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Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna सुचिता

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Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna

सुचिता
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Sucheta Kriplani
Sucheta Kriplani.jpg
Sucheta Kriplani
4th Chief Minister of Uttar Pradesh
In office
2 October 1963 – 13 March 1967
Preceded byChandra Bhanu Gupta
Succeeded byChandra Bhanu Gupta
Personal details
Born25 June 1908
AmbalaPunjabBritish India
Died1 December 1974 (aged 66)
Political partyINC
Spouse(s)Acharya Kriplani

Sucheta Kriplani (née Mazumdar, 25 June 1908[1] – 1 December 1974[2][3]

उत्तराखण्ड में विधायकों की करोड़ों में री सेल वैल्यू का ज़िक़्र छिड़ा , तो मेरे फुफेरे भाई डॉ गिरीश चन्द्र मैठाणी ने अभी - अभी एक संस्मरण सुनाया । साझा कर रहा हूँ । 
60 के दशक में कभी , उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी सुदूर जनपद उत्तरकाशी के दौरे पर आयीं । मोटर सड़क धरासू तक ही थी । वहां मोटर पुल नहीं था , अतः मुख्यमंत्री को कच्चा पुल पैदल पार कर उस पार से दूसरी जीप में बैठ कर उत्तरकाशी जाना था । इसी बीच किसी ने उन्हें बताया कि यहां सुन्दर लाल बहुगुणा भी आये हैं । मुख्य मंत्री के आदेश पर डिप्टी कलक्टर उन्हें ढूंढने निकला । मेरे पिता कहीं भूदान यात्रा से लौट कर काली कमली धर्म शाला में गमछा लपेट कर , अपने लिए खिचड़ी पका रहे थे । उन्होंने डिप्टी को जवाब दिया कि मेरे कपड़े अभी सूख रहे हैं , सूखते ही आ जाऊँगा । ज़ाहिर है कि उन पर एक ही जोड़ी कुरता पाजामा रहा होगा , जो उन्होंने धो कर सुखा दिया । 
मुख्यमंत्री ने सुना । सिर्फ अधो वस्त्र पहने , पर पुरुष से वह भी कैसे मिलने जाएँ । उन्होंने इंतज़ार करने का निर्णय लिया । गर्मी का मौसम था । कपड़े घण्टे भर से पहले ही सुख गए , और मुख्य मंत्री अपने भूत पूर्व कांग्रेसी कार्यकर्ता मित्र को गाडी में बिठा कर साथ ले गयीं ।


फेस बुक के एक रचनात्मक सदस्य दीपक तिरुवा को रुद्रपुर में रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की खबर है । कदाचित् मैं उनसे कभी मिला भी हूँ , पर याद नहीं आता । वह सरकारी कर्मी हैं ।


मैं आश्वस्त नहीं हूँ , कि उन्होंने रिश्वत ली या नहीं । कई बार रचनात्मक और विचारशील अधिकारी / कर्मचारियों को खुन्दक में भी फंसा दिया जाता है । क़रीब 12 साल पहले देहरादून में एक ड्रग निरीक्षक को किसी छुटभैये कोंग्रेसी नेता की शिकायत पर फंसा दिया गया था । प्रायः सबका कहना था कि फंसाया गया पुरुष ईमानदार और बे कसूर था । इसी तरह अब्दुर्रहीम खानखाना ( कवि रहीम ) को अकबर के पुत्र जहांगीर ने राजकोष में घपला करने के आरोप में क़ैद करवा लिया था । हो सकता है कि रहीम ने ऐसा घपला किया भी हो , लेकिन यह भी उल्लेख मिलता है कि वह यदाकदा काशी जाकर गोस्वामी तुलसी दास को चन्दा दे आते थे । कथित घपला करने से कवि रहीम की रचनात्मक मेधा और उनकी सदाशयता को नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता । 


मेरे कई भ्रष्ट अफसर एवं राजनेता मित्र मुझे भी चन्दा देते रहते हैं , और मैं सब कुछ जान बूझ कर भी रोकड़ा खीसे में रख लेता हूँ । चोर का माल चण्डाल खाये । जिस देश में मंत्री लाखों करोड़ की रिश्वत के अभियोग में जेल काट रहे हों , और जिस प्रदेश में विधायकों की बोली करोड़ों में लग रही हो , वहां दस पांच हज़ार की रिश्वत का प्रकरण ज़्यादा बड़ा झटका नहीं देता ।
मेरी तिरुवा को सलाह है की यदि उन्होंने रिश्वत ली भी है , तो रिश्वत देकर छूटने का उपक्रम करें । भविष्य में रिश्वत न लें , अथवा सम्भल कर ले । नही ली है तो दृढ़ता से अपना केस लड़ें । अपनी क्रिएटिविटी क़ायम रखें ।


आज Asghar Wajahat साहेब ने एक कहानी सुनायी जिसे मैं बिना उनकी अनुमति के आपको सुनाता हूँ - एक ग़रीब आदमी को पुलिस ने बिहार के कटिहार ज़िले में संदिग्ध हालात में पकड़ा । उसके पास दो कुप्पियाँ तीन घड़े कुछ नलकियां कुछ नौसादर कुछ छलनियाँ एक खुरपी और कुछ नपनियाँ थीं । उसने पूछा मुझे किस ज़ुर्म में गिरफ़्तार किया जा रहा है तो पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा - तुम्हारे पास शराब बनाने के उपकरण पाये गये हैं इसलिये तुम्हें अवैध शराब बनाने के अपराध में गिरफ़्तार किया जा रहा है । तब उस ग़रीब मनुष्य ने कहा कि इसमें बलात्कार की धारा भी जोड़ लीजिये तो इंस्पेक्टर ने कहा यह किसलिये ?

- क्योंकि उसका उपकरण भी मैं साथ लिये घूम रहा हूँ ! यह कहकर उस ग़रीब आदमी ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया !

मित्र कल्बे कबीर की वाल से



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#Fightback Jadavpur भाजपाई राज्यपाल ने यादवपुर विश्वविद्यालय को अराजकता का अखाड़ा बता दिया,भाजपा ने कहा राष्ट्रद्रोही कैंपस केसरियाकरण के खिलाफ नई दिल्ली कोलकाता एकाकार दीदी जीते या हारे ,बंगाल के छात्र युवा बंगाल के केसरियाकरण की हर कोशिश का प्रतिरोध करेंगे,अभूतपूर्व चुनावी हिंसा के मध्य मतदान पर्व के बाद बंगाल फिर बंगाल के तेवर में है।केंद्र की सत्ता के दम पर विश्वविद्यालयों को कुचल देने की भंयकर कवायद के खिलाफ उतना ही जबर्दस्त प्रतिरोध शुरु हो चुका है और यह थमने वाला नहीं है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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#Fightback Jadavpur

भाजपाई राज्यपाल ने यादवपुर विश्वविद्यालय को अराजकता का अखाड़ा बता दिया,भाजपा ने कहा राष्ट्रद्रोही

कैंपस केसरियाकरण के खिलाफ नई दिल्ली कोलकाता एकाकार

दीदी जीते या हारे ,बंगाल के छात्र युवा बंगाल के केसरियाकरण की हर कोशिश का प्रतिरोध करेंगे,अभूतपूर्व चुनावी हिंसा के मध्य मतदान पर्व के बाद बंगाल फिर बंगाल के तेवर में है।केंद्र की सत्ता के दम पर विश्वविद्यालयों को कुचल देने की भंयकर कवायद के खिलाफ उतना ही जबर्दस्त प्रतिरोध शुरु हो चुका है और यह थमने वाला नहीं है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला टीवी चैनल एबीपी आनंद की खबर हैः

যাদবপুর কাণ্ডে এবিভিপি সমর্থকদের গ্রেফতারি চেয়ে মিছিল পড়ুয়াদের

যাদবপুর কাণ্ডে এবিভিপি সমর্থকদের গ্রেফতারি চেয়ে মিছিল পড়ুয়াদের

যাদবপুর কাণ্ডে পথে পড়ুয়ারা। অভিযুক্ত এবিভিপি সমর্থকদের গ্রেফতারি চেয়ে ক্যাম্পাস থেকে ঢাকুরিয়া পর্যন্ত


कैंपस केसरियाकरण के खिलाफ नई दिल्ली कोलकाता अब एकाकार है।शायद देश भर में ये ही हालात हैं और छात्र युवा आज और कल यादवपुर विश्वविद्यालय में भाजपा फिल्म स्टार नेता द्रोपदी रूपा गांगुली के महाभारत रचने की दुश्चेष्टा के प्रतिरोध बतौर कोलकाता की सड़कों पर मनुवाद ब्राह्मणवाद और संघवाद के खिलाफ नारे बुलंद करते हुए संगीतबद्ध जुलूस निकाले,कल रवींद्र जयंती का संगीत भी अभूतपूर्व होना है।


गौरतलब है कि कोलकाता केयादवपुर विश्वविद्यालयमें शुक्रवार शाम को अराजकता का माहौल देखने को मिला।


गौरतलब है कि अभिनेत्री और भाजपा की नेता रूपा गांगुली पार्टी सकार्यकर्ताओं के साथ विश्वविद्यालय के गेट पर पहुंच गईं। वह मांग कर रही थीं कि उनकी पार्टी के उन चार कार्यकर्ताओं को उन्हें सौंप दें जिन पर लड़कियों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है। लेकिन, रूपा गांगुली को विश्वविद्यालय कैंपस में प्रवेश नहीं करने दिया गया।


दीदी जीते या हारे ,बंगाल के छात्र युवा बंगाल के केसरियाकरण की हर कोशिश का प्रतिरोध करेंगे,अभूतपूर्व चुनावी हिंसा के मध्य मतदान पर्व के बाद बंगाल फिर बंगाल के तेवर में है।


केंद्र की सत्ता के दम पर विश्वविद्यालयों को कुचल देने की भंयकर कवायद के खिलाफ उतना ही जबर्दस्त प्रतिरोध शुरु हो चुका है और यह थमने वाला नहीं है।


इस बीच बंगाल के संघी राज्यपाल केलरीनाथ त्रिपाठी बंगाल के विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति हैं शांति निकेतन को ठोड़कर ,जहां स्वयं प्रधानमंत्री उपकुलपति है।


कुलाधिपति पद की मर्यादा का उल्लंघन करते हुए उनने बिना छात्रों की सुनवाई किये,विद्यार्थी परिषद के हमले और छात्राओं के साथ बदसलूकी के गंभीर आरोपों,केंपस की संघ परिवार विहिप विद्यार्थी परिषद,बजरंगी दल और भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ रूपा गांगुली के नेतृत्व में अभूतपूर्व घेराबंदी के बाद यादवपुर विश्वविद्यालय को अराजकता का अखाड़ा बता दिया है।


दीदी की शह पर संघियों ने बंगाल के छात्रों और युवाओं को जेएनयू या हैदराबाद विश्वविद्यालयों की तरह राष्ट्रद्रोही करार दिया है।हांलाकि इससे पहले वे ऐसा कर चुके हैं लेकिन दीदी की मा माटी सरकार को तब भी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं हुई और अब तो मुख्यमंत्री की कुर्सी डांवाडोल है और यादवपुर में तभ और अबकी दफा भी बजरंगियों का जो भव्य स्वागत हुआ है,उससे उनके कदम नहीं ठिठके तो समझ लें मौसम अभी लू का है और कालबैशाखी अभी शुरु भी नहीं हुआ है।


गौरतलब है कि जेएनयू के साथ साथ यादवपुर विश्वविद्यालय को बंद करना भी हिंदुत्व के एजंडा में शामिल है।

विद्यार्थी परिषद के छाते में बजरंगियों से वे शाम को मिले लेकिन इससे पहले उनने उपकुलपति से जवाबतलब किया है और बागी छात्रों को सबक सिखाने का इरादा जताया है।


बंगाल के चुनाव नतीजे के लिए 19 मई तक इंतजार बाकी है लेकिन भवानीपुर में दीदी को वाकओवर देने के बाद संघ परिवार ने बंगाल के केसरियाकरण के लिए विश्वप्रसिद्ध यादवपुर विश्वविद्यालय को निशाना बांदकर बंगल में केसरिया सुनामी पैदा करने की मुहिम शुरु कर दी है।सत्तापक्ष के सूत्रों के मुताबिक बजरंगी ब्रिगेड के तमाम श्रेष्ठ बजरंगी इस बार बंगाल विधानसभा में होंगे।


वाम कांग्रेस गठबंधन ने उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का इस तरह सफाया किया कि कूचबिहार के चालसा रिसार्ट से उत्तर बंगाल के नतीजे बदलने में नाकाम दीदी को बागडोगरा एअर पोर्ट पर विदा करने वाला कोई नहीं था।दीदी ने उत्तर बंगाल और जंगल महल के उलट पुराण के मुकाबले वाम कांग्रेस गठजोड़ को हराने के मकसद से संघ परिवार से सौदा किया या हारी हुई अपनी सीट भवानीपुर से बचाने के लिए,कहना मुश्किल है।


नूरा कुश्ती की बेहतरीन शोबाजी के तहत संघ परिवार ने धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण किया तो दीदी का मुसलमान वोट बैंक कम से कम एक तिहाई टूट गया।इसके बावजूद भाजपाई गुपचुप समर्थन से दीदी अभी भारी बहुमत का दावा कर रही हैं जबकि भाजा के वोट और सीटों में अभूतपूर्व बढ़ोतर होने की सत्तापक्ष को उम्मीद है।


दीदी ने बंगाल में संघ परिवार को खुल्ला खेलने की छूट शारदा और नारदा से बचने के लिए दी है और संघ परिवार के धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के दम पर फिर सत्ता में वापसी के लिए जान की बाजी लगा दी है और इसका कुल नतीजा बंगाल का अभूतपूर्व केसरियाकरण है।


गौरतलब है कि दिल्ली स्थित जेएनयू का विवाद अभी थमा नहीं है कि पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालयने बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का बिगुल बजा दिया है।


पश्चिम बंगाल की जादवपुर विश्वविद्यालयमें विवेक अग्निहोत्री और अनुपम खेर की फिल्म 'बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम' की स्क्रीनिंग को लेकर शुक्रवार से शुरू हुआ विवाद बढ़ता दिख रहा है।


शनिवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने इस विवाद में दखल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयतेजी से 'अशांति के केंद्र' के रूप में तब्दील हो रहा है और अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।


वहीं बीजेपी ने यूनिवर्सिटी को 'राष्ट्र-विरोधी तत्वों' का गढ़ बता डाला और आरोप लगाया कि विपक्षी सीपीएम और कुलपति राष्ट्र-विरोधी तत्वों का समर्थन कर रहे हैं।


जादवपुर विश्वविद्यालयमें कल से जारी अशांति के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के एन त्रिपाठी ने शनिवार को कहा कि विश्वविद्यालयतेजी से अशांति के एक केन्द्र के रूप में तब्दील हो रहा है और अधिकारियों को इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।


त्रिपाठी ने कहा, उत्कृष्टता के एक केन्द्र के रूप में जाना जाने वाला जादवपुर विश्वविद्यालयतेजी से अशांति के केन्द्र के रूप में तब्दील हो रहा है। अधिकारियों को इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोलकाता स्थित जादवपुर विश्वविद्यालयपर गंभीर आरोप लगाए हैं। भाजपा ने इसे राष्ट्रद्रोही लोगों का गढ़ बताया है।


इतना ही नहीं, भाजपा ने विश्वविद्यालयके वाइस चांसलर (वीसी) को भी विरोधी सीपीएम का समर्थक बताया है।


दरअसल शुक्रवार को जादवपुर विश्वविद्यालयमें एक राजनीतिक फिल्म की स्क्रिनिंग के दौरान दो छात्र गुटों में संघर्ष हो गया।


जिसके बाद पश्चिम बंंगाल प्रदेश के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने इस बात की निंदा की।


उन्होंने बताया कि जादवपुर विश्वविद्यालयके भीतर छात्रों के बीच अशांति आम बात हो गई है।


घोष ने आरोप लगाया, 'जादवपुर विश्वविद्यालयराष्ट्र-विरोधी ताकतों का गढ़ है। वाम समर्थित विद्यार्थी यूनियनें राष्ट्र-विरोधी तत्वों के लिए जमीन तैयार कर रही हैं और यही वजह है कि इस विश्वविद्यालयके विद्यार्थियों के एक वर्ग द्वारा भारत विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं।'

विश्वविद्यालयपरिसर में राष्ट्र-विरोधी तत्वों का समर्थन करने का कुलपति पर आरोप लगाते हुए उन्होंने मांग की कि कुलपति की भूमिका की जांच कराई जाए।' हम जादवपुर विश्वविद्यालयमें चल रही गतिविधियों से केन्द्र को अवगत कराएंगे।'


'बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' की स्क्रीनिंग के बाद हुआ हंगामा...

यह हंगामा विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' की स्क्रीनिंग के चार घंटे पश्चात हुआ। इससे पहले फिल्म के 20 मिनिट के प्रदर्शन के पश्चात ही विश्वविद्यालय में हंगामा शुरू हो गया था जो फिल्म के दौरान चलता ही रहा। कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया कि फिल्म प्रदर्शन के दौरान कुछ बाहरी तत्वों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। छात्रों के समूह ने इस पर चार लोगों को पकड़कर वाइस चांसलर को सौंप दिया।


इसके पश्चात रूपा गांगुली यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंचीं और उन चार व्यक्तियों की रिहाई की मांग करने लगीं जिन्हें बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को सौंप दिया था। गांगुली का कहना था कि उन्हें गलती से आरोपी बना दिया गया है। रिपोर्टों के मुताबिक विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रर ने उनके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया है।



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Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna

अबे ओ " मॉम " के बच्चे ! ये क्या सुबह से ही मिमिया रहा है । क्या मोमबत्ती की बात कर रहा है ? माँ , अम्मा , ईजा , बोई कहने में शर्म आती क्या ? फेस बुक न होता तो " लव यु मोम " कहाँ और किसे कहता । मोम वोम का चक्कर छोड़ । बूढी माँ अगर गांव में है , तो उसकी सुध ले लिया कर । साथ रहता है तो घरेलू काम में माँ का हाथ बंटा । हमेशा माँ को स्मृतियों में रख , सिर्फ आज नहीं ।


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माँ अच्छा हुआ जो मैं तुम्हारी संतान हुआ वरना पता नहीं मैं होता भी या नहीं .

