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अब दे दिये सैनिक अड्डे अमेरिकी फौज के हवाले, आप क्या उखाड़ लेंगे? रूस अमरीका का सट्टा / हम तुम साल उल्लूपट्ठा / आओ खेलें कट्टम कट्टा । संपूर्ण निजीकरण,प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अबाध पूंजी के तहत भारत में जो अमेरिकी हित हैं,उसके मद्देनजर यह उम्मीद करना सरासर मूर्खता है कि पांच पांच पृथ्वी के बराबर संसाधन खर्च करने वाला अमेरिका भारतीय प्राकृतिक संसाधनों को बख्शेगा । भारत के प्राकृतिक संसाधन दखल करने के लिए उसकी लंबी तैयारियां रही हैं,हमने कभी उन तैयारियों पर और भारत के खिलाफ अमेरिका की मोर्चाबंदी पर नजर रखी ही नहीं है।अब देशभक्ति बघार रहे हैं। विशुध हिंदुत्व के एजंडे को लागू करते रहिये।मंकी बातें सुनते रहें और अपने स्वजनों के खून से नहाते रहिये,रामायण महाभारत के किस्से कहानियां जीते हुए विकास की उड़ान भरते रहिये,सैनिक अड्डे गोरी फौजों के हवाले हैं तो क्या फर्क पड़ा,समूचा देश उनके हवाले हैं।हम काले लोग,गुलाम लोग आजादी के काबिल कभी बन सकें,मूक वधिर लोगों को मां सरस्वती वाणी दें तो भी हम भारत माता की ज. ही बोलेंगे और राष्ट्रविरोधियों के पाले में खड़े हो जायेंगे क्योंकि इसी मुक्त बाजार में

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अब दे दिये सैनिक अड्डे अमेरिकी फौज के हवाले, आप क्या उखाड़ लेंगे?
 रूस अमरीका का सट्टा / हम तुम साल उल्लूपट्ठा / आओ खेलें कट्टम कट्टा ।


संपूर्ण निजीकरण,प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अबाध पूंजी के तहत भारत में जो अमेरिकी हित हैं,उसके मद्देनजर यह उम्मीद करना सरासर मूर्खता है कि पांच पांच पृथ्वी के बराबर संसाधन खर्च करने वाला अमेरिका भारतीय प्राकृतिक संसाधनों को बख्शेगा । भारत के प्राकृतिक संसाधन दखल  करने के लिए उसकी लंबी तैयारियां रही हैं,हमने कभी उन तैयारियों पर और भारत के खिलाफ अमेरिका की मोर्चाबंदी पर नजर रखी ही नहीं है।अब देशभक्ति बघार रहे हैं।


विशुध हिंदुत्व के एजंडे को लागू करते रहिये।मंकी बातें सुनते रहें और अपने स्वजनों के खून से नहाते रहिये,रामायण महाभारत के किस्से कहानियां जीते हुए विकास की उड़ान भरते रहिये,सैनिक अड्डे गोरी फौजों के हवाले हैं तो क्या फर्क पड़ा,समूचा देश उनके हवाले हैं।हम काले लोग,गुलाम लोग आजादी के काबिल कभी बन सकें,मूक वधिर लोगों को मां सरस्वती वाणी दें तो भी हम भारत माता की ज. ही बोलेंगे और राष्ट्रविरोधियों के पाले में खड़े हो जायेंगे क्योंकि इसी मुक्त बाजार में हमें जीना मरना है।यही हिंदू राष्ट्र का हिंदुत्व है।
पलाश विश्वास
मुझे भारत के सैनिक अड्डों पर अमेरिकी फौजकी तैनाती के समझौते पर तनिक अचरज नहीं हो रहा है। भारत अमेरिकी संबंधों में, और खास तौर पर फलस्तीन की कीमत पर भारत इजराइल संबंध में लगातार जो गुल खिलते रहे हैं,उसके मद्देनजर ऐसा न होता तो वह अजूबा होता।


राष्ट्रहित के बजाय राजनय जब निजी संबंधों की दास्तां बन जाती है तो राजनैतिक नेतृत्व के फैसले भी उतने ही दोस्ताना हो जाते हैं जितने उनके दोस्ताना ताल्लुकात।


बल्कि इस दोस्ती का मकसद ही यही होता वरना क्या वजह है कि किसी का अमेरिकी वीजा मानवाधिकार के हनन के मुद्दे पर बार बार ठुकरा दिया जाये और राष्ट्र की बोगडोर आते न आते उसके लिए समूचा अमेरिका पलक पांवड़े बिछाकर इंतजार करें कि कब वह पधारें और अमेरिकी अर्थव्यवस्था का कायाकल्प कर दें।


सवाल यह है कि नाटो की योजना जो अमेरिका और नाटो देशों में लागू न हुई,उस आधार योजना के तहत हमारी हैसियत एक संख्या में बदल गयी और हमारी निजता,गोपनीयता और आजादी सीधे अमेरिकी नियंत्रण में हैं । ड्रोन को हम अपनी सुरक्षा की गारंटी समझते हैं।


नासा और इसरो की साझेदारी के तहत शोध और अनुसंधान के बहाने,अंतरिक्ष अभियान की महत्वाकांक्षा साधकर अंध राष्ट्रवाद का परचम फहराने के लिए हमने सारा आसमान,सारा अंतरिक्ष उनके हवाले कर दिया है,संप्रभुता और स्वतंत्रता गिरवी पर रख दी है।


और इस अत्याधुनिक तकनीक के वैज्ञानिक जमाने में जब गोपनीयता भंग करना बच्चों का खेल है, तो हमारी सुरक्षा और अखंडता को किस पंचमवाहिनी से खतरा है,इस बारे में हमारी कोई दृष्टि नहीं बनी है।


हम उन्हें जानते भी होंगे,तो सबसे पहले उनकी फौज में शामिल होकर मुनाफावसूली और लूचतंत्र में शामिल होंगे और इतनी भी औकात न हो तो जयजयकार कहते हुए खालिस शुतुरमुर्ग होकर जिंदगी गुजरबसर कर लेंगे।


भारत अमेरिका परमाणु संधि से जो भारत अमेरिकी सैन्य सहयोग का सिलसिला चला है,उसका आशय युद्ध और गृहयुद्ध के कारोबार,हथियार उद्योग के सहारे चलने वाली अमेरिकी अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करना है,यह हम आज भी समझ नहीं रहे हैं।


संपूर्ण निजीकरण,प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अबाध पूंजी के तहत भारत में जो अमेरिकी हित हैं,उसके मद्देनजर यह उम्मीद करना सरासर मूर्खता है कि पांच पांच पृथ्वी के बराबर संसाधन खर्च करने वाला अमेरिका भारतीय प्राकृतिक संसाधनों को बख्शेगा ।


भारत के प्राकृतिक संसाधन दखल  करने के लिए उसकी लंबी तैयारियां रही हैं,हमने कभी उन तैयारियों पर और भारत के खिलाफ अमेरिका की मोर्चाबंदी पर नजर रखी ही नहीं है।


अब देशभक्ति बघार रहे हैं।


गौरतलब है कि निजी कंपनियों और विदेशी पूंजी के लिए भारत की जमीन पर तैनात निजी सुरक्षा सेनाएं सीमाओं पर तैनात हमारे कुल सैन्यबलों से कम नहीं हैं ,जिन्हें हमने आर्थिक सुधार के नाम अपने ही नागरिकों को जल जंगल जमीन,नागरिक और मनवाधिकार से बेदखल करने और सत्तावर्ग के हितों,उनकी मुनापाखोरी,उनके लूटतंत्र को जारी रखने के लिए लगातार जनादेशों के मार्फत तैनात किये हैं।सरहदें खतरे में हैं।


अमेरिका ने पहले हमें नवउदारवाद की संतानों के हवाले किया। सोवियत संघ के अवसान के बाद अमेरिका के साथ नत्थी हो जाने की बेसब्री हमारे राजकाज और राजनय की बुनियादी नीति है,जिसे अमल में लाने के लिए लिए हर वह कायदा कानून बदल दिया गया है,जो अमेरिकी हितों के माफिक नहीं हैं।


