো মহিলা যদি সেই ঋষির সঙ্গে যৌন মিলনের ইচ্ছা প্রকাশ করে তবে সেই ঋষি তৎক্ষনাত যজ্ঞ সম্পূর্ণ না করে ঐ যজ্ঞ মন্ডপে জনসম্মুখে যৌন সঙ্গমে লিপ্ত হবেন। 
ঋষিদের এই কাজটিকে " বামদেব ব্রত " বা " বামমার্গ" বলে।
২৪) ও আমার বেশ্যা মাটি তোমার পরে ঠেকাই মাথা।
দুর্গা পূজায় বেশ্যামাটি বা বেশ্যাদার মৃত্তিকা ব্যাবহার করা হয়। শাস্ত্রকার রা মনে করেন বেশ্যাদ্বার পুন্যশোষী। যে বেশ্যালয়ে প্রবেশ করে তার সমস্ত পূন্যবল ঔ বেশ্যাদ্বার শোষন করে নেয়।বেশ্যাগামী পুরুষ পূন্য রিক্ত হয়ে ঐ পাপগৃহে প্রবেশ করে। যেহেতু ঐ বেশ্যাদ্বার সকল পুরুষের পুন্যশোষন করে তাই এ মাটি পবিত্র ও মহামায়ার স্নানের উপযোগী।


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

महत्वपूर्ण खबरें और आलेख अंबेडकर की बात करने वाले रोहित वेमुला की तरह मार दिये जायेंगे!!!

$
0
0

हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

আজ লড়াইয়ের দিনে লড়াইয়ের মাঠে লড়াই হয়ে লড়বো আমরা.. জোনাকিরা আজ বিপ্লবী হয়ে রাজপথটাকে দিক পাহারা...students and research scholars of various institutions of West Bengal are going to organize a seminar on 9 May 2016 at 4-30 pm at Bharat Sava Hall, Kolkata. .

$
0
0


Dear comrade, 

We the students and research scholars of various institutions of West Bengal are going to organize a seminar on 9 May 2016 at 4-30 pm at Bharat Sava Hall, Kolkata. For last one year, we have seen that the higher education institutes were attacked planfully by the rightwing Hindutva forces. FTII, Pune was the first place, where the Hindutva forces got the first full length resistance. The struggle of FTII has inspired the whole student community of this country to come forward in resisiting the Hindutva forces. The most important event of last one year was perhaps the 'institutional murder' of Rohith Vemula in HCU. The casteist ruling party and the stooge authority of HCU had compelled Rohith to commit suicide. The student community across the country has erupted into protests after the institutional murder of Rohith. We have witnessed the students from various universities and institutions held hunger strike against this incident. The nexus between the Hindutva forces and the JNU authority has created much tension in the campus. Arresting students from campus itself, punishing students on the basis of 'doctored footages' are unprecedented incidents, which reminds us the horrific memory of emergency if not more the reign of Hitler. The recent developments in JNU, HCU and JU had cleared the intentions of the Hindutva forces. The student community of this country is aware of the fact that how the neo-liberal attack is coming down on us every day. No one is allowed to debate the issues of Kashmir or Manipur in a spirit of freedom of opinion. Only a few talk about the silent genocide of the farmers of the country. The only chant is "Bharat Mata Ki Jai" and whoever denies submitting to the ultra-nationalist propaganda of Hindutva Forces to hide the neo-liberal attacks on the people of this country, is becoming a traitor to the nation. 

The incident of Rohith's institutional murder has accelerated the battle between the students community and the Hindutva forces. The government has tried to make people forget the issue but the students have refused to leave the battle for Rohith. This incident has united the students community, who largely are divided into a lot of political parties/groups following different political narratives and many more who stands outside of the political rhetoric; everyone has been compelled to take position and to revisit their political lines & programmes. This incident united the struggle of the student community crossing the organizational and regional barriers. The issue of social justice became one of the primary points of concern for the students' movement in India. 

However, in this turmoil, the student community of West Bengal was not a direct part. We came up with our solidarity with your cause. The vision, we learnt since the spontaneous movements of students against incidents of assaults over women in WB or against 377 or against a couple of other sorts of social discrimination in the second decade of this century largely following inception of Hok Kolorob movement has played a pivotal role in making of our ideas in recent past. Under the light of Hok Kolorob, we are in a direction to uphold the multiplicity and plurality of ideas of the recent students' movements is the primary strength of these movements against the fascist attack, which is by default trying to create a monolithic hegemony over the Indian society and its people. Kolorob has taught us that in this new era of student movements the exchange of diverse ideas is important in engaging ourselves in a spontaneous movement. To understand the new journey of the students movement in this country, we need a space to interact not only among the organizations but most importantly among the ideas, which today we believe will come from the history of movement and ideology as well as from the ongoing students' struggle beyond the party-banners . Understanding the divergent ideas, forms and contents of these movements will help us to generalize the new path of students' movement in the country and will also help us to articulate a greater unity among the students community against fascist attacks which undoubtedly are the prior concerns.

Therefore, we invite you to participate in the seminar-

INTERACTING STUDENT MOVEMENTS : EMERGING NEW?


Speakers:
Rama Naga (JNU)
Shehla Rasid(JNU)
Ishan Anand (JNU)
Sunkanna Velpula (HCU)
Swarnendu Barman (JU)
Shraman Guha (JU)
Rana Abir Mirdha (JU)
Surjo Basu (Presidency University)
Trisha Chanda (Presidency University)
There will be other speakers from Pondichery University, Burdwan University and Delhi University and HCU.

Deshdrohi Arnab Majumder

আজ লড়াইয়ের দিনে লড়াইয়ের মাঠে লড়াই হয়ে লড়বো আমরা..
জোনাকিরা আজ বিপ্লবী হয়ে রাজপথটাকে দিক পাহারা....

আশুতোষ কলেজে শাসকের নজিরবিহীন সন্ত্রাসের বিরুদ্ধে আবার সঙ্ঘবদ্ধ ছাত্র সমাজ। আশুতোষ কলেজের ছাত্রী ঋতুপর্ণার ওপর টিএমসিপির সন্ত্রাসের ব্যাপারে আপনারা ইতিমধ্যে জেনেছেন ফেসবুকে,বন্ধুদের কাছে বা অন্য কোনো সংবাদ মাধ্যমে।বিরোধীদের ওপর এই হামলা নতুন নয়।সমগ্র ভারত জুড়েই নানা সময় নানা ভাবে বিরোধীদের কণ্ঠরোধের চেষ্টা চলছে।আর বিরোধীদের মধ্যে হামলার বিষয়টিতে আলোকপাত করতে গেলে বলতেই হয় এই আক্রমণের চূড়ান্ত রূপ সমাজে প্রতিনিয়ত নেমে আসছে সদাজাগ্রত ছাত্র সমাজের ওপর।আমরা এই আক্রমণ শুধু টিএমসিপি বনাম sfi এর লড়াই এর বাইনারি তে ফেলছিনা।এই আক্রমণ আবশ্যিক ভাবেই সমগ্র ছাত্রসমাজের ওপর নেমে আসা শাসকের করাল থাবার একটি অংশ।
আজ আমরা কয়েকজন বন্ধু মিলে এই সন্ত্রাসের প্রতিবাদ স্বরূপ নিজেদের দলমত ujjho রেখে আবার একতৃত হয়েছি।আজ দুপুরে ভবানীপুর থানায় আমরা বন্ধুরা মিলে এই সন্ত্রাসের বিরুদ্ধে রুখে দাঁড়ানোর শপথ নিয়ে একটি ডেপুটেশন জমা দিয়েছি।থানায় কার্যরত পুলিশ অফিসার গুরুত্ব দিয়ে বিষয়টি দেখার কথা নিশ্চিত করেছেন।এভাবেই বারবার শাসকের আক্রমণ নেমে আসছে ছাত্র সমাজের ওপর...প্রতি মুহূর্তে...হয়তো এই সময়ও। আর থেমে থাকার সময় নয় বন্ধু।শাসকের হাতের অস্ত্র কথা বলে...ছাত্র সমাজ অস্ত্র সজ্জিত না হলেও দুর্বল নয়.....আমাদের হাতে বন্দুক নেই,নেই ধারালো অস্ত্রও... কিন্তু আছে কলম ,রং পেন্সিল আর কিছু স্বপ্ন....আমরা লড়বোই....

লাল সেলাম


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

प्रो. ऐलिनार जेलियट का अमेरिका में निधन हो गया । वे 90 वर्ष की थी । उन्होंने बाबा साहेब डॉ. बी आर आंबेडकर और उनके नेतृत्व में हो रहे दलित आंदोलन पर शोध कार्य किया और आंदोलन के साथ जुड़ी रही । वे निरंतर दलित आंदोलन पर लिखती रही ।

Next: Despite the vote bank mobilization,RSS led Hindutva governance is not ready to scrap the black law Citizenship amendment act and as long as the law remains some amendments and some provision like working permit type citizenship may not help refugees at all.Thus,refugees should prepare themselves for longer and stronger movement and do every thing to stand united rock solid. Rather RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA and it would be a tougher challenge to defend our people already deprived of citizenship,civic and human rights even in Bengal not to mention Assam or any other part of the Nation. I have nothing to do with leadership or caste in fight!I would support the refugee cause and its unity whatsoever might come,whosoever might lead! I would like refugee leaders to stand united and refrain from caste oriented politics as well as political interference as we have already seen the self destruction of our great Matua Movement led by Harichand Guruchand Tahkur. Palash Bi
$
0
0
Dalip Katheria

कल रात को सूचना मिली कि प्रो. ऐलिनार जेलियट का अमेरिका में निधन हो गया । वे 90 वर्ष की थी । उन्होंने बाबा साहेब डॉ. बी आर आंबेडकर और उनके नेतृत्व में हो रहे दलित आंदोलन पर शोध कार्य किया और आंदोलन के साथ जुड़ी रही । वे निरंतर दलित आंदोलन पर लिखती रही । उनके 80 से ज्यादा शोध आलेख और तीन पुस्तकें प्रकाशित हुई है । वे दलित अस्मिता पत्रिका की विशिष्ट परामर्शकर्ता भी थी । वे दलित आंदोलन और दलित साहित्य के साथ बहुत भावनात्मक रूप से जुडी हुई थी ।

प्रो. ऐलिनार जेलियट को दलित अस्मिता, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ दलित स्ट्डीज (IIDS) एवं सेन्टर फॉर दलित लिटरेचर एंड आर्ट की तरफ से सादर नमन और विनम्र श्रद्धांजलि ।

Dalip Katheria's photo.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Despite the vote bank mobilization,RSS led Hindutva governance is not ready to scrap the black law Citizenship amendment act and as long as the law remains some amendments and some provision like working permit type citizenship may not help refugees at all.Thus,refugees should prepare themselves for longer and stronger movement and do every thing to stand united rock solid. Rather RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA and it would be a tougher challenge to defend our people already deprived of citizenship,civic and human rights even in Bengal not to mention Assam or any other part of the Nation. I have nothing to do with leadership or caste in fight!I would support the refugee cause and its unity whatsoever might come,whosoever might lead! I would like refugee leaders to stand united and refrain from caste oriented politics as well as political interference as we have already seen the self destruction of our great Matua Movement led by Harichand Guruchand Tahkur. Palash Bi

$
0
0
Despite the vote bank mobilization,RSS led Hindutva governance is not ready to scrap the black law Citizenship amendment act and as long as the law remains some amendments and some provision like working permit type citizenship may not help refugees at all.Thus,refugees should prepare themselves for longer and stronger movement and do every thing to stand united rock solid.

Rather RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA and it would be a tougher challenge to defend our people already deprived of citizenship,civic and human rights even in Bengal not to mention Assam or any other part of the Nation.
I have nothing to do with leadership or caste in fight!I would support the refugee cause and its unity whatsoever might come,whosoever might lead!
I would like refugee leaders to stand united and refrain from caste oriented politics as well as political interference as we have already seen the self destruction of our great Matua Movement led by Harichand Guruchand Tahkur. 

Palash Biswas

Namoshudra sangathan traditionally headed Dalit movement in Undivided Bengal and it is not only a caste organisation.The original organization might not be traced at all.I know very little about the All India Namoshudra Vikash Parishad and its activities neither I am concerned as no caste organization has hitherto played any significant role to voice the plight of partition victim refugees.


I am concerned with the cause of Bengali Dalit refugees and basically I am interested in the Annihilation of Caste Mission launched by Baba Saheb.

Moreover I would never support in fight among the suffering masses.

Rather I would like our people to stand rock solid united.

Nikhil Bharat Udvastu Samanyaya Samity has the All India network and it is fighting the cause of the refugee welfare.