Next: दिलों में मुहब्बत नहीं तो कायनात में यह कैसी बहार? रवींद्र जयंती के मौके पर भी सियासती मजहब और मजहबी सियासत के शिकंजे में इंसानियत का मुल्क? যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে.. যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,.. কেনো ভোরের আকাশ ভরে দিলে এমন গানে গানে...!! কেনো তাঁরার মেলা গাঁথা,, কেনো ফুলের শয়ন পাথা..... কেনো দক্ষিন হাওয়া গোপন কথা জানায় কানে কানে.....! যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,, কেন আকাশ তবে এমন চাওয়া, চায় এ মুখের পানে...........! हाल में बंगाल में हुए लोकतंत्र महोत्सव के दौरान बाहुबलि भूतों का रणहुकार यही रहा है कि अब बंगाल में गली गली में रवींद्र संगीत नहीं बजेगा और उसके बदले पीठ की खाल उतारने वाले ढाक के चड़ा चड़ाम बोल दसों दिशाओं में गुंजेंगे और तब प्रचंड लू से दम घुट रहा था मनुष्यता का और दावानल में राख हो रहा था हिमालय भी। अब रवीन्द्रजयंती के साथ सूखे के सर्वग्रासी माहौल में भुखमरी के बादलों को धता बताकर फिर वृष्टि है और कालवैशाखी भी है। बंगाल की गली गली में फिर वही रवींद्र संगीत है। कल हमारे आदरणीय मित्र आनद तेलतुंबड़े से एक लंबे व्यवधाने के बाद फोन पर लंबी बातचीत हुई और इस बातचीत का निष्कर्ष य
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Himanshu Kumar

मेरी माँ का जन्म कानपुर में एक संपन्न परिवार में हुआ .

शादी मेरे फक्कड पिता से हुई .

पिता नें घर से ज़्यादा समाज के काम को महत्व दिया .

पिता विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में देश भर के गाँव गाँव घूमने लगे .

माँ नें हम चारों भाई बहनों को अकेले पाला .

माँ उस वख्त के आसपास के समाज से बहुत आगे थी .

माँ को उपन्यास पढ़ने और सिनेमा देखने का शौक था .

उस समय उपन्यास किराए पर मिलते थे . माँ एक के बाद एक उपन्यास किराए पर लाती थी .

खाना बनाते समय भी रसोई में एक हाथ में करछुल और दूसरे हाथ में उपन्यास रहता था .

आँखें उपन्यास में और हाथ काम में .

मैंने शरत चन्द्र , रविन्द्र नाथ टैगोर , प्रेमचंद , विमल मित्र , के उपन्यास माँ के साथ साथ ही पढ़े .

चार बच्चे होने के बाद माँ नें हाई स्कूल और इंटर मीडियेट की परीक्षा पास करी

मेरी बहनें और माँ एक साथ परीक्षा देने गयी थीं .

माँ को सिनेमा और उपन्यास के अपने शौक की वजह से आस पास के ताने और कटाक्ष भी सुनने पड़ते थे .

लेकिन माँ पर किसी का फर्क नहीं पड़ता था .

आज मुझ में आस पास की आलोचनाओं से बेपरवाह रहने का गुण माँ से ही आया है .

पड़ोस के एक आर्थिक मुसीबत में पड़े मुस्लिम परिवार के साथ माँ का व्यवहार मुझे आज भी याद है .

वह मुस्लिम परिवार हमारे रिश्तेदारों से भी हमारे ज़्यादा करीबी था .

मेरठ के दंगों में वह पूरा परिवार हमारे घर में रहा . आज उस परिवार के सभी बच्चे ऊंची नौकरियों में हैं .

आस पास काम कर रहे सफाई कर्मचारियों को घर में बुला कर रसोई के भीतर बैठा कर खिलाने की वजह से माँ को परिवार और पड़ोसियों से बहिष्कार का सामना करना पड़ा था .

माँ को मैंने हमेशा आस पास के समाज में अनफिट ही देखा . उनका यह गुण मुझ में पूरी तरह से आ गया .

मुझे भी समाज में अनफिट रहने में मज़ा आने लगा .

माँ अच्छा हुआ जो मैं तुम्हारी संतान हुआ वरना पता नहीं मैं होता भी या नहीं .


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दिलों में मुहब्बत नहीं तो कायनात में यह कैसी बहार? रवींद्र जयंती के मौके पर भी सियासती मजहब और मजहबी सियासत के शिकंजे में इंसानियत का मुल्क? যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে.. যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,.. কেনো ভোরের আকাশ ভরে দিলে এমন গানে গানে...!! কেনো তাঁরার মেলা গাঁথা,, কেনো ফুলের শয়ন পাথা..... কেনো দক্ষিন হাওয়া গোপন কথা জানায় কানে কানে.....! যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,, কেন আকাশ তবে এমন চাওয়া, চায় এ মুখের পানে...........! हाल में बंगाल में हुए लोकतंत्र महोत्सव के दौरान बाहुबलि भूतों का रणहुकार यही रहा है कि अब बंगाल में गली गली में रवींद्र संगीत नहीं बजेगा और उसके बदले पीठ की खाल उतारने वाले ढाक के चड़ा चड़ाम बोल दसों दिशाओं में गुंजेंगे और तब प्रचंड लू से दम घुट रहा था मनुष्यता का और दावानल में राख हो रहा था हिमालय भी। अब रवीन्द्रजयंती के साथ सूखे के सर्वग्रासी माहौल में भुखमरी के बादलों को धता बताकर फिर वृष्टि है और कालवैशाखी भी है। बंगाल की गली गली में फिर वही रवींद्र संगीत है। कल हमारे आदरणीय मित्र आनद तेलतुंबड़े से एक लंबे व्यवधाने के बाद फोन पर लंबी बातचीत हुई और इस बातचीत का निष्कर्ष य

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दिलों में मुहब्बत नहीं तो कायनात में यह कैसी बहार?

रवींद्र जयंती के मौके पर भी सियासती मजहब और मजहबी सियासत के शिकंजे में इंसानियत का मुल्क?

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে..

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,..

কেনো ভোরের আকাশ ভরে দিলে এমন গানে গানে...!!

কেনো তাঁরার মেলা গাঁথা,,

কেনো ফুলের শয়ন পাথা.....

কেনো দক্ষিন হাওয়া গোপন কথা জানায় কানে কানে.....!

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,

কেন আকাশ তবে এমন চাওয়া,

চায় এ মুখের পানে...........!

हाल में बंगाल में हुए लोकतंत्र महोत्सव के दौरान बाहुबलि भूतों का रणहुकार यही रहा है कि अब बंगाल में गली गली में रवींद्र संगीत नहीं बजेगा और उसके बदले पीठ की खाल उतारने वाले ढाक के चड़ा चड़ाम बोल दसों दिशाओं में गुंजेंगे और तब प्रचंड लू से दम घुट रहा था मनुष्यता का और दावानल में राख हो रहा था हिमालय भी।


अब रवीन्द्रजयंती के साथ सूखे के सर्वग्रासी माहौल में भुखमरी के बादलों को धता बताकर फिर वृष्टि है और कालवैशाखी भी है।


बंगाल की गली गली में फिर वही रवींद्र संगीत है।

कल हमारे आदरणीय मित्र आनद तेलतुंबड़े से एक लंबे व्यवधाने के बाद फोन पर लंबी बातचीत हुई और इस बातचीत का निष्कर्ष यही है कि समता और न्याय की लड़ाई में आज छात्र युवा सड़कों पर हैं तो हमें बिना शर्त उनका साथ देना चाहिए।इसके साथ ही पितृसत्ता के खिलाफ हमारी लड़ाई अगर शुरु ही नहीं होती तो आधी आबादी को बदलाव की लड़ाई में शामिल किये बिना और उनके नेतृत्व को स्वीकार किये बिना हमारी समता और न्याय की यह लड़ाई अधूरी होगी।

रवींद्र साहित्य और लोकसंस्कृति का पहला पाठ यही है।

মন্ত্রহীণ,ব্রাত্য,জাতিহারা রবীন্দ্র,রবীন্দ্র সঙ্গীত! Tagore liberated Woman in Music!

https://www.youtube.com/watch?v=FiEACpJo54w



पलाश विश्वास

आज मां दिवस है और कमसकम मैंने अपनी मां कि सेवा में कुछ भी नहीं किया।साझा परिवार में पला बढ़ा और किशोरावस्था में जो घर छोड़कर निकला,मां के पास रहा ही नहीं कभी और न मां गांव छोड़कर हमारे पास कभी रही नहीं।वे बसंतीपुर छोड़कर कहीं नहीं गयीं।

उन्हींके नाम बसा है बसंतीपुर।


आज सड़क पर उतरने से पहले सड़क पर तजिंदगी जनता के हक हकूक के लिए लड़ने वाले पिता को याद करता हूं तो मां की वह धूमिल सी तस्वीर खूब याद आ रही है कि उनने कभी आहिस्ते से भी पिता के जुनून के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठायी।

उनके बिना पिता की जनप्रतिबद्धता कितनी संभव थी?


तेभागा से लेकर शरणार्थी किसान आंदोलनों के साथियों के बसाये गांव बसंतीपुर में दरअसल कोई औरत मेरी मां से कम नहीं थीं और मेरा बचपन ऐसी असंख्य मांओं की ममता की छांव में पला जहां हिमालय की छांव भी उनके प्यार के आगे छोटी रही है।


शादी से पहले तक मेरी तहेरी दीदी मीरा दीदी पल पल मेरा ख्याल रखती थीं तो ताई और चाची और गांव की दूसरी तमाम औरतों के प्यार के मुकाबले मुझे अपनी मां के प्यार का अहसास अलग से कभी नहीं हुआ।तराई के हर गांव में फैला था मेरा बचपन।तमाम दीवारों के आर पार।जाति,भाषा और धर्म की सरहदों के बाहर।इसलिए अलग से मां का वजूद मैंने समझा ही नहीं।


पढ़ने के लिए नैनीताल गया तो तराई और पहाड़ की हर मां मेरी मां बन गयी और आज बूढ़ा अकेला जब सड़क पर उतरने की नौबत है  हर बेटी,बहन मां के चेहरे पर मेरी मां की तस्वीर चस्पां हैं।


इस कोलकाता में हाट में सब्जी बेचने वाली  और घरघर काम करने वाली औरतें फिर वही मेरी मां है तो तमाम आदिवासी औरतें जो उत्पीड़न और दमन के खिलाफ सोनी सोरी से भी बड़ी लड़ाई रोज रोज लड़ रही हैं,वे भी मेरी मां है और मेरे लिए वही भारत माता का असल चेहरा है।


मेरे लिए वही भारत मां का असल चेहरा है जो सेना को चुनौती देने वाली मणिपुर की निर्वस्त्र माताओं का है या रोज रोज देश के कोने कोने में पितृसत्ता के खिलाफ खड़ी हर औरत और पितृसत्ता के अनंत भोग और बलात्कार की शिकार औरत का चेहरा है।


इसलिए मुक्तबाजार के मुकाबले मैं इंफल के इमा बाजार,14 साल से अनशन पर इरोम शर्मिला और जल जंगल जमीन के लिए आदिवासी औरतों की तरह हर रोज लड़ रही मेरे हिमालय की इजाओं और वैणियों की गोलबंदी देखता हूं जो बाकी देश में अनुपस्थित है।

आज रवींद्र जयंती है और सरहद के आर पार इंसानियत के मुल्क पर सिर्फ रवींद्र संगीत की पूंजी के सहारे उत्पीड़ित वंचित स्त्री की जीजिविषा ही मेरे लिए असल रवींद्र संस्कृति है जो बंगाल और भारत की भी संस्कृति है,जहां धर्म या ईश्वर कही नहीं है और राष्ट्रीयता है तो वह विशुद्ध वैश्विक मानवता है,और उसका भी चेहरा मां का ही चेहरा है।

रवींद्र साहित्य और रवींद्र रचनाधर्मिता के मूल में बंगाल की बौद्धमय विरासत प्रबल स्थाईभाव है और उनकी तमाम कविताओं और यहां तक की गद्य रचनाओं में मूल स्वर बुद्धं शरणम् गच्छामी है और इसी लिए किसी मोहनदास करमचंद गांधी को उन्होंने ही महात्मा की उपाधि दी क्योंकि उनका जीवन दर्शन भी बंगाल की तरह बुद्धमय रहा है और उनका धर्म धम्म रहा है,सत्य और अहिंसा का ,जबकि वे खुद कट्टर हिंदू थे और वर्णाश्रम और जाति व्यवस्था के खिलाफ नहीं थे लेकिन अस्पृश्यता उनकी भी बाबासाहेब डा.भीमराव अंबेडकर की तरह मुख्य चिंता थी।

हमारे पुरखों की विविधता और बहुलता,सहिष्णुता और उदारता,विश्वबंधुत्व की गौरवशाली परंपरा ही दरअसल रवींद्र संस्कृति है और उसकी नींव वही भारत तीर्थ है जहां मनुष्यता की असंख्य धाराएं मानवता की एकच रक्तधारा में तब्दील है।


संत फकीर बाउल आंदोलन,आदिवासी किसान विद्रोह की जनसंस्कृति से गढ़ी है रचनाधर्मिता रवींद्र की,जो भारत मां की असली तस्वीर बनाती है जो अंततः पितृसत्ता के विरुद्ध खड़ी स्त्री है। चंडालिका से लेकर चित्रांगदा,रक्तकबरी से लेकर गोरा,चोखेर बाली और राशियार चिठि तक वह स्त्रीकाल सर्वत्र व्याप्त है।


इसीलिए बंगाल में सत्री की अस्मिता की लड़ाई पितृसत्ता के खिलाफ मोर्चाबंद रवींद्र संस्कृति  और इंक्लाब जिंदाबाद के कोलाहल के स्थान पर उनके प्रतिवाद का स्वर संगीतबद्ध आमार सोनार बांग्ला तोमाय भालोबासि है,जिसकी अभिव्यक्ति का चरमोत्कर्ष अंतर्निहित शक्ति बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में इस महादेश की हुई भारत विभाजन के बाद सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा है।

हाल में बंगाल में हुए लोकतंत्र महोत्सव के दौरान बाहुबलि भूतों का रणहुकार यही रहा है कि अब बंगाल में गली गली में रवींद्र संगीत नहीं बजेगा और उसके बदले पीठ की खाल उतारने वाले ढाक के चड़ा चड़ाम बोल दसों दिशाओं में गुंजेंगे और तब प्रचंड लू से दम घुट रहा था मनुष्यता का और दावानल में राख हो रहा था हिमालय भी।


अब रवीन्द्र जयंती के साथ सूखे के सर्वग्रासी माहौल में भुखमरी के बादलों को धता बताकर फिर वृष्टि है और कालवैशाखी भी है।


बंगाल की गली गली में फिर वही रवींद्र संगीत है।

वैसे तो बंगाल रवींद्र की छाया से बाहर कभी नहीं रहा है और रवींद्र जयंती के मौसम में हर छवि फिर रवींद्रनाथ की है।संगीत भी वही रवींद्र संगीत है।


फिर भी खुशवंत सिंह के कहे मुताबिक रवींद्र को ई पवित्र गाय नहीं है और उनकी हर छवि में भारतीयता और बारत की लोकविरासत भातर बाहर गूंथी हुई है और उसे देखने की दृष्टि हो तो सियासती या मजहबी उन्माद की कोई जगह ही नहीं बनती।


यह भी समझना हबेहद अनिवार्य है कि रवींद्र पक्ष दरअसल स्त्री पक्ष है और बंगाल में जब तक एक भी स्त्री के कंठ में गूंजेगा रवींद्र संगीत,रवींद्रनाथ की मृत्यु हो ही नहीं सकती।

इसी संदर्भ में यह भी समझना बेहद जरुरी है कि चिंत्रांगदा की तरह स्त्री जब सत्ता के विरुद्ध मोर्चाबंद हो जाती है तो जीत स्त्री की ही होती है और हारती हरबार पितृसत्ता है।

रवींद्र विमर्श एकमुश्त स्त्रीविमर्श और दलितविमर्श का समाहार है,जिसपर भारत या बंगाल में भी कायदे से चर्चा शुरु नहीं हुई है,जबकि पितृसत्ता के मुक्तबाजारी राष्ट्र के चरित्र को लोकतांत्रिक और जनपक्षधर बनाने के लिए इसपर सिलसिलेवार चर्चा भी अनिवार्य है।

संक्षेप में बोलें तो एक वाक्य में कहा जा सकता है कि लोकसंस्कृति की विरासत जहां स्त्री के हवाले है,वहां लोकसंस्कृति की मृत्यु हो नहीं सकती चाहे तमाम माध्यमों और विधाओं की मृत्यु हो जाये।


संक्षेप में बोलें तो एक वाक्य में कहा जा सकता है कि राष्ट्रीयता की पैठ जितनी गहरी लोकसंस्कृति में होगी उतनी ही वह निरंकुश सत्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी और जैसे निर्वासित सीता के पुत्रों ने रामराज्य के अश्वेमेधी घोड़ों के लगाम थाम लिये,जैसे अशवमेधी सर्वश्रेष्छ धनुर्धर अर्जुन मणिपुर की चित्रांगदा से पराजित हो गयी,जैसे चीरहरण से अपमानित द्रोपदी की शपथ से कुरुक्षेत्र में हारे कुरु रथी महारथी,वैसे ही स्त्री शक्ति के आगे अंध राष्ट्रवाद की पराजय तय है और यह रवींद्र विमर्श है , मेरा मौलिक दर्शन नहीं।

हालिया उदाहरण बांग्लादेश में लाखों औरतों का बलात्कार है और उनकी कुर्बानी किसी सैन्य हस्तक्षेप से छोटी हरगिज नहीं है और मरते दम उनके मुस्काते लहूलुहान होंठों पर धरे थे रवींद्र के परमाणु बम जैसे अमोघ बोल,आमार सोनार बांग्ला आमि तोमाय भालोबासि,बांग्लादेश स्वत्त्रता संग्राम का प्रस्थानबिंदू वही है।


उससे भी हालिया  एकदम ताजा उदाहरण बंगाल में लोकतंत्र महोत्सव में भूत बिरादरी की हिंसा तांडव दहशतगर्दी के विरुद्ध झाड़ू,दरांती वगैरह वगैरह घरेलू हथियार लेकर अपने मताधिकार के लिए मोर्चा बंद स्त्रियों के चेहरे हैं।

हालीशहर में तीन साल की बच्ची की पिटाई के बावजूद उसकी मां ने बूथ तक पहुंचकर वोट डाले और माफियाराज के खिलाफ अबतक खुलकर बोल रही।खास कोलकाता में अपने कलेजे के टुकड़ों,दूधमुंहा शिशुओं पर हमले के बाद भी स्त्री के प्रतिवाद का स्वर कुंद नहीं हुआ।वर्धमान में बूथलुटेरों को हथिरयारबंद औरतों ने खदेड़ दिया।


यह प्रतिरोध निरंकुश सत्ता का प्रतीक बनीं ममताबनर्जी के


फासिस्ट केसरिया गठबंधन के खिलाफ हैं तो याद करें कि दीदी का वह अभ्युत्थान भी और पुरानी तस्वीरें देख लें,नंदीग्राम,सिंगुर और लालगढ़ के मोर्चे पर परिवर्तन के लिए लड़ रही थीं स्त्रियां तो भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रतिरोध में ममता के अलावा मेधा,अनुराधा जैसी तमाम स्त्रियां नेतृत्व में थीं।भूल गयीं दीदी इतनी जल्दी।

बंगाल में तेभागा आंदोलन और खाद्यआंदोलन से लेकर नक्सल आंदोलन तक सर्वत्र फिर वहीं स्त्रीकाल है।