कानून का राज कहीं नहीं है क्योंकि अबाध पूंजी के हम गुलाम हैं।संविधान की हत्या रोज रोज हो रही है विकास के नाम और अर्थव्यवस्था अमेरिकी वैश्विक संस्थानों की गिरफ्त में हैं।


हम पिछले पच्चीस साल से देश के आम नागरिकों के कत्लेआम, मौलिक अधिकारों के हनन,देश के प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इलाकों के सैन्यदमन का समर्थन कर रहे हैं।अब क्या करें।


सत्ता के चेहरे बदलने की कवायद में हमने ख्याल ही नहीं किया कि अपना यह देश अमेरिकी उपनिवेश बन गया और तकनीकी विकास से बेहतर उपभोक्ता बने हम न नागरिक रहे और न मनुष्य।


हम अपनी जमीन के साथ साथ अपनी मातृभाषा,अपनी संस्कृति और इतिहास से बेदखल लोग हैं और इस देश में सरकारे भी अमेरिकी हितों के मुताबिक बनती और चलती हैं,तो बजट भी वाशिंगटन से बनता है।


हमारा जनादेश भी वे बनाते बिगाड़ते हैं।


हम सबकुछ जानते हैं और देखते हैं और समझते हैं कि कालाधन से राजनीति चल रहा है तो धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद और जनसंहार के एजंडे के पीछे भी सत्तावर्ग की मुनाफावसूली और दलाली है।


पर हम तो कालाधन वापस लाना चाहते हैं और कालाधन के तंत्र मंत्र यंत्र के खिलाफ आवाज बुलंद करने की हमारी औरकात नहीं है।


ऱक्षा क्षेत्र में भी विदेशी पूंजी का वर्चस्व हो गया तो हम पाकिस्तान औरचीन को हराने की,वाशिंगटन और पेरिस में तिरंगा फहराने का,सारा अंतरिक्ष जीत लेने का ख्वाब देखते रहे जबकि देश के चप्पे चप्पे पर ड्रोन तैनात हैं और देश के हर कोने में परमाणु विध्वंस के चूल्हे लगे हैं जबकि हजारों साल से सुलगते साझा चूल्हों को हमने चरम असहिष्णुता के साथ बुझा दिये और देश का नेतृत्व युद्ध अपराधियों के हवाले कर दिये।


हम सिऱ्फ बेचैन है कि सैनिक अड्डे अमेरिकी फौजों के हवाले कर दिये गये ।लेकिन जिस पाकिस्तान को हमने अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझा और इसी बहाने धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की खेती की,उसके पीछे खड़े अमेरिका को हमने कभी नहीं देखा,ऐसा हैरतअंगेज है।


हमने भोपाल गैस त्रासदी,मंदिर मसजिद मंडल कमंडल गृहयुद्ध,सिखों का नरसंहार,बारी विध्वंस की अर्थव्यवस्था पर गौर नहीं किया जबकि हरित क्रांति के बहाने भारत में किसानों की हत्या का सिलसिला जारी है।विनाश को विकास समझते हैं हम।


हमारे लिए मुक्तबाजार भव्य राममंदिर है और आर्थिक सुधार मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मनुस्मृति अनुशासन और अश्वमेध है।


हमारे लिए सारे नागरिक पूर्व जन्म के पाप पुण्य कर्मफल के कारम निमित्तमात्र हैं,चाहे वे गुजरात में मरे,असम में मारे जाये,पंजाब में मरे या दंडकारण्य गोंडवाना कश्मीर मणिपुर या यूपी बिहार बंगाल में।सरहद पर मरने वालों की गिनती तो हम करते हैं,लेकि बेमौत मारे जाने वाले स्वजनों की खबर भी नहीं जानना चाहते।


हर कीमत पर हम पितृसत्ता के तहत मनुस्मृति शासन जारी रखकर किसानों,मेहनतकशों,दलितों,पिछड़ों,अल्पसंखयकों और स्त्रियों के विरुद्ध राजकाज को जारी रखना चाहते हैं और हम अमेरिका जब बनना ही चाहते हैं तो बेहतर है कि हम अमेरिका में ही शामिल हो जाये या कम से कम हम अमेरिकी उपनिवेश बन जाये।हूबहू वही हो रहा है।इसे हम मुक्तबाजार की नकदी के लिए सहेंगे।


हत्या और बलात्कार,अन्याय,उत्पीड़न,असमता के पूरे तंत्र मंत्र यंत्र को हम स्मार्ट शहरों और बुलेट ट्रेनों का करिश्मा मानकर नदियों,जंगलों,खेतों,खलिहानों,हिमालय और समुंदर की लाशों पर बहुमंजिली महानगर में स्वर्गवास करना चाहते हैं।


यही हमारा ग्लोबल हिंदुत्व है।
यही हमारा राष्ट्रवाद है।


राष्ट्र गैस चैंबर बने या मृत्यु उपत्यका,जनता भाड़ में जाये,रोजी रोटी ौर पानी वहा तक नसीब न हो,पर हम वातानुकूलित रहें औरअपनी बेतहाशा बढ़ती क्रयशक्ति के दम पर मुक्त बाजार के सारे मजे लूटते रहे,हमारी नागरिकता इतना मात्र है।


यह प्रकृति और मनुष्यता के विरुद्ध है।
सभ्यता के विरुद्ध अंधकार का साम्राज्यवाद है।
अमेरिकी साम्राज्यवाद है।


दीवारों में बंटे देश,जातियों में बंधे भूगोल की अखंडता,एकता हमेशा दांव पर होता है।


अब दे दिये सैनिक अड्डे अमेरिकी फौज के हावले तो आरप क्या उखाड़ लेंगे?


जो लोग बोलेंगे लिखेंगे,वे लोग राष्ट्रविरोधी  करार दिये जायेंगे।
अंध राष्ट्रवादियों के असहिष्णु देश के रंगभेद समय में जब हर दूसरा नागरिक संदिग्ध है और सवांद अपराध है,तो हम कैसे देश बेचने वालों के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।


विशुध हिंदुत्व के एजंडे को लागू करते रहिये।मंकी बातें सुनते रहें और अपने स्वजनों के खून से नहाते रहिये,रामायण महाभारत के किस्से कहानियां जीते हुए विकास की उड़ान भरते रहिये,सैनिक अड्डे गोरी फौजों के हवाले हैं तो क्या फर्क पड़ा,समूचा देश उनके हवाले हैं।हम काले लोग,गुलाम लोग आजादी के काबिल कभी बन सकें,मूक वधिर लोगों को मां सरस्वती वाणी दें तो भी हम भारत माता की ज. ही बोलेंगे और राष्ट्रविरोधियों के पाले में खड़े हो जायेंगे क्योंकि इसी मुक्त बाजार में हमें जीना मरना है।


यही हिंदू राष्ट्र का हिंदुत्व है।


यही वैदिकी सभ्यता और रामायण महाभारत वेद उपनिषद है।


अमेरिकी हस्तक्षेप से डा.मनमोहन सिंह ने देश का वित्तमंत्री बनकर नवउदारवाद के तहत निजीकरण ग्लोबीकरण और उदारीकरण के तहत ग्लोबल हिंदुत्व का परचम फहराया,आर्थिक सुधार तेज न होने के कारण अमेरिका ने उन्हें नीतिगत विकलांगता के आरोप में हटाकर गुजरात माडल का विकास पूरे देश में लागू करने के लिए
सत्ता के तमाम चेहरे बदल दिये।हमने इसे समझा ही नहीं।


अमेरिकी हितों के खिलाफ अमेरिका की मर्जी के खिलाफ अर्तव्यवस्था,राजकाज और राजनय चलाने वाले सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता भी,दो दो प्रधानमंत्री समेत मार दिये गये,फिर बी हम सोते रहे।


