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ममता बनर्जी की अब ताजा दलील है कि रिश्वतखोरी बच्चों की शरारत है! दीदी ने कहा, 'केंद्र ने कोई कदम उठाया? केवल तृणमूल कांग्रेस चोर है, बाकी आप सब साधु हैं? मैथ्यू सैमुअल ने यहां तक दावा कर दिया कि अगर कोई आतंकी संगठन भी उन्हें रुपये की पेशकश करता, तो वे ले लेते और कुछ भी नहीं कहते या पूछते! चुनावी हिंसा में तीम माकपाइयों की हत्या अब दक्षिण बंगाल में इंच इंच जमीन के लिए खूनी लड़ाई मुर्शिदाबाद और नदिया में वाम कांग्रेस गठबंधन के बिखराव से फिर दीदी को बढ़त অলিগলিতে গেরিলা যুদ্ধ বহিরাগত আর বাহিনীর , মাঠে নেই জোট एक्सेकैलिब स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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ममता बनर्जी की अब ताजा दलील है कि रिश्वतखोरी बच्चों की शरारत है!

दीदी ने कहा, 'केंद्र ने कोई कदम उठाया? केवल तृणमूल कांग्रेस चोर है, बाकी आप सब साधु हैं?

मैथ्यू सैमुअल ने यहां तक दावा कर दिया कि  अगर कोई आतंकी संगठनभी उन्हें रुपये की पेशकश करता, तो वे ले लेते और कुछ भी नहीं कहते या पूछते!

चुनावी हिंसा में तीम माकपाइयों की हत्या

अब दक्षिण बंगाल में इंच इंच जमीन के लिए खूनी लड़ाई

मुर्शिदाबाद और नदिया में वाम कांग्रेस गठबंधन के बिखराव से फिर दीदी को बढ़त


एक्सेकैलिब स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

ममता बनर्जी की अब ताजा दलील है कि रिश्वतखोरी बच्चों की शरारत है और शराराती बच्चों की शरारत से परिवार को बदनाम करना गलत है।रिश्वतखोरी मान लेने के दीदी के इस हमलावर तेवर और मुकुल राय की सफाई को लसेमसाइड गोल भी बताया जा रहा है।



ভোট-পরবর্তী হিংসায় প্রাণ গেল দুই সিপিএম কর্মীর। ভোট মিটতে না মিটতেই উত্তপ্ত হয়ে ওঠে বর্ধমানের খণ্ডঘোষ। গতকাল রাতে লোদনা গ্রামে সিপিএম কর্মীদের উপর তৃণমূল কর্মী-সমর্থকরা ব্যাপক হামলা চালায় বলে অভিযোগ। ঘটনায় মৃত্যু হল শেখ ফজল হক ও দুখীরাম ডালের। গুরুতর জখম অবস্থায় রাতেই তাঁদের বর্ধমান মেডিক্যাল কলেজে ভর্তি করা হয়। আজ সকালে তাঁদের মৃত্যু হয়। ঘটনায় আহত হয়েছেন বেশ কয়েকজন সিপিএম সমর্থক। তাঁদের বিরুদ্ধে ওঠা অভিযোগ অবশ্য অস্বীকার করেছেন স্থানীয় তৃণমূল নেতৃত্ব।


मुर्शिदाबाद और नदिया में वाम कांग्रेस गठबंधन के बिखराव की वजह से सत्तादल फिर हमलावर तेवर में है और दीदी पुराने मिजाज में हैं।इस बीच तीसरे चरण की हिंसा में तीन माकपाइयों की हत्या कर दी गयी है।चौथे चरण के मुकाबला में कांटे की टक्कर होने की वजह से हिंसा और तेज होने का अंदेशा है।


गौरतलब है कि उत्तर 24 परगना जिले में 25 अप्रैल को मतदान होगा, जबकि दक्षिण 24 परगना में चुनाव 30 अप्रैल को होना है।



पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है। गुरुवार को तीसरे चरण का मतदान खत्म होने के बाद बर्द्धमान जिले के लोदना ग्राम में दो माकपाकार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। वहीं नदिया जिले में चुनावी हिंसा में गोली लगने से एक तृणमूल कार्यकर्ता घायल हो गया, जबकि वाममोर्चा-कांग्रेस समर्थित पोलिंग एजेंट का घर फूंक दिया गया। दूसरी ओर चुनाव आयोग की हिदायत के बावजूद बाइक वाहिनी का आतंक जारी है और मतदाता पहचान पत्र छीनने का आरोप लग रहा है।


मतदान के मौके पर मुर्शिदाबाद के डोमकल में माकपा के एजंट की हत्या के बादबर्दवान जिले के खंडकोश  विधानसभा क्षेत्र में मतदान के बाद हुई हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 2 कार्यकर्ताओं की जमकर पिटाई कर दी जिससे उनकी मौत हो गई। माकपाने शुक्रवार को बताया कि पिटाई के कारण घायल हुए दोनों कार्यकर्ताओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां सुबह दोनों की मौत हो गई। माकपाके कार्यकर्ता एसके फजल हक (56) और दुखीराम ड़ल (50) की मतदान समाप्त होने के बाद तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने पिटाई कर दी थी।


इस बीच राज्य में होनेवाले चौथे चरण के चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एक बार फिर सख्त कदम उठाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों में फेरबदल किया है। आयोग ने उत्तर 24 परगना के पुलिस अधीक्षक तन्मय राय चौधरी व दक्षिण 24 परगना के डीएम पीबी सलीम को हटाने का निर्देश दे दिया। उनके जगह अन्नप्पा ई को उत्तर 24 परगना का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है, जबकि अवनींद्र सिंह को दक्षिण 24 परगना का नया डीएम बनाया गया है।


तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जीने कहा है कि विपक्ष उनके तथा उनकी पार्टी के खिलाफ जितना ज्यादा आग उगलेगा, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी के लिए शानदार सफलता हासिल करना उतना ही आसान हो जाएगा।


ममता ने हावड़ा जिले में एक चुनावी सभा में कहा, 'वे हमारे खिलाफ जितना ज्यादा आग उगलेंगे और हमें बदनाम करेंगे, तृणमूल कांग्रेस उतना ज्यादा आगे बढ़ेगी।' विपक्षी वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा को चेताते हुए उन्होंने कहा,

'आरोपों से कोई फायदा नहीं होगा। चुनावों के बाद, माकपा खत्म हो जाएगी, कांग्रेस दिखाई नहीं देगी।


कांग्रेस और वाम मोरचा गंठबंधन की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि असम और केरल में दोनों में कोई गंठबंधन नहीं। दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़ कर रहें हैं और बंगाल में तृणमूल को हराने के लिए दोनों ने हाथ मिलाया है। यह गंठजोड़ केवल सत्ता पाने की लालच में किया गया है। उन्होंने कहा कि शारदा से लेकर नारदा तक के भ्रष्ट्राचार में माकपाका हाथ है। 34 वर्षों में माकपाने राज्य को पूरी तहर खोखला कर दिया था। तृणमूल जब सत्ता में आयी तो उसे 20 करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला।

ममता ने मोदी की आलोचना की, कहा- केवल तृणमूल कांग्रेस चोर है, बाकी आप सब साधु हैं क्या?

माकपाके 34 साल के कुशासन के समय वे कहां थे। तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर विपक्ष पर पलटवार करते हुए ममता ने कहा कि उनकी सरकार ने सारदा ग्रुप के प्रमुख को पकड़ा


दीदी ने कहा, 'केंद्र ने कोई कदम उठाया? केवल तृणमूल कांग्रेस चोर है, बाकी आप सब साधु हैं?


इस बीच उन्होंने दमदम में एक रैली को संबोधित करते हुए नारद स्टिंग आपरेशन मामले में भाजपा, कांग्रेस तथा माकपाके धन के स्रोतों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'हमें हर रोज झूठे आरोपों को लेकर अपमानित किया जा रहा है। हमारी सांसद काकोली को नारद से रूपये लेने की जरूरत नहीं है। यदि वह चाहें तो ऐसे 50 नारद को खरीद सकती हैं।


इसी बीच नारद स्टिंग ऑपरेशन के जनक मैथ्यू सैमुअल ने ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के दावों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने तृणमूल के नेताओं को चंदा के रूप में नहीं, बल्कि घूस के रूप में रुपये दिये हैं और यह रुपये किसी हवाला या विदेश से नहीं मंगाये गये हैं। न ही किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा दिये गये हैं। स्टिंग ऑपरेशन के लिए जो भी रुपये बांटे गये हैं, वह उनके दोस्तों ने दिये हैं।अगर जरूरत पड़ती है, तो वे सबके सामने आकर इसे कबूल करेंगे।


मैथ्यू सैमुअल ने यहां तक दावा कर दिया कि  अगर कोई आतंकी संगठन भी उन्हें रुपये की पेशकश करता, तो वे ले लेते और कुछ भी नहीं कहते या पूछते।


मैथ्यू सैमुअल ने  कहा यह देख समझ कर वे खुद हैरान हैं।



गौरतलब है कि इससे पहले दीदी ने रिश्वतखोरी की बात मानकर इसकी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि नारदा स्टिंग के बारे में उन्हें पहले मालूम होता तो वे रिश्वत लेने वालों को टिकट ही नहीं देती।अगले दिन मुकुल राय ने कह दिया कि रिश्वत जिनने भी ली है ,उनने अपनी जेब में रखने के लिए नहीं ली।अब मैथ्यू सैमुअल ने दो टुक शब्दों में मुकुल राय के दावे को भी खारिज कर दिया।


सत्तापक्ष के राजनीतिक साजिश के दावे को खारिज करते हुए मैथ्यू सैमुअल ने दावा किया कि स्टिंग ऑपरेशन का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है और उनका मकसद सिर्फ सच्चाई को उजागर करना है कि जिन लोगों पर जनता ने भरोसा कर अपना नेता चुना है, वे वास्तव में कैसे हैं। दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो, बस उनका यही उद्देश्य है।


मैथ्यू सैमुअल ने  साफ किया कि इसीलिए वे टेप को लेकर कोलकाता आने से डर रहे थे और चाहते थे कि यह टेप देश की सर्वोच्च अथॉरिटी के पास पहुंच जाये और उन्होंने संसद की एथिक्स कमेटी व हाइकोर्ट को टेप सौंपे हैं। इसकी सत्यता की जांच की सकती है और वह इसके लिए हर संभव मदद करने को तैयार हैं।


गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ-साथ पार्टी के मुकुल राय जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि उन लोगों ने अपनी सुख-सुविधाओं के लिए रुपये नहीं लिये और इसका एक रुपया भी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए खर्च नहीं किया। यहां तक कि हाइकोर्ट में भी तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि ये रुपये चंदा के रूप में लिये गये हैं। मैथ्यू सैमुअल ने साफ कर दिया है कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं, सांसदों व मंत्रियों को चंदा के रूप में नहीं, बल्कि घूस में ये रुपये दिये थे।


दूसरी तरफ  मैथ्यू सैमुअल ने कहा कि बंगाल में नेताओं से मिलना और उन्हें घूस देना कोई मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि उन्होंने कई नेताओं को रुपये दिये हैं।


मैथ्यू सैमुअल ने कहा कि लोगों ने तो उनका नाम तक नहीं पूछा कि आप कौन हैं, कहां से आये हैं, आपकी कंपनी क्या है, क्या उत्पादन करती है और बंगाल में क्या करना चाहती है, आप क्यों रुपये दे रहे हैं। ऐसे कोई भी सवाल नहीं पूछे गये।

बांग्ला दैनिक आजकाल की रपट हैः

আজকালের প্রতিবেদন

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বর্ধমান: সি পি এমের একজন বুথ এজেন্ট ও আর এক এজেন্টের বাবাকে বাড়ির সামনে থেকে তুলে নিয়ে গিয়ে নৃশংসভাবে হত্যা করার অভিযোগ উঠল তৃণমূল–‌আশ্রিত দুষ্কৃতীদের বিরুদ্ধে। খুনের ঘটনাটি ঘটেছে খণ্ডঘোষ থানার লোদনা গ্রামের শিবতলা কালভার্টের ওপর। বৃহস্পতিবার রাতে। মৃত একজন সি পি এমের এজেন্টের নাম শেখ ফজল হক (‌৪৫)‌ এবং অন্য জনের নাম দুখীরাম ডাল (‌৫৪)‌। তিনি এজেন্ট বিজয় ডালের বাবা। দু‌জনেরই বাড়ি লোদনা গ্রামে। ফজল ছিলেন লোদনা প্রাথমিক বিদ্যালয়ের ১০৮ নম্বর বুথের সি পি এমের এজেন্ট এবং ওই বিদ্যালয়েরই ১০৭ নম্বর বুথের সি পি এমের এজেন্ট বিজয়ের বাবা দুখীরাম। একসঙ্গে দুই সি পি এম কর্মীকে তুলে নিয়ে গিয়ে খুনের ঘটনায় লোদনা–‌সহ আশেপাশের গ্রামে ব্যাপক উত্তেজনা ছড়িয়ে পড়েছে। উত্তেজনা সামাল দিতে বিশাল পুলিসবাহিনী ও কেন্দ্রীয় বাহিনী গ্রাম জুড়ে টহল দিচ্ছে। বসেছে পুলিস ক্যাম্পও। সি পি এমের অভিযোগ, আমাদের দলীয় কর্মী দুজন খুন হওয়ার পরও খণ্ডঘোষ থানার পুলিস আমাদেরই ৫ জন কর্মীকে ঘটনার পর গ্রেপ্তার করেছে। এদিকে, তৃণমূলের বিরুদ্ধে ওঠা অভিযোগ অস্বীকার করেছেন খণ্ডঘোষের তৃণমূল প্রার্থী নবীনচন্দ্র বাগ। শুক্রবার সকালে বর্ধমান মেডিক্যাল কলেজ হাসাপাতালে মৃত দুই সি পি এম কর্মীকে দেখতে আসেন সি পি এমের রাজ্য কমিটির অন্যতম সদস্য অমল হালদার। তিনি এই খুনের ঘটনায় তৃণমূল–‌আশ্রিত দুষ্কৃতীদের বিরুদ্ধে অভিযোগ তুলে বলেন, দলীয় বুথ এজেন্ট ফজল ও সংগ্রামী কর্মী দুখীরাম গতকাল সন্ধের সময় প্রাথমিক স্কুলের বুথেই ছিলেন। ই ভি এম নিয়ে যাওয়ার পর তাঁদের দল মারফত খবর আসে, এজেন্টদের অর্থাৎ তাঁদের বাড়িতে বোমাবাজি করছে তৃণমূল। তৃণমূল আগেই সি পি এম কর্মীদের গ্রামে ভয় ও হুমকি দিয়ে বলেছিল, '‌যে বুথ এজেন্ট হবি, তাদের বাড়িতে বোমা পড়বে।'‌ যেমন হুমকি তেমন কাজ। ভোট শেষ হতেই তৃণমূল–‌আশ্রিত দুষ্কৃতীরা এজেন্টদের বাড়িতে বাড়িতে বোমাবাজি শুরু করে। তখন ওই বুথ থেকে বাড়ির উদ্দেশ্যে রওনা হন সি পি এম কর্মী–‌সমর্থকরা। এরই মধ্যে রাস্তায় কেন্দ্রীয় বাহিনী গাড়ি দাঁড় করিয়ে সি পি এম কর্মী–‌ সমর্থকদের ওপর লাঠিচার্জ করে ছত্রভঙ্গ করে। তখন সবাই পালিয়ে গেলেও, ফজল ও দুখীরাম রাস্তায় পড়েছিল। সেই সময় তৃণমূল–‌আশ্রিত দুষ্কৃতীরা ওই দুজনকে তুলে নিয়ে গিয়ে শিবতলার কালভার্টের ওপর নৃশংসভাবে খুন করে। হাত ও পায়ের শিরা কেটে কুপিয়ে কুপিয়ে হত্যা করে, শেষে ওদের ওপর বোমা চার্জ করে পালিয়ে যায়। আধ ঘণ্টার মধ্যে পুলিস খবর পেয়ে মরদেহ তুলে প্রথমে থানায় ও পরে হাসপাতালে পাঠায়। এই অভিযোগ অস্বীকার করে তৃণমূল প্রার্থী নবীনচন্দ্র বাগ বলেন, ওই ঘটনার সঙ্গে তৃণমূলের কোনও সম্পর্ক নেই। কোনও রাজনৈতিক ব্যাপার নেই। আমাদের দলের নামে অপপ্রচার ও মিথ্যা অভিযোগ করছে সি পি এম বলে তিনি জানিয়েছেন।

ছবি:‌ বিজয়প্রকাশ দাস‌‌‌‌






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अमलेंदु सड़क दुर्घटना में जख्मी,हस्तक्षेप बाधित हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है। मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों। "हस्तक्षेप"के पाठकों-मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। छोटी सी राशि सेहस्तक्षेप के संचालन में योगदान दें। पलाश विश्वास

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अमलेंदु सड़क दुर्घटना में जख्मी,हस्तक्षेप बाधित

हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है।

मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों।

"हस्तक्षेप" के पाठकों-मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। छोटी सी राशि सेहस्तक्षेप के संचालनमें योगदान दें।



पलाश विश्वास


कल शाम दिल्ली में हस्तक्षेप के संपादक अमलेंदु उपाध्याय एक भयंकर दुर्घटना से बाल बल बच गये हैं।वे जिस आटो से घर लौट रहे थे,वह एक बस से टकरा गया।आटो उलट जाने से अमलेंदु और दो साथियों के चोटें आयीं।अमलेंदु के दाएं हाथ में काफी चोटे आयी हैं और कल से हस्तक्षेप पर अपडेट नहीं हो पा रहा है।क्योंकि हस्तक्षेप अपडेट करने के लिए कोई दूसरा नहीं है।ऐसे समय में यह हमारे लिए भारी झटका है।उम्मीद है कि जल्द से जल्द वे काम पर लौटने की हालत में होंगे।


हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है।


समयांतर पंकज बिष्ट जी की जिद पर अभी नियमित है तो समकालीन तीसरी दुनिया के लिए भी हम साधन जुटा नहीं पा रहे हैं।एक के बाद एक मोर्चा हमारा टूट रहा है और हम अपने किले बचाने की कोशिश में लगे नहीं है।


सत्तर के दशक से पंकज बिष्ट और आनंद स्वरुप वर्मा की अगुवाई में हम लगातार जो वैकल्पिक मीडिया बनाने की मुहिम में लगे हैं,अपने ही लोगों का साथ न मिलने से उसका डेरा डंडा उखड़ने लगा है।एक एक करके पोर्टल बंद होते जा रहे हैं।


भड़ास को यशवंत अकेले दम चला रहे हैं और वह मीडिया की समस्याओं से अब भी जूझ रहा है।


पिछले पांच साल से कुछ दोस्तों की मदद से हस्तक्षेप नियमित निकल रहा है और हम उसे राष्ट्रव्यापी जनसुनवाई मंच में बदलने की कोशिश में लगे हैं।


अमलेंदु हमारे युवा सिपाहसालार हैं और विपरीत परिस्थितियों में उसने मोर्चा जमाये रखा है।


मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों।



हस्तक्षेप.कॉम कुछ संजीदा पत्रकारों का प्रयास है।काफी लम्बे समय से महसूस किया जा रहा था कि तथाकथित मुख्य धारा का मीडिया अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है और मीडिया, जिसे लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है, उसकी प्रासंगिकता अगर समाप्त नहीं भी हो रही है तो कम तो होती ही जा रही है। तथाकथित मुख्य धारा का मीडिया या तो पूंजीपतियों का माउथपीस बन कर रह गया है या फिर सरकार का। आज हाशिए पर धकेल दिए गए आम आदमी की आवाज इस मीडिया की चिन्ता नहीं हैं, बल्कि इसकी चिन्ता में राखी का स्वयंवर, राहुल महाजन की शादी, राजू श्रीवास्तव की फूहड़ कॉमेडी और सचिन तेन्दुलकर के चौके छक्के शामिल हैं। कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याएं अब मीडिया की सुर्खी नहीं नहीं रहीं, हां 'पीपली लाइव'का मज़ा जरूर मीडिया ले रहा है। और तो और अब तो विपक्ष के बड़े नेता लालकृष्ण अडवाणी के बयान भी अखबारों के आखरी पन्ने पर स्थान पा रहे हैं।

ऐसे में जरूरत है एक वैकल्पिक मीडिया की। लेकिन महसूस किया जा रहा है कि जो वैकल्पिक मीडिया आ रहा है उनमें से कुछ की बात छोड़ दी जाए तो बहुत स्वस्थ बहस वह भी नहीं दे पा रहे हैं। अधिकांश या तो किसी राजनैतिक दल की छत्र छाया में पनप रहे हैं या फिर अपने विरोधियों को निपटाने के लिए एक मंच तैयार कर रहे हैं।

इसलिए हमने महसूस किया कि क्यों न एक नया मंच बनाया जाए जहां स्वस्थ बहस की परंपरा बने और ऐसी खबरें पाठकों तक पहुचाई जा सकें जिन्हें या तो राष्ट्रीय मीडिया अपने पूंजीगत स्वार्थ या फिर वैचारिक आग्रह या फिर सरकार के डर से नहीं पहुचाता है।

ऐसा नहीं है कि हमें कोई भ्रम हो कि हम कोई नई क्रांति करने जा रहे हैं और पत्रकारिता की दशा और दिशा बदल डालेंगे। लेकिन एक प्रयास तो किया ही जा सकता है कि उनकी खबरें भी स्पेस पाएं जो मीडिया के लिए खबर नहीं बनते।

ऐसा भी नहीं है कि हमारे वैचारिक आग्रह और दुराग्रह नहीं हैं,लेकिन हम एक वादा जरूर करते हैं कि खबरों के साथ अन्याय नहीं करेंगे। मुक्तिबोधने कहा था'तय करो कि किस ओर हो तुम'। हमें अपना लक्ष्य मालूम है और हम यह भी जानते हैं कि वैश्वीकृत होती और तथाकथित आर्थिक उदारीकरण की इस दुनिया में हमारा रास्ता क्या है? इसलिए अगर कुछ लोगों को लगे कि हम निष्पक्ष नहीं हैं तो हमें आपत्ति नहीं है।

हम यह भी बखूबी जानते हैं कि पोर्टल चलाना कोई हंसी मजाक नहीं है और जब तक कि पीछे कोई काली पूंजी न हो अथवा जिंदा रहने के लिए आपके आर्थिक रिश्ते मजबूत न हों, या फिर आजीविका के आपके साधनों से अतिरिक्त बचत न हो, तो टिकना आसान नहीं है। लेकिन मित्रों के सहयोग से रास्ता पार होगा ही!

आशा है आपका सहयोग मिलेगा। हमारा प्रयास होगा कि हम ऐसे पत्रकारों को स्थान दें जो अच्छा काम तो कर रहे हैं लेकिन किसी गॉडफादर के अभाव में अच्छा स्पेस नहीं पा रहे हैं। हम जनोपयोगी और सरोकारों से जुड़े लोगों और संगठनों की विज्ञप्तियों को भी स्थान देंगे

यदि आप हस्तक्षेप.कॉम की आर्थिक सहायता करना चाहते हैं तो  amalendu.upadhyay(at)gmail.comपर संपर्क कर सकते हैं….

Website http://hastakshep.com



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सिंगुर के किसानों को जमीन लौटा देंगी दीदी? शारदा नारदा के मुखातिब बंगाल अब भूतों और बाहुबलियों के हवाले! माकपा ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में ‘‘अभूतपूर्व''हिंसा हो रही है और राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से पार्टी के सात कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि वह आतंक की इस राजनीति के आगे घुटने नहीं टेकेगी और इसका मजबूती से सामना करेगी। वे जितनी ज्यादा हिंसा करेंगे, लोग उतना ही विरोध करेंगे। हम चुनौती का सामना करेंगे।येचुरी का ऐलान। बंगाल में सिंडिकेट राज चल रहा है। राहुल गांधी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो आपका पैसा शारदा स्कैम में लूटा,जो पैसा ममताजी के लोगों ने टीवी पर लिया,हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे-आपका पैसा वापस आपके जेब में डालेंगे!'एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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सिंगुर के किसानों को जमीन लौटा देंगी दीदी?

शारदा नारदा के मुखातिब बंगाल अब भूतों और बाहुबलियों के हवाले!

माकपा ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में ''अभूतपूर्व'' हिंसा हो रही है और राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से पार्टी के सात कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि वह आतंक की इस राजनीति के आगे घुटने नहीं टेकेगी और इसका मजबूती से सामना करेगी।

वे जितनी ज्यादा हिंसा करेंगे, लोग उतना ही विरोध करेंगे। हम चुनौती का सामना करेंगे।येचुरी का ऐलान।

बंगाल में सिंडिकेट राज चल रहा है। राहुल गांधी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो आपका पैसा शारदा स्कैम में लूटा,जो पैसा ममताजी के लोगों ने टीवी पर लिया,हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे-आपका पैसा वापस आपके जेब में डालेंगे!'



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"জমি ফেরত পাবেন কৃষকরা", সিঙ্গুরে নির্বাচনী প্রচারসভায় আশ্বাস মুখ্যমন্ত্রী মমতার

সিঙ্গুরের জমি ফেরত পাবেন কৃষকেরা। জমি ফেরাবে তৃণমূল সরকার। সিঙ্গুরের নির্বাচনী সভায় আশ্বস্ত করলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। তাঁর বক্তব্য, জমি নিয়ে মামলা চলছে। তবে ন্যায় বিচারই পাবেন সিঙ্গুরের কৃষকেরা। যেহেতু রাজ্য সরকার জমি অধিগ্রহণ করেছে, তাই জমি ফেরত নিয়ে দুশ্চিন্তার কিছু নেই।


सिंगुर में फिर दीदी का दावा है कि चूंकि राज्य सरकार ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया है तो सिंगुर की किसानों को जमीन वापस जरुर मिलेगी जबकि टाटा मोट्रस ने कारखाना बरसों पहले स्थानांतिरत कर लिया है लेकिन जमीन पर दावा अभीतक छोड़ा नहीं है और मामला अदालतों में फंसा है।


बंगाल में अभी तीन चरणों का मतदान बाकी है और अगले चरण में उत्तर 24 परगना में कांटे की लड़ाई है । वैसे कोलकाता समेत सारा दक्षिण बंगाल दीदी का गढ़ है लेकिन शारदा से नारदा तक के सफर  में गुबार और गर्दी का आलम यह रहा कि अब दावे के साथ कोई नहीं कह सकता कि दीदी विपक्ष का सफाया कर देंगी।कांग्रेस और वाम गठजोड़ के अलावा दक्षिण बंगाल में सीटें भले जीत न सकें,केसरिया करण इतना तो हो ही गया है कि भाजपा वोटर बी कम नहीं है।जिससे यह चुनाव अब बीज गणित में तब्दील हो गया है और नतीजतन सत्ता के दम पर वोट हासिल करने के लिए पूरा बंगाल भूतों और बाहुबलियों के हवाले हैं।


कोलकाता में पिछले चरण के मतदान में पुलिस की सख्ती,वर्धमान और नदिया में कड़ा प्रतिरोध,मुर्शिदाबाद में संघर्ष के मध्य पुलिस प्रशासन में व्यापक फेरबदल से लड़ाई अब कांटे की हो गयी है क्योंकि बूथों की एकतरफा लूट मुश्किल है।


इस बीच माकपा ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में ''अभूतपूर्व'' हिंसा हो रही है और राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से पार्टी के सात कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि वह आतंक की इस राजनीति के आगे घुटने नहीं टेकेगी और इसका मजबूती से सामना करेगी।


''राजनीतिक हिंसा'' के मुद्दे पर माकपा नेता ने कहा कि उन्हें अंदेशा है कि सोमवार को होने वाले चौथे चरण के चुनाव के दौरान ''हमलों में इजाफा'' हो सकता है। पार्टी ने कल चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह सख्त कार्रवाई करे और लोगों में निर्भीक होकर स्वतंत्र रूप से वोट डालने का विश्वास पैदा करे। येचुरी ने चुनावों के दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा सील करने का मुद्दा भी उठाया।


येचुरी ने कहा, हमारा प्रतिरोध बम इस्तेमाल करने के उनके तरीके के जरिये नहीं होगा। यह लोगों के सामूहिक दबाव के जरिए होगा। अब तक लोकतांत्रिक दबाव सफल हुआ है। नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले पर माकपा महासचिव ने आरोप लगाया कि तृणमूल नेतृत्व की शह के बगैर यह नहीं हुआ होगा।


माकपा महासचिव ने कहा, अपने मुख्यमंत्री से कहिए कि यदि 20 लोगों के परिवार में दो ने कुछ गलत किया है और मां का उन पर नियंत्रण नहीं है तो यह होगा ही। वह उन्हें शह दे रही हैं। नेता की शह के बिना यह हो ही नहीं सकता था। ममता ने एक तरह से कबूल लिया है कि उनकी पार्टी के लोगों ने पैसे लिये।


जवाब में दीदी फिर सिंगुर नंदीग्राम आंदोलन की पूंजी दांव पर लगाने लगी।उत्तर 24 परगना में मतदान से पहले सिंगुर जाकर वे कल्पतरु हो गयी और जमीन खोने वाले किसानों से वायदा भी कर दिया कि वे सिंगुर के किसानों को जमीन लौटा देंगी।


यह चुनाव आचार संहिता का उलंघन का मामला कितना है,यह अभी पता नहीं चला है तो यह पता लगाना और मुश्किल है कि सिंगुर की अधिरृहित जमीन का मामला जब कानूनी दांव पेंच में उलझा है और कानून बदलकर भी दीदी जमीन वापस दिलाने में नाकाम रही तो अब कौन सी जादू कीछड़ उनके हाथ में है कि सिंगुर के किसानों से वे जमीन लौटाने का वायदा कर रही हैं।


वैसे एक सच यह भी है कि  जिन लोगों ने कारखाने के लिए अपनी जमीन टाटा को दी थी, वे लोग आज भी सिंगुरनैनो कारखाना बनने का सपना लिए हुए हैं।


गौरतलब है कि माकपा भी यही वादा दोहरा रही है और माकपा के राज्य सचिव व विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने मंगलवार को प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में यह कहा कि सिंगुरपर जो मामला चल रहा है उसे सत्ता में आने पर वापस लेंगे और वहां उद्योग लगाने की व्यवस्था करेंगे।


दूसरी तरफ   जिस सिंगुरआंदोलन के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सत्तासीन हुई वह अबतक उनके लिए वहीं सिंगुर सिरदर्द का सबब रहा है। इस बीच किसानों ने सरकार से क्षतिपूर्ति की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया है।


सिंगुर के किसानों और बाकी बंगाल को भी मालूम है कि खाली पीली बतकही से किसानों को जमीन वापस नहीं मिलने वाली है।





दीदी ने माकपा पर जमकर निशाने साधे।दीदी ने शुक्रवार को विपक्षी माकपा पर हमला बोलते हुए उस पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार पर 'ऋण का भारी बोझ' छोड़ने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यदि माकपा उनकी जगह होती तो वह राज्य को नीलाम कर चुकी होती। माकपा ने छोड़ा था दो लाख करोड़ का कर्ज ममता ने यहां एक चुनावी बैठक में कहा, ' जब हम सत्ता में आए, माकपा दो लाख करोड़ रुपये के ऋण का बोझ छोड़ गई थी। इसके बावजूद हमारे कार्यकाल में बंगालइससे उबरा। यदि माकपा मेरी जगह होती तो वह बंगालको नीलाम कर चुकी होती।'


तो दूसरी ओर,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगालकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर ''झूठ का सहारा लेने और लोगों को झांसा देने' का आरोप लगाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि उन लोगों ने लाखों नौकरियों का वादा किया था लेकिन ''एक भी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिला।' राहुल गांधी ने कहा, ममता जी और मोदी जी झूठे वायदे कर रहे हैं। ममता जी ने 70 लाख लोगों को रोजगार देने की बात की थी। जबकि मोदी जी ने कहा था कि उनकी सरकार दो करोड़ लोगों को रोजगार देगी। लेकिन एक भी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिला है।


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर पश्चिम बंगालकी ममता बनर्जी सरकार पर शनिवार को तीखा प्रहार किया। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और लोगों को याद. दिलाया कि राज्य में पहले तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठबंधन था। राहुल ने हावड़ा जिले में एक चुनावी सभा में कहा, मोदीजी बंगालमें आकर कहते हैं कि मैं ममताजी का विरोध करता हूं। लेकिन मत भूलिए कि ममता जी की पार्टी का बंगालमें भाजपा के साथ गठबंधन था।


तीन अलग-अलग जगहों पर चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विवेकानंद ब्रिज ढहने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव बनर्जी को जिम्मेवार ठहराया। बाली के एथेलिटिक क्लब मैदान में तृणमूल उम्मीदवार बैशाली डालमिया के समर्थन में आयोजित इस सभा में मुख्यमंत्री ने सभी दलों के साथ-साथ वाममोरचा को जमकर कोसते हुए विवेकानंद ब्रिज हादसे के लिए पूर्व मुख्यमंत्री को दोषी करार दे दिया।


उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा के शासन काल में बंगालका सर्वनाश हुआ। हर दिन हिंसक आंदोलन व नकारात्मक सोच के कारण कारखाने, बाजार बंद होते गए। अब उनके शासन काल में विकास कार्य होते ही माकपा के होश उड़ गए हैं। इसी वजह से सुबह से रात तक पार्टी केवल तृणमूल को गाली गलौज दे रही है। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वो पहले कांग्रेस में ही थी, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता व माकपा के नेता छिप छिप कर मिलते थे। उस समय कांग्रेस माकपा की बी टीम थी। लेकिन अब ए टीम बन गई है। उन्होंने कहा कि माकपा विनाशकारी दल है।


चौथे चरण के मतदान से पहले पश्चिम बंगालकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोधी दलों खासकर सीपीएम और कांग्रेस पर अपने हमले और तेज कर दिए हैं। ममता बनर्जी ने कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दोनों ही पार्टियां आगे चलकर इसका नुकसान महसूस करेंगी। ममता ने कहा कि कांग्रेस आगे चलकर ये अच्छी तरह समझ जाएगी कि उसका सीपीएम के साथ राज्य में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला गलत था, तो वहीं सीपीएम को भी कांग्रेस के साथ जाने के अपने गलत फैसले का एहसास होगा। ममता ने ये बातें एक चुनावी बैठक के दौरान आरामबाग में कही।


जबकि राहुल गांधी ने मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को विफल करार देते हुए सूबे की सत्ता में आने पर मेक इन बंगालशुरू करने की बात कही। शनिवार को हावड़ा के गुलमोहर मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि केंद्र सरकार मेक इन इंडिया से युवाओं को रोजगार नहीं दे सकी। हम मेक इन बंगालयोजना की शुरुआत करेंगे और उससे यहां के बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था करेंगे। राहुल ने मोदी व ममता में गोपनीय समझौता होने का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों लोगों के सामने कुछ और पीछे कुछ और हैं।


राहुल ने हावड़ा जिले और उत्तरी 24 परगना जिले के बसीरहाट में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए ममता और मोदी दोनों पर 'गरीब विरोधी' होने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा, "मोदीजीबंगालमें आकर ममता जी के खिलाफ बोलते हैं।


चौथे चरण के चुनाव प्रचार के अंतिम दिन राहुल गांधी ने शनिवार को हावड़ा में जनसभा को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगालकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि ममता बनर्जी ने टीएमसी के नेता को कोलकाता में गिरे हुए पुल का कॉन्ट्रैक्ट दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगालमें सिंडिकेट राज चल रहा है। राहुल गांधी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो आपका पैसा शारदा स्कैम में लूटा,जो पैसा ममताजी के लोगों ने टीवी पर लिया,हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे-आपका पैसा वापस आपके जेब में डालेंगे!'


राहुल ने हावड़ा जिले में कहा, "सरकार का काम आपको स्वास्थ्य, शिक्षा और नौकरियां मुहैया कराना है, सरकार ने यह नहीं किया। लेकिन इस सरकार ने शारदा चिटफंड घोटाले के जरिए आपका सारा पैसा, आपकी सारी बचत लूट ली।"राहुल ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्य में नौकरियों का सृजन करने में नाकाम रही है। राहुल ने कहा, "पहले लोग नौकरियां ढूंढ़ने के लिए बंगालआते थे, लेकिन अब वे इसके लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं, क्योंकि सभी को पता चल चुका है कि ममता सरकार राज्य में नौकरियां मुहैया नहीं करा सकती।"



इस बीच माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कोलकाता में  पत्रकारों को बताया, पश्चिम बंगाल में अभूतपूर्व हिंसा हो रही है। अब तक सात माकपा  कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। तीसरे चरण में चार और तीन पहले। वे जितनी ज्यादा हिंसा करेंगे, लोग उतना ही विरोध करेंगे। हम चुनौती का सामना करेंगे। जहां तक माकपा का सवाल है, डराने-धमकाने से काम नहीं चलेगा। आतंक की इस राजनीति के सामने घुटने न टेकने का इरादा जाहिर करते हुए येचुरी ने कहा कि ऐसी हिंसा तब तक नहीं हो सकती, जब तक इसे सत्ताधारी पार्टी की ''शह'' न मिले।






माकपा नेता ने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठजोड़ है ताकि ''सत्ता विरोधी वोट'' वामपंथी पार्टियों को मिलने की बजाय भाजपा को मिले।


येचुरी ने कहा, जब राज्य के एक हिस्से में मतदान होता है तो वह (प्रधानमंत्री मोदी) दूसरे हिस्से में चुनाव प्रचार करते हैं। प्रधानमंत्री बंगाल में इतनी उर्जा लगाकर क्यों प्रचार कर रहे हैं।


सिख कट्टरपंथ के उभार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यह चिंताजनक है। येचुरी ने चेतावनी दी, हमें सिख कट्टरपंथ के फिर से सिर उठाने की खबरें मिली हैं। भविष्य में मुश्किल होगी।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम समाप्त हो गया।


चौथे चरण में उत्तर 24 परगना और हावड़ा जिले की कुल 49 सीटों के लिए 345 प्रत्याशियों की राजनीतिक किस्मत का निर्णय होगा।  चौथे चरण में सोमवार को कुल 1.07 करोड़ मतदाता सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक 12,500 मतदान केन्द्रों में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

   

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा और पूर्व जेल मंत्री मदन मित्रा इस चरण के तहत होने वाले चुनाव के प्रमुख उम्मीदवार हैं।


2011 में विधानसभा चुनाव में राजनीति में कदम रखने से पहले फिक्की के महासचिव रहे अमित मित्रा नार्थ 24 परगना जिले की खड़दाह सीट से फिर चुनाव मैदान में हैं। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान राज्य में औद्योगीकरण की कमी का विरोध करने के दावों के बावजूद वह हमेशा निशाने पर रहे।


चौथे चरण के चुनाव के दौरान तमाम निगाहें पूर्व परिवहन एवं खेल मंत्री मदन मित्र पर होंगी। वह उत्तर 24 परगना जिले की कमारहटी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।


पोर्ट इलाके में अशांति फैलाने की कोशिश नाकाम, दो जगहों से 15 बम बरामद



प्रभात खबर के मुताबिक

दक्षिण कोलकाता में 30 अप्रैल को होनेवाले चुनाव के पहले छापेमारी अभियान के दौरान महानगर के पोर्ट इलाके की दो जगहों से पुलिस ने 15 बम बरामद किये हैं. हालांकि इन दोनों जगहों से किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका. बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है.


पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वेस्ट पोर्ट इलाके में शुक्रवार दोपहर पुलिस जांच अभियान चला रही थी. इस दौरान खिदिरपुर बंदरगाह के नौ नंबर गेट से एक सौ मीटर के अंदर एक दीवार से सटा कर रखा गया प्लास्टिक बैग दिखा. उक्त बैग किसका था, कौन उसे यहां रख कर गया था, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी. बैग खोलने पर अंदर पांच जिंदा बम मिले.