मणिपुर की कथा सभी जानते हैं।

सोनी सोरी की कथा भी मालूम है।

जेएनयू से लेकर यादवपुर तक हमारी बहादुर बेटियों की तस्वीरें भी लाइव हैं।

आज सुबह सुबह संडे इकोनामिक टाइम्स में आगजनी का परिणाम है उत्तराखंड दावानल आशय का आलेख पढ़ा तो लेखक का नाम भीमताल तितली अनुसंधान केंद्र के तितिली अनुसंधान केंद्र के तितली विशेषज्ञ पीटर स्मैटचेक का नाम देख बहुत सारी पुरानी यादें ताजा हो गयीं।तुरंत नैनीताल में राजीव लोचन दाज्यू को मोबाइल पर पकड़ा।

शमशेर दाज्यू की तबीयत खराब थी और वे दिल्ली एम्स में भर्ती थे तो उनकी चिंता पहले से थी।सबसे पहले उनका हाल पूछा तो पता चला कि शमशेर दाज्यू अल्मोड़ा में सकुशल वापस पहुंच गये हैं क्योंकि लड़ाई अभी बाकी है।


फिर मैंने पूछा कि यह पीटर तो फेड्रिक के भाई हैं तो दाज्यू ने कंफर्म कर दिया।कई बरस हुए फेड्रिक स्मैटचेक की असमय मौत हो गयी।वे डीएसबी में एमए इंग्लिश फर्स्ट ईयर में हमें प्रोज पढ़ाते थे और डीएसबी के पुराने टापर थे।वे पर्यावरण कार्यकर्ता थे और उनकी संस्था थी S.A.V.E.भारतभर में उनके पसंदीदी लेखक दो ही थे,भारत डोगरा और अनिल अग्रवाल।तब हमारा लिखा इधर उधर छप ही रहा था और नैनीताल समाचार में यदा कदा फेड्रिक भी लिख देते थे और वे राजीवदाज्यू के दोस्त भी थे।

उन्हीं फेड्रिक के पिता अंतरराष्ट्रीय तितली विशेषज्ञ थे और उन्हीं का बनाया हुआ भीमताल तितली अनुसंधान केंद्र है जो उनका स्टेट भी है सात ताल और भीमताल के मध्य नौकुचियाताल के ऊपर।

फेड्रिक मुझे कहा करते थे कि पर्यावरण पर ही लिखो क्योंकि भारत डोगरा और अनिल अग्रवाल के अलावा बारत में किसी को वे पर्यावरण का लेखक नहीं मानते थे और उनकी इच्छा थी कि सामाजिक कार्यकर्ता के बजाये हम पर्यावरण कार्यकर्ता बने।

उस तितली केंद्र में हम फेड्रिक के साथ ठहरे भी।

यह सत्तर के दशक के आखिरी दौर की बात थी और तब शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखंड संघर्षवाहिनी के अध्यक्ष थे और हमारे नेता थे।हम लोग तब गिरदा के साथ वैकल्पिक मीडिया बनाने में लगे थे और आंदोलन भी कर रहे थे।उधर दिल्ली में आनंद स्वरुप वर्मा तीसरी दुनिया निकाल रहे थे या निकालने ही वाले थे।

गिर्दा कहा करते थे कि पैसा वैसा कुछ नहीं चाहिए,बस,जनता का साथ होना चाहिए।जनता से लेकर जो लौटाओ,लोकसंस्कृति की वही धरोहर रचनाधर्मिता है और वैकल्पिक मीडिया की नींव भी वहीं लोकसंस्कृति है जो हमेशा सत्ता के खिलाफ मोर्चाबंद रही है।उनका मानना था कि आंदोलन के रास्ते ही वैकल्पिक मीडिया लोक संस्कृति की जमीन पर बन सकता है।वरना हर्गिज नहीं।


उस वक्त बंगाल की लोकविरासत और रवींद्र साहित्य के बारे में हमें कुछ खास नहीं मालूम था हालांकि हम बचपन से रवींद्र नजरुल पढ़ते रहे हैं लेकिन लोक विरासत की समझ के बिना वह पढ़ाई हमें रवींद्र संस्कृति को समझने में कोई मदद कर नहीं रही थी।

आज रवींद्र संगीत और रवींद्र साहित्य पर बोलते लिखते हुए चिपको आंदोलन समेत पहाड़ में हर आंदोलन में सबसे आगे रहने वाली तमाम इजाओं और वैणियों की याद आती हैं जो मेरी मां से कम नहीं हैं और मैंने उनकी भी कभी कोई सेवा नहीं की है।

कल हमारे आदरणीय मित्र आनद तेलतुंबड़े से एक लंबे व्यवधाने के बाद फोन पर लंबी बातचीत हुई और इस बातचीत का निष्कर्ष यही है कि समता और न्याय की लड़ाई में आज छात्र युवा सड़कों पर हैं तो हमें बिना शर्त उनका साथ देना चाहिए।इसके साथ ही पितृसत्ता के खिलाफ हमारी लड़ाई अगर शुरु ही नहीं होती तो आधी आबादी को बदलाव की लड़ाई में शामिल किये बिना और उनके नेतृत्व को स्वीकार किये बिना हमारी समता और न्याय की यह लड़ाई अधूरी होगी।

रवींद्र साहित्य और लोकसंस्कृति का पहला पाठ यही है।

दिलों में मुहब्बत नहीं तो कायनात में यह कैसी बहार?

रवींद्र जयंती के मौके पर भी सियासती मजहब और मजहबी सियासत के शिकंजे में इंसानियत का मुल्क?

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে..

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,..

কেনো ভোরের আকাশ ভরে দিলে এমন গানে গানে...!!

কেনো তাঁরার মেলা গাঁথা,,

কেনো ফুলের শয়ন পাথা.....

কেনো দক্ষিন হাওয়া গোপন কথা জানায় কানে কানে.....!

যদি প্রেম দিলেনা প্রাণে,,

কেন আকাশ তবে এমন চাওয়া,

চায় এ মুখের পানে...........!


odi Prem Dile Na Prane - Sraboni Sen [ Ekante ] - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 4:33

https://www.youtube.com/watch?v=qtNmKia_BPg

১৮ জানুয়ারী, ২০১৪ - GsM RahmaN আপলোড করেছেন

কেন আকাশ তবে এমন চাওয়া চায় এ মুখের পানে? তবে ক্ষণে ক্ষণে কেন আমার হৃদয় পাগল-হেন তরী সেই সাগরে ভাসায় যাহার কূল সে নাহি জানে?

Jodi prem dile na prane - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 4:47

https://www.youtube.com/watch?v=Y1qc7_MJnBI

৫ জানুয়ারী, ২০১১ - shamarahmanweb আপলোড করেছেন

Jodi prem dile na prane. Shama Rahman: ... Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra sangeet) by Srikanto ...

Jodi Prem Dile Na Prane.flv Rabindra Sangeet - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:15

https://www.youtube.com/watch?v=V8wTas4gPpY

১১ সেপ্টেম্বর, ২০১০ - arindam8585 আপলোড করেছেন

Jodi Prem Dile Na Prane.flv Rabindra Sangeet ... Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra sangeet) by ...

Jadi Prem Dile Na Prane by Suchitra Mitra - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:06

https://www.youtube.com/watch?v=3QDD_APy...

২৩ সেপ্টেম্বর, ২০১২ - Abhik Chatterjee আপলোড করেছেন

Jadi Prem Dile Na Prane by Suchitra Mitra. Abhik Chatterjee ...JODI PREM DILE NA PRANE Subinoy ...

Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra sangeet) by Srikanto Acharya ...

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 2:41

https://www.youtube.com/watch?v=B_7u-35JMw0

২৪ নভেম্বর, ২০১২ - Amit Debnath আপলোড করেছেন

Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra sangeet) by Srikanto Acharya ... jodi prem dile na praane alada ...

Jodi Prem Na Dele Prane - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 4:08

https://www.youtube.com/watch?v=cC_754FNSyU

২২ নভেম্বর, ২০১০ - Aniruddha Bose আপলোড করেছেন

Jodi Prem Na Dele Prane. Aniruddha Bose .... Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra sangeet) by ...

Jodi Prem Dile Na Prane (English Translation) Rabindra Sangeet By ...

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:15

https://www.youtube.com/watch?v=g5xvsPMlkmo

১৪ ফেব্রুয়ারী, ২০১১ - infinityTObeyond আপলোড করেছেন

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JODI PREM DILE NA PRANE Subinoy Roy Rabindrasangeet - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:55

https://www.youtube.com/watch?v=FkS-u3ZTgd0

১ মার্চ, ২০১৩ - pikeyenL7 আপলোড করেছেন

JODI PREM DILE NA PRANE Subinoy Roy Rabindrasangeet ... Jadi Prem Dile Na Prane(rabindra ...

Jodi Prem Dile Na Prane - Amita Sen (Khuku) - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:31

https://www.youtube.com/watch?v=h18x1spBBSQ

৮ নভেম্বর, ২০১৪ - Surajit Sen আপলোড করেছেন

Jodi Prem Dile Na Prane - Amita Sen (Khuku). Surajit Sen ...Jodi Prem Dilena Prane (Rabindrasangeet ...

Jodi Prem Dilena Prane (Rabindrasangeet)--Sahana Devi - YouTube

jodi prem dile na praneএর ভিডিও▶ 3:50

https://www.youtube.com/watch?v=7Gn40QBgimk

২৩ জুন, ২০১৩ - Saroj Sanyal আপলোড করেছেন

Jodi Prem Dilena Prane (Rabindrasangeet)--Sahana Devi. Saroj Sanyal ...


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Kashmir,Attempt to Murder: Police Delaying to Register FIR Ayaz Mughal

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Ayaz Mughal 

Physical Assault on me while I was way back home via Mughal Road. A group of goons stop our car and started abusing and started beating with punches and kicks. I have received several internal and external injuries. After filing a complaint in local Police Station, I was medically checked up and found visible injuries, scratches and internal injuries and fracture in my right shoulder (Clavicle).
Despite on the spot verification by Incharge Police Post Behramgala, statements of eyewitness and identifying the culprits, he is delaying to register FIR, the reason best known to everybody.

It was conspiracy to render a loss to my life.

Need your support and guidance

Ayaz Mughal
RTI Activist 
& Chairman Awake India.

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50 comments
Comments
Rayazat Ali
Rayazat Ali kon thay wo log.
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Nasar Bhat
Nasar Bhat Mughal sb kasay thay vo log
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Layaqit Malik
Layaqit Malik jin logon ne apke sath aisa kiya inko saza zaror mile gi.
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Himanshu Kumar
Himanshu Kumar Send a complaint to SP via registered post
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Aadil Hameed
Aadil Hameed How are you now? Come to Poonch and met with SP and other higher authorities.
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Dipen Dutta
Dipen Dutta share ur feeling. demand immediate arrest of culprits
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Bhat Hilal
Bhat Hilal Send application to SP of the concerned through Registered post and if no action is taken then approach to CJM of the district
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Shesh Nath Vernwal
Shesh Nath Vernwal Can we all write email to SP and IG regarding the Ayaz bhai matter for registering FIR and investigation. Ayaz bhai can provide email Ids ?
अयाज़ भाई क्या कोई कॉमन लैटर ड्राफ्ट कर सकते हैं, एसपी और आईजी को लिखने के लिए ?
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Sudhir Singh
Sudhir Singh Aap theek ho g kon thay wo log
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Seema Mustafa
Seema Mustafa Send us more details
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Rouf Lone
Rouf Lone Raise voice against these baldy goons we r wt u
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Neeraj Sharma
Neeraj Sharma If police will shield goons thn their is no diffrence btween the two ....
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Usman Chowdhary
Usman Chowdhary Lodge FIR against defaulter
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Lone Fayaz
Lone Fayaz Such type of criminals are enemies of democracy
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Abdul Hamid Fani
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Vipan Parihar
Vipan Parihar Take care of urself
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Shazad Mughal
Shazad Mughal Our demand iz dat strict action will be taken by police right now,
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Imran Rajput
Imran Rajput ohooo im so sad bro
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Tanveer Khan
Tanveer Khan Take care bro, Allah paak hifazat farmaiye.
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Manoj Kotwal
Manoj Kotwal Kon ha sala vo mujhe addres btao
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Mehraj Malik Mla
Mehraj Malik Mla where r u bhai nw .......its shoking .........Iam vid u .......dnt wory .....
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Ayaz Mughal
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Ayaz Mughal
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Zulfiqar Naqvi
Zulfiqar Naqvi Disappointing, disgusting. 
تندی ِ باد ِ مخالف سے نہ گھبرا اے عقاب 
یہ تو چلتی ہے تجھے اونچا اڑانے کے لئے
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Ayaz Mughal
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Riaz Mughal
Riaz Mughal
دشمن بنانے کیلئے لڑائی کرنا ضروری نہیں۔ اتنا کافی ہے کہ آپ تھوڑا سا کامیاب ہو جائیں ۔ پھر دیکھئے دشمنی تو خیرات میں مل جائے گی ۔
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Zafar Rahmani
Zafar Rahmani Complaint human rights
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Riaz Mughal
Riaz Mughal
آپ پر خصوصا مغل طبقہ کے ساتھ وابستہ رہنماؤں پر کیے جا رہے مظالم کی مغل اتحاد مزاحمت کرتا ہے۔ اور انتظامیہ سے گزارش کرتا ہے کہ قبیلہ کی اہم شخصیات پر ہو رہے مظالم کی تحقیقات کر کہ مجرموں کے خلاف کارروائی کی جائے ورنہ بڑے پیمانے پر احتجاج ہو سکتے ہیں۔
Like · Reply · 1 hr · Edited
Zafar Rahmani
Zafar Rahmani
اک زمانہ تھا ھم کھتے تھے
وادئ کشمیر ھے جنت کا نشاں
آج ھم کھتے ھیں یہ واردی ہے...See More
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Anayat Parvez
Anayat Parvez Get fir registred through court dint delay
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Shashank Katoch
Shashank Katoch ohhh god, get well soon
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Ranbir Singh Sudan
Ranbir Singh Sudan Really very unfortunate....I think you must better get direction from the court for the concerned police officials to act immediately and explain for the delay in filing the FIR
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Masood Azhar
Masood Azhar itz so shocking and shameful.police should do fair and keen inquiry without any political pressure.
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Sikander Qureshi
Sikander Qureshi do you know them?
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Javed Gulshan
Javed Gulshan Matter is of serious nature, police should take action without wasting time.
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Chowdhary Atiq Rajourvi
Chowdhary Atiq Rajourvi Mughal Sahab Don't Worry.God best is Supreme.
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Chowdhary Atiq Rajourvi
Chowdhary Atiq Rajourvi
تندی ِ باد ِ مخالف سے نہ گھبرا اے عقاب یہ تو چلتی ہے تجھے اونچا اڑانے کے لئے
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Haji Aamir Qureshi
Haji Aamir Qureshi This is a very Shameful act done. Police should take strict action.May Allah Give u health. Get well soon.
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Ishwar D Khajuria
Ishwar D Khajuria It is condemnable and coward act of miscreants. Concerned police station should register FIR and action to expose the culprit for punishment should initiated immediately.
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Samina Kousar
Samina Kousar Ohh.get well soon nd tkcre
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Samina Kousar
Samina Kousar Ye India hai boss yahan sahi ko galat or galt ko sahi banaya jata hai...
Jo hota hai wo dikhta nhi hai,or jo dikhta hai wo hota nhi hai...
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Karim Abdul
Karim Abdul It is shocking and shameful on the part of administration. My dear friend do you know or Can u identify them. All friends r requested to unite for raising voice against such action. In case we don't do so. Tomorrow it will be our turn
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Bashir Rather
Bashir Rather These people should and punished u/law
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Tariq Khan Pathan
Tariq Khan Pathan Bhai get well soon Allah sab thik kar dega.
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Yasir Janjua
Yasir Janjua u must come in court.we wll move application u/s156(3) of cr.pc.with regards yasir janjua advocate
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Balbir Singh
Balbir Singh Who is sho of that post
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Iqra Lone
Iqra Lone Strict action should b taken against them frown emoticon
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M Younis Naik
M Younis Naik
ہم آپ کے ساتھ ہے بھائی
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Sheikh Naseem
Sheikh Naseem
قابلِ مزمت
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दीदी खामोश। যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি কলকাতা: ক্যাম্পাসে বিজেপির দাদাগিরির অভিযোগ তুলে শনিবার রাজপথে নেমেছিল सोमवार फिर यादवपुर विश्वविद्यालय पर चढ़ाई करेंगे बजरंगी। পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক পুরুলিয়া:পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে একটি বাড়িতে বোমা বিস্ফোরণ। রঘুনাথপুর পুরসভার ৪ নম্বর... यादवपुर पर बाहरी तत्वों के बजरंगी ब्रिगेड की सिपाहसालार रूपा गांगुली ने इस आरोप को बकवास कहकर खारिज किया है तो भाजपा नेता देवश्री चौधरी के ताजा मंतव्य ने आग में घी डाल दिया है।बजरंगी ब्रिगेड के साथ कैंपस में हंगामा बरसाने वाली देवश्री ने सीधे कह दिया कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और यादवपुर विश्वविद्यालय की आजादी हम नहीं मानते और इन राष्ट्रविरोधियों से छेड़खानी भी जायज है। যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি কলকাতা: সিনেমার প্রদর্শনী ঘিরে বিতর্কের শুরু। যাতে ইন্ধন জুগিয়েছে ক্যাম

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दीदी खामोश।

যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি

যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি


কলকাতা: ক্যাম্পাসে বিজেপির দাদাগিরির অভিযোগ তুলে শনিবার রাজপথে নেমেছিল

सोमवार फिर यादवपुर विश्वविद्यालय पर चढ़ाई करेंगे बजरंगी।

পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক

পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক


পুরুলিয়া:পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে একটি বাড়িতে বোমা বিস্ফোরণ। রঘুনাথপুর পুরসভার ৪ নম্বর...

यादवपुर पर बाहरी तत्वों के बजरंगी ब्रिगेड की सिपाहसालार रूपा गांगुली ने इस आरोप को बकवास कहकर खारिज किया है तो भाजपा नेता देवश्री चौधरी के ताजा मंतव्य ने आग में घी डाल दिया है।बजरंगी ब्रिगेड के साथ कैंपस में हंगामा बरसाने वाली देवश्री ने सीधे कह दिया कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और यादवपुर विश्वविद्यालय की आजादी हम नहीं मानते और इन राष्ट्रविरोधियों से छेड़खानी भी जायज है।

যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি

যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি


কলকাতা: সিনেমার প্রদর্শনী ঘিরে বিতর্কের শুরু। যাতে ইন্ধন জুগিয়েছে ক্যাম্পাসের মধ্যে...