परदे के पीछे बेहद काम के आदमी हैं अपने हरुआ दाढ़ी उर्प हरदा उर्फ हरीश पंत।युगमंच और नैनीताल समाचार की टीमों के आल राउंडर।रंग कर्म और पत्रकारिता टीम के साझा सिपाहसालार,पवन राकेश के जोड़ीदार और गिर्दा की लगाम खींचने वाले।डीएसबी में चित्रकारी और कविता से शुरुआत करने के बाद नैनीताल से नीचे भाबर में बेस बनाकर अब भी नैनीताल समाचार कारप्रकाशन कर रहे हैं।


भारत अमरिकी रक्षा सहयोग पर उनमे बरसों पहले मृत कवि जाग उठा है और उनने लिखा हैः


रूस अमरीका का सट्टा / हम तुम साल उल्लूपट्ठा / आओ खेलें कट्टम कट्टा ।


उनका यह कवित्व सत्तर के दशक में डीएसबी में हमारे साथी राजाबहुगुणा का ताजा वाल पोस्ट पर टिप्पणी है।


राजा बहुगुणा का वाल पोस्टइस प्रकार हैः


अब भारतीय बेस में अमेरिकन फौज का वास होगा और देश में भारतमाता का जयकार होगा। देश का पैसा माल्या-अदानी की तिजोरी में होगा और हंगामा किया तो देशद्रोही करार होगा।कश्मीर में दरिंदगी का नाच होगा और जुबां खोली तो खंजर सीने के पार होगा।


नवउदारवादी जमाने के आगाज से पहले हम 1989 से ये ही बातें कहते लिखते रहे हैं।अमेरिका से सावधान उपन्यास लिखा।लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी।


जाहिर है कि  चिड़िया चुग गये खेत,अब पछताये का होत है।


इसी सिलसिले में कुंमाऊं से ही युवा सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश पांडेय का मंतव्यभी गौरतलब हैः
रक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार का अमेरिका के सम्मुख यह समर्पण शर्मनाक
"देशभक्ति का जाप कर लोगों को आतंकित करने वाली मोदी सरकार ने अमेरिका के सामने देश की संप्रभुता को गिरवी रखते हुए रक्षा क्षेत्र में 'लाजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट'करने का फैसला कर लिया है. इस समझौते से अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों का उपयोग करने का अधिकार मिल जायेगा जो कि देश की सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा पैदा कर देगा.
"अमेरिका का सैन्य इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जब उन्होंने किसी न किसी बहाने दूसरे देशों के सैन्य ठिकानों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है. इस समझौते की ख़ास बात यह भी है कि जिस समय अमेरिकी सेना हमारे देश के किसी हिस्से का उपयोग करेगी वह जगह तब तक अमेरिका की टेरिटरी (कब्ज़े वाली जगह) रहेगी और उस पर कोई भारतीय कानून लागू नहीं होगा. भाजपा सरकार का अमेरिका के सम्मुख यह समर्पण शर्मनाक है."
"अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर और भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर परिंकर ने कल संयुक्त रूप से कहा कि दोनों देशों की सेनाएं 'एक-दूसरे के रक्षा सामान का इस्तेमाल'कर सकेंगी"
क्या भारत सरकार ने राष्ट्रीय मर्यादा को ताक पर रख कर अमेरिका को हमारे रक्षा सामानों की इस्तेमाल की इजाजत देकर अपने देश को अमेरिका का जूनियर पार्टनर बना लिया है. देश की जनता देशभक्ति का सर्टिफिकेट बाँटने वालों से यह जानना चाहती है.
असल में फासीवादी लोग जितने जोर से देशभक्ति का नारा लगाते हैं उतना ही साम्राज्यवाद के आगे नतमस्तक भी होते हैं, यह फासीवाद का चरित्र है.
मोदी अमेरिका के आगे घुटने टेकने वाले रक्षा समझौतों को रद्द करें अन्यथा भारत की देशभक्त जनता चुप नहीं बैठेगी.

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आखिर दीदी को नोटिस थमाया आयोग ने। भूत नाच रहे हैं और संघियों को धो भी रहे हैं! मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं : ममता बनर्जी संघ परिवार के आत्मध्वंस का खेल बंगाल में अब तमाशा जोरदार दीदी को जिताने की जिद न छोडें केंद्रीय नेतृत्व तो समझ लीजिये कि अब तक भाजपाई बंगाल में जितने पिटे हैं,वह कुछ नहीं है क्योंकि बंगाल के संघियों को रोने की इजाजत भी नहीं है। सारे देश में जिन बजरंगियों का यह अखंड प्रताप है,वे केंद्रीय वाहिनियों,चुनाव आयोग के तमाम पर्यवेक्षकों की देख रेख में सरेआम पिटे जा रहे हैं लेकिन उनका माई बाप कोई नहीं है क्योंकि यूपी के चुनाव से पहले बंगाल में वाम कांग्से गठबंधन को शिकस्त देने की रणनीति के तहत संघ परिवार हर सूरत में दीदी की ताजपोशी नये सिरे से करना चाहता है। रोते पिटते गुहार लगाते संघियों की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।इसे लेकर नई दिल्ली में स्यापा इतना जबर्दस्त हुआ कि बर्दाश्त की भी हद होती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त आगे संघियों की कमसकम पिटाई न हो ,यह सुनिश्चित करने तीसरे चरण से पहले बंगाल पधारे हैं। सघियों को सोचना चाहिए कि ब

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आखिर दीदी को नोटिस थमाया आयोग ने।
भूत नाच रहे हैं और संघियों को धो भी रहे हैं!

मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं : ममता बनर्जी


संघ परिवार के आत्मध्वंस का खेल बंगाल में अब तमाशा जोरदार
दीदी को जिताने की जिद न छोडें केंद्रीय नेतृत्व तो समझ लीजिये कि अब तक भाजपाई बंगाल में जितने पिटे हैं,वह कुछ नहीं है क्योंकि बंगाल के संघियों को रोने की इजाजत भी नहीं है।
सारे देश में जिन बजरंगियों का यह अखंड प्रताप है,वे केंद्रीय वाहिनियों,चुनाव आयोग के तमाम पर्यवेक्षकों की देख रेख में सरेआम पिटे जा रहे हैं लेकिन उनका माई बाप कोई नहीं है क्योंकि यूपी के चुनाव से पहले बंगाल में वाम कांग्से गठबंधन को शिकस्त देने की रणनीति के तहत संघ परिवार हर सूरत में दीदी की ताजपोशी नये सिरे से करना चाहता है।

रोते पिटते गुहार लगाते संघियों की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।इसे लेकर नई दिल्ली में स्यापा इतना जबर्दस्त हुआ कि बर्दाश्त की भी हद होती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त आगे संघियों की कमसकम पिटाई न हो ,यह सुनिश्चित करने तीसरे चरण से पहले बंगाल पधारे हैं।

सघियों को सोचना चाहिए कि बीरभूम में 11 सीटें हैं और वहां खेत पर खेत हो जाने की रघुकुल रीति है और भूत बिरादरी किसी को बख्शने के मूड में नहीं है।खुलेआम हत्या हो जाने के बावजूद वहां एफआईआर तक दर्ज होने की भी परंपरा नहीं है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
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चुनाव आयोग के नोटिस पर दीदी की खुली चुनौती हैःममता बनर्जी ने कहा कि मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं।
दीदी वाम कांग्रेस गठबंधन के मुकाबले कांटे की टक्कर में फंसकर मिजाज पर काबू न रख पाने की वजह से मुश्किल में फंसती नजर आ रही है।लगातार संघ परिवार के खिलाफ चुप्पी साधने की कवायद उन्हें भारी पड़ने लगी है कि मशहूर हो गया है उनका और संग परिवार का गुपचुप गठबंधन।उत्तर बंगाल के मुसलमान पूरी तैयारी के साथ इस केसरिया गठबंधन के मुकाबले में है जिसका असर बारी बंगाल में भी होगा।