बमों को खाली जगहों में ले जाकर निष्क्रिय किया गया. आसपास के लोगों से पूछताछ में पता चला कि देर रात वहां कुछ अज्ञात लोगों का जमावड़ा रहता है. उन्हीं लोगों में से किसी का बम होगा. शुक्रवार सुबह वहां से जाते समय उक्त युवक प्लास्टिक बैग साथ ले जाना भूल गये होंगे. इलाके में चुनाव के पहले अशांति फैलाने के उद्देश्य से बम लाने का अनुमान लगाया जा रहा है.

बांग्ला दैनिक आजकाल की रपट हैः

মমতা: ফেরাবই সিঙ্গুুরের জমি

রবিবার ২৪ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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দীপঙ্কর নন্দী, মিল্টন সেন, তুফান মণ্ডল: অদম্য জেদ। এদিন সিঙ্গুরে প্রচার করতে গিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি সিঙ্গুরবাসীদের উদ্দেশে জানিয়ে দিলেন, জমি আমি আপনাদের ফিরিয়ে দেবই। আপনাদের জয় হবে। আমার ওপর আস্থা রাখুন, ভরসা রাখুন, বিশ্বাস রাখুন। আপনারা জানেন, আমরা সরকারে আসার পর সিঙ্গুরের জমি অধিগ্রহণ করেছি। প্রতিশ্রুতি রেখেছি। জমি আমাদের সরকারের। অন্য কারও নয়। টাটাবাবুরা মামলা করেছেন। সুপ্রিম কোর্টে মামলা চলছে। আপনারা সুবিচার পাবেন। যেদিন জয়ী হবেন, সেদিন আমাকে আপনাদের ডাকতে হবে না। আমি নিজেই সিঙ্গুরে চলে আসব। টাটাবাবুরা আমাকে চ্যালেঞ্জ করেছেন। আপনারা চিন্তা করবেন না। সিঙ্গুরের মঞ্চে দঁাড়িয়ে প্রার্থী রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্যের সমর্থনে মমতা সভা করতে আসেন। এদিন তিনি সিঙ্গুরে জোটের প্রার্থী রবীন দেবকেও এক হাত নেন। একজন ওস্তাদ কলকাতা থেকে এখানে প্রার্থী হতে এসেছে। বেচারামের উদ্দেশে মমতা বলেন, ওকে মানুষ কীভাবে ডাকেন সেটা বেচারাম বলতে পারবে। কলকাতায় কোনও আসনে টিকিট না পেয়ে এখানে এসেছে দঁাড়াতে। এদের লজ্জা করে না। এরা সাধারণ মানুষের জমি কেড়ে নিয়েছিল। এখন বড় বড় কথা বলছে। এদের কথায় কান দেবেন না আপনারা। একটি ভোটও ওনাকে দেবেন না। দিল্লিকে আক্রমণ করে মমতা বলেন, দিল্লি এখানে জরুরি অবস্থার চেয়েও বেশি চালাচ্ছে কয়েকটি এজেন্সির মাধ্যমে। বক্তব্যের শুরুতেই মমতা বলেন, আমি আপনাদের এখানে আজ বক্তৃতা দিতে আসিনি। আমি শুধু কয়েকটি কথা বলতে এসেছি। তিনি বলেন, সিঙ্গুর হচ্ছে কৃষি জমি আন্দোলনের পীঠস্থান। সারা পৃথিবীর মানুষ সিঙ্গুরের আন্দোলনের কথা মনে রেখেছে। কলকাতা এবং সিঙ্গুরে আমি অনশন করেছি। তাপসী মালিকের খুনের রহস্য সি বি আই আজও কিনারা করতে পারল না। যদি না পারে বলে দিক। আমরা সরকার থেকে করব। কামদুনিতে তো শাস্তি হয়েছে। মঞ্চে অন্যদের মধ্যে ছিলেন রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্য, বেচারাম মান্না, রচপাল সিং, অসীমা পাত্র, রত্না দে নাগ, তপন দাশগুপ্ত, প্রদীপ ব্যানার্জি প্রমুখ। এছাড়া মঞ্চে ছিলেন সিঙ্গুর আন্দোলনের সময় নিহত রাজকুমার ভুলের মা, তাপসী মালিকের বাবা মনোরঞ্জন ও মা মলিনা মালিক। সরস্বতী দাস আন্দোলনের শুরু থেকেই ছিলেন। এই বৃদ্ধা হাতে পতাকা নিয়ে মঞ্চে উঠে মমতার সঙ্গে কথা বলেন। রবীন্দ্রনাথবাবু, বেচারাম ও রচপাল বক্তব্য পেশ করেন। রচপাল বলেন, এমন দিন আসছে সাধারণ মানুষ ঘরে ঘরে মমতার ছবি রেখে পুজো করবে। এঁরা সকলেই সিঙ্গুরে যে উন্নয়ন হয়েছে তার উল্লেখ করেন। বেচারাম বলেন, সিঙ্গুরে প্রচুর রাস্তা হয়েছে। ডিগ্রি কলেজ হয়েছে। ট্রমা সেন্টারের কাজ শুরু হয়েছে। এ সবই মমতাদির জন্য। ৪৪ কিলোমিটার ঢালাই রাস্তা হয়েছে। ১৭৬টি কিসান মান্ডি হয়েছে। বিদ্যুৎ পৌঁছে দেওয়া হয়েছে। আগে কংগ্রেস করতাম, সি পি এমের রক্তমাখা হাতের সঙ্গে সেই কংগ্রেস এখন হাত মিলিয়েছে। তাই কংগ্রেসকে ঘৃণা করি। সিঙ্গুর স্টেশন সংলগ্ন মাঠে সভায় উপচে পড়েছিল ভিড়। অনেকেই মাঠে ঢুকতে পারেননি, রাস্তায় দঁাড়িয়ে মমতার বক্তব্য শুনেছেন। মমতা এদিন হেলিকপ্টারে চণ্ডীতলা,  চঁাপদানি ও আরামবাগে প্রচার করেন। জোট নিয়ে কংগ্রেস, সি পি এম সম্পর্কে বলেন, কোনও দফাতেই এই তিন দল আমাদের ছুঁতে পারেনি। আর পারবেও না। সি পি এমের আসন অনেক কমে যাবে। লাভ হবে কংগ্রেসের। ওরা কয়েকটা আসন ধরে রাখতে পারবে। মমতা এদিন আরামবাগে বলেন, আরও ৩ দফা ভোট হবে। বিরোধীরা সব গোল্লা পাবে। প্রফুল্লচন্দ্র সেনের স্মৃতিচারণা করে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, প্রফুল্লদা বলতেন তঁার জীবনের সবচেয়ে বড় ভুল সি পি এম–‌কে কঁাধে করে নিয়ে আসা। দুটো দলই কয়েকদিন পরে বুঝতে পারবে কত বড় রাজনৈতিক ভুল ওরা করল। জোটে লাভ হয়েছে মাত্র দুজনের। নামও বলে দেন মমতা। এঁরা হলেন সীতারাম ইয়েচুরি ও অধীর চৌধুরি। আমার কোনও কর্মী কাজ করতে গিয়ে যদি বিপদে পড়ে, সে যদি ভাল কাজ করে, আমি তাকে বুক দিয়ে রক্ষা করব। নির্বাচন কমিশনের নাম না করে মুখ্যমন্ত্রীর অভিযোগ, তৃণমূল কংগ্রেসের পতাকা, ব্যানার লাগালেই খুলে নেওয়া হচ্ছে। বিরোধীদের পতাকায় হাত দেওয়া হচ্ছে না। আইন তো সবার জন্য সমান। তিনি জোরের সঙ্গে বলেন, ওদের পতাকা থাকলে আমাদের পতাকাও থাকবে। কারা এসব করছে, তাদের নামধাম আমার সঙ্গে থাকা ডায়েরিতে আমি সব লিখে রাখছি। সময় এলে আমি ঠিক দেখে নেব। গোঘাট আসনটি জেতার ব্যাপারে মমতা বিশেষ জোর দেন। গতবার এই আসনটি  হেরে যাওয়ায় এবার কর্মীদের ঐক্যবদ্ধভাবে লড়াই করে আসনটিকে জিতিয়ে আনার কথা বলেন। আরামবাগের পারুল মাঠে দলের ৫ প্রার্থী আরামবাগের কৃষ্ণচন্দ্র সঁাতরা, গোঘাটের মানস মজুমদার, পুরশুড়ার ড.‌ এন নুরুজ্জামান, খানাকুলের ইকবাল আহমেদ ও তারকেশ্বরের রচপাল সিংয়ের সমর্থনে সভা করেন তিনি। আরামবাগে ছিলেন সাংসদ অপরূপা পোদ্দার, হুগলি জেলার সভাধিপতি মেহবুব রহমান, পুরপ্রধান স্বপন নন্দী। চণ্ডীতলা বিধানসভা কেন্দ্রের প্রার্থী স্বাতী খোন্দকারের সমর্থনে জনাই হাই স্কুল ময়দানে জনসভা করেন মমতা। এখানে স্বাতী ছাড়াও ছিলেন জাঙ্গিপাড়া কেন্দ্রের প্রার্থী স্নেহাশিস চক্রবর্তী, যুব নেতা দিলীপ যাদব, সুবীর মুখার্জি, আসফার হোসেন প্রমুখ। চঁাপদানি থেকে আবদুল মান্নানের বিরুদ্ধে এবারও প্রার্থী হয়েছেন তৃণমূলের মুজফ্‌ফর খান। মমতা এখানে মান্নানকে আক্রমণ করে বলেন, পাড়ার লোকজন চেনেন না ওনাকে। এলাকার পঁাচটা ভোট পাবেন কিনা সন্দেহ। তৃণমূলের বিরুদ্ধে নালিশ করতে প্রতিদিন দিল্লি যান। এত টাকা পান কোথা থেকে?‌ চঁাপদানির সভায় ছিলেন সাংসদ কল্যাণ ব্যানার্জি, শ্রীরামপুরের প্রার্থী ডাঃ সুদীপ্ত রায় প্রমুখ।


হেনস্থার শিকার ঋতব্রত

শনিবার ২৩ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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গৌতম চক্রবর্তী:‌ রাজ্যসভার বাম সাংসদ ঋতব্রত ব্যানার্জির গাড়ি ঘেরাও করে তঁাকে হেনস্থা করা হয় বলে অভিযোগ। অভিযুক্ত তৃণমূল কর্মীরা। তাঁকে অশ্রাব্য ভাষায় গালিগালাজ এবং গাড়ির কাচের জানালা ভাঙারও চেষ্টা করা হয়েছে বলে অভিযোগ। শনিবার বিকেলে ভাঙড়ের চন্দনেশ্বরে এই ঘটনা ঘটেছে। পুলিস এবং বাম কর্মীরা খবর পেয়ে ঘটনাস্থলে গিয়ে সাংসদকে উদ্ধার করেন। ঋতব্রত বাড়ি ফিরে কলকাতায় চলে যান। স্থানীয় মানুষ জানান, এদিন চন্দনেশ্বরে তৃণমূলের সভা ছিল। সাংসদ অভিষেক ব্যানার্জি এই সভার মূল বক্তা ছিলেন। সভা শেষে তৃণমূল কর্মীরা বাড়ি ফিরছিলেন। সেই সময়েই ওই পথ দিয়ে বাড়ি ফিরছিলেন ঋতব্রত। তিনি তৃণমূল কর্মীদের মাঝে পড়ে যান। কয়েকজন তৃণমূল কর্মী তাঁকে চিনতে পেরে গাড়ি ঘিরে ধরে বিক্ষোভ শুরু করে। সি পি এম জেলা সম্পাদক সুজন চক্রবর্তী বলেন, বসিরহাট থেকে একটি প্রচার সেরে ঋতব্রত ঘটকপুকুর–‌সোনারপুরের রাস্তা ধরেন। এই পথেই চন্দনেশ্বরে এই ঘটনা ঘটেছে। তবে শারীরিক নিগ্রহ হয়নি। খবর পেয়ে পুলিসকে জানাই, দলীয় কর্মীরাও ছুটে যান। উত্তেজিত তৃণমূল কর্মীদের সরিয়ে ঋতব্রতর গাড়ি বের করা গেছে।




बांग्ला टीवी चैनल स्टार आनंद की खबरें हैंः



লাইভ আপডেটApril 23, 2016

নির্বাচন কমিশনে সাংবাদিক বৈঠকে সিইও-র পাশে তৃণমূলের কর্মচারী সংগঠনের আহ্বায়কের উপস্থিতি ঘিরে বিতর্ক। তৃণমূলের কর্মচারী সংগঠনের আহ্বায়ক সৌম্য বিশ্বাস। তিনি বর্তমানে কমিশনের ডি অ্যান্ড ডি বিভাগে ওএসডি হিসেবে কর্মরত। বিজেপির অভিযোগ, নির্বাচন প্রক্রিয়ার সঙ্গে প্রত্যক্ষ বা পরোক্ষভাবে যুক্ত না থাকা সত্ত্বেও, কেন তিনি সাংবাদিক বৈঠকে সিইওর পাশে? অপসারণের দাবি তুলে কমিশনে নালিশ বিজেপির।

6 hrs ago

পশ্চিমবঙ্গে সন্ত্রাসের পরিবেশ তৈরি করেছে তৃণমূল। একের পর এক রাজনৈতিক হত্যা হচ্ছে। অভিযোগ কংগ্রেস নেতা আরপিএন সিংহের

7 hrs ago

যারা ভোটারদের ভয় দেখাচ্ছে, মানুষ রুখে দাঁড়ালে পালানোর পথ পাবে না তারা। যাদবপুর কেন্দ্রে প্রচারে বেরিয়ে দাবি, সিপিএম প্রার্থী সুজন চক্রবর্তীর।আজ যাদবপুরের ৯৬ নম্বর ওয়ার্ডে দলীয় কর্মীদের নিয়ে প্রচার করেন তিনি

7 hrs ago

ভোটের আগে যাদবপুর বিধানসভা এলাকায় কেন্দ্রীয় বাহিনীর রুচমার্চ। আজ সকালে যাদবপুরের বাপুজিনগর, লায়েলকা, রিজেন্ট এস্টেট, রাজা এসসি মল্লিক রোড-সহ বিভিন্ন এলাকায় কেন্দ্রীয় বাহিনী রুটমার্চ করে। এলাকার লোকজনের সঙ্গে কথা বলে নিরাপত্তার আশ্বাস দেন কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা।

7 hrs ago

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের কর্মসূচি যেমন জল ধর, জল ভরো, নতুন জোট সরকার ক্ষমতায় এলে প্রথম কাজ হবে চোর ধর জেল ভরো, কটাক্ষ সিপিএম সাংসদ ঋতব্রত বন্দ্যোপাধ্যায়ের

7 hrs ago

ক্ষমতায় এলে বাংলায় মেক ইন ইন্ডিয়া কর্মসূচি। হাওড়ায় এসে ঘোষণা রাহুল গাঁধীর

7 hrs ago

সিপিএম সাংসদ ঋতব্রতকে হেনস্থার অভিযোগ। ঘটনাস্থল দঃ ২৪ পরগনার চন্দনেশ্বর। সিপিএম সাংসদের গাড়ি ঘিরে বিক্ষোভ, হুমকির অভিযোগ উঠেছে তৃণমূলের বিরুদ্ধে। অভিযোগ অস্বীকার তৃণমূলের।

7 hrs ago

জোটের ভোট ভাঙতেই বেছে বেছে ভোটের দিন রাজ্যে প্রচারে আসছেন মোদি। নেপথ্যে মোদি-মমতা আঁতাঁত। অভিযোগ ইয়েচুরির

7 hrs ago

পঞ্চম দফা ভোটের আগে রাজ্যে ফের ভোটপ্রচারে এসে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ও তৃণমূলকে নিশানা করলেন রাহুল গাঁধী। হাওড়ার শ্যামপুরে কংগ্রেস প্রার্থী অমিতাভ চক্রবর্তীর সমর্থনে জনসভা করেন তিনি। সেখানে সিন্ডিকেট ও দুর্নীতি ইস্যুতে তৃণমূলকে তীব্র ভাষায় আক্রমণ করেন কংগ্রেসের সহ সভাপতি। এরপর বসিরহাট দক্ষিণ কেন্দ্রে সভাতেও তাঁর ভাষণে উঠে আসে তৃণমূল সরকারের বিরুদ্ধে দুর্নীতি ও মিথ্যা প্রতিশ্রুতির অভিযোগ। রাহুল শেষ নির্বাচনী জনসভাটি করেন হাওড়ার গোলমোহর ময়দানে হাওড়া উত্তর কেন্দ্রের কংগ্রেস প্রার্থী সন্তোষ পাঠকের সমর্থনে।

9 hrs ago

তৃপ্তি দেশাই হাজি আলিতে প্রবেশ করলে, তাঁকে \'চটি\' দিয়ে স্বাগত জানানো হবে:শিবসেনা নেতা

12 hrs ago

খরার প্রভাবে দেশের ৯১টি জলাধারের জলস্তর ২২ শতাংশ নীচে নেমে গেছে:কেন্দ্র

13 hrs ago

ভোট-পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত নদিয়ার কল্যাণী বিধানসভা কেন্দ্রের গয়েশপুর। সিপিএম সমর্থককে লক্ষ্য করে গুলি-বোমাবাজি। বোমার আঘাতে গুরুতর জখম সিপিএম সমর্থক। অভিযোগের তির তৃণমূল-আশ্রিত দুষ্কৃতীদের দিকে। গয়েশপুরের গোকুলপুরে গতকাল রাতে বাড়ি ফেরার সময় আক্রান্ত হন পশু চিকিত্সক ও সিপিএম সমর্থক পার্থসারথি চক্রবর্তী। অভিযোগ, প্রথমে তাঁকে লক্ষ্য করে গুলি ছোড়ে দুষ্কৃতীরা। গুলি লক্ষ্যভ্রষ্ট হওয়ায় ওই সিপিএম সমর্থককে লক্ষ্য করে পরপর দুটি বোমা ছোড়া হয় বলে অভিযোগ। গুরুতর জখম অবস্থায় তাঁকে কল্যাণীর জেএনএম হাসপাতালে ভর্তি করা হয়েছে। অভিযোগ অস্বীকার করেছে তৃণমূল।

15 hrs ago

দক্ষিণ ২৪ পরগনার বারুইপুরে দুই সিপিএমকর্মীকে মারধরের অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে। আহত দুই সিপিএমকর্মী ভর্তি বারুইপুর মহকুমা হাসপাতালে। ঘটনায় গ্রেফতার সুশান্ত হাওলাদার নামে এক তৃণমূলকর্মী। যদিও ঘটনায় জড়িত থাকার অভিযোগ অস্বীকার করেছে তৃণমূল। অভিযোগ, গতকাল সন্ধে সাতটা নাগাদ বারুইপুরের বেতবেড়িয়া এলাকায় বন্দুকের বাঁট দিয়ে মেরে সিপিএমকর্মী সঞ্জীব কীর্তনিয়ার মাথা ফাটিয়ে দেন তৃণমূলকর্মীরা। অন্যদিকে একই সময়ে বেতবেড়িয়া স্টেশনের কাছে আক্রান্ত হন আরও এক সিপিএমকর্মী সাবির আলি সর্দার। তাঁকেও তৃণমূলকর্মীরা বেধড়ক মারধর করে বলে অভিযোগ।

15 hrs ago

পঞ্চম দফা ভোটের আগে ফের কড়া নির্বাচন কমিশন। সরানো হল উত্তর ২৪ পরগনার পুলিশ সুপার তন্ময় রায়চৌধুরী এবং দক্ষিণ ২৪ পরগনার জেলাশাসক পি বি সেলিমকে। পক্ষপাতমূলক আচরণের অভিযোগে অপসারিত।



বাম-বিজেপি 'আঁতাত' দেখাতে রাজনাথ-কারাটের 'ভুয়ো' ছবি! বিপাকে তৃণমূল

বাম-বিজেপি 'আঁতাত' দেখাতে রাজনাথ-কারাটের 'ভুয়ো' ছবি! বিপাকে তৃণমূল

কলকাতা ও নয়াদিল্লি: রাজনাথ ও কারাটের ছবি দেখিয়ে বাম-বিজেপি আঁতাঁতের অভিযোগ তুলতে গিয়ে ঘোর অস্বস্তিতে তৃণমূল। ছবি নকল বলে দাবি বিজেপির। চাপের মুখে ছবি আসল নয় বলে মেনে



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अमलेंदु सड़क दुर्घटना में जख्मी,हस्तक्षेप बाधित हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है। मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों। "हस्तक्षेप"के पाठकों-मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। छोटी सी राशि सेहस्तक्षेप के संचालन में योगदान दें। पलाश विश्वास

Previous: सिंगुर के किसानों को जमीन लौटा देंगी दीदी? शारदा नारदा के मुखातिब बंगाल अब भूतों और बाहुबलियों के हवाले! माकपा ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में ‘‘अभूतपूर्व''हिंसा हो रही है और राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से पार्टी के सात कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि वह आतंक की इस राजनीति के आगे घुटने नहीं टेकेगी और इसका मजबूती से सामना करेगी। वे जितनी ज्यादा हिंसा करेंगे, लोग उतना ही विरोध करेंगे। हम चुनौती का सामना करेंगे।येचुरी का ऐलान। बंगाल में सिंडिकेट राज चल रहा है। राहुल गांधी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जो आपका पैसा शारदा स्कैम में लूटा,जो पैसा ममताजी के लोगों ने टीवी पर लिया,हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे-आपका पैसा वापस आपके जेब में डालेंगे!'एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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अमलेंदु सड़क दुर्घटना में जख्मी,हस्तक्षेप बाधित
हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है।
मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों।
"हस्तक्षेप" के पाठकों-मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। छोटी सी राशि सेहस्तक्षेप के संचालनमें योगदान दें।


पलाश विश्वास

कल शाम दिल्ली में हस्तक्षेप के संपादक अमलेंदु उपाध्याय एक भयंकर दुर्घटना से बाल बल बच गये हैं।वे जिस आटो से घर लौट रहे थे,वह एक बस से टकरा गया।आटो उलट जाने से अमलेंदु और दो साथियों के चोटें आयीं।अमलेंदु के दाएं हाथ में काफी चोटे आयी हैं और कल से हस्तक्षेप पर अपडेट नहीं हो पा रहा है।क्योंकि हस्तक्षेप अपडेट करने के लिए कोई दूसरा नहीं है।ऐसे समय में यह हमारे लिए भारी झटका है।उम्मीद है कि जल्द से जल्द वे काम पर लौटने की हालत में होंगे।

हम कितने अकेले और बेबस हैं ,यह इसका नमूना है।

समयांतर पंकज बिष्ट जी की जिद पर अभी नियमित है तो समकालीन तीसरी दुनिया के लिए भी हम साधन जुटा नहीं पा रहे हैं।एक के बाद एक मोर्चा हमारा टूट रहा है और हम अपने किले बचाने की कोशिश में लगे नहीं है।

सत्तर के दशक से पंकज बिष्ट और आनंद स्वरुप वर्मा की अगुवाई में हम लगातार जो वैकल्पिक मीडिया बनाने की मुहिम में लगे हैं,अपने ही लोगों का साथ न मिलने से उसका डेरा डंडा उखड़ने लगा है।एक एक करके पोर्टल बंद होते जा रहे हैं।

भड़ास को यशवंत अकेले दम चला रहे हैं और वह मीडिया की समस्याओं से अब भी जूझ रहा है।

पिछले पांच साल से कुछ दोस्तों की मदद से हस्तक्षेप नियमित निकल रहा है और हम उसे राष्ट्रव्यापी जनसुनवाई मंच में बदलने की कोशिश में लगे हैं।

अमलेंदु हमारे युवा सिपाहसालार हैं और विपरीत परिस्थितियों में उसने मोर्चा जमाये रखा है।

मित्रों से निवेदन है कि हालात को समझें और जरुरी कदम उठायें ताकि हमारी आवाज बंद न हों।


हस्तक्षेप.कॉम कुछ संजीदा पत्रकारों का प्रयास है।काफी लम्बे समय से महसूस किया जा रहा था कि तथाकथित मुख्य धारा का मीडिया अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है और मीडिया, जिसे लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है, उसकी प्रासंगिकता अगर समाप्त नहीं भी हो रही है तो कम तो होती ही जा रही है। तथाकथित मुख्य धारा का मीडिया या तो पूंजीपतियों का माउथपीस बन कर रह गया है या फिर सरकार का। आज हाशिए पर धकेल दिए गए आम आदमी की आवाज इस मीडिया की चिन्ता नहीं हैं, बल्कि इसकी चिन्ता में राखी का स्वयंवर, राहुल महाजन की शादी, राजू श्रीवास्तव की फूहड़ कॉमेडी और सचिन तेन्दुलकर के चौके छक्के शामिल हैं। कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याएं अब मीडिया की सुर्खी नहीं नहीं रहीं, हां 'पीपली लाइव'का मज़ा जरूर मीडिया ले रहा है। और तो और अब तो विपक्ष के बड़े नेता लालकृष्ण अडवाणी के बयान भी अखबारों के आखरी पन्ने पर स्थान पा रहे हैं।
ऐसे में जरूरत है एक वैकल्पिक मीडिया की। लेकिन महसूस किया जा रहा है कि जो वैकल्पिक मीडिया आ रहा है उनमें से कुछ की बात छोड़ दी जाए तो बहुत स्वस्थ बहस वह भी नहीं दे पा रहे हैं। अधिकांश या तो किसी राजनैतिक दल की छत्र छाया में पनप रहे हैं या फिर अपने विरोधियों को निपटाने के लिए एक मंच तैयार कर रहे हैं।
इसलिए हमने महसूस किया कि क्यों न एक नया मंच बनाया जाए जहां स्वस्थ बहस की परंपरा बने और ऐसी खबरें पाठकों तक पहुचाई जा सकें जिन्हें या तो राष्ट्रीय मीडिया अपने पूंजीगत स्वार्थ या फिर वैचारिक आग्रह या फिर सरकार के डर से नहीं पहुचाता है।
ऐसा नहीं है कि हमें कोई भ्रम हो कि हम कोई नई क्रांति करने जा रहे हैं और पत्रकारिता की दशा और दिशा बदल डालेंगे। लेकिन एक प्रयास तो किया ही जा सकता है कि उनकी खबरें भी स्पेस पाएं जो मीडिया के लिए खबर नहीं बनते।
ऐसा भी नहीं है कि हमारे वैचारिक आग्रह और दुराग्रह नहीं हैं,लेकिन हम एक वादा जरूर करते हैं कि खबरों के साथ अन्याय नहीं करेंगे। मुक्तिबोधने कहा था'तय करो कि किस ओर हो तुम'। हमें अपना लक्ष्य मालूम है और हम यह भी जानते हैं कि वैश्वीकृत होती और तथाकथित आर्थिक उदारीकरण की इस दुनिया में हमारा रास्ता क्या है? इसलिए अगर कुछ लोगों को लगे कि हम निष्पक्ष नहीं हैं तो हमें आपत्ति नहीं है।
हम यह भी बखूबी जानते हैं कि पोर्टल चलाना कोई हंसी मजाक नहीं है और जब तक कि पीछे कोई काली पूंजी न हो अथवा जिंदा रहने के लिए आपके आर्थिक रिश्ते मजबूत न हों, या फिर आजीविका के आपके साधनों से अतिरिक्त बचत न हो, तो टिकना आसान नहीं है। लेकिन मित्रों के सहयोग से रास्ता पार होगा ही!
आशा है आपका सहयोग मिलेगा। हमारा प्रयास होगा कि हम ऐसे पत्रकारों को स्थान दें जो अच्छा काम तो कर रहे हैं लेकिन किसी गॉडफादर के अभाव में अच्छा स्पेस नहीं पा रहे हैं। हम जनोपयोगी और सरोकारों से जुड़े लोगों और संगठनों की विज्ञप्तियों को भी स्थान देंगे
यदि आप हस्तक्षेप.कॉम की आर्थिक सहायता करना चाहते हैं तो  amalendu.upadhyay(at)gmail.comपर संपर्क कर सकते हैं….


हस्तक्षेप के संचालन में छोटी राशि से सहयोग दें



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Live stories of the battle for the cause of Baba Saheb Ambedkar's mission

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Live stories of the battle for the cause of

Baba Saheb Ambedkar's mission

Dear Friends,

After working so many years with people at the ground, we decided that
it is important to brng their stories live. Apart from those rare
breed of Ambedkarites who have devoted their lives for the cause of
Baba Saheb Ambedkar's mission, we also meet victims and fighters who
may not be very articulative yet forthright and fight their battle for
dignity.

I am sharing here three link uploaded by my friend Vivek Sakpal. The
first one is an interaction with Hasina Nat, who belong to Nat
community which is mostly a nomadic community and engaged in begging.
They also are expert in mimicry and tatoo making yet in the caste
order completely ostracised. Her story is the story of fight for
dignity. It gives us reflection of what India's village system is..

The second stroy of that of Shivam. We had Shivam, his mother and our
activist friend Shobhna who has been engaged in getting Shivam
Justice. While we had already shared with you the Shivam story whose
hand was chopped off in a sugarcane crusher by the Brahmin landlords
in Jaunpur during December end 2015, the FIR was filed by the police
one month later. Now NHRC has taken cognigence of the matter. Listen
the story of Indian villages and how Dalit woman face it.

The third link is of veteran Ambedkarite L R Balley, who is Editor of
Bhim Patrika and who was a very close associate of Baba Saheb
Ambedkar. Balley Saheb is an authority on Ambedkarism and lived his
life to promote ideals of Baba Saheb Ambedkar. Listen to him in this
interction responding to diverse range of questions raised before him.

This initiative has been started by us to document our history. Our
videos may not be high level professional matching those in the market
but remember it is just a very volunteer effort to bring. Hope our
video quality will improve in future. Kindly do send your feed back to
us and comment also on the link.

You can share these links on your web portals too. You are most
welcome to promote this if you feel it is the need of the hour.

Here are the links :


1. Hasina Nat https://www.youtube.com/watch?v=kCjQc6t_8Q4
2. Shivam https://www.youtube.com/watch?v=OVNIdsUHTFk
3. http://peoplesvoice.in/2016/04/18/conversation-l-r-balley/


Regards,

Vidya Bhushan
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दीदी की जीत का मिथ टूटने लगा मदन मित्र को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार और बुरे फंसे ब्रायन नारदा शारदा और सिंगुर जी का जंजाल तो दहशत का तंत्र भी चरमराने लगा

Next: अमलेंदु की चोटें गंभीर,हस्तक्षेप की हालत भी नाजुक अब हस्तक्षेप जारी रखने के लिए आपसे सहयोग की उम्मीद जिनका हाथ हमारे हाथ में न हो,उनसे बहुत देर तक अब मित्रता भी जैसे संभव नहीं है वैसे ही नये जनप्रतिबद्ध मित्रों के बढ़ते हुए हाथ का हमें बेसब्र इंतजार है। हमारी लड़ाई जीतने की लड़ाई है।हारने की नहीं। हम उनके आभारी हैं,जिनने सहयोग का वादा किया है या जो अब भी हमारे साथ हैं।लेकिन जुबानी जमाखर्च से काम चलने वाला नहीं है,जिससे जो संभव है, वह कमसकम उतना करें तो गाड़ी बढ़ेगी वरना फुलस्टाप है। पलाश विश्वास
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दीदी की जीत का मिथ टूटने लगा

मदन मित्र को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार और बुरे फंसे ब्रायन

नारदा शारदा और सिंगुर जी का जंजाल तो दहशत का तंत्र भी चरमराने लगा

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला टीवी चैन 24 घंटी की यह खबर देखेंः


প্রয়োজন নেই, জানালেন চিকিত্‌সকেরা

মদন মিত্রকে হাসপাতালে ভর্তির প্রয়োজন নেই, জানালেন চিকিত্‌সকেরা

অসুস্থ মদন মিত্র। ভোটের আগের দিন অসুস্থ হয়ে পড়লেন কামারহাটির তৃণমূল কংগ্রেস প্রার্থী। কিন্তু মদনকে হাসপাতালে ভর্তির প্রয়োজন নেই। জানিয়ে দিলেন এসএসকেএম হাসপাতালের চিকিত্‌সকেরা। মদনের শারীরিক অবস্থা পরীক্ষার পর সিদ্ধান্ত নেন তাঁরা। আগামীকালই কামারহাটি বিধানসভা কেন্দ্রে ভোট। সারদা কেলেঙ্কারিতে অভিযু্ক্ত মদন মিত্র বর্তমানে আলিপুর সেন্ট্রাল জেলে রয়েছেন।


उत्तर 24 परगना और हावड़ा में 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद पिछले तमाम टुनावों में कांग्रेस और वामदलों को लगभग सफाया होता रहा है जबकि दोनों जिलों में भाजपा के वोटों में इजाफा होता रहा है और उत्तर 24 परगना के ही बसीर हाट से एकमात्र भाजपा विधायक बंगाल विधानसभा में हैं।वैसे दक्षिण बंगाल में दीदी की बढ़त के आदार पर ही दीदी की जीत पर लोग दांव लगाते रहे हैं।


समझा जाता है कि जंगल महल और उत्तर बंगाल में सफाया हो जाने के बावजूद अकेले दक्षिण बंगाल की करीब दो सौ सीटों पर दीदी के मुकाबले कोई नहीं है।यह मिथ भी टूट रहा है।हालांकि  भाजपा, कांग्रेस और वाम मोर्चा के केंद्रीय नेताओं के शब्दवाणों से आहत तृणमूल सुप्रीमो व पश्चिम बंगालकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 19 मई के बाद दिल्ली को बंगालकी ताकत का अहसास कराने की चेतावनी दी है।


गौरतलब है कि  सोमवार को हावड़ा व उत्तर 24 परगना जिले के 49 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। तीसरे चरण में हुई हिंसा के मद्देनजर इस चरण में शनिवार की शाम से ही उत्तर 24 परगना के 33 व हावड़ा जिले के 16 विधानसभा क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं दोनों जिलों में केंद्रीय बलों की रात्रि गश्त तेज कर दी गई है। यह पहला मौका है जब चुनाव आयोग ने एहतियात के तौर पर इतना कड़ा कदम उठाया है।


इस बार लेकिन मुकाबला कांटे की है।समीकरण तो बदले ही हैं और इसके साथ चुनाव आयोग के अभूतपूर्व एहतियाती बंदोबस्त से अबकी दफा कमसकम किसी की एकतरफा जीत नहीं होनी है जबकि सभा पक्षों का दांव यहां सबसे ज्यादा है और इसीलिए बाहुबलियों और भूतों की भूमिका इतनी अहम है और हिसा का अंदेशा बना हुआ है।हालांकि डराने धमकाने और शक्ति प्रदर्शन का सिलसिला केंद्रीय बलों की मौजदगी के बावजूद जारी है और उसपर फिलहाल अंकुश पूरी तरह लगा नहीं है।


आम जनता और वोटर दहशत में हैं और जनजीवन पर इस दहशत का पुरजोर असर है।लोकल ट्रेनों में भीड़ कम है तो बाजारों में सन्नाटा है।सड़क परिवहन जैसे है ही नहीं।बसें और आटो सड़कों से गायब हैं और कल यातायात बहुत मुश्किल होगी।हावड़ा और उत्तर 24 परगना में चुनाव प्रचार खत्म होते ही 144 धारा लागू है।


सत्तापक्ष को शारदा नारदा का मुकाबला करना पड़ रहा है और लगातार झटके जारी हैं।राजनाथ सिंह के साथ मोदी की जगह प्रकाश कार्त की तस्वीर जारी करने के मामले में तृणमूल प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद क्विज मास्टर डेरेक ओ ब्रायन बुरी तरह फंस चुके हैं।कारत ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है तो भाजपा ने भी एफआईआर अलग से दर्ज कराया है और इस कांड के लिए सीधे तृणमूल सुप्रीमो को कॉघरे में खड़ा किया है।


विपक्ष अंबिकेश महापात्र की गिरफ्तारी का हवाला देकर डेरेक की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है तो दीदी के खेमे में फिर सिपाहसालार बने मुकुल राय की दलील है कि उनने मापी मांग ली है और मामला खत्म है।


दरअसल कोई माला खत्म हो नहीं रहा है।


सबसे बड़ा झटका तो जेल में बंद पूर्व मंत्री मदन मित्र को अस्पताल से बैरंग लौटा देने का हैरतअंगेज हादसा है।अब तक वे जब तब अस्पताल में भरती होते रहे हैं और उनका महीनों से इलाज करने वाले डाक्टर उनकी कोई बीमारी बता नहीं पा रहा हैं।जमानत की खातिर उनने मंत्री पद छोड़ दिया,फिरभी वे जेल में हैं।राजकाज तो खत्म हुआ है,अब जेल से चुनाव लड़ना भी उन्हें सुरक्षित नजर नहीं आ रहा है।वे अस्पताल में विशेष केबिन में बैठकर चुनाव का संचालन करना चाहते थे तो डाक्टरों ने कही दिया कि वे बीमार नहीं है,लिहाजा वे अस्पताल में दाखिल हो नहीं सकते।


ठीक मतदान से पहले शारदा की काली छाया गहराने लगी है और इस फर्जीवाड़े के शिकार लाखों परिवार के जख्म हरे हो गये हैं और कायदे से चुनाव आयोग अगर जमीनी स्तर पर बाहुबलियों और भूतों का खेल बंद करा सकें तो इन पिरावरों के लोग दीदी को ही वोट देंगे,इसकी कोई गारंटी नहीं है।


नारदा मामले में लोकसभा एथिक्स कमेटी या अदालती फैसला आने से दीदी और इस मामले में रिश्वत लेने के आरोप में फंसे मुकुल राय के इकबालिया बयान के बाद सत्तापक्ष की दलीलें लोगों को हास्यास्पद उसी तरह नजर आ रही हैं जैसे सिंगुर के किसानों को जमीन लौटाने की कसम।


यह शिकायत तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और करात की कथित फोटो को मीडिया में दिखाने के मामले में की गई है। यह फोटो ब्रायन ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिखाई थी। करात ने कहा कि टीएमसी राजनीति में बेहद निचले स्तर पर उतर आई है। उन्होंने इसको सीपीआईएम और खुद उनकी छवि खराब करने की कोशिश बताया है। इसी मामले में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल भी आज दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से मिला है।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 4थे चरण का चुनाव प्रचार थम गया है लेकिन इस बीच इस राजनीतिक विवाद ने तूल पकड़ लिया। दरअसल माकपा पूर्व महासचिव की भाजपा नेता के साथ एक ऐसी तस्वीर को जारी किया गया है जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कामरेड प्रकाश करात को मिठाई खिला रहे हैं।


इस फोटो के रिलीज़ होने पर हंगामा मच गया लेकिन इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायनपर सवाल उठे, तो खुलासा हुआ कि यह तस्वीर एडिटिंग के जरिये बनी है। दरअसल इस तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र के स्थान पर प्रकाश करात का चित्र शामिल कर लिया गया है।


तृणमूल नेता सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बाकायदा  एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर एक तस्वीर दिखाई और सीपीएम की जमकर आलोचना की। हालांकि ये तस्वीर फर्जी थी जिसके कारण अब तृणमूल कांग्रेस को यह  फजीहत झेलनी पड़ रही है।तस्वीर के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही बवाल शुरू हो गया। विवाद बढ़ने के बाद TMC ने अपनी वेबसाइट से तस्वीर हटा ली।


जरा सी जांच करने पर पता चला कि इस तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई है। तस्वीर में राजनाथ जिस शख्स को मिठाई खिला रहे हैं वह दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी हैं। तस्वीर में छेड़छाड़ करपीएम नरेंद्र मोदी की जगह प्रकाश करात की तस्वीर जोड़ दी गई। यह तस्वीर 2013 में हुए बीजेपी के गोवा सम्मेलन की है।


गौरतलब है कि राज्य विधानसभा चुनाव के बीच माकपा और भाजपा के बीच गुप्त समझौता होने का दावा करते हुए ओ ब्रायन ने संवाददाता सम्मेलन में कारत और राजनाथ की एक तस्वीर दिखाई और इसे अपना पसंदीदा बताया।