सत्ता ने समर्थकों और संगठनों से मांग लिया मुचलका क्योंकि हार का खतरा भारी है और आपस में मारामारी है।

दहशतगर्दी रोक नहीं सकी रवींद्र संगीत लेकिन हिंसा का सिलसिला जारी।

पूरा बंगाल रवींद्र मय है तो यादवपुर विश्वविद्यालय पर बजगरंगी हमले के खिलाफ बंगाल के केसरियाकरण के खिलाफ छात्रों और युवाओं के मोर्चे ने सियासती लड़ाई बेमतलब कर दी है क्योंकि कोई भी जीते या हारे,बंगाल में राबिंद्रिक संस्कृति की भावभूमि में हिंदुत्व के रंगभेदी तंत्रमंत्र के खिलाफ जंग जारी है।

सत्ता को डर है कि उत्तर बंगाल में सूपड़ा साफ हो जाने के बाद मुसलमानों का सारा वोट एकतरफा नहीं मिला तो न जाने क्या होगा।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

सत्ता ने समर्थकों और संगठनों से मांग लिया मुचलका क्योंकि हार का खतरा भारी है और आपस में मारामारी है।सत्ता समर्थक संगठन को जारी मुचलाका देने के आदेश की एक फोटोकापी के साथ आनंदबाजार पत्रिका में यह खबर विस्तार से छापी गयी है कि सत्ता पक्ष को अब किसी का भरोसा नहीं है।वैसे भी दीदी पुलिस की अतिसक्रियता से नाराज हैं और चुनाव जीतने के बाद इंच इंच देख लेने का ऐलान बार बार करती रही हैं और उनके अनमोल बोल के रिकार्ड चुनाव आयोग तक पहुंच भी चुके हैं।लेकिन सत्ता पक्ष से नत्थी संगठनों से मुचलका मांगने का यह कदम हैरतअंगेज है।


अब भी माना जा रहा है कि दीदी ही नई सरकार बनायेंगी और उत्तर बंगाल में बढ़त के बावजूद दीदी कांटे की लड़ाई जीत कर दिखा सकती है।भवानीपुर में भी उनकी जीत विपक्ष का वोट केसरिया सुनामी की बदौलत बिखर जाने से तय मानी जा रही है।समूचे दक्षिण बंगाल में यह केसरिया सुनामी दीदी के हक में मानी जा रही है।फिरभी हार का भय खूब सताने लगा है।


गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जीने 2 मई को ही भरोसा जताया था कि उनकी पार्टी ''बहुमत'' का आंकड़ा हासिल कर चुकी है। तब उन्होंने राज्य में तैनात केन्द्रीय बलों पर मतदाताओं से ''दुर्व्यवहार'' करने का आरोप लगाया। फिर दीदी ने कूचबिहार जिले में अपने चुनावी अभियान के दौरान कहा, ''चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं और तृणमूल कांग्रेस आराम से बहुमत हासिल कर चुकी है। हम (तृणमूल) अगली सरकार बनाएंगे। लेकिन मैं (नौ विधानसभा क्षेत्रों वाले) कूचबिहार जिले से सीटें चाहती हूं।''


अब हालत यह है कि कूचबिहार में फिरभी तीन सीटों की उम्मीद है और समूचे उत्तर बंगाल में दीदी का सूपड़ा साफ है और मुसलमानों का एकतरफा वोट नहीं मिला तो दक्षिण बंगाल से बहुमत हासिल करना बेहद मुश्किल है।


दहशतगर्दी रोक नहीं सकी रवींद्र संगीत लेकिन चुनावी हिंसा का सिलसिला जारी है और हमले एक तरफा हो रहे हैं ,ऐसा भी नहीं है।कांग्रेस ,वामदलों और तृणमूल कांग्रेस पर हमला और हिंसा के आरोप लग रहे हैं।इसी बीच यादवपुर विश्वविद्यालय पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाने वाली भाजपा ने सोमवार को जबावी जुलूस निकालने काऐलान कर दिया है जबकि राज्यपाल के जबावतलब के बाद उपकुलपति ने उन्हें जबाव भी दे दिया है।


विश्वविद्यालय में अभी परीक्षाएं चल रही हैं और वहां बार बार धावा जारी रखने,विश्वविद्यालय को अराजकता का केंद्र कहकर राज्यपाल के जवाब तलब और भाजपा के राष्ट्रद्रोह के आरोप के बावजूद मुॆक्यमंत्री और शिक्षामंत्री खामोश हैं।


गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थी परिषद के चार कार्यकर्ताओं के खिलाफ छात्राओं से छेड़खानी के आरोप में थाने में एफआईआर दर्ज करा दिया है और छात्र उनकी गिरफ्तारी की मांग पर डटे हुए हैं।यादवपुर पर बाहरी तत्वों के बजरंगी ब्रिगेड की सिपाहसालार रूपा गांगुली ने इस आरोप को बकवास कहकर खारिज किया है तो भाजपा नेता देवश्री चौधरी के ताजा मंतव्य ने आग में घी डाल दिया है।


बजरंगी ब्रिगेड के साथ कैंपस में हंगामा बरसाने वाली देवश्री ने सीधे कह दिया कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और यादवपुर विश्वविद्यालय की आजादी हम नहीं मानते और इन राष्ट्रविरोधियों से छेड़खानी भी जायज है।


आज रवींद्र जयंती के कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पक्ष विपक्ष के तमाम राजनेता कलाकारों की तरह बिजी रहे तो भूत बिरादरी का तमाशा भी चुनाव निबटने के बावजूद जारी रहा।


जिलों में बमबाजी,गोलीबारी और आगजनी का सिलसिला जारी है और सत्तादल के प्रतिद्वंद्वी गुटों में भी भारी मारामारी है।सत्ता को डर है कि उत्तर बंगाल में सूपड़ा साफ हो जाने के बाद मुसलमानों का सारा वोट एकतरफा नहीं मिला तो न जाने क्या होगा।


इसके बावजूद पूरा बंगाल रवींद्र मय है तो यादवपुर विश्वविद्यालय पर बजगरंगी हमले के खिलाफ बंगाल के केसरियाकरण के खिलाफ छात्रों और युवाओं के मोर्चे ने सियासती लड़ाई बेमतलब कर दी है क्योंकि कोई भी जीते या हारे,बंगाल में राबिंद्रिक संस्कृति की भावभूमि में हिंदुत्व के रंगभेदी तंत्रमंत्र के किलाफ जंग जारी है।


पिछले दो दिनों से बंगाल में तापमान गिरा है और हवा में नमी की मात्रा कम होने से दमघोंटू असहज मौसम में तनिक बदलाव आया है।कोलकाता में बारिश से राहत है तो जिलों में भी बारिश हो जाने से लोग राहत की सांस लेने जा रहे हैं।इसीके मध्य राजनीतिक सरगर्मी तेज है।


रवींद्र जयंती पर रवींद्र संगीत के बजाय ढाक और नगाड़े के साथ पीठ की खाल उतार लने की धमकी की केंद्रीय वाहिनी ,पुलिस और चुनाव आयोग के एहतियाती बंदोबस्त की वजह सै जैसे आम जनता ने खास परवाह नहीं की और आखिरी चरण में भी भूतों के छिटपुट नाट के बावजूद 84 फीसद से ज्यादा मतदान हुआ है,उससे सारे समीकरण फेल हैं और लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है।


एकतरफा वोट न होने की वजह से कांटे की टक्कर में नतीजा कुछ भी संभव है और सत्ता पक्ष को उत्तर बंगाल,बीरभूम,मालदा और मुर्शिदाबाद में दस सीटें भी मिलने की उम्मीद न होने और मुसलमान वोटबैंक दीदी मोदी गठबंधन से टूटने के खतरे की वजह से भारी असंमंजस की स्थिति है और सत्ता को भीतरी सेंध और दगा का खतरा इतना सता रहा है कि सत्तादल से संबंधित संगठनों और लोगों से बाकायदा मुचलका मांगा जा रहा है कि उनने सत्ता के पक्ष में ही वोट डाले हैं।


बदलते हालात में हालीशहर में जिस दूध पीती बच्ची की पिटाई से दहशत का माहौरल पैदा करके बेटे को जिताने की हरकत की बाहुबलियों ने उस घर के दरवाजे पर दस्तक दे दी पूर्व रेलवे मंत्री मुकुल रायने और वादा भी किया कि दोषियों को सजा जरुर मिलेगी।इस नरमी के बावजूद सियासत की गर्मी  थमी नहीं है।


हारने की हालत में कौन साथ रहेगा और कौन जीतनेवालों के साथ हो जायेगा,सत्ता पक्ष को यह सरदर्द खाये जा रहा है तो वामदलों और कांग्रेस की तैयारी गठबंधन सरकार के लिए तेज है और माकपा मुख्यालय में नई सरकार बनाने की तैयारियां तेज है।


दूसरी तरफ, केरल चुनावों में वामदलों के कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबाला की स्थिति में बंगाल का फेवीकोल गठबंधन कितना स्थाी होगा,इसकी भी अग्निपरीक्षा है।


इसी बीच उत्तर 24 परगना के शिल्पांचल बैरक पुर में पानपाड़ा में सुब्रत मुखर्जी के घर पर रवींद्र जयंती की पूर्व संध्या पर बमबाजी हुई।कांच टूटे हैं लेकिन जखमी कोई नहीं हुआ।टीटागढ़ पुलिस तहकीकात कर रही है और आरोप सत्तादल के बाहुबलियों के खिलाफ हैं


इसीतरह  दक्षिण 24 परगना के बारूइपुर में माकपा कार्यकर्ता के घर में कुछ अज्ञात लोगों ने आग लगा दी। जनता का आरोप है कि इसमें तृणमूल कांग्रेस का हाथ है। यह घटना बारूइपुर थाना के नवग्राम में घटी। पीड़ित माकपा समर्थक का नाम शुकदेव पैलान है। वहीं दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना को माकपा का आपसी विवाद बताया है।बहरहाल बारूइपुर थाने की पुलिस घटना की जांच कर रही है।

गौरतलब है कि तृणमूल पंचायत समिति प्रधान के पति ने दक्षिण 24 परगना के कुलतली स्थित आमतला अस्पताल में दो डाक्टरों की धुनाई कर दी थी। उस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया था। लेकिन आगलगी की घटना में किसी की गिरफ्तारी नहीं होने से इलाके में रोष है।

अनुव्रत के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें,उनके ठीक बाद दीदी के नाम शिकायतें

राज्य विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक शिकायतें तृणमूल नेता अनुव्रत मंडल के खिलाफ मिली हैं। इसके बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम है।किसी मुख्यमंत्री के नाम शिकायतों का यह भी रिकार्ड है।

अनुव्रत मंडल के खिलाफ शिकायतों के आधार पर एफआइआर, शोकॉज और यहां तक कि नजरबंद भी किया गया।हालांकि मुख्यमंत्री के खिलाफ केवल शोकॉज ही चुनाव आयोग द्वारा जारी किया गया। हांलाकि  मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता के मुताबिक, मुख्यमंत्री के खिलाफ जितनी भी शिकायतें मिली हैं उन्हें दिल्ली भेजा गया है।


शिकायतों के नजरिये से देखें तो बंगाल का नाम सबसे ऊपर है।

समाधान एप्प में अभी तक 54 हजार 500 शिकायतें मिली हैं। इसमें से माकपा ने 21240, कांग्रेस ने 1899, भाजपा ने 1733, तृणमूल ने 4775 शिकायतें की हैं। वर्ष 2015 में बिहार में पहली बार समाधान एप्प चालू किया गया था। वहां कुल करीब 12000 शिकायतें मिलीं । बंगाल उससे आगे निकल गया है।


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More than a 1000 students along with alumni and concerned citizens (aka 'outsiders' as the JNU administration calls us) came together for a human chain and protest at JNU campus today. The protest was in support of the students on indefinite hunger strike against the JNU admin and their highhanded attitude.

Next: यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर बजरंगी धावा और विद्यार्थी परिषद सचिव ने के छात्रों के पांव काट लेने की धमकी दी क्योंकि संघ परिवार के बिना दीदी अब बेसहारा हैं सरकार बनाने के लिए,चलाने के लिए भाजपा का साथ जरुरी बंगाल में विधानसभा चुनाव में दीदी की सत्ता में वापसी होगी या नहीं,यह नतीजा 19 मई को आयेगा।लेकिन बिहार के बाद बंगाल में संघ परिवार के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चाबंदी का आधार मजबूत हुआ है और यह हालात पर नजर रखते हुए संघ परिवार के सरदर्द का खास सबब है।इसीलिए उग्र हिंदुत्व का एजंडा बागी छत्रों के खिलाफ,विश्वविद्यालयों के खिलाफ। पूरे दक्षिण कोलकाता में भारी अराजकता पैदा करके संगपरिवार के तमाम संगठनों के रंग बिरंगे बजरंगियों ने यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर चढ़ाई करके केसरिया सुनामी जारी रखने की कवायद की है।पुलिस के तीन तीन बैरिकेड तोड़कर नवे चार नंबर गेट के समाने मानवबधन में संगठित छाकत्रकों शिक्षकों और कर्मचारिय़ों को सबक सिखाने के मूड में थे तो पुलिस ने अंतत- ऐसा होने नहीं दिया,गनीमत है। होता तो क्या होता ,कहना मुश्किल है।लेकिन संघ परिवार बंगाल में अब वाम धर्मनिरपेक्ष ताकतों से सीधे
Previous: दीदी खामोश। যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি যাদবপুর: সোমবার মিছিল করবে এবিভিপি কলকাতা: ক্যাম্পাসে বিজেপির দাদাগিরির অভিযোগ তুলে শনিবার রাজপথে নেমেছিল सोमवार फिर यादवपुर विश्वविद्यालय पर चढ़ाई करेंगे बजरंगी। পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে বিস্ফোরণ উড়ে গেল বাড়ির ছাদ, বাসিন্দারা পলাতক পুরুলিয়া:পুরুলিয়ার রঘুনাথপুরে একটি বাড়িতে বোমা বিস্ফোরণ। রঘুনাথপুর পুরসভার ৪ নম্বর... यादवपुर पर बाहरी तत्वों के बजरंगी ब्रिगेड की सिपाहसालार रूपा गांगुली ने इस आरोप को बकवास कहकर खारिज किया है तो भाजपा नेता देवश्री चौधरी के ताजा मंतव्य ने आग में घी डाल दिया है।बजरंगी ब्रिगेड के साथ कैंपस में हंगामा बरसाने वाली देवश्री ने सीधे कह दिया कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और यादवपुर विश्वविद्यालय की आजादी हम नहीं मानते और इन राष्ट्रविरोधियों से छेड़खानी भी जायज है। যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি যাদবপুর: বিজেপি নেত্রী দেবশ্রীর মন্তব্যে বিতর্কে ঘৃতাহুতি কলকাতা: সিনেমার প্রদর্শনী ঘিরে বিতর্কের শুরু। যাতে ইন্ধন জুগিয়েছে ক্যাম
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More than a 1000 students along with alumni and concerned citizens (aka 'outsiders' as the JNU administration calls us) came together for a human chain and protest at JNU campus today.

The protest was in support of the students on indefinite hunger strike against the JNU admin and their highhanded attitude.

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यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर बजरंगी धावा और विद्यार्थी परिषद सचिव ने के छात्रों के पांव काट लेने की धमकी दी क्योंकि संघ परिवार के बिना दीदी अब बेसहारा हैं सरकार बनाने के लिए,चलाने के लिए भाजपा का साथ जरुरी बंगाल में विधानसभा चुनाव में दीदी की सत्ता में वापसी होगी या नहीं,यह नतीजा 19 मई को आयेगा।लेकिन बिहार के बाद बंगाल में संघ परिवार के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चाबंदी का आधार मजबूत हुआ है और यह हालात पर नजर रखते हुए संघ परिवार के सरदर्द का खास सबब है।इसीलिए उग्र हिंदुत्व का एजंडा बागी छत्रों के खिलाफ,विश्वविद्यालयों के खिलाफ। पूरे दक्षिण कोलकाता में भारी अराजकता पैदा करके संगपरिवार के तमाम संगठनों के रंग बिरंगे बजरंगियों ने यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर चढ़ाई करके केसरिया सुनामी जारी रखने की कवायद की है।पुलिस के तीन तीन बैरिकेड तोड़कर नवे चार नंबर गेट के समाने मानवबधन में संगठित छाकत्रकों शिक्षकों और कर्मचारिय़ों को सबक सिखाने के मूड में थे तो पुलिस ने अंतत- ऐसा होने नहीं दिया,गनीमत है। होता तो क्या होता ,कहना मुश्किल है।लेकिन संघ परिवार बंगाल में अब वाम धर्मनिरपेक्ष ताकतों से सीधे

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यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर बजरंगी धावा और विद्यार्थी परिषद सचिव ने के छात्रों के पांव काट लेने की धमकी दी
क्योंकि संघ परिवार के बिना दीदी अब बेसहारा हैं
सरकार बनाने के लिए,चलाने के लिए भाजपा का साथ जरुरी
बंगाल में विधानसभा चुनाव में दीदी की सत्ता में वापसी होगी या नहीं,यह नतीजा 19 मई को आयेगा।लेकिन बिहार के बाद बंगाल में संघ परिवार के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चाबंदी का आधार मजबूत हुआ है और यह हालात पर नजर रखते हुए संघ परिवार के सरदर्द का खास सबब है।इसीलिए उग्र हिंदुत्व का एजंडा बागी छत्रों के खिलाफ,विश्वविद्यालयों के खिलाफ।
पूरे दक्षिण कोलकाता में भारी अराजकता पैदा करके संगपरिवार के तमाम संगठनों के रंग बिरंगे बजरंगियों ने यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर चढ़ाई करके केसरिया सुनामी जारी रखने की कवायद की है।पुलिस के तीन तीन बैरिकेड तोड़कर नवे चार नंबर गेट के समाने मानवबधन में संगठित छाकत्रकों शिक्षकों और कर्मचारिय़ों को सबक सिखाने के मूड में थे तो पुलिस ने अंतत- ऐसा होने नहीं दिया,गनीमत है।

होता तो क्या होता ,कहना मुश्किल है।लेकिन संघ परिवार बंगाल में अब वाम धर्मनिरपेक्ष ताकतों से सीधे टकरानेके मूड में है।फिलहाल आज की टक्कर में संघ परिवार के एक नेता जख्मी हो गये।

गौरतलब है कि भाजपा नेता देवश्री चौैधरी आज भी जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं।जिन्होंने साफ कहा है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और विश्वविद्यालय की कोई आजादी नहीं है।यहीं नहीं,राष्ट्रद्रोही छात्राओं के साथ छेड़खानी भी जायज है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बंगाल इकाई के सचिव ने यादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों के पांव काट लेने की धमकी दी है और एबीपी आनंद ने  इस चढ़ाई के लाइव वीडियो जारी किये हैं।

विश्वविद्यालय में परीक्षा चल रही थीं और संघ परिवार की जवाबी रैसली के ऐलान के बाद उपकुलपति ने रैली के आयोजकों से अपील की थी कि वे परीक्षा के दौरान अराजकता की स्थिति पैदा न करें।बहरहला घोषित कार्यक्रम के मद्देनजर परीक्षाएं हुई लेकिन समय के फेरबदल के साथ।लेकिन देशभक्ति के झंडेवरदारों ने परीक्षा दे रहे छात्रों की कोई परवाह नहीं कि जबकि उनका मुख्य मुद्दा विस्विद्यालयों से देशद्रोहियों को निकालकर पठन पाठन का माहौल बनाना है।