इसी बीच पश्चिम बंगालमें चुनावी सरगर्मी के बीच सीएम ममता बनर्जीको झटका लगा है। चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उन्हें नोटिस भेजा है। यह नोटिस उन्हें उनकी आसनसोल में हुई रैली के दौरान किए गए एक वादे के लिए भेजा गया है, जिसमें ममता ने सत्ता में वापसी पर आसनसोल को जिला बनाने का वादा किया था। उधर ममता बनर्जीने इस नोटिस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

चुनाव आयोग की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीभड़क गई है। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को चैलेंज करते हुए कहा कि वह सभी नोटिस के जवाब 19 मई को देंगी। गौरतलब है कि 19 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।

गौरतलब है कि  मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि आचार संहिता का उल्लंघन करने के कारण चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एक संवाददाता सम्मेलन में सीईसी ने कहा कि आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने ये भी कहा कि हमारी जानकारी में आया है कि उन्होंने आसनसोल से एक नया जिला बनाने का वादा किया जिसके बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। जैदी ने कहा कि उन्होंने कुछ और टिप्पणी की जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है।

बहरहाल मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया है कि बंगाल में प्रथम चरण के मतदान के बाद विभिन्न पार्टियों द्वारा कई शिकायतें मिली हैं और इन शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग प्रतिबद्ध है। अगले पांच चरणों की चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र व निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए आयोग ने यहां केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की संख्या और बढ़ाने का फैसला किया है। बाकी पांच चरणों के मतदान के दौरान यहां कुल 800 कंपनियां तैनात की जायेगी। प्रथम चरण के मतदान के समय यहां 400 कंपनियां थी। अब यहां और 400 कंपनियां असम से बुलायी जा रही हैं, जो बंगाल में मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक रहेंगी।

डीजीपी को आयोग ने लगायी फटकार
प्रथम चरण के चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा पर चुनाव आयोग ने राज्य के डीजीपी को फटकार लगायी है।  मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि प्रथम चरण के मतदान के पहले व बाद दोनों ही समय यहां हिंसक घटनाएं हुई हैं। इस संबंध में उन्होंने राज्य के डीजीपी को यहां जमीनी स्तर पर कानून व्यवस्था को सुधारने का निर्देश दिया है और साथ ही कानून-व्यवस्था पर रोजाना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। उन्होंने डीजीपी से किसी भी हिंसा पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जिन-जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।

अनुव्रत मंडल के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई
तृणमूल कांग्रेस के वीरभूम जिला अध्यक्ष अनुव्रत मंडल के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि उनके खिलाफ बहुज जल्द कानूनी कार्रवाई की जायेगी। गौरतलब है कि आयोग द्वारा अनुव्रत मंडल को पहले ही सेंसर किया जा चुका है और उसके बाद एक बार फिर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी, इसकी जानकारी आपको शीघ्र दे दी जायेगी।


दूसरी तरफ खास गौरतलब है कि मां माटी मानुष के राजकाज के तहत बंगाल के  लोकतंत्र महोत्सव में कमल फूल तो कहीं खिलखिलाते नजर नहीं आ रहे हैं,लेकिन किसी भी कीमत पर वाम कांग्रेस गठबंधन को शिकस्त देने के लिए दीदी को जिताने के लिए संघ परिवार का हर दांव उसके लिए सत्यानाश की दास्तां लिख रहा है।

हाल में बंगाल में जितनी धुनाई और जितनी पिटाई भाजपाइयों और संघियों की हुई है,बाकी पूरे देश में उसकी कोई सानी नहीं है।खूबी यह है कि संघी बंगाल में मार खा रहे हैं,लेकिन उन्हें रोने की इजाजत भी नहीं है।

मसलन वीरभूम के सत्ता सिपाहसालार बाहुबलि ने मतदान से पहले विरोधियों को वैनिश कर देने की धमकी दी है और वहां गाज गिरी भाजपाइयों पर।मयूरेश्वर से भाजपाई फिल्म स्टार लाकेट चटर्जी चुनाव मैदान में हैं जो रूपा गांगुली के साथ संग परिवार का ग्लेमक कोशेंट हैं।लाकेट बंगाल में और बाकी देश में परम आदरणीय रामकृष्ण परमहंस के वंशजों के परिवार से हैं।

बंगाली भावनाओं और धर्म का यह शानदार रेसिपी मयूरेश्वर में किसी काम का नहीं है।अब तक बीरभूम जिले में मारामारी वाम दलों और सत्ता दल के बीच होती रही है।अब वाम कांग्रेस गठबंधन बनने के बाद सत्ता सिपाहियों के लिए मसल पावर से वोटरों को डराने धमकाने की कवायद में संघी केसरिया कार्यकर्ता हाट केक नजर आ रहे  हैं।

इसी समीकरण के तहत सर्वत्र जंगलमहल से लेकर भाजपाइयों की पिटाई का कार्यक्रम पिछले दिनों लोकतंत्र महोतस्व का लाइव प्रसारण रहा।आसनसोल में बाबुल सुप्रिय सांसद हैं तो क्या वहां भी व्यापक पैमाने पर भाजपाई पिटे गये।

तीसरे चरण में उत्तर बंगाल की 45 सीटों पर मतदान होना है।जंगल महल की तरह वहां माओवादी नहीं है लेकिन संग परिवार कामतापुरी और गोरखा राज्य समर्थकों के दम पर उत्र बंगाल भी जीतना चाहते हैं।उनके लिए मुश्किलहै कि समूचा उत्र बंगाल इस वक्त दीदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और मालदह मुर्शिदाबाद के मुस्लिमबहुल इलाकों में भी कांग्रेस के मुकाबले दीदी पीछे ही हैं।

बाकी जिलों में जहां वाम समर्थन प्रबल है,वहां कांग्रसे साथ है।ऐसे हालात में इन तमाम इलाकों में पिछले दो चरणों के मुकाबले लड़ाई कांटे की होगी और भूतों का नाच सिर्फ बूथों और बूथों के आस पास सीमाबद्ध नही रहनेवाला है।

जैसा कि बीरभूम में महनों पहले से दहशत का माहौल कायम हैं जहां दिन हो या रात हथियारबंद भूतों का पहरा है कि परिंदा भी पर कहीं मार न सकें।वाम कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए संघियों की वहां बलि चढ़ाने की तैयारी है।इसके लिए रस्म अदायगी बतौर यज्ञ होम इत्यादि के सात ओ3म स्वाहा का मंत्र जाप चल रहा है और वैनिश करने के नमूने के तौर पर बजरंगी पिटे जा रहे हैं।

संघ परिवार के लिए शर्म की बात है कि बाकी देश में वे किसी को भी राष्ट्रद्रोही घोषित कर देते हैं । विश्वविद्यालय तक पर हमला कर देते हैं।धर्मस्थलों का ठेका उन्हीं के पास है तो धर्म कर्म कारोबार का भी।कलबुर्गी,पनसारे से लेकर महात्मा गाधी तक इनकी राष्ट्रभक्ति का गौरवशाली इतिहास है।अभी अभी इन्हीं बजरंगियों ने शनिमंदिर में स्त्रियों के प्रवेश के आंदोलन का नेतृत्व किया तो उन मंदिरों में भी आंदोलन चलाने का ऐलान कर दिया,जहां स्त्री का प्रवेशाधिकार निषिद्ध है।

बजरंगियों ने उन्हीं तृप्ति देसाई को पीट दिया और जेएनयू से बाबासाहेब की 125वीं जयंती पर दीक्षाभूमि जाते हुए नागपुर में भी उनको घेर दिया।

सारे देश में जिन बजरंगियों का यह अखंड प्रताप है,वे केंद्रीय वाहिनियों,चुनाव आयोग के तमाम पर्यवेक्षकों की देख रेख में सरेआम पिटे जा रहे हैं लेकिन उनका माई बाप कोई नहीं है क्योंकि यूपी के चुनाव से पहले बंगाल में वाम कांग्से गठबंधन को शिकस्त देने की रणनीति के तहत संघ परिवार हर सूरत में दीदी की ताजपोशी नये सिरेसे करना चाहता है।