I believe that no one should disintegrate the hard earn unity of the Bengali Refugees on the name of caste organization.

I am not going to lead any organization nor the leadership matter for me.I support the cause and the unity of the suffering masses.

I am rather worried to read this news item and afraid that it would inflict the refugee organization sooner or later.

There are serious differences as there should be in any democratic organization.The leadership might be challenged and of course,might be changed if alternative leadership is ready to take over the helms of the organization and movement.

I would like refugee leaders to stand united and refrain from caste oriented politics as well as political interference as we have already seen the self destruction of our great Matua Movement led by Harichand Guruchand Tahkur. 

We should learn from it and try to unite ourselves as the plight of refugees scattered countrywide is bound to worsen and ULFA like elements are bound to create very dangerous problems sooner or later.

Despite the vote bank mobilization,RSS led Hindutva governance is not ready to scrap the black law Citizenship amendment act and as long as the law remains some amendments and some provision like working permit type citizenship may not help refugees at all.Thus,refugees should prepare themselves for longer and stronger movement and do every thing to stand united rock solid.

Rather RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA and it would be a tougher challenge to defend our people already deprived of citizenship,civic and human rights even in Bengal not to mention Assam or any other part of the Nation.

Please behave yourselves  with a wider Vision so we may work in the best interest of the deprived masses including the Dalit Hindu Partition Victims.


Dr.Subodh Biswas has done an excellent work to organize the All India network which I could not imagine while we first launched the organization in 2003 in Nagpur demanding to scrap the KALA KANOON,citizenship amendment act.

Until we have yet another leader to hold us together,it is better that he should continue.I have no problem.If the organization chooses another leader ,I would also corporate him. Because my cause and objective remain the same.
On the other hand,I would suggest my brother Dr.Subodh Biswas to opt for collective leadership and inclusion in leadership.

Why should he be overloaded with work?

But at the same time,criticism is not enough we have to assist Dr.Biswas to have an efficient team to continue the movement.I do not question his integrity and do not challenge his tactical line in accordance with different situation.

I would like him not to be involved in caste politics as he is the refugee leader,not caste leader.

---------- Forwarded message ----------
From: Subodh Biswas <subodhbiswas1@gmail.com>
Date: 2016-06-07 16:00 GMT+05:30
Subject: গাজোলে "অলইন্ডিয়া নমশূদ্র বিকাশ পরিষদের" সম্মেলন সফল।সংগঠন বিরোধী কার্যকলাপের জন্য মুকুল বৈরাগ্য ও যুগল কিশোর সরকার সংগঠন থেকে বহিস্কৃত। রাষ্ট্রব্যাপি নমশূদ্র সংগঠন করার সংকল্প। শ্রী হরিপদ বিশ্বাস।
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>



          গাজোলে "অলইন্ডিয়া নমশূদ্র বিকাশ পরিষদের" সম্মেলন সফল।          গাজোলে "অলইন্ডিয়া নমশূদ্র বিকাশ পরিষদের" সম্মেলন সফল। 
  সফল।সংগঠন বিরোধী কার্যকলাপের জন্য  মুকুল বৈরাগ্য ও  যুগল কিশোর সরকার সংগঠন থেকে বহিস্কৃত। রাষ্ট্রব্যাপি নমশূদ্র সংগঠন করার সংকল্প। শ্রী হরিপদ বিশ্বাস। 


-- 
Dr Subodh Biswas
National President
Nikhil Bharat Bangali Udbastu Samanway Samiti
27, Bajrang Nagar, Jadumahal Road, Nagapur
Cell: 9422128897


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA महत्वपूर्ण खबरें और आलेख कांग्रेस की बीमारी का इलाज कोई प्रशांत किशोर नहीं कर सकता

Next: पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं! फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा! वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं। अमेरिकी लोकतंत्र मे�
Previous: Despite the vote bank mobilization,RSS led Hindutva governance is not ready to scrap the black law Citizenship amendment act and as long as the law remains some amendments and some provision like working permit type citizenship may not help refugees at all.Thus,refugees should prepare themselves for longer and stronger movement and do every thing to stand united rock solid. Rather RSS has handed over most sensitive Assam to ULFA and it would be a tougher challenge to defend our people already deprived of citizenship,civic and human rights even in Bengal not to mention Assam or any other part of the Nation. I have nothing to do with leadership or caste in fight!I would support the refugee cause and its unity whatsoever might come,whosoever might lead! I would like refugee leaders to stand united and refrain from caste oriented politics as well as political interference as we have already seen the self destruction of our great Matua Movement led by Harichand Guruchand Tahkur. Palash Bi
$
0
0

हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं! फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा! वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं। अमेरिकी लोकतंत्र मे�

$
0
0

पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की

और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं!

फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा!

वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं।


अमेरिकी लोकतंत्र में सर्वोच्च पद को छूने की लड़ाई में किसी स्त्री के शामिल होने में ही पूरे 227 साल लग गये तो हम भारतीय नागरिक की हैसियत से गर्व से कह सकते हैं कि हमने 1969 में ही किसी इंदिरा गाधी की देश की बागडोर थमा दी थी और भारत की राष्ट्रपति भी कोई महिला प्रतिभा ताई बन चुकी हैं और भारत के राष्ट्रपति पद पर दलित,सिख और मुसलमान भी चुने जाते रहे हैं और फिल वक्त अमेरिकी संसद ,समूची अमेरिकी सत्ता और सरकार ,समूची व्यवस्था को एकमुश्त जो संबोधित कर रहे हैं,वे नरेंद्र भाई मोदी भी किसी भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान के तहत पूर्वचायवाला एक ओबीसी शूद्र संतान हैं।फिरभी भारत में पितृसत्ता और मनुस्मृति दोनों निरंकुश हैं।

याद रखें कृपया कि बाबासाहेब का जाति उन्मूलन  मिशन मसीहावृंद की अखंड गद्दारी के बावजूद अभी खत्म हुआ नहीं है और मुक्तबाजारी एजंडा भारत की सरजमीं पर लागू करने से पहले तमाम किसानों, आदिवासियों, मेहनतकशों, छात्रों और युवाओं,पितृसत्ता के खिलाफ तेजी से लामबंद होने वाली तमाम स्त्रियों और पूरी बहुजन आबादी के सफाये बिना मुक्तबाजारी मनुस्मृति राजसूय किसी वाशिंगटन के श्वेत महोत्सव में भी हो तो यह विचित्र देश भारतवर्ष किसी एक रंग से रंगेगा नहीं।समता और न्याय की लड़ाई जुल्मोसितम के इंतहा के बावजूद,हजारों लाखों रोहित वेमुला के कत्लेआम के बावजूद रुकेगी नहीं।हम रहे न रहे।


पलाश विश्वास


हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

हिलेरी क्लिंटन के लिए चित्र परिणाम

अधिक चित्र


हिलेरी रोढम क्लिंटन

वकील

हिलेरी डायेन रोढम क्लिंटन अमरीका के न्यूयॉर्क प्रांत से कनिष्ठ सेनेटर हैं। वे अमरीका के बयालीसवें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और सन् 1993 से 2001 तक अमरीका की प्रथम महिला रहीं।विकिपीडिया

जन्म: 26 अक्तूबर 1947 (आयु 68), शिकागो, इलिनॉय, संयुक्त राज्य अमेरिका

जीवनसाथी: विलियम क्लिंटन (विवा. 1975)

बच्चे: चेलसा क्लिंटन

शिक्षा: Yale Law School (1969–1973),


राजनीति की बात छोड़ें ,अब सिर्फ अमेरिका ही नहीं,पूरी दुनिया में यह उम्मीद पुख्ता होने जा रहा है कि पुरुष वर्चस्व के रंगभेदी व्हाइट हाउस में अश्वेत राष्ट्रपति की तरह भारत में शनिमंदिर के गर्भगृह में स्त्री प्रवेश की तरह मैडम हिलेरी क्लिंटन मैडम राष्ट्रपति बन सकती हैं और पहले ही पति के सौजन्य से अमेरिकी की फर्स्ट लेडी रही, पहले अश्वेत राष्ट्रपति की पहली विदेश मंत्री रही हिलेरी पितृसत्ता को खूब जबरदस्त झटका देने वाली हैं।




अमेरिकी लोकतंत्र में सर्वोच्च पद को छूने की लड़ाई में किसी स्त्री के शामिल होने में ही पूरे 227 साल लग गये तो हम भारतीय नागरिक की हैसियत से गर्व से कह सकते हैं कि हमने 1969 में ही किसी इंदिरा गाधी की देश की बागडोर थमा दी थी और भारत की राष्ट्रपति भी कोई महिला प्रतिभा ताई बन चुकी हैं और भारत के राष्ट्रपति पद पर दलित,सिख और मुसलमान भी चुने जाते रहे हैं और फिल वक्त अमेरिकी संसद ,समूची अमेरिकी सत्ता और सरकार ,समूची व्यवस्था को एकमुश्त जो संबोधित कर रहे हैं,वे नरेंद्र भाई मोदी भी किसी भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान के तहत पूर्वचायवाला एक ओबीसी शूद्र संतान हैं।फिरभी भारत में पितृसत्ता और मनुस्मृति दोनों निरंकुश हैं।


अगले माह सम्मेलन में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनेंगी हिलेरी

मीडिया के मुताबिक अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला, न्यूयार्क की सीनेटर और पूर्व विदेश मंत्री आधिकारिक तौर पर अगले माह सम्मेलन में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनेंगी और रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से आम चुनाव में मुकाबला करेंगी।


हाल में जनमत सर्वेक्षण से पता चला है कि ट्रंप की तरह ही हिलेरी भी सर्वाधिक लोकप्रिय उम्मीदवारों में से एक हैं। बतौर विदेश मंत्री निजी ईमेल सर्वर के इस्तेमाल के मामले से जुड़े विवाद ने हिलेरी की पारदर्शिता और उनकी ईमानदारी पर सवाल खड़े किए हैं। रिपब्लिकन पार्टी के लोगों का मानना है कि विदेश मंत्री के रूप में हिलेरी की विदेश नीति का रिकॉर्ड लीबिया और रूस से व्यवहार को लेकर खराब रहा है। इससे उनके उम्मीदवार को बड़ा लाभ पहुंच सकता है।


इतिहास बल देने से इतिहास बनता नहीं है और इतिहास बनाने के लिए पीढ़ियों की कुर्बानियों के हजारों साल की लड़ाई अनवरत जरुरी है जो सत्ता के दम पर शर्टकट से धर्मस्थल बनाने का दंगा फसाद नरसंहारी सुधारों का करतब होता नहीं है।


भारत के किसानों,आदिवासियों,आजादी के सेनानियों के ख्वाबों के रंग किसी विशुध उन्माद के विजयपताका के बजरंगी युद्धोन्माद से खत्म हो नहीं जाते और मरे अधमरे वे ख्वाब फिर फिर सत्ता के प्रतिरोध के मोर्चे में तब्दील होंगे।


असम और पूर्वोत्तर में आग जलाने वाले और मीडिया पर सारस्वत वर्चस्व के दम पर मसीहाई लेखनी के फतवे से बाबासाहेब को प्रूफ रीडर बताने वाले भी सोच लें कि उनके कल्कि अवतार का कायाकल्प भी आखिरकार बाबासाहेब के मिशन का नतीजा है।


किसी के चेहरे से कुछ बदल रहा होता तो असम उल्फा के हवाले न होता और न देश और देश के प्राकृतिक संसाधन,राष्ट्र की एकता,अखंडता,संप्रभुता और नागरिकों की जान माल गोपनीयता आजादी सुरक्षा देशी विदेशी पूंजी के हवाले होता और देश के किसानों,मेहनतकशों,छात्रों, युवाओं स्त्रियों और आदिवासियों के हकहकूक का रोज रोज कत्लआम होता और जल जंगल जमीन और नागरिकता की डकैती होती और फिजां इसतरह कयामत बन जाती कि ग्लेशियर भी दावानल से पिघलने लगे हैं और समुंदरों में आग लगी है।आसमान गिर रहा है और जमीन दहक रही है।यह धर्मराष्ट्र का समाज वास्तव है।


याद रखें कृपया कि बाबासाहेब का जाति उन्मूलन  मिशन मसीहावृंद की अखंड गद्दारी के बावजूद अभी खत्म हुआ नहीं है और मुक्तबाजारी एजंडा भारत की सरजमीं पर लागू करने से पहले तमाम किसानों, आदिवासियों, मेहनतकशों, छात्रों और युवाओं,पितृसत्ता के खिलाफ तेजी से लामबंद होने वाली तमाम स्त्रियों और पूरी बहुजन आबादी के सफाये बिना मुक्तबाजारी मनुस्मृति राजसूय किसी वाशिंगटन के श्वेत महोत्सव में भी हो तो यह विचित्र देश भारतवर्ष किसी एक रंग से रंगेगा नहीं।समता और न्याय की लड़ाई जुल्मोसितम के इंतहा के बावजूद,हजारों लाखों रोहित वेमुला के कत्लेआम के बावजूद रुकेगी नहीं।हम रहे न रहे।