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अमलेंदु की चोटें गंभीर,हस्तक्षेप की हालत भी नाजुक अब हस्तक्षेप जारी रखने के लिए आपसे सहयोग की उम्मीद जिनका हाथ हमारे हाथ में न हो,उनसे बहुत देर तक अब मित्रता भी जैसे संभव नहीं है वैसे ही नये जनप्रतिबद्ध मित्रों के बढ़ते हुए हाथ का हमें बेसब्र इंतजार है। हमारी लड़ाई जीतने की लड़ाई है।हारने की नहीं। हम उनके आभारी हैं,जिनने सहयोग का वादा किया है या जो अब भी हमारे साथ हैं।लेकिन जुबानी जमाखर्च से काम चलने वाला नहीं है,जिससे जो संभव है, वह कमसकम उतना करें तो गाड़ी बढ़ेगी वरना फुलस्टाप है। पलाश विश्वास

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अमलेंदु की चोटें गंभीर,हस्तक्षेप की हालत भी नाजुक

अब हस्तक्षेप जारी रखने के लिए आपसे सहयोग की उम्मीद

जिनका हाथ हमारे हाथ में न हो,उनसे बहुत देर तक अब मित्रता भी जैसे संभव नहीं है वैसे ही नये जनप्रतिबद्ध मित्रों के बढ़ते हुए हाथ का हमें बेसब्र इंतजार है।

हमारी लड़ाई जीतने की लड़ाई है।हारने की नहीं।


हम उनके आभारी हैं,जिनने सहयोग का वादा किया है या जो अब भी हमारे साथ हैं।लेकिन जुबानी जमाखर्च से काम चलने वाला नहीं है,जिससे जो संभव

है, वह कमसकम उतना करें तो गाड़ी बढ़ेगी वरना फुलस्टाप है।

पलाश विश्वास

हमारे लिए बुरी खबर है कि हस्तक्षेप के संपादक अमलेंदु को सड़क दुर्घटना में चोटे कुछ ज्यादा आयी हैं।आटो के उलट जाने से उनके दाएं हाथ में क्रैक आ गया है और इसके अलावा उन्हें कंधे पर भी चोटें आयी है।


हमने इस बारे में प्राथिमिक सूचना पहले ही साझा कर दी है।


भड़ास के दबंग यशवंत सिंह ने यह खबर लगाकर साबित किया है कि वे भी वैकल्पिक मीडिया के मोर्चे पर हमारे साथ हैं।


हम तमाम दूसरे साथियों से भी साझा मोर्चे की उम्मीद है ताकि हम वक्त की चुनौतियों के मुकाबले डटकर खडे हो और हालात के खिलाप जीत भी हमारी हो।


हमारी लड़ाई जीतने की लड़ाई है।हारने की नहीं।


हम उनके आभारी हैं,जिनने सहयोग का वादा किया है या जो अब भी हमारे साथ हैं।लेकिन जुबानी जमाखर्च से काम चलने वाला नहीं है,जिससे जो संभव है ,वह कमसकम उतना करें तो गाड़ी बढ़ेगी वरना फुलस्टाप है।


मीडिया में पिछले 36 साल कतक नौकरी करने के अनुभव और लगातार भोगे हुए यथार्थ के मुताबिक हम यकीनन यह दावा कर सकते हैं कि भड़ास की वजह से ही मीडिया में काम कर रहे पत्रकार और गैर पत्रकारों की समस्याओं पर फोकस बना है और बाकी दूसरे पोर्टल मीडिया केंद्रित शुरु होने की वजह से मीडिया की खबरें किसी भी कीमत पर दबी नहीं रह सकती।


यह मोर्चाबंदी यकीनन  पत्रकारों और गैर पत्रकारों के हक हकूक के बंद दरवाजे खोलती हैं।हमारे लिए यही महत्वपूरण है और यशवंत की बाकी गतिविधियों को हम नजरअंदाज भी कर सकते हैं।


पत्रकारिता का यह मोर्चा यशवंत ने खोला और अपनी सीमाओं में काफी हद तक उसका नेतृत्व भी किया,इसके महत्व को कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।यह आत्मघाती होगा।


ऐसे सभी प्रयासों में हम शामिल हैं बिना शर्त।


हमें बडा़ झटका इसलिए लगा है कि हम बहुत जल्द कमसकम गुरमुखी,बांग्ला और मराठी में हस्तक्षेप का विस्तार करना चाहते थे।


क्योंकि जनसुनवाई कहीं नहीं हो रही है और जनसरोकार की सूचनाएं और खबरें आ नहीं रही हैं।


भड़ास अपना काम कर रहा है और हमारा सोरकार बाकी मुद्दों को संबोधित करना है।इसके लिए पूंजी के वर्चस्व को तोड़ बिना काम नहीं चलेगा और बाजार के नियम तोड़कर हमें कारपोरेट मीडिया के मुकाबले खड़ा होना होगा।


इसकी निश्चित योजना हमारे पास है और हम यकीनन उस पर अमल करेंगे।


फिलहाल हफ्तेभर से लेकर चार हफ्ते तक हस्तक्षेप बाधित रहेगा और कोई फौरी बंदोबस्त संभव नहीं है।


क्योंकि लेआउट,संपादन और समाग्री के साथ  लेकर तात्कालिक बंदोबस्त बतौर पर कोई छेड़छाड़ की कीमत पर कहीं से भी अपडेट कर लेने का विकल्प हम सोच नहीं रहे हैं।क्योंकि हस्तक्षेप के तेवर और परिप्रेक्ष्य में कोई फेरबदल मंजूर नहीं है।


लेखकों औरमित्रों से निवेदन है कि अमलेंदु के मोर्चे पर लौटने से पहले वे अपनी सामग्री मुझे भेज दें ताकि उन्हें अपने ब्लागों में डालकर रियल टाइम कवरेज का सिलसिला हम बनाये रख सकें और हस्तक्षेप का अपडेट शुरु होने पर जरुरी सामग्री वहां पोस्ट कर सकें।


पाठकों और मित्रों से निवेदन है पिछले पांच सालों से हम लागातार हस्तक्षेप कर रहे हैं तो हस्तक्षेप पर पिछले पांच साल के तमाम मुद्दों पर महत्वपूर्ण सामग्री मौजूद है।कृपया उसे पढे़ और अपनी राय दें।


इसके अलावा आपसे गुजारिश है कि महत्वपूर्ण और प्रासंगिक लिंक भी आप विभिन्न प्लेटफार्म पर शेयर करते रहें तकि  अपडेट न होने की हालत में भी हस्तक्षेप की निरंतरता बनी रहेगी।इसके लिए आपके सहयोग की आवश्यकता है।


उम्मीद हैं कि जो लोग हमारे साथ हैं,उन्हें इस दौरान हस्तक्षेप अपडेट न होने का मतलब भी समझ में आयेगा और वे जो भी जरुरी होगा,हमारी अपील और गुहार के बिना अवश्य करेंगे।जो वे अभी तक करना जरुरी नहीं मान सके हैं।


मैं बहुत जल्द सड़क पर आ रहा हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी कोई महत्वाकांक्षा देश ,आंदोलन या संगठन का नेतृत्व करने की है।


हमने बेहतरीन कारपोरेट पेशेवर पत्रिकारिता में 36 साल गुजार दिये,तो इस अनुभव के आधार पर सत्तर के दशक से लगातार लघु पत्रिका आंदोलन और फिर वैकल्पिक मीडिया मुहिम से जुड़े रहने के कारण हमारी पुरजोर कोशिश रहेगी कि हर कीमत पर यह सिलसिला न केवल बना रहे बल्कि हम अपनी ताकत और संसाधन लगाकर आनंद स्वरुप वर्मा और पंकज बिष्ट जैसे लोगों की अगुवाई में कारपोरेट मडिया के मुकाबले जनता का वैकल्पिक मीडिया का निर्माण हर भारतीय भाषा में जरुर करें।


हम चाहेंगे कि जन प्रतिबद्ध युवा पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनआंदोलन के साथियों को भी हम इस मीडिया के लिए बाकायदा प्रशिक्षित करें और

जिन साथियों के लिए कारपोरेट मीडिया में कोई जगह नहीं है,उनकी प्रतिबद्धता के मद्देनजर उनकी प्रतिभा का समुचित प्रयोग के लिए,उनकी अभिव्यक्ति के मौके के लिए वैकल्पिर अवसर और रोजगार दोनों पैदा करें।


इसकी योजना भी हमारे पास है।


बहरहाल मेरे पास अब हासिल करने या खोने के लिए कुछ नहीं है।नये सिरे से बेरोजगार होने की वजह से निजी समस्याओं से भी जूझकर जिंदा रहने की चुनौती मुँह बांए खड़ी है।फिरभी वैकल्पिक मीडिया हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।


आप साथ हों या न हों,आप मदद करें या न करें-यह हमारा मिशन है।

इस मिशन में शामिल होने के लिए हम सभी का खुल्ला आवाहन करते हैं।


हम बार बार कह रहे हैं कि पूंजी के अबाध वर्चस्व और रंगभेदी मनुस्मृति ग्लोबल अश्वमेध में तमाम माध्यम और विधायें और मातृभाषा तक बेदखल हैं।


ऐसे हालात में हमें नये माध्यम,नई विधाएं और भाषाएं गढ़नी होगी अगर हम इस जनसंहारी समय के मुकाबले खड़ा होने की हिम्मत करते हैं।


सत्ता निरंकुश है और पूंजी भी निरंकुश है।


ऐसे अभूतपूर्व संकट में पूरे देश को साथ लिये बिना हम खडे़ तक नहीं हो सकते।

इस जनसंहारी समय पर हम किसी एक संगठन या एक विचारधारा के दम पर कोई प्रतिरोध खड़ा ही नहीं कर सकते।इकलौते किसी संगठन से भी काम नहीं चलने वाला है।बल्कि जनता के हक में,समता और न्याय के लिए,अमन चैन,बहुलता, विविधता, मनुष्यता,सभ्यता और नागरिक मनवाधिकारों के लिए मुकम्मल संघीय साझा मोर्चा जरुरी है।


बिना मोर्चाबंदी के हम जी भी नहीं सकते हैं।


सारी राजनीति जनता के खिलाफ है तो मीडिया भी जनता के खिलाफ है।


राजनीति लड़ाई,सामाजिक आंदोलन औरमुक्तबाजारी अर्थ व्यवस्था में बेदखल होती बहुसंख्य जनगण की जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिक, मानवाधिकार की लड़ाई वैकल्पिक मीडिया के बिना सिरे से असंभव है।


इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम हर उस व्यक्ति या समूह के साथ साझा मोर्चा बाने चाहेंगे जो फासीवाद के राजकाज के खिलाफ कहीं न कहीं जनता के मोर्चे पर हैं।


हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हम आखिरकार कामयाब होंगे क्योंकि हमारा मिशन अपरिहार्य  है और उसमें निर्णायक जीत के बिना हम न मनुष्यता,न सभ्यता और न इस पृथ्वी की रक्षा कर सकते हैं।


संकट अभूतपूर्व है तो यह मित्रों और शत्रुओं की पहचान करके आगे बढ़ते जाने की चुनौती है।जिनका हाथ हमारे हाथ में न हो,उनसे बहुत देर तक अब मित्रता भी जैसे संभव नहीं है वैसे ही नये जनप्रतिबद्ध मित्रों के बढ़ते हुए हाथ का हमें बेसब्र इंतजार है।


"हस्तक्षेप" पाठकों-मित्रों के सहयोग से संचालित होता है। छोटी सी राशि सेहस्तक्षेप के संचालनमें योगदान दें।


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CPDR Statement condemning the dismissal of a Dalit Judge in Chhattisgarh

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CPDR Statement condemning the dismissal of a Dalit Judge in Chhattisgarh


-- Committee for Protection of Democratic Rights (CPDR), Mumbai condemns the sacking of an upright dalit Judge by Chattisgarh government

 

Prabhakar Gwal, Chief Judicial Magistrate during his posting at Sukma has been dismissed by the Chattisgarh government for being a pro-poor and pro-adivasi. A young dalit 2006 batch judge, he became known for taking on corrupt officers and for being a thorn in the flesh of the government and the police. He has now been summarily terminated "in the public interest" by the Chattisgarh government on the recommendation of the High Court. The government has stated that it is "dispensing with any inquiry since it is not possible to conduct an inquiry".

What is Prabhakar Gwal's crime or offence according to the High Court of the state and the government? A complaint forwarded by Sukma's Superintendent of Police to the District Judge after getting several letters written by number of police station officers that the CJM's method of working is to obstruct the police which was lowering the morale of the police. His dismissal is the latest in a series of attacks on journalists, lawyers, academicians by the Chattisgarh administration.

This was because this upright judicial officer would insist on asking the name, age, village, father's name and all relevant details of those arrested, mostly poor tribals and produced before him. Rather than accepting the regular practice till then of permanent warrants produced by the police that have only the name of the arrestee and no other details, Judge Gwal chose to stick to procedure. He would also make it difficult for the police by asking questions about alleged seizures including of weapons, their activities. When it became obvious that the police could not establish any crime against those arrested, he would conclude that those arrested are ordinary villagers. Judge Gwal would go to the extent of communicating directly to those arrested through a Gondi interpreter in the language which the arrestee understood. 

This judge was so fearless that he would term the arrests of thousands of people being produced before him as Maoists as fake arrests;  he wrote to the District Judge and even Director General of Police Kalluri that the police is implicating innocent people. He went to the extent of issuing warnings to Thanedars that he would sendthem to
jail if they framed innocent people.

In short, the BJP-led governments both at the Centre and in Chattisgarh are preparing for an all-out war on the tribals of Bastar and upright judges like Judge Gwal do not fit in their scheme of actions. Whereas for the people of Bastar, such a judge must have been a ray of hope in an otherwise bleak scenario of displacement and large scale repression, Judge Gwal is yet another blow.

CPDR condemns the unjust and unconstitutional sacking of Judge Prabhakar Gwal and demands his immediate re-instatement.

 

Dr. Anand Teltumbde

General Secretary,

CPDR, Maharashtra

Date: 24 April 2016.


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भावनात्मक मुद्दों का ज्वार राष्ट्रद्रोह के बाद ‘भारत माता की जय‘ -राम पुनियानी

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26 मार्च, 2016

भावनात्मक मुद्दों का ज्वार

राष्ट्रद्रोह के बाद 'भारत माता की जय'

-राम पुनियानी


इन दिनों, यदि आपको यह साबित करना हो कि आप राष्ट्रवादी हैं तो आपको 'भारत माता की जय'कहना होगा। इससे पहले, वर्तमान सरकार से असहमत सभी लोगों को 'राष्ट्रद्रोही'बताने का दौर चल रहा था। ये दोनों मुद्दे हाल में उछाले गए हैं और जो लोग इन्हें उछाल रहे हैं, उनका उद्देश्य, राज्य द्वारा विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर किए जा रहे हमले पर पर्दा डालना है। सरकार न केवल प्रजातांत्रिक मूल्यों को रौंद रही है वरन चुनावी वादों को पूरा करने में अपनी असफलता से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश भी कर रही है। ये दोनों मुद्दे उन भावनात्मक मुद्दों की लंबी सूची में जुड़ गए हैं, जिन्हें गढ़ने में सांप्रदायिक ताकतें सिद्धहस्त हैं।

इस मुद्दे को सबसे पहले उठाया आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने। उन्होंने मार्च 2016 की शुरूआत में कहा कि ''अब समय आ गया है कि हमें नई पीढ़ी को यह बताना होगा कि वह भारत माता की जय के नारे लगाए''। इसके बाद, हैदराबाद के सांसद और एमआईएम नेता असादुद्दीन ओवैसी ने बिना किसी के पूछे यह कहा कि वे यह नारा नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें जय हिंद या जय हिंदुस्तान कहने में कोई आपत्ति नहीं है। जाहिर है, यह बयान भागवत और उनके समर्थकों को भड़काने का प्रयास था।

मुसलमानों के कुछ पंथ यह मानते हैं कि वंदे मातरम या भारत माता की जय कहने का अर्थ, किसी देवी के आगे सर झुकाना है जो कि, उनकी दृष्टि में, इस्लाम के विरूद्ध है। अतः, कुछ मुसलमान ये दोनों नारे लगाने से इंकार करते हैं। एक तरह से भारत माता की जय, ''वंदे मातरम कहना होगा''के नारे का विस्तार और दक्षिणपंथी राजनीति के आक्रामक तबकों का हुंकार है। हम सबको याद है कि मुंबई में 1992-93 के कत्लेआम के बाद, जो लोग शांति मार्चों में भाग लेते थे, उन्हें शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा वंदे मातरम का नारा लगाने पर मजबूर किया जाता था। शिवसेना का कहना था कि ''इस देश में रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा''।

वंदे मातरम गीत का इतिहास काफी जटिल है। इसे बंकिमचंद्र चटर्जी ने लिखा था और बाद में उन्होंने उसे उनके  उपन्यास ''आनंदमठ''में शामिल कर लिया। इस उपन्यास का मूल स्वर मुस्लिम-विरोधी है। यह गीत समाज के एक तबके में बहुत लोकप्रिय था परंतु मुस्लिम लीग ने इस पर कड़ी आपत्ति उठाई क्योंकि इस गीत में भारत की तुलना देवी दुर्गा से की गई है। इस्लाम एकेश्वरवादी धर्म है और वह अल्लाह के अतिरिक्त किसी और ईश्वर/देवी को मान्यता नहीं देता। अन्य एकेश्वरवादी धर्मों के अनुयायियों को भी इस गीत पर आपत्ति थी। सन 1937 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 'गीत समिति', जिसके सदस्यों में पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम शामिल थे, ने जनगणमन को राष्ट्रगान के रूप में चुना और वंदे मातरम के पहले दो पदों को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया। इस गीत के अन्य पदों, जिनमें हिंदू देवी की छवि उकेरी गई है, को राष्ट्रगीत का भाग नहीं बनाया गया।

इसी तरह, भारत माता की जय उन कई नारों में से एक था, जिनका इस्तेमाल आज़ादी के आंदोलन में लोगों को जोश दिलाने के लिए किया जाता था। ऐसे ही कुछ अन्य नारे थे जय हिंद, इंकलाब जि़ंदाबाद, हिंदुस्तान जि़ंदाबाद और अल्लाहु अकबर। विभिन्न समुदायों की इन नारों के संबंध में अलग-अलग राय है। जहां कुछ मुसलमान वंदे मातरम कहना नहीं चाहते वहीं कुछ अन्य मुसलमान, खुलकर इस नारे को लगाते हैं और इस पर एआर रहमान ने ''मां तुझे सलाम''नामक एक सुन्दर गीत की धुन तैयार की है। यही बात भारत माता की जय के बारे में भी सही है। जावेद अख्तर ने राज्यसभा में कई बार इस नारे को लगाया और यह नारा लगाने से इंकार करने के लिए ओवैसी की कड़ी आलोचना की। अख्तर ने इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं दिया कि क्या किसी को इस तरह के नारे लगाने पर मजबूर किया जाना चाहिए या यह उस व्यक्ति पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि वह अपना देश प्रेम अभिव्यक्त करने के लिए किन शब्दों, नारों या गीतों का इस्तेमाल करना चाहता है। इस संदर्भ में आरएसएस-भाजपा और एमआईएम-ओवैसी की जुगलबंदी सबके सामने है। ओवैसी को भागवत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि भागवत के बयान की कोई कानूनी मान्यता नहीं थी। ओवैसी और आरएसएस-भाजपा दोनों अलग-अलग समुदायों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करना चाहते हैं। इस ध्रुवीकरण से दोनों को ही लाभ होगा। दोनों एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।

इसके पहले, अफज़ल गुरू को मौत की सजा दिए जाने के खिलाफ एक बैठक का आयोजन करने के लिए जेएनयू के विद्यार्थियों पर राष्ट्रदोही होने का आरोप लगाया गया था। इस मुद्दे के भी कई आयाम हैं और विद्यार्थी समुदाय के कई सदस्य इस बात के पक्षधर हैं कि कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत वह स्वायत्तता  दी जानी चाहिए, जिसका प्रावधान भारत सरकार और कश्मीर के तत्कालीन शासक के  बीच हुई संधि में था। जेएनयू की बैठक में कई नारे लगाए गए थे जिनमें से सबसे आपत्तिजनक नारे कुछ नकाबपोश विद्यार्थियों ने लगाए थे। जिस सीडी में कन्हैया कुमार और अन्य विद्यार्थियों को कश्मीर की आज़ादी का नारा बुलंद करते दिखाया गया है, वह बाद में नकली पाई गई। यहां दो सवाल महत्वपूर्ण हैं। पहला, कि यह पता लगाने का कोई प्रयास क्यों नहीं किया जा रहा है कि वीडियो के साथ किसने छेड़छाड़ की और दूसरा, अब तक उन नकाबपोश विद्यार्थियों को क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया है, जिन्होंने कश्मीर की आज़ादी का समर्थन करते हुए नारे लगाए थे। यह भी आश्चर्यजनक है कि सरकार और भाजपा व उसके साथियों ने बिना जांचपड़ताल के जेएनयू के सभी विद्यार्थियों पर राष्ट्रद्रोही का लेबल चस्पा कर दिया और जेएनयू को राष्ट्रद्रोहियों का अड्डा बताया।

यह दिलचस्प  है कि जहां एक ओर सरकार से असहमत लोगों को राष्ट्रद्रोही बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर, भाजपा, कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में है। पीडीपी, अफज़ल गुरू को नायक और शहीद मानती है। इससे दोनों पक्षों का पाखंड उजागर होता है। यदि, जैसा कि भाजपा का कहना है, जो लोग कश्मीर की स्वायत्तता के हामी हैं और अफजल गुरू को दी गई मौत की सजा को गलत मानते हैं, वे राष्ट्रद्रोही हैं, तो फिर भाजपा राष्ट्रद्रोहियों से हाथ क्यों मिला रही है? जहां जेएनयू के विद्यार्थियों के खिलाफ संघ परिवार के सदस्य आग उगल रहे हैं वहीं यह भी सच है कि इस तरह के नारे, कश्मीर में दशकों से लगाए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि भाजपा की अकाली दल के साथ भी गठबंधन सरकार है, जो उस आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थक है, जिसमें सिक्खों के लिए स्वायत्त खालिस्तान राज्य के गठन की मांग की गई है। हमारे देश के उत्तर-पूर्वी इलाकों के 'भारतीय राष्ट्र''में एकीकरण की प्रक्रिया कई उतार-चढ़ावों से गुजर रही है और वहां अब भी एक शक्तिशाली अलगाववादी आंदोलन जिंदा है। जरूरत राष्ट्रद्रोह संबंधी कानूनों के पुनरावलोकन की है ना कि अपने विरोधियों पर राष्ट्रद्रोही का लेबल चस्पा कर लोगों को भड़काने की। इस मामले में भाजपा की दोमुंही राजनीति स्पष्ट है। एक ओर वह दिल्ली में राष्ट्रद्रोह और भारत माता की जय का राग अलापती है तो दूसरी ओर देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे दलों व संगठनों से हाथ मिलाती है जो हमारे संविधान में निहित कई मूल्यों को चुनौती देते आ रहे हैं।

बात एकदम साफ है। आरएसएस-भाजपा की राजनीति भावनात्मक मुद्दों को उछालकर समाज को साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत करने की है। अपनी स्थापना के समय से ही आरएसएस 'राष्ट्रनिर्माण'की प्रक्रिया से दूर रहा है। जिस समय विभिन्न सामाजिक समूह राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़कर राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में हाथ बंटा रहे थे उस समय आरएसएस केवल हिन्दू समाज की बात कर रहा था और मंदिरों के ध्वंस, हिन्दू राजाओं के शौर्य और जाति व लैंगिक पदक्रम पर आधारित हिन्दू व्यवस्था की महानता के गीत गा रहा था। उसने कभी तिरंगे को राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार नहीं किया और एक-एक कर गौवध, बीफ भक्षण, मुसलमानों के भारतीयकरण, राम मंदिर, घर वापिसी व लव जिहाद जैसे मुद्दे उठाए। अब, इस सूची में राष्ट्रद्रोह और भारत माता की जय भी जुड़ गए हैं।

समाज को ध्रुवीकृत करने के अतिरिक्त, इस तरह के भावनात्मक मुद्दे उछालने का एक लक्ष्य वास्तविक समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाना भी है। रोहित वेम्यूला और कन्हैया कुमार जैसे लोगों ने देश के समक्ष उपस्थित वास्तविक चुनौतियों जैसे दलितों का दमन, किसानों की आत्महत्याएं व मोदी सरकार द्वारा जनता से विश्वासघात जैसे मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया है। भारत माता की जय, रोहित वेम्यूला की याद को मिटाने का प्रयास है।  (मूल अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं।)

         


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सत्ता के हमले में जख्मी तीन साल का शिशु बूथ के भीतर रिंगिंग कराते देखे गये मंत्री फिरभी दहशतगर्दी की हार लोकतंत्र की जीत है चाहे कोई जीते या कोई हारे।दहशतगर्दी को मुंहतोड़ जबाव देते हुए उस बच्चे की मां ने सुबह बूथ पर जाकर खुद अपना वोट डाला। বীজপুরে কোলের শিশুকে লাঠিপেটার ঘটনায় রিপোর্ট তলব কমিশনের, ভয় উড়িয়ে ভোট মায়ের एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: #Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि राष्ट्र अब अंध केसरिया राष्ट्रवाद के मुलम्मे में हिंदुत्व का मुक्तबाजार है और कानून व्यवस्था वैदिकी हिंसा की रघुकुल रीति है तो कानून का राज अश्वमेध है। जबाव में हस्तक्षेप की मुहिम में शामिल होने को हमारा खुल्ला आवाहन #Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ देश के हर हिस्से में अत्याचार और उनका उत्पीड़न देश का रोजनामचा है तो मेहनतकशों के हकहकूक हैं ही नहीं। #Shudown JNU मुहिम के तहत छात्र नेताओंं को सजा अनिवार्य है जबकि अदालत में उनपर मुकदमे में उनका अपराध अभी साबित भी नहीं हुआ है।अनिर्वाण पर एक सतर के निष्कासन के बहाने पांच साल के लिए उसकी पढ़ाई रोक दी गयी है तो कन्हैया की लोकप्रियता की मजबूरी या छात्रों में आपसी गलतफहमी की रणनीति के तहत कन्हैया को मामली जुर्माना की सजा सुनायी गयी है और हाल यह है कि बजरंगी नंगी तलवारें लेकर उनके पीछे देश भर में घूम रहे हैं।हवाई जहाज में भी फासिज्म का राजकाज घात लगाकर गला घोंट देने के फिराक में है। पलाश विश्वास
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सत्ता के हमले में जख्मी तीन साल का शिशु

बूथ के भीतर रिंगिंग कराते देखे गये मंत्री

फिरभी दहशतगर्दी की हार लोकतंत्र की जीत है चाहे कोई जीते या कोई हारे।दहशतगर्दी को मुंहतोड़ जबाव देते हुए उस बच्चे की मां ने सुबह बूथ पर जाकर खुद अपना वोट डाला।

বীজপুরে কোলের শিশুকে লাঠিপেটার ঘটনায় রিপোর্ট তলব কমিশনের, ভয় উড়িয়ে ভোট মায়ের

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हस्तक्षेप

एबीपी आनंद की खबर हैः

বীজপুরে কোলের শিশুকে লাঠিপেটার ঘটনায় রিপোর্ট তলব কমিশনের, ভয় উড়িয়ে ভোট মায়ের

বীজপুরে কোলের শিশুকে লাঠিপেটার ঘটনায় রিপোর্ট তলব কমিশনের, ভয় উড়িয়ে ভোট মায়ের

কলকাতা: ভোট হিংসায় রেহাই নেই সাড়ে তিন বছরের শিশুরও। উত্তপ্ত বীজপুরে আক্রান্ত সিপিএম সমর্থক পরিবার। সেই সময় রেহাই দেওয়া হল না দুধের শিশুকে। লাঠিপেটা করা হল তাকে। আধো আধো


आज सुबह से बंगाल में लोकतंत्र की जो जख्मी लहूलुहान तस्वीर जीत हार के राजकरण पर भारी है,वह साढ़े तीन साल के एक मासूम बच्चे का मुख है,जिसे उत्तर 24 परगना के बीजपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान की पूर्वसंध्या पर पूर्व रेलमंत्री और फिलहाल नारदा स्टिंग की रिश्वतखोरी के लिए इकबालिया बयान के लिए बेहद चर्चित दीदी के खास सिपाहसालार मुकुल राय के पुत्र की जीत के लिए बाहुबलियों ने धुन डाला।क्योंकि यह मासूम किसी माकपा समर्थक परिवार से हैं।


मामला मीडिया में आने के बाद चुनाव आयोग के अधिकारी पीड़ित परिवार के घर पहुंचे। उन्हें पुलिस सुरक्षा में मतदान बूथ में ले जाया गया। बच्ची को पीटने के आरोप में दो लोगों को पकड़ा गया है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि हतोत्साहित तृणमूल के गुंडे सबको निशाना बना रहे हैं।


तो तस्वीर का दूसरा रुख भी सत्ता के वर्चस्व के खिलाफ जनता के बढ़ते हुए प्रतीरोध का प्रतीक है।लोकतंत्र का विकल्प कुछ और नहीं है और फासिज्म किसी सूरत में जीत नहीं सकती,ऐसा साबित किया दहशतगर्दी को मुंहतोड़ जबाव देते हुए उस बच्चे की मां ने सुबह बूथ पर जाकर खुद अपना वोट डालकर।


इसी एक तस्वीर ने बंगाल में सत्ता की दहशतगर्दी की धज्जियां बिखेर दी है।

चाहे जो जीते,दहशतगर्दी की हार तय है।


नतीजतन वोटरों ने दहशतगर्दी के खिलाफ बंपर वोटिंग की है।


बंगाल में सात चरणों का मतदान होना है।आज पांचवे चरण का अवसान अभूतपूर्व कर्फ्यू जैसे हालात में हुआ।उत्तर 24 परगना और हावड़ा के कुल 49 विधानसभा क्षेत्रों में जनादेश के लिए 144 धारा लागू कर दी गयी चुनाव प्रचार थमते ही।बाजार बंद रहे।जनजीवन ठप रहा और सड़कों पर चिड़िया भी पर मार नहीं रहा था।


इसके बावजूद इसी चरण में जो होना था,निबट गया।


सत्ता के लिए चुनौती थी कि जंगल महल और उत्तर बंगाल में पिछड़ने के बाद निर्णायक बढ़त अपने इस अजेय किले में हासिल करने की।यह चरण इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई मंत्रियों के भाग्य का फैसला होगा जिनमें वित्त मंत्री अमित मित्र, कृषि मंत्री पूर्णेन्दु बसु, कानून मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, पर्यटन मंत्री ब्रात्य बसु, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कृषि विपणन मंत्री अरुप राय शामिल हैं।


वहीं पूर्व मंत्री मदन मित्रा तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर अपनी कामारहटी सीट को बचाने में लगे हैं। उनके पास मत देने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह सारधा चिट फंड घोटाले में न्यायिक हिरासत में हैं।


पुलिस प्रशासन में ऐन मौके पर फेरबदल से सारी गिरोहबंद ताकतें बोतल में बंदद सी हो गयी तो वोटरों को डरा धमका कर केंद्रीय वाहिनी  और चुनाव आयोग के तमाम एहतियाती बंदोबस्त को धता बताते हुए सत्ता का वीभत्सतम चेहरा बेपर्दा हो गया।


हिंसा छिटपुई हुई लेकिन बंगाल के कोने कोने से आयातित बाहुबलि सत्ता की जीत सुनिश्चित करने की मुहिम में जुटे रहे और धारा 144 के बावजूद हावड़ा में बाइक वाहिनी का जलवा बहरा रहा।


यूं तो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव आयोग के एफआईआऱ और चुनाव प्रक्रिया खत्म होने तक बीरभूम के बाहुबलि सिपाहसालार की चुनाव प्रक्रिया खत्म होने तक की अभूतपूर्व नजरबंदी जैसे रिकार्ड पहले ही बन चुके हैं आज कैमरे में एक मंत्री को बूथ के भीतर फर्जी मतदान कराते देखा गया।


सत्ता के लिए साढ़े तीन साल के बच्चे से लेकर वाम प्रत्याशियों तक को बख्शा नहीं जा रहा। यहां तक की महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया है।


दूसरी ओर,हावड़ा उत्तर सीट से तृणमूल प्रत्याशी व क्रिकेटर लक्ष्मीरत्न शुक्ला ने शिकायत की है कि इस सीट से भाजपा उम्मीदवार रुपा गांगुली मतदान केंद्रो में जाकर पीठासीन अधिकारियों को 'धमका' रही हैं और मतदान प्रक्रिया में रुकावट पैदा कर रही हैं।


बैरकपुर के पुलिस आयुक्त नीरज सिंह ने बताया कि दमदम उत्तर विधानसभा क्षेत्र से माकपा उम्मीदवार तन्मय भट्टाचार्य की कार पर कुछ पत्थर फेंके गए जिस वजह से उनके हाथ में चोट आई। इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।


पुलिस आयुक्त  ने कहा कि अबतक बैरकपुर पुलिस आयुक्त क्षेत्र से फर्जी मतदान, मतदान केंद्र में अवरोध पैदा करने और बाहरी होने के चलते अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।


उन्होंने बताया कि सुबह दो व्यक्तियों को हालिशहर में माकपा से संबद्ध रखने के लिए जाने जाने वाले एक परिवार के घर पर पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।


पश्चिम बंगालविधानसभा चुनाव के चौथे चरण में भी मतदाता जमकर वोटिंग हुई। सभी सीटों पर कुल मिलाकर 78.5 फीसदी मतदान होने की खबर है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक शाम पांच बजे तक उत्तरी 24 परगना में 79.16 फीसदी और हावड़ा में 75.46 फीसदी मतदान किया गया।आंकड़ों में अभी संशोधन होना है।


दोपहर तीन बजे तक 67 फीसदी वोटिंग हो चुकी थी। इस चरण में तृणमूल कांग्रेस सरकार के कई मंत्रियों के भाग्य का फैसला हो रहा है। उत्तरी 24 परगना, विधाननगर और हावड़ा जिले में सभी 49 सीटों के लिए कुल 1.08 करोड़ मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं। सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक करीब 12,500 मतदान केंद्रों पर मतदान हो रहा है।


आलम ये था कि दोपहर 11 बजे तक 30 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हो चुकी थी। शुरूआती दो घंटे में ही 20 फीसदी से ज्यादा मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंच चुके थे। राज्य के विधानसभा चुनावों के चौथे चरण में 49 सीटों के लिए कुल 345 उम्मीदवार मैदान में हैं।


हावड़ा में भाजपा नेता और एक्ट्रेस रूपा गांगुली की टीएमसी की एक वर्कर से धक्कामुक्की हुई।रुपा गांगुली ने एक तृणमूल एजंट से हाथापाई की,इस आरोप में उनके खिलाफ एफआईआऱ भी दर्ज हुआ। रूपा गांगुली पर आरोप है कि उन्होंने हावड़ा में मतदान केंद्र के बाहर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता को थप्पड़ मारा। उनके खिलाफ टीएमसी ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। वहां उनके मुकाबले  टीएमसी की तरफ से पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला मैदान में हैं। उत्तर हावड़ा विधानसभा सीट के कुछ बूथों पर वोटर के बदले तृणमूल कार्यकर्ता द्वारा मतदान करने का आऱोप लगा। इसके बाद भाजपा प्रत्याशी रूपा गांगुली व कांग्रेस-वाममोर्चा के प्रत्याशी संतोष पाठक मौके पर पहुंचे । केंद्रीय बलों ने कार्रवाई शुरू की तो स्थिति सामान्य हुई।


इसीतरह विधाननगर व राजारहाट-न्यूटाउन इलाके में गड़बड़ी करने पर धमकी देने के आऱोप में पांच तृणमूल समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है।


तो उत्तर 24 परगना के कमरहट्टी में बीरभूम के वीर सक्रिय रहे और भूतों ने यहां वोटरों के ग्लूकोज पानी पिलाया।



एबीपी आनंद की खबरे हैंः



ভোট দিতে গেলে বাড়িতে আগুন লাগিয়ে দেওয়া হবে, তৃণমূলের

ভোট দিতে গেলে বাড়িতে আগুন লাগিয়ে দেওয়া হবে, তৃণমূলের 'হুমকি' উপেক্ষা করে ভোট মিনাখাঁবাসীর

মিনাখাঁ (উত্তর ২৪ পরগনা): ভোট দিতে গেলে ভাল হবে না। বাড়িতে আগুন লাগিয়ে দেওয়া হবে।...

পঞ্চম দফার ভোট: বীজপুরে দুধের শিশুকে লাঠি দিয়ে মার, আক্রান্ত তন্ময় ভট্টাচার্য

পঞ্চম দফার ভোট: বীজপুরে দুধের শিশুকে লাঠি দিয়ে মার, আক্রান্ত তন্ময় ভট্টাচার্য

#দুপুর ১ টা পর্যন্ত ভোটের হার উত্তর ২৪ পরগনা- ৫২.১২ শতাংশ হাওড়া- ৫২.৪৩ শতাংশ #সকাল নটা...

24 घंटी की खबरें हैंः


মায়ের হাত ধরে ভোট দিতে বুথে এলেন পোলিও আক্রান্ত ছেলেমায়ের হাত ধরে ভোট দিতে বুথে এলেন পোলিও আক্রান্ত ছেলে

হিংসা, রাজনৈতিক দলাদলি, আক্রমণ-পাল্টা আক্রমণ। ঠিক যেন ভোটের সমার্থক। অশান্তি দেখেশুনে বীতশ্রদ্ধ অনেকেই। অনেক সময় প্রতিবাদের নামে, ভোট পর্যন্ত পড়ে না। তবে, এদের সবার চেয়ে আলাদা, খড়দার কুদরুস আলি। তিনি শেখালেন, গণতন্ত্রে অধিকার রক্ষার মন্ত্র।

ভোটে অশান্তি, রেহাই নেই শিশুকেও, গ্রেফতার ২  ভোটে অশান্তি, রেহাই নেই শিশুকেও, গ্রেফতার ২

রাজনীতির রোষানল থেকে রেহাই পেল না তিন বছরের শিশুও। আঘাত পড়ল শিশুর গায়েও। হালিশহরের বারেন্দ্রপল্লীর এই ঘটনায়, হামলার অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে। এখনও পর্যন্ত গ্রেফতার দু'জন।

দু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোটদু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোট

দু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোট। উত্তর ২৪ পরগনা ও হাওড়ায় শান্তিতে ভোট করানো ছিল কমিশনের কাছে চ্যালেঞ্জ। দিনের শেষে ফার্স্ট ডিভিশনে পাশ নির্বাচন কমিশন। তবে, তারমধ্যেও আক্রান্ত হলেন উত্তর ২৪ পরগনার দুই সিপিএম প্রার্থী। পঞ্চম দফায় ৪৯ আসনে ভোট হল মোটের ওপর শান্তিতে। তবে, এড়ানো গেল না বিক্ষিপ্ত অশান্তি।

বাবার অনুপস্তিতিতে ময়দান সামলালেন ছেলেবাবার অনুপস্তিতিতে ময়দান সামলালেন ছেলে

সারদা কেলেঙ্কারিতে অভিযুক্ত বাবা। নভেম্বর ২০১৫ থেকে জেলই ঠিকানা মদন মিত্রের। মাঝে একদিনের জন্য জামিনে মুক্ত হলেও ফের তাঁকে ফিরতে হয় জেলে। তবে জেলে থাকলেও তাঁর প্রার্থী হওয়া আটকায়নি। ২০১৬ বিধানসভা নির্বাচনেও কামারহাটিতে মদন মিত্রের উপর আস্থা রাখেন নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। কিন্তু গোদের উপর বিষফোঁড়ার মত ভোটের আগে উদয় হয় নারদ পর্ব। সারদা কাণ্ডের পর এবার ঘুষকাণ্ডে নাম জড়ায় প্রাক্তন মন্ত্রীর।

ময়ূরেশ্বরের পর আড়িয়াদহ, বিতর্ক পিছু ছাড়ছে না লকেটেরময়ূরেশ্বরের পর আড়িয়াদহ, বিতর্ক পিছু ছাড়ছে না লকেটের

ফের বিতর্কে জড়ালেন লকেট চ্যাটার্জি। আগেরবার প্রার্থী হিসেবে। আর এবার ভোটার হিসেবে।

বোরখার আড়ালে ওরা কারা?বোরখার আড়ালে ওরা কারা?