पूरे दक्षिण कोलकाता में भारी अराजकता पैदा करके संघ परिवार के तमाम संगठनों के रंग बिरंगे बजरंगियों ने यादवपुर विश्वविद्यालय पर फिर चढ़ाई करके केसरिया सुनामी जारी रखने की कवायद की है।पुलिस के तीन तीन बैरिकेड तोड़कर नवे चार नंबर गेट के समाने मानवबधन में संगठित छाकत्रकों शिक्षकों और कर्मचारिय़ों को सबक सिखाने के मूड में थे तो पुलिस ने अंतत- ऐसा होने नहीं दिया,गनीमत है।

होता तो क्या होता ,कहना मुश्किल है।लेकिन संघ परिवार बंगाल में अब वाम धर्मनिरपेक्ष ताकतों से सीधे टकरानेके मूड में है।फिलहाल आज की टक्कर में संघ परिवार के एक नेता जख्मी हो गये।

गौरतलब है कि यादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में शुक्रवार को एसएफआइ-डीवाईएफआइ व अभाविप के बीच हुई मारपीट से पूरा परिसर रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था। दोनों ओर से इस मारपीट की घटना में दर्जनों  छात्र गंभीर रूप से घायल हो गये। वाम छात्र संगठन की ओर से दो छात्राओं के साथ दुष्कर्म का आराेप अभाविप पर लगाया गया है।गनीमत है कि आज इसकी पुनरावृत्ति नहीं हुई।

गौरतलब है कि भाजपा नेता देवश्री चौैधरी आज भी जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं।जिन्होंने साफ कहा है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और विश्वविद्यालय की कोई आजादी नहीं है।यहीं नहीं,राष्ट्रद्रोही छात्राओं के साथ छेड़खानी भी जायज है।

मीडिया के मुताबिक छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सोमवार को गोलपार्क से जादवपुर आठ बी बस स्टैंड तक रैली निकाली। एबीवीपी का कहना है कि जादवपुर विश्वविद्यालय राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है, इसी के विरोध में उन्होंने रैली निकाली।

हाथों में झंडे और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाते हुए एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री सुबीर हल्दर ने बताया कि कुछ देशद्रोही वामपंथी छात्र संस्थान का माहौल बिगाड़ने में लगे हुए हैं। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व अन्य आयोजक मंडली के सदस्यों पर हमला भी किया। इस घटना के प्रतिवाद में रैली निकाली गई।

गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में रुपा गांगुली और देवश्री चौधरी की अगुवाई में संघ परिवार धावे के विरोध में शनिवार को यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा यूनिवर्सिटी से गोल पार्क तक जुलूस निकाला गया था। इसके बाद एबीवीपी की तरफ से सोमवार को रैली निकाली गई।

बता दें कि यूनिवर्सिटी में विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' की स्क्रीनिंग के दौरान हुए हंगामे के बाद से माहौल गरम बना हुआ है। शुक्रवार को मारपीट के बाद छात्र संगठनों के दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था। जादवपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से शांति व अनुशासन बनाये रखने की अपील की है।


उत्तर बांगाल में सत्तादल के सफाये के बावजूद दक्षिण बंगाल में मुसलमानों के वोट बैंक और धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण की वजह से विपक्षी वोटों में केसरिया सेंध से दीदी हल्के या भारी बहुमत से वोॉों के प्रतिशत में एक दो फीसद अंतर पड़ जाने से जीत सकती है।लेकिन तब दीदी के लिए संघ परिवार के मुताबिक राजनीति करनी होगी और उनका भी एजंडा केसरिया होगा।

क्योंकि अपनी जीत तय करने के लिए उनने जिस तरह बंगाल के केसरियाकरण की मुहिम का अघोषित साथ दिया,उसके हिसाब से कमसकम दक्षिण बंगाल में केसरिया सुनामी अब भी जारी है।

पिछले लोकसभा चुनावों के हिसाब भाजपा को सत्रह फीसदवोट मिल गये तो कमसकम अठारह सीटें मिल सकती हैं और वैसे भी सत्ता पक्ष भाजपा को नौ सीटें मिलने का अंदाजा लगा रही है।

इस हालत में बहुमत के लिए जरुरी संख्या हासिल न होने की हालत में त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में तृणमूल सरकार फिर बनने का रास्ता संघ परिवार का रास्ता है और दीदी सत्ता से बाहर होकर अपनी पार्टी में बिखराव का खतरा मोल नहीं ले सकती तो उनके लिए तब यही रास्ता बचता है।

यादवपुर विश्विद्यालय को पहले ही भाजपाई राज्यपाल ने अराजकता का अखाडा़ बता दिया और भाजपा  अध्यक्ष ने कुर्सी संभालते ही चुनाव से पहले यादवपुर विश्विद्यालय बंद करने की मुहिम छेड़ दी थी।मतदान का अंतिम चरण पूरा होते न होते वही मुहिम बेहद जोर शोर से फिर शुरु है।

बहाना फिल्म के प्रदर्शन का है,जिसकी आड़ में विद्यार्थी परिषद ने विऎश्वविद्यालय कैंपस में जमकर उधम मचाया और उनके साथ संघ परिवार के सभी संगठनों के सदस्य फिल्म स्टार रुपी गांगुली के नेतृत्व में बाकायदा अपने बाहुबल का प्रदर्शन किया।

नारे भी वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लगा रहे थे और संघ परिवार के इस धावे को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सहिष्णुता का संकट बताने से परहेज नही कर रहे हैं बंगाल के बुद्धिजीवी और अखबार तो यह केसरियाकरण के बाबुलंद सबूत हैं।


राज्यपाल ने जवाब तलब किया तो उपकुलपति ने जबाव भी दे दिया लेकिन विश्वविद्यालय प्रशाशन ने बहिरागत विद्यार्थी परिषद के चार छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया तो ममता बनर्जी की पुलिस अभियुक्तों को अभीतक गिरफ्तार नहीं कर सकी।

इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं यादवपुर के  छात्र।

इसीके जवाब ने संघ परिवार ने सारी ताकत झोंककर आज विद्यार्थी परिषद के जवाबी जुलूस के बहाने आज फिर यादवपुर विश्वविद्यालय पर धावा बोल दिया।हांकि इस जुलूस में छात्रों की संख्या न के बराबर थी और उम्रदराज संघ परिवार के रंगबिरेंग बजरंगी बड़ी संख्या में थे।

केंद्र में भाजपा की सरकार है तो यादवपुर और जेएनयू को कुचल देंगे,इस आक्रामक तेवर के साथ बजरंगियों ने जो यादवपुर पर चढ़ाई कर दी,इसका मकसद बंगाल में भी हिंदुत्व के आक्रामक एजंडा को आगे बढ़ाना है और खास बात है कि भारी संख्या में आम लोग और बुद्धिजीवी,वकील,डाक्टर,प्रोफेसर और फिल्म स्टार इस मुहिम के साथ हैं।जेएनयू में बागी छात्रों को सजा दिलाने के बाद बाकायदा भगवा और राष्ट्रीय झंडा के साथ यादवपुर औरजेएनयू के कम्युनिस्ट देशद्रोहियों को सजा दिलाने की मांग लेकर संघ परिवार ने कामयाब शक्ति प्रदर्शन किया।

इसी बीच यादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के मामले पर माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि विश्वविद्यालय में फिल्म की  स्क्रीनिंग  हो सकती है। फिल्म स्टार भी यहां आते हैं, लेकिन बाहर से आपराधिक तत्वों को बुला कर यहां गुंडागर्दी करवाना  यह लोकतंत्र पर हमला है. इसे बिलकुल नहीं सहा जा सकता।
ये बातें उन्होंने रविवार को मध्यमग्राम में पार्टी की ओर से आयोजित एक  कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए एबीवीपी के समर्थकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बाहरी तत्वों को बुला कर विश्वविद्यालय परिसर में गुंडागर्दी की जा रही है। साथ ही छात्रों को भयभीत करने की कोशिश की जा रही है।

मो सलीम तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि  यादवपुर में वे भी ऐसा कर चुुुके हैं।
एबीपी आनंद की खबर हैः

যাদবপুরের পড়ুয়াদের পা কাটার হুঁশিয়ারি এবিভিপি রাজ্য সম্পাদকের

যাদবপুরের পড়ুয়াদের পা কাটার হুঁশিয়ারি এবিভিপি রাজ্য সম্পাদকের
কলকাতা: পাল্টা পথে নেমে যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের পড়ুয়াদের পা কাটার হুঁশিয়ারি দিলেন আরএসএস-এর ছাত্র সংগঠন অখিল ভারতীয় বিদ্যার্থী পরিষদ বা এবিভিপি-র রাজ্য সম্পাদক সুবীর হালদার! বললেন, কমরেড শুনে রাখুন, যাদবপুরের বাইরে বেরোলে পা কেটে রেখে দেব!

যাদবপুরে সিনেমা প্রদর্শনী বিতর্কের পর পাল্টা সোমবার পথে নামে অখিল ভারতীয় বিদ্যার্থী পরিষদ। এদিন গোলপার্ক থেকে যাদবপুর পর্যন্ত মিছিল হয়। যোগ দেন বিজেপির নেতা কর্মীরাও। গলায় চড়া সুর। আর সেই মিছিলে স্লোগান উঠল 'মদ,গাঁজা চুর চুর, দেখিয়ে দিল যাদবপুর'। অনেকেই কটাক্ষের সুরে বলছেন, আরএসএসের ছাত্র সংগঠনের মিছিলে আজ যে স্লোগান শোনা গেল, ২০১৪ সালে তো এর আমদানি হয়েছিল তৃণমূলের হাত ধরে!
সোস্যাল নেটওয়ার্কিং সাইটে সেদিন যাদবপুরের ছাত্র আন্দোলনকে নেশাখোরদের আন্দোলন বলে চিহ্নিত করার ইঙ্গিত দিয়েছিলেন তৃণমূল সাংসদ অভিষেক বন্দ্যোপাধ্যায়। ফেসবুকে তৃণমূলনেত্রীর ভাইপো লিখেছিলেন 'মদ, গাঁজা, চরস বন্ধ, তাই কি প্রতিবাদের গন্ধ?'
অভিষেকের পথে হেঁটেই হোক 'কলরব'কে আক্রমণ করেছিলেন তৃণমূল ছাত্র পরিষদের তদানীন্তন রাজ্য সভাপতি শঙ্কুদেব পণ্ডা। অভিষেক-শঙ্কুরা সে দিন যা বলেছিলেন, তাৎপর্যপূর্ণভাবে এদিন সেটাই শোনা গেল আরএসএসের ছাত্র সংগঠনের কর্মীদের মুখে।
শুধু স্লোগানই নয়, এবিভিপির পোস্টার, ব্যানারেও ছিল আক্রমণের একই কৌশল। সেখানে জায়গা পেয়েছিল, 'মাওবাদ', 'চুমুবাদ'জাতীয় লেখা। মুখেও ছিল অশালীন আক্রমণ। বিজেপি নেত্রী দেবশ্রী চৌধুরী হুমকির সুরে বলেন, দেখি ওরা কত দূর এগোতে পারে।
মিছিল-কর্মসূচির আঁচ যাতে যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ে গিয়ে না পড়ে সে জন্য তৎপর ছিল পুলিশও। ক্যাম্পাসের প্রবেশপথে ছিল একাধিক ব্যারিকেড। যাদবপুর যেন যুদ্ধক্ষেত্রে পরিণত হয়ে ওঠে! প্রস্তুতি ছিল পড়ুয়াদের প্রতিরোধেরও। এবিভিপির মিছিল যখন যাদবপুর থানার দিকে এগিয়ে আসছিল, তখন প্ল্যাকার্ড হাতে ক্যাম্পাসের চার নম্বর গেটে জমায়েত করেন যাদবপুরের পড়ুয়ারা। তাতে সামিল হন অধ্যাপক, শিক্ষাকর্মীরাও।
ছাত্রছাত্রীদের আশঙ্কাই কিছুক্ষণের মধ্যেই সত্যি হয়। আচমকা যাদবপুর থানার পর যে ব্যারিকেড ছিল, সেটি ভাঙার চেষ্টা করে এবিভিপি। হাতে জাতীয় পতাকা! কিন্তু, এবিভিপির আন্দোলনের সঙ্গে জাতীয় পতাকার সম্পর্ক কী? তাহলে কি জাতীয়তাবাদী আবেগকে নিজেদের সংকীর্ণ রাজনৈতিক স্বার্থে ব্যবহার করতে চাইছে আরএসএস-এর ছাত্র সংগঠন? প্রশ্ন তোলেন যাদবপুরের পড়ুয়ারা।
এরমধ্যেই মিছিলকে সতর্ক করে পুলিশ। মিছিলকারীদের উদ্দেশ্যে মাইক হাতে পুলিশকে বলতে শোনা যায়, এটা বেআইনি জমায়েত। আপনারা ব্যারিকেড ভাঙবেন না। কিন্তু তারপরও ক্যাম্পাসের দিকে এগোনোর চেষ্টা থামায়নি এবিভিপি। পুলিশের সঙ্গে তাদের তুমুল ধস্তাধস্তি হয়।

बांग्ला टीवी चैनल 24 घंटा की रपट देखेंः

পাল্টা মিছিলে ব্যারিকেড টপকে এগোনোর চেষ্টা ABVP সমর্থকদের, ধাক্কাধাক্কিতে আহত RSS নেতা

পাল্টা মিছিলে ব্যারিকেড টপকে এগোনোর চেষ্টা ABVP সমর্থকদের, ধাক্কাধাক্কিতে আহত RSS নেতা
ওয়েব ডেস্ক: ছবি দেখানো ঘিরে ধুন্ধুমার। ছাত্রছাত্রীদের মুখোমুখি ABVP সমর্থকরা। ছাত্রছাত্রীদের মিছিল। সোমবার পাল্টা মিছিল করল ABVP। গোলপার্ক থেকে যাদবপুর এইট বি পর্যন্ত যাওয়ার লক্ষ্যে শুরু হল মিছিল, ঘড়ির কাঁটায় তখন চারটে দশ।

এবিভিপির ডাকে মিছিল হলেও পা মেলাতে দেখা গেল রাজ্য বিজেপির একাধিক নেতানেত্রীকে। ছিলেন চলচ্চিত্র জগতের কলকুশলীরাও। গোলপার্ক থেকে যাদবপুর থানা পর্যন্ত মিছিল এল বিনা বাধায়। ততক্ষণে যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়কে নিরাপত্তার বেষ্টনী মুড়ে ফেলেছে পুলিস। যাদবপুর থানার সামনে প্রথম বাধার মুখে পড়ল মিছিল। বিশ্ববিদ্যালয়ের দিকে যেতে যাওয়া মিছিল আটকে দিল পুলিস। শুরু হয়ে গেল দুতরফের ধস্তাধস্তি।
ব্যারিকেড টপকে সামনে এগোনোর চেষ্টা করতে দেখা গেল বেশ কয়েকজন ABVP সমর্থককে। কড়া হাতে পরিস্থিতি সামাল দিল পুলিস। আন্দোলনকারীদের আটকাতে গিয়ে ধাক্কাধাক্কিতে আহত হলেন আরএসএস নেতাও। বাধা পেয়ে থানার সামনেই অবস্থানে বসে পড়ল ABVP সমর্থকরা। আন্দোলনকারীদের দাবি, যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের ঢুকতে দিতে হবে তাঁদের। না হলে আন্দোলন চালিয়ে যাবেন তাঁরা।
অন্যদিকে, বিশ্ববিদ্যালয়ের তিন নং গেটের সামনে তখন টান টান উত্তেজনা। ABVP সমর্থকদের পাল্টা স্লোগানিং শুরু করলেন বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্রছাত্রীরাও। প্রায় আধঘণ্টা চলল দু তরফে স্নায়ুর লড়াই। একদিকে যখন অবস্থান চলছে, আরেকদিকে তখন পুলিসের সঙ্গে আলোচনায় ব্যস্ত বিজেপির রাজ্য নেতৃত্ব। শেষপর্যন্ত বরফ গলল। অবস্থান তুলে নেওয়ার কথা ঘোষণা করল ABVP। দুতরফেরই দাবি লক্ষ্যে তাঁরা সফল। স্বস্তির নিঃশ্বাস উপাচার্যের।

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घूस न लेने वाले दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल का नोटिस चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया। दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे।लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: उत्तराखंड में हो गयी किरकिरी आगे फिर उत्तर प्रदेश की बारी उत्तराखंड की सत्ता पर डाका डालने में संघ परिवार की करारी हार लोकतंत्र की जीत है संघ परिवार को लगातार शिकस्त देने के अलावा इस देश में आम जनता को मुक्तबाजारी नरंसहार से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। यह सिर्फ कांग्रेस या हरीश रावत की जीत नहीं है और इसे भी ज्यादा अभी जिंदा न्यायपालिका की जीत है यह। इस लोकतंत्र को जारी रखने की लड़ाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता न हो तो हम समाजिक न्याय और समता की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते। यूपी के चुनाव से पहले उत्तराखंड में आस्था वोट के मौके पर कांग्रेस को अपना निर्णायक समर्थन देकर संघ परिवार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए बहन मायावती को बधाई।यूपी में भी संघ परिवार को हराने के लिए बहन जी अगर व्यापक धर्मनिरपेक्ष लोकतातांत्रिक मोर्च का समर्थन कर दें तो यकीनन यूपी में भी हारेगा संघ परिवार। बकौल राजीव नयन बहुगुणाःहाय , हाय , बागी दुर्दशा देखी न जाए ---------------------------------------------- गर्भावस्था के नवें महीने में औरत की , और चुनाव के वर्ष में विधायक की भूख बढ़ जाती है । ऐसे में परिवार का मुखिया उनकी
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घूस न लेने वाले दिनेश त्रिवेदी को तृणमूल का नोटिस

चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे।लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने की सजा पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को मिल रही है और वे एकदफा फिर आंख की किरकिरी में तब्दील हैं।चुनाव प्रचार के बाद अब संसद की कार्यवाही से दूर रखे जा रहे तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदीपर पार्टी गाज गिरा सकती है। पार्टी उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने पर की प्रक्रिया नोटिस देकर शुरु कर दी है।

2012 में रेल मंत्री रहते तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी से सलाह-मशविरा किए बिना यात्री किराया बढ़ाने के कारण मंत्रालय खोने वाले बैरकपुर से पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदीके खिलाफ एक बार फिर दीदी कार्रवाई कर रही हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बीच नारद स्टिंग में घूस लेते दिखाए गए तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने और सच्चाई बाहर आने तक सभी आरोपियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर करने संबंधी बयान देकर उन्होंने विपक्षी पार्टियों की वाहवाही तो खूब बटोरी, लेकिन तृणमूल सुप्रीमो को एक बार फिर नाराज कर दिया। वैसे दीदी भी चुनाव प्रचार के दौरान रिश्वतखोरी का खंडन करने के बजाययह कहकर सबको चौंका चुकी है कि पहले से जानती तो वे टिकट ही नहीं देती।फिर उनने यह भी कहा कि सभी लेते हैं और हमने लिया तो बुराई क्या है।मुकुल राय ने तो दो कदम बढ़कर कहा कि वे जिम्मेदारी लेकर कहते हैं कि जिसने भी पैसे लिये,अपने लिए नहीं लिये।