सत्ता का चेहरा पितृसत्ता और मनुस्मृति के विश्वव्यापी ग्लोबल तिलिस्म में अमेरिका और भारत में बार बार बदलते रहे हैं। फिरभी न अमेरिकी राष्ट्र का रंगभेदी चरित्र बदला है और न भारत में शाश्वत सनातन मनुस्मृति शासन का सिलसिला टूटा है।


इसलिए अब भी न स्त्री का कोई अधिकार है और न कोई मानवाधिकार है।


किसी राष्ट्र को राष्ट्र बनने के लिए उसका अखंड भूगोल और गौरवशाली इतिहास ही काफी नहीं है।


क्योंकि किसी राष्ट्र को राष्ट्र बनने के लिए सर्वशक्तिमान सत्ता का प्रतीक वर्ण वर्चस्व रंगभेद सबसे बड़ा अवरोध है।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जबतक कानून का राज नहीं है।

लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जब तक राष्ट्र का संविधान सर्वत्र समान तौर पर लागू नहीं होता।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जब तक सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और समान न्याय नहीं है।


लोकतंत्र तब तक लोकतंत्र नहीं है जबतक उत्पीड़ितों वंचितों और हाशिये पर खढ़ी मनुष्यता की कोई सुनवाई कहीं नहीं है।


न धर्मोन्माद राष्ट्रवाद है और न युद्धोन्माद राष्ट्रवाद है।


धर्मोन्माद और युद्धोन्माद का जो रसायन अमेरिका है और जिस अमेरिका के उपनिवेश में भारत तेजी से तब्दील पमाणु भट्टी है,उसकी परिणति महाविनाश है और मनुष्यता,सभ्यता और प्रकृति के लिए यह गहन अमावस्या की रात है और भोर को सूरज के सीने से आजाद किये बिना मुक्ति नहीं है।


जैसे मैडम हिलेरी के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने से अमेरिका और बाकी दुनिया में पितृसत्ता को तनिकआंच आने की भी उम्मीद नहीं है।क्योंकि वे भी उसीतरह घृणा और हिंसा की विश्वव्यवस्था की कठपुतली होंगी जैसे कि उनके निर्मम पितृसत्ता के घनघोर प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप,जिनने गद्दाफी के साथ गठजोड़ करके अरबों डालर बनाने के बाद व्हाइट हाउस के सिंहद्वार पर दस्तक दी है।हिलेरी ने ऐलान नहीं किया है और ट्रंप ने डंके की चोट पर ऐलान किया है,बाकी दोनों का एजंडा एकमेव सत्वमेव जयते है।जैसे भारत में नरम और गर्म हिंदुत्व का राजकाझ फिर वही मनुस्मृति है।


दोनों अमेरिकी आवाम के नहीं,बल्कि तेल अबीब से दुनिया पर राज करने वाले जायनी वैश्विक मुक्तबाजार के उम्मीदवार हैं न कि डेमोक्रेटिक पार्टी या रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जैसे कि हम देखते हैं।उसी दरगाह पर फिर शीश नवाने वालों में हमारे मसीहावृंद हैं तो समझ ले शाफ लफ्जों में कि हम एकमुश्त वाशिंगगटन और तेलअबीब के गुलाम प्रजाजन हैं और हम कुरुक्षेत्र हो न हो,हमारा वध ही उनका एजंडा है मुक्तबाजारी।धर्म फिर अधर्म है।


हमारी जाति की छठा इंद्रिय इतना प्रबल है कि जाति के अलावा हम हकीकत का सामना कर नहीं सकते कि हम गूंगे हैं,बहरे भी हैं हम और स्पर्श की कोई संवेदना नहीं है और हमारी जीभ पर स्वजनों के खून का जायका लगा है और हम हालात सूंघ भी नहीं सकते और इसीलिए हम देख नहीं पाते की भारत में भी रंग बिरंगे झंडों और डंडो से लैस तमाम विचारधाराओं के पाखंड के बावजूद सत्ता वर्ग में शामिल विभिन्न दलों,जातियों,मजहबों,नस्लो,क्षेत्रों के तमाम छोटे से बड़े जनपरतिनिधि आखिरकार पितृसत्ता के ही नुमाइंदे हैं जो राष्ट्र और लोकतंत्र का कोरोबार कर रहे हैं धर्मोन्माद और युद्धोन्माद के राष्ट्रवाद के सहारे मुनाफावसूली के मुक्तबाजार के लिए।


अश्वेत राष्ट्रपति बाराक हुसैन ओबामा के दो दो कार्यकाल के बाद अमेरिका नहीं बदला और न दुनिया बदली है।


अगर मैडम हिलेरी बनी अमेरिकी राष्ट्रपति तो डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनाने से जो सवा सत्यानाश के आसार है,वह कयामत का मंजर मैडम हिलेरी बंदल देंगी ऐसी उम्मीद कतई न करें।

मैडम हिलेरी के अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाने से स्त्री अधिकार और मानवाधिकार की गारंटी होगी,ऐसा कतई उम्मीद न करें।


जबतलक दुनिया कुरुक्षेत्र है और सियासत और मजहब दोनों महाभारत है तो राष्ट्र कुल मिलाकर नागरिकों का अबाध वधस्थल है जहां पितृसत्ता निरंकुश है और शतरंज की बाजी पर फिर वही द्रोपदी की देह है।

बहरहाल अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटनने सोमवार को डेमोकेट्रिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की जंग जीत ली।एकदम ताजा खबर यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के लिए हिलेरी क्लिंटनका डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनना तय हो गया है। न्यूजर्सी के प्राइमरी चुनावों में बर्नी सैंडर्स की हार के साथ ही हिलेरी की उम्मीदवारी पर मुहर लग गयी।


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी अगर अमेरिका की प्रेसीडेंट बन जाती हैं तो अमेरिका के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस गद्दी पर बैठेगी।


मीडिया के मुताबिक पुर्तो रिको में रविवार को दमदार प्रदर्शन के बाद हिलेरी को सुपरडेलीगेट का अतिरिक्त समर्थन भी मिल गया। इस तरह 68 वर्षीय हिलेरी उम्मीदवार बनने की दिशा में शीर्ष पर पहुंच गईं। सीएनएन की खबर के अनुसार, हिलेरी को 1812 प्लेज्ड डेलीगेट और 572 सुपर डेलीगेट का समर्थन हासिल है। इस तरह उनके पास कुल 2384 प्रतिनिधि हैं। यह संख्या उम्मीदवारी पाने के लिए जरूरी संख्या से एक अधिक है।


ओबामा के दोहरे कार्यकाल के चूंचू के मोरब्बे के बाद ऐसी उम्मीद पंचायती राज के प्रधानपतियों के राजकाज से कुछ बेहतर नहीं होगा,समझ लें।यह ऐसा ही है जैसे ओबीसी प्रधानमंत्री से संघ परिवार के नियंत्रण और संघ परिवार के हिंदुत्व एजंडा के खिलाफ दलितों,पिछड़ों, आदिवासियों,अल्पसंख्यकों और बहुजनों की बेहतरी के राजधर्म और राजकाज की की समरस प्रस्तावना भारतीय संविधान की प्रस्तावना को सिरे से खारिज कर देने की है।


अमेरिका के 240 वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली महिला बनना तय हो गया है जो प्रमुख राजनीतिक दल के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी।हिलेरी ने खुद इस बात का खुलासा करते हुए कहा, 'अमरीका में किसी बड़ी पार्टी की तरफ से पहली बार महिला का प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट चुना जाना इतिहास रचने जैसे है।' गौरतलब है कि अमरीका के इतिहास में राष्ट्रपति पद के लिए आज तक कोई भी महिला उम्मीद्वार नहीं चुनी गई है। अमरीका में यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन 1789 में शुरु हुए थे। तब से पिछले 227 वर्षों में पहली बार किसी महिला को इस पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है।


मजा यह है कि अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से अपनी संभावित प्रतिद्वंद्वी हिलेरी क्लिंटनको विदेश मंत्री रहते हुए ई-मेल के दुरुपयोग के मामले में जेल भेजे जाने की बात कही है। ट्रंप ने गुरुवार को कैलिफोर्निया के सैन हौजे में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं कहूंगा कि हिलेरी क्लिंटनको जेल भेजा जाना चाहिए। वह अपराधी हैं।"


दूसरी तरफ,डोनाल्ड ट्रंप पर हमला तेज करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी स्वभाव के आधार पर राष्ट्रपति बनने के लिए अयोग्य हैं और विदेश नीति में उनके विचार खतरनाक रूप से बेतुके हैं।


ट्रंप के विचार खतरनाक ढंग से बेतुके

मीडिया के मुताबिक कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में हिलेरी ने कहा, 'हमारे देश और दुनिया के काफी लोगों की तरह ही मेरा भी मानना है कि रिपब्लिकन पार्टी ने जिसे राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना है वह यह काम नहीं कर सकता। डोनाल्ड ट्रंप के विचार सिर्फ अलग नहीं हैं...  बल्कि वे खतरनाक रूप से बेतुके हैं।'


विदेश मंत्री रह चुकीं 68 वर्षीय हिलेरी ने कहा, 'वे वास्तव में विचार भी नहीं हैं... वह सिर्फ बेकार का शोर, व्यक्तिगत गुस्सा और सरासर झूठ है।' भाषण के दौरान हिलेरी ने रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार 69 वर्षीय ट्रंप पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में ट्रंप द्वारा पहले दिए गए बयानों और उनके स्वभाव पर स्पष्ट बात की।


ट्रंप जैसों के पास कभी नहीं होना चाहिए परमाणु कोड

डेमोक्रेट नेता के इस भाषण को विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर महत्वपूर्ण बयान माना जा रहा है। हिलेरी ने कहा, 'वह स्वभाव के आधार ऐसे पद पर बने रहने के काबिल नहीं है, जिसके लिए ज्ञान, स्थिरता और जिम्मेदारी की भावना चाहिए। यह ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास परमाणु कोड कभी नहीं होना चाहिए... क्योंकि यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप ने सिर्फ किसी के उकसाने भर से हमें युद्ध में उलझा दिया।'


उन्होंने कहा, 'हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों की सुरक्षा डोनाल्ड ट्रंप के हाथों में नहीं सौंप सकते। हम उन्हें अमेरिका के साथ खेलने नहीं दे सकते। यही वह व्यक्ति है, जिसने कहा था कि सऊदी अरब सहित ज्यादा देशों के पास परमाणु हथियार होने चाहिए।'



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

निर्दोष आदिवासियों को पुलिस वाले अपनी तरक्की और नगद इनाम के लिए जेलों में डालते हैं Himanshu Kumar

Previous: पितृसत्ता के खिलाफ चुनौती हिलेरी की कांच की दीवार तोड़ डालने की और स्त्री अधिकार के बिना मानवाधिकार भी नहीं! फिरभी ओबामा के राष्ट्रपति बनने से जैसे अमेरिका नहीं बदला, हिलेरी की जीत से भी अमेरिका का रंगभेदी साम्राज्यवाद नहीं बदलेगा! वैसे ही जैसे वाशिंगटन में कल्कि अवतार के राजसूय और अमेरिकी सत्ता से भारतीय नेतृत्व के नत्थी हो जाने से भारत अमेरिका बनेगा नहीं। अमेरिकी लोकतंत्र मे�
$
0
0

निर्दोष आदिवासियों को पुलिस वाले अपनी तरक्की और नगद इनाम के लिए जेलों में डालते हैं

Himanshu Kumar

आज एक लेख पढ़ रहा था जो अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की संभावनाओं के विषय पर था 
उसमें कहा गया था कि अज्ञानता के साथ जब ताकत मिल जाती है तो न्याय के लिए सबसे बड़ा खतरा खड़ा हो जाता है 
यहाँ आज हम सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय की बात नहीं करेंगे 
आज हम अदालतों में मिलने वाले न्याय की बात करेंगे 
मैं आपको न्यायशास्त्र के बड़े सिद्धांत नहीं समझाऊँगा 
मैं आज आपके साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करूँगा