रोते पिटते गुहार लगाते संघियों की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इसे लेकर नई दिल्ली में स्यापा इतना जबर्दस्त हुआ कि बर्दाश्त की भी हद होती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त आगे संघियों की कमसकम पिटाई न हो ,यह सुनिश्चित करने तीसरे चरण से पहले बंगाल पधारे हैं।

सघियों को सोचना चाहिए कि बीरभूम में 11 सीटें हैं और वहां खेत पर खेत हो जाने की रघुकुल रीति है और भूत बिरादरी किसी को बख्शने के मूड में नहीं है।खुलेआम हत्या हो जाने के बावजूद वहां एफआईआर तक दर्ज होने की भी परंपरा नहीं है।


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Bhim Yatra .. so that there are no more killings -subhash gatade

Previous: आखिर दीदी को नोटिस थमाया आयोग ने। भूत नाच रहे हैं और संघियों को धो भी रहे हैं! मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं : ममता बनर्जी संघ परिवार के आत्मध्वंस का खेल बंगाल में अब तमाशा जोरदार दीदी को जिताने की जिद न छोडें केंद्रीय नेतृत्व तो समझ लीजिये कि अब तक भाजपाई बंगाल में जितने पिटे हैं,वह कुछ नहीं है क्योंकि बंगाल के संघियों को रोने की इजाजत भी नहीं है। सारे देश में जिन बजरंगियों का यह अखंड प्रताप है,वे केंद्रीय वाहिनियों,चुनाव आयोग के तमाम पर्यवेक्षकों की देख रेख में सरेआम पिटे जा रहे हैं लेकिन उनका माई बाप कोई नहीं है क्योंकि यूपी के चुनाव से पहले बंगाल में वाम कांग्से गठबंधन को शिकस्त देने की रणनीति के तहत संघ परिवार हर सूरत में दीदी की ताजपोशी नये सिरे से करना चाहता है। रोते पिटते गुहार लगाते संघियों की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।इसे लेकर नई दिल्ली में स्यापा इतना जबर्दस्त हुआ कि बर्दाश्त की भी हद होती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त आगे संघियों की कमसकम पिटाई न हो ,यह सुनिश्चित करने तीसरे चरण से पहले बंगाल पधारे हैं। सघियों को सोचना चाहिए कि ब
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Bhim Yatra .. so that there are no more killings

-subhash gatade

 

Rarely does Jantar-Mantar, the place in the heart of Delhi, gets 'enlivened' with people who share very similar type of tragedy - one should say man made tragedy. The culmination of 125 day Bhim Yatra - led by Safai Karmchari Aandolan - which had started from Dibrugarh in the North East on 10 th December and had traversed around 500 districts and 30 states, proved to be one such occasion. (13 th April 2016)

The big public meeting organised at Jantar Mantar, attended by hundreds of safai karmcharis from different parts of the country and many individuals, activists who are sympathetic to their cause, was just another way to celebrate Dr Ambedkar's 125 th birth anniversary, a day earlier. Special focus of the Yatra was on deaths in sewers and septic tanks and the key slogan was 'Stop Killing us in Dry Latrines, Sewers and Septic tanks'. In fact, most of the people who were sitting on the podium belonged to such families only, who had lost their near-dear ones in cleaning sewer or septic tanks

Sunayana ( age 9 years) who lives with her grandparents these days in Lucknow, had lost her father in similar 'accident' and her mother also died due to shock within few days of her father's death. There was Rahul ( aged 13 years) from Tamil Nadu who had lost his father merely a week back and was inconsolable on stage also. Pinki ( aged 35 year) from Varanasi, a mother of two kids was one of the most articulate among those who had gathered there. She had lost her husband three years back and was emphatic that 'we are not here for compensation.' We are part of this caravan now and 'want that nobody should face similar tragedies hereafter.' Kartar ( Delhi) still could recount how his son was called by his contractor when a fellow worker had already died cleaning the sewer. According to him the contractor rather forced him to descend into the sewer and take out fellow workers body and in the process his son also inhaled poisonous gases and died on the spot.

Everybody had a heartrending story to tell. Many like Santosh just could not even utter a word as it was no narrating an experience but 'reliving' the whole episode and its aftermath.

A query rather resonated all these presentations: How long their sons/husbands will have to die cleaning other people's waste and excreta in a country which boasts of sending satellites into space. How does one explain allotment of thousands of crores of Rs for drainage and sewerage work, so much money being spent on laying/relaying pipes and drains that are designed to kill? Is it because ours is a society where Varnamind-set still dominates, and that's why a human friendly system of garbage and sewage management has still not been conceived as planners rely on 'expendable dalit labour'.

Charter of Demands - Bhim Yatra : Stop  KILLING us

To tender an apology to the safai karamchari community for the historical injustice and centuries of humiliation heaped on us by engaging us as manual scavengers,

To eliminate manual scavenging immediately, without any further delay or postponement.   We will not accept any more deadlines that were extended in the past, from time to time

Stop the deaths in sewer lines and septic tanks at all costs. Modernize and mechanize the sanitation system and do whatever it takes to stop killing people in sewer work

Pay Rs. 10 lakhs as mandated by the SC order, to dependants of those who have died in sewer lines since 1993 without any hassles or hesitation

Enhance the one time cash payment given as immediate relief to liberated manual scavengers from Rs. 40,000 to Rs. Three lakhs.

Interestingly it was only last month that a member of Parliament from Upper House during zero hour session said that there ' there are more than 22,000 deaths every year while cleaning sewers in different parts of the country 'as per the records of National Commission of Safai Karmacharis'(34. http://www.thehindubusinessline.com/news/high-death-rate-among-scavengers-while-on-duty-bjp-mp/article8331909.ece)  One does not know how the NCSK has got these figures but it is interesting to note that the figures quoted by the honourable member of the ruling party exactly matched the details of a story in a magazine which had appeared nine years back. The said story titled "Life Inside a Black Hole," discussed how "Beneath the glitter of India are dark alleys in which are trapped poisonous gases and millions of Dalits who do our dirty job in return for disease and untouchability." According to the author Siriyan Anand,

At least 22,327 Dalits of a sub-community die doing sanitation work every year. Safai Kamgar Vikas Sangh, a body representing sanitation workers of the Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC), sought data under the Right to Information Act in 2006, and found that 288 workers had died in 2004–05, 316 in 2003–04, and 320 in 2002– 03, in just 14 of the 24 wards of the BMC. About 25 deaths every month. These fi gures do not include civic hospital workers, gutter cleaners or sanitation workers on contract. Compare this with the 5,100 soldiers—army, police, paramilitaries—who have died between 1990 and 2007 combating militancy in Jammu and Kashmir ( Anand, Siriyavan (2007) : "Life Inside a Black Hole," Tehelka, Vol 4, No 44, http://archive.tehelka.com/story_main36.asp?filename=Neo81207LIFE_INSIDE.asp,accessed on 18 Feb 2015).

Not that there have not been legislative actions or policy interventions to stop these killings but the impact has been symbolic. It was the year 2014 when Supreme Court passed a historic judgement and also asked the all the State Governments and the Union Territories to fully implement the 2013 act, prevent deaths in sewer holes  and grant compensation of Rs 10 lakh to families of all persons who have died in manholes. A study by Safai Karmchari Aandolan reveals that only in 3 % cases families of victims received the promised compensation.

So many avoidable deaths cleaning sewers/septic tanks here can create an impression that deaths in sewers is a common phenomenon everywhere? Definitely not. An occupational health physician Ashish Mittal's study on Sewer Workers ( Hole to Hell, 2005) had in fact compared situation here with situation in most developed nations? It explained

'[m]anhole workers there are protected in bunny suits to avoid contact with contaminated water and sport a respiratory apparatus; the sewers are well-lit, mechanically aerated with huge fans and therefore are not so oxygen deficient. In Hong Kong, a sewer worker, after adequate training, needs at least 15 licences and permits to enter a manhole.'