মাথার ওপর গনগনে রোদ। ভর দুপুরে বুথে ঢুকলেন তিন মহিলা। পরনে বোরখা। হাতে ভোটার স্লিপ। এত পর্যন্ত ঠিকই ছিল। কিন্তু, তারপর?

আজ নির্বাচনে দুপুর ৩টে পর্যন্ত সবচেয়ে বড় ১০টি খবরআজ নির্বাচনে দুপুর ৩টে পর্যন্ত সবচেয়ে বড় ১০টি খবর

চতুর্থ দফার ভোটে উত্তপ্ত রাজ্য। বুথে বুথে বিক্ষিপ্ত অশান্তি লেগেই রয়েছে। কোথাও EVM খারাপ তো কোথাও কেন্দ্রীয় বাহিনীর লাঠির ঘায়ে জখম তৃণমূল কর্মী। বিক্ষোভের মুখে সহকারি রিটার্নিং অফিসারও।

ভোট হচ্ছে! 'চায়ে গরম'আর 'গ্লুকোজ জলে'ভোট হচ্ছে! 'চায়ে গরম'আর 'গ্লুকোজ জলে'

গুড়-বাতাসার পর চা। কোথাও আবার গ্লুকোজের জল। ভোটকর্মী-ভোটারদের জন্য এমনই ব্যবস্থা তৃণমূলের। তৃণমূল বলছে, জনসেবা। কিন্তু বালি ও উলুবেড়িয়া উত্তরে এই ছবি দেখে চক্ষু চড়কগাছ বিরোধীদের। তাঁরা দ্বারস্থ হচ্ছেন নির্বাচন কমিশনের।

আজ নির্বাচনে সকাল ১১টা পর্যন্ত সবচেয়ে বড় ৫টি খবরআজ নির্বাচনে সকাল ১১টা পর্যন্ত সবচেয়ে বড় ৫টি খবর

আজ ভোটগ্রহণ রাজ্যের ৪৯টি আসনে। যার মধ্যে রয়েছে উত্তর ২৪ পরগনার ৩৩টি ও হাওড়ার ১৬টি আসন। আজকের ভোটে কমিশনের সামনে কড়া চ্যালেঞ্জ, বহিরাগতের হানা ঠেকিয়ে বিধাননগরের ৩টি আসনে সুষ্ঠুভাবে ভোট পরিচালনা। পুরভোটে সল্টলেক-বিধাননগরে হিংসার ছবি এখনও স্মৃতিতে টাটকা।

ভোটারদের প্রভাবিত করার অভিযোগে রূপার বিরুদ্ধে কমিশনে লক্ষ্মী, পাল্টা অভিযোগ বুথ জ্যামেরভোটারদের প্রভাবিত করার অভিযোগে রূপার বিরুদ্ধে কমিশনে লক্ষ্মী, পাল্টা অভিযোগ বুথ জ্যামের

সকালে ভোটগ্রহণ শুরু হতেই নজরে হাওড়া। আরও বিশদে বললে উত্তর হাওড়ার বিজেপি প্রার্থী রূপা গাঙ্গুলি। একের পর এক বুথে তিনি ঘুরছেন। একদিকে যেমন তিনি বুথ জ্যাম করে ছাপ্পা ভোটের অভিযোগ তুলেছেন শাসকদলের বিরুদ্ধে। তেমনই তৃণমূলের কর্মী-সমর্থকদের বিক্ষোভের মুখে পড়েছেন। বুথে ঢুকে ভোটারদের ভয় ও প্রভাবিত করার অভিযোগে রূপার বিরুদ্ধে নির্বাচন কমিশনে অভিযোগ দায়ের করেছেন উত্তর হাওড়ার তৃণমূল লক্ষ্মীরতন শুক্লা। তাঁর অভিযোগ, ভোটারদের প্রভাবিত করছেন রূপা গাঙ্গুলি। বুথের ভিতর ঢুকে অনৈতিক ভাবে মোবাইলে ছবি তুলছেন। ধাক্কাধাক্কি করেছেন বিজেপি প্রার্থী।

সল্টলেকে ফুল মার্কস কমিশনের, দোষীদের বিরুদ্ধে ব্যবস্থা নেওয়ার ডাক সূর্যকান্তের : LIVE UPDATESসল্টলেকে ফুল মার্কস কমিশনের, দোষীদের বিরুদ্ধে ব্যবস্থা নেওয়ার ডাক সূর্যকান্তের : LIVE UPDATES

দফার হিসেবে চতুর্থ, দিনের হিসেবে পঞ্চম। আজ ভোটগ্রহণ রাজ্যের ৪৯টি আসনে। যারমধ্যে রয়েছে উত্তর ২৪ পরগনার ৩৩টি ও হাওড়ার ১৬টি আসন। দুই জেলা মিলিয়ে মোট স্পর্শকাতর বুথের সংখ্যা ২৮০৬টি। মূলত ঘাসফুল দুর্গ হিসেবে পরিচিত এই এলাকায় আজ বিরোধী জোটের কাছে অ্যাসিড টেস্ট। গড় বাঁচিয়ে রাখার লড়াই শাসকদলেরও।



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#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि राष्ट्र अब अंध केसरिया राष्ट्रवाद के मुलम्मे में हिंदुत्व का मुक्तबाजार है और कानून व्यवस्था वैदिकी हिंसा की रघुकुल रीति है तो कानून का राज अश्वमेध है। जबाव में हस्तक्षेप की मुहिम में शामिल होने को हमारा खुल्ला आवाहन #Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ देश के हर हिस्से में अत्याचार और उनका उत्पीड़न देश का रोजनामचा है तो मेहनतकशों के हकहकूक हैं ही नहीं। #Shudown JNU मुहिम के तहत छात्र नेताओंं को सजा अनिवार्य है जबकि अदालत में उनपर मुकदमे में उनका अपराध अभी साबित भी नहीं हुआ है।अनिर्वाण पर एक सतर के निष्कासन के बहाने पांच साल के लिए उसकी पढ़ाई रोक दी गयी है तो कन्हैया की लोकप्रियता की मजबूरी या छात्रों में आपसी गलतफहमी की रणनीति के तहत कन्हैया को मामली जुर्माना की सजा सुनायी गयी है और हाल यह है कि बजरंगी नंगी तलवारें लेकर उनके पीछे देश भर में घूम रहे हैं।हवाई जहाज में भी फासिज्म का राजकाज घात लगाकर गला घोंट देने के फिराक में है। पलाश विश्वास

Next: चोरी के बाद सीनाजोरी और फिर खून की होली! '২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার! केसरिया धर्मोन्मादी असहिष्णुता के खिलाफ बंगाल सबसे ज्यादा मुखर है और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील प्रतिरोध भी यहां सबसे ज्यादा है लेकिन इस असहिष्णुता का क्या कहिये कि गायपट्टी में गोमांस को लेकर हत्या का फतवा है तो प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष बंगाल में सत्ता के खिलाफ वोट देने का शक या विपक्ष के साथ खड़ा दीखने का नतीजा एक ही है।वह कुछ भी हो सकता हैः हत्या, बलात्कार, लूटपाट,आगजनी,बम गोली कुछ भी। चुनाव नतीजा कुछ भी हो,जनादेश कैसा ही हो,बंगाल में अमन चैन खत्म है! हालीशहर में तीन साल की बच्ची को धुन डालने के हादसे के बाद लोकतंत्र के चेहरे पर लगे खून के धब्बे सात समुंदर के पानी से अब धुलने वाला नहीं है और अब खून की होली के सिवाय राजनीति या सत्ता कुछ भी नहीं है। केंद्रीय वाहिनी अनंत काल तक बंगाल में कानून और व्यवस्था की निगरानी करते हुए अमन चैन बहाल रखने के लिए नहीं रहने वाली है और रहेगी तो पूरा बंगाल के जंगल महल में तब्दील हो जाने की आशंका है। बंगाल में बेलगाम हिंसा की यह बाहुबलि राजनीति समाज परिवार भाषा अर्थव्यवस्
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#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि

राष्ट्र अब अंध केसरिया राष्ट्रवाद के मुलम्मे में हिंदुत्व का मुक्तबाजार है और कानून व्यवस्था वैदिकी हिंसा की रघुकुल रीति है तो कानून का राज अश्वमेध है।

जबाव में हस्तक्षेप की मुहिम में शामिल होने को हमारा खुल्ला आवाहन


#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ देश के हर हिस्से में अत्याचार और उनका उत्पीड़न देश का रोजनामचा है तो मेहनतकशों के हकहकूक हैं ही नहीं।

#Shudown JNU मुहिम के तहत छात्र नेताओंं को सजा अनिवार्य है जबकि अदालत में उनपर मुकदमे में उनका अपराध अभी साबित भी नहीं हुआ है।अनिर्वाण पर एक सतर के निष्कासन के बहाने पांच साल के लिए उसकी पढ़ाई रोक दी गयी है तो कन्हैया की लोकप्रियता की मजबूरी या छात्रों में आपसी गलतफहमी की रणनीति के तहत कन्हैया को मामली जुर्माना की सजा सुनायी गयी है और हाल यह है कि बजरंगी नंगी तलवारें लेकर उनके पीछे देश भर में घूम रहे हैं।हवाई जहाज में भी फासिज्म का राजकाज घात लगाकर गला घोंट देने के फिराक में है।


पलाश विश्वास


साथी हिमांशु कुमार का ताजा स्टेटस हैः

जेएनयू प्रशासन द्वारा कन्हैया, उमर खालिद और अनिर्वान के खिलाफ सज़ा का ऐलान किया है ၊ सभी जानते हैं कि यह सज़ा संघ और भाजपा सरकार के दबाव में दी गयी है ၊ खतरनाक बात यह है कि एक ऐसे मामले में सज़ा सुनाई गयी है जो अदालत में विचाराधीन है ၊ इसलिये इस सज़ा को कोर्ट में चुनौती दी जाय ၊ दूसरी आपत्तिजनक बात यह है कि सज़ा इस आरोप पर दी गयी है कि इन छात्रों नें कश्मीर की आज़ादी के पक्ष में नारे लगाये थे ၊ हांलाकि मौजूद वीडियो सबूतों से साफ हो चुका है कि नारे दरअसल भाजपा से जुड़े एबीवीपीके एजेंटों ने गड़बड़ी फैलाने के लिये लगाये थे ၊ लेकिन अगर थोड़ी देर के लिये मान भी लिया जाय कि किसी भारतीय नागरिक को कश्मीरी जनता की आत्मनिर्णय की मांग जायज़ लगती हो तो क्या वह नागरिक अपनी विचारधारा को नारा लगा कर व्यक्त नहीं कर सकता ၊ कोई भी कानून नागरिक के सोचने और उसे व्यक्त करने पर रोक नहीं लगाता ၊ कोई भी सरकार नागरिकों को आदेश नहीं दे सकती कि नागरिक क्या सोच सकते हैं और क्या नहीं सोच सकते ၊ क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो संध कहेगा कि भारत के सभी नागरिक वैसा ही सोचें जैसा संध चाहता है ၊ और जो वैसा नहीं सोचेगा उसे जेल में डाल दिया जायेगा ၊ हम इस सज़ा को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे, नहीं तो लोकतन्त्र की ही हत्या हो जायेगी

#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ देश के हर हिस्से में अत्याचार और उनका उत्पीड़न देश का रोजनामचा है तो मेहनतकशों के हकहकूक हैं ही नहीं।राष्ट्र अब अंध केसरिया राष्ट्रवाद के मुलम्मे में हिंदुत्व का मुक्तबाजार है और कानून व्यवस्था वैदिकी हिंसा की रघुकुल रीति है तो कानून का राज अश्वमेध है।


#Shudown JNU मुहिम के तहत छात्र नेताओंं को सजा अनिवार्य है जबकि अदालत में उनपर मुकदमे में उनका अपराध अभी साबित भी नहीं हुआ है।


अनिर्वाण पर एक सत्र के निष्कासन के बहाने पांच साल के लिए उसकी पढ़ाई रोक दी गयी है तो कन्हैया की लोकप्रियता की मजबूरी या छात्रों में आपसी गलतफहमी की रणनीति के तहत कन्हैया को मामली जुर्माना की सजा सुनायी गयी है और हाल यह है कि बजरंगी नंगी तलवारें लेकर उनके पीछे देश भर में घूम रहे हैं।


हवाई जहाज में भी फासिज्म का राजकाज घात लगाकर गला घोंट देने के फिराक में है।


इस पर चर्चा से पहले कुछ जरुरी जानकारी दे दें।


अमलेंदु सड़क दुर्घटना के बाद हस्तक्षेप अपडेट करने में असमर्थ है और रियल टािम में आप तक सारी सूचनाएं पहुंचाने की हमारी मुहिम को गहरा झटका लगा है।डाक्टरों को आशंका थी कि उनके दाएं हाथ में क्रैक है लेकिन एक्सरे से पता चला कि क्रैक नहीं है और प्लास्टर या गार्ड की जरुरत नहीं है।


समस्या फिरभी गंभीर है कि भीतर मांसपेशियां फट गयी हैं।

वक्त लगेगा।

वक्त इसलिए भी लगेगा क्योंकि अमलेंदु को शुगर है।


इस बीच वीरेन डंगवाल के शिष्य और हमारे मित्र यशवंत नें भड़ास के मार्फत हमारा साथ दिया है।उनका और भड़ास का आभार। मीडियामोर्चा का भी साथ है।आभार।


फेसबुक और अन्य माध्यमों से देश भर से साथियों के संदेश समर्थन और मदद के वायदे के साथ आ रहे हैं।

उन सबका आभार और उनकी मदद का इंतजार है।


दिल्ली विश्वविद्यालय के हमारे विद्वान मित्र शमसुल इस्लाम शुरु से ही हस्तक्षेप के साथ हैं और उनने फिर दस हजार का चेक भेजा है।ऐसे सौ चेक मिल जायें तो हमें दस लाख रुपये तत्काल मिल सकते हैं जो हस्तक्षेप की नींव मजबूत कर सकते हैं तुरंत।


हम इतने बड़े देश में इतने समर्थ लोगं में वे सौ लोग फिलहाल खोज रहे हैं।हजार लोग हो जायें तो एक करोड़।सिर्फ एक सामूहिक प्रयास जरुरी है।


पहले भी हमने सौ सौ हजार हजार करोड़ के संसाधन मसीहावृद के लिए जुटाते रहे हैं,जिसका कोई हिसाब कभी मिला नहीं है।हम सिर्फ वैकल्पिक मीडिया ही नहीं, मीडियाकर्मी साथियों के वैकल्पिक रोजगार की पारदर्शी योजना पेश कर रहे हैं।


इसीतरह कारपोरेट मीडिया के शिकार वंचित उत्पीड़ित पत्रकारों की फौज जो यशवंत और भड़ास से या अन्यत्र जुड़े हैं,वे हमारी मुहिम का समर्थन और सहयोग करें तो हमारी ताकत बाजार का दम निकाल सकता है।उम्मीद है कि तमाम साथी इस पर गौर भी करेंगे।


सबसे बड़ी बात हमारे लिए यह है कि हमारे गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी मदद करेंगे और उनने हमें यह पूछकर मुश्किल में डाला है कि कितनी मदद चाहिए।


हमारे लिए गुरुजी का आशीर्वाद अनिवार्य है और वे जितनी चाहे मदद कर सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा जरुरी है कि वे अपने काबिल शिष्यों को भी हमारे साथ खड़े होने के लिए कहें।


हम बहुत जल्द मराठी में मुंबई से हस्तक्षेप लांच करने की स्थिति में हैं लेकिन बंगाल और पंजाब में अभी तैयारियां बाकी हैं।


जाहिर है कि अलग अलग स्थान पर अलग अलग भाषा में हस्तक्षेप निकालने के लिए हमें दफ्तर और सर्वर और काम करने वाले साथियों के राशन पानी का बंदोबस्त करना होगा।

यह बंदोबस्त भी आसान नहीं है।मुश्किल भी नहीं है।


हमारे पास देश भर में ऐसे साथी बड़ी तादाद में मौजूद हैं जो इस मिशन का मतलब समझें तो यह कोई समस्या ही नहीं है और इसके लिए न हमें राजनीतिक मदद की जरुरत है और न बाजार की मदद की।विज्ञापनों के मामले भी और मदद के मामले में भी हम किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं कर रहे हैं।


कारपोरेट मीडिया के लिए जरुरी सौ हजार करोड़ के बदले हमें उनके मुकाबले हर भाषा में वैकल्पिक मीडिया बतौर हस्तक्षेप के विस्तार के लिए फौरी तौर पर सिरिफ और कुल पांच करोड़ रुपये की जरुरत है और देशभर के प्रतिबद्ध साथी इस मिशन को पूरा करने में साथ दें तो यह बहुत मामूली रकम है लेकिन किसी एक व्यक्ति के लाख दस लाख की रकम दे देने से नेटवर्क बनेगा नहीं।


बजाय इसके सौ सो रुपये की मदद हर तहसील से मिले तो फिर तत्काल किसी की मदद की जरुरत नहीं होगी।




जनांदोलन मे हमारी साथी और वनाधिकार आंदोलन में जेलयात्री से लौटी रोमा खुद बेहद अस्वस्थ हैं और उनके मस्तिष्क में ट्यूमर है।

उनका इलाज चल रहा है।वे बहुत बहादुर हैं और हमें उनकी चिंता है।


उन्होंने एक हजार रुपये भेजकर पूछा है कि और कितनी मदद चाहिए।


हमने रोमा से कहा कि किसी के लाख दो लाख दे देने से यह मिशन चलेगा नहीं जबतक न जनांदोलन और जनसरोकार से जुड़े हर साथी वैकल्पिक मीडिया को अनिवार्य मानकर इसके लिए संसाधन जुटाने का काम सामूहिक तौर पर करें।आंदोलन की तर्ज पर।


अमलेंद को जो मदद अभी छिटपुट मिल रही है,उसके लिए संदेश भेजकर रसीद देने या धन्यवाद लिखने तक की हालत में वे नहीं हैं।


बहरहाल जो लोग साइट पर PAYUMONEY के तहत मदद कर रहे हैं ,उन्हें सीधे भुगतान के साथ साथ वहीं रसीद मिल रहा है और पारदर्शिता के लिहाज से हम इसी माध्यम से मदद की अपील कर रहे हैं।हस्तक्षेप पर PAYUMONEY बटन से आप तुरंत हमें न्यूनतम मदद अभी ही कर सकते हैं अगर आप चाहें तो।


पिछले महीने और  इस महीने भी कुछ पैसा आया है जिसका ब्यौरा हम अमलेंदु के स्वस्थ होने के साथ साथ जारी कर देंगे और हर पैसे का हिसाब हम देंगे क्योंकि यह जनता का मोर्चा है और इसमें नेतृत्व के लिए जाति धर्म भाषा नस्ल क्षेत्र की दीवारें तोड़कर हम हर भारतीय नागरिक का खुला आवाहन करते हैं।


वैसे भी हम अलग अलग भाषा के लिए अलग अलग टीम बनाने जा रहे हैं और भुगतान न कर पाने की हालत में भी हम सभी साथियों के रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोच रहे हैं।


आदरणीय शेष नारायण जी और शामसुल इस्लाम जी की मदद के बिना तो पांच साल का सफर भी असंभव था तो रणधीर सिंह सुमन जी और रिहाई मंच के तमाम  साथी इस मुहिम को जारी रखने में लगातार साथ दे रहे हैं और हमारे अंबेडकरी मित्र ध्यान दें कि इनमें कोई ब्राह्मण भी नहीं है।


अंबेडकरी लोग साथ होंगे,नेतृत्व भी करेंगे तो किसी साथी की जात पूछ कर क्या करेंगे।


निरंकुश सत्ता के खिलाफ जात पांत की राजनीति का हश्र देख लीजिये और सत्तर साल की आजादी में जाति धर्म के नाम पर जिनके साथ खड़े हैं,उनका इतिहास और वर्तमान देख लीजिये।


हम सारे लोग बाबासाहेब के समता सिपाही हैं।


आपको बता दें कि अमलेंदु मधुमेह के मरीज भी हैं।

कंधे की चोट से उनके कामकाज पर असर नही है।पहले ही उनकी कमर में लगातार बैठने से परेशानी हो रही थी और कंप्यूटर पर लगातार काम करने से उनकी आंखों में पानी आ रहा था।


अब जबकि डाक्टरों की सलाह पूर्ण विश्राम की है तो भी मोबाइल से लिंक शेयर करने से बाज नहीं आ रहे अमलेंदु और इसके लिए सख्त मनाही है।लगता है कि डांटना ही पड़ेगा।


उन्हें आराम की जरुरत है।हमारे सिपाहसालार भी कम नहीं हैं।सिर्फ हमारे पास बजरंगी नहीं हैं।किसी को बेमतलब जान देने की जरुरत नहीं है क्योंकि आगे बहुत लंबी लड़ाई है और राजनितिक सत्ता संघर्ष अपडेट करते रहना हमारी प्राथमिकता नहीं है।


हम उन्हें नजरअंदाज भी नहीं करते क्योंकि अंततः राजनीति और सत्ता की वजह से ही हमारी जिंदगी पल दर पल नर्क है और इस नर्क को बदलने की जरुरत भी है।

बाकी बुनियादी मुद्दे जस के तस हैं।


बेदखल अर्थव्यवस्था की रिहाई जरुरी है तो उत्पादन प्रणाली से जुड़े और प्रकृति से जुड़े बहुसंख्य समुदायों के दमन उत्पीड़न,नागरिक और मानवाधिकार हनन के किस्से भी साजा करते रहना है।


हर रात हमें बेहयाई से बेरहमी के साथ उनको अपडेट करने के लिए बार बार आगाह करना होता था।क्योंकि हस्तक्षेप का लेआउट और टेंपलेट में बिना छेड़छाड़ किये हम भी कोई अपडेट पोस्ट नहीं कर सकते।इसके लिए दिल्ली में ही अमलेंदु के साथ सहयोगियों को बैठाना जरुरी है और फिलहाल ऐसा इंतजाम हम नहीं कर सकते।


हमने बांग्ला का पेज शुरु किया तो उसमें भी जटिल समस्याएं हैं जो कोलकाता में अलग सर्वर लगाये बिना सुलझ नहीं सकतीं।


फिलहाल जो हालात हैं,हिमांशु कुमार जी के स्टेटस के अलावा छत्तीसगढ़ में आदिवासियों क भोगे हुए यथार्थ के बारे में फिलहाल कुछ ज्यादा जानकारी मिल नहीं रही है तो मणिपुर में इरोम शर्मिला की गतिविधियों के अलावा खास कुछ मालूम पड़ नहीं रहा है।


जम्मू और कश्मीर के बारे में अब शायद किसी विमर्श की कोई गुंजाइस ही नहीं है।क्योंकि जेएनयू के छात्रों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला अदालत में साबित नहीं हो सका तो क्या सत्ता का वर्चस्व इतना निरंकुश है कि छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथियों के खिलाप विश्वविद्यालय प्रशासन ने सजा का ऐलान कर दिया है।जाहिर है कि इसके खिलाफ आंदोलन भी शुरु हो चुका है।




#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य है क्योंकि राजनीति आम जनता के खिलाफ है और मीडिया भी जनता के खिलाफ है।


शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में संपूर्ण मनुस्मृति अनुशान के तहत जो केसरियाकरण का मुक्तबाजार है,उसके बारे में सूचनाएं नहीं के बराबर है।


संपूर्ण विनेवेश,संपूर्ण एफडीआई,संपूर्ण निजीकरण का देशभक्ति कार्यक्रम भारतमाता की जयजयकार है तो मन की बातें भी वे हीं।


बाबासाहेब की मूर्तिपूजा के बावजूद कमजोर तबकों के लिए आरक्षण खत्म है और उनकी बुनियादी जरुरतों के बारे में जेएनयू के अलावा संवाद साहित्य और संस्कृति के माध्यमों,सूचना तंत्र से लेकर संसद और विधानसभाओं में भी अनुपस्थित है।


#Shudown JNU सत्ता के लिए अनिवार्य हैआईआईटी खड़गपुर में फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन है तो दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र तक आंदोलित हैं।


#Shudown JNU के प्रतिरोध में कोलकाता.यादवपुर और शांतिनिकेतन से लेकर हैदराबाद तक विश्वविद्यालयों में मनुस्मृति के खिलाफ खुला विद्रोह है।


इस विद्रोह के महाविद्रोह में बदलने के आसार हैं।

इसीलिए #Shudown JNU अनिवार्य है।


फिलहाल बंगाल में बाजार की जिन ताकतों ने वाम शासन के अवसान के लिए ममता बनर्जी की ताजपोशी की थी,वे अब खुलकर उनके खिलाफ हैं तो माओवादी भी उनके साथ नहीं हैं और शारदा से नारदा के सफर मेंनये सिरे से जनादेश की अग्निपरीक्षा में वे साख और छवि के संकट से जूझ रही है तो सत्ता की लड़ाई  मासूम बच्चों,स्त्रियों और वृद्धों से भी हिंसक राजनीति कोई रियायत नहीं बरत रही है।


फासिज्म के राजकाज में आर्थिक सुधार के नाम देश नीलाम पर है तो लूटतंत्र बेलगाम है और हमारा सबकुछ डिजिटल इंडिया के बहाने बाजार के हवाले है।


भविष्यनिधि हड़पने की कोशिश के खिलाफ बंगलूर में महिला कपड़ा श्रमिकों की अगुवाई में जो अभूतपूर्व विरोध हुआ ,उसकी गूंज अगर बाकी देश मे हो पाती तो शायद भविष्यनिधि का ब्याज लगातार घटाते रहने का हादसा जारी नहीं रहता।


अमलेंदु का बयान

प्रिय मित्रों,

आपकी दुआओं से मैं पहले से काफी बेहतर हूँ। बीती 21 अप्रैल को मेरा एक्सीडेंट हो गया था। दाहिने हाथ में, कंधे में और दाहिने ओर पसलियों में चोट है,लेकिन अब तेजी से सुधार है।

एक्सीडेंट के तत्काल बाद प्राथमिक चिकित्सा कराई उसमें कुछ दवाएँ रिएक्शन कर गई थीं और शुगर भी बढ़ गई थी, जिसके कारण घाव भरने में समय लग रहा है। फिलहाल कंप्यूटर पर काम करने की स्थिति में नहीं हूँ, इसलिए "हस्तक्षेप"ठप्प पड़ा है, संभवतः यह सप्ताह तो लग ही जाएगा हस्तक्षेप को पुनः काम पर लौटने पर।

जिन मित्रों को सूचना मिली, कई के फोन आए, कई ने फेसबुक पर हालचाल पूछा। सभी का बहुत-बहुत आभार।

हमारे वरिष्ठ स्तंभकार पलाश विश्वास जी भविष्य में "हस्तक्षेप"के संचालन को लेकर काफी चिंतित हो जाते हैं।

एक बात स्पष्ट कर दूँ। आप सभी मित्रों की सहायता की दरकार "हस्तक्षेप"को है, व्यक्तिगत तौर पर मुझे कतई नहीं। मैंने न अपनी आवश्यकताएँ बढ़ाई हैं न कभी जीवनयापन के लिए सुख-सुविधाओं का मोहताज रहा। "हस्तक्षेप"मेरा मिशन है व्यवसाय नहीं, इसलिए जो भी मित्र इसके लिए सहायता करते हैं, उनका आभार व स्वागत और जो तथाकथित मित्र गालियाँ देते हैं, उनका भी दिल से उनका आभार व स्वागत।

अपने जीवनयापन के लिए और संकट-विपत्ति के लिए मैं आत्मनिर्भर हूँ, मेरा संस्थान "देशबन्धु"जिसके लिए मैं थोड़ा सहयोग करता हूँ, उससे मेरे जीवन की सभी आवश्यकताएँ पूर्ण हो जाती हैं।

"देशबन्धु"के साथ मैं जुड़ा ही इसलिए हूँ ताकि एक पत्रकार के तौर पर मेरा स्वाभिमान बरकरार रहे व कॉरपोरेट दलाली के दबावों से मुक्त रहकर अपने मिशन "हस्तक्षेप"पर काम करता रहूँ।

"हस्तक्षेप"हमारे कुछ मित्रों व मेरे अपने आर्थिक सहयोग से पिछले साढ़े पाँच साल से निकलता रहा है। अभी तक "हस्तक्षेप"को मैं अधिकाँश समय देता रहा हूँ, लेकिन अब पूर्णकालिक सहयोगी भी चाहिएँ, सर्वर पर लोड भी बढ़ रहा है, उसकी क्षमता भी बढ़ानी है। और सबसे बड़ा योगदान तो "हस्तक्षेप"के लेखकों का है जो बिना पारिश्रमिक लिए अपना लेखकीय योगदान तो देते ही हैं बल्कि "हस्तक्षेप"के लिए आर्थिक योगदान भी देते हैं।

मैं जैसे ही काम पर लौटता हूँ, व्यक्तिगत तौर पर आप सभी को, जिन्होंने मेरी खैर-ख़बर ली, उन सबका शुक्रिया अदा करूँगा तब तक आप पढ़ते रहें "हस्तक्षेप"और पुराने लेखों को शेयर करके करते रहें हस्तक्षेप।

आपका

अमलेन्दु उपाध्याय

26-04-2016

अमलेन्दु उपाध्याय's photo.



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चोरी के बाद सीनाजोरी और फिर खून की होली! '২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার! केसरिया धर्मोन्मादी असहिष्णुता के खिलाफ बंगाल सबसे ज्यादा मुखर है और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील प्रतिरोध भी यहां सबसे ज्यादा है लेकिन इस असहिष्णुता का क्या कहिये कि गायपट्टी में गोमांस को लेकर हत्या का फतवा है तो प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष बंगाल में सत्ता के खिलाफ वोट देने का शक या विपक्ष के साथ खड़ा दीखने का नतीजा एक ही है।वह कुछ भी हो सकता हैः हत्या, बलात्कार, लूटपाट,आगजनी,बम गोली कुछ भी। चुनाव नतीजा कुछ भी हो,जनादेश कैसा ही हो,बंगाल में अमन चैन खत्म है! हालीशहर में तीन साल की बच्ची को धुन डालने के हादसे के बाद लोकतंत्र के चेहरे पर लगे खून के धब्बे सात समुंदर के पानी से अब धुलने वाला नहीं है और अब खून की होली के सिवाय राजनीति या सत्ता कुछ भी नहीं है। केंद्रीय वाहिनी अनंत काल तक बंगाल में कानून और व्यवस्था की निगरानी करते हुए अमन चैन बहाल रखने के लिए नहीं रहने वाली है और रहेगी तो पूरा बंगाल के जंगल महल में तब्दील हो जाने की आशंका है। बंगाल में बेलगाम हिंसा की यह बाहुबलि राजनीति समाज परिवार भाषा अर्थव्यवस्

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चोरी के बाद सीनाजोरी और फिर खून की होली!

'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার!

केसरिया  धर्मोन्मादी असहिष्णुता के खिलाफ बंगाल सबसे ज्यादा मुखर है और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील प्रतिरोध भी यहां सबसे ज्यादा है लेकिन इस असहिष्णुता का क्या कहिये कि गायपट्टी में  गोमांस को लेकर हत्या का फतवा है तो प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष बंगाल में सत्ता के खिलाफ वोट देने का शक या विपक्ष के साथ खड़ा दीखने का नतीजा एक ही है।वह कुछ भी हो सकता हैः हत्या, बलात्कार, लूटपाट,आगजनी,बम गोली कुछ भी।

चुनाव नतीजा कुछ भी हो,जनादेश कैसा ही हो,बंगाल में अमन चैन खत्म है!


हालीशहर में तीन साल की बच्ची को धुन डालने के हादसे के बाद लोकतंत्र के चेहरे पर लगे खून के धब्बे सात समुंदर के पानी से अब धुलने वाला नहीं है और अब खून की होली के सिवाय राजनीति या सत्ता कुछ भी नहीं है।


केंद्रीय वाहिनी अनंत काल तक बंगाल में कानून और व्यवस्था की निगरानी करते हुए अमन चैन बहाल रखने के लिए नहीं रहने वाली है और रहेगी तो पूरा बंगाल के जंगल महल में तब्दील हो जाने की आशंका है।


बंगाल में बेलगाम हिंसा की यह बाहुबलि राजनीति समाज परिवार भाषा अर्थव्यवस्था संस्कृति पर इस तरह हावी है और उसका रवैया इतना आक्रामक आत्मघाती है कि पुरातन गौरवगान का रवींद्र संगीत कबीलों के हल्ला बोल में तब्दील है।



एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

टीवी चैनल 24 घेटे के मताबिक ममता बनर्जी ने विपक्ष को बीस सीटे जीतने की चुनौती दी है।देखेंः

'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার


পঞ্চায়েত থেকে পুরসভা, এমনকি লোকসভা ভোট বারবারই শাসকদলের বিরুদ্ধে বিরোধীদের অভিযোগ, 'তৃণমূল রিগিং করে জিতেছে'। এবার বিরোধীদের দিকে পাল্টা রিগিং করার অভিযোগ মমতা বন্দোপাধ্যায়ের, "বিরোধীরা রিগিংয়ের পরিকল্পনা করবে, আপনরা এখন থেকেই সতর্ক থাকুন"।

রায়দিঘির সভায় জোটকে চ্যালেঞ্জ জানিয়ে তৃণমূল সুপ্রিম মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় আরও বলেন, "ডিএম এসপি পাল্টে দিলেই ভোটে জেতা যায়?"  

সিপিএম নেতা সূর্যকান্ত মিশ্র এবং প্রদেশ কংগ্রেস নেতা অধীর রঞ্জন চৌধুরীকে নাম না করে কটাক্ষ করে তিনি বলেন, "এই নির্বাচনে অনেক ইতিহাস তৈরি হবে। সিপিএম-কংগ্রেস সাইন বোর্ড হবে। বামফ্রন্টের অস্তিত্ব থাকবে না"।


हालीशहर में तीन साल की बच्ची को धुन डालने के हादसे के बाद लोकतंत्र के चेहरे पर लगे खून के धब्बे सात समुंदर के पानी से अब धुलने वाला नहीं है और अब खून की होली के सिवाय राजनीति या सत्ता कुछ भी नहीं है।


बंगाल के ताजा हालात बयान करते हुए दिलोदिमाग लहूलुहान है कि आलम कुल मिलाकर यह है कि चोरी के बाद सीनाजोरी और फिर खून की होली।


ভোট মিটতেই 'আক্রান্ত'সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেওভোট মিটতেই 'আক্রান্ত'সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেও

যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতে হামলা চালাল দুষ্কৃতীরা। আক্রান্তের নাম প্রীতিকুমার রায়। বাড়ি নিউ বারাকপুরের মাসুমদায় অগ্রদূত সংঘের মাঠের পাশে। গতকাল রাত ১২টায় সেখানে হামলা চালায় জনা পনেরো দুষ্কৃতী। দুষ্কৃতীরা বাড়িতে ঢুকতে না পারলেও, বাইরের গেটের তালা ভাঙে। বাড়ির লোকের উদ্দেশে কটূক্তি ও বাইরে থেকে হুমকি চলতে থাকে। প্রীতিকুমার রায় দমদম উত্তর কেন্দ্রের বামপ্রার্থী তন্ময় ভট্টাচার্যের পোলিং এজেন্ট হয়ে বুথে বসেছিলেন।



नई पीढ़ी ने सत्तर की दशक की अराजकता नहीं देखी और उतना खून खराबा नहीं देखा ,लेकिन अब जो हालात हैं उससे तो यही लगता है कि इस रक्ताक्त वर्तमान की अराजकता के मुकाबले वह राजनीतिक संघर्ष कहीं बेहतर था।


कमसकम तब लडाई राजनीतिक थी और हत्यारों,बाहुबलियों,भूतों और रिश्वतखोरों का यह बोलबाला नहीं था।सिंडिकेट नहीं था।


इससे पहले भी चोरी थी लेकिन अब अभूतपूर्व सीनाजोरी है।शारदा से नारदा तक का सफर जायज ठहराया जा रहा और विरोध करने वालों का जुबान बंद किया जा रहा है।


भारत या बाकी दुनिया में कहीं भी खुली लूट को इस तरह जायज ठहराने का न इतिहास है और न सच को झूठ साबित करने के लिए बेलगाम हिसा का यह बोलबाला है।


इस बंगाल में सबसे जनप्रिय,जनता की तकलीफ पर कही भी कहीं भी पहुंचकर लड़ते रहने की साख और छवि का नतीजा यह खुली चुनौती है कि हम चोर हैं तो मत दीजिये वोट।


वोटरों को डराने का यह वैदिकी मंत्र है तो फिर सीनाजोरी भी कि सभ लेते हैं और हमारे लेने पर ही दोष?