एक बार मनमोहन सिंह और चिदम्बरम नें अपने एक बयान में कहा था कि माओवादी अदालतों का सहारा ले रहे हैं 
यह बात उन्होंने तब कही थी जब हम छत्तीसगढ़ में सोलह आदिवासियों की हत्या का मुकदमा लेकर सुप्रीम कोर्ट में आये थे 
इन सोलह आदिवासियों की हत्या सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के सिपाहियों नें करी थी 
यानी बंदूक चलाना , बम फोडने को सरकार आपत्तिजनक और अलोकतांत्रिक हरकत माने तो यह बात हमें समझ में आती है 
लेकिन किसी का अदालत में न्याय की मांग करना करना कैसे माओवाद हो सकता है ?
या आप मानते हैं कि किसी को आपके खिलाफ़ अदालत में जाने का भी अधिकार नहीं है ?
खैर वो मुकदमा आज सात साल से लटका हुआ है

सुकमा ज़िले के नेंद्रा गाँव की दो लड़कियों को पुलिस वाले उठा कर ले गए थे 
एक लड़की के पिता को भी साथ में ले गए थे 
लड़की के पिता की गर्दन काट कर पुलिस कैम्प के सामने रख दी गयी 
लेकिन दोनों लडकियां कहाँ हैं इसका पता नहीं चल रहा था ? 
हमने इन लड़कियों के भाइयों की तरफ से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हेबियस कार्पस की अर्जी दायर करवाई 
इसमें पुलिस द्ववारा ले जाए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए मांग करी जाती है 
जब दोनों लड़कियों के भाइयों नें अदालत में अर्जी लगाईं 
तो पुलिस नें दोनों भाइयों का भी अपहरण कर लिया 
पुलिस नें इन भाइयों को मार पीट कर अदालत में पेश कर दिया 
इन दोनों भाइयों के वकील नें कोर्ट में कहा कि ये दोनों लड़के मेरे मुवक्किल हैं इन्हें कोर्ट में जो कहना होगा ये मेरे मार्फ़त कहेंगे 
पुलिस तो इस मामले में आरोपी है क्योंकि लड़कियों को गायब करने का आरोप तो पुलिस पर ही है 
और आरोपी प्रार्थी को अदालत में कैसे पेश कर सकता है ?
इस पर जज साहब नें वकील को धमकाया और कहा कि अगर आपने इस तरह अदालत के सामने बात करी तो आपका कैरियर खराब हो सकता है 
यानी जज अपनी कुर्सी पर बैठ कर अपहरण करने वाले पुलिस अधिकारियों का बचाव कर रहा था 
जज नें उन् लड़कों से लिखवा लिया कि हमारी बहनों के अपहरण के मामले में हमें पुलिस पर शक नहीं है 
और जज नें दोनों लड़कियों का पुलिस द्वारा अपहरण का वो मुकदमा तुरंत खारिज कर दिया

सोनी सोरी को थाने में निवस्त्र किया गया 
सोनी सोरी को बिजली के झटके दिए गए 
इसके बाद सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भर दिए गए 
सोनी सोरी नें बताया कि उसके साथ यह सब पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग की मौजूदगी में और उसके आदेश पर किया गया 
अब भारत का कानून क्या कहता है ?
कानून कहता है कि अगर आप पर कोई हमला करता है 
तो आप थाने जायेंगे और एक शिकायत दर्ज करवाएंगे 
पुलिस आपका डाक्टरी परीक्षण करवायेगी 
और आरोपी को गिरफ्तार करके अदालत में पेश करेगी 
और अगर पुलिस आपकी शिकायत ना दर्ज करे तो आप अदालत में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं 
सोनी सोरी नें सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी कि मेरे ऊपर इस तरह से थाने के भीतर हमला किया गया है 
सोनी सोरी का मेडिकल परीक्षण कराया गया 
मेडिकल कालेज ने सोनी के शरीर से पत्थर निकाल कर सुप्रीम कोर्ट को भेज दिए 
सोनी का आरोप सत्य साबित हो रहा था 
सुप्रीम कोर्ट को भारत के कानून का पालन करना चाहिये था 
सुप्रीम कोर्ट को पुलिस को आदेश देना चाहिये कि आरोपी पुलिस अधीक्षक के खिलाफ़ रिपोर्ट लिखी जाय और उसके खिलाफ़ मुकदमा चलाया जाय 
लेकिन आज चार साल बाद तक सुप्रीम कोर्ट की हिम्मत नहीं हुई है 
कि वह आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ़ कार्यवाही करने का आदेश दे सके 
और तो और डर कर मारे सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई ही नहीं कर रहा

छत्तीसगढ़ में जेलों में आपको ऐसे आदिवासी मिलेंगे जिहें इन आरोपों में जेल में डाला गया है कि इनके पास से चावल बनाने का बड़ा भगौना मिला 
और पुलिस का मानना है कि बड़ा भगौना नक्सलवादियों के लिए खाना बनाने के लिए होता है 
हांलाकि आदिवासी जब भी सामूहिक त्यौहार मनाते हैं तब वे लोग एक साथ चावल बनाते हैं
और उनकी अपनी पंचायत के पास बड़े भगौने होते हैं 
लेकिन जेलों में तीन तीन साल से आदिवासी पड़े हुए हैं क्योंकि उनके पास से पुलिस को बड़े भगौने मिले 
कोई इन आदिवासियों को न्याय नहीं दिला पा रहा है 
क्योंकि इन आदिवासियों के लिए लिखने वाले चार पत्रकारों को छत्तीसगढ़ सरकार नें जेल में डाल दिया है 
इन आदिवासियों को मुफ्त सहायता देने वाली महिला वकीलों को बस्तर छोड़ कर जाने के लिए मजबूर कर दिया गया है

आयता नामक एक आदिवासी युवक को पुलिस नें वोटिंग मशीनें लूटने के फर्ज़ी आरोप में जेल में डाला 
अदालत नें आयता को निर्दोष माना और उसे रिहा कर दिया 
आयता आदिवासियों के लिए आवाज़ उठाता रहा 
पुलिस नें दोबारा आयता को पकड़ कर फिर से वोटिंग मशीनें लूटने के फर्ज़ी आरोप में जेल में जेल में डाल दिया 
अदालत नें दुबारा निर्दोष आयता को रिहा कर दिया 
इसी महीने पुलिस नें तीसरी बार फिर से आयता को पकड़ कर जेल में डाल दिया है 
और उस पर वही पुराना आरोप लगाया है कि इसने वोटिंग मशीनें लूटी हैं 
यानी एक ही व्यक्ति पर तीन बार वही आरोप

इसी तरह कांकेर जेल में पदमा आठ साल से बंद है 
पदमा को कोर्ट नें दो बार रिहा किया है 
पहली बार पुलिस नें पदमा को पदमा पत्नी बालकिशन के नाम से जेल में डाला 
अदालत नें सन २००९ में पदमा को रिहा करने का आदेश दिया 
लेकिन पुलिस नें पदमा को नहीं छोड़ा बल्कि 
इस बार पदमा को पदमा पत्नी राजन के नाम से जेल में डाल दिया 
अदालत नें दुबारा पदमा को रिहा करने के लिए २०१२ में आदेश दिया 
लेकिन पुलिस नें उसे रिहा नहीं किया 
इस बार पुलिस नें पदमा को पदमा पत्नी नामालूम गांव नामालूम के नाम से पकड़ कर जेल में डाला हुआ है

लेकिन एक जज नें पुलिस द्वारा इस तरह निर्दोषों को फंसाए जाने पर आपत्ति करी 
सुकमा ज़िले में प्रभाकर ग्वाल नामक एक दलित जज नें पुलिस की हरकतों पर आपत्ति करी 
निर्दोष आदिवासियों को पुलिस वाले अपनी तरक्की और नगद इनाम के लिए जेलों में डालते हैं 
जज प्रभाकर ग्वाल नें इस सब पर आपत्ति करी 
इस पर पुलिस वालों नें हाई कोर्ट को इन जज साहब के खिलाफ़ शिकायत भेज दी 
हाई कोर्ट नें जज साहब को नौकरी से निकाल दिया 
यानी अगर आप पुलिस और सरकार के अन्याय में शामिल होंगे तभी आप जज बने रह सकते हैं 
अगर आपनें कानून की किताबों के अनुसार न्याय करने की कोशिश करी तो आपको निकाल कर बाहर कर दिया जाएगा 
मेरे पास अन्याय के ढेरों अनुभव हैं 
न्याय के लिए लड़ाई की ज़रूरत इन्हीं अनुभवों से पैदा होती है


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Never to Join BJP! A Letter by Sukriti Ranjan Biswas महत्वपूर्ण खबरें और आलेख आप सिर्फ ‘साहबों’ की क्यों सोचते हैं राष्ट्रवादी जी #मेरा_देश_बदल_रहा_है

$
0
0

हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

হস্তিনাপুরের ঘরপোড়া বাঙালিদের ঠিকানা কোথায় ?........... NIKHIL BHARAT BANGALI UDBASTU SAMANWAY SAMITEE President Dr.Subodh Biswas has posted this ground zero report about the Bengali Refugees resettled in the Mahabharat famous city Hastinapur and around in Meerut district in UP.Most of the refugees were employed ni Madan Cotton Mill Hastinapur which locked out in seventies.All these years, these helpless lot of partition victims had to survive without any survaval kit.Dr.Subodh Biswas presents their latest status report.

$
0
0



 হস্তিনাপুরের ঘরপোড়া  বাঙালিদের  ঠিকানা কোথায় ?...........


NIKHIL BHARAT BANGALI UDBASTU SAMANWAY SAMITEE President Dr.Subodh Biswas has posted this ground zero report about the Bengali Refugees resettled in the Mahabharat famous city Hastinapur and around in Meerut district in UP.Most of the refugees were employed ni Madan Cotton Mill Hastinapur which locked out in seventies.All these years, these helpless lot of partition victims had to survive without any survaval kit.Dr.Subodh Biswas presents their latest status report.

Palash Biswas


নাবাংলা ভাগ পূর্ববঙ্গের জনগোষ্ঠীকে সমূলে নিপাত করেছে। তার পরিনতি বিভিন্ন রাজ্যের ছিন্নমূল বাঙালিরা আজও কোমর খাড়াকরে দাড়াতে পারছেনা।উদ্বাস্তু  জীবন তাদের কাছে এক অভিশাপ।.
.........................
৭১ দশকের পরে পূর্ববাঙলা থেকে হাজার হাজার হিন্দু বাঙালি ঘরবাধার আশায় পাড়ী জমিয়ছিল উওর প্রদেশের হস্তিনাপুরে।তাদের ভাগ্যে পুনর্বসন জোটেনি। বাধ্যহয়ে হাজার হাজার পরিবার গঙ্গার বালুচরে অস্থায়ী ভাবে মাথাগোজার একটু ঠাই করেনিয়েছিল।মা গঙ্গা ব্যাজার হলেন।গঙ্গার প্লাবনে ক্ষনিকের মধ্যে সমস্ত ঘরবাড়ী নদীর কবলে চলেযায়।আবার তারা উদ্বাস্তু হয়েযায়।
..........................................
    বার বার গঙ্গামায়ের ছোবলথেকে বাঁচতে পার্শস্থ্য সরকারী ভূমীতে খড়কুটো দিয়ে ঘরবানিয়ে বসবাস করছে।আজও তারা ভূমীহীন।তাদের সাংবিধানিক কোন অধিকার নাই।উদ্বাস্তুদের কায়িক পরিশ্রম করে বেচেথাকতে হয়।লেখাপড়া তাদের কাছে অলিক স্বপ্ন। অর্থ ও খাদ্যের সন্ধানে সকাল বেলায় প্রতিদিন বেরিয়ে পড়তে হয় তাদের।
..................................
     অগ্নিদেবতা বিরুপ হলেন।সম্পূর্ন নাঙলা উদ্বাস্তু গ্রাম চোঁখের পলকে জ্বলে পুড়ে শ্বশ্বানের ছাই হয়ে যায়। প্রশাসনিক বিন্দুমাএ সাহায্য তারা পায়নি।এরুপ, এই গ্রামটি তিনবার পুড়েছে।অনেকের ধারনা ভূমি মাফিয়েদর  অপকর্মের স্বীকার হচ্ছে উদ্বাস্তুরা। 
..............................
২০১২ সালে গ্রামটি আবার পুড়েযায়। এবার  হতভাগ্য উদ্বাস্তুদের মাঝে আশার আলোহয়ে দেখাদেয় নিখিল ভারত বাঙালি উদ্বাস্তু স সমিতি নামক একটি সংগঠন। হস্তিনাপুর (UP)জেলাকমিটির সভাপতি রাজু রায় ও তপন ঢালীর নেতৃত্ব সাহায্যের হাতবাডিয়ে দেন।
.....................................
প্রদেশ সভাপতি উদ্বাস্তু দরদী ডা আর এন দাস ও সম্পাদক এ্যাড দীপঙ্কর বৈরাগী সহ অনেকে চাউল ডাউল নিয়ে ছুটে আসেন।প্রতিবেসী মেরাট কমিটির সভাপতি শ্যামল মন্ডল দলবলনিয় আত্মজদের পাশে দাড়ান।
কেন্দ্রীকমিটির সমাজব্রতি নেতা অম্বিকা রায়ের নেতৃত্ব দিল্লীথেকে ছুটেযান নিলিমা বিশ্বাস,গৌতম বিশ্বাস কমলেষ ঘরামী।দিল্লী কমিটির সম্পাদক তাপস রায়  সহ অনেকে সাহায্যের হাতবাড়িয়ে দেয়।মেরাটের সুপরিচিত জনপ্রিয় ব্যাক্তিত্ব ডা গৌতম বিশ্বাসের অবদান ভোলার নয়।
     পরবর্তিতি shri Nimai Sarkar,Adv Ambika Roy,Adv RRBagh ও আমি সেখানে গিয়েছিলাম। তাদের সমস্যা আজও বর্তমান। তারাকি ভারতের মাটিতে একটু মাথাগোজার স্থায়ী ঠিকানা পেতেপারে না ?
--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