Addressing the gathering at Jantar Mantar, Bejwada Wilson, who is a leading activist of the 'Safai Karmachari Aandolan' narrated an experience from Ahmedabad leg of this tour. During meeting in one of the bastis of safai karamcharis he met a young boy who told him that he wants to become a doctor. When the boy was prodded further, it was discovered that his father had died because of poisonous gases inside the sewer, and could have been saved had he received medical attention in time. The boy was emphatic ' If I become a doctor, then I can at least ensure that such people can receive immediate medical treatment'.

It is very positive sign that there are voices of fresh rumblings within the historically despised and stigmatised 'scavenging' communities and a large section of the younger ones of the community are getting ready to come out of broom and human waste.

To conclude, the Bhim Yatra with the key slogan of 'Stop Killing Us in Dry Latrines, Sewers and Septic Tanks'  has come at a very inopportune time as far as the trumpetting which is being witnessed around  Swacch Bharat Abhiyan.

One learns that the government wants to send across a very positive image of its flagship programme. Apart from directing different governments to retake the pledge which was administered to them at the launch of the campaign  and imposing a Swacch Bharat cess of 0.5 % on all services liable for service tax, a proposal is also under consideration wherein the private companies and PSUs would be asked to spend around 30 % of CSR funds on this initiative.

But as it is evident all the glitter and glow would not be able to hide the penetrating questions being raised or the devastating criticism it is being subjected to. All the claims of Swacch Bharat Abhiyan notwithstanding , it will have to answer the simple query raised by Bhim Yatra that manual scavengers are still being 'killed' in dry latrines, sewers and septic tanks and for them how fictitious all these promises of 'Clean India' look.

 

 


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Next: बेहतर हो कि मतदान से पहले सत्तादल को विजयी घोषित कर दें ताकि अमन चैन बहाल हो और लू की मार झेलते लोगों को अपनी जान माल दांव पर लगाना न पड़े! क्योंकि मुख्यमंत्री ने तृणमूल की तय जीत के नतीजे का ऐलान करके इंच इंच हिसाब लेने की धमकी दी है। वीरभूम में वीरगति किस किसकी होगी कोई जाने ना,हटाये गये एसपी,थानेदार। फिरभी बाज नहीं आ रहे बाहुबलि तो चुनाव आयोग पर बरसीं दीदी! लोकतंत्र महोत्सव में खून की होली और अधीर चौधरी के मंच के नीचे ताजा बम,स्मृति की चुनाव सभा में भी बम का आतंक एक्सेकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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-subhash gatade

 

Rarely does Jantar-Mantar, the place in the heart of Delhi, gets 'enlivened' with people who share very similar type of tragedy - one should say man made tragedy. The culmination of 125 day Bhim Yatra - led by Safai Karmchari Aandolan - which had started from Dibrugarh in the North East on 10 th December and had traversed around 500 districts and 30 states, proved to be one such occasion. (13 th April 2016)

The big public meeting organised at Jantar Mantar, attended by hundreds of safai karmcharis from different parts of the country and many individuals, activists who are sympathetic to their cause, was just another way to celebrate Dr Ambedkar's 125 th birth anniversary, a day earlier. Special focus of the Yatra was on deaths in sewers and septic tanks and the key slogan was 'Stop Killing us in Dry Latrines, Sewers and Septic tanks'. In fact, most of the people who were sitting on the podium belonged to such families only, who had lost their near-dear ones in cleaning sewer or septic tanks

Sunayana ( age 9 years) who lives with her grandparents these days in Lucknow, had lost her father in similar 'accident' and her mother also died due to shock within few days of her father's death. There was Rahul ( aged 13 years) from Tamil Nadu who had lost his father merely a week back and was inconsolable on stage also. Pinki ( aged 35 year) from Varanasi, a mother of two kids was one of the most articulate among those who had gathered there. She had lost her husband three years back and was emphatic that 'we are not here for compensation.' We are part of this caravan now and 'want that nobody should face similar tragedies hereafter.' Kartar ( Delhi) still could recount how his son was called by his contractor when a fellow worker had already died cleaning the sewer. According to him the contractor rather forced him to descend into the sewer and take out fellow workers body and in the process his son also inhaled poisonous gases and died on the spot.

Everybody had a heartrending story to tell. Many like Santosh just could not even utter a word as it was no narrating an experience but 'reliving' the whole episode and its aftermath.

A query rather resonated all these presentations: How long their sons/husbands will have to die cleaning other people's waste and excreta in a country which boasts of sending satellites into space. How does one explain allotment of thousands of crores of Rs for drainage and sewerage work, so much money being spent on laying/relaying pipes and drains that are designed to kill? Is it because ours is a society where Varnamind-set still dominates, and that's why a human friendly system of garbage and sewage management has still not been conceived as planners rely on 'expendable dalit labour'.

Charter of Demands - Bhim Yatra : Stop  KILLING us

To tender an apology to the safai karamchari community for the historical injustice and centuries of humiliation heaped on us by engaging us as manual scavengers,

To eliminate manual scavenging immediately, without any further delay or postponement.   We will not accept any more deadlines that were extended in the past, from time to time

Stop the deaths in sewer lines and septic tanks at all costs. Modernize and mechanize the sanitation system and do whatever it takes to stop killing people in sewer work

Pay Rs. 10 lakhs as mandated by the SC order, to dependants of those who have died in sewer lines since 1993 without any hassles or hesitation

Enhance the one time cash payment given as immediate relief to liberated manual scavengers from Rs. 40,000 to Rs. Three lakhs.

Interestingly it was only last month that a member of Parliament from Upper House during zero hour session said that there ' there are more than 22,000 deaths every year while cleaning sewers in different parts of the country 'as per the records of National Commission of Safai Karmacharis'(34. http://www.thehindubusinessline.com/news/high-death-rate-among-scavengers-while-on-duty-bjp-mp/article8331909.ece)  One does not know how the NCSK has got these figures but it is interesting to note that the figures quoted by the honourable member of the ruling party exactly matched the details of a story in a magazine which had appeared nine years back. The said story titled "Life Inside a Black Hole," discussed how "Beneath the glitter of India are dark alleys in which are trapped poisonous gases and millions of Dalits who do our dirty job in return for disease and untouchability." According to the author Siriyan Anand,

At least 22,327 Dalits of a sub-community die doing sanitation work every year. Safai Kamgar Vikas Sangh, a body representing sanitation workers of the Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC), sought data under the Right to Information Act in 2006, and found that 288 workers had died in 2004–05, 316 in 2003–04, and 320 in 2002– 03, in just 14 of the 24 wards of the BMC. About 25 deaths every month. These fi gures do not include civic hospital workers, gutter cleaners or sanitation workers on contract. Compare this with the 5,100 soldiers—army, police, paramilitaries—who have died between 1990 and 2007 combating militancy in Jammu and Kashmir ( Anand, Siriyavan (2007) : "Life Inside a Black Hole," Tehelka, Vol 4, No 44, http://archive.tehelka.com/story_main36.asp?filename=Neo81207LIFE_INSIDE.asp,accessed on 18 Feb 2015).

Not that there have not been legislative actions or policy interventions to stop these killings but the impact has been symbolic. It was the year 2014 when Supreme Court passed a historic judgement and also asked the all the State Governments and the Union Territories to fully implement the 2013 act, prevent deaths in sewer holes  and grant compensation of Rs 10 lakh to families of all persons who have died in manholes. A study by Safai Karmchari Aandolan reveals that only in 3 % cases families of victims received the promised compensation.

So many avoidable deaths cleaning sewers/septic tanks here can create an impression that deaths in sewers is a common phenomenon everywhere? Definitely not. An occupational health physician Ashish Mittal's study on Sewer Workers ( Hole to Hell, 2005) had in fact compared situation here with situation in most developed nations? It explained

'[m]anhole workers there are protected in bunny suits to avoid contact with contaminated water and sport a respiratory apparatus; the sewers are well-lit, mechanically aerated with huge fans and therefore are not so oxygen deficient. In Hong Kong, a sewer worker, after adequate training, needs at least 15 licences and permits to enter a manhole.'