लोकतंत्र महोत्सव का यह नजारा है कि गली मोहल्ले में झगड़ा फसाद की भाषा अब राजनीति की ही नहीं,आम बोलचाल है।


केसरिया  धर्मोन्मादी असहिष्णुता के खिलाफ बंगाल सबसे ज्यादा मुखर है और धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील प्रतिरोध भी यहां सबसे ज्यादा है लेकिन इस असहिष्णुता का क्या कहिये कि गायपट्टी में  गोमांस को लेकर हत्या का फतवा है तो प्रगतिशील धर्मनिरपेक्ष बंगाल में सत्ता के खिलाफ वोट देने का शक या विपक्ष के साथ खड़ा दीखने का नतीजा एक ही है।वह कुछ भी हो सकता हैः हत्या, बलात्कार, लूटपाट,आगजनी,बम गोली कुछ भी।


अब पश्चिम बंगाल की भाषा हिंसा है तो संस्कृति भी हिंसा है।चुनाव नतीजे भी शायद अब बेमतलब है,कोई हारे या जीते सत्तापक्ष या विपक्ष में फिर वही बाहुबलियों का वर्चस्व होगा और बहती रहेंगी खून की नदियां।नये जनादेश से तो इस हिंसा परिदृश्य में को ई बदलाव यकीनन आने वाला नहीं है।


दुनियाभर में सीना तानकर अपनी भाषा,अपनी उदारता,अपनी प्रगति और बंग संस्कृति बांग्ला राष्ट्रीयता का झंडा फहराने वाले भद्रलोक बंगाली इस बेमिसाल राजनीतिक हिंसा की वजह से दिवालिया हो गये हैं।


अर्थ व्यवस्था तो दिवालिया हैं ही,काम धंधे कल कारखाने रोजगार खत्म हैं।सारी की सारी जूटमिलें बंद हैं और चायबागानों में मृत्यु जुलूस रोजनामचा है ही,अब चुनाव नतीजा कुछ भी हो,जनादेश कैसा ही हो,बंगाल में अमन चैन खत्म है कि बंगाल में बेलगाम हिंसा की यह बाहुबलि राजनीति समाज परिवार भाषा अर्थव्यवस्था संस्कृति पर इस तरह हावी है और उसका रवैया इतना आक्रामक आत्मघाती है कि पुरातन गौरवगान का रवींद्र संगीत कबीलों के हल्ला बोल में तब्दील है।


चुनाव आयोग के चाकचौबंद इंतजामात और पुलिस प्रशासन की बदली हुई भूमिका की मुश्तैदी से बंगाल के लोकतंत्र उत्सव के अब तक हुए पांच चरणों के मतदान के दौरान केंद्रीय वाहिनी की मौजूदगी में कोई भारी हिंसा हुई नहीं है।


मतदान के आगे पीछे एहतियाती बंदोबस्त हटते ही केंद्रीय वाहिनी के इलाके से बाहर होते ही जो आगजनी,लूटपाट और हिंसा का सिलसिला चला है और जिस भाषा में बाकी दो चरणों के लिए चुनाव प्रचार हो रहा है,उससे बदलाव  के बदले खूनी रंजिश के तहत बदले का अनंत सिलसिला शुरु हो गया है।


जाहिर है कि केंद्रीय वाहिनी अनंत काल तक बंगाल में कानून और व्यवस्था की निगरानी करते हुए अमन चैन बहाल रखने के लिए नहीं रहने वाली है और रहेगी तो पूरा बंगाल के जंगल महल में तब्दील हो जाने की आशंका है।


अभी निबटाये गये मतदान के पांचवे चरण की शांति धारा 144 की बदौलत है और शायद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह कहना सच साबित होने जा रहा है कि आगे मतदान के लिए कर्फ्यू क्यों नहीं लागू करता चुनाव आयोग या 294 सीटों के लिए 294 दफा मतदान क्यों नहीं कराते।

गौरतलब है कि एक बार फिर ममता बनर्जीने चुनाव आयोग पर तीखे वार किये और दिल्ली के भाजपा और माकपा नेताओं को सत्ता का दलाल कहा।


ममता बनर्जीने आयोग पर लोगों को मतदान से रोकने और केन्द्रीय बल पर मतदाताओं को आतंकित करने का आरोप लगाया।


कोलकाता से सटे पाटुली में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए

ममता बनर्जीने कहा कि सुना है कि केन्द्रीय बल मतदाताओं को आतंकित कर रहा है। क्या आप सोच सकते हैं कि हावड़ा और उत्तर 24 परगना जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। चुनाव लोकतंत्र का उत्सव होता है और चुनाव आयोग लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाने को कहता है। कर्फ्यू लगा दिया गया है।


न सत्तापक्ष को और न मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर में किसी तरह की शर्मिंदगी का अहसास है कि  बीजपुर के हालीशहर इलाके  में वाममोर्चा समर्थक के परिवार के ऊपर हमला कर घर के लोगों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल कर दिया गया।


यहां तक की हमला करनेवालों ने तीन साल के बच्चे को भी नहीं छोड़ा। बच्चे को लाठी से पीट कर घायल कर दिया। जबकि बच्चे की माॅ देवश्री घोष ने इस घटना के पीछे तृणमूल समर्थक अपराधियों का हाथ होने का आरोप लगाया है।


चुनाव आयोग के अधिकारी देवश्री के घर पहुंच कर घटना की जानकारी ली। मारपीट एवं धमकी के बावजूद चुनाव अधिकारियों के एक दल की निगरानी में देवश्री ने मतदान केंद्र जाकर अपना वोट डाला। इस घटना के आरोप में कुल पांच तृणमूल समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं तृणमूल ने आरोपों से इनकार किया है।

বাংলায় ভোট মানেই ঝামেলা, উপলব্ধি জওয়ানদের

শান্তিতে ভোট করানোর দায়িত্ব নিয়ে এসেছিলেন বাংলায়৷ দেখেশুনে এতদিনের কোনও অভিজ্ঞতার সঙ্গেই ম…


বুকে ব্যথা কমল না, এসএসকেএম-এ ভরতি করা হল মদনকে

বুকে ব্যথা ও শ্বাসকষ্ট না কমায় শেষপর্যন্ত এসএসকেএমের কার্ডিওলজি বিভাগে ভরতি করা হল মদন মিত্রকে। হাসপাতালের একদল চিকিৎসক তাঁকে ভরতি হওয়ার পরামর্শ দেন

आत्मघाती हिंसा का आलम बांग्ला  दैनिक आजकाल की इस रपट में देखेंः

হাওড়া জুড়ে সঙ্ঘর্ষ, ভাঙচুর

মঙ্গলবার ২৬ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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প্রিয়দর্শী বন্দ্যোপাধ্যায়:নির্বাচন শেষ হতেই জেলা জুড়ে শুরু হয়েছে রাজনৈতিক সঙ্ঘর্ষ। তৃণমূল–‌জোট সমর্থকদের সঙ্ঘর্ষে জখম হয়েছে ১০ বছরের বালিকা। মারধর করা হয়েছে তার আত্মীয়কে। সঙ্ঘর্ষে ভাঙচুর হয়েছে বেশ কিছু বাড়ি, জখম হয়েছে দু'‌পক্ষের বেশ কিছু সমর্থক। উত্তর হাওড়াতে মুরগিহাটার কাছে সি পি এম কর্মীদের বেধড়ক মারধর করা হয়। সোমবার রাতে পার্টি অফিস বন্ধ করে ফেরার সময় ৩ জন সি পি এম কর্মীকে তৃণমূল সমর্থকরা বেধড়ক মারধর করে বলে অভিযোগ। পাঁচলার বেলডুবিতে আরও এক সি পি এম কর্মীকে বেদম পেটানো হয়। উলুবেড়িয়া উত্তর কেন্দ্রের খোসালপুর এলাকায ৪ জন সি পি এম কর্মীর বাড়িতেও হামলা চালিয়ে ভাঙচুরের অভিযোগ উঠেছে তৃণমূলের বিরুদ্ধে। উত্তর হাওড়ার বি রোডে উৎপল দত্ত নামে এক রেলকর্মীর বাড়িতে মঙ্গলবার  ভাঙচুর করা হয়। তাঁর বাইক ভেঙে দেওয়া হয়। ঘরের জানলা–‌দরজার কাচ ভেঙে দেয় হামলাকারীরা। তাঁরা কোনও রাজনৈতিক দলের সক্রিয় কর্মী না হলেও সোমবার ভোটের দিন সংবাদমাধ্যমের কাছে ছাপ্পা চলছে বলে মুখ খোলার অপরাধে তাঁদের বাড়িতে হামলা হয়। তবে শুধু সি পি এম কর্মীরাই যে আক্রান্ত হয়েছেন তা নয়, হাওড়ার একাধিক এলাকায় তৃণমূল কর্মী–‌সমর্থকরাও আক্রান্ত হয়েছেন। আমতার বিনলাকৃষ্ণবাটি গ্রামে তৃণমূলের পোলিং এজেন্ট হওয়ায় মঙ্গলবার সকালে অন্নদাশঙ্কর সাঁতরা নামে এক তৃণমূল কর্মীর বাড়িতে হামলা হয়। তাঁর মা সুলেখা সাঁতরা বাধা দিতে এলে হামলাকারীরা তাঁর বাঁ হাত ভেঙে দেয়। তৃণমূলের অভিযোগ, এলাকার কংগ্রেস ও সি পি এম কর্মীরা সম্মিলিতভাবে এই হামলা করেছে। আমতারই ভাটোরা গ্রামে তৃণমূল নেতা আনিসুর রহমানের বাড়িতে চড়াও হয়ে হামলা চালানো হয়। আনিসুরের বাড়ির সামনে ব্যাপক বোমাবাজিও করা হয়। এরই সঙ্গে এদিন বাগনানের পানিত্রাসে মৃৎশিল্পী স্বপন বাগের দোকানে হামলা চালিয়ে পুড়িয়ে দেওয়া হয়। হামলাকারীরা দোকানে ভাঙচুর করে আগুন ধরিয়ে দেয়। উল্লেখ্য, স্বপন সম্প্রতি তৃণমূলে যোগ দেন। যদিও তৃণমূলে যোগ দিয়ে তিনি সোমবার ভোটের দিন তৃণমূলের ক্যাম্প অফিসেও বসেছিলেন। সে কারণেই তাঁর দোকান পুড়িয়ে দেওয়া হয় বলে তৃণমূলের অভিযোগ। সি পি এমের অভিযোগ, ভোটের দিন সেভাবে সম্ত্রাস করতে না পেরে ভোট মিটতেই তৃণমূল জেলা জুড়ে বেপরোয়া গোলমাল শুরু করেছে। আমরা প্রশাসনকে যথাযথ ব্যবস্থা নেওয়ার আর্জি জানিয়েছি। অন্যদিকে, তৃণমূলের পাল্টা অভিযোগ, শান্তির পরিবেশ নষ্ট করতে সি পি এম–‌কংগ্রেস একসঙ্গে গোলমাল পাকাতে চাইছে। প্ররোচনা ছড়াচ্ছে। সাধারণ মানুষকে ওই  প্ররোচনায় পা না–‌দেওয়ার আবেদন রাখছি আমরা।‌‌

‌হামলা–পাল্টা হামলা

বসিরহাট থেকে স্বদেশ ভট্টাচার্যের খবর, ভোট মিটতেই হামলা, পাল্টা হামলা চলছে বসিরহাট মহকুমার সন্দেশখালি, হিঙ্গলগঞ্জ এলাকার গ্রামে গ্রামে। আতঙ্কের পরিবেশ রয়েছে। এলাকার মানুষ কেন্দ্রীয় বাহিনী মোতায়েন রাখার দাবি জানিয়েছেন। হিঙ্গলগঞ্জের ভবানীপুর এলাকায় সোমবার রাত থেকেই সি পি এম সমর্থকেরা ভয়ে সিঁটিয়ে আছে। তৃণমূলের বাইক বাহিনী দাপিয়ে বেড়াচ্ছে বলে অভিযোগ করেছেন হিঙ্গলগঞ্জ কেন্দ্রের সি পি আই প্রার্থী আনন্দ মণ্ডল। এদিন সকালে ভোটে বাম প্রার্থীর হয়ে কাজ করায় পলাশ বৈরাগী নামে এক যুবককে রাস্তায় পেয়ে মারধর করে তৃণমূল–আশ্রিত দুষ্কৃতীরা। গুরুতর জখম অবস্থায় পলাশ বৈরাগীকে বসিরহাট জেলা হাসপাতালে ভর্তি করা হয়েছে। তাঁকে হাসপাতালে দেখতে যান সি পি আই প্রার্থী আনন্দ মণ্ডল, সি পি এমের জেলা কমিটির সদস্য শ্রীদীপ রায়চৌধুরি, সি পি আইয়ের যুবনেতা শান্তনু চক্রবর্তী। তাঁরা বলেন, ভবানীপুর এলাকায় বুথ দখল, ছাপ্পা ভোট দিতে ব্যর্থ হয়ে বাবু মাস্টারের বাহিনী এলাকায় তাণ্ডব শুরু করেছে। এলাকায় বাড়ি বাড়ি হুমকি চলছে। পলাশকে রাস্তায় দাঁড় করিয়ে বেপরোয়া মারধর করেছে। স্থানীয় মানুষ তাঁকে দুষ্কৃতীদের হাত থেকে উদ্ধার করে হাসপাতালে ভর্তি করেন। তাঁর হাতে, কোমরে ও ঘাড়ে আঘাত গুরুতর। সন্দেশখালির গ্রামে গ্রামে বাইক বাহিনী দাপিয়ে বেড়াচ্ছে সি পি এমের অভিযোগ। সি পি এম নেতা আবু বক্কর লস্কর অভিযোগ করেন, এলাকার মানুষ সন্ত্রস্ত। ভাঙা তুষখালি গ্রামের গফুর মোল্লা, শরিফ লস্কর, জেলিয়াখালির পূর্বখণ্ডের বিনন্দ মণ্ডল–সহ বহু সি পি এম নেতা–কর্মী ঘর থেকে বেরোতে পারছেন না। অন্যদিকে, সি পি এমের হাতে আক্রান্ত কয়েকটি তৃণমূল সমর্থক পরিবারও। সন্দেশখালি সেহারা পঞ্চায়েতের রাধানগর গ্রামের ঘটনা। তৃণমূলের অভিযোগ, ভোট মিটতেই সি পি এম আশ্রিত দুষ্কৃতীরা তৃণমূলকে ভোট দেওয়ার অপরাধে কয়েকটি বাড়িতে হামলা চালায়। তাদের আক্রমণের হাত থেকে মহিলারাও রেহাই পাননি। যদিও এই অভিযোগ অস্বীকার করেছেন সি পি এম নেতারা।‌

‌কংগ্রেস নেতার দোকানে আগুন

বারাসত থেকে সোহম সেনগুপ্তের খবর, কদম্বগাছি স্টেশন সংলগ্ন এলাকায় কংগ্রেস নেতা সজল দে–র দোকান পুড়িয়ে দেওয়ার অভিযোগ উঠল স্থানীয় কয়েকজন তৃণমূল কর্মীর বিরুদ্ধে। মঙ্গলবার এই ঘটনার বিষয়ে দত্তপুকুর থানায় একটি অভিযোগ দায়ের করেন জেলা কংগ্রেস নেতা সজল দে। তিনি জানান, নির্বাচনের পরে পরিকল্পনা করেই তাঁর দোকানে আগুন লাগানো হয়েছে। সোমবার রাত আড়াইটে নাগাদ কেরোসিন তেল মজুত করেই তাঁর দোকানে আগুন লাগানো হয় বলেও দাবি সজলবাবুর। যদিও জেলা তৃণমূলের পর্যবেক্ষক নির্মল ঘোষ জানান, আগুন লাগানোর ঘটনার সঙ্গে তাঁদের দলের কোনও সম্পর্ক নেই। নির্বাচনে নিশ্চিত পরাজয় জেনে কুৎসা ও অপপ্রচারে নেমেছে কংগ্রেস।

‌সি পি এম সমর্থকের জমিতে আগুন

বনগাঁ থেকে নিরুপম সাহার খবর, রাতের অন্ধকারে এক সি পি এম সমর্থকের জমির ধানে আগুন লাগিয়ে দিল দুষ্কৃতীরা। উত্তর ২৪ পরগনার গাইঘাটার ঘটনা। গাইঘাটার ছোট সিয়ানা গ্রামের বাসিন্দা ভাগচাষী আনন্দ তরফদার ৪ বিঘা জমিতে ধান চাষ করেছিলেন। সেই জমির ধান কেটে মাঠে রাখা ছিল। মঙ্গলবার ভোর চারটে নাগাদ তিনি জমিতে গিয়ে দেখেন, কে বা কারা তঁার ওই ধানে আগুন লাগিয়ে দিয়েছে। তখনও আগুন জ্বলছে। গাইঘাটার সি পি এম নেতা রমেন্দ্রনাথ আঢ্য জানান, আনন্দ তরফদার আমাদের দলের একজন সমর্থক। যারাই এই ঘটনার সঙ্গে জড়িত থাকুক না কেন, পুলিসের উচিত, দোষীদের খুঁজে বের করে উপযুক্ত শাস্তির ব্যবস্থা করা।‌‌‌‌

খুব দ্রুতই ডাবল সেঞ্চুরির দিকে এগোচ্ছি। এরপর পূর্ব মেদিনীপুরেও তৃণমূল বিশেষ কিছু করতে পারবে না।

Left Front Daily's photo.


পঞ্চম শেষেও অশান্তি, 'আক্রান্ত'বিরোধী এজেন্ট, অভিযোগ অস্বীকার তৃণমূলের

By: Web Desk, ABP Ananda | Last Updated: Tuesday, 26 April 2016 8:03 PM


পঞ্চম শেষেও অশান্তি, 'আক্রান্ত'বিরোধী এজেন্ট, অভিযোগ অস্বীকার তৃণমূলের

উত্তর ২৪ পরগনা: উত্তর ২৪ পরগনার ৩৩টি আসনে ভোট শেষের পর একদিনও কাটল না। একের পর এক জায়গায় সিপিএমের নির্বাচনী এজেন্টদের ওপর হামলার অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে।

যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপক প্রীতিকুমার রায় সোমবার ভোটে সিপিএমের নির্বাচনী এজেন্ট ছিলেন। তাঁর দাবি, সোমবার রাতেই বাড়িতে চড়াও হয় তৃণমূল আশ্রিত দুষ্কৃতীরা। দরজা ভেঙে বাড়িতে ঢোকার চেষ্টা করে তারা। বাড়ির জানলা-দরজা লক্ষ্য করে ছোড়া হয় ইটের টুকরো। শেষমেশ দুষ্কৃতীরা বাড়িতে ঢুকতে না পারলেও অধ্যাপক প্রীতিকুমারের মনে ঢুকে গিয়েছে ভয়। বাড়িতে পরিবারকে রেখে তো রোজ বেরোতে হয়। কখন কী হয়!

বরানগরের সিপিএমের নির্বাচনী এজেন্ট সোহেল খানের অবস্থা তো আরও খারাপ। সোহেলের দাবি, ভোটের আগে থেকেই স্থানীয় তৃণমূলকর্মী শঙ্কর রাউত ও তাঁর শাগরেদরা বাড়িতে এসে শাসিয়ে যান। হুমকি দেন, সিপিএমের নির্বাচনী এজেন্ট হলে হাত-পা কেটে দেওয়া হবে। কিন্তু, তারপরও সোমবার বুথে যান সোহেল। তাঁর দাবি, শঙ্কর রাউতের নেতৃত্বেই সেসময় তাঁর বাড়িতে হামলা চালায় তৃণমূল আশ্রিত দুষ্কৃতীরা। দরজা ভেঙে বাড়িতে ঢুকে তছনছ করে দেওয়া হয় জিনিসপত্র। লকার ভেঙে লুঠ করা হয় নগদ টাকা। বুথ থেকে ফেরার সময় দুষ্কৃতীরা সোহেলকেও তাড়া করে বলে অভিযোগ। কোনওমতে পালিয়ে বাঁচেন তিনি। তবে তারপর থেকে বাড়ি তো দূরের কথা, ভয়ে এলাকাতেই ঢুকতে পারছেন না সোহেল।

তবে যাঁর বিরুদ্ধে অভিযোগ, সেই তৃণমূলকর্মী শঙ্কর রাউতের দাবি, তিনি এব্যাপারে কিছু জানেনই না।

শুধু সিপিএম এজেন্টদের ওপর হামলাই নয়, রাজ্যের বিভিন্ন প্রান্তে কোথাও বিরোধীদের পার্টি অফিস ভাঙচুর, কোথাও বিরোধী দলের নেতা-কর্মী-সমর্থকদের ওপর হামলা হয়েছে। সব ঘটনাতেই অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে। । প্রতিটি ক্ষেত্রেই অভিযোগ অস্বীকার করেছে শাসকদল।

কড়েয়া-কদম্বগাছি স্টেশনের কাছে জেলা কংগ্রেসের সাধারণ সম্পাদক সজল দে-র দোকানে পেট্রোল ঢেলে আগুন লাগিয়ে দেওয়া হয়। ভস্মীভূত হয়ে যায় গোটা দোকান! মঙ্গলবার সকালে সোদপুরের ঈশ্বর চ্যাটার্জি রোড ও সরকারি আবাসন চত্বরে সিপিএমের দু'টি কার্যালয় ভাঙচুর করা হয়। উদয়নারায়ণপুরে কংগ্রেসের পোলিং এজেন্ট হওয়ায় আমতায় তিন সিপিএম কর্মীর বাড়িতে হামলা, ভাঙচুর। ডোমজুড়ের কলোরা গ্রামে বেশ কয়েকজন সিপিএম সমর্থকের বাড়ি ভাঙচুর। সিপিএমের অভিযোগ, তৃণমূল কর্মীদের হুমকি উপেক্ষা করে ভোট দেওয়াতেই হামলা। পাঁচলার বেলডুবি-জলাকান্দুয়া গ্রামে সিপিএম কর্মী নাসির মল্লিকের বাড়িতে ভাঙচুর। হাওড়ার সালকিয়ার বামুনগাছির বি রোডে সিপিএম কর্মী উত্পল দত্তের বাড়িতে ভাঙচুর।

এ তো গেল হাওড়া এবং উত্তর ২৪ পরগনার কথা। মুর্শিদাবাদে তো ভোট শেষ হওয়ার ৫ দিন পরও অশান্তি অব্যাহত। জেলার ভগবানগোলায় কংগ্রেস কর্মীদের ধারাল অস্ত্র ও লাঠি দিয়ে মারধর। জখম চার। কংগ্রেসের দাবি, চতুর্থ দফার ভোটে বুথ দখল রোখার চেষ্টা করাতেই এই হামলা। কংগ্রেসকে ভোট দেওয়ায় মারধর দলীয় কর্মীকে। কান্দি থানায় অভিযোগ দায়ের।

উত্তর থেকে দক্ষিণ, এই সব ঘটনাতেই অভিযোগ উঠেছে তৃণমূলের বিরুদ্ধে। যদিও, প্রতিটি ক্ষেত্রেই অভিযোগ অস্বীকার করেছে শাসকদল।


एक और जूट मिल बंद,प्रवर्तक जूटमिल कमारहट्टी में

বন্ধ হল প্রবর্তক জুট মিল, বেকার ৪ হাজার

মঙ্গলবার ২৬ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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শ্রমিক অসন্তোষের কারণ দেখিয়ে বন্ধ হয়ে গেল কামারহাটির প্রবর্তক জুট মিল। আজ সকালে মিলে সাসপেনশন অফ ওয়ার্কের নোটিস ঝুলিয়ে দিলেন জুট মিল কর্তৃপক্ষ। কাজ হারালেন স্থায়ী–অস্থায়ী মিলিয়ে প্রায় চার হাজার শ্রমিক। মঙ্গলবার সকালে কাজে যোগ দিতে এসে মিল গেটে ওই নোটিস দেখে স্বভাবতই ক্ষোভে ফেটে পড়েন শ্রমিকরা। শুরু হয় বিক্ষোভ। গেটের বাইরে জড়ো হওয়া শ্রমিকরা দাবি করতে থাকেন মিল চালু করতে হবে অবিলম্বে। সবে মাত্র ভোট শেষ হয়েছে। এরই মধ্যে এই ঘটনা ঘটায়, তা যাতে বড় আকার ধারণ করতে না পারে, তা নিশ্চিত করতে কেন্দ্রীয় বাহিনী টহল শুরু করে। বসানো হয় পুলিস পিকেট। পুলিস জানিয়েছ, বেশ কিছু দিন ধরে শ্রমিক ও মালিকপক্ষের মধ্যে অসন্তোষ চলছিল। এর পরই সোমবার রাতে কর্তৃপক্ষ মিল গেটে বন্ধের নোটিস ঝুলিয়ে দেন। তবে দ্বিপাক্ষিক আলোচনা করে দ্রুত মিল খোলার চেষ্টা হচ্ছে বলে প্রশাসন সূত্রের খবর।‌‌‌

ছবি: ভবতোষ ছুতোর

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বুথ জ্যামের প্রতিবাদ করায় বাড়িতে হামলা, ভাঙচুর, অভিযুক্ত তৃণমূল

ভোটের লাইন কিছুতেই এগোচ্ছিল না। তাই প্রতিবাদ করেছিলেন এক ব্যক্তি। আর এই অপরাধে ভোটদান পর্ব মিটে যাওয়ার পর সোমবার রাত থেকে মঙ্গলবার দুপুর পর্যন্ত দফায় দফায় হামলা চালাল মোটরবাইকে করে আসা একদল দুষ্কৃতী। তারা সকলেই এলাকার তৃণমূল কর্মী বলে পরিচিত।


সাংবাদিক ডেকে ছাপ্পা, বেসুর হাওড়ায়

ও প্রান্ত থেকে কী বার্তা এল, তা শোনার উপায় নেই। তবে এ প্রান্ত থেকে দ্রুত 'রান'নেওয়ার নির্দেশ দিলেন হাওড়া পুরসভার মেয়র পারিষদ এবং হাওড়া উত্তর কেন্দ্রের তৃণমূল সভাপতি গৌতম চৌধুরী।


চলছে হামলা, মারধর, শাসানি, শাসকের নজরদারিতেই ভোটপর্ব

নিজস্ব প্রতিবেদন

২৫ এপ্রিল, ২০১৬, ১৩:০০:০০

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tanmoy bhattacharya

জখম তন্ময় ভট্টাচার্য।— নিজস্ব চিত্র।

নির্বাচন চলছে। চলছে নজরদারিও। শাসকদলের নজরদারি।

রাতভর চোরাগোপ্তা হুমকি, সরাসরি শাসানি এবং শেষমেশ নির্বাচনের দিন বুথে যাওয়ার পথে ভোটারদের বাধা দেওয়ার অভিযোগ উঠেছে তৃণমূলের বিরুদ্ধে। সেখানেও থেমে থাকেনি শাসকদল। বিরোধী শিবিরের কর্মী-সমর্থক, সাধারণ ভোটার, এমনকী জোটের বেশ কয়েক জন প্রার্থীকে মারধর করেছে তারা। পাশাপাশি হামলা চালানো হয়েছে সিপিএম-কংগ্রেসের একাধিক কার্যালয়ে। তবে, এ সবকে উপেক্ষা করে সাধারণ মানুষ সকাল থেকেই ভিড় জমিয়েছেন ভোটের লাইনে। যদিও সে লাইনের উপরও কড়া নজরদারি রয়েছে তৃণমূলের। একটু বেচাল বুঝলেই ভোট দিয়ে ফেরার পথে তাদের হাতে আক্রান্ত হতে হয়েছে সেই 'ভোটার'দের।

ঘটনা এক:দমদম উত্তর কেন্দ্রের সুকান্ত নগর। গত দু'দিন ধরেই এলাকায় তৃণমূলের দুষ্কৃতীরা দাপিয়ে বেড়াচ্ছিল। বিরোধী দলের সমর্থকদের বাড়িতে বাড়িতে গিয়ে চলছিল ধমক-চমক। ভোট দিতে না যাওয়ার জন্যও দেওয়া হয় হুমকি, 'আমাদের ভোট দিবি না যখন, কোনও ভাবেই বুথমুখো হবি না।'এর পরেও এ দিন সকালে ভোট দিতে গিয়েছেন অনেকেই। ভোট দিয়ে ফেরার পথে তাঁদের কয়েক জনের উপর আক্রমণ চালানো হয়। করা হয় মারধর। অভিযোগ ওঠে শাসক দলের বিরুদ্ধে। খবর পেয়ে আক্রান্তদের বাড়িতে গিয়ে তাঁদের সঙ্গে দেখা করতে যান ওই এলাকার সিপিএম প্রার্থী তন্ময় ভট্টাচার্য। কিন্তু, সুকান্ত নগরের গলিতে ঢোকার মুখেই তন্ময়বাবুর গাড়ির দিকে ধেয়ে আসে তৃণমূলের গুন্ডাবাহিনী। তাঁকে লক্ষ্য করে ইট ছোড়া হয়। ইটের টুকরো এসে পড়ে গাড়ির কাচে। সেই ভাঙা কাচেই জখম হন প্রার্থী। তাঁর হাত বেয়ে গড়াতে থাকে রক্তের ধারা।

ঘটনা দুই: মধ্যমগ্রাম বিধানসভা কেন্দ্রের কৈপুল গ্রাম। প্রদীপ মাজি নামে এক সিপিএম সমর্থক এ দিন সকালে ভোট দিতে গিয়েছিলেন ২৬৭ নম্বর বুথে। অভিযোগ, ভোট দিয়ে ফেরার পথেই তাঁর উপর ঝাঁপিয়ে পড়ে তৃণমূলের গুন্ডাবাহিনী। বাঁশ, লোহার রড দিয়ে বেধড়ক মারধর করা হয় তাঁকে। তিনি এলাকায় দীর্ঘ কয়েক বছর ছিলেন না। সোমবার সকালেই পুলিশি নিরাপত্তার মধ্যে ফিরেছিলেন। আক্রান্ত প্রদীপবাবুকে মধ্যমগ্রাম গ্রামীণ হাসপাতালে নিয়ে যাওয়া হয়।

ঘটনা তিন: উত্তর ২৪ পরগনার মিনাখার বড়চোরা গ্রাম। রবিবার রাত থেকেই সেখানে তাণ্ডব চালিয়েছে তৃণমূলের দুষ্কৃতীরা। অভিযোগ, গত কাল রাতে স্থানীয় সিপিএম নেতা আমজেব লস্করের বাড়িতে ভোট নিয়ে বৈঠক চলছিল। সেই সময়ে সেখানে হাজির হয় প্রায় ২৫-৩০ জন দুষ্কৃতী। তাঁদের বাড়িতে ভাঙচুরের পাশাপাশি বেধড়ক মারধর করা আমজেব এবং তাঁর ছেলে নাজিবুল লস্করকে। এসএফআইয়ের জোনাল সম্পাদক নাজিবুলকে বন্দুকের বাঁট দিয়ে আঘাত করা হয়। জখম অবস্থায় তাঁকে পেটানো হয় বাঁশ দিয়ে। এর পরেও এ দিন সকালে তিনি ১৪৩ নম্বর বুথে ভোট দিতে গিয়েছিলেন। অভিযোগ, তখন তাঁর দিকে রিভলভার তাক করে শাসক দলের দুষ্কৃতীরা। নাজিবুলকে গুলি করে মারার হুমকি দেওয়া হয়। এর পর তিনি পালিয়ে এসে কেন্দ্রীয় বাহিনীর কাছে অভিযোগ জানান। তার পর কেন্দ্রীয় বাহিনীর নিরাপত্তার মধ্যেই নাজিবুল ভোট দেন।

আরও খবর

আসি আসি করেও মদন কারাবাসী

হাওড়া ও উত্তর ২৪ পরগনার মোট ৪৯টি বিধানসভা আসনের প্রায় প্রতিটি জায়গা থেকেই শাসকদলের বিরুদ্ধে এমন ভূরিভূরি অভিযোগ উঠেছে। তাদের নিশানায় যেমন বিরোধী দলের নেতা-কর্মী-সমর্থকেরা রয়েছেন, তেমনই রয়েছেন সাধারণ ভোটাররাও। হালিশহরের কাঁসারিপাড়ায় প্রাক্তন বাম কাউন্সিলরের বাড়িতে ভাঙচুর করা হয়। মারধর করা হয় ব্যারাকপুরের এক মহিলা কাউন্সিলরকে। নৈহাটিতে ভোটারদের মারধর করার অভিযোগ ওঠে। ভোটার বাবা-মাকে হুমকি দিতে এসে ছাড় দেওয়া হয়নি শিশুদেরও। বীজপুরে শাসক দলের সেই গুন্ডাদের হাতে মার খেয়েছে সাড়ে তিন বছরের একটি শিশুও। ওই বীজপুরেই এক ইঞ্জিনিয়ারিং ছাত্রকে মারধরের অভিযোগ ওঠে। পুলিশের সামনেই তাঁকে মারধর করা হয়। নিউটাউনে সিপিএমের এক পোলিং এজেন্টকে মারধর করে আটকে রাখার অভিযোগও উঠেছে। এরই পাশাপাশি, কেষ্টপুরে ডিওয়াইএফআই-এর অফিস ভাঙচুর করা হয়। হালিশহরের আদর্শ বিদ্যাপীঠ কেন্দ্রে বুথের কাছে বোমাবাজি চলে। এ ছাড়াও বেশ কিছু বুথ দখলের অভিযোগ উঠেছে। শাসক দলের লোকজন বিরোধী এজেন্টদের বুথে বসতে বাধা দিয়েছে, উঠেছে এমন অভিযোগও।

ওই সব এলাকার স্থানীয় তৃণমূল নেতৃত্ব যদিও সমস্ত অভিযোগ অস্বীকার করেছেন। তাঁদের দাবি, শান্তিপূর্ণ ভাবেই নির্বাচন চলছে।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में छह चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव में दो चरण बाकी रहने से पहले ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जीने दावा किया कि उनकी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच चुकी है, जबकि दूसरी तरफ सीपीएम सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने दावा किया कि सीपीएम-कांग्रेस गठबंधन 200 सीटें हासिल करेगा।


चौथे चरण के बाद हमें बहुमत का आंकड़ा मिल गया ममता बनर्जीने कोलकाता में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, 'आज चुनाव का चौथा चरण संपन्न हुआ। अगर मैं राजनीति समझती हूं तो चुनाव के इस चरण के बाद हम पहले ही बहुमत का आंकड़ा हासिल कर चुके हैं, जो नई सरकार बनाने के लिए काफी है।'


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव-2016 का पांचवा चरण आगामी 30 अप्रैल से शुरु होगा जिसमें 53 विधानसभा निर्वाचित क्षेत्रों से मतदान किए जाएंगे।


30 अप्रैल से शुरु होने वाले विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में उम्मीद्वारों की कुल संख्या 349 है। वहीं, महिला उम्मीदवारों की कुल संख्या 43 है।


इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीधे आरोप लगाया  है कि बंगाल को सर्वाधिक खतरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मिलीभगत से है।

ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी को एक ही बताते हुए उन्होंने लोगों से कांग्रेस को चुनाव में जिताने की अपील की।



दक्षिण 24 परगना के कैनिंग में चुनाव प्रचार के लिए पहुंची सोनिया गांधी ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में कुछ नहीं किया उसी तरह ममता बनर्जी भी यही कहती हैं कि उनके आने से पहले बंगाल में कुछ नहीं किया गया।


सोनिया गांधी ने सीधे आरोप लगाया  है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल और पीछे की ओर चला गया. उन्होंने कहा कि कभी बंगाल चावल उत्पादन में अव्वल था. लेकिन आज वह पिछड़ गया है.

सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी ने जिस तरह देश की जनता को सुहाने सपने दिखाये थे उसी तरह ममता बनर्जी ने भी बंगाल के लोगों को रोजगार का सपना दिखाया था. लेकिन वह सपना पूरा नहीं किया गया.।


सोनिया गांधी ने सीधे आरोप लगाया  है कि ममता बनर्जी की सरकार में भ्रष्टाचार का आलम है। नये ब्रिज भी गिर जाते हैं। चिटफंड कंपनियां जो जनता को लूट रही हैं उनके सिर पर किसका हाथ है, यह सभी जानते हैं। नरेंद्र मोदी ने भी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कीष मोदी सरकार ने जिस तरह का व्यवहार किया है उससे देश के बुनियादी ढांचे को खतरा हो गया है। धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को खतरा पैदा हो गया है।

पांच वर्ष पहले तृणमूल कांग्रेस ने भी लोगों की उम्मीदें जगाकर लोगों से वोट मांगा था. आज वह डरा धमकाकर वोट मांगने की कोशिश कर रही है। केंद्र में पूर्व की कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने आदिवासियों, दलितों व गरीबों के कल्याण के लिए काफी कुछ किया। लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद उन योजनाओं के धन को काफी कम कर दिया है।

মোদী-মমতা আঁতাঁতের অভিযোগ তুলে কং-বাম প্রার্থীদের হয়ে ভোট-আর্জি সনিয়ার

মোদী-মমতা আঁতাঁতের অভিযোগ তুলে কং-বাম প্রার্থীদের হয়ে ভোট-আর্জি সনিয়ার

দক্ষিণ ২৪ পরগনা: কাল একমঞ্চে রাহুল গাঁধী-বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য। তার ঠিক আগের দিন, রাজ্যে এসে বাম-কংগ্রেস জোটের সুরটা বেঁধে দিলেন সনিয়া গাঁধী। আর্জি জানালেন, কংগ্রেসের


सोनिया गांधी को ईंट का जवाब पत्थर से

সোনিয়াকে সরাসরি আক্রমণ করলেন মমতা

মঙ্গলবার ২৬ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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দীপঙ্কর নন্দী, গৌতম মণ্ডল ভাঙড় ও রায়দিঘি: সোনিয়া গান্ধীকে এবার মমতা সরাসরি আক্রমণ করলেন। মঙ্গলবার ভাঙড়ে প্রচার করতে গিয়ে তিনি বলেন, সোনিয়ার অনেক ছিদ্র আছে। মোদি তাঁদের ভয় দেখিয়ে রেখেছেন। সি পি এমেরও অনেক ছিদ্র আছে। তাদেরও মোদি চমকাচ্ছেন। মোদির বিরুদ্ধে ওঁদের বলার কোনও ক্ষমতা নেই। আমি কাউকে ভয় পাই না। সোনিয়ার নাম করে মমতা বলেন, ২২০০ কোটি অজানা উৎসের টাকার আগে হিসাব দিন। আপনারা আমাদের চাকরবাকর ভাববেন না। মমতা ভাঙড়ে গিয়েছিলেন রেজ্জাক মোল্লার সমর্থনে সভা করতে। মঞ্চে সোনারপুর উত্তরের প্রার্থী ফিরদৌসি বেগমও ছিলেন। মোদি সম্পর্কে মমতা বলেন, নির্বাচনের সময় বাংলার ওপর জুলুমবাজি চালাচ্ছেন। এমন অত্যাচার আগে কখনও হয়নি। মোদি খুব ভাল জানেন যে, ২০১৬–য় বাংলায় বি জে পি কিচ্ছু করতে পারবে না। তিনি এও জানেন, কেন্দ্রীয় বাহিনী পাঠিয়ে কিছু লাভ হবে না। সাধারণ মানুষ উন্নয়নের ওপর ভিত্তি করেই তৃণমূলকে ভোট দেবে। ২০১৯–‌এ যাতে কেউ জিততে না পারে, তার জন্য মোদি সকলের মুখ বন্ধ করে দিতে চাইছেন। মমতার অভিযোগ, মোদির সঙ্গে সব থেকে বেশি ভাব সি পি এম এবং কংগ্রেসের। এই আঁতাত ইতিহাসে নতুন চ্যাপ্টার হয়ে থাকবে। মমতা এদিন বলেন, লোকসভায় কংগ্রেসের সংখ্যা মাত্র ৪০। সকলের কাঁধে এখন ভর করছে কংগ্রেস। লালু ভদ্রলোক। তাঁর কাঁধেও ভর করেছিল কংগ্রেস। দিল্লি থেকে নেতা–‌নেত্রীরা বাংলায় এসে মাইক হাতে নিয়ে যা খুশি তাই বলে যাচ্ছেন। এটা কিন্তু করতে পারেন না। আসলে ওঁদের দু'‌কান কাটা, তাই যা ইচ্ছে তাই বলছেন। দিল্লির নেতারা বাংলার উন্নয়ন দেখতে পাচ্ছেন না। ওঁদের চোখে ন্যাবা হয়েছে। মমতা এদিন রায়দিঘিতে দেবশ্রী রায়ের সমর্থনে প্রচার করেন। তিনি এখানে বলেন, ওরা বলছে ২০০ আসন পাবে।

২০টা আসন পেয়ে দেখাক। জোটের নামে লাবড়া হয়েছে। যাকে বলে ঘ্যাঁট–চচ্চড়ি। এদিন মমতা বারুইপুরেও সভা করেন। মমতার বক্তব্য, ভোটবাক্স খুললে দেখবেন শুধু তৃণমূল, শুধু তৃণমূল। বিরোধীরা দেখবে নির্বাচনের পর এ রাজ্য থেকে সি পি এম, কংগ্রেস উঠে যাবে। সাইন বোর্ডও থাকবে না। বামফ্রন্ট তো ভেঙে গেছে। সি পি এম, কংগ্রেস মিলে কাঁসরফ্রন্ট তৈরি করেছে। কেন্দ্রীয় বাহিনী সম্পর্কে মমতা বলেন, সোমবারের ভোটে সাধারণ মানুষকে হয়রানি করেছে। অনেককে জামাপ্যান্ট খুলিয়ে তল্লাশি করা হয়েছে। আমি এ জিনিস মানব না। গণতন্ত্রের উৎসবে কেন্দ্রীয় বাহিনীর এই অত্যাচার মানা যায় না। মমতা এদিন ভাঙড়ে প্রার্থী রেজ্জাক মোল্লা সম্পর্কে বলেন, আমি তাঁকে দলে নিয়েছি একটি কারণে, তিনি কৃষকদের জমি আন্দোলন নিয়ে যেসব কথা বলেছেন, তা