पर्सनल लॉ में सुधार -राम पुनियानी

$
0
0

9 जून, 2016

पर्सनल लॉ में सुधार

-राम पुनियानी


सामाजिक असमानता को बढ़ावा देने वाली कई प्रथाओं को धर्म का चोला पहना दिया गया है। इससे, इन प्रथाओं  में बदलाव लाना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब भी इन प्रथाओं का विरोध होता है, उसे धर्म के विरोध के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। भारतीय पर्सनल लॉ का निर्माण अंग्रेज़ों ने किया था। उन्होंने कई अलग-अलग स्त्रोतों से ली गई सामग्री को इनका आधार बनाया था। ''धर्म''की व्याख्या मुख्यतः पुरूष करते आए हैं और वे ही यह तय करते आए हैं कि पूरे समाज के लिए क्या गलत है और क्या सही। सामाजिक कुप्रथाओं में बदलाव के प्रयास ब्रिटिश शासन में ही शुरू हो गए थे। समाज सुधारकों ने सती और बाल विवाह जैसी बुराईयों के विरूद्ध अभियान शुरु किए। इन समाज सुधारकों को दकियानूसी वर्ग के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। ये वर्ग, धर्म के नाम पर इन प्रथाओं को बनाए रखना चाहते थे।

इन दिनों हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों में समाज सुधार के कई अभियान चल रहे हैं। यह मांग की जा रही है कि उन हिंदू मंदिरों के द्वार महिलाओं के लिए खोले जाएं जिनमें अब तक उनका प्रवेश प्रतिबंधित है। इनमें शिर्डी का शनि शिंगणापुर मंदिर शामिल है। इसी तरह, मुस्लिम महिलाएं यह मांग कर रही हैं कि उन्हें मुंबई की हाजीअली दरगाह की ज़ियारत करने की इजाज़त दी जाए। वहां पिछले पांच सालों से महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण पहल में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने तीन बार तलाक शब्द का उच्चारण कर तलाक देने की प्रथा के विरूद्ध एक बड़ा अभियान शुरू किया है। बीएमएमए द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से यह सामने आया है कि करीब 92 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं तलाक की इस घिनौनी प्रथा के विरूद्ध हैं।

बीएमएमए ने अब तक इस तरह के तलाक और तलाक-ए-हलाला को समाप्त करने की मांग करने वाली याचिका पर 50,000 मुस्लिम महिलाओं के हस्ताक्षर करवा लिए हैं। तलाक-ए-हलाला की प्रथा के अंतर्गत, अगर कोई पुरूष, तीन बार तलाक कहकर घर से निकाल दी गई अपनी पत्नी से फिर से विवाह करना चाहता है तो उसके पहले, उस स्त्री को किसी दूसरे पुरूष से विवाह करना होता है और उसके साथ पति-पत्नि के संबंध स्थापित करने होते हैं। इसके बाद, दूसरा पति उसे तलाक देता है और तभी वह अपने पूर्व पति से फिर से विवाह कर सकती है। कई मौलाना ''अस्थायी पति''के रूप में अपनी सेवाएं देने को तैयार रहते हैं!

बीएमएमए का कहना है कि ये दोनों ही प्रथाएं गैर-इस्लामी हैं और इनकी कुरान में कहीं चर्चा नहीं है। बीएमएमए द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग को दिए गए एक ज्ञापन में कहा गया है कि, ''इस तरह के तलाक को कुरान मान्यता नहीं देती। कुरान के अनुसार, तलाक के पहले, 90 दिन तक आपसी बातचीत और मध्यस्थों के ज़रिए पति-पत्नी के बीच सुलह  कराने की कोशिश होनी चाहिए''। कई इस्लामिक विद्वान, इस मामले में बीएमएमए से सहमत हैं परंतु मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमायत-ए-इस्लामी बीएमएमए की मांग का विरोध कर रहे हैं। जमायत-ए-इस्लामी तो मुस्लिम महिलाओं के अभियान के विरूद्ध अपना अभियान शुरू करने को उद्यत है। जहां मुस्लिम पुरूषों के वर्चस्व वाली ये दोनों संस्थाएं बीएमएमए और अन्य मुस्लिम महिलाओं के संगठनों द्वारा समानता के लिए चलाए जा रहे अभियानों के खिलाफ हैं, वहीं कई प्रमुख मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक बीएमएमए के समर्थन में सामने आए हैं। जो महिलाएं समानता प्राप्त करने के लिए लड़ाई लड़ रही हैं और जो पुरूष इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं उनके बारे में यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वे आरएसएस-भाजपा के समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग को अपरोक्ष समर्थन दे रहे हैं।

यहां यह महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान सहित 21 मुस्लिम बहुल देशों में मुंहजबानी तलाक की प्रथा प्रतिबंधित है। इस मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए हमें कुरान और भारतीय संविधान दोनों का सहारा लेना होगा। जहां अल्पसंख्यकों के अपनी संस्कृति की रक्षा करने और अपने धर्म का पालन करने के मूल अधिकार का प्रश्न है, उससे कोई समझौता नहीं हो सकता। परंतु इसके साथ ही, अगर अल्पसंख्यक समुदाय के भीतर से ही सुधार की मांग उठती है तो नैतिक, सामाजिक और कानूनी आधारों पर उसे समर्थन देना भी उतना ही आवश्यक है। जो लोग बीएमएमए के अभियान का विरोध कर रहे हैं उनका यह भी कहना है कि मुसलमानों में तलाक की दर, अन्य धर्मावलंबियों से कम है। परंतु इस तर्क का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं को समान हक न देने के लिए नहीं किया जा सकता।

जहां तक मुस्लिम महिलाओं के इस संघर्ष को आरएसएस से जोड़ने का प्रश्न है हमें यह समझना होगा कि आरएसएस मूलतः पितृसत्तात्मक संगठन है और वह समान नागरिक संहिता का नारा केवल अल्पसंख्यकों को आतंकित करने के लिए लगाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसी आरएसएस ने अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए हिंदू कोड बिल का कड़ा विरोध किया था। संघ, उन सामाजिक सुधारों के विरूद्ध था जो हिंदू कोड बिल में प्रस्तावित थे। यह भी सही है कि तत्कालीन शासक दल कांग्रेस के कई नेता भी इस बिल के खिलाफ थे और इसी कारण इस बिल में कई संशोधन कर उसे कमज़ोर कर दिया गया था।

आरएसएस के गुरू गोलवलकर भी समान नागरिक संहिता के विरोधी थे। परंतु आगे चलकर, विशेषकर शाहबानो मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय और उसका मुसलमानों के एक बड़े वर्ग द्वारा मुस्लिम पर्सनल लॉ को अपरिवर्तनीय बताते हुए किए गए विरोध के बाद से आरएसएस, समय-समय पर समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग करता रहा है। शुरूआती दौर में कई महिला आंदोलन भी समान नागरिक संहिता के पक्ष में थे परंतु बाद में उन्हें यह एहसास हुआ कि समान नागरिक संहिता, दरअसल कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा लेकर एक नया कानून बनाने और उसे सब पर लादने का उपक्रम है। मूल मुद्दा यह है कि अधिकांश पर्सनल लॉ, सामाजिक पदक्रम की उस अवधारणा पर आधारित हैं, जो महिलाओं को द्वितीयक दर्जा देते हैं। इसलिए आज ज़रूरत ऐसे पर्सनल लॉ की है जो लैंगिक न्याय करता हो। मेरी यह मान्यता है कि अगर लैंगिक न्याय पर आधारित पर्सनल लॉ बनाया जाता है तो वह सभी समुदायों के लिए एक-सा होगा। समान नागरिक संहिता का आधार लैंगिक न्याय होना चाहिए। आंख बंद कर समान नागरिक संहिता लागू करना, महिलाओं के साथ अन्याय होगा।

क्या गैर-मुस्लिम भी मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुददे पर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं? यह प्रश्न इस लेखक सहित अन्य उन सभी लोगों के सामने उपस्थित है जो हर प्रकार की सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं और जिनकी यह मान्यता है कि सभी देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। सभी सामाजिक व राजनैतिक मुद्दों पर सभी लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए। जैसा कि कहा जाता है, एक स्थान पर अन्याय, सभी स्थानों पर अन्याय है। यहां प्रश्न केवल बीएमएमए जैसे आंदोलनों का समर्थन करने का नहीं है। कुरान में महिलाओं और पुरूषों की समानता के संबंध में जो बातें कहीं गईं हैं, कम से कम उन्हें तो लागू किया ही जाना चाहिए। कहने की आवश्यकता नहीं कि अन्य धर्म ग्रंथों की तरह कुरान की भी कई अलग-अलग व्याख्याएं उपलब्ध हैं। बीएमएमए, इस्लाम की शिक्षाओं के मानवीयता और न्याय संबंधी पक्ष को उजागर करने का काम कर रहा है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि हम उन सभी आंदोलनों और अभियानों का समर्थन करें जो पितृसत्तात्मकता को चुनौती दे रहे हैं। सभी धर्मों की महिलाओं और पुरूषों को आगे आकर सभी धार्मिक समुदायों में लैंगिक समानता की स्थापना की पहलों का समर्थन करना चाहिए। बहुपत्नी प्रथा व मुंहजबानी तलाक कुछ ऐसी कुप्रथाएं हैं जिनका हर हालत में विरोध किया जाना चाहिए। (मूल अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं।)



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

‪#‎JUSTICEFORANIRUDDHA‬ ‪#‎JUSTICEFORKAUSHIK‬ Lynched the student secured Hunderd upon hundred in Maths and this lynching trending in Bengal like Beef lynching countrywide. Palash Biswas

$
0
0

‪#‎JUSTICEFORANIRUDDHA‬
‪#‎JUSTICEFORKAUSHIK‬

Lynched the student secured Hunderd upon hundred in Maths and this lynching trending in Bengal like Beef lynching countrywide.

Palash Biswas

I am just quoting from Sayan Bhattacharjee`s Face Book Wall.A Dalit Student from Bengal having secured Cent Percent marks in Maths in Board exam has been lynched last day.It is back to back lynching in Bengal which is more inflicted with witch hunting culture as  women IAS officer had been lynched in Bantala way back in eighties.Again the Anandmargi Sadhus were lynched and burnt alive in the heart of Kolkata in eigties.Numbers of tribal women have to be lynched round the year.


Media repors:In another shocking incident that surfaced in Kolkata's Thakurpur district on last Thursday, 18-year old Aniruddha Biswas was beaten to death mercilessly over suspicion of stealing mangoes. Aniruddha, who was suffering from jaundice had gone to take a stroll in a park to catch some fresh air with a friend. Two men in their 40s accused him of pelting stones at a mango tree and breaking a window pane, and started beating him up severely as the bystanders watched.

The boy had to be later admitted to a hospital after he complained of abdominal pain and was passing blood in his urine. Aniruddha succumbed to his injuries on the night of Tuesday, June 7. His was his parent's only son. Aniruddha's father, Biswajit Biswas told The Telegraph, "Why would he steal mangoes? And does someone have the strength or the will to steal a mango while running a temperature of 102 degrees?"

The doctors of the private hospital treating Aniruddha said that he had died of "internal haemorrhage". The police have arrested two people in connection with beating him up, identified as Chinmoy Sardar, popular as a hothead and Vinod Balmiki, well known as an "alcoholic" in the neighbourhood. Both men have been charged with murder, while others who had joined in beating up the boy are absconding.