Addressing the gathering at Jantar Mantar, Bejwada Wilson, who is a leading activist of the 'Safai Karmachari Aandolan' narrated an experience from Ahmedabad leg of this tour. During meeting in one of the bastis of safai karamcharis he met a young boy who told him that he wants to become a doctor. When the boy was prodded further, it was discovered that his father had died because of poisonous gases inside the sewer, and could have been saved had he received medical attention in time. The boy was emphatic ' If I become a doctor, then I can at least ensure that such people can receive immediate medical treatment'.

It is very positive sign that there are voices of fresh rumblings within the historically despised and stigmatised 'scavenging' communities and a large section of the younger ones of the community are getting ready to come out of broom and human waste.

To conclude, the Bhim Yatra with the key slogan of 'Stop Killing Us in Dry Latrines, Sewers and Septic Tanks'  has come at a very inopportune time as far as the trumpetting which is being witnessed around  Swacch Bharat Abhiyan.

One learns that the government wants to send across a very positive image of its flagship programme. Apart from directing different governments to retake the pledge which was administered to them at the launch of the campaign  and imposing a Swacch Bharat cess of 0.5 % on all services liable for service tax, a proposal is also under consideration wherein the private companies and PSUs would be asked to spend around 30 % of CSR funds on this initiative.

But as it is evident all the glitter and glow would not be able to hide the penetrating questions being raised or the devastating criticism it is being subjected to. All the claims of Swacch Bharat Abhiyan notwithstanding , it will have to answer the simple query raised by Bhim Yatra that manual scavengers are still being 'killed' in dry latrines, sewers and septic tanks and for them how fictitious all these promises of 'Clean India' look.

 

 


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बेहतर हो कि मतदान से पहले सत्तादल को विजयी घोषित कर दें ताकि अमन चैन बहाल हो और लू की मार झेलते लोगों को अपनी जान माल दांव पर लगाना न पड़े! क्योंकि मुख्यमंत्री ने तृणमूल की तय जीत के नतीजे का ऐलान करके इंच इंच हिसाब लेने की धमकी दी है। वीरभूम में वीरगति किस किसकी होगी कोई जाने ना,हटाये गये एसपी,थानेदार। फिरभी बाज नहीं आ रहे बाहुबलि तो चुनाव आयोग पर बरसीं दीदी! लोकतंत्र महोत्सव में खून की होली और अधीर चौधरी के मंच के नीचे ताजा बम,स्मृति की चुनाव सभा में भी बम का आतंक एक्सेकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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बेहतर हो कि मतदान से पहले सत्तादल को विजयी घोषित कर दें ताकि अमन चैन बहाल हो और लू की मार झेलते लोगों को अपनी जान माल दांव पर लगाना न पड़े!
क्योंकि मुख्यमंत्री ने तृणमूल की तय जीत के नतीजे का ऐलान करके इंच इंच हिसाब लेने की धमकी दी है।
वीरभूम में वीरगति किस किसकी होगी कोई जाने ना,हटाये गये एसपी,थानेदार।
फिरभी बाज नहीं आ रहे बाहुबलि तो चुनाव आयोग पर बरसीं दीदी!
लोकतंत्र महोत्सव में खून की होली और अधीर चौधरी के मंच के नीचे ताजा बम,स्मृति की चुनाव सभा में भी बम का आतंक
एक्सेकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
बेहतर हो कि मतदान से पहले बंगाल में  सत्तादल को विजयी घोषित कर दें ताकि अमन चैन बहाल हो और लू की मार झेलते लोगों को अपनी जान माल दांव पर लगाना न पड़े।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग के हस्तक्षेप के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अधीर चौधरी के सभामच के नीचे ताजा बम बरामद किये गये तो हावड़ा के मालीपांचघड़ा थाना इलाके में तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस समर्थकों में गुरुवार रात हुई झड़प में आठ से अधिक घायल हो गये। घायलों में एक की हालत गंभीर बतायी जा रही है।

इसीतरह मालदा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के एक चुनावी सभा के ठीक पहले सभा स्थल से कुछ ही दूरी पर बम होने की खबर है। मालदा के पोस्ट ऑफिस एरिया की यह घटना है।

पुलिस बल और बम निरोधक दस्ते को मौके पर भेज दिया गया है। ईरानी की आज यहां पर 2.00 बजे एक चुनावी सभा करने वाली हैं।  कुछ समय पहले मालदा में हिंसा के यहां की घटना सुर्खियों में थी। भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला किया था।

देर रात तक मालीपांचघड़ा थाने के सामने तनाव का माहौल रहा। थाने के सामने सैकड़ों की संख्या में तृणमूल कांग्रेस के समर्थक जुट गये और कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने लगे। तनाव को देखते हुए थाना के सामने रैफ, केंद्रीय बल, पुलिस के सभी आला अधिकारी पहुंचे।पूरे बंगाल में माहौस कमोबेश इसीतरह विस्फोटक है।

मसलन उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी संतोष पाठक के समर्थन में वार्ड नंबर 2 के दयाराम नस्कर लेन में कांग्रेस के कुछ समर्थक बैनर लगा रहे थे, तभी तृणमूल समर्थकों के कुछ समर्थक वहां पहुंचे और बैनर लगाने रोका। इसी दौरान दोनों पक्षों में बहस हुई, जो मारपीट तब्दील हो गयी।

खबर पाकर कांग्रेस प्रत्याशी संतोष पाठक और तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी रतन शुक्ला अपने समर्थकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। आरोप है कि कांग्रेस समर्थकों ने तृणमूल कांग्रेस के चार समर्थकों को बुरी तरह पीटा। इसमें एक समर्थक आमिर अंसारी की हालत गंभीर बतायी जा रही है। आमिर सीएमआरआइ अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
खबर फैलते ही सैकड़ों की संख्या में तृणमूल कांग्रेस समर्थक मालीपांचघड़ा थाने के पास पहुंच गये और प्रदर्शन करने लगे। हंगामा को बढ़ता देख पुलिस कांग्रेस प्रत्याशी संतोष पाठक को अपनी सुरक्षा में थाने के अंदर ले गयी। देर रात तक प्रदर्शन जारी रहा। केंद्रीय बल के पहुंचने के बाद प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा गया।
घटना के दौरान मीडियाकर्मियों के साथ भी मारपीट की गयी। दो मीडियाकर्मी के कैमरे और मोबाइल भी छीन लिये।


हम नहीं जानते कि इसे संवैधानिक संकट कहने में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की जरुरत है या नहीं लेकिन बंगाल में धांधली और हिंसा की जांच करने के बाद चुनाव आयोग की कार्वाई से संवैधानिक संकट का नजारा है,जहां लोकतंत्र अब गैरप्रांगिक है क्योंकि असंसदीयभाषा और असंसदीय गतिविधियां मुख्यधारा है।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव केतीसरे चरण के मतदान से पहले  निर्वाचन आयोग और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव की स्थित पैदा हो गयी है। गुरुवार को आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में जहां आयोग ने सीएम को नोटिस जारी किया तो वहीं, ममता ने पलटवार करते हुए चुनाव आयोग को ही चुनौती दे दी।

मां माची मानुषकी सरकार की मुख्यमंत्री ने एकदम बजरंगी तेवर में  नतीजे का ऐलान करके इंच इंच हिसाब लेने की धमकी दी है।चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा मतदाताओं से आसनसोल को जिला बनाने का वादा करने से नाराज चुनाव आयोग ने गुरुवार को मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी से जवाब तलब किया। प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  ने पलटवार कर दिया.।

आयोग को खुली चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है। ऐसा हजार बार कहूंगी-करोड़ बार कहूंगी।

आयोग को खुली चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आयोग को जो करना है, कर ले।

इस बीच, सत्तादल के लिए सबसे बुरी खबर यह है कि लोकसभा की आचार समिति ने स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर रुपये लेते दिखाये गये तृणमूल के पांच सांसदों को नोटिस भेजा है.