আমার মনকে নাড়া দিয়েছে। মঞ্চে উপস্থিত ছিলেন আরাবুল ইসলাম ও কাইজার শেখ। মমতা বলেন, আগের নির্বাচনে আমরা নিজেদের জন্য এখান থেকে হেরে যাই। আরাবুল, কাইজার–‌সহ প্রত্যেককেই রেজ্জাক মোল্লাকে জেতানোর জন্য যথাসাধ্য চেষ্টা করতে হবে। আগের বারের মতো যাতে না হয়। রায়দিঘিতে গিয়ে দেবশ্রী সম্পর্কে মমতা বলেন, আমি দেবশ্রীকে খুব ভালবাসি। চিরঞ্জিত, মুনমুন, সন্ধ্যাদি, দেব, সোহমও আমার খুব প্রিয়। এদের সারা বাংলায় মানুষ চেনে। দেবশ্রী যদি বহিরাগত হয় তাহলে এখানকার বাম প্রার্থী তো যাদবপুর থেকে এসেছেন। কারও দুঃখ হলে দেবশ্রী চোখের জল মুছিয়ে দিতে পারবে। বিরোধী প্রার্থীর মতো খুন করতে যাবে না। কান্তি গাঙ্গুলি সম্পর্কে কর্মীদের সতর্ক করে দিয়ে বলেন, উনি ভোটের দিন বেশ কিছু বুথ দখল করবেন। তাই আপনাদের সতর্ক থাকতে হবে। বুথ দখল করতে দেওয়া যাবে না। আর উনি শুধু নালিশ করবেন। রায়দিঘির মঞ্চে বক্তব্য পেশ করেন জেলা সভাপতি কলকাতার মেয়র শোভন চ্যাটার্জি, সাংসদ চৌধুরি মোহন জাটুয়া। ভাঙড়, রায়দিঘি ও বারুইপুরে ভিড় ছিল লক্ষ্য করার মতো। বারুইপুরের মঞ্চে ছিলেন পাঁচ প্রার্থী বিমান ব্যানার্জি, সওকত মোল্লা, শ্যামল মণ্ডল, নির্মল মণ্ডল, গোবিন্দ নস্কর। কমিশনের বিরুদ্ধে মমতার অভিযোগ, কমিশন এমন ব্যবস্থা করেছে যে ভোটাররা লাইনে দাঁড়াতে পারেনি। ভোট দিতে পারেনি। সি পি এম ও কংগ্রেসের কার্যালয় ভাঙা হয়নি। ভাঙা হয়েছে তৃণমূলের কার্যালয়। মমতা এদিন সব ক'‌টি সভাতে তাঁর সরকারের উন্নয়নের ফিরিস্তি তুলে ধরেন। তিনি বলেন, এই ক'‌বছরে প্রতিশ্রুতির চেয়েও বেশি উন্নয়ন হয়েছে সংখ্যালঘুদের জন্য। আমাদের সরকার যথেষ্ট কাজ করেছে। আগামী দিনে আরও কাজ হবে। এটুকু বলতে পারি, আমাদের সময় বাংলায় দাঙ্গা হয়নি, ভবিষ্যতেও দাঙ্গা হতে দেব না।


মানুষের ঐক্য তৈরি হয়েছে:‌কারাত

বুধবার ২৭ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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মিল্টন সেন: রাজ্যে শাসক দলের বিরুদ্ধে সমস্ত স্তরের মানুষ একজোট হয়েছে। মানুষের মধ্যে একতা তৈরি হয়েছে। এই নির্বাচন ঐতিহাসিক। মানুষ ঐক্যবদ্ধ, সমস্ত বাধা অতিক্রম করে তাদের ভোটাধিকার প্রয়োগ করবেই। মঙ্গলবার তারকেশ্বরের মোহনবাটি নছিপুর এলাকায় এন সি পি প্রার্থী সুরজিৎ ঘোষের সমর্থনে এক জনসভায় এ কথা বলেন সি পি এমের পলিটব্যুরো সদস্য প্রকাশ কারাত। তিনি বলেন, এই নির্বাচন গণতন্ত্র রক্ষার এবং গণতন্ত্র প্রতিষ্ঠার লড়াই। গত কয়েক দফা নির্বাচন প্রমাণ করেছে মানুষ শাসক দলের সমস্ত হামলার প্রতিবাদ করে নিজের ভোট দিতে সক্ষম। গত পাঁচ বছর রাজ্যে গণতন্ত্রকে খুন করা হয়েছে। এই নির্বাচন প্রমাণ করবে বাংলার মানুষ গণতন্ত্রকে বাঁচাতে শিখেছে। তারাই শাসক দলের মস্তানির বিরুদ্ধে লড়াই করে বাংলায় নতুন সরকার গঠন করবে। প্রকাশ কারাত বলেন, ৩৪ বছর বাম শাসনে এমন ঘটনা কখনও ঘটেনি, যা এখন ঘটছে। চা–‌বাগানের শ্রমিক খাদ্যের অভাবে মারা যাচ্ছে। তিনি রাজ্য সরকার এবং কেন্দ্রীয় সরকারকে কটাক্ষ করে বলেন, ২০১৪ সালের লোকসভা নির্বাচনে জনসভায় নরেন্দ্র মোদি বলেছিলেন এখানে আপনাদের মমতা ব্যানার্জির সরকার, আপনাদের এক হাতে লাড্ডু রয়েছে। কেন্দ্রে আমাদের জিতিয়ে আনুন, আপনাদের দুই হাতেই লাড্ডু থাকবে। এই কথা থেকেই বোঝা যায় গোড়া থেকেই এই দুই সরকারের মধ্যে সমঝোতা রয়েছে। জনসভায় বক্তব্য পেশ করেন বামফ্রন্ট চেয়ারম্যান বিমান বসু। তিনি বলেন, নিয়মনীতি মান্য করে ভোট করলে জরুরি অবস্থা আর নিয়মনীতির তোয়াক্কা না করে ছাপ্পা ভোট করলে, ভোট লুট করলে গণতন্ত্র। এই রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী বলছেন, গণতান্ত্রিক অবস্থা খুব ভাল।  প্রশাসন প্রশাসনের মতো চলবে। সংবিধানসম্মতভাবে চলবে। নির্বাচনবিধি মেনে চলবে। তা চলছে না। বর্তমানে এই রাজ্যে প্রশাসন তৃণমূলের দলদাসের মতো কাজ করছে। তাই প্রশাসনের কর্তাদের সরতে হচ্ছে, আরও সরবে।  এদিন তিনি মুখ্যমন্ত্রীকে কটাক্ষ করে বলেন, আমাদের রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী হাওয়াই চটি পরে হেলিকপ্টারে ঘুরে বেড়াচ্ছেন, সভা করছেন। গত এক মাস যাবৎ তিনি জেলায় জেলায় এভাবেই হেলিকপ্টারে ঘুরছেন। নির্বাচনী প্রচারের জন্যে তিনি তিনটি হেলিকপ্টার ভাড়া করে রেখেছেন। প্রতি ঘণ্টায় ভাড়া ৫১ হাজার টাকা। হিসেব করুন এতদিনে কয়েক কোটি টাকা ভাড়া হয়ে গেছে। সমাবেশে ছিলেন এন সি পি রাজ্য সম্পাদক রাজেন্দ্র শর্মা প্রমুখ।


বুথের ভিতরে ছবি তুললেন রূপা, কমিশনে নালিশ লক্ষ্মীরবুথের ভিতরে ছবি তুললেন রূপা, কমিশনে নালিশ লক্ষ্মীর

ভোটের দিন নিজের কেন্দ্র উত্তর হাওড়া কার্যত দাপিয়ে বেড়ালেন বিজেপি প্রার্থী রূপা গাঙ্গুলি। সকাল থেকেই অ্যাকটিভ রূপা। দুপুরের পর অবশ্য রূপার গতিবিধির ওপর নজরদারির নির্দেশ দিল নির্বাচন কমিশন।

পঞ্চম দফার ভোটে ৪টি মজার তথ্য পঞ্চম দফার ভোটে ৪টি মজার তথ্য

পুলিসের হাত থেকে বাঁচতে জলে ঝাঁপ দুষ্কৃতীর। পোলিং এজেন্ট, ইলেকশন এজেন্ট গুলিয়ে ফেললেন প্রিসাইডিং অফিসার। ভোটার কার্ড ছাড়া ভোট দেওয়ার আবদার। পঞ্চম দফার ভোটে আমাদের ক্যামেরায় ধরা পড়ল এমনই কিছু বিছিন্ন ছবি।

মায়ের হাত ধরে ভোট দিতে বুথে এলেন পোলিও আক্রান্ত ছেলেমায়ের হাত ধরে ভোট দিতে বুথে এলেন পোলিও আক্রান্ত ছেলে

হিংসা, রাজনৈতিক দলাদলি, আক্রমণ-পাল্টা আক্রমণ। ঠিক যেন ভোটের সমার্থক। অশান্তি দেখেশুনে বীতশ্রদ্ধ অনেকেই। অনেক সময় প্রতিবাদের নামে, ভোট পর্যন্ত পড়ে না। তবে, এদের সবার চেয়ে আলাদা, খড়দার কুদরুস আলি। তিনি শেখালেন, গণতন্ত্রে অধিকার রক্ষার মন্ত্র।

ভোটে অশান্তি, রেহাই নেই শিশুকেও, গ্রেফতার ২  ভোটে অশান্তি, রেহাই নেই শিশুকেও, গ্রেফতার ২

রাজনীতির রোষানল থেকে রেহাই পেল না তিন বছরের শিশুও। আঘাত পড়ল শিশুর গায়েও। হালিশহরের বারেন্দ্রপল্লীর এই ঘটনায়, হামলার অভিযোগ তৃণমূলের বিরুদ্ধে। এখনও পর্যন্ত গ্রেফতার দু'জন।

দু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোটদু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোট

দু-এক জায়গায় বিক্ষিপ্ত গোলমাল ছাড়া মোটের ওপর শান্তিপূর্ণই রইল পঞ্চম দফার ভোট। উত্তর ২৪ পরগনা ও হাওড়ায় শান্তিতে ভোট করানো ছিল কমিশনের কাছে চ্যালেঞ্জ। দিনের শেষে ফার্স্ট ডিভিশনে পাশ নির্বাচন কমিশন। তবে, তারমধ্যেও আক্রান্ত হলেন উত্তর ২৪ পরগনার দুই সিপিএম প্রার্থী। পঞ্চম দফায় ৪৯ আসনে ভোট হল মোটের ওপর শান্তিতে। তবে, এড়ানো গেল না বিক্ষিপ্ত অশান্তি।

বাবার অনুপস্তিতিতে ময়দান সামলালেন ছেলেবাবার অনুপস্তিতিতে ময়দান সামলালেন ছেলে

সারদা কেলেঙ্কারিতে অভিযুক্ত বাবা। নভেম্বর ২০১৫ থেকে জেলই ঠিকানা মদন মিত্রের। মাঝে একদিনের জন্য জামিনে মুক্ত হলেও ফের তাঁকে ফিরতে হয় জেলে। তবে জেলে থাকলেও তাঁর প্রার্থী হওয়া আটকায়নি। ২০১৬ বিধানসভা নির্বাচনেও কামারহাটিতে মদন মিত্রের উপর আস্থা রাখেন নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। কিন্তু গোদের উপর বিষফোঁড়ার মত ভোটের আগে উদয় হয় নারদ পর্ব। সারদা কাণ্ডের পর এবার ঘুষকাণ্ডে নাম জড়ায় প্রাক্তন মন্ত্রীর।

ময়ূরেশ্বরের পর আড়িয়াদহ, বিতর্ক পিছু ছাড়ছে না লকেটেরময়ূরেশ্বরের পর আড়িয়াদহ, বিতর্ক পিছু ছাড়ছে না লকেটের

ফের বিতর্কে জড়ালেন লকেট চ্যাটার্জি। আগেরবার প্রার্থী হিসেবে। আর এবার ভোটার হিসেবে।

বোরখার আড়ালে ওরা কারা?বোরখার আড়ালে ওরা কারা?

মাথার ওপর গনগনে রোদ। ভর দুপুরে বুথে ঢুকলেন তিন মহিলা। পরনে বোরখা। হাতে ভোটার স্লিপ। এত পর্যন্ত ঠিকই ছিল। কিন্তু, তা



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पलाश विश्वास

अमलेंदु के सड़क दुर्घटना में जख्मी होने के बाद हमें हस्तक्षेप टीम में शामिल जाने अनजाने तमाम लोगों के मुखातिब होने का मौका मिला है।


इस संकट की घड़ी में देशभर से मेल,फोन और फेसबुक के जरिये निरंतर जो संदेश आ रहे हैं,उसे यह लगता है कि हम अकेले नहीं है।लेकिन शुभकामनाओं के दम पर हम वैकल्पिक मीडिया आंदोलन को जिंदा नहीं रख सकते।


समकालीन तीसरी दुनिया के साथ 1978- 79 से लेकर अबतक लगातार जुड़े सरहदों के आरपार बहुत बड़े पाठक वर्ग के बावजूद हम अभी उसकी अबाध निरंतरता सुनिश्चित नहीं कर सके हैं और समयांतर तो पंकज बिष्ट के निहायत निजी प्रयास की फसल है।हस्तक्षेप फिलहाल बाधित है और अमलेंदु जल्द ही अपने डेस्क पर होंगे।फिरभी हमारी समस्या फिर वही तीसरी दुनिया की समस्या है।


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जो समर्थ लोग हैं वे अधिकतम जितना डाले वह हस्तक्षेप के विसात कार्यक्रम को लागू करने में निर्मायक होगा।


भारी संख्या में  ऐसे लोग भी हो सकते हैं,जो हमारे साथ हैं और सौ रुपये भी निकालना जिनके लिए असंभव हो,वे लोग सामूहिक तौर पर कोई रकम किसी के जरिये जमा कर सकते हैं और इस मुहिम को आंदोलन की तर्ज पर चला सकते हैं।


क्रयशक्ति के मुक्तबाजार में हमें समता और न्याय के लक्ष्य को हाससिल करने के लिए जनता की मीडिया की दरकार है और हमारे पास वह क्रयशक्ति नहीं है,इसे लेकर शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं है।


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हालत यह है कि मीडिया को बाजार के हवाले करके उनसे जनमत और जन आंदोलन बनाने की उम्मीद करते रहे हैं और सूचनातंत्र से लगातार बेदखल होते रहने की वजह से अविराम बेदखली और मेहनतकशों के हक हकूक और नागरिक मानवाधिकार हनन के मामलों में कारपोरेट मीडिया की खबरों पर ही दांव लगाते रहे हैं।


आप भले ही हमारे साथ न हों और भले ही हमारी कोई मदद न करें लेकिन हकीकत का सामना जरुर करें और तयकरें कि अनंतकाल तक क्या हम बेबस हाथों पर हाथ धरे कारपोरेट मीडिया को ही कोसते रहेंगे और अपना मीडिया बनाने की कोशिश न करें।


हस्तक्षेप और हमारे मित्रों की सोशल मीडिया पर निरंतर सक्रियता की वजह से पहले के मुकाबले हम बढ़त पर है और कारपोरेट मीडिया का मुकाबला किसी न किसी रुप में कर रहे हैं और संवाद भी चरम असहिष्णु जनसंहारी अश्वमेधी माहौल की वजह से चल रहा है।इसके अलावा आज की नई पीढ़ी ने मनुस्मृति के खिलाफ जो महाविद्रोह का शंखनाद किया है और रंगभेदी वरतच्स्ववाद के खिलाप उनकी जो तेज होती लड़ाई है,और बाबासाहेब केजाति उन्मूलन का उनका जो एजंडा है-उसके मद्देनजर वैकल्पिक मीडिया के राष्ट्रव्यापी तंत्र बनाने का इसे बेहतरीन मौका हमारे पास कभी न था।


कृपया इस भढ़त को बेकार न जाने दें।


सत्तर के दशक में हम नैनीताल से नैनीताल समाचार और पहाड़ टीम के लिए काम करते रहे हैं और फिर लघु पत्रिका आंदोलन होकर हमारा लेखन समकालीन तीसरी दुनिया और समयांतर तक पहुंचा।


दिनमान से लेकर जनसत्ता जैसे मंचों की वजह से हमें तब जनसरोकार और जनसुनवाई का कोई संकट नहीं दिखा तो कारपोरेट मीडिया में भी प्रतिबद्ध जनसरोकारी पत्रकारों की एक विशाल सेना थी,जो अब नहीं हैं।


केसरिया सुनामी की वजह से वे तमाम जनसरोकारी प्रतिबद्ध लोग आर्थिक सुधारों के अस्वमेध और विदेशी पूंजी के वर्चस्व के तहत संपादन और संपादक के अवसान के बाद मैनेजर सीईओ तंत्र में मीडिया से बेदखल हो गये हैं या हो रहे हैं।


उन्हें नये सिरे से गोलबंद करने की जरुरत है।यह करना अनिवार्य है क्योंकि कारपोरेट मीडिया में लंबे अरसे से काम करने वाले हमारे तमाम साथियों को बखूब मालूम है कि हम कारपोरेट मीडिया के मुकाबले जनता का मीडिया कैसे गढ़ सकते हैं।


आप समझ लें कि हस्तक्षेप से बड़ी संख्या में ऐसे पेशेवर,अनुभवी और प्रतिबद्ध पत्रकारों का जुड़ाव शुरु से रहा है और हम इसे व्यापक बना रहे हैं।इसके अलावा जो बचे खुचे मंच हैं,उन्हें हम एक सूत्र में जोड़ भी रहे हैं।


हमारे सिपाहसालार आनंद स्वरुप वर्मा और पंकज बिष्ट अभी सक्रिय है और हम थोडा़ सा अतिरिक्त प्रयत्न करे तो हम यकीनन वैकल्पिक मीडिया का राष्ट्रीय नेटवर्क बना सकते हैं।इसमें फिर आपकी निर्णायक भूमिका है और आपके सहयोग के बिना हमारी कोई जमीन नहीं है,जिसपर हम पांव जमाकर चीख सकें पुरजोर।


हस्तक्षेप ने पिछले पास साल के दौरान रीयल टाइम जन सुनवाई और ब्रेकिंग न्यूज की दो तरफा चुनौती का मुकाबला करने की भरसक कोशिश की है।जिसके नतीजतन वैकल्पिक मीडिया के मोर्चे पर समकालीन तीसरी दुनिया,समयांतर,काउंटर करंट की मौजूदगी में हम निरंतर देश भर में कारपोरेट मीडिया के मुकाबले में व्यापक पैमाने पर तमाम ज्वलंत मुद्दों पर संवाद की स्थिति बानान में कमोबेश कामयाब होते रहे।


तीस तीस हजार फेस बुक लाइक तो अब तक हस्तक्षेप पर किसी भी न्यूज ब्रेक या किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर विश्लेषण को मिल ही जाते हैं।


पिछले ही साल गुगुल के मार्फत हम पचास लाख से ज्यादा पाठकों तक पहुंच रहे थे तो अब करीब दो करोड़ पाठकों तक हस्तक्षेप पर दर्ज हर चीख की गूंज पहुंच ही जाती है।इसके अलावा मीडिया कर्मियों की दुःख दर्द की खबरें अब दबती नहीं है।


फिरभी हम इस बढ़त को वैकल्पिक मीडिया आंदोलन को कारपोरेट मीडिया के मुकाबले खड़ा करने का कोई देशव्यापी आंदोलन उसीतरह खड़ा नहीं कर सके जैसे साठ से लेकर अस्सी दशक तक चरमोत्कर्ष पर रहे लघु पत्रिका आंदोलन को हमने कभी मुक्तबाजार की चुनौतियों के मुकाबले वैकल्पिक सूचनातंत्र में बदलने का कोई उद्यम नहीं कर सकें।


इस यथास्थिति को तोड़ने के लिए आप पहल करें तो हम यकीनन कामयाब होंगे।


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'চোর বললে গায়ে লাগে', অ্যাটাকিং মেজাজে মমতা अमित शाह के हस्तक्षेप से दीदी को राहत और भवानीपुर में कोई मुकाबला है नहीं बाकी बंगाल जीतने के लिए दीदी को मदद, अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने वोट भी कम काटे नहीं हैं।नतीजा फिर भी अधर में है। पार्क सर्कस में एक ही माला में गूंथ दिये गये बुद्धदेव और राहुल गांधी इस समीकरण को आखिरी मौके पर बदल नहीं सकते हालांकि बाकी दो चरणों में सत्तादल को अभी और कड़ी चुनौती मिलना तय है। दावों और चुनौतियों के बारे में रिजल्ट तो 19 मई को ही निकल पायेगा लेकिन मान लें कि अब आर पार की लड़ाई है और सत्तापक्ष या विपक्ष को कोई बहुमत अभी मिला नहीं है।वरना इतनी हिंसा,इतनी दहशत और एक एक इंच के लिए लड़ाई नहीं होती। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: मुक्त बाजार में अब फासीवाद का प्राणपाखी! अब सही मायने में बाजार में राष्ट्र की कोई भूमिका नहीं है और न लोकतंत्र और संविधान की कोई भूमिका बची है।कही कोई राष्ट्र नहीं है और न कोई राष्ट्रनेता हैं।सारे के सारे कारोबारी! सत्ता में वापसी के लिए वे खुद, उनके तमाम मंत्री,सांसद,विधायक और मेयर कटघरे में हैं तो ममता बनर्जी चीख चीख कर कह रही हैं कि बाकी राजनीतिक दलों की आय अघोषित स्रोतों से है और सभी ले रहे हैं तो हमने लिया तो क्या गुनाह कर लिया।यह सच है। पूंजी और खास तौर पर तो देश के सीधे मुक्तबाजार बनने के बाद अबाध है।नागरिकों की कोई स्वतंत्रता हो या न हो, मानवाधिकार सुरक्षित हो या न हो, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो या न हों,समता और न्याय ,सहिष्णुता और बहुलता,भ्रातृत्व और बंधुत्व,धर्मनिरपेक्षता हो न हो,कानून का राज हो न हो,संविधान के प्रावधानों को लागू किया जाये या न किया जाये,लोकतंत्र रहे या भाड़ में जाये, देशी विदेशी पूंजी स्वतंत्र है और उसके लिए तमाम दरवाजे और खिड़कियां खुल्ला रहे ,इसलिए अश्वमेधी वैदिकी हिंसा के जनसंहारी घोड़े और घुड़सवार देश के खेत खलिहान रौंदते हुए अभूतपूर्व विकास कर
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'চোর বললে গায়ে লাগে', অ্যাটাকিং মেজাজে মমতা

अमित शाह के हस्तक्षेप से दीदी को राहत  और भवानीपुर में कोई मुकाबला है नहीं

बाकी बंगाल जीतने के लिए दीदी को मदद, अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने वोट भी कम काटे नहीं हैं।नतीजा फिर भी अधर में है।

पार्क सर्कस में एक ही माला में गूंथ दिये गये बुद्धदेव और राहुल गांधी इस समीकरण को आखिरी मौके पर बदल नहीं सकते हालांकि बाकी दो चरणों में सत्तादल को अभी और कड़ी चुनौती मिलना तय है।

दावों और चुनौतियों के बारे में रिजल्ट तो 19 मई को ही निकल पायेगा लेकिन मान लें कि अब  आर पार की लड़ाई है और सत्तापक्ष या विपक्ष को कोई बहुमत अभी मिला नहीं है।वरना इतनी हिंसा,इतनी दहशत और एक एक इंच के लिए लड़ाई नहीं होती।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला टीवी 24 घंटा चैनल की खबरों पर गौर करेंः

জোট আসছে সরকারে, কনফিডেন্ট রাহুল-বুদ্ধ দুজনেই, বঙ্গ রাজনীতিতে গড়ল ইতিহাস

জোট আসছে সরকারে, কনফিডেন্ট রাহুল-বুদ্ধ দুজনেই, বঙ্গ রাজনীতিতে গড়ল ইতিহাস

বাংলার রাজনীতির ইতিহাসে জুড়ে গেল আরও একটা তারিখ। পার্ক সাকার্সে একইমঞ্চে রাহুল গান্ধী-বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য। তৃণমূলকে হঠাতে দুদল জোট গড়েছিল আগেই। আজ পূর্ণ হল বৃত্ত। একমঞ্চ থেকে লাল-তেরঙ্গার জোট সরকার গঠনের ডাক দিলেন বুদ্ধ-রাহুল।



भवानीपुर में वैसे भी कांग्रेस वाम गठबंधन का दीदी से कोई मुकाबला नहीं है।इस इलाके में बड़ी संख्या में सिखों और हिंदीभाषियों के वोटर हैं जो कांग्रेस के हक में नहीं हैं।भाजपा की यहां बढ़त रही है और आज डायमंड हार्बर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की चुनाव रैली से दीदी के पेट में तितलियां उड़ रही हैं,ऐसा नहीं कह सकते ।शाम को अमित शाह के भवानीपुर में नेताजी वंशधर भाजपा प्रत्याशी चंद्र कुमार बोस के हक में चुनाव सभा को संबोधित करने की खबर है।अमित शाह की भवानीपुर में होने वाली इस चुनावी रैली को काफी अहम माना जा रहा है. राष्ट्रीय स्तर के नेता अब तक भवानीपुर में ममता बनर्जी के खिलाफ प्रचार करने से दूर ही रहे हैं.


इसके उलट अमित शाह के हस्तक्षेप से दीदी को राहत मिली है कि वोटों का ध्रूवीकरण भवानी पुर में नहीं होना है और तिकोने मुकाबले में दीदी को हराना नामुमकिन हैं।बाकी बंगाल जीतने के लिए अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने वोटभी कम काटे नहीं हैं।नतीजा फिर भी अधर में है।


बहरहाल धार्मिक ध्रूवीकरण के मकसद से घुसपैठ रोकने का वायदा करके दीदी को अल्पसंख्यकों को वोट बटोरने का मौका दे दिया शाह ने।


अमित शाह ने बुधवार को दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी विकास के वादे भूल गईं। उनके शासनकाल में राज्य में एक भी नया उद्योग नहीं स्थापित हुआ बल्कि बंद हुए हैं। यहां उद्योग के नाम पर सिर्फ बम बनाने का कारखाना लगा है। यहां चहुंओर बम बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में उन्होंने बंगालमें परिवर्तन की नई लहर लाने का आह्वान किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि बंगालमें भाजपा की सरकार बनी तो बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ पर रोक लगेगी। एक भी घुसपैठिया बांग्लादेश से पश्चिमबंगालमें नहीं घुस पाएगा।


ভবানীপুরে দাঁড়িয়েই মমতাকে হারানোর ডাক দিলেন অমিত শাহ

By: ABP Ananda Web Desk | Last Updated: Wednesday, 27 April 2016 10:10 PM

ভবানীপুরে দাঁড়িয়েই মমতাকে হারানোর ডাক দিলেন অমিত শাহ

কলকাতা: মমতার গড় ভবানীপুরে দাঁড়িয়েই এবার মমতাকে হারানোর ডাক দিলেন অমিত শাহ। শনিবার দক্ষিণ কলকাতায় ভোট। তার আগে ভোট প্রচারের সভার জন্য তৃণমূলনেত্রীর কেন্দ্র ভবানীপুরকেই বেছে নেন বিজেপির সর্বভারতীয় সভাপতি। উপস্থিত জনতার উদ্দেশ্যে অমিত শাহ বলেন, আপনাদের বলছি, একটা সিট আমাদের দিন। ভবানীপুর দিন। তাতেই পরিবর্তন হয়ে যাবে।

সেখানে দাঁড়িয়েই উড়ালপুল বিপর্যয় থেকে সিন্ডিকেটের মতো ইস্যুতে মমতার সরকারকে আক্রমণ করেন তিনি। বলেন, উড়ালপুল ভেঙে পড়ল, মমতা বলছে সিপিএম শুরু করেছে। ৫ বছরে আপনি কী করলেন। ৭ বার রিভিউ করেছেন। কাজ করেছেন আপনার সিন্ডিকেটের লোকেরা।



उनकी सत्ता में वापसी होगी या नहीं,कहना मुश्किल है लेकिन उनकी मौजूदा मुख्यमंत्री हैसियत और हर मौके पर अपने वोटरों के साथ खड़े होते रहने के रिकार्ड के मुकाबले बहिरागत दीपा दासंमुशी या नेताजी वंशज चंद्र बोस के लिए उन्हें हराना संभव नहीं है।


पार्क सर्कस में एक ही माला में गूंथ दिये गये बुद्धदेव और राहुल गांधी इस समीकरण को आखिरी मौके पर बदल नहीं सकते हालांकि बाकी दो चरणों में सत्तादल को अभी और कड़ी चुनौती मिलना तय है।


गौरतलब है कि राजनीतिक भाईचारे का एक दुर्लभ दृश्य पेश करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को माकपा के अनुभवी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य के साथ मंच साझा किया। 'बंगालबचाने' के लिए कांग्रेस-वाम गठबंधन जिंदाबाद के नारों के बीच राहुल गांधी, बुद्धदेब भट्टाचार्य का हाथ पकड़े नजर आए। 'यह इतिहास में दुर्लभ दृश्य है' दोनों दलों के समर्थक गठबंधन के पक्ष में नारे लगा रहे थे, और इस दौरान भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में दो बार कहा 'प्रिय राहुल गांधी।'


दीदी ने दावा किया है कि उन्हें अब तक हुए चुनाव में बहुमत मिल गया है तो विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र ने दो सौ सीटें जीत लेने का दावा किया है।पलटकर दीदी ने वाम कांग्रेस गठबंधन को महज बीस सीटें जीत कर दिखाने की चुनौती दी है।दावों और चुनौतियों के बारे में रिजल्ट तो 19 मई को ही निकल पायेगा लेकिन मान लें कि अब  आर पार की लड़ाई है और सत्तापक्ष या विपक्ष को कोई बहुमत अभी मिला नहीं है।वरना इतनी हिंसा,इतनी दहशत और एक एक इंच के लिए लड़ाई नहीं होती।


दीदी को घेरने का कोई बंदोबस्त वाम कांग्रेस गठबंधन नहीं कर पाया है और भवानीपुर में उनके फंसे न होने की वजह से बहुत फर्क पड़ने वाला है।दीदी के खेमे में उनके अलावा सिपाहसालार बहुत हैं लेकिन लड़ाई के मैदान में विपक्ष से लोहा लेने का जिगर किसी और में नहीं है।दीदी को भवानीपुर में घेर लेते तो मैदान में फिर दूसरा कोई नेता सत्तापक्ष का न होता जो इस कुरुक्षेत्र में चक्रव्यूह को तोड़ने का मंत्र जानता हो।दीदी पूरे बंगाल में दौड़ती रही हैं और घटती लोकप्रियता,शारदा से नारदा तक के विवादों की वजह से घटती साख के बावजूद तीखा तेवर बनाये हुए हैं और इससे सत्तापक्ष का मनोबल बहुत बुलंद है।यह परणनीति कारगर भी साबित हो सकती है।


गौरतलब है कि दीदी नारदा स्टिंग को अब झूठ साबित करने में वक्त जाया नहीं कर रही है और रिश्वतखोरी को अनुदान और चंदा साबित करने लगी हैं और फंसे हुए सांसदों,मंत्रियों,विधायकों और मेयरों का बचाव कर रही है और उनके समर्थक इससे बेहद खुश है।जबकि लोकसभा एथिक्स कमेटी और अदालती फैसले आने में अभी देर है।केंद्र सरकार शारदा की तरह नारदा मामले में जांच करवाने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं कर रही है तो संसद में तृणमूल संघ परिवार का तरणहार है।


जाहिर है कि समर्थकों का हौसला बुलंद रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिर  फिर चुनाव आयोग और कांग्रेस-वाममोर्चा के चुनावी तालमेल पर तीखा वार किया। उन्होंने बंगालमें गठबंधन राज समाप्त होने का दावा किया और कहा कि कांग्रेस और माकपा, दोनों पार्टियां सूचना पट्ट में परिवर्तन हो जाएंगी। माकपा के राज्य सचिव सूर्यकान्त मिश्रा के जीत संबंधित दावे पर कटाक्ष करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि बंगालमें गठबंधन नहीं टिकेगा। अब वाममोर्चा ही नहीं रहेगा। विधानसभा चुनाव के बाद माकपा और कांग्रेस सूचना पट्ट बन कर रह जाएगी।


हालांकि पश्चिम बंगालसे तृणमूल कांग्रेस को हटाने के उद्देश्य से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य एक मंच पर आये। एक सुर से 'तृणमूल हटाओ, भाजपा हटाओ' का आह्वान करते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगालमें अगली सरकार कांग्रेस व वामपंथी पार्टियों की बनेगी। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सारधा घोटाले में आम लोगों का पैसा लूटा गया। भ्रष्टाचार हुआ है, लेकिन ममता बनर्जी ने एक भी शब्द नहीं कहा। कोई कार्रवाई नहीं की. नरेंद्र मोदी व ममता ने रोजगार का वादा किया था, लेकिन वह वादा नहीं पूरा गया।


पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वयोवृद्ध नेता बुद्धदेब भट्टाचार्य और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगालसे ममता बनर्जी सरकार को हटाने और राज्य को बचाने का बुधवार को आह्वान किया। यहां पार्क सर्कस मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल और बुद्धदेब ने कहा कि बनर्जी सरकार पर जमकर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन राज्य में सत्ता में काबिज होगा। भट्टाचार्य ने कहा, "आप इस गठजोड़ का महत्व अच्छी तरह समझ सकते हैं। देश के राजनीतिक इतिहास में यह एक दुर्लभ गठजोड़ है।"


वैसे अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंदेर मोदी के नख्शेकदम पर दीदी के राजकाज को निशाना बांधा और भाजपा वोटरों को यकीन दिलाया कि भाजपा ही एकमात्र विकल्प है तो दीदी के शासनकाल में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।लेकिन अमित शाह के इन अतुल्य बोल का दीदी की सेहत पर कोई बुरा असर बी होने नहीं वाला है।


बहरहाल पश्चिम बंगालमें पांचवें चरण के चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और माकपा-कांग्रेस गठजोड़ पर हमला किया। शाह ने डायमंड हार्बर में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम बदल दिये और उन्हें राज्य सरकार की योजनाएं बता रही हैं। जन धन योजना के तहत केंद्र सरकार की दो रुपये प्रति किलोग्राम चावल की योजना को बंगालसरकार अपनी योजना बता रही है, जबकि केंद्र सरकार ने इस बाबत 27 रुपये प्रति किलो सब्सिडी दे रही है।


दीदी ने एरकमुश्त इन आरोपों का जवाब देते हुए आज भी बेहद आक्रामक तेवर अपनाया है।इसी सिलसिले में 24 घंटे की खबर हैः

'চোর বললে গায়ে লাগে', অ্যাটাকিং মেজাজে মমতা

ওয়েব ডেস্ক: ষষ্ঠদফা ভোটের আগেঅ্যাটাকিং মেজাজে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।  সরাসরি অভিযোগ তুললেন সিপিএম, কংগ্রেস , বিজেপি আঁতাঁতের। বেহালার সভায় বললেন,অন্যায় করলে  চড় খেতে রাজি তিনি। তবে চোর অপবাদ সহ্য করবেন না।


'চোর বললে গায়ে লাগে'

কখনও সারদা, কখনও নারদ। ভোটপ্রচারে তৃণমূলের বিরুদ্ধে দুর্নীতিকেই হাতিয়ার করছে বিরোধীরা। মহেশতলা আর বেহালার  প্রচারে গিয়ে দুর্নীতি নিয়ে সিপিএম, কংগ্রেস বিজেপিকে পাল্টা বিঁধলেন তৃণমূলনেত্রী।

মমতার পাল্টা তোপ

তৃণমূলে নেত্রীর তোপ, অজানা সূত্রের আয় নিয়ে জবাব দিতে না পেরেই নারদ ইস্যু খুঁচিয়ে তুলছে বিরোধীরা।

অভিযোগ আঁতাঁতের

তৃণমূলে নেত্রীর অভিযোগ তৃণমূলকে রুখতে এক হয়েছে সিপিএম-কংগ্রেস-বিজেপি।

इसी बीच आनंदबाजार की खबरें हैंः


হালিশহরের সেই শিশুটির পাশে দাঁড়ালেন দীনেশ, অস্বস্তি বাড়ল তৃণমূলের

রাজ্যে বিধানসভা ভোটপর্ব চলার মধ্যেই তৃণমূল কংগ্রেসকে কিছুটা অস্বস্তিতে ফেলে দিলেন দলের এক সাংসদ দীনেশ ত্রিবেদী।



আত্মবিশ্বাস হারাচ্ছেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়?

নির্বাচন কমিশনের উদ্দেশে চ্যালেঞ্জের সুরটা বেঁধে দিয়েছিলেন নিজেই। সোমবার তিনিই বেঁধে দিয়েছিলেন। মঙ্গলবার তাকে আরও চড়া করলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

সম্পাদকের পছন্দ

পুলিশ নিরপেক্ষ হতেই দিদির মুখে ভূতের নাম

বুকে ব্যথা নিয়ে মদন ফের ভর্তি পিজিতে

হাওড়ায় ছাপ্পা নিয়ে রিপোর্ট চায় কমিশন, নেতা নির্বিকার

নতুন মন্ত্রিসভায় একজন উপমুখ্যমন্ত্রী থাকছেন, স্পষ্ট ইঙ্গিত অধীরের


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मुक्त बाजार में अब फासीवाद का प्राणपाखी! अब सही मायने में बाजार में राष्ट्र की कोई भूमिका नहीं है और न लोकतंत्र और संविधान की कोई भूमिका बची है।कही कोई राष्ट्र नहीं है और न कोई राष्ट्रनेता हैं।सारे के सारे कारोबारी! सत्ता में वापसी के लिए वे खुद, उनके तमाम मंत्री,सांसद,विधायक और मेयर कटघरे में हैं तो ममता बनर्जी चीख चीख कर कह रही हैं कि बाकी राजनीतिक दलों की आय अघोषित स्रोतों से है और सभी ले रहे हैं तो हमने लिया तो क्या गुनाह कर लिया।यह सच है। पूंजी और खास तौर पर तो देश के सीधे मुक्तबाजार बनने के बाद अबाध है।नागरिकों की कोई स्वतंत्रता हो या न हो, मानवाधिकार सुरक्षित हो या न हो, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो या न हों,समता और न्याय ,सहिष्णुता और बहुलता,भ्रातृत्व और बंधुत्व,धर्मनिरपेक्षता हो न हो,कानून का राज हो न हो,संविधान के प्रावधानों को लागू किया जाये या न किया जाये,लोकतंत्र रहे या भाड़ में जाये, देशी विदेशी पूंजी स्वतंत्र है और उसके लिए तमाम दरवाजे और खिड़कियां खुल्ला रहे ,इसलिए अश्वमेधी वैदिकी हिंसा के जनसंहारी घोड़े और घुड़सवार देश के खेत खलिहान रौंदते हुए अभूतपूर्व विकास कर

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मुक्त बाजार में अब फासीवाद का प्राणपाखी!


अब सही मायने में बाजार में राष्ट्र की कोई भूमिका नहीं है और न लोकतंत्र और संविधान की कोई भूमिका बची है।कही कोई राष्ट्र नहीं है और न कोई राष्ट्रनेता हैं।सारे के सारे कारोबारी!