Just for example,a sub-divisional court in West Bengal's West Midnapore district on Monday awarded death sentences to seven persons, including a woman, for killing three women, after branding them as witches.


 Ghatal Sub-Divisional Court in West Midnapore district found fourteen accused of total 20 arrested guilty for committing the murder and acquitted the remaining six.

Besides giving death penalty to seven accused, the court awarded life imprisonment sentences to six others. The court also imposed a penalty of rupees 60,000 on each of them. The remaining one, however, was sentenced to nine years in prison.

On Oct 16 in 2012, three adivasi women of same family were beaten to death by local villagers at Dubrajpur village under Daspur block area in West Midnapore district, after being branded as witches. Their bodies were recovered from a riverside area nearby. As many as twenty persons were arrested in the case.


And look!Hours after a court awarded death sentence to seven persons in connection with the lynching of three women in West Midnapore on suspicion of being witches, a woman was lynched at Debra area in the West Midnapore district on Monday night on the suspicion of witchcraft.


A senior district police officer said Sambari Tudu, 45, was dragged from her house at Birsinghpur hamlet under Debra police station area by some locals late last night after a local village court held a sitting and blamed her for the death of some neighbours due to ailments. She was thrashed after being tied to a post and as she slumped to the ground the attackers left the spot, the officer said quoting some eyewitnesses.


It is the mob which serves the punishment.it is the law and order management by the mob and rule of law no where!Many politicians might have linked the Dadri lynching incident to religion, but at its very core, it was a law and order issue, where an angry mob of misguided youth and irrationally thinking individuals, driven by extreme hatred took the law in their own hands and killed an innocent man. The man's fault? His choice of meat, which is even still not clear was beef or not. But even if it was beef, that cannot be a valid reason for ending a precious human life.




We condemn the Beef lynching countrywide these days.The situation in Bengal is mre brabric as it has been showcased in the National capital time and again where the non Aryan North East students and African as well are tharshed to death under the nose of Raiseena Hills and Rule of law absconding.It is trending very dangerously.


Two brilliant students belonging to underclass and struggling to shine with their quest for knowledge have been lynched back to back.


I am resharing the post of a Jadavpur University girl student who saved such a victim of mass lynching in a running train and she was targeted next,She was thrashe and had to be rescued.She left for the university to sit in exam with ID and Admit card.These documents saved her life.


But Kaushick in Diamond Harbour and Aniruddha in South Kolkata Sub Urban Thakur Pukur were not asked for cerednetial and charged with Bugffallow theft and Mango theft respectively and simply lynched!


Diomond Harbour.A 24-year-old ITI student was lynched by a mob, which accused him of being a cattle thief, in West Bengal's South 24 Parganas district, police said on Tuesday. One of the alleged attackers has been arrested.

The incident happened on Monday evening at Harindanga in Diamond Harbour where the victim Koushik Purakait had come to visit his relatives.

According to the complaint filed by the family, a large mob thrashed Koushik accusing him of having stolen a buffalo.

The youth was brought to the city's SSKM Hospital where doctors declared him dead.

Police said they have arrested one of the alleged attackers and detained four others.


Sayan Bhattacharjee wrote:


ডায়মণ্ড হারবারে কৌশিকের পর মিথ্যে সন্দেহের বশে প্রাণ গেল আরেক ছাত্রের । না খুব অজ পাড়া গাঁ না । কোলকাতার প্রান্তবর্তী এলাকা ঠাকুরপুকুরের সত্যজিত্ পার্ক এলাকায় গত শুক্রবার ঘটে যায় এই নিন্দনীয় ঘটনা । অনিরুদ্ধ বিশ্বাস । স্বপ্ন ছিল আশুতোষ কলেজে কম্পিউটার সায়েন্স নিয়ে পড়ার । নিজের পায়ে স্বাবলম্বী স্বাধীন হবার । সেই স্বপ্ন পূরণ করতে পারল না সে । কিছুদিন ধরে অসুস্থ অনিরুদ্ধ বাড়িতেই ছিল ঘটনার দিন । নিছক আড্ডা মারতেই বাড়ী থেকে কিছু দূর গিয়েছিল অনিরুদ্ধ এবং তার পাড়ার বন্ধু সুপ্রতিম । হটাতই আমচুরির সন্দেহে দুজনকে বেধড়ক মারতে শুরু করেন স্থানীয় দুই ব্যক্তি । অনিরুদ্ধ গুরুতর আহত হয় । শনিবার অনিরুদ্ধকে প্রথমে ঠাকুরপুকুরের একটি নার্সিংহোমে ভর্তি করা হয়। পরে অবস্থার অবনতি হলে রবিবার তাকে একবালপুরের বেসরকারি হাসপাতালে ভর্তি করা হয়। মঙ্গলবার রাত ১০টা নাগাদ মৃত্যু হয় অনিরুদ্ধের। ঘটনার দিন থানায় যাওয়া হলেও পুলিশ অভিযোগ নিতে চায়নি। এই ঘটনা আবার সামনে এনে দেয় অবক্ষয়িত সামাজিক মূল্যবোধকে । প্রশ্ন তুলে আনে পুলিশের কর্তব্যের গাফিলতি সম্পর্কে । তীব্র ভাবে এই লজ্জাজনক ঘটনার প্রতিবাদ জানানোর সময় চলে এসেছে । আমরা কৌশিকের পাশে ছিলাম আমরা অনিরুদ্ধর পাশেও থাকব । সময় এসেছে প্রতিবাদ জানানোর … সময় এসেছে ঠিক কে ঠিক বা ভুল কে ভুল বলে চোখে আঙ্গুল দিয়ে দেখিয়ে দেবার । নইলে রোজ মরবে আরো কৌশিক আরো অনিরুদ্ধ । সেটাই কি আজকের ছাত্রসমাজের ভবিষ্যৎ বন্ধুরা ?? 
‪#‎JUSTICEFORANIRUDDHA‬
‪#‎JUSTICEFORKAUSHIK‬


Urmi Mala wrote

আজ একটা চিরস্মরণীয় অভিজ্ঞতা হল...
পরীক্ষা দিতে যাব বলে সোনারপুর থেকে 9 টার ক্যানিং লোকাল এ উঠলাম.. কোনো রকমে গেট এ ঝুলে আছি কয়েকজন.. ট্রেন ছেড়ে দেওয়ার পর পিছন থেকে একটা জোড় ধাক্কা খাওয়ার পর (একজন ছিটকে বাইরেই পরে যাচ্ছিল) ঘুরে দেখলাম একজন মধ্যবয়স্ক মহিলাকে অনেকে মিলে ভীষণ মারছে আর "ল্যাংটো করে পেটানোর" বিধান দিচ্ছে...শুনলাম পকেটমারি করতে গিয়ে ধরা পড়েছে সোনারপুরের আগের কোনো এক স্টেশনে.. তখন থেকেই চলছে উদম কেলানি(আর কেলানির চোটে গেটের লোক চলন্ত ট্রেন থেকে পড়ে যাওয়ার অবস্থায়).. কিছু জন প্রতিবাদ করে বলল অনেক মারা হয়ে গেছে sonarpur GRP তে কেন দিল না?? মারতে বারন করল যারা দেখলাম তাদেরও অনায়াসে মেরে দিল এবং "চোরের সঙ্গী" ও গালিগালাজ... নেতৃত্বে socalled "শিক্ষিত " "ভদ্রমহিলা" একজন..দেখে মনে হল চাকরিসূত্রে ওই ট্রেনের যাত্রি... যাদের ব্যাগ চুরি গেছে পেটাতে বলে নেমে গেল তারা নিজের জায়গায়..এভাবে চাম্পাহাটি পর্যন্ত অবাধ মারধোর চলল..আমি গেটে দাঁড়িয়ে ভাবছিলাম কাজটা ঠিক হচ্ছেনা ভুল.. .যেহেতু পরীক্ষা নাক গলাবোনা বলেই ঠিক করলাম..কিন্তু চাম্পাহাটি নামার পর দেখলাম একেবারেই মারের চোটে অর্ধউলঙ্গ পকেটমারকে স্টেশন এ নামিয়ে উদম কেলানি শুরু হল.. পুরুষ যাত্রীরা কোনো কিছু না জেনেই এসে মারতে শুরু করে দিল এবং যে পারছে হাতের সুখ মিটিয়ে নিচ্ছে.. কৌশিকের কথা মনে পরে গেল..আর থেমে থাকতে পারিনি..প্রিয়স্মিতাদি ,শ্রীরুপাদির কাছে নাম্বার চেয়ে ফোন করতে করতে 40-50 জন মারমুখী জনতার মধ্যে ঢুকে পড়লাম একা.. আমি ঢুকতে পুরুষরা সরে গেল.. কিন্তু মহিলাদের মার চলতে লাগল এবং অবশ্যই আমাকে বাদ দিয়ে নয়...ততক্ষণে মজা দেখতে দ্বিগুন লোক জমে গেছে.. কয়েকজন এর হস্তক্ষেপে অনেক চেষ্টার পর ছাড়ালাম তাকে...এদিকে পাগলের মত ফোন করে যাচ্ছি একটাও help line এ ফোন ঢুকছেনা... ততক্ষণে কান ছিড়ে দিয়েছে পকেটমারের..রক্তারক্তি কান্ড... এবার নেত্রি "ভদ্রমহিলা " এসে জামার কলার টেনে বলে "চোরকে support করছ যখন তুমিও চোর..চলে যাও নয় তোমাকেও মারব".. আবার উত্তেজিত হয়ে পরে জনতা.. নেত্রিকে কড়া ভাষায় কিছু বলার পর এবং "GRP না আসা পর্যন্ত কিছুতেই যাবনা" বলার পর জনতাকে উস্কে দিয়ে বিপদবুঝে সে কোথায় উবে গেল...এবার মার খাওয়ার পালা আমার..আঁচর কামর চড় লাথি..ব্যাগ ও কেরে নিল search করবে বলে...কোনো রকমে ছেড়া ব্যাগ থেকে admit টা বের করে নিলাম বেঁচে থাকলে পরীক্ষা দিতে যাব বলে...একজন দিদি এসে ছাড়ায় আমায়...দিদি না থাকলে.......! আর মজাদেখা পাবলিকরা "বোন,মা " বলে অনেক বোঝায় বাড়াবাড়ি না করতে..একজন বলল2mnt দূরত্বে RPF আছে..বিধ্বস্ত অবস্হায় ছুটলাম সেদিকে..আবার মার শুরু..RPF কে গিয়ে বলায় নানা অজুহাত দিতে লাগল...কড়া ভাষায় ঝাড় দেওয়াতে আসতে রাজি হল..তার কথা স্টেশন মাস্টারকে আগে আসতে হবে তারপর সে যাবে (বেমালুম ভুলে গেছিলাম স্টেশন মাস্টারের কথা)...rpf কে 2নং স্টেশনে যেতে বলে স্টেশন মাস্টারকে ডেকে আনলাম...মহিলাকে উদ্ধার করল এবং যাদের চুরি গেছে তাদের মধ্যে যে একজন ছিল তাকে নিয়ে আসল..এবং আমাকে যারা মেরেছিল তাদের ছেড়ে দিল লেডিস পুলিশ নেই এই অজুহাতে... তারপর আমার ফোন থেকে GRP কে ফোন করল( ওদের কাছে নাকি নং নেই)....এরপর আরেক খেলা.. GRP না আসা পর্যন্ত আমাকে নাকি থাকতে হবে... বললাম আমি সমস্ত কিছু লিখিত দিয়ে পরীক্ষা দিতে যেতে দেওয়া হোক..exam দিয়েই আমি GRP টে যাব বললাম.. RPF বলল exam দিতে যেতে হবেনা আমায় থাকতেই হবে..বললাম ঠিক আছে একটা বছর নষ্ট হয় হোক আমি 3 টে dairy করে তারপর যাব..একটা যেটার জন্য আমায় থাকতে বাধ্য করা হচ্ছে, আর একটা rpf এর বিরুদ্ধে কারন সে আসতে চায়নি, আর আর একটা হাজারবার ফোন করার পরও help line না পাওয়ার প্রশাসনিক গাফিলতির জন্য(জানিনা করা যায় কিনা)...এটার বলার পর আর দুমিনিট ও দাঁড়াতে দিলনা জোড় করে exam dite পাঠিয়ে দিল..
বুঝতে পারছিনা ঠিক করেছি না ভুল...যদি ঠিক করে থাকি, তবে মানবিকতার জন্য "মানবধোলাই" টা জীবনের একটা achievement হিসাবেই তুলে রাখব....