स्टिंग ऑपरेशन से ले कर चुनाव में बच्चों पर हमले के मुद्दे पर पार्टी और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के विरोध में त्रिवेदी के बयान से पार्टी में नाराजगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी नेताओं ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान दिनेश त्रिवेदीने दीदी (ममता बनर्जी) के खिलाफ बयान दे कर अनुशासन तोड़ा है और पार्टी को हानि पहुंचाने का काम किया है।

शारदा से नारद तक के सफर में साख की संकट से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

इन्हीं त्रिवेदी को रेलमंत्री से हटाकर दीदी ने मुकुल राय को रेल मंत्री बनाया था और बीच में मुकुल राय भी बगावत पर उतारु हो गये तो फिर विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें पुनर्वास मिला।तृणमूल के भातर मचे घमासान का नजारा यह है।

दीदी को बहुमत मिला तो फिर सारे ताने बाने सत्ता के फेवीकोल से जुड़ जायेंगे।लेकिन सत्ता में वापसी नहीं हुई तो सत्तादल के बिखर जाने का अंदेशा है।

मजा यह है कि सार्वजनिक तौर पर चुनाव से पहले तक नारद स्टिंग में फंसे पार्टी के मंत्रियों,सांसदों,मेयरों,विधायकों और नेताओं का अब तक जिन दिनेश त्रिवेदी ने लगातार बचाव किया है,उनके खिलाफ नोटिस जारी करने में उन्हीं सिपाहसालारों का हाथ है।इसके साथ ही खास गौरतलब नारद स्टिंग कराने वाले मैथ्यू शमशुल का यह बयान है कि रिश्वत के लिए संपर्क साधने पर त्रिवेदी ने उनसे मुलाकात ही नहीं की थी।रिश्वत न लेने के लिए या रिश्वतखोरी के आरोपों में बचे साथियों के बचाव के लिए,किस अपराध में पूर्व रेलमंत्री को फिर टिकाने लगाने की यह तैयारी है कहना मुश्किल है।

हालत यह है कि सत्ता दल गहरे असुरक्षाबोध का शिकार है और गारंटी के साथ कोई बता ही नहीं सकता कि 19 मई को क्या होना है।हालांकि जेल में बंद पूर्व मंत्री मदन मित्र बार बार दावा कर रहे हैं कि पार्टी को दो सौ सीटों से ज्यादा बहुमत हासिल होगा और दीदी कांग्रसे और भाजपा को साइन बोर्ड में तब्दील करने की दमकी देते हुए लगाता इंच इंच समझ लेने की चेतावनी जारी कर रही हैं और सत्तादल का हर दूसरा सिपाहसालार संदिग्ध है।

बहरहाल इंच इंच समझ लेने की शुरुआत दिनेश त्रिवेदी से हो गयी।हालांकि दिनेश त्रिवेदी का कहना है कि उन्हे पार्टी की बैठक में बुलाया नहीं गया और उन्हें ऐसे किसी फैसले के बारे में जानकारी नहीं है। रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी से नाराजगी मोल लेकर यूपीए सरकार में अपनी कुर्सी गंवाने वाले दिनेश त्रिवेदीइन दिनों 'दीदी' से काफी नाराज हैं। दरअसल, दिल्ली में कभी ममता की आवाज कहे जाने वाले दिनेश त्रिवेदीकी जगह अब राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ले ली है। सियासी गलियारे में वैसे तो दिनेश की जगह पहले मुकुल राय ने ली थी, लेकिन फिर उनके किनारे होने पर ममता के निर्देश अब सिर्फ डेरेक को मिलते हैं।

दरअसल कुल मामला यह है कि राज्य विधानसभा चुनाव के समाप्त होने से पहले ही बैरकपुर के तृणमूल कांग्रेस सांसद दिनेश त्रिवेदीने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर दिखाया है। उनके अनुसार पार्टी में ईमानदार लोगों को सजा तथा असत्य लोग सम्मानित किए जाते हैं। त्रिवेदी नारदा स्टिंग काण्ड के प्रसारित होने के बाद आरोपी नेताओं के संदर्भ में टिप्पणी कर सुर्खियों में हैं। उन्होंने मामले की जांच नहीं होने तक उक्त नेताओं को घरों में बैठने की सलाह दी थी।


बहरहाल  तृणमूल कांग्रेस सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदीके इस बयान के दो दिन के बाद हि उनकी पार्टी में ईमानदारी को सजा मिल रही है और बेईमानी को पुरस्कृत किया जा रहा है, पश्चिम बंगाल की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधुरी ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया है।


चौधुरी ने सोमवार को कहा, "दिनेश त्रिवेदीको हमारा प्रस्ताव है कि वह बेईमानी को पुरस्कृत करने वाली तृणमूल को छोड़कर कांग्रेस में आ जाएं। त्रिवेदी बुनियादी तौर पर कांग्रेस की ही उपज हैं और हममें से कइयों से ज्यादा कांग्रेसी हैं।"


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि त्रिवेदी कांग्रेस के नेता रहे हैं। बाद में वह तृणमूल में चले गए। वह कांग्रेस में लौटना चाहें तो उनका स्वागत है। उनके लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला हुआ है। वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं करने के सवाल पर त्रिवेदी ने कहा कि इसका जवाब उनकी पार्टी के पास है। उन्होंने कहा कि पार्टी में ईमानदार आदमी को सजा मिलती है व दोषी आदमी को पुरस्कार मिलता है। इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद व युवा तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह दिनेश त्रिवेदीका व्यक्तिगत बयान है।


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उत्तराखंड में हो गयी किरकिरी आगे फिर उत्तर प्रदेश की बारी उत्तराखंड की सत्ता पर डाका डालने में संघ परिवार की करारी हार लोकतंत्र की जीत है संघ परिवार को लगातार शिकस्त देने के अलावा इस देश में आम जनता को मुक्तबाजारी नरंसहार से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। यह सिर्फ कांग्रेस या हरीश रावत की जीत नहीं है और इसे भी ज्यादा अभी जिंदा न्यायपालिका की जीत है यह। इस लोकतंत्र को जारी रखने की लड़ाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता न हो तो हम समाजिक न्याय और समता की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते। यूपी के चुनाव से पहले उत्तराखंड में आस्था वोट के मौके पर कांग्रेस को अपना निर्णायक समर्थन देकर संघ परिवार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए बहन मायावती को बधाई।यूपी में भी संघ परिवार को हराने के लिए बहन जी अगर व्यापक धर्मनिरपेक्ष लोकतातांत्रिक मोर्च का समर्थन कर दें तो यकीनन यूपी में भी हारेगा संघ परिवार। बकौल राजीव नयन बहुगुणाःहाय , हाय , बागी दुर्दशा देखी न जाए ---------------------------------------------- गर्भावस्था के नवें महीने में औरत की , और चुनाव के वर्ष में विधायक की भूख बढ़ जाती है । ऐसे में परिवार का मुखिया उनकी

Next: Indra Mani Upadhyay ने लिखा है-- कल पूरा तिनसुकिया बन्द था बाजार दुकान सड़कें.. अजीब सा सन्नाटा, किसलिए.. इस लड़की के लिए जिसका नाम चंपा क्षेत्री बताया जा रहा है। 20 वर्ष की यह लड़की 29 apr को अचानक गायब हुई फिर जब वह मार्घेरिटा पुलिस द्वारा 3 मई को लामा गाँव के पास दिहिंग नदी में मिली (लाश) तो किस हालत में थी.. उफ़ (फोटो में खुद देखें)। अपहरण बलात्कार फिर नृशंश हत्या.....। कल AASGU के आह्वान पर 12 घंटे का बंद रखा गया। पुलिस ने लीडो क्षेत्र के 'बिश्वजीत क्षेत्री'और 'मोइनुल अली'नामक दो युवकों को इस आरोप में चिन्हित/गिरफ्तार किया है। फिलहाल यह घटना भी इसी देश की है (गर आप इसे अपना मानते हों, क्योंकि आपके लिए दिल्ली ही देश है) पर डिग्री के फेर में उलझे देश को क्या किसी राष्ट्रीय चैनल या अख़बार में यह खबर नजर आई??? आएगी क्यों वैसे भी केरल से असम तक यह बातें राष्ट्रीय चरित्र बन चुकी हैं, इसलिए अब ये न्यूज़ का, प्राइम टाइम का टॉपिक नही रहीं। तो प्यारे देशवासियों, मीडिया सुपरमैन्स, संसद में बैठे चौकीदारों... आप डिग्री-डिग्री खेलिए, हम चम्पाओं, जीशाओं की लड़ाई लड़ लेंगे, खुद ही उनकी आवाज़ बनेंगे...
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उत्तराखंड में हो गयी किरकिरी

आगे फिर उत्तर प्रदेश की बारी

उत्तराखंड की सत्ता पर डाका डालने में संघ परिवार की करारी  हार लोकतंत्र की जीत है

संघ परिवार को लगातार शिकस्त देने के अलावा इस देश में आम जनता को मुक्तबाजारी नरंसहार से कोई राहत नहीं मिलने वाली है।


यह सिर्फ कांग्रेस या हरीश रावत की जीत नहीं है और इसे भी ज्यादा अभी जिंदा न्यायपालिका की जीत है यह। इस लोकतंत्र को जारी रखने की लड़ाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता न हो तो हम समाजिक न्याय और समता की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते।


यूपी के चुनाव से पहले उत्तराखंड में आस्था वोट के मौके पर कांग्रेस को अपना निर्णायक  समर्थन देकर संघ परिवार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए बहन मायावती को बधाई।यूपी में भी संघ परिवार को हराने के लिए बहन जी अगर व्यापक धर्मनिरपेक्ष लोकतातांत्रिक मोर्च का समर्थन कर दें तो यकीनन यूपी में भी हारेगा संघ परिवार।

बकौल राजीव नयन बहुगुणाःहाय , हाय , बागी दुर्दशा देखी न जाए

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गर्भावस्था के नवें महीने में औरत की , और चुनाव के वर्ष में विधायक की भूख बढ़ जाती है । ऐसे में परिवार का मुखिया उनकी भूख का संज्ञान लेते हुए उन्हें पौष्टिक और तरावट वाली चीज़ खिलाये । कचर बचर न खाने दे । घर से भागी हुयी दुघर्या जनानी और विधायक कहीं के नहीं रहते । जग हंसाई तो होती ही है , दूसरा घर भी मुश्किल से मिलता है । पिछला सब छूट जाता है । किसी के बहकावे में कभी अपनी पार्टी , और अपना घर न छोड़ें । दुश्मन के मन की हो जाती है । पनघट पर भी पानी भरने चोरी छुपे जाना पड़ता है । शराबी , कबाबी , बदमाश किस्म के मनुष्यों की पापी नज़र हर वक़्त पीछा करती है ।

पलाश विश्वास

बिहार में हारने के बाद  बंगाल दखल करने के लिए जिस  तेजी से बंगाल का भगवाकरण जारी है,उसके मद्देनजर उत्तराखंड की सत्ता पर डाका डालने में संघ परिवार की हार लोकतंत्र की जीत है और यह सिर्फ कांग्रेस या हरीश रावत की जीत नहीं है और इसे भी ज्यादा अभी जिंदा न्यायपालिका की जीत है यह।


केंद्र की सरकार नागपुर के संघ मुख्यालय से चलाने वाले बजरंगदी ब्रिगेड ने संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध सरकारिया आयोग की तमाम सिफारिशों के उलट केंद्र सरकार पर काबिज राजनिति के अशवमेधी घोड़ों को दिशा दिशा दौड़ाकर राज्य सरकारों का तख्ता पलटने के लिए राष्ट्रपति,राज्यपाल और विधानसभाध्यक्ष जैसे संवैधानिक पदों के लोकतांत्रक संस्थानों का खत्म करने का जो भगवा उपक्रम शुरु किया है,उसके मद्देनजर यह भारतीय लोकतंत्र और भारत की जनता की बहुत बड़ी जीत है लेकिन यह जीत कभी भी आगे हार में बदलने वाली है यदि हम मोर्चाबंद न हुए तो।


इस लोकतंत्र को जारी रखने की लड़ाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता न हो तो हम समाजिक न्याय और समता की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते।जाहिर है कि इसीलिए राजनीतिक मोर्चाबंदी में भी हम फीचे हट नहीं सकते।


संघ परिवार को लगातार शिकस्त देने के अलावा इस देश में आम जनता को मुक्तबाजारी नरंसहार से कोई राहत नहीं मिलने वाली है।


उत्तराखंड हमारा घर है और संघ परिवार केखिलाप लोकतांत्रिक मोर्चाबंदी के सात हम खड़े हैं।


यूपी के चुनाव से पहले उत्तराखंड में आस्था वोट के मौके पर कांग्रेस को अपना निर्णायक  समर्थन देकर संघ परिवार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए बहन मायावती को बधाई।


यूपी में भी संघ परिवार को हराने के लिए बहन जी अगर व्यापक धर्मनिरपेक्ष लोकतातांत्रिक मोर्च का समर्थन कर दें तो यकीनन यूपी में भी हारेगा संघ परिवार।


अकेली भी मायावती जीत सकती हैं लेकिन संघ परिवार को कोई भी मौका न देने काअगर इरादा बहुजनसमाज का है,अगर मनुस्मति शासन के खिलाफ  निर्णायक युद्ध छेड़ना सामाजिक क्रांति के लिए अनिवार्य है तो बहन जी,संघ परिवार कोक हराने के लिए यूपी में भी संघ परिवार के खिलाफ बिहार और बंगाल की तर्ज पर साझा लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा अनिवार्य है।


इसके बिना राजनीतिक लड़ाई तो क्या ,अराजनीतिक सामाजिक आंदोलन भी करना अब मुश्किल है क्योकिं विश्वविद्यालयों को खत्म करने की महिम में लगी केसरिया मनुस्मृति किसी लोकतांत्रिक संस्थान या किसी लोकतांत्रिक गुंजाइश छोड़ेगी नहीं।


गनीमत है कि राज्यसभा में अभी संघ परिवार का बहुमत नहीं है वरना तमाम कायदा कानून के साथ साथ श्रम कानूनों को खत्म करने के साथ साथ,नागरिकों का सबकुछ हबाजार के हवाले करने के साथसाथ भारतीय संविधान के बजाये संघ परिवार के रामराज्य में मनुस्मृति को ही संविधान का दर्जा दे देती संघ परिवार और यही हिंदुत्व का असल एजंडा है तो बहुजन समाज की राजनीति करने वालों का सबसे बड़ा कार्यभार बाबासाहेब और हमारे पुरखों के हजारों बरसों के महासंग्राम की विरासत आजादी बहाल रखना है और इसके लिए लोकतंत्र के मुकाबले,धर्मनिरपेक्षता के मुकाबले फासिज्म के राजकाज के धारक वाहक संघ परिवार को हराना है।


जबसे उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार गिरी है ,तबसे लगातार हम हरीश रावत और किसोरी उपाध्याय को फोन लगाने की कोशिश कर रहे हैं सिर्फ यह बतलाने के लिए कि हम उनके साथ हैं।


भारतीय संविधान की हत्या करते हुए जिस तरह हरीश रावत की सरकार गिरायी गयी,हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उसका खुलासा हो गया और राष्ट्रपति शासन लागू करने के महामहिम के आदेश की भी धज्जियां बिखर गयी तो हरीश रावत और किशोरी उपाध्याय का इस केसरिया  सुनामी के मुकाबले समर्थन करने के अलावा हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं है।


नई दिल्ली में जेएनयू से लेकर हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और कोलकाता के यादवपुर विश्वविद्यालय को बंद कराने की जो बेशर्म भगवा अश्वमेध है,उसके मद्देनजर लोकतंत्र के लिए अब जीवन मरण की लड़ाई है और लोकतंत्र नहीं बचेगा तो फासिज्म के राजकाज और मनुस्मृति शासन में समता और न्याय के नारे बुलंद करने पर भी राष्ट्रद्रोही और माओवादी और उग्रवादी करार दिये जायेंगे।मार दिये जायेंगे कलबर्गी,पनासारे दाभोलकर की तरह।


गौरतलब है कि सरकारिया आयोगका गठन भारत सरकारने जून १९८३ में किया था। इसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालयके सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्तिराजिन्दर सिंह सरकारियाथे। इसका कार्य भारत के केन्द्र-राज्य सम्बन्धों से सम्बन्धित शक्ति-संतुलन पर अपनी संस्तुति देना था।


कर्नाटकके पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मईने अपनी सरकार की बर्खास्तगी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने के उनके आग्रह को राज्यपाल द्वारा ठुकरा देने के निर्णय पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय एक पीठ ने बोम्मई मामले में मार्च 1994 में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया और राज्यों में केंद्रीय शासन लागू करने के संदर्भ में सख्त दिशा-निर्देश तय किए।


न्यायमूर्ति सरकारिया ने केंद्र-राज्य संबंधों और राज्यों में संवैधानिक मशीनरी ठप हो जाने की स्थितियों की व्यापक समीक्षा की और 1988 में सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में उन्होंने इस संदर्भ में समग्र दिशा-निर्देश सामने रखे। उन्होंने कहा कि राज्यपालों की नियुक्ति में मुख्यमंत्रियों से सलाह ली जानी चाहिए। राज्यपालों के पक्षपातपूर्ण आचरण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। यदि चुनाव में किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो राज्यपाल को सबसे बड़े चुनाव पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। राज्यपालों को राजभवन के लान में विधायकों की गिनती कर किसी दल या गठबंधन के बहुमत के बारे में निर्णय नहीं लेना चाहिए। बहुमत का परीक्षण राज्य विधानसभा में ही होना चाहिए।


सरकारिया आयोग के प्रावधानों के खिलाफ उत्तराखंड में मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत साबित करने का मौका दिये बिना पिछले दरवाजे से सत्तादखल की कोशिश केंद्र सरकार ने की है।


गौरतलब है कि भाजपा की ही अटल वाजपेयी सराकार के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने दावा किया था कि 1988 में गठित अंतरराज्यीय परिषद ने सरकारिया आयोग की जिन सिफारिशों को लागू करने के फैसले किये हैं,उनमें से 152का कियान्वन कर दिया गया और 27 सिफारिशों का कार्यान्वयन बाकी है तो 51 सिफारिशे खारिज कर दी।


बिना संसद में बहस कराये हाजोरों कानून गैर जरुरी बताकर बिना उसका ब्यौरा या मसविदा जारी किये बिना  अच्छे दिनों की देशभक्त सरकार ने खारिज  कर दिये तो देश के संघीय ढांचे पर कुठाराघात करने के लिए उत्तराखंड में ही सरकारिया प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर राजसूय आयोदन किया देशभक्तों की सरकार ने।


इन हालात में सामाजिक आंदोलन जारी रखने के लिए एक राष्ट्रवादी फासिज्मविरोधी देशद्रोही सत्ता विरोधी  मोरचे में लोकतंत्र समर्थक सभी विचारधाराओं और सभी सामाजिक शक्तियों का शामिल होना अनिवार्य है।