सत्ता में वापसी के लिए वे खुद, उनके तमाम मंत्री,सांसद,विधायक और मेयर कटघरे में हैं तो ममता बनर्जी चीख चीख कर कह रही हैं कि बाकी राजनीतिक दलों की आय अघोषित स्रोतों से है और सभी ले रहे हैं तो हमने लिया तो क्या गुनाह कर लिया।यह सच है।


पूंजी और खास तौर पर तो देश के सीधे मुक्तबाजार बनने के बाद अबाध है।नागरिकों की कोई स्वतंत्रता हो या न हो, मानवाधिकार सुरक्षित हो या न हो, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो या न हों,समता और न्याय ,सहिष्णुता और बहुलता,भ्रातृत्व और बंधुत्व,धर्मनिरपेक्षता हो न हो,कानून का राज हो न हो,संविधान के प्रावधानों को लागू किया जाये या न किया जाये,लोकतंत्र रहे या भाड़ में जाये, देशी विदेशी पूंजी स्वतंत्र है और उसके लिए तमाम दरवाजे और खिड़कियां खुल्ला रहे ,इसलिए अश्वमेधी वैदिकी हिंसा के जनसंहारी घोड़े और घुड़सवार देश के खेत खलिहान रौंदते हुए अभूतपूर्व विकास कर रहे हैं।जिसे हम नरसंहार कहते हैं या किसानों की थोक आत्महत्या समझते हैं या मेहनतकशों का सफाया और एकाधिकारवादी पितृसत्ता भी कह सकते हैं।

मुक्त बाजार के खिलाफ लड़ाई फिर जनता के मोर्चे के बिना असंभव है।कृपया इसे समझें और जनता की गोलबंदी के लिए जो भी कुछ हम कर सकते हैं,तुरंत शुरु करें वरना जो मारे जा रहे हैं,उनके तुंरत बाद हमारी बारी भी मारे जाने की हो ही सकती है।

पलाश विश्वास

अब लगभग तय है कि मुक्तबाजारी साम्राज्यवाद के ग्लोबल लीडर बनने के लिए मुकाबला मैडम हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच है।नतीजा चाहे कुछ हो,न अमेरिका और न बाकी दुनिया में इंसानियत या कायनात के लिए कोई अच्छी खबर निकलने के आसार हैं।


डोनाल्ड महाशय सिर्फ खाकी हाफ पैंट पहनते हैं  या नहीं,सिर्फ यही पता नहीं है और बाकी वे मुकम्मल बजरंगी हैं।जाहिर है कि उनके अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से ग्लोबल हिंदुत्व की ही जय जयकार होगी जैसी जय जयकार फिलहाल हम केसरिया भारत  एक दस दिगंत में सुनने को अभ्यस्त है।


हिलेरी मैडम जीतें और अमेरिका की पहली राष्ट्रपति बनें तो इससे पितृसत्ता की सेहत पर वैसे ही कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है जैसे भारत की राष्ट्रपति मैडम प्रतिभा पाटील के पांच साला कार्यक्रम का भारतीय अनुभव है।


ट्रंप और मैडम हिलेरी,दोनों के अमेरिका के जायनी शक्ति केंद्र से बेहत घनिष्ठ रिश्ते हैं और ट्रंप हार भी जाये तो हिंदुत्व के ग्लोबल एजंडे को अमेरिका का समर्थन जारी रहेगा तबतक ,जबतक न भारत अमेरिकी मुक्तबाजार का उपनिवेश बना रहे।


ट्रंप अमेरिका के बिल्डर टायकून हैं और उनके जैसे धनकूबेर के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर यह घटना भविष्य में भारतीय लोकतंत्र के लिए संभावनाओं के नये दरवाजे खोल सकते हैं।


वैसे भी भारत में आल इंडिया बिजनेस पार्टी बन चुकी है और फिलहाल इसके बारे में कुछ ज्यादा खुलासा हुआ नहीं है।फिर राजकाज का मतलब ही भारतीय मुक्तबाजार में बिजनेस है तो जाहिर है कि राजनीतिक दलों को सालाना भारी भरकम चंदा देकर कमसकम पांच साल के लिए उनके बिजनेस बंधु कारोबार का मोहताज होने के बजाय भारत में भी कोई ट्रंप सीधे सत्ता की कमान संभाल लें।


जैसे धनपशुओं और बाहुबलियों की भूमिका भारतीय राजनीति में आजादी से पहले ही शाश्वत सत्य रहा है और वही रघुकुल रीति चली आ रही है और वर्तमान परिदृश्य में अबाध पूंजी के रंगभेदी राजधर्म में पशुबल और धनबल की भूमिका प्रत्यक्ष स्वदेशी विनियोग है।फिर राजनीति अब पेशा है और चुनावों के हलफनामे में भी इस पेशे की बाबुलंद ऐलान होने लगा है।


पेशेवर राजनीति में पूंजी अपने घर से लगायी जाये,फिलहाल ऐसी रीति चली नहीं है।


पराया माल बटोरकर करोड़पति अरबपति खरबपति बनने में भारतीय राजनीति की दक्षता और कुशलता को हम आम मूढ़मति जनगण भ्रष्टाचार दुराचार वगैरह वगैरह कहा करते हैं।


पूंजी और खास तौर पर तो देश के सीधे मुक्तबाजार बनने के बाद अबाध है।नागरिकों की कोई स्वतंत्रता हो या न हो, मानवाधिकार सुरक्षित हो या न हो, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हो या न हों,समता और न्याय ,सहिष्णुता और बहुलता,भ्रातृत्व और बंधुत्व,धर्मनिरपेक्षता हो न हो,कानून का राज हो न हो,संविधान के प्रावधानों को लागू किया जाये या न किया जाये,लोकतंत्र रहे या भाड़ में जाये, देशी विदेशी पूंजी स्वतंत्र है और उसके लिए तमाम दरवाजे और खिड़कियां खुल्ला रहे ,इसलिए अश्वमेधी वैदिकी हिंसा के जनसंहारी घोड़े और घुड़सवार देश के खेत खलिहान रौंदते हुए अभूतपूर्व विकास कर रहे हैं।जिसे हम नरसंहार कहते हैं या किसानों की थोक आत्महत्या समझते हैं या मेहनतकशों का सफाया और एकाधिकारवादी पितृसत्ता भी कह सकते हैं।


सच यह है कि आजादी के बाद से सत्ता जिस वर्ग की पुश्तैनी विरासत है,सियासत उनके लिए बेलगाम मुनाफावसूली है और तमाम किस्म के घोटाले उनके जन्म सिद्ध अधिकार है।पहले अखबार पढ़ने वाले कम थे और अखबार सर्वत्र पहुंचते न थे।इसलिए बहुत हल्ला होने के बावजूद कहीं किसी कोे फर्क नहीं पडा़ और अबाध लूटतंत्र जारी रहा।अब सूचना महाविस्फोट,लाइव हजारों चैनल और सोशल मीडिया के शोर की वजह से औचक लग रहा है कि बहुत अजूबा हो रहा है और यकबयक सारे राजनेता भ्रष्ट हो गये हैं और पहले राजनीति दूध से दुली हुई थी।


आर्थिक सुधार लागू होने से पहले भारत केस्वतंत्र होने के तुरंत बाद रक्षा ब्यय बेलगाम रहा और पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्दों के बाद हथियारों की होड़ देशभक्ति का पर्याय हो गया और शुरु से लेकर अब तक सत्ता वर्ग का कमाने खाने का जरिया यह अंध राष्ट्रवाद है।सरहदों पर बहादुर जवान अपनी कुर्बानी देते रहें और जनता बच्चों की तरह देशभक्ति के गीत गाते रहे और रक्षा सौदों के अबाध कारोबार के जरिये सत्ता पर वर्चस्व कायम रहे।


अब तक किसी रक्षा घोटाले में किसी को सजा होने की कोई नजीर नहीं है।पर्दाफाश और हो हल्ला का सिलसिला बराबर जारी है।

आयात निर्यात,आपदा प्रबंधन,जनकल्याण,निर्माण विनिर्माण से लेकर खेलकूद तक कोई सेक्टर बाकी नहीं बचा है।संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण विनिवेथ के तहत सत्ता वर्ग विकास के नाम पूरा देश नीलमा कर रहा है और हर सौदे में,हर फैसले में कमीशन कितना मिला है, किसी को अता पता नहीं है।


इन दिनों कोलकाता में हंगामा रोज रोज नारदा स्टिंग के तहत आंखों देखी रिश्वतखोरी मामले में मुखयमंत्री ममता बनर्जी के रोजाना बदलते आक्रामक इकबालिया बयान से बरप रहा है।


सत्ता में वापसी के लिए वे खुद, उनके तमाम मंत्री,सांसद,विधायक और मेयर कटघरे में हैं तो ममता बनर्जी चीख चीख कर कह रही हैं कि बाकी राजनीतिक दलों की आय अघोषित स्रोतों से है और सभी ले रहे हैं तो हमने लिया तो क्या गुनाह कर लिया।यह सच है।


थोडा़ सच का सामना करें तो उनकी यह दलील उतनी नाजायज भी नहीं है।हम भारतीय नागरिक जन्मजात राजनीतिक कारोबार और मुनाफावसूली के अभ्यस्त हैं और राजनीतिक फैसले से हमारी तमाम जरुरतों,सेवाओं और रोजमर्रे की जिंदगी प्रभावित होती है तो गादार हो या बेदाग,हमारी सहज प्रवृत्ति सत्ता के साथ नत्थी होकर खाल बचाने की है और यही लोकतंत्र है ,जहां विवेक बहुत काम नहीं करता है और हम अमूमन देखते हैं कि जिसे हम हारा हुआ समझते हैं,जीतता वही है।


दुनियाभर में नफरत उगलते डोनाल्ड ट्रंप के बोल निंदा के विषय रहे हैं और खुद उनकी पार्टी में ही उनका विरोध हो रहा है।फिरभी वे अमेरिका राष्ट्रपति बनने के प्रबल दावेदार हैं वैसे ही देशभर में गुजरात नरसंहार के लिए लगभग अस्पृश्य से समझे जाते रहे किसी नरेंद्र भाई मोदी को हमने पलक पांवड़े पर बिठा दिया है और उनकी मन की बातों से ही तय होता है हमारा भूत भविष्य और वर्तमान।वे हमारे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं तो प्रबल जन समर्थन और बहुमत के अटूट समर्थन से वे अतीत और इतिहास भी बदलने लगे हैं।



हम बार बार कहते लिखते रहे हैं कि फासीवाद कोई किसी एक राष्ट्र का मामला नहीं है।मुक्त बाजार में अब फासीवाद का प्राणपाखी है।अब सही मायने में बाजार में राष्ट्र की कोई भूमिका नहीं है और न लोकतंत्र और संविधान की कोई भूमिका बची है।कही कोईराष्ट्र नहीं है और न कोई राष्ट्रनेता हैं।सारे के सारे कारोबारी हैं।


सही मायने में अंध राष्ट्रवाद हवा हवाई है और जमीन पर कोई राष्ट्र या राष्ट्रीयता की गुंजाइश ही नहीं है और सारे राजकाज वैश्विक इशारे सेतय होते हैं और वे ही वैश्विक इशारे ईश्वर के वरदहस्त है। मुक्तबाजार में कोई राष्ट्र नहीं बचा है और ग्लोबल आर्डर की कठपुतलियां है तमाम सरकारें।जिस जनादेश के निर्माण की खुशफहमी में सराकर बनाने या गिराने की कवायदें हम करते रहे हैं,वे सिरे से बेमतलब है क्योंकि सरकारें कहीं और बनती हैं।


हमारी बात समझ में नहीं आ रही है और आप इसे अपनी अपनी राजनीति,वर्गीयहित और जाति धर्म के अवस्थान के हिसाब से बाशौक खारिज कर सकते हैं।


हिंदुस्तान की बात हम करेंगे और हिंदुत्व की बात हम करेंगे तो बहुमत सुनने के लिए कतई तैयार न होगा और हमारे खिलाफ राष्ट्रविरोधी हिंदूविरोधी फतवा लागू हो जायेगा।गनीमत है कि देश के धर्मोन्मादी मुक्ताबाजार बनने से बहुत पहले हमने अपनी पढ़ाई लिखाई 1979 में पूरी कर ली और वे हमें किसी विश्वविद्यालय से निस्कासित नहीं कर सकते।


हो सकें तो अमेरिका में लोकतंत्र के उत्सव पर नजर रखें तो समझ में आ जायेगा कि मुक्तबाजार जनादेश कैसे बनाता है और कैसे सरकारें बनती हैं।


इस निरंकुश ग्लोबल मनुस्मृति अनुशासन को तोड़ने के लिए हम सत्तर के दशक से जनता की सत्ता के खिलाफ मोर्चाबंदी की बात कहते और लिखते रहे हैं और हम जैसे मामूली हैसियत वाले की आवाज कहीं पहुंची नहीं है।


जैसे गांधी ने कहा था कि विकास का यह फर्जीवाड़ा पागल दौड़ है,अब जस कातस हम ऐसा मान नहीं सकते,जैसे हम इस निरंकुश सत्ता को हिटलर शाही भी मान नहीं सकते।यह सीधे तौर पर नागरिकों के वध की वैदिकी हिंसा है और मुक्त बाजार में यह जायज है तो सत्ता वर्ग का जन्मसिद्ध अधिकार भी है।


मुक्त बाजार के खिलाफ लड़ाई फिर जनता के मोर्चे के बिना असंभव है।कृपया इसे समझें और जनता की गोलबंदी के लिए जो भी कुछ हम कर सकते हैं,तुरंत शुरु करें वरना जो मारे जा रहे हैं,उनके तुंरत बाद हमारी बारी भी मारे जाने की हो ही सकती है।

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भाजपा बांग्लादेश से आने वाले हर शरणार्थी को नागरिकता देगी? ২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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भाजपा बांग्लादेश से आने वाले हर शरणार्थी को नागरिकता देगी?


২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

बांग्ला टीवी चैनल 24 घंटा की खबर हैः

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের মধ্যে বাংলাদেশ থেকে আসা প্রতি ব্যক্তিকে নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার। ঘোষণা কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংয়ের। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার আমতলার কলোনি ফুটবল মাঠে নির্বাচনী সভায় ভাষণ দেন রাজনাথ। সেখানেই তাঁর ঘোষণা, বাংলাদেশ থেকে আসা ব্যক্তিদের বৈধ নাগরিকের অধিকার দেবে কেন্দ্র।

রাজ্যে ষষ্ঠ দফা ভোটের আগে বিজেপির ভোট প্রচারে এসে এদিন কংগ্রেস-বাম জোটের সমালোচনাও করেন তিনি। তাঁর নিশানা থেকে বাদ পড়েনি তৃণমূল সুপ্রিম মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ও। সারদা ও নারদকাণ্ড নিয়ে এর আগেও তৃণমূলকে নিশানা করছে বিজেপি, প্রচারে এসে সেই স্টিংকেই হাতিয়ার করলেন কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিং।




भाजपा को बंगाल में कितनी सीटें मिलेंगी, इससे बड़ी पहेली है कि लोकसभा चुनाव में मिले वौटबैंक को संघ परिवार सही सलामत रख पायेगा या नहीं।वोटबैंक को सहीसलामत बनाये रखने के लिए अंतिम दो चरणों में संघ परिवार ने सारी ताकत झोंक दी है और दीदी के खिलाफ आल आउट अटैक शुरु कर दिया है।त हैरतअंगेज तरीके से गृहमंत्रकी ने आज हर बांग्लादेशी को नागरिकता देने की घोषणा भी कर दी।


अमित शाह ने दीदी के चुनाव क्षेत्र भवानीपुर की सभा में कहा कि सिर्प एक सीट भवानीपुर में ममता बनर्जी को हराने की जरुरत है तो बंगाल में आपेआप परिवर्तन हो जायेगा तो फिल्म स्टार रूपा गांगुली ने हावड़ा में उग्र तरीके से भाजपा को जिताने की हर चंद कोशिश करने के बाद भवानीपुर में खड़े होकर कहा दिया कि वे काजल और लिपस्टिक के साथ पूरा मेकअप करेंगी और राजनीति भी करेंगी।इसके साथ ही सीधे दीदी पर गरीबी की नौटंकी करने का आरोप लगाकर उनकी सादगी को फर्जी बता दिया और उनकी हवाई चप्पल की राजनीति को दुत्कार दिया।


इस पहेली में बंगाल में दीदी की सत्ता में वापसी होगी या नहीं,इस पहेली को सुलझाने की कुंजी है।गौरतलब है कि असम में घुसपैठियों के खिलाफ युद्ध घोषणा के बाद लोकसभा चुनाव के बतर्ज आखिरी दो चरणों के लिए संघ परिवार फिर हिंदुत्व का कार्ड खेलने लगा है।


कल अमित साह ने भी कहा कि बंगाल में भाजपा ही एकमात्र विकल्प है और भाजपा सत्ता में आयी तो बांग्लादेश से घुसपैठ बंद हो जायेगी।


आज भारत सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह  ने बांग्लादेश से 2014 तक भारत आये हर व्यक्ति को केंद्र सरकार भारत की नागरिकता देगी।गौरतलब है कि इन्हीं राजनाथसिंह ने असम की चुनाव सभाओं में कहा था कि केंद्र सरकार भारत-बांग्लादेशसीमा को सील करेगी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंहभी प. बंगाल में आयोजित चुनावी जनसभा में यही कह चुके हैं कि राज्य की सीमाओं पर बाड़ लगाई जाएगी।


असम के डिब्रूगढ़ जिले के दुलियाजान में एक रैली मेें राजनाथ ने कहा था कि कांग्रेस ने कभी भी असम में घुसपैठ को लेकर ध्यान नहीं दिया।अब वे हर बांग्लादेशी को नागरिकता का वादा कर रहे हैं।


असम में तब अमित शाह ने घोषणा की थी कि बांग्लादेश से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं को भाजपा नागरिकता देगी और घुसपैठियों को खदेड़ बाहर करेगी।


दक्षिण 24 परगना के आमतला में राजनाथ सिंह ने यह घोषमा की है जबकि संघ परिवार बांग्लादेश से आये मुसलमानों को घुसपैठिया मानता और बताता रहा है।पिछले कलोकसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्रित्व के केसरिया उम्मीदवार ने घुसपैठ के खिलाफ जिहाद का ऐलान करते हुए बांग्लादेश से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का वायदा किया था।


प्रधानमंत्री बनने के बाद वे इस वायदे को भूल गये थे और अबकी दफा बंगाल की चुनाव सभाओं में घुसपैठ और नागरिकता के मुद्दे से उन्होंने परहेज बनाया रखा।अब कल भवानीपुर में ममता बनर्जी की सरकार पलट देने का आवाहन करने वाले अमित शाह ने घुसपैठ बंद करना भाजपा काएजंडा बताया तो आज गृहमंत्री बांगालदेश से 2014 तक आये हर बांग्लादेशी को नागरिकता देने की घोषणा कर दी।


गौरतलब है कि 30 अप्रैल को कोलकाता,दक्षिण 24 परगना और हुगली जिले में वोट पड़ने हैं और कोलकाता छोड़कर अन्यत्र उतनी भारी संख्या में हिंदू बंगाली शरणार्थियों की बसावट नहीं है।उत्तर 24 परगना,नदिया और उत्तर बंगाल के तमाम जिलों में जहां बांग्लादेशी शरणार्थियों की तादादा काफी ज्यादा है,वहां घुसपैठ और नागरिकता के बजाय विकास के मुद्दे को छूते हुए ममता बनर्जी की सरकार पर निर्मम प्रहार की तमाम भाजपा नेताओं की रणनीति रही है।


दक्षिण 24 परगना ,कोलकाता और हुगली में मुसलमान वोटर निर्णायक हैं और हर बांग्लादेशी शरणार्थी को नागरिकता देने का वादा कहीं मुसलमानों से किया जा रहा वादा तो नहीं है या दक्षिण कोलकाता के हिंदू शरणार्थियों के वाम कांग्रेस वोटों को तोड़ने का खेल तो नहीं है।


इसके उलट असम में भाजपा विदेशी नागरिकों को चिन्हित करने के लिए असम समझौते के 1971 के आधार वर्ष तक को मानने को तैयार नहीं थी और उल्फा की तरह 1948 के बाद आये सभी बांग्लादेशियों को खदेड़ने की बात कर रही थी।

यहीं नहीं,भाजपा के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश को छोड़कर दुनियाभर के अब तक आये शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता कानून संशोधित भी कर दिया गया लेकिन बांग्लादेश से आये हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं किया।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगालमें विधानसभा चुनाव के पांचवे चरण के लिए प्रचार अभियान गुरुवार शाम समाप्त हो गया। चुनाव के इस अंतिम चरण में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई दिग्गज नेताओं का भविष्य दांव पर लगा है। दक्षिण 24 परगना, कोलकाता दक्षिण और हुगली जिलों में 53 विधानसभा क्षेत्रों में 43 महिलाओं सहित 349 उम्मीदवार मैदान में हैं। इन जिलों में शनिवार सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होगा जहां 1.2 करोड़ से अधिक मतदाताओं के लिए 14,500 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। सभी की नजरें दक्षिण कोलकाता में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र पर है जहां से तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं।


सबकी निगाहें महानगर की भवानीपुर सीट पर टिकी हैं। यहां मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं। वाममोर्चा-कांग्रेस गठजोड़ ने उनके खिलाफ बोउदी यानी कांग्रेस की दीपा दासमुंशी को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने दादा यानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस को। दो लाख से ज्यादा वोटरों वाला भवानीपुर मिली-जुली आबादी वाला इलाका है। यह इलाका नेताजी के अलावा जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और महान फिल्मकार सत्यजित रे का भी घर रहा है। इस सीट पर 11 उम्मीदवार अपनी किसमत आजमा रहे हैं।


गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर में सभा कर तृणमूल सुप्रीमो पर कड़ा प्रहार किये। उन्होंने वोटरों के मुखातिब दो टुक शब्दों में  कहा: हमें 150 सीटें नहीं, भवानीपुर की सीट देकर हम पर उपकार करें।


अमित शाह ने भवानीपुर में कहा कि भारत को अाजादी दिलाने वाले की भूमि है यह। यहीं (भवानीपुर) से हम बंगाल में असली परिवर्तन की शुरुआत करना चाहते हैं।  


बुधवार को भाजपा अध्यक्ष ने दो चुनावी रैलियों को संबोधित किया। सबसे पहले डायमंड हार्बर में सभा की।वहां  उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के साथ ही कांग्रेस-माकपा गंठबंधन पर कड़ा प्रहार किया। शाह ने कहा : राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजनाओं के नाम बदल दिये और उन्हें राज्य सरकार की योजनाएं बता रही है। केंद्र सरकार की दो रुपये प्रति किलोग्राम चावल की योजना को बंगाल सरकार अपनी योजना बता रही है, जबकि केंद्र सरकार ने इस बाबत  27 रुपये प्रति किलो सब्सिडी दे रही है।


 भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नेआरोप लगाया कि बंगाल में 'सिडिकेट राज'चल रहा है। विवेकानंद फ्लाइओवर गिरने के पीछे भी सिंडिकेट राज ही है। राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति दिनों- दिन बिगड़ रही है। महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।


उन्होंने माकपा-कांग्रेस के गंठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा : कांग्रेस और माकपा के बीच चुनावी समझौता 'जोट'नहीं वरन 'घोट है।बंगाल में ये दोनों पार्टियां आपस में समझौता कर रही हैं, जबकि केरल में लड़ाई कर रही हैं। वे लोग देखेंगे कि राज्यसभा में इन पार्टियों का रूख क्या रहता है।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगालमें चुनाव ने गर्मी और बढ़ा दी है। अब जब चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके है, तो तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के दोबारा सरकार गठन को लेकर कयास लगाए जाने लगे है। लेकिन शारदा स्कैम औऱ नारदा स्टिंग ऑपरेशन को देखते हुए ये राह इतनी आसान नहीं लगती, जितनी पिछले विधानसभा चुनाव में थी। आम लोगों की मानें तो ममता की छवि जनता के बीच बेहद साफ-सुथरी है। जनता अब तक यही मानती रही है के वो ईमानदार है, लेकिन इस बार शारदा और नारदा ने उनकी छवि को खराब किया है।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चिटफंड फर्जीवाड़ा के लिए मशहूर शारदा समूह से क़रीबी संबंध बताए गए थे। इस समूह पर घोटाले करने का आरोप है।

एबीपी आनंद खी खबरें हैंः


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পোস্টার ছিঁড়ে ঘুড়ি: ক্যানিংয়ে বালক নিগ্রহে গ্রেফতার তৃণমূল কর্মী

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ভোটের দিন ১৪৪ ধারা নিয়ে আক্রমণ মমতার

ভোটের দিন ১৪৪ ধারা নিয়ে আক্রমণ মমতার

কলকাতা: প্রচার শেষ হতেই লাগু ১৪৪ ধারা। বিরোধীদের দাবি, পঞ্চম দফার ভোটে উত্তর ২৪ পরগনা...

24 घंटा की खबरेंः


সিঙ্গুরের খবর, বেচারাম মান্না ঘনিষ্ঠরা এবার রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্যকে তৃণমূল প্রার্থী দেখতে চাননি!সিঙ্গুরের খবর, বেচারাম মান্না ঘনিষ্ঠরা এবার রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্যকে তৃণমূল প্রার্থী দেখতে চাননি!

কারখানা হয়নি। কৃষকরা জমিও ফেরত পাননি। প্রচারে নেমে ভোটারদের বারবার এই কথাটাই মনে করিয়ে দেওয়ার চেষ্টা করছেন বিরোধী দলের হেভিওয়েট প্রার্থী। আর মাস্টারমশাই বলছেন, মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ওপর এলাকার মানুষের আস্থা অটুট। তাই ভোটের ফল নিয়ে তাঁর কোনও মাথাব্যথা নেই। সিঙ্গুরের জমিতে ভোটের লড়াই এবার হাড্ডাহাড্ডি।

উত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি, সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেনউত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি, সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেন

উত্তর হাওড়ায় ভোট নিয়ে অখুশি রূপা গাঙ্গুলি। সেই নিয়ে এবার সরাসরি নির্বাচন কমিশনের কাছে নালিশ জানালেন তিনি।

পোলিং এজেন্টের কাজ করায় আক্রমণ, অভিযোগ সিপিএম কর্মীরপোলিং এজেন্টের কাজ করায় আক্রমণ, অভিযোগ সিপিএম কর্মীর

ভোট পরবর্তী হিংসা ছড়াল নৈহাটিতেও। আম্রপালী পল্লিতে এক পোলিং এজেন্টের ওপর চড়াও হয় দুস্কৃতীরা। ভাঙচুর করা হয় তাঁর বাড়ি। নির্বাচনে সিপিএমের পোলিং এজেন্টের কাজ করার জেরেই তিনি আক্রান্ত। দাবি সিপিএম

ভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহরভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহর

ভোট পরবর্তী হিংসায় উত্তপ্ত হালিশহর। রাতে ৭ নম্বর ওয়ার্ডের দত্তপাড়ায় ২ তৃণমূলকর্মীর ওপর হামলা। দলীয় কার্যালয় সংলগ্ন মাঠে বসে গল্প করার সময়েই আক্রান্ত হন পাপন সাহা ও সঞ্জয় দে নামে ২ যুবক। প্রত্যক্ষদর্শীরা জানিয়েছেন, হঠাত্‍ই একটি টোটোতে করে এলাকায় হানা দেয় ৫ দুষ্কৃতী।  নাম করে খোঁজ শুরু হয় পাপনের। বিপদের আঁচ পেয়ে  উর্ধবশ্বাসে দৌড়তে শুরু করেন পাপন। এরপরেই তাকে লক্ষ্য করে ৫ রাউন্ড গুলি চালায়  দুষ্কৃতীরা। পিঠে গুলি লাগায় মাটিতে লুটিয়ে পড়েন পাপন। এরপরেই পাপনের সঙ্গে থাকা সঞ্জয়ের মাথায় রিভলবারের বাঁট দিয়ে আঘাত করে দুষ্কৃতীরা। গুরুতর জখম হন তিনিও।

'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার'২০টি আসন পেয়ে দেখাক', জোটকে চ্যালেঞ্জ মমতার

"ওরা বলছে ২০০-এর কাছাকাছি আসন পাবে, ২০টি পেয়ে দেখাক", রায়দিঘিতে ভোট প্রচারে গিয়ে সরাসরি সিপিএম-কংগ্রেস জোটকে চ্যালেঞ্জ জানালেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বিরোধীদেরকে কটাক্ষ করে তিনি বলেন," তৃণমূলকে নিয়ে টানাটানি করবেন না। ভোটের পর বলবেন না, বাঁচাও বাঁচাও।

মালদায় নাবালিকাকে ৩ মাস ধরে ধর্ষণের অভিযোগ কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধেমালদায় নাবালিকাকে ৩ মাস ধরে ধর্ষণের অভিযোগ কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধে

ক্লাস ফাইভের ছাত্রীকে তিন মাস ধরে লাগাতার ধর্ষণের অভিযোগ উঠল কংগ্রেস নেতার বিরুদ্ধে। ঘটনাটি পুরাতন মালদার মহানন্দা কলোনির। অভিযুক্ত কমল মণ্ডল পলাতক।

ভোট মিটতেই 'আক্রান্ত'সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেওভোট মিটতেই 'আক্রান্ত'সিপিএম এজেন্ট থেকে কর্মী, হামলা যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতেও

যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপকের বাড়িতে হামলা চালাল দুষ্কৃতীরা। আক্রান্তের নাম প্রীতিকুমার রায়। বাড়ি নিউ বারাকপুরের মাসুমদায় অগ্রদূত সংঘের মাঠের পাশে। গতকাল রাত ১২টায় সেখানে হামলা চালায় জনা পনেরো দুষ্কৃতী। দুষ্কৃতীরা বাড়িতে ঢুকতে না পারলেও, বাইরের গেটের তালা ভাঙে। বাড়ির লোকের উদ্দেশে কটূক্তি ও বাইরে থেকে হুমকি চলতে থাকে। প্রীতিকুমার রায় দমদম উত্তর কেন্দ্রের বামপ্রার্থী তন্ময় ভট্টাচার্যের পোলিং এজেন্ট হয়ে বুথে বসেছিলেন।

ইস্যু ভোট, জুটমিলের দুই বিপরীত ছবি ২ জেলায়ইস্যু ভোট, জুটমিলের দুই বিপরীত ছবি ২ জেলায়

কারণ ভোট। আর তাই দুই জেলায় দুই বিপরীত ছবি। একদিকে উত্তর ২৪ পরগনা, আর অন্যদিকে হুগলী।



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बंगाल में अब कुछ भी संभव है,दीदी की हार भी असंभव नहीं! ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক घर घर की बेटी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील तो भूतों का काम भी तमाम! भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं। নেতাজি সংক্রান্ত আরও ২৫টি ফাইল প্রকাশ্যে আনল কেন্দ্র एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर! और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा। संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं। धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी! अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है। बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है। पलाश विश्वास
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बंगाल में अब कुछ भी संभव है,दीदी की हार भी असंभव नहीं!

ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক


घर घर की बेटी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील तो भूतों का काम भी तमाम!

भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं।

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কলকাতা ও নয়াদিল্লি: ভোটের মধ্যে নারদকাণ্ডে আরও তীব্র হল শাসক দলের অস্বস্তি। ফুটেজের...


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নজিরবিহীন নিরাপত্তায় ভোটারদের আস্থা বাড়াতে বদ্ধপরিকর কমিশন

নজিরবিহীন নিরাপত্তায় ভোটারদের আস্থা বাড়াতে বদ্ধপরিকর কমিশন

কলকাতার ৪টি সহ কাল দক্ষিণ চব্বিশ পরগনা ও হুগলির উনপঞ্চাশ আসনে ভোট। নিরাপত্তার চাদরে মুড়ে ফেলা হয়েছে দুটি জেলাই। টহল দিচ্ছে কেন্দ্রীয় বাহিনী। চলছে নাকা চেকিং। ভোটারদের আস্থা বাড়ানোর চেষ্টা করছেন কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা। পঞ্চম দফার ভোটের সাফল্যকেই হাতিয়ার করছে কমিশন। ষষ্ঠ দফাতেও অবাধ ও শান্তিপূর্ণ ভোট করানোই এখন চ্যালেঞ্জ। টার্গেট অবাধ ও সুষ্ঠু নির্বাচন। এই লক্ষ্যেই টহলদারিতে ব্যস্ত কেন্দ্রীয় বাহিনী। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার বিভিন্ন এলাকায় চলছে রুট মার্চ, এরিয়া ডমিনেশন। গাড়ি আটকে চলছে নাকা চেকিং। ভোটারদের আশ্বস্ত করার চেষ্ট করছেন কেন্দ্রীয় বাহিনীর জওয়ানরা।

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং  ২০১৪ সালের ডিসেম্বরের আগে ভারতে আসা বাংলাদেশিদের নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার: রাজনাথ সিং

২০১৪ সালের ডিসেম্বরের মধ্যে বাংলাদেশ থেকে আসা প্রতি ব্যক্তিকে নাগরিকত্ব দেবে কেন্দ্রীয় সরকার। ঘোষণা কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংয়ের। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার আমতলার কলোনি ফুটবল মাঠে নির্বাচনী সভায় ভাষণ দেন রাজনাথ। সেখানেই তাঁর ঘোষণা, বাংলাদেশ থেকে আসা ব্যক্তিদের বৈধ নাগরিকের অধিকার দেবে কেন্দ্র।


भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं।


अचानक संघ परिवार ने भवानीपुर में दीदी को हराने पर सारी ताकत झोंक दी है ,जहां उसे पिछले लोकसभा चुनाव में बढ़त हासिल हुई थी और वहां वोटर गुजराती मारवाड़ी और सिख काफी हैं जो भाजपा के समर्थ है तो शरणार्थियों के समर्थन के लिए कल गृहमंत्री ने हर बांग्लदेशी को नागरिकता देने का हैरतअंगेज ऐलान कर दिया है और इस ऐलान से मुसलमान वोटबैंक में सेंध लगाने का इंतजाम बी कर लिया जबकि असम में भाजपा ने 1971 के असम समझौते के आधार वर्ष के बजाय उल्फा की मांग मुताबिक घुसपैठियों की पहचान के लिए 1948 को आधार वर्ष बनाने और उसके बाद पूर्वी बंगाल से आये विभाजन पीड़ितों को खदेड़ने के ऐलान से हिंदू वोटों का ध्रूवीकरण करने की भरसक कोशिश की है।गृहमंत्री ने 2014 तक आये हर बांगलादेशी को नागरिकता देने का ऐलान किया तो आज नेताजी  फाइलें भी जारी कर दी।वहीं भवानीपुर की चुनाव सभा में अमित शाह ने इकलौती  भवानीपुर सीटजीतकर दीदी का तख्ता पलटने का ऐलान कर दिया और रुपा गांगुली ने दीदी की ईमानदारी पर ही सवालिया निशान लगा दिया है।सुबह वहीं मतदान होना है।


गौरतलब भवानीपुर में नेताजी के वंशज चंद्र कुमार बोस बतौर भाजपा उम्मीदवार मैदान में हैं।नेताजीसुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी फाइलोंको गोपनीयता सूची से हटाने के अभियान के तहत और 25 फाइलोंको शुक्रवार को सार्वजनिक कर दिया है। पिछले महीने मंत्री ने गोपनीयता सूची से हटायी गयी 50 फाइलोंको सरकारी वेब पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट नेताजीपेपर्स डॉट जाओवी डॉट इन पर सार्वजनिक किया था। इसी तरह नेताजीकी 119वीं जयंती के अवसर पर 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे जुड़ी करीब सौ फाइलेंसार्वजनिक की थीं।


हालांकि सरकार की दलील है कि नेताजीसे जुड़ी फाइलोंको गोपनीयता सूची से हटाकर उन्हें सार्वजनिक करने की प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है। इसे लोगों की लगातार की जा रही मांग के मद्देनजर सार्वजनिक किया जा रहा है ताकि वह इन्हें पढ़ सकें। इसके अलावा सार्वजनिक की गई ये फाइलेंस्वतंत्रता संग्राम का नेतत्व करने वाले सेनानियों पर आगे का शोध करने में उनकी मदद करेंगी। सार्वजनिक की गईं इन 25 फाइलोंकी खेप में 05 फाइलेंप्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से, 05 फाइलेंगृह मंत्रालय (एमएचए) से और 15 फाइलेंविदेश मंत्रालय (एमईए) से हैं। ये फाइलें 1956 से 2009 की अवधि से संबंधित हैं।


फिरभी मतलब साफ है कि भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।

 

2011 के विधानसभा चुनावों से पहले किसी को उम्मीद नहीं थी कि बंगाल में 35 साल के वाम शासन का इतना नाटकीय अवसान हो जायेगा।जबकि 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य को भारी बहुमत मिला था जिसके बूते उनने नंदीग्राम सिंगुर के जनविद्रोह को कुचलने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी क्योंकि उन्हें भूमि सुधार के बजाय कृषि संकट से निबटने के लिए औद्योगीकरण का रास्ता चुना।


गौरतलब है कि 2006 से लेकर 2011 तक वामपंथियों का नारा था,कृषि हमारा आधार है तो उद्योग हमारा भविष्य है।


बंगाल की जनता ने कवि सुकांत भट्टाचार्य के भतीजे ईमानदार बंगसंस्कृति के नायक को नंदीग्राम में जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण के लिए माफ नहीं किया और वे रातोंरात खलनायक बने गये।


गौरतलब है कि उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार या घोटाले का आरोप न के बराबर था और अमूमन वाम मंत्रियों,सांसदों और विधायकों की छवि साफ सुथरी थी।


फिर भी इकलौते जमीन के सवाल ने और भूमि सुधार के कार्यक्रम से विचलन ने अबाध पूंजी के राजमार्ग पर वाम भटकाव की वजह से बुद्धदेव बंगाल में वामशासन के अवसान का कारण बने।


तब बाजार की सारी ताकतें और बंगाल के बुद्धिजीवी परवर्तन के साथ खड़े थे तो माओवादी भी दीदी के हमसफर थे।


अब नैनो और रतन टाटा की विदाई के बाद बाजार,कारोबार और उद्योग जगत को हासिल कुछ नहीं हुआ और वे इस बीच दीदी के बजाये कांग्रेस वाम गठजोड़ की सरकार के विकल्प हक में है तो परिवर्तन ब्रिगेड भी दीदी के सिपाहसालारों के गले गले तक फंस और दंस जाने की वजह से नैतिक तौर पर उनके साथ होने के औचित्व के सवाल पर बिखर गया।


वहीं किशनजी को मुठभेड़ में मार गिराने और युधिष्छिर महतो को जेल में सड़ाने के लिए माओवादी भी दीदी के खिलाफ हैं।


दूसरी ओर,दक्षिण बंगाल में सांगठनिक रुप से सबसे ज्यादा मजबूत एसयूसी ने पिछली दफा दक्षिण बंगाल जीतने में बड़ी भूमिका निभाई थी और दीदी के जमीन आंदोलन में  वे भी खास लड़ाके थे।अब वे लोग और दूसरे लोग बी वामदलों के साथ खड़े हैं।


जाहिर है कि आज इतिहास फिर दोहराव की हालत में है।

गौरतलब है कि 1984 में सोमनाथ चटर्जी जैसे दिग्गज को हराकर लोकसभा में पहुंची ममता बनर्जी नंदीग्राम सिंगुर जनांदोलन के जरिये सत्ता में पहुंचने के बाद पिछले पांच साल के कार्यकाल में सादगी की छवि बनी रही।


वक्त बेवक्त जनता के बीच पहुंच जाने की उनकी राजनीति का करिश्मा ही नहीं बल्कि घर घर की बेटी की उनकी छवि कमोबेश बनी रही।

अब शारदा से नरदा के सफर में उनकी वह छवि बेहद धूमिल हो गयी है।हालत यह है कि जनपक्षधर सत्ताविरोधी ममता बनर्जी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील हैं तो फिल्म स्टार भाजपा नेता रुपा गांगुली ने उन्हींके चुनाव क्षेत्र में खुलेआम उन्हें चुनौती दे दी कि हवाई चप्पल पहनने से किसी की ईमानदारी साबित नहीं होती। राजनीति में कोई गरीब नहीं है।


भाजपा नेता रुपा गांगुली ने यह भी कहा कि काजल लिपस्टिक लगाने से कोई महाबारत अशुद्ध नहीं हो जाता और सती बने रहने से राजनीति जनपक्षधर बन नहीं जाती।


ममता बनर्जी के मंत्री सांसद जेल में गये और जेल से राजकाज चलता रहा।तमाम मंत्री और सांसद विधायक और मेयर,नेता और नेत्री शारदा मामले में कटघरे में हैं और कटघरे में हैं खुद ममता बनर्जी भी।लेकिन शारदा फर्जीवाड़ा मामला रफा दफा है और दीदी को आंच नहीं आयी।


उनने अपने भतीजे को उत्तराधिकारी बतौर सांसद बनाया तो इस पर किसी ने चूं तक नहीं किया।


माकपा नेता गौतम देब ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेस करके उनके परिजनो पर दक्षिण कोलकाता में बेशकीमती करोडो़ं की संपत्ति बनाने के आरोप लगाया तो भी कोई फर्क नहीं पड़ा।


फिर नारदा स्टिंग में उनके तमाम नेता सांसद मंत्री मेयर विधायक कैमरे के सामने घुस लेते देखे गये और पूरे देश में सवाल खड़े होने लगे ।उनके समर्थक फिर भी उनके साथ ही खड़े नजर आ रहे थे।


खास बात यह है कि शारदा मामले की तरह इस मामले में भी कोई आरोप साबित नहीं हो रहा था।


इन परिस्थितियों में सबको लग रहा था कि दीदी फिर भारी बहुमत से सत्ता में आनेवाली हैं।