Bijon Setu massacre

From Wikipedia, the free encyclopedia

Bijon Setu massacre (Bengaliবিজন সেতু হত্যাকান্ড) refers to the killing and burning of 16 monks and a nun belonging toAnanda Marga at Bijon Setu, near BallygungeCalcutta in West BengalIndia on April 30, 1982. Despite the attacks being carried out in broad daylight, no arrests were ever made. After repeated calls for a formal judicial investigation, a single-member judicial commission was set up to investigate the killings in 2012.




Vijoo Krishnan added 15 new photos — with Gopal Menon and 49 others.

Condemn the Barbaric Attack on Tribal People of Manipur at New Delhi! Immaterial whether one agrees with Demands or not! 
Such Brutality is Unacceptable! 
Hold ...

Vijoo Krishnan's photo.

Vijoo Krishnan's photo.

Vijoo Krishnan's photo.

Vijoo Krishnan's photo.


-- 
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Students All India Convention in Kolkata.কথোপকথনে ছাত্র-আন্দোলনঃ নতুনের জন্ম?? বক্তা দেশের বিভিন্ন প্রান্তের ইউনিভার্সিটি থেকে আসা আন্দোলনের প্রতিনিধিরা। এই বৃহস্পতিবার, ৯ তারিখ, বেলা ৪-টে থেকে। ভারত সভা হল। দেখা হচ্ছে। বন্ধুদের জানান। পোস্টটি শেরার করে খবরটি ছড়িয়ে দিন।

Next: Senior Dalit faculty member Prof. Sreepati Ramudu resigns from the post of Head of the Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy in protest against the appointment of Prof. Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor of University of Hyderabad. Prof. Sreepati Ramudu writes, "I resigned from the headship of Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy.today against the decision of appointing Prof, Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor 1 of University of Hyderabad. When Pof. Vipin Srivastava was instated as interim Vice-Chancellor earlier, SC/ST Teachers' Forum opposed it because Prof, Vipin Srivastava was allegedly responsible for the tragic death of a yet another Dalit research scholar Senthil Kumar in 2008. Prof. Vipin Srivastava also headed the Sub-Committee, Executive Council that executed the decision of social boycott against the five Dalit research scholars which eventually led to the tragic death of Rohith Vemula. I am pained by the constant
$
0
0

কথোপকথনে ছাত্র-আন্দোলনঃ নতুনের জন্ম??
বক্তা দেশের বিভিন্ন প্রান্তের ইউনিভার্সিটি থেকে আসা আন্দোলনের প্রতিনিধিরা। 
এই বৃহস্পতিবার, ৯ তারিখ, বেলা ৪-টে থেকে।
ভারত সভা হল।
দেখা হচ্ছে। 
বন্ধুদের জানান। পোস্টটি শেরার করে খবরটি ছড়িয়ে দিন।

বন্ধু,
বিগত কয়েক বছর ধরেই ভারতবর্ষের কলেজ-বিশ্ববিদ্যালয় ক্যাম্পাসগুলি ছাত্রী-ছাত্র-গবেষকদের নানা দাবীর আন্দোলনে উত্তাল। শিক্ষা-সংকোচন/বেসরকারীকরণ/ফি-বৃদ্ধি/গবেষণা-ভাতা বন্ধের মত শিক্ষাক্ষেত্রে নয়া-উদারবাদী নীতি প্রণয়নের বিরুদ্ধে, শান্তিপূর্ণ আন্দোলনের ওপর রাষ্ট্রীয়-দলীয় সন্ত্রাসের বিরুদ্ধে, লিঙ্গ-বৈষম্যের বিরুদ্ধে, শিক্ষাক্ষেত্রে সার্বিক গেরুয়াকরণ ও ফ্যাসিবাদী চক্রান্তের বিরুদ্ধে, জাত-বর্ণের ভেদ-ভাবের বিরুদ্ধে, নিপীড়িত জাতিসত্ত্বা ও ভাষাগোষ্ঠীর ন্যায্য অধিকারের দাবীতে, ব্যক্তি/সমষ্টির মতপ্রকাশ ও মতবিনিময়ের অধিকার হরণের বিরুদ্ধে... এককথায় সামাজিক ন্যায়বিচার-সাম্য-স্বাধীনতার জন্য লাগাতার নানা ইস্যুতে ক্যাম্পাসগুলি উত্তাল হয়ে উঠছে মাঝেমধ্যেই। পশ্চিমবঙ্গে ব্যতিক্রমহীনভাবে এই সংক্রান্ত স্বতস্ফুর্ত জাগরণগুলি ঘটেছে দলীয়-পতাকাহীনভাবে (বেশিরভাগ ক্ষেত্রে সংগ্রামী দল/শক্তিরা দলীয়-পতাকা সরিয়ে রেখেই অংশ নিয়েছে এইসব লড়াইতে); এবং সামাজিক-রাজনৈতিক নানা মতের বৈচিত্র্যপূর্ণ সমাবেশ ও লড়াকু ঐক্য দেখা গিয়েছে লড়াইগুলিতে। পশ্চিমবঙ্গ শুধু নয়, সারা ভারতবর্ষ জুড়েই স্বতস্ফুর্ত ছাত্রছাত্রী-যুব-জাগরণগুলিতে যেন বা এই বৈশিষ্ট্যই ক্রমশ শক্তিশালী হয়ে উঠছে বলে আমাদের বিশেষভাবে মনে হয়েছে। বিশ্বজুড়ে তরুণ প্রজন্মের সমাজ-প্রগতির জন্য নতুনভাবে মাথা তুলে দাঁড়ানোর এক পর্যায়ের মধ্যেই ভারতবর্ষ তথা পশ্চিমবঙ্গেও বর্তমান পর্যায়গুলি অতিবাহিত হচ্ছে। 
২০১৪-র সেপ্টেম্বরে যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ে যে 'হোক কলরব'আন্দোলন শুরু হয়েছিল, তাকে আমরা যাদবপুরের ভৌগোলিক সীমা পেরিয়ে বৃহত্তর সমাজে ছড়িয়ে পড়তে দেখেছিলাম। অন্যভাবে বলা যায়, ২০শে সেপ্টেম্বর, ২০১৪ কলকাতার মহামিছিলে পশ্চিমবঙ্গের বৃহত্তর জনসমাজ যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের স্বাধীন ছাত্র-জাগরণের সাথে মিলিত হয়ে ভবিষ্যতের একপ্রকার দিক নির্দেশ রেখেছিল। যাদবপুর-সহ 'হোক কলরব'-এর আন্দোলনরত ছাত্রী-ছাত্রসমাজ আন্দোলনের জাড্যেই হাত বাড়িয়ে দিয়েছিল পুণে ফিল্ম ইন্সটিটিউটের আন্দোলনরত বন্ধুদের দিকে। হায়দ্রাবাদ কেন্দ্রীয় বিদ্যালয়ের দলিত ছাত্র রহিথ ভেমুলার আত্মহত্যা (বলা উচিত, উচ্চবর্ণবাদী-আধিপত্যবাদী প্রতিষ্ঠানের হাতে একজন দলিতের হত্যা) জাত-বর্ণব্যবস্থার বিরুদ্ধে এ দেশের ছাত্রী-ছাত্রসমাজের মধ্যে জমে থাকা ঘৃণার আগুণে ঘৃতাহুতি দিয়েছে। ভারতবর্ষের শিক্ষা-প্রতিষ্ঠানগুলি থেকে হায়দ্রাবাদ-বাঙ্গালোর-মুম্বই-দিল্লী-কোলকাতায় ছাত্রছাত্রীরা প্রকাশ্য রাস্তায় বেরিয়ে এসে সক্রিয় অনশনে বসেছেন, মিছিল-বিক্ষোভে আগুন জ্বালিয়েছেন সামাজিক ন্যায় বিচারর দাবীতে, ঐক্যবদ্ধ হয়েছেন জাত-বর্ণের ভেদ-ভাবহীন এক নতুন ভারতবর্ষের জন্য।
কেন্দ্রীয় শাসক দল তাদের সামাজিক-আদর্শনৈতিক আধার রাষ্ট্রীয় স্বয়ং সেবক সঙ্ঘের সাথে মিলিতভাবে প্রশাসন ও কর্পোরেট মিডিয়ার একাংশকে ব্যবহার করে দিল্লীর জওহরলাল নেহ্‌রু বিশ্ববিদ্যালয়ের প্রতিবাদী ছাত্রদের 'দেশদ্রোহী'তকমা দিয়ে যে ঘৃণা-প্রচার শুরু করেছিল, দেশজুড়ে তা এখনো অব্যাহত। স্বভাবতই সংঘ-পরিবারের চিহ্নিত 'দেশদ্রোহী ক্যাম্পাস'-এর লিস্টে তার প্রতিবাদী ঐতিহ্যের কারণেই নাম লেখাতে পেরেছে যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়। পশ্চিমবঙ্গের রাজনৈতিক সংস্কৃতিতে প্রকাশ্য সভায় ব্যবহৃত হত না এমন অকথ্য ভাষায় বিজেপির রাজ্য সভাপতি যাদবপুরের ছাত্রীদের 'মৌখিক শ্লীলতাহানি'করছেন এবং যাদবপুরের ছাত্র-শিক্ষক-কর্মচারীদেরকে দেখে নেবার হুমকি দিচ্ছেন, কখনো রাস্তায় ফেলে পেটানোর কথাও প্রকাশ্যে বলছেন। তাঁর প্ররোচনায় সঙ্ঘীবাহিনী যাদবপুরে সন্ত্রাসী অভিযান চালিয়েছে এবং প্রতিহত হয়েছে যাদবপুরের ছাত্রছাত্রী-শিক্ষক-শিক্ষাকর্মীদের প্রতিরোধী ঐক্যের কাছে। পাড়ায় পাড়ায় মিথ্যা গল্প ছড়িয়ে 'যাদবপুর'-এর বিরুদ্ধে সামাজিক স্তরে হেট-ক্যাম্পেন চালিয়ে চলেছে আর এস এস-এর ছদ্মবেশী ক্যাডার বাহিনী। 
হায়দ্রাবাদ বিশ্ববিদ্যালয়েও রোহিথের মৃত্যুর ঘটনায় অভিযুক্ত উপাচার্য আপ্পারাওকে ফিরিয়ে স্বপদে বহাল করা হয়েছে এবং প্রতিবাদ জানালে ক্যাম্পাসের গণতান্ত্রিক আন্দোলনের ওপর রাষ্ট্রীয়/দলীয়-সন্ত্রাস নামিয়ে আনা হয়েছে। এলাহাবাদ থেকে জামিয়া মিলিয়া ইসলামিয়া, বেনারস থেকে লক্ষ্ণৌ... দেশের উচ্চশিক্ষাকেন্দ্রগুলিতে গেরুয়া গেস্টাপোদের কর্পোরেট-সহায়ক, আগ্রাসী পিতৃতান্ত্রিক, মনুবাদী, উগ্র-জাতীয়তাবাদী সশস্ত্র অভিযান বিশেষভাবে টার্গেট করেছে দেশজুড়ে উদীয়মান সম্ভবনাময় লড়াকু তরুণ প্রজন্মকে।
ছাত্র-যুব-তরুণ প্রজন্মকে সংঘ-পরিবারের অতি-দক্ষিণপন্থী উগ্র হিন্দুত্বের আখ্যান ও ফ্যাসিস্ট আগ্রাসনে সামিল করার রাষ্ট্রীয়-দলীয়-সামাজিক অভিযানের বিপরীতে উন্মেষ-হতে-থাকা নতুন ছাত্র-যুব-তারুণ্যের ক্রম-জাগরণের সাথে মিলে যেতে চাইছে নানা রাজ্যে ভোটসর্বস্ব দল/জোট-চালিত সরকার ও তাদের তাঁবেদার কর্তৃপক্ষের বিরুদ্ধে স্বতস্ফুর্ত ছাত্র-আন্দোলনগুলি। পন্ডিচেরী থেকে কেরালা, পাঞ্জাব থেকে বিহার... কেউই এর বাইরে নয়। আমাদের রাজ্যেও বর্ধমান থেকে বিশ্বভারতী, বারাসাত থেকে কলকাতা বিশ্ববিদ্যালয়ে কর্তৃপক্ষ/সরকার বিরোধী সাম্প্রতিক ছাত্র-আন্দোলনগুলিও অন্তর্বস্তুতে একই সম্ভাবনার বাহক। 
এরকম একটি পরিস্থিতিতে আমরা, নিম্ন-স্বাক্ষরকারীরা, আয়োজন করছি একটি আলোচনাসভা "INTERACTING STUDENTS' MOVEMENT: EMERGING NEW?"।
মুখ্য বক্তা হিসাবে থাকছেন— হায়দ্রাবাদ কেন্দ্রীয় বিশ্ববিদ্যালয়, জওহরলাল নেহরু বিশ্ববিদ্যালয়, দিল্লি বিশ্ববিদ্যালয়, এফ টি আই আই (পুণা), পন্ডিচেরী বিশ্ববিদ্যালয় এবং পশ্চিমবঙ্গের বর্ধমান, বিশ্বভারতী, কলকাতা ও যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের নানা মতাবলম্বী সংগ্রামী পড়ুয়া, গবেষক ও সংগঠকরা। 
আলোচনাসভার স্থানঃ ভারত সভা হল (কলকাতা)।
সময়ঃ ৯ই জুন, ২০১৬ (বৃহস্পতিবার); বিকেল ৪-৩০ থেকে রাত্রি ৮-৩০ পর্যন্ত।
আশা রাখি, আপনি/আপনার সংগঠন/সমষ্টি/যৌথ এই আলোচনাসভায় উপস্থিত হয়ে সক্রিয় অংশগ্রহণের মাধমে আমাদের আয়োজনকে ফলপ্রসূ করে তুলতে সাহায্য করবেন। বলা বাহুল্য, এই আলোচনাসভার আয়োজন ও আমন্ত্রণ কোনো বিচ্ছিন্ন ঘটনা নয়, একটি ধারাবাহিক প্রক্রিয়ার অংশ। 
এই আলোচনাসভার আহ্বান মুক্ত, ফলে যে-কেউই নিজের বিবেচনা মতো আলোচনাসভার মর্ম ও উদ্দেশ্যের সাথে সঙ্গতিপূর্ণভাবে যে-কাউকে আহ্বান জানাতে পারে।
সংগ্রামী অভিবাদনসহ
দেবর্ষি চক্রবর্তী (৯৬৭৪৪৩৭১৮৬)
বন্দনা মন্ডল (৭৬০২৪৮৯৪৮০)
শ্রমণ গুহ (৮৩৩৪৯৩৪৬৯০)