उत्तराखंड के मौजूदा सियासती माहौल पर हमारे आदरणीय राजीव नयन बहुगुणा ने जो टिप्पणी दो टुक शब्दों में की है, वह सटीक है।कृपया इसे पहले पढ़ लेंः


बकौल राजीव नयन बहुगुणाःहाय , हाय , बागी दुर्दशा देखी न जाए

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गर्भावस्था के नवें महीने में औरत की , और चुनाव के वर्ष में विधायक की भूख बढ़ जाती है । ऐसे में परिवार का मुखिया उनकी भूख का संज्ञान लेते हुए उन्हें पौष्टिक और तरावट वाली चीज़ खिलाये । कचर बचर न खाने दे । घर से भागी हुयी दुघर्या जनानी और विधायक कहीं के नहीं रहते । जग हंसाई तो होती ही है , दूसरा घर भी मुश्किल से मिलता है । पिछला सब छूट जाता है । किसी के बहकावे में कभी अपनी पार्टी , और अपना घर न छोड़ें । दुश्मन के मन की हो जाती है । पनघट पर भी पानी भरने चोरी छुपे जाना पड़ता है । शराबी , कबाबी , बदमाश किस्म के मनुष्यों की पापी नज़र हर वक़्त पीछा करती है ।


मौकापरस्त सियासत पर इससे अच्छी टिप्पणी कोई नहीं हो सकती।


नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के राष्ट्रपति के आदेश की वैधता से लेकर बागी विधायकों की सदस्यता खारिज करने के जो माइलस्टोन फैसले किये हैं,आगे सियासत का जो हो,वह भारतीय गणतंत्र के अभीतक जिंदा रहना के सबसे बड़ा सबूत है।सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों ने फिर अपील की है और आस्था वोट जीतकर मुख्यमंत्री पद पर बहाली के बावजूद उत्तराखंड की राजनीति स्थिरता के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।


सुप्रीम कोर्ट में लिफाफा खुलने के बाद हम फौरी तौर पर कह सकेंगे कि हरीश रावत आस्था वोट जीत गये हैं।हालांकि आंदोलन की पृष्ठभूमि से उनकी राजनीति शुरु होने की वजह से उम्मीद है कि वे किसी भी सूरत में हारने वाले शख्स नहीं है।


मैं कांग्रेसी नहीं हूं और न सियासी हूं और न उत्तराखंड की सियासत पर मेरा कोई दांव है।


जब उत्तराखंड अलग राज्य बना तबतक मैं यूपी से शिफ्ट करके कोलकाता आ चुका था लेकिन मेरा घर उसी उत्तराखंड में है और अपना घर जलता हुआ देखकर हजारों मील दूर बैठे किसी भी इंसान को जो महसूस हो सकता है,वही मुझे महसूस हो रहा है।


उत्तराखंड,छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्यों का गठन संघ परिवार के केसरिया अश्वमध के एजंडे के मुताबिक हुआ और इन राज्यों के अकूत प्राकृतिक संसाधनों के दम पर पूरे भारत और पूरी दुनिया पर भगवा परचम लहराने का उनका हिंदुत्व कार्यक्रम है।


भगवा सिपाहसालारों के शिकंजे से कभी ये तीनों राज्य मुक्त नहीं हुए।वह विकास के नाम विनाश ही राजकाज राजनीति है।


कहने को तो सलवा जुड़ुम छत्तीसगढ़ की कथा व्यथा है लेकिन हकीकत की जमीन पर हालात उत्तराखंड और झारखंड की भी वही है।सिर्फ सैन्यतंत्र की बूटों की गूंज यहा नहीं है क्योंकि उत्तराखंड में आदिवासी नहीं है और जल जंगल जमीन प्राकृतिक संसाधनों के खुल्ला नीलाम के खिलाफ छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के मुकाबले उत्तराखंड और हिमाचल में कहीं भी कोई प्रतिरोध नहीं है।


सत्ता के दावेदार सारे के सारे थोकदार हैं और बकौल बटरोही थोकदार किसी की नहीं सुनता।जबसे अलग राज्य बना है,इन तोकदारों में घमासान मचा है और विकास की आग अब हिमालय को जलाकर काक कर रहा अनंत दावानल है,तो जिम कार्बेट पार्क से लेकर हिमालयके उत्तुंग शिकर और ग्लेशियर तक धूधू जल रहे हैं।


उत्तराखंड की जनका की हालत बूढ़े थके हुए इकलौते पर्यावरण कर्मी सुंदरलाल बहुगुणा से बेहतर नहीं है कि अपनी नदियों,अपनी घाटियों,अपने शिखरों,अपने ग्लेशियरों,जल जंगल जमीन और अपनी जान माल की हिफाजत के लिए अपने बच्चों के भविष्य के लिए वे कुछ भी कर सकें।


ऐसे राज्य में सत्तासंघर्ष ही एकमात्र हलचल का सबब है और उनकी मौजें भारत भर में सुनामी है और किसी को न केदार जल प्रलय की याद है,न किसी की नजर में सूखे की चपेट में पहाड़ की कोई तस्वीर है और बार बार हो रहे भूकंप की चेतावनियों पर गौर करने की किसी को भी फुरसत नहीं है।


सब अपना अपना हिस्सा समझ लेना चाहते हैं और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है और भगवा ब्रिगेट तो वैसे ही हिंदुत्व के नाम पर वंदेमातरम और भारत माता की जयजयकार कहते हुए पूरे जदेश को नीलाम कर रहा है तो हिमालय को बख्शने के मूड में वह है ही नहीं।


चुनाव तक का इंतजार नहीं किया और सत्ता पर काबिज होने के लिए संघ परिवार ने अपनी ही  केंद्र सरकार की किरकिरी करा दी।


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Indra Mani Upadhyay ने लिखा है-- कल पूरा तिनसुकिया बन्द था बाजार दुकान सड़कें.. अजीब सा सन्नाटा, किसलिए.. इस लड़की के लिए जिसका नाम चंपा क्षेत्री बताया जा रहा है। 20 वर्ष की यह लड़की 29 apr को अचानक गायब हुई फिर जब वह मार्घेरिटा पुलिस द्वारा 3 मई को लामा गाँव के पास दिहिंग नदी में मिली (लाश) तो किस हालत में थी.. उफ़ (फोटो में खुद देखें)। अपहरण बलात्कार फिर नृशंश हत्या.....। कल AASGU के आह्वान पर 12 घंटे का बंद रखा गया। पुलिस ने लीडो क्षेत्र के 'बिश्वजीत क्षेत्री'और 'मोइनुल अली'नामक दो युवकों को इस आरोप में चिन्हित/गिरफ्तार किया है। फिलहाल यह घटना भी इसी देश की है (गर आप इसे अपना मानते हों, क्योंकि आपके लिए दिल्ली ही देश है) पर डिग्री के फेर में उलझे देश को क्या किसी राष्ट्रीय चैनल या अख़बार में यह खबर नजर आई??? आएगी क्यों वैसे भी केरल से असम तक यह बातें राष्ट्रीय चरित्र बन चुकी हैं, इसलिए अब ये न्यूज़ का, प्राइम टाइम का टॉपिक नही रहीं। तो प्यारे देशवासियों, मीडिया सुपरमैन्स, संसद में बैठे चौकीदारों... आप डिग्री-डिग्री खेलिए, हम चम्पाओं, जीशाओं की लड़ाई लड़ लेंगे, खुद ही उनकी आवाज़ बनेंगे...

Previous: उत्तराखंड में हो गयी किरकिरी आगे फिर उत्तर प्रदेश की बारी उत्तराखंड की सत्ता पर डाका डालने में संघ परिवार की करारी हार लोकतंत्र की जीत है संघ परिवार को लगातार शिकस्त देने के अलावा इस देश में आम जनता को मुक्तबाजारी नरंसहार से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। यह सिर्फ कांग्रेस या हरीश रावत की जीत नहीं है और इसे भी ज्यादा अभी जिंदा न्यायपालिका की जीत है यह। इस लोकतंत्र को जारी रखने की लड़ाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता न हो तो हम समाजिक न्याय और समता की लड़ाई भी नहीं लड़ सकते। यूपी के चुनाव से पहले उत्तराखंड में आस्था वोट के मौके पर कांग्रेस को अपना निर्णायक समर्थन देकर संघ परिवार के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए बहन मायावती को बधाई।यूपी में भी संघ परिवार को हराने के लिए बहन जी अगर व्यापक धर्मनिरपेक्ष लोकतातांत्रिक मोर्च का समर्थन कर दें तो यकीनन यूपी में भी हारेगा संघ परिवार। बकौल राजीव नयन बहुगुणाःहाय , हाय , बागी दुर्दशा देखी न जाए ---------------------------------------------- गर्भावस्था के नवें महीने में औरत की , और चुनाव के वर्ष में विधायक की भूख बढ़ जाती है । ऐसे में परिवार का मुखिया उनकी
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Indra Mani Upadhyay ने लिखा है--
कल पूरा तिनसुकिया बन्द था बाजार दुकान सड़कें.. अजीब सा सन्नाटा, किसलिए.. इस लड़की के लिए जिसका नाम चंपा क्षेत्री बताया जा रहा है। 20 वर्ष की यह लड़की 29 apr को अचानक गायब हुई फिर जब वह मार्घेरिटा पुलिस द्वारा 3 मई को लामा गाँव के पास दिहिंग नदी में मिली (लाश) तो किस हालत में थी.. उफ़ (फोटो में खुद देखें)। अपहरण बलात्कार फिर नृशंश हत्या.....।
कल AASGU के आह्वान पर 12 घंटे का बंद रखा गया। पुलिस ने लीडो क्षेत्र के 'बिश्वजीत क्षेत्री' और 'मोइनुल अली' नामक दो युवकों को इस आरोप में चिन्हित/गिरफ्तार किया है।
फिलहाल यह घटना भी इसी देश की है (गर आप इसे अपना मानते हों, क्योंकि आपके लिए दिल्ली ही देश है) पर डिग्री के फेर में उलझे देश को क्या किसी राष्ट्रीय चैनल या अख़बार में यह खबर नजर आई??? आएगी क्यों वैसे भी केरल से असम तक यह बातें राष्ट्रीय चरित्र बन चुकी हैं, इसलिए अब ये न्यूज़ का, प्राइम टाइम का टॉपिक नही रहीं।
तो प्यारे देशवासियों, मीडिया सुपरमैन्स, संसद में बैठे चौकीदारों... आप डिग्री-डिग्री खेलिए, हम चम्पाओं, जीशाओं की लड़ाई लड़ लेंगे, खुद ही उनकी आवाज़ बनेंगे...



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राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। पलाश विश्वास

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राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। 
पलाश विश्वास
अरविंद केजरीवाल ने क्या भूत की लंगोट खींच ली कि हमारे सारे भाई बंधु उस लंगोट को खींचकर देश का नक्शा बना रहे हैं।

अरविंद को पंजाब जीतना है तो हर कहीं हारते रहने के बाद संघ परिवार को यूपी जीतना है।
सवाल यह नहीं है कि डिग्री असल है या फर्जी।संघ परिवार में बड़े बड़े विद्वान हैं और वे अपनी सारी विद्वता मनुस्मृति शासन के मुक्तबाजार को अश्वमेधी नरसंहार अभियान में बदलने में खर्च कर रहे हैं ।पढ़े लिखे हों या अपढ़,डिग्री असल हो या नकल,सत्तावर्ग के तमामो सिपाहसालार भारत देश और भारतीयजनता के खिलाफ महायुद्ध की घोषणा कर चुके हैं।अपढ़ है तो उनके लिए कालेज यूनिवर्सिटी को खत्म करने के अलावा रास्ता कोई बचा नहीं है।
जिनकी डिग्रियां विवाद में हैं ,गौर करें ,उनकी अभूतपूर्व अद्वितीय शास्त्रीय युगलबंदी जेएनयू और यादवपुर ही नहीं, देश के तमाम तमाम विश्विद्याालयों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद कराने पर तुली है।ताकि न बचेगा बांस और नबजेगी बांसुरी।संवाद करने के लिए शिक्षा जरुरी है तो शिक्षा को ही खत्म कर दो।संवाद की भाषा जिन्हें नहीं आती वे ही मन की बातों से देश दुनिया की तमाम समस्याएं सुलझा लेते हैं और उन्हें अर्थव्यवस्था शेयर बाजार की उछाल नजर आती है तो राजनीति असहिष्णुता का चरमोत्कर्ष और राजकाज यानि की दमन,उत्पीड़न,सैन्यतंत्र।राष्ट्र को सैन्यतंत्र को बदलने की इस केसरिया सुनामी के मुकाबले मोर्चाबंदी के बजाय हम भूत की लंगोट के पीछे पड़े हैं। 
भूत की लंगोट खींचने के बजाये ,हम दूसरे तमाम मुद्दों पर जरुरी संवाद कर लें और हो सकें तो एस नरसंहारी समय का समाना करे ं एक साथ।

जिन्होंने आशाराम बापू को पाठ्यक्रम में शामिल किया था उन्होंने उन नेहरू को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है जिन्होंने लालकिले पर आज़ाद भारत का तिरंगा फहराया था. गांधी की हत्या क्यों और किसने की ,इस जानकारी को भी उन्होंने पाठ्यक्रम से छिपा लिया है. उन्होंने अकबर से महानता का ख़िताब छीनकर महाराणा प्रताप को महानता से विभूषित किया है. उन्होंने गांधी के समकक्ष दीनदयाल उपाध्याय को बिठा दिया है. उन्होंने बाबा साहब आम्बेडकर की उन बाईस प्रतिज्ञाओं को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है जो उन्होंने बौद्धधर्म ग्रहण करते हुए ली थी. उन्होंने 'मनुवाद सेआजादी', 'सामंतवाद सेआजादी' का नारा लगाने वालों को देशद्रोही घोषित कर दिया है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि रोहित वेमुला दलित नही था . और वे बहुत कुछ लगातार कह\कर रहे हैं . वे कह रहे हैं कि वे देश का नया इतिहास लिख रहे हैं. काश उन्हें पता होता कि वे क्या कर रहे हैं! - वीरेन्द्र यादव Virendra Yadav

Pankaj Besra Gond संघी विचारधारा की सरकार देश को गंवार बनाए रखना चाहती है। हमारे शिल्पी और वैज्ञानिक सोच को तहस-नहस करना चाहती है। शिक्षा पर अंधविश्वास और मिथक को थोपना चाहती है। हमारे दिमाग को बीमार बनाने की तैयारी कर रही है। आप किस तरह से इसका सामना करेंगे, क्योंकि परीक्षा के प्रश्न भी मनुवाद से प्रेरित होंगे। गांवों में मिथक फल-फूल रहा है। शहर भी अब भयंकर चपेट में हैं। अच्छा होगा, अगर पूरे देशभर में इसका विरोध हो।

Himanshu Kumar
एक बार छत्तीसगढ़ पुलिस नें एक बयान जारी किया कि हिमांशु कुमार नक्सली नेता है ၊ मीडिया नें मुझसे प्रतिक्रया मांगी , मैनें कहा पुलिस का कोई आधिकारी इस बयान पर दस्तखत कर दे फिर हम देख लेंगे ၊ मोदी जी भी अपनी डिग्री पर खुद ही दस्तखत कर के उसे अटेस्ट कर दें ၊ उसके बाद का काम हमारा ၊

तीन हज़ार साल से जिन्होंने इस भूभाग के मूल निवासियों को दानव कह कर उन्हें मारा , उन्हें दास बना कर उन्हें हीन काम करने पर मजबूर किया, उन्हें शूद्र कहा और उनकी ज़मीने छीन ली . यहाँ के अस्सी प्रतिशत शूद्रों को बेज़मीन बना दिया .

वही लोग फिर हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर ज़मीने हथियाने निकले हैं .

पिछली बार इन्होने इसे धर्म युद्ध कहा था इस बार ये इसे देश रक्षा कह रहे हैं .

इन्हें ही पता चलता है कि राम कहाँ पैदा हुए थे . और ये भी कि वो जो बाबर की मस्जिद है उसी के नीचे पैदा हुए थे .

ये भाजपा में भी हैं और कांग्रेस में भी .

औरतों की बराबरी , जाति का सवाल , आर्थिक समानता की बातों को ये लोग चीन के माओवादियों का षड्यंत्र बताते हैं .

बड़ी होशियारी से ये असली मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं .

जैसे ही लोग असली मुद्दों पर सवाल उठाते हैं ये तुरंत एक बम धमाका या दंगा करवाते हैं .

ये लोग डरते हैं कि हज़ारों सालों से बिना मेहनत किये जो अपने धर्म , जाति या आर्थिक शोषण की व्यवस्था की वजह से मज़ा कर रहे हैं उनके हाथ से कहीं ये सत्ता निकल ना जाय .

लेकिन इस नकली सत्ता की जिंदगी ज़्यादा दिन नहीं बची है .


मोदी की फर्ज़ी डिग्री का मामला गरमाया हुआ है

मुझे नहीं लगता यह कोई राजनैतिक मुद्दा है

क्योंकि पढ़ा लिखा ना होना कोई बुरी बात नहीं है

बिना पढ़े लिखे लोग भी अच्छे होते हैं

और पढ़े लिखे लोग भी भ्रष्ट और क्रूर होते हैं

अगर मोदी पढ़े लिखे नहीं है तो यह कोई बुरी बात नहीं थी

बुरी बात यह हुई कि मोदी नें अपने पढ़ाई के बारे में झूठ बोला

हांलाकि मोदी नें पन्द्रह साल पहले एक टीवी इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उन्हें हाई स्कूल से ज़्यादा पढ़ने का मौका नहीं मिला

लेकिन बाद में जब उनके प्रधान मंत्री बनने की संभावनाएं बनी तो उन्होंने झूठ का सहारा लिया

उन्होंने अपने चुनावी एफिडेविट में खुद को एमए लिख दिया

इसके बाद मोदी खुद अपने बिछाए जाल में फंसते चले गए

लेकिन मोदी और भाजपा की पूरी राजनीति ही झूठ पर आधारित थी

चुनाव से पहले फोटोशाप चित्रों के माध्यम से मोदी का झूठा प्रचार किया गया

सिंगापूर और चीन के चित्रों को गुजरात के विकास के चित्र बता कर हवा बनाई गयी

ओबामा और उसकी पत्नी मिशेल के चित्र में से मिशेल के चित्र को हटा कर वहाँ मोदी का चित्र चिपका कर मोदी को महान नेता बताया गया

शेरों के साथ जाते बौद्ध भिक्षु के चित्र को हटा कर वहाँ मोदी का चित्र चिपका दिया गया और डींगें हांकी गयीं कि देखो मोदी कितने बहादुर नेता हैं

असल में संघ और भाजपा की पूरी राजनीति झूठ पर ही टिकी हुई है

कुछ दिन पहले संघियों नें नेहरु जी के कांग्रेस सेवा दल शिविरों के चित्र जिसमें नेहरु नें निकर पहना हुआ है यह कह कर प्रकाशित किये

कि देखो नेहरु भी संघ की शाखाओं में जाते थे .