मतदान सात चरणों में शुरु हुआ तो केंद्रीय वाहिनी की मौजूदगी और चुनाव आयोग के ऐहतियाती बंदोबबस्त से जो भारी मतदान हुआ और जिस तेजी से कांग्रेस वाम गठबंधन ने जमीनी स्तर पर सत्ता विरोधी हवा बना दी,उसके मुकाबले इकलौती घिरती जा रही  दीदी ने आक्रामक तेवर अपनाते हुए सिपाहसालारों से खुद को अलग दिखाने के चक्कर में मान लिया कि रिश्वतखोरी हुई है और पहले जानतीं तो वे  ऐसे किसीको टिकट ही नहीं देतीं जिनपर रिश्वतखोरी का आरोप है।


उसके अगले ही दिन उनके सिपाहसालार पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय ने कह दिया कि किसी ने एक पैसा भी अपने लिए नहीं लिया।गौरतलब है कि मुकुलरायभी घूस लेते हुए दिखाये गये हैं।



तब से दीदी रोजाना खुद रिश्वतखोरी को सही बताकर दूसरों को अपने से ज्यादा भ्रष्ट साबित करने लगी हैं।


अब हाईकोर्ट ने नारदा स्टिंग वीडियो अपने कब्जे में लेकर फारेंसिक जांच का आदेश दे दिया।


दीदी को इसका अंदाजा रहा होगा और सफाई में वे आक्रामक होती चली गयीं तो उनके सिपाहसालारों में खलबली मची है और यह तय नहीं कि उनमें से कौन आखिर तक साथ है और कौन बीच में दगा कर जायेगा।


सिपाहसालारों को भी कुणाल घोष,सुदीप्तो सेन और देवयानी, मदनमित्र का हश्र मालूम है और वे फिर बलि का बकरा बनना नहीं चाहते।वे भी दीदी का पल्लू छोड़कर नये समीकऱण बनाने में लगे हैं।


यह जनता की आस्था और साख खोने से ज्यादा बड़ा फैक्टर है,जिससे हर जिले में तृणमूल के खिलाफ तृणमूल ही खड़ा है और तृणमूल ही तृणमूल का हराने लगा है।


रातोंरात उनकी सादगी और ईमानदारी की छवि टूटने लगी और रातोंरात वे घर घर की बेटी के बदले निरकुंश सत्ता का पराया धन बन गयीं।उन्हें फिर घरों में कितना दाखिला मिलेगा,कहना मुश्किल है,जैसे उनकी सत्ता में वापसी भी मुस्किल ही है।


अब बांग्ला सांध्य दैनिक ने आज पहले पेज पर दीदी के परिजनों की संपत्ति का ब्योरा भी छाप दिया कि कैसे उनने दीदी के मख्यमंत्री बनने के बाद अपने मामूली से मकान के बगल में थ्री स्टार होटल से लेकर बहुमिंजिली इमारत तक खड़ी कर दी है।


यह सारा खेल दूसरे चरण के मतदान के बाद ही शुरु हो गया।


जबके पहले चरण में जंगलमहल में समझा जाता रहा है कि उन्हें ही जीत हासिल हुई है लेकिन बीरभूम में उनके सपाहसालार अनुब्रत मंडल के चुनाव प्रक्रिया खत्म होने तक नजरबंद हो जाने से उनकी वोट मशीनरी और वोट बैंक में बिखराव आने लगा और उत्तर बंगाल में कांग्रेसवाम गठजोड़ की बढ़त हो गयी तो दक्षिण बंगाल के मजबूत किले में घाटा पाटने के लिए भूत बिरादरी पर भरोसा उठ गया और फिर जो रंग रोगन हुआ ,उससे सारा पलस्तर ही उतर गया।रंगो का खेल अब बदलने लगा है।


30 अप्रैल को दक्षिण कोलकाता,दक्षिण 24 परगना और हुगली में जहां जहां मतदान होने जा रही है,वहां भारी संख्या में मुसलमान वोट हैं तो पिछले लोकसभा चुनावों में इन सीटों में भाजपा को राज्य में सबसे ज्यादा वोट मिले बीस बाइस फीसद तक और दीदी के चुनाव क्षेत्र भवानीपुर में बी उनकी बढ़त थी।


गुपचुप दीदी मोदी गठबंधन का खामियाजा यह भुगतना पड़ा कि मुसलमान वोटबैंक अब अटूट नहीं है तो वाम कांग्रेस गठबंधन का मिला जुला वोटबैंक सत्तादल के मुकाबले भारी है।


दूसरी तरफ सामने यूपी का चुनाव होने की वजह से भाजपा भी दीदी को कोई रियायत देने के मूड में नहीं हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,भजापा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीयगृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर भाजपा के छोटे बड़ नेताओं के निशाने पर तृणमूल कांग्रेस और मुखयमंत्री हैं।


जिस भवानीपुर में समझा जा रहा था कि भाजपा ने दीदी को वाकओवर दे दिया है वहीं नेताजीवंशधर चंद्र कुमार के हक में भाजपाध्यक्ष ने कहा कि सिर्फ ममता बनर्जी को भवानीपुर से हरा देने पर बंगाल में फिर परिवर्तन हो जायेगा।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगालविधानसभा का महत्वपूर्ण पांचवें चरण का चुनाव कल होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कथित रूप से नारद पोर्टल के स्टिंग वीडियो में दिखे उनकी पार्टी के उम्मीदवारों सहित कई राजनीतिक दिग्गजों की किस्मत इसमें दांव पर है। पांचवें चरण में 53 सीटों पर मतदान 43 महिलाओं सहित कुल 349 उम्मीवार दक्षिण 24 परगना, कोलकाता दक्षिण और हुगली जिले की 53 सीटों से मैदान में हैं। इन सीटों के लिए कल चुनाव होगा। 14,500 से अधिक बूथों पर सुबह सात बजे से शाम छह बजे के बीच मतदान किया जाएगा। इन सीटों के मतदाताओं की संख्या 1.2 करोड़ है।


भूतों का काम तमाम है जैसे कि चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार हिंसा रोकने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल कर्मियों को तैनात करने के अलावा चुनाव आयोग ने मतदान के दिन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाने का भी आदेश दिया है।


बाहरी हस्तक्षेप के बिना  वोट पड़ें और स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान हो,चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। चुनाव से पहले सभी 53 निर्वाचन क्षेत्रों में केंद्रीय एवं राज्य पुलिस बल के 90,000 कर्मी तैनात कर दिए जाएंगे।


गौरतलब है कि इस चरण के चुनाव में दक्षिण कोलकाता का भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र आकर्षण का केंद्र है जहां से वेस्ट बंगालकी सीएम एवं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी (कांग्रेस) और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस (बीजेपी) के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।


गौरतलब है कि इस चरण के चुनाव में तीन अन्य राजनीतिक दिग्गजों की किस्मत का भी फैसला होगा जिन्हें कथित रुप से नारद स्टिंग ऑपरेशन में एक फर्जी कंपनी से नकदी लेते दिखाया गया था। इन नेताओं में पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी और शहरी विकास मंत्री फरहाद हकीम शामिल हैं जिन्हें चुनाव प्रचार के आखिरी वक्त दीदी ने अलग रखा।इसीसे सत्ता पक्ष पर नारद स्टिंग का असर मालूम पड़ता है।


मतदान के लिए केंद्रीय बलों की 680 कंपनियां तैनात की जाएंगी। निर्वाचन अयोग के एक अधिकारी ने बताया, '680 कंपनियां तैनात की जाएंगी। पर्यवेक्षकों की संख्या में मामूली बदलाव होंगे। तीनों जिलों में दो-दो पुलिस पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।' इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि कोलकाता और हुगली में जहां दो-दो पुलिस पर्यवेक्षक होंगे, वहीं दक्षिण 24 परगना जिले में तीन पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।


इसके बावजूद इनाडु हिंदी के मुताबिक चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है, लेकिन साउथ 42 परगना के भांगड़ में प्रशासन और सेंट्रल फोर्स की नाक के नीचे हथियार बनाने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, आर्म्स बनाने वालों के भीतर किसी का डर भी नहीं है, और खुलेआम हथियार बनाने की बात कह रहे हैं।


इनाडु हिंदी के मुताबिक हथियार बनाने वाले शख्स का कहना है कि हम एक खास पार्टी के सपोर्टर हैं। हथियार बनाने के लिए हमें स्थानीय नेताओं ने कहा है। उसका कहना है कि भांगड़  के एक उम्मीदवार को जिताने के लिए हम कोई भी काम कर सकते हैं। किसी भी गैरकानूनी काम को अंजाम दे सकते हैं।


आपको बता दें कि भंगुर सीट से टीएमसी ने अब्दुर रज्जाक मुल्ला को बतौर उम्मीदवार  उतारा है। अब्दुर रज्जक मुल्ला पहले भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीएम) में थे। उन्होंने इस साल सीपीएम छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया।

बहरहाल मीडिया के मुताबिक 30 अप्रैल को होने वाले पांचवे चरण के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने सात मुख्य बिंदुओं पर अपना फोकस रखा है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव कराने के लिए सात बिंदुओं पर पुलिस-प्रशासन को अमल करने का निर्देश दिया है।

  • जिन इलाकों में चुनाव हैं वहां पर रात में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने का आदेश दिया है।

  • पश्चिम बंगाल से दूसरे राज्यों की सीमाओं को सील करने आदेश है, साथ ही दूसरे देशों से लगे सीमाओं को सील करने के साथ-साथ सुरक्षा बलों सतर्क रहने का आदेश दिया है। खासकर बाइकर्स पर कड़ी निगरानी रखने की सलाह दी गई है ताकि चुनाव के दौरान हिंसा पर लगाम लगाया जा सके।

  • चुनाव के 48 घंटे पहले से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ को सतर्क रहने का आदेश दिया है।

  • नदी मार्ग पर भी सुरक्षा बढ़ाने का आदेश है, नदी के तटों पर असामाजिक तत्वों की जांच के लिए सर्च लाइट और प्रभावी संचार प्रणाली के साथ सुरक्षा बलों को तैनात रहने की सलाह दी गई है।

  • चुनाव आयोग ने असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए जिला चुनाव अथॉरिटी और पुलिस अथॉरिटी को सतर्क रहने को कहा है, ऐसे लोगों से वोटरों को दूर रखने के लिए पुलिस को हिदायत दी गई है। किसी तरह की सूचना मिलते ही सख्त कार्रवाई का भी निर्देश दिया गया है।

  • चुनावी इलाकों से लगे सभी क्लबों के बाहर पुलिस को तैनात रहने का आदेश दिया गया है, जिससे चुनाव से पूर्व मतदाताओं को कोई बरगला नहीं सके। साथ ही भीड़ को जमा न होने दिया जाए।

  • जेल में बंद अपराधियों पर भी जेल प्रशासन को नजर रखने आदेश है, इसके अलावा अंडर ट्रायल कैदियों की गतिविधियों पर पुलिस को नजर रखने की सलाह दी गई है, जिससे वो चुनावों को किसी तरीके के प्रभावित नहीं कर पाएं।

बांग्ला दैनिक आजकाल की रपट हैः

শনিবার দফা ৬, কেন্দ্র ৫৩

শুক্রবার ২৯ এপ্রিল, ২০১৬ ইং

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অংশু চক্রবর্তী

কেন্দ্রীয় বাহিনী আর পুলিসের কড়া নজরে আর গরমের মধ্যেই আজ ষষ্ঠ দফায় ৫৩ কেন্দ্রে ভোট। কলকাতার ৪, হুগলির ১৮ এবং দক্ষিণ ২৪ পরগনার ৩১ কেন্দ্রে ভোট শুরু সকাল ৭টা থেকে। চলবে বিকেল ৫টা পর্যন্ত। ২০১১ সালে বিধানসভা নির্বাচনে কলকাতার ৪টির সবকটি পেয়েছিল তৃণমূল। হুগলির ১৮টি আসনের মধ্যে ১৬ তৃণমুলের, ২টা বামেদের। দক্ষিণ ২৪ পরগনার ৩১টি আসনের মধ্যে ২৭টি তৃণমূলের, ৪টি বামেদের দখলে ছিল। আজকের ভোটে উল্লেখযোগ্য প্রার্থীদের মধ্যে রয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা ব্যানার্জি, তাঁর মন্ত্রিসভার সদস্য পার্থ চ্যাটার্জি, সুব্রত মুখার্জি, অরূপ বিশ্বাস, ফিরহাদ হাকিম, জাভেদ খান, রবীন্দ্রনাথ ভট্টাচার্য, বেচারাম মান্না, রচপাল সিং, মহানাগরিক শোভন চ্যাটার্জি, বিধানসভার অধ্যক্ষ বিমান ব্যানার্জি, উপাধ্যক্ষ সোনালি গুহ, মুখ্য সচেতক শোভনদেব চট্টোপাধ্যায়। বিরোধীদের মধ্যে উল্লেখযোগ্য রয়েছেন কান্তি গাঙ্গুলি, সুজন চক্রবর্তী, রবীন দেব, দীপা দাসমুন্সি, আবদুল মান্নান। রয়েছেন বেশ কয়েকজন শিল্পী, গায়ক, খেলোয়ারও। সুষ্ঠু নির্বাচন করতে সবরকম ব্যবস্থা নিচ্ছে কমিশন। গোলমাল দেখলেই কড়া ব্যবস্থা নেওয়ার নির্দেশ দিয়েছে কমিশন। শুক্রবার সন্ধেয় এলাকা পরিদর্শনে যান মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তা। ৩ জেলায় মোট প্রার্থী ৩৪৯ জন। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ২২১ জন, কলকাতায় ৩৭ জন আর হুগলিতে ৯১ জন প্রার্থী। মোট মহিলা প্রার্থী ৪৩। ভোটে নজর রাখতে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ২০ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক এবং দু‌জন পুলিস পর্যবেক্ষক, ৬ জন হিসেব সংক্রান্ত পর্যবেক্ষক এবং একজন সচেতনতার পর্যবেক্ষক থাকছেন। হুগলিতে ১৮ আসনের জন্য ১২ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক, চারজন হিসেব সংক্রান্ত পর্যবেক্ষক, দু‌জন পুলিস পর্যবেক্ষক এবং একজন সচেতনতার পর্যবেক্ষক থাকছেন। কলকাতায় ২ জন সাধারণ পর্যবেক্ষক, ২ জন পুলিস পর্যবেক্ষক, হিসেব এবং সচেতনতা বিষয় দেখতে একজন পর্যবেক্ষক থাকছেন। অতিরিক্ত মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক দিব্যেন্দু সরকার জানিয়েছেন, কালকের ভোটে আইনশৃঙ্খলার ওপর আরও কড়া নজর রাখতে নির্দেশ দিয়েছে নির্বাচন কমিশন। সমাজবিরোধীরা এলাকায় ঢুকে ভোটারদের যাতে ভয় দেখাতে না পারে, সেদিকে বিশেষ নজর রাখতে হবে। সীমান্তবর্তী এলাকা, নদীপথ এবং ক্লাবগুলিকেও নজরবন্দী রাখতে হবে। কলকাতায় ৪টি এবং হুগলিতে ১৮টি ক্যামেরা লাগানো গাড়ি থাকছে।

শুক্রবার রাত থেকেই নাইট পেট্রলিং বাড়িয়ে দেওয়া হয়। কুইক রেসপন্স টিমকে আরও সক্রিয় হতে নির্দেশ দেওয়া হয়। নাকা পয়েন্টে তল্লাশি চলছে। বি এস এফ–কে সীমান্তে নজরদারি করতে বলা হয়েছে। নদীপথ দিয়ে সমাজবিরোধীরা যাতে ঢুকতে না পারে সেদিকেও দেখা হবে, সংশোধানাগারে বন্দী, বিচারাধীন বন্দীরা যাতে ভোটে প্রভাব ফেলতে না পারে সেদিকেও নজর দেওয়া হয়েছে। ১০৬৪টা সেক্টর করা হয়েছে। প্রতি সেকশনে অর্ধেক করে সি আর পি এফ। ৮টি সেক্টরে মোবাইল ৩৪৬। কুইক রেসপন্স টিম ২২৫। শুক্রবার রাত থেকে হুগলি এবং দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ১৪৪ ধারা জারি করা হয়েছে। চলছে কেন্দ্রীয় বাহিনীর টহল। সীমান্তবর্তী এলাকা সিল করে দেওয়া হয়েছে। নজর রাখা হয়েছে বহিরাগত, দুষ্কৃতী এবং সমাজবিরোধীদের ওপর। জলপথের ওপর বিশেষ নজরদারি। গেস্ট হাউস থেকে সন্দেহজনক জায়গায় তল্লাশিও চলছে। বুথের ত্রিসীমানার মধ্যে ভোটের কাজে আসা কর্মী, সাংবাদিক এবং ভোটার ছাড়া কেউ ঢুকতে পারবেন না। অন্যদিকে, নির্বাচন কমিশনের মুখ অনন্যা বলছে, '‌ভোট দিন নির্ভয়ে, বিবেচনার সাথে'। তাঁর এই বিজ্ঞপ্তি বার বার বিজ্ঞাপন দিয়ে জানানোও হচ্ছে। কলকাতার বুথে একজন তৃতীয় লিঙ্গের ভোটকর্মী থাকছেন। ওয়েবকাস্টিং হবে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ৩৪২টি বুথে। কলকাতার ১৫০টি এবং হুগলির ১০১টি বুথে। মোট ৫৯৩টি বুথে ওয়েবকাস্টিং। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ৯৫০, কলকাতায় ১৪৪টি এবং হুগলির ৯৬টি বুথে সি সি টিভি থাকছে। মোট ১১৯০ বুথে। ভিডিওগ্রাফি হবে দক্ষিণ চব্বিশ পরগনার ১৬৪৪টি, কলকাতায় ১০৯টি এবং হুগলির ৬৮২ বুথে। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ৬২৫ জন, কলকাতায় ১০৯ জন এবং হুগলিতে ৮৯৬ জন মাইক্রো অবজার্ভার রয়েছেন। দক্ষিণ চব্বিশ পরগনায় ক্যামেরা লাগানো গাড়ি থাকছে ৫৫টি। হুগলির পুলিস সুপার প্রবীণকুমার ত্রিপাঠী জানিয়েছেন, জেলায় ১৪৭৩টি বুথ স্পর্শকাতর। জেলায় মোট ২৩৮ কোম্পানি কেন্দ্রীয় বাহিনী থাকছে। এছাড়া ৮ হাজার ৫০০ জন রাজ্য পুলিস থাকছে। কমিশনের সচিত্র ভোটার স্লিপ নিয়ে বুথে যেতে হবে। রাজনৈতিক দলের স্লিপ নিয়ে কেউ ভোট দিতে পারবেন না। অভিযোগ উঠেছে, কিছু কিছু প্রিসাইডিং অফিসার, তাঁরা শুধু ভোটার স্লিপ

দিয়েই ভোট দিতে দিয়েছেন। কিন্তু আগামীকালের ভোটে এটা কোনও ভাবেই করা যাবে না। নিজের পার্ট নম্বর থেকে কোন বুথে ভোট হবে তা দেখার জন্য ওই স্লিপ দেওয়া হয়েছে। একশো শতাংশ সচিত্র পরিচয়পত্রে ভোট হবে। ভোটার কার্ড না থাকলে পাসপোর্ট, ড্রাইভিং লাইসেন্স, রাজ্য বা কেন্দ্র সরকারের অধিগৃহীত সংস্থা বা পাবলিক লিমিটেড কোম্পানির দেওয়া সচিত্র পরিচয়পত্র, ব্যাঙ্ক বা পোস্ট অফিসের ছবি লাগানো পাসবই, প্যান কার্ড, ন্যাশনাল পপুলেশন রেজিস্ট্রারের আওতায় থাকা আই জি আর–এর দেওয়া স্মার্ট কার্ড, এম এন আর ই জি–র জব কার্ড, শ্রম মন্ত্রকের অধীনে স্বাস্থ্যবিমার স্মার্ট কার্ড, ছবি সংবলিত পেনশনের নথি, সাংসদ, বিধায়ক এবং কাউন্সিলরদের দেওয়া সচিত্র পরিচয়পত্র নিয়েও যাওয়া যাবে। শুক্রবার বিকেলে ষষ্ঠ দফার ভোট নিয়ে মুখ্য নির্বাচন কমিশনার সৈয়দ নাসিম আহমেদ জাইদির নেতৃত্বে কমিশনের ফুল বেঞ্চ ভিডিও কনফারেন্স করেন। ছিলেন মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তা, অতিরিক্ত মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক দিব্যেন্দু সরকার, শৈবাল বর্মন, জয়দীপ মুখার্জি, আই টি কমিশনার, আবগারি কমিশনার, এ ডি জি আইনশৃঙ্খলা অনুজ শর্মা এবং পর্যবেক্ষকরা। বি জে পি–র এক প্রতিনিধিদল মুখ্য নির্বাচনী আধিকারিক সুনীলকুমার গুপ্তার সঙ্গে দেখা করে। বি জে পি–র জয়প্রকাশ মজুমদারের অভিযোগ, তৃণমুলের কর্মীরা আবাসনগুলিতে ভয় দেখাচ্ছেন। এলাকায় হুমকি দিচ্ছেন। এদিন ভোটারদের ভয় দেখানোর অভিযোগ জানাতে আসেন '‌আমরা আক্রান্ত'–‌র অধ্যাপক অম্বিকেশ মহাপাত্র এবং প্রাক্তন বিচারপতি অশোক গাঙ্গুলি। অভিযোগ, বেহালা এলাকায় বাইকবাহিনী ঘুরছে, ভয় দেখানো হচ্ছে। স্থানীয় থানায় অভিযোগ জানানো হলে, তারাই আবার জানিয়ে দিচ্ছে ওই সমাজবিরোধীদের।

फिर एई समय में भवानीपुर की यह रपटः



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बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर! और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा। संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं। धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी! अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है। बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है। पलाश विश्वास

Previous: बंगाल में अब कुछ भी संभव है,दीदी की हार भी असंभव नहीं! ভোটের আগে ভবানীপুর, বালিগঞ্জে বিভিন্ন ক্লাবে তল্লাশি চালিয়ে উদ্ধার বোমা, আতঙ্ক घर घर की बेटी अब निरंकुश सत्ता में तब्दील तो भूतों का काम भी तमाम! भाजपा नेताजी की विरासत दीदी की कीमत पर हड़पने की फिराक में हैं।हर बांग्लादेशी को नागरिकता के ऐलान के बाद अब नेतीजी से जुड़ी और 25 फाइलें भवानीपुर में मतदान की पूर्व संध्या पर जारी कर दी गयी हैं। নেতাজি সংক্রান্ত আরও ২৫টি ফাইল প্রকাশ্যে আনল কেন্দ্র एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर! 

और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा।

संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं।

धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी!

अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है।


बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है।

पलाश विश्वास

बंगाल में दरअसल दीदी की नहीं मोदी की साख दांव पर है और नतीजे तय करेंगे कि फासिज्म का राजकाज कितना चलेगा।


चुनाव नतीजे तो 17 मई को ही आयेंगे।


संघ परिवार ने आखिरी मौके पर दीदी को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी

धार्मिक ध्रूवीकरण हो गया तो फिर दीदी की वापसी हो जायेगी।


अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम और चुनाव आयोग की सख्ती हाथी के दांत हैं।दरअसल मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी आम है।


मोदी,शाह और राजनाथ सिंह की लाख कोशिशों के बावजूद अगर विपक्ष का वोट नहीं बंटा तो दीदी की वापसी बेहद मुश्किल है क्योंकि संघ परिवार के अलावा न बाजार,न माओवादी, न बुद्धिजीवी और न दूसरे दल दीदी के साथ हैं।


जो हमसे बार बार सवाल कर रहे हैं,उन्हें मेरा यही जवाब है।


बाकी राष्ट्र का चरित्र जब तक जस का तस है,चेहरे बदलने से हालात लेकिन बदलेंगे नहीं।फिरभी बंगाल में देशभर में संघ परिवार का सबसे ज्यादा विरोध है तो बंगाल का केसरियाकरण और सत्ता में फिर दीदी की बहाली से प्रतिरोध की पकती हुई जमीन की आग फिर भूमिगत हो जाने का अंदेशा है।


इस वक्त बंगाल के विधानसभा चुनाव पर जितना फोकस है,बंगाल के साथ ही बाकी चार विधानसभा चुनावों पर उसकी तुलना में कोई चर्चा ही नहीं हुई है।


क्योंकि बंगाल में मुक्तबाजारी केसरिया सत्तावर्ग का दांव सबसे ज्यादा है।जिससे बंगाल में बन रहे नये राजनीतिक समीकरण से अपने वजूद को सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि बिहार के बाद बंगाल में इस रोजनीतिक गोलबंदी के बाकी देश में संक्रमित होने का खतरा है,जिसका असर उत्तर प्रदेश के बेहद महत्वपूर्ण चुनाव में होने जा रहा है और पंजाब हारने के जोखिम के मद्देनजर बंगला,तमिलनाडुकेरल और असम जैसे राज्यों में बढ़त नहीं मिली तो लंबे समय तक केसरिया तांडव चलेगा नहीं।


इसीलिए संघ परिवार ने सीटें मिलने की कोई उम्मीद न होने के बावजूद पहले पहल विकास का राग अलापने के बाद अचानक हिंदुत्व कार्ड के साथ जो धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण करने की पुरजोर कोशिश की है,उससे मुसलामानों का झुकाव फिर दीदी की तरफ है और वाम कांग्रेस गठबंधन के हिंदू शरणार्थी वोट फिर टूटकर संघ परिवार की झोली में जोने की आशंका है।


देश भर से लगातार फोन आते रहे हैं और लोग जानना चाहते हैं कि बंगाल में दीदी का क्या होना है।फिलहाल इस सवाल का कोई सीधा जवाब देना संभव नहीं है।


अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामात और चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि हिंसा मतदान के दौरान नियंत्रित रही तो मतदान के आगे पीछे दहशतगर्दी का आलम है और ऐसे में मतदान के वक्त सत्ता केकिलाफ वोट देने का जोखिम किते फीसद वोटर उठा पाये होंगे ,यह कहा नहीं जा सकता।


जैसे नागरिकता के सवाल पर असम में उल्फा की तर्ज पर 1948  के बाद आये हिंदू विभाजनपीड़ितों को भी घुसपैठिया बताकर खदेड़ देने के जिहाद के बाद बंगाल में मुस्लिम बहुल इलाकों के निर्मायक चुनाव हल्कों में 2014 तक बांग्लादेश से  आये हर शख्स को नागरिकता देने के वायदे पर हिंदू वोटों का कितान हिस्सा भाजपा की झोली में गिरेगा,इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्रह प्रतिशत वोट मिले थे और आज जिन इलकों में मतदान हुआ,वहां धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण और शरणार्थी वोट बैंक की वजह से भाजपा को औसतन बीस फीसद से कम वोट मिले नहीं थे और इसकी प्रतिक्रिया में मुसलमानों ने एकजुट होकर दक्षिण बंगाल में वामदलों और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था।



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I am looking for a space to share my experience in creativity beyond language, grammar, aesthetics,medium and genre with the generation next and I have no resource.It might become an institute of grooming creativity and humanities beyond discipline.Any scope whatsoever?

Palash Biswas

I am looking for a space to share my experience in creativity beyond language, grammar, aesthetics,medium and genre with the generation next and I have no resource.It might become an institute of grooming creativity and humanities beyond discipline.


I have decided to stay in Kolkata after my retirement.I live in a rented house and the expected pension should not be more than Rs,Two thousand per month.I have a serious problem to sustain my family after 17th May and I have to continue what I have been all these years.It is tougher equation than the making in mandate itself.


It is time for Erotica in Free Market carnival and I am scheduled to retire on 17th May next on the eve of my birthday.I am obliged if the institution famous worldwide for its courage for journalism pleased enough to set me free at this critical juncture.


Rather it would be a time to celebrate irrespective of the challenge to resettle on ground zero.An acid test for my creativity!


I have no space or opportunity  to express my gratitude to everyone who had been associated with me during last 36 years of professional journalism including last twenty five years in Indian Express Group.


Thanks everyone!

I enjoyed  freedom of expression beyond my identity,color and language.I have no regret and no complaint.


Though I would have liked to continue in journalism as it has always been my survival kit as well as the forum on which I could connect to every bit of humanity worldwide.Options opened!I am now ready to respond to any call from anywhere!


I am mentally and physically fit and ready to work lifelong until I die.I have been writing for newspapers in different languages since 1973 as soon as I passed my High School exam under UP board from a refugee Dalit colony in the Terai of the Hiamalyas in then district Nainital and shifted myself in GIC under the DSB capmpus in Nainital.


Since 1973 Nainital has always been my hometown!


The fire broken in the Himalayas has set my heart and mind on fire and the heart is bleeding and I have no avenue to get back home.


However,I am always at home and stand with my people whatever may come,never mind!


I never wrote a single word without any cause since I joined Dainik Awaz in Dhanbad on 20 th Aprin,1980.


Neither I would be writing erotica in future to save my skin.Rather I would like to immerse myself in the streams of the suffering humanity residing countrywide.


I am sharing some photos by Sukhmoy,Guddu,the son of Mr. and Mrs S Guha Majumdar,Bengal Hotel,Malroad Nainital.I stayed with the family most of the time in Nainital and MR. And Mrs Majumdar had always been my guardians in Nainital.


Photos by 

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कब तक होंगे हम गोलबंद? जल जंगल जमीन से जनता को बेदखल करने के लिए आपदााएं भी अब कारपोरट आयोजन जियेंगे तो साथ ,मरेंगे तो साथ,मई दिवस का संकल्प यही है। हिंदू राष्ट्र में खत्म हो रहे मेहनतकशों के वे हकहकूक,जो बाबासाहेब ने दिलवाये,तो फासिज्म के राजकाज के खिलाफ बहुजनों को ही मेहनतकशों की लड़ाई का नेतृत्व करना होगा।हम अपनी ताकत नहीं जानते और संसाधन हमारे हैं और देश भी हमारा है,हम यह भी नहीं जानते। इकलौता मरने के बदले हम अपनी ताकत को देस में बदलाव के लिए खड़ी करें और अपने सारे संसाधनों को सक्रिय करके लड़ने के लिए तैनात करें तो कारपोरेट केसरिया आतंकवाद का अंत है।जियेंगे तो साथ ,मरेंगे तो साथ,मई दिवस का संकल्प यही है। 75 साल के सफाई कर्मचारी यूनियन के नेता की चेतावनीःपढ़े लेिखे लोगों की चमडी़ वातानुकूलत हो गयी है और वे किसी भी तरह के जनसरोकार से कोई वास्ता नहीं रखते और न किसी मिशन,विचारधारा या आंदोलन में उनकी कोई दिलचस्पी है और वे तमाम कार्यक्रमों की रस्म अदायगी के जरिये सत्ता से नत्थी होकर अपना मोल बढ़ाने के फिराक में बाबासाहेब का नाम लेकर रस्म अदायगी करते हैं और देश में कहीं अंबेडकरी आंदोलन

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कब तक होंगे हम गोलबंद?

जल जंगल जमीन से जनता को बेदखल करने के लिए आपदााएं भी अब कारपोरट आयोजन

जियेंगे तो साथ ,मरेंगे तो साथ,मई दिवस का संकल्प यही है।

हिंदू राष्ट्र में खत्म हो रहे मेहनतकशों के वे हकहकूक,जो बाबासाहेब ने दिलवाये,तो फासिज्म के राजकाज के खिलाफ बहुजनों को ही मेहनतकशों की लड़ाई का नेतृत्व करना होगा।हम अपनी ताकत नहीं जानते और संसाधन हमारे हैं और देश भी हमारा है,हम यह भी नहीं जानते।


इकलौता मरने के बदले हम अपनी ताकत को देस में बदलाव के लिए खड़ी करें और अपने सारे संसाधनों को सक्रिय करके लड़ने के लिए तैनात करें तो कारपोरेट केसरिया आतंकवाद का अंत है।जियेंगे तो साथ ,मरेंगे तो साथ,मई दिवस का संकल्प यही है।


75 साल के सफाई कर्मचारी यूनियन के नेता की चेतावनीःपढ़े लेिखे लोगों की चमडी़ वातानुकूलत हो गयी है और वे किसी भी तरह के जनसरोकार से कोई वास्ता नहीं रखते और न किसी मिशन,विचारधारा या आंदोलन में उनकी कोई दिलचस्पी है और वे तमाम कार्यक्रमों की रस्म अदायगी के जरिये सत्ता से नत्थी होकर अपना मोल बढ़ाने के फिराक में बाबासाहेब का नाम लेकर रस्म अदायगी करते हैं और देश में कहीं अंबेडकरी आंदोलन जैसे नहीं है वैसे ही मजदूर आंदोलन भी नहीं है।मेहनतकशो की हक हकूक की लड़ाई आखिरकार इन पढ़े लिखे लोगों के भरोसे हो नहीं सकती और हर कीमत पर दुनिया के गरीबों को गोलबंद होना होगा वरना हम सारे लोग मारे जायेंगे।

पलाश विश्वास

हिंदू राष्ट्र में खत्म हो रहे मेहनतकशों के वे हकहकूक,जो बाबासाहेब ने दिलवाये,तो फासिज्म के राजकाझ के खिलाफ बहुजनों को ही मेहनतकशों की लड़ाई का नेतृत्व करना होगा।


मध्य कोलकाता के बुद्ध मंदिर में कल हमने मई दिवस मनाया कोलकाता में और जल जंगल जमीन नागरिकता और मानवाधिकार की लड़ाई जारी रखने के लिए देश के भीतर,सरहदों के आर पार समूचे विश्व में मानव बंधन बनाने की संकल्प लिया।तपती हुई दुपहरी से लोग देर शाम तक विचार विनिमय करते रहे तो उधर हिमालय जलकर राख होता रहा कि जल जंगल जमीन से जनता को बेदखल करने के लिए आपदााएं भी अब कारपोरट आयोजन हैं।


वक्ताओं ने विस्तार से यह रेखांकित किया की मई दिवस की शहादत के पीछे मेहनतकशों के हक हकूक की जो मांगें उठीं,अमेरिका की उस सरजमीं पर उन्ही हक हकूक के खात्मे के लिए ग्लोबल मनुस्मृति राज का वैश्वक ंत्तर मंत्रयंत्र का मुख्यालय है और आजाद भारत उसका मुकम्मल उपनिवेश है।


वक्ताओं ने बाबासाहेब की मूर्तियां बनाने के अभूतपूर्व अभियान के तहत बाबासाहेब के आंदोलन,उनके विचार और उनके मिशन को खत्म करने के केसरिया आंतकवाद के आगे आत्मसमर्पण की आत्मघाती बहुजन राजनीति पर तीखे प्रहार भी किये।इसी सिलसिले में बंगाल के केसरियाकरण को पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक माना गया।


बंगाल के युवा सामाजिक कार्यकर्ता शरदिंदु विश्वास ने मई दिवस के इतिहास और मई दिवस के चार्टर और शहादतों की विस्तार से चर्चा की और वक्ता इस पर सहमत थे कि भारत के मेहनतकशों के असल नेता बाबासाहेब थे,इसलिए मेहनतकशों की लड़ाई में अंबेडकरी अनुयायियों को बाबासाहेब के जाति उन्मूलन के मिशन को प्रस्थानबिंदू मानकर हक हकूक की लड़ाई का हीरावल दस्ता बनना चाहिए।


रिसड़ा से आये सफाई मजदूरों के राष्ट्रीय नेता वे पेशे से शिक्षक पचत्तर वर्षीय ईवी राजू की भड़ास से हम तमाम लोग जो बंगला के विभिन्न हिस्सों में सक्रियअंबेडकरी संगठनों,मजदूर संगठनों के सक्रिय नेता कार्यकर्ता थे,हतप्रभ रह गे।


उनने खुल्लाखुल्ला कहा कि पढ़े लेिखे लोगों की चमडी़ वातानुकूलत हो गयी है और वे किसी भी तरह के जनसरोकार से कोई वास्ता नहीं रखते और न किसी मिशन,विचारधारा या आंदोलन में उनकी कोई दिलचस्पी है और वे तमाम कार्यक्रमों की रस्म अदायगी के जरिये सत्ता से नत्थी होकर अपना मोल बढ़ाने के फिराक में बाबासाहेब का नाम लेकर रस्म अदायगी करते हैं और देश में कहीं अंबेडकरी आंदोलन जैसे नहीं है वैसे ही मजदूर आंदोलन भी नहीं है।मेहनतकशो की हक हकूक की लड़ाई आखिरकार इन पढ़े लिखे लोगों के भरोसे हो नहीं सकती और हर कीमत पर दुनिया के गरीबों को गोलबंद होना होगा वरना हम सारे लोग मारे जायेंगे।


हम चूंकि 17 मई से सड़क पर होंगे,इसलिए आगे की कार्यजोजना पर हमने विस्तार से चर्चा की और संस्थगत सामाजिक आंदोलन की रुपरेखा पेश की।क्योंकि निरंकुश सत्ता के मुकाबले तमाम सामाजिक शक्तियों की साझा मोर्चाबंदी के बिना बाबासाहेब के मिशन को अंजाम देना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन है।


गौरतलब है कि ब्रिटिश भारत में 1942 मे श्रममंत्री बने बाबासाहेब 1946 तक मेहनतकशों के हक हकूक के लिए मई दिवस के चार्टर के मुताबिक सारे कायदे कानून बनाये तो भारतीय संविधान की रचना के वक्त भी श्रमजीव वर्ग और औरतों,वंचितों और आदिवासियों  के हक हकूक के लिए रक्षा कवच के प्रावधान भी किये।उनने भारत में ब्रिटश राज में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी बनायी तो मेहनखसों की हक हकूक की लड़ाई के बिना बाबासाहेब के नाम किसी भी तरह का आंदोलन बेमानी है।


गौरतलब है ब्रिटिश राज में बाबासाहेब ने जो कानूनी  हकहकूक मेहनतकशों के लिए सुनिश्चित कर दिये,मुक्तबाजारी हिंदू राष्ट्र में संपूर्ण निजीकरण,संपूर्ण बाजारीकरण और अबाध पूंजी निवेश के कयामती आलम में वे सारे कायदे कानून खत्म हो गये तो न मजदूर यूनियनों ने इसका प्रतिरोध किया और न पूना समझौते के तहत राजनीतिक आररक्षण से चुने हुए प्रतिनिधियों ने इसका किसी भी स्तर पर विरोध किया।


पहाड़ से हमारे साथी राजा बहुगुणा ने लिखा हैः


उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से मैं विचलित व आहत महसूस कर रहा हूं।इस भीषण आग से हुए नुकसान का रूपयों में आकलन करना हास्यास्पद है।कडे शब्दों में कहूं तो लुटेरे तंत्र की न यह औकात है और न ही उसके पास दिमाग है कि वह पूरी स्थिती का सही आकलन कर सके।अभी तक इस आग के लिए एक महिला व एक पुरूष को दोषी ठहराने की खबर आ रही है और लगता है कि गाज स्थानीय लोगो पर ही पडेगी।इधर केन्द्र सरकार व गृहमंत्री के बयान से लग रहा है कि जैसे वह आग बुझाने के कार्य में युद्ध स्तर पर जुट गई है।इस पर मैं यही कहूंगा -सब कुछ लुटाके होश में आए तो क्या हुआ।देख लेना यह कवायद भी क्षणिक साबित होगी।लगता है भीषण सूखे की संभावना के बाबजूद एडवांस में जरूरी सुरक्षा उपाय किए ही नहीं गए थे।दूसरा जंगलों को बचाने के लिए सक्षम उपकरण आज तक नहीं बना है।इसके लिए निश्चित रूप से नीति नियंता दोषी हैं।यहां पर यह भी कहूंगा कि यदि जंगलों पर जनता का अधिकार हो तो तब ही उनका बेहतर विकास व सुरक्षा हो सकती है।केवल ऐसा करने से सक्षम उपकरण बन सकता है।वन कानूनों ने लगातार वनों के प्रति जनता के अलगाव को बढाया है।उत्तराखंड राज्य की मांग में जल,जंगल,जमीन पर जनता का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण मांग थी जिसे लुटेरे शासकों ने जमींदोज कर दिया है।

Labour Day celebration & Babasaheb Dr Ambedkar 2016 by National Social Movement of India at kolkata

মে দিবস উদযাপন এবং বাবাসাহেব ডঃ আম্বেদকর ২০১৬, কোলকাতা


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