Ami Bohiragato Sayan's photo.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Senior Dalit faculty member Prof. Sreepati Ramudu resigns from the post of Head of the Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy in protest against the appointment of Prof. Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor of University of Hyderabad. Prof. Sreepati Ramudu writes, "I resigned from the headship of Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy.today against the decision of appointing Prof, Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor 1 of University of Hyderabad. When Pof. Vipin Srivastava was instated as interim Vice-Chancellor earlier, SC/ST Teachers' Forum opposed it because Prof, Vipin Srivastava was allegedly responsible for the tragic death of a yet another Dalit research scholar Senthil Kumar in 2008. Prof. Vipin Srivastava also headed the Sub-Committee, Executive Council that executed the decision of social boycott against the five Dalit research scholars which eventually led to the tragic death of Rohith Vemula. I am pained by the constant

$
0
0

Senior Dalit faculty member Prof. Sreepati Ramudu resigns from the post of Head of the Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy in protest against the appointment of Prof. Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor of University of Hyderabad.

Prof. Sreepati Ramudu writes,

"I resigned from the headship of Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy.today against the decision of appointing Prof, Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor 1 of University of Hyderabad. When Pof. Vipin Srivastava was instated as interim Vice-Chancellor earlier, SC/ST Teachers' Forum opposed it because Prof, Vipin Srivastava was allegedly responsible for the tragic death of a yet another Dalit research scholar Senthil Kumar in 2008. Prof. Vipin Srivastava also headed the Sub-Committee, Executive Council that executed the decision of social boycott against the five Dalit research scholars which eventually led to the tragic death of Rohith Vemula. I am pained by the constant humiliation and oppression that is meted out to the Dalit community in the University. I, in my capacity as the Head of the Center, suggested constructive measures to make this campus socially inclusive. I thought there will be measures taken by the University administration to build confidence among Dalits on campus but to my dismay, the things are turning the other way round. I am pained and my conscience does not permit to continue as the Head of the Center at a time when the Dalit community on campus lack the confidence in the administration that should ideally be impartial towards the campus community."

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

Dayamani Barla 9 जून 1900 बिरसा मुंडा शहादत दिवस-उलगुलान का अंत नहीं नदी के बहते पानी में, हवा में, जंगल के कंटीले फूलों में, खेतों में ,खलिहानों में, गीत में, संगीत में शहीदों के अरमान जिंदा हैं।

Previous: Senior Dalit faculty member Prof. Sreepati Ramudu resigns from the post of Head of the Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy in protest against the appointment of Prof. Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor of University of Hyderabad. Prof. Sreepati Ramudu writes, "I resigned from the headship of Center for Study of Social Exclusion and Inclusive Policy.today against the decision of appointing Prof, Vipin Srivastava as the Pro-Vice Chancellor 1 of University of Hyderabad. When Pof. Vipin Srivastava was instated as interim Vice-Chancellor earlier, SC/ST Teachers' Forum opposed it because Prof, Vipin Srivastava was allegedly responsible for the tragic death of a yet another Dalit research scholar Senthil Kumar in 2008. Prof. Vipin Srivastava also headed the Sub-Committee, Executive Council that executed the decision of social boycott against the five Dalit research scholars which eventually led to the tragic death of Rohith Vemula. I am pained by the constant
$
0
0

Dayamani Barla

9 जून 1900 बिरसा मुंडा शहादत दिवस-उलगुलान का अंत नहीं
नदी के बहते पानी में, हवा में, जंगल के कंटीले फूलों में, खेतों में ,खलिहानों में, गीत में, संगीत में शहीदों के अरमान जिंदा हैं।

देश में जब इस्ट इंडिया कंपनी ने अपना व्यापार को फैलाते हुए-देश को गुलामी के सिकांजे में जकड़ लिया और देश की आजादी गुलाम हो गयी । जैसे जैसे अंग्रेजों ने छोटानापुर इलाके में पांव पासारते गये-जल-जंगल-जमीन पर अंगे्रज हुकूमत ने कब्जा जमाता गया। स्वतंत्रता संग्राम के राजनीतिक क्षितिज में जब गांधीजी का स्वाराज का सपना जन्म ले रहा था-उस समय झारखंड के आदिवासी -संताल परगना इलाके में 1800 के दशक में सिद्वू-कान्हू, तिलका मांझी, हो -इलाके से सिंदराय-बिदराय ने अंग्रेजो के छक्के छुड़ा दिये थे। 1900 के दशक में मुंडा इलाके बिरसा उलगुलान ने अंगे्रजों के खिलाफ समझौता विहीन अबुआः राईज के संघर्ष का परचम लहराया। 'आज सरकार की जनविरोधी नीति, जनविरोधी विकास मोडल, पूजीपतियों द्वारा जल-जंगल-जमीन-नदी-पहाड़ पर कब्जा -शहीदों के अबुअः दिशुम रे अबुअः राईज का सपना( हमर देश में हमर राईज, हमारे देश में हमारा राज्य) को कुचलने के काम कर रहा है। लेकिन हमें गर्व है-अपने इतिहास पर, अपने पहचान पर, आज भी पूरे झारखंड में आदिवासी-मूलवासी-किसान अपने जल-जंगल-जमीन बचाने के लिए संघर्षरत हैं। शहादत दे रहे हैं, लेकिन घुटना टेकना पंसद नहीं है-बिरसा मुंडा ने कहा था-संघर्ष का हथियार मैं तुम्हें देकर जा रहा हुं-जब जब समाज-राज्य में संकट आये तुम इसका इस्तेमाल करो।

Dayamani Barla's photo.

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

‪#‎UnityoftheSociallyandPoliticallyOppressed‬ ‪#‎JusticeforRohith!‬ Interacting Students Movements: Emerging New?, a Public Meeting organized by students in Kolkata against the Brahmanical Fascist assualt on Campus democracy.

$
0
0
Joint Action Committee for Social Justice -UoH 

Interacting Students Movements: Emerging New?, a Public Meeting organized by students in Kolkata against the Brahmanical Fascist assualt on Campus democracy.

A couple of university students from West Bengal, mostly Kolkata, organised a convention titled 'Interacting Students Movements: Emerging New?' tracing the connections between these struggles against the brahminical fascist onslaught!
Students from many universities addressed the gathering and narrated the incidents that took place in their respective universities and exposed the impunity with which the centre and the state governments have been trying to scuttle the voices of dissent and attacking the students who have been exposing the nexus between the institutions and the Sangh parivar!

The speakers included Sunkanna Velpula, one of the rusticated dalit researching scholars from HCU who was termed as a 'dangerous element' by the brahminical administration to stop him from entering the campus which was rightfully his campus as well; Ishan Anand from JNU, who narrated the incidents that took place in the university post the 9th February event and the arrests and the media trial that unfolded; Indrajit from Pondicherry University who narrated the brutality that their then plagiarist VC ordered on them; Shraman from Jadavpur University who spoke on the Hok kolorob movement that emerged as a strong voice against the sexual harassment case of a student of the university which ultimately led to the removal of the VC and other students from Vishwabharati University, Burdwan University, Calcutta Medical College, IISC Bangalore, Presidency University also addressed the gathering.


 


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

रमन सरकार का एक और कारनामा : बिना पुनर्वास दिए 702 दलित परिवारों को किया बेघर: संघर्ष संवाद

$
0
0

रमन सरकार का एक और कारनामा : बिना पुनर्वास दिए 702 दलित परिवारों को किया बेघर

संघर्ष संवाद


छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर के हास्पिटल सेक्टर 9 में अभी तक पचास साल पुराने दो ब्लाक धराशायी ( बुलडोजर से तोडे गये) 
बडी संख्या में महिलाएं और बच्चे घायल,
पानी बिजली बंद बहुत बुरे हालात 
शांति पूर्वक बैठे लोगों पर लाठीचार्ज

इस भीषण गर्मी में बिना पुनर्वास दिए गरीबों के आशियाने को तोड़ना भाजपा सरकार के गरीब विरोधी चेहरे को उजागर करता है – छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन इस बर्बर कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए लोगों के तत्काल  पुनर्वास की मांग करता है | पेश है छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन का बयान;

छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में हॉस्पिटल सेक्टर 9 में पचास वर्षों से निवासरत सफाईकर्मी 702 दलित परिवारों को बी.एस.पी. प्रबंधन  एवं राज्य सरकार द्वारा उजाड़ा जा रहा है | बी.एस.पी के बुलडोज़र के द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से भारी पुलिसवर्ग को तैनात करके, शांतिपूर्वक विरोध दर्ज कर रहे कर्मचारियों पर बर्बर लाठी चार्ज करते हुए 2 ब्लांको को तोड़ दिया गया |


ज्ञात हो की बी.एस.पी प्रबंधन के द्वारा जर्जर मकानों का हवाला देकर 702 मकानों को खाली करने का नोटिस कुछ दिन पूर्व ही दिया गया था | निवासरत परिवार पुनर्वास की मांग को लेकर और जब तक पुनर्वास नहीं दिया जाता तब तक बिल्डिंग ना तोड़ने की मांग को लेकर आंदोलनरत थे | परन्तु लोगों की जायज़ मांग पर ना तो बी.एस.पी. प्रबंधन ना ही राज्य सरकार द्वारा कोई भी संज्ञान लिया गया l


आज एक तरफ़ा कार्यवाही करते हुए इन ब्लांको को तोड़ दिया गया | सेक्टर 9 में निवासरत इन परिवारों में कई ऐसे परिवार हैं जो वर्षों पहले अपना सब कुछ छोड़ कर भिलाई शहर को संवारने और सजाने के लिए यहाँ बसे थे | इसमें अधिकतर परिवार ऐसे हैं जिनके पास अन्य कोई घर या विकल्प नहीं हैं | कई परिवारों ने तो घरो को खरीद भी लिया था इसके बावजूद भी बी.एस.पी. प्रबंधन ने इस कार्यवाही को अंजाम दिया है .
प्रभावितों के अनुसार ये घटना केवल कुछ बिल्डरों को भारी मुनाफा पहुंचाने के लिए, और गरीबों की ज़मीन छीन कर उस पर मॉल बनाने के लिए ही की गयी है |

आज एक तरफ देश के प्रधान मंत्री हर गरीब को छत और घर देने की बात कह रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर 5000 लोगों के सर से छत छीन लिया गया है |

यह भाजपा सरकार की गरीब विरोधी चरित्र और दोगलेपन को उजागर करता है | छत्तीसगढ़ बचाओं आन्दोलन पुनः इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है और मांग करता है की इस कार्यवाही में शामिल सभी अधिकारियों को दण्डित किया जाया और तत्काल सभी परिवारों को मुवावजा और पुनर्वास दिया जाए |

--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
Viewing all 6050 articles
Browse latest View live




Latest Images