मेरे ताउजी भी नेहरु जी के साथ इन शिविरों में जाते थे

मैंने जब संघियों के झूठ की पोल खोलने के लिए अपने ताउजी और नेहरु जी के फोटो प्रकाशित किये

तो संघियों नें मेरे पारिवारिक चित्रों को भी संघ की शाखाओं के चित्र कह कर झूठे विवरण के साथ प्रकाशित करना शुरू कर दिया

संघ नें शुरू से ही झूठ के आधार पर अपनी राजनीति चलाई है .

भारत के इतिहास के बारे में संघ नें युवाओं में झूठी जानकारियाँ भरीं

झूठ पर टिकाया हुआ महल कितने दिन चलेगा ?

संघ अपने झूठ के किले को तलवारों और बंदूकों की ताकत से टिकाये रखना चाहता है

इसलिए जब संघ गांधी को सत्य की लड़ाई में नहीं हरा पाता

तब संघ गांधी को गोली मार देता है

आज भी संघ गाली गलौज , मार काट और हिंसा के द्वारा खुद के अस्तित्व को टिका कर रखने की कोशिश कर रहा है

लेकिन यह सब कुछ ही दिन की बात है

झूठ पर टिका हुआ यह पूरा साम्राज्य इतिहास बन जाएगा

नया ज़माना जानकारी और तर्क का है

साथी दिलीप मंडल और सत्यनारायण का स्टेटस टांक रहा हूं।



Dilip C Mandal

बंद हो डिग्री विवाद!

केजरीवाल तो हुलेले पॉलिटिक्स वाले हैं. उनके लिए क्या सम्मान और क्या असम्मान. लेकिन बीजेपी तो इस देश की सबसे बड़ी पार्टी है. हिंदू महासभा से जोड़ें तो लगभग सौ साल की विरासत है.

मुझे उम्मीद नहीं थी कि पार्टी अध्यक्ष और देश के वित्त मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सबको बताएंगे कि पप्पू पास हुआ था.

प्रधानमंत्री पद की गरिमा को इतने निचले स्तर पर ले जाने के लिए केजरीवाल, अमित शाह और अरुण जेटली तीनों अपराधी हैं. तीनों नंगे होकर कीचड़ में नहा रहे हैं. शर्म आनी चाहिए.

प्रधानमंत्री का काम बोलता है. डिग्री का क्या करना? वरना किसी प्रोफेसर को बना दीजिए पीएम. खूब लेक्चर देगा.

प्रधानमंत्री की नीयत से देश को मतलब होना चाहिए. उनकी डिग्री का क्या अचार बनाना है? क्या करेंगे आप उन डिग्री का.

भारी डिग्रियों वाले मूर्खों की कमी है क्या?

प्रधानमंत्री की आलोचना उनकी नीति और नीयत के आधार पर होनी चाहिये. डिग्री के लिए नहीं. नीति और नीयत की कसौटी पर नरेंद्र मोदी का परफॉर्मेंस बेहद बुरा है. उन्हें वहीं पकड़ा जाए.

बंद हो यह डिग्री विवाद!

Satya Narayan

डीयू के रजिस्ट्रार तरुण दास ने कहा- हमने रिकॉर्ड्स चेक किए और मोदी की डिग्री को सही पाया।
- दास ने कहा- मोदी ने एग्जाम 1978 में क्लियर किए थे। डिग्री उन्हें 1979 में दी गई थी।
- मार्क्स के कैलकुलेशन और मार्क्सशीट में टाइप अंकों में फर्क पर दास ने कहा- हर रद्दोबदल पर कमेंट करना पॉसिबल नहीं है।
- "मैं सिर्फ इतना कन्फर्म कर सकता हूं कि मोदी की डिग्री सही है।"

विश्‍वविद्यालय के रजिस्‍ट्रार का ये अंतिम कमेंट बहुत कुछ बयां कर रहा है।


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Student was lynched NAKED and the mob, comprising mostly of suspected Trinamul activists, dragged Kaushik Purkait towards a club and assaulted him and released him only after his relatives paid Rs 60,000 for the stolen buffalo. "My son would have been alive if the police had acted in time. While my son lay bleeding, some of the attackers demanded Rs 1 lakh from us," said the father. Horrible!Rajsthan scenarion shifted in Bengal as Irate mob lynches student to death over suspicion of stealing cattle!The Panchayat Politics played the key role! The Muslim Vote Bank remains intact and the RSS camp wits Aggressive Hindutva card seems to be successful to divide the voters against the ruling party and hereby, RSS defended DIDI to stop Left Congress alignment in self defence. It is the political scenario which has become the alchemist of unprecedented violence continuity in Bengal frame by frame. Excalibur Stevens Biswas Hastakshep

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Student was lynched NAKED and the mob, comprising mostly of suspected Trinamul activists, dragged Kaushik Purkait towards a club and assaulted him and released him only after his relatives paid Rs 60,000 for the stolen buffalo.

"My son would have been alive if the police had acted in time. While my son lay bleeding, some of the attackers demanded Rs 1 lakh from us," said the father.

Horrible!Rajsthan scenarion shifted in Bengal as Irate mob lynches student to death over suspicion of stealing cattle!The Panchayat Politics played the key role!

The Muslim Vote Bank remains intact and the RSS camp wits Aggressive Hindutva card seems to be successful to divide the voters against the ruling party and hereby, RSS defended DIDI to stop Left Congress alignment in self defence.


It is the political scenario which has become the alchemist of unprecedented violence continuity in Bengal frame by frame.

Excalibur Stevens Biswas

Hastakshep

Mandate might not be the reflection of public opinion nor it represents the masses.Media reports that a student was lynched NAKED and the mob, comprising mostly of suspected Trinamul activists, dragged Kaushik Purkait towards a club and assaulted him and released him only after his relatives paid Rs 60,000 for the stolen buffalo.


The represent the political party with which they remain to be associated and the Politics is criminalized from bottom to top.


Change in the helms of power makes no change and the people have no respite who ever might be ruling.


Thus,a 24-year-old ITI student was lynched by a mob suspecting him to be a cattle thief in West Bengal's South 24 Parganas district, police said on Tuesday.


The incident happened at Diamond Harbour on Monday evening.

According to the police, Koushik Purakait had come to visit his relatives in Harindanga in Diamond Harbour.


Purakait was thrashed by the locals who suspected him of stealing a buffalo.


"The victim's family has named 10 persons in their complaint. So far no arrest has been made," said a police officer.


The father of the victim alleged police inaction.


"My son would have been alive if the police had acted in time. While my son lay bleeding, some of the attackers demanded Rs 1 lakh from us," said the father.


By the way.provided Didi has been wiped out of North Bengal,it is equally very much possible that the opposition should face the same result in South Bengal.North Bengal has only 78 seats whereas South Bengal represents 216 seats.


The Opposition has to win at least one hundred seats th upset the Apple cart driven by Mamata Banerjee with almost seven to eight percent vote deficit.


The Muslim Vote Bank remains intact and the RSS camp wits Aggressive Hindutva card seems to be successful to divide the voters against the ruling party and hereby, RSS defended DIDI to stop Left Congress alignment in self defence.


It is the political scenario which has become the alchemist of unprecedented violence continuity in Bengal frame by frame.


Thus,Horrible!Rajsthan scenario shifted in Bengal as Irate mob lynches student to death over suspicion of stealing cattle!The Panchayat Politics played the key role!


n irate mob in West Bengal's South 24 Parganas district on Tuesday killed one student, suspecting him to be a cattle thief. The Barasat ITI student, Kaushik Purkait was allegedly lynched by the mob when he was roaming around the cattle on Monday night, when locals suddenly surrounded him and held him hostage.


Purkait was a resident from South 24 parganas dictrict's Diamond Harbour area.


Purkait's family members claim that a Trinamool Congress Panchayat Samity member, Tapas Mullick asked for Rs.1,50,000 for his release. They also claim that Mullick had made Purkait sign a bond of Rs.60,000 for his release. When he refused, he ordered the mob to attack him.


When the student's parents got information of their son being attacked and abandoned, they took him to a state-run hospital in Kolkata. However, he succumbed to his injuries in the hospital.

Meanwhile, the parents have registered a complaint with the Diamond Harbour police station and demanded immediate action against the accused. District police have also begun an investigation into the case.


On the other hand, Mullick has been absconding after the incident.


Mainstream Daily,The Telegraph reports:

Kaushik Purkait

Kaushik, a second-year student of an ITI in south Calcutta and resident of Mandirbazar in South 24-Parganas, was visiting his aunt's house in Diamond Harbour with his mother and sister on the occasion of Akshay Tritiya.

His mother Chandra, 43, said: "My son had gone out for a walk and was speaking on his mobile phone about 50 metres from the house when a group of local youths surrounded him and accused him of stealing a buffalo."

Following an argument, the youths began beating Kaushik with rods and bamboo clubs.

Chandra lodged an FIR at Diamond Harbour police station, alleging that the mob was led by a Trinamul member of the ruling party-run Harindanga gram panchayat, Tapas Mullick. Ten persons were named in the FIR. Mullick's cellphone was switched off tonight.

Kaushik's aunt Sandhya Haldar said she and Chandra had rushed out of the house hearing a commotion. "We saw Kaushik being beaten up in front of the club. We requested the attackers to spare him, but they accused Kaushik of stealing a buffalo and demanded Rs 1.5 lakh. When we pleaded with them, they agreed to release Kaushik against a payment of Rs 60,000. They let him go only after we paid the amount," Sandhya said.

By the time the mob released Kaushik, he was bleeding from wounds all over his body.

He was taken to Diamond Harbour sub-divisional hospital, from where he was shifted to SSKM. He died this morning.

"Kaushik had suffered serious head and neck injuries. That is why we had referred him to SSKM," a doctor at the Diamond Harbour hospital said.

Kaushik's father Kartik, 45, a hawker, was informed about the assault by Chandra over phone and he rushed to the Diamond Harbour hospital to take his son to SSKM.

The police have arrested a woman and detained four youths named in the FIR. A murder case has been started.

"After receiving the complaint, we raided the village and arrested one person and detained four. The others named in the FIR are absconding," said C.S. Bardhan, the additional superintendent of police (west).

District CPM secretary Sujan Chakraborty condemned the incident and visited SSKM. "The attack is a dastardly act by local Trinamul activists," he said.

District Trinamul vice-chairman Shakti Mondal said: "It is an unfortunate incident. Whoever is involved should be punished. Let law take its own course."


Bengali daily Anand Bazar patrika Reports:

অভিযুক্ত তৃণমূল নেতা

ছেলেকে পিটিয়ে মারল ওরা, বৃথা কান্না মায়ের

দিলীপ নস্কর

ডায়মন্ড হারবার, ১১ মে, ২০১৬, ০৪:৩৩:০৬
kaushik purokait

লোকগুলোর পায়ে পড়ে আছাড়িপিছাড়ি কাঁদছিলেন মা— ''ওকে ছেড়ে দাও গো। এ ভাবে মারলে মরে যাবে! ও কেন মোষ চুরি করতে যাবে? ও তো কলেজে পড়ে।''

লোকগুলো উল্টে মায়েরই চুলের মুঠি ধরল। হিড়হিড় করে টেনে সরিয়ে দিতে দিতে লাগিয়ে দিল দু-চার ঘা।

তেইশ বছরের ছেলে তখন পড়ে রয়েছে নিঃসাড়। মুখ-চোখ ঢেকে রক্তের স্রোত। তবু উন্মত্তের মতো পিটিয়েই চলেছে পাশের পশ্চিমপাড়া গ্রামের একদল লোক। বলছে, তাদের গ্রামে কালীপুজোয় বলির জন্য কিনে আনা মোষটা নাকি চুরি করেছে এই ছেলেই। বাঁচাতে এসে মায়ের সঙ্গে মাসিও তখন বেদম মার খাচ্ছেন। ভারী টর্চ দিয়েও তাঁদের মারতে কসুর করছে না জনতা। ডায়মন্ড হারবারের পূর্বপাড়া গ্রামে এই মাসির বাড়িতেই গৃহপ্রবেশের নেমন্তন্ন খেতে আসা। হঠাৎ ঘিরে ধরল লোকগুলো। পেটাতে পেটাতে নিয়ে এল পশ্চিমপাড়ায়।

এ বার মাকে দিয়ে সাদা কাগজে লেখানো হল মুচলেকা— ১ লক্ষ ৬০ হাজার টাকা ক্ষতিপূরণ দিতে হবে। আলুথালু মা সই করে দিলেন। মার থামল। রক্তে মাখামাখি কৌশিক পুরকাইত ওরফে শুভকে পাঁজাকোলা করে তুলে ডায়মন্ড হারবার জেলা হাসপাতালে নিয়ে গেলেন বাড়ির লোকেরা। আশা দিলেন না ডাক্তারবাবুরা। অগত্যা গভীর রাতে এম আর বাঙ্গুর হাসপাতাল। গড়িয়াহাটের আইটিআই কলেজের দ্বিতীয় বর্ষের ছাত্রের প্রাণ বেরিয়ে!



Bengali daily Ei Samay reports:



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झारखण्ड सरकार द्वारा घोषित स्थानीयता निति के विरोध में प्रतिरोध तेज: जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से

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Previous: Student was lynched NAKED and the mob, comprising mostly of suspected Trinamul activists, dragged Kaushik Purkait towards a club and assaulted him and released him only after his relatives paid Rs 60,000 for the stolen buffalo. "My son would have been alive if the police had acted in time. While my son lay bleeding, some of the attackers demanded Rs 1 lakh from us," said the father. Horrible!Rajsthan scenarion shifted in Bengal as Irate mob lynches student to death over suspicion of stealing cattle!The Panchayat Politics played the key role! The Muslim Vote Bank remains intact and the RSS camp wits Aggressive Hindutva card seems to be successful to divide the voters against the ruling party and hereby, RSS defended DIDI to stop Left Congress alignment in self defence. It is the political scenario which has become the alchemist of unprecedented violence continuity in Bengal frame by frame. Excalibur Stevens Biswas Hastakshep
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झारखण्ड सरकार द्वारा घोषित स्थानीयता निति के विरोध में प्रतिरोध तेज: जनसंघर्षों की रिपोर्ट संघर्ष संवाद से 



सच्चिदानंद सोरेन
झारखण्ड के  जामा प्रखंड के बेदिया  पंचायत के गादी चुटो गांव के  झाझरापहाड़ी टोला में ग्रामीणों ने झारखण्ड के स्थानीयता निति को लेकर कुल्ही दुरूह(बैठक) किया.जिसमे महिला और पुरुषों ने भाग लिया.चर्चा और विचार विमर्श के बाद  सभी ग्रामीणों ने इसे काला स्थानीयता निति घोषित किया.ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा यह स्थानीयता निति आदिवासी और मूलवासियो को ध्यान में रखकर नही बनाया गया है.

हम आदिवासी और मूलवासियो ने लड़कर अलग झारखण्ड राज्य का गठन किया और आज जब हक और अधिकार की बात हो रही है तो रघुवर सरकार बाहरी लोगों के हित में स्थानीयता निति घोषित की  है जिसे झारखण्ड के आदिवासी और मूलवासी कभी बर्दाश नहीं करेगे. ग्रामीणों ने मांग किया कि 1932 खतियान को ही आधार मानकर झारखण्ड के स्थानीय निति को परिभाषित किया जाय.अगर रघुवर सरकार ऐसा नहीं करती है तो आदिवासी और मूलवासी  सड़क पर उतरकर आन्दोलन  करने के लिय विवश हो जायेगे.

ग्रामीणों ने यह भी सर्व सम्मति से  निर्णय लिया कि जो राजनितिक दल या नेता 1932 खतियान को झारखण्ड का स्थानीयता निति का आधार का समर्थन व मांग नहीं करेगे उस नेता और उस पार्टी का राजनितिक बहिष्कार किया जाएगा.ग्रामीणों ने वर्तमान स्थानीय निति के  विरोध में झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास और झारखण्ड के कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी का पुतला फुका. मौके पर ग्राम प्रधान राजेन्द्र रॉय,नरेश सोरेन,सामू मरांडी,पुलिस बास्की,राम विलास मरांडी,सोनाली मुर्मू,कविता सोरेन,शिव शंकर मरांडी,सिंगराम हेम्ब्रोम,धाने मरांडी,श्रीधन बास्की,पकु सोरेन,अलादी टुडू,सुखु मुर्मू,रोयसोल बास्की,बड़का मरांडी के के साथ काफी संख्या में महिला और पुरुष उपस्थित थे.

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"नौ लोगों के इस परिवार के लिए सरकार ने 35 किलो गेहूं तय किया है. यदि इसे 30 दिन और दो वक़्त के हिसाब से तोड़ कर देखें तो एक समय में एक आदमी के हिस्से में लगभग 65 ग्राम अनाज आता है. मंगूसपुरवा से 40 किलोमीटर दूर बांदा में बने जिला कारागार में एक दोषसिद्ध कैदी के लिए निर्धारित खुराक में प्रतिदिन 700 ग्राम आटा, 90 ग्राम दाल, और 230 ग्राम सब्जी शामिल है. "

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"नौ लोगों के इस परिवार के लिए सरकार ने 35 किलो गेहूं तय किया है. यदि इसे 30 दिन और दो वक़्त के हिसाब से तोड़ कर देखें तो एक समय में एक आदमी के हिस्से में लगभग 65 ग्राम अनाज आता है. मंगूसपुरवा से 40 किलोमीटर दूर बांदा में बने जिला कारागार में एक दोषसिद्ध कैदी के लिए निर्धारित खुराक में प्रतिदिन 700 ग्राम आटा, 90 ग्राम दाल, और 230 ग्राम सब्जी शामिल है. "

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22 hrs · 

35 किलो गेहूं को 30 दिन और दो वक़्त के हिसाब से तोड़ कर देखें तो एक औसत परिवार के एक सदस्य के हिस्से 100 ग्राम आटा भी मुश्किल से आाएगा. उधर, बांदा जेल में एक कैदी के लिए तय खुराक में रोज 700 ग्राम आटा, 90 ग्राम दाल, और 230 ग्राम सब्जी शामिल है.

बुंदेलखंड में हुई दो हालिया मौतों के पीछे की कहानी बताती है कि अकाल से जूझ रहे इस इलाके को उबारने के लिए असल में जो होना चाहिए उसे छोड़कर सब हो रहा है
SATYAGRAH.SCROLL.IN|BY विनय सुल्तान

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Mr. PM stop drama of stand-up India, make in India, swach bharat, smart city, smart india...announce the day when india will be free from all these murders in sewer-septic tanks, when india will be manual scavenging free. Mr. PM stop speaking on science and innovation meetings, ask your government to put a full stop to this barbaric practice. when India cant have a safe,smart mordern sewerage system ...then how you can can about mars, moon..You cant do this, whatever you talk about Ambedkar, Dalits...but caste in mind is dominating ...because of castiest mindset we are allowing are fellow citizen to be killed in manhole..shame and anger

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Hyderabad, May 2: In a tragedy on May Day, two workers died while cleaning a manhole here, police said. The sanitation workers died of suffocation in the manhole in Koti area of the city. Police re...


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