ऐसी खौलती हुई फिजां में सत्ता में वापसी के लिए जनादेश वास्ते जनता की अदालत है या लोकतंत्र महोत्सव या फिर खून की होली है,कुछ कहना फिलहाल मुश्किल है।

जब सबकुछ पहले से तयशुदा प्रोग्रामिंग के तहत होना अनिवार्य है तो इस खूंरेज तमाशे से लगातार बह रही लू के मध्यआम नागरिकों को वोटर होने के जुर्म में पिघलते आसमान और दहकती जमीन के मध्य बूथों तक दौड़ाने की क्या जरुरत है और करदाताओं के खून पसीने की कमाई बेमतब खर्च करते हुए बंगाल में आठ सौ कंपनियां केंद्रीय वाहिनी तैनात करने की जरुरत क्यों हैं।
लोकतंत्र और संविधान की कितनी परवाह करते हैं राजनेता,उसकी मिसालें बंगाल में कायम हो रही है और रोज नये नये रिकार्ड बन बिगड़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बिना जांच पड़ताल आरोप लगाये तो अब मुख्यमंत्री अपने संवैधानिक हैसियत से बेपरवाह संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग को खुलेआम आम चुनाव सभा से चुनौती देने लगी हैं।

मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि चुनाव वे ही जीत रही हैं और उनके बाहुबलि उनके शात खड़े ऐलान कर रहे हैं कि विपक्ष को वैनिश कर देंगे तो मुख्यमंत्री चुनाव आयोग और विपक्ष से इंच इंच हिसाब लेने की धमकी दे रही हैं।

इसी बीच घूसखोरी के आरोप में फंसे सत्तादल के लोकसभा सदस्यों को तीसरे दौर के मतदान से पहले लोकसभा की नैतिकता समिति ने नोटिस जारी कर दिया है।कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को हटाने का मुख्यमंत्री ने भयंकर विरोध किया है तो वीरभूम के पुलिस महकमे में फेरबदल पर उनने खुलेआम चुनाव आयोग को चुनौती दी है।

ऐसे हालात में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव असंभव है और इस भयंकर मौसम में लोकतंत्र का तमाशा और भूतों का नाच आम जनता की सेहत और सलामती के लिए बेहद खतरनाक है।

बेहतर हो कि मतदान से पहले सत्तादल को विजयी घोषित कर दें ताकि अमन चैन बहाल हो और लू की मार झेलते लोगों को अपनी जान माल दांव पर लगाना न पड़े।
गौरतलब है ककि मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी अन्य चुनाव आयुक्तों के साथ गुरुवार को कोलकाता में थे। उन्होंने अधिकारियों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कीं।

बैछकों के बाद संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त जैदी ने बताया कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें 24 घंटे के अंदर जवाब देने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि ममता बनर्जी ने बुधवार को आसनसोल में चुनावी सभा में आचार संहित का उल्लंघन किया था। उन्होंने आसनसोल को अलग जिला बनाने का वादा किया था। यह आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आता है।
इसके तुरंत बाद ममता ने बीरभूम जिले के मुरारई व सिउड़ी में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए चुनाव आयोग पर करारा हमला बोल दिया और उसे खुली चुनौती दी।दीदी को कोलकाता में चुनाव आयोग की बैछक और जैदी के संवाददाता सम्मेलन का ब्यौरा तुरंत मिल गया,जाहिर है और वे संविधान और लोकतंत्र की परवाह किये बिना आगबबूला होकर गली मोहल्ले के झगड़े फसाद में इस्तेमाल किये जाने वाली भाषा में बरस पड़ीं।

ममता बनर्जी ने सीधे आरोप लगाया कि चुनाव आयोग माकपा, कांग्रेस और भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।

इसके बाद म्यान से खुली नंगी तलवार निकालने की तर्ज पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी नेता अनुब्रत मंडल की गिरफ्तारी से पहले कई अन्य नेताओं को गिरफ्तारी करना होगा तथा शोकॉज से वह नहीं डरती हैं। उन्होंने जो कहा है, हजार बार कहेंगी-करोड़ बार कहेंगी।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग पार्टी नेता अनुब्रत की गिरफ्तारी करने की  बात कह रहा है। उनने चुनौती दी कि अनुब्रत ने क्या किया है कि उसकी गिरफ्तारी  की  जायेगी।फिर दावा भी किया कि  उसके साथ पूरे बीरभूम जिले की जनता है। उसकी गिरफ्तारी करने से पहले माकपा सांसद मोहम्मद सलीम को गिरफ्तार करना होगा, जिसने खून की नदी बहाने की बात कही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुब्रत की गिरफ्तारी से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की गिरफ्तारी क्यों नहीं होगी, माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती की गिरफ्तारी क्यों नहीं होगी?

मुख्यमंत्री ने कहा कि  माकपा नेता बिमान बोस, पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की गिरफ्तारी  क्यों नहीं होगी? अनुब्रत की गिरफ्तारी से पहले इन सबको गिरफ्तार करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि  उन्होंने सुना है कि चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ शोकॉज जारी किया है। उन्होंने जो कुछ भी  कहा है, सोच समझ कर कहा है। यह बात को हजार बार कहेंगी तथा करोड़ बार कहेंगी। जिसको जो करना है, कर ले।
उन्होंने कहा कि वह भी मनुष्य हैं। चुनाव आयोग की एकतरफा कार्रवाई नहीं चल सकती है। उन्होंने काफी संयम बरता है। लेकिन अब वह चुनाव आयोग के खिलाफ मुंह खोल रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग को 40 पत्र लिखे, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन कामरेड, कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेता जो कहते हैं, चुनाव आयोग वही करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया। पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया गया। पुलिस कमिश्नर (राजीव कुमार) जैसा ईमानदार कोई  पुलिस अधिकारी नहीं हो सकता है। उसे क्यों हटाया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन सौ-साढ़े तीन सौ थाना प्रभारियों को हटाया गया। दुर्गापुर में मतदान के ठीक पहले वहां के थानेदार को हटा दिया गया। सभी हमारे लोग हैं।

फिर उन्होंने खुलकर ऐलान कर दिया कि  पुलिस अधिकारियों को हटाया जा सकता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस को तो नहीं हटाया जा सकता है। चुनाव में जनता अपने लोकतांत्रिक अधिकार से इन विपक्षियों को समेट कर पूरे राज्य से विदा दे देगी।  उन्होंने कहा कि राज्य के लोग 19 मई को उससे (चुनाव आयोग) कारण पूछेंगे। 19 मई को राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे आयेंगे।
राजनीतिक दलों से मिली हैं शिकायतें: मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बंगाल में प्रथम चरण के मतदान के बाद राजनीतिक दलों से कई शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग प्रतिबद्ध है। अगले पांच चरणों की चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र व निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए आयोग ने यहां केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। बाकी पांच चरणों के मतदान के दौरान 800 कंपनियां तैनात की जायेंगी। प्रथम चरण के मतदान के समय यहां 400 कंपनियां थीं। अब यहां और 400 कंपनियां असम से बुलायी जा रही हैं, जो बंगाल में मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक रहेंगी।
राज्य के डीजीपी को चुनाव आयोग ने लगायी फटकार: प्रथम चरण के चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा पर चुनाव आयोग ने राज्य के डीजीपी को फटकार लगायी है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि प्रथम चरण के मतदान के पहले व बाद दोनों ही समय यहां हिंसक घटनाएं हुई हैं। इस संबंध में उन्होंने डीजीपी को यहां जमीनी स्तर पर कानून व्यवस्था को सुधारने का निर्देश दिया है। कानून-व्यवस्था पर रोजाना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने डीजीपी से किसी भी हिंसा पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जिन-जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।
अनुब्रत मंडल के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई: तृणमूल कांग्रेस के बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि उनके (अनुब्रत) खिलाफ बहुत जल्द कानूनी कार्रवाई की जायेगी। गौरतलब है कि आयोग द्वारा अनुब्रत मंडल को पहले ही सेंसर किया जा चुका है और उसके बाद एक बार फिर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी, इसकी जानकारी आपको शीघ्र दे दी जायेगी।

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दीदी का खास सिपाहसालार अनुब्रत मंडल नजरबंद,खेल बदलने लगा! भूतों को पिंजरे में बंद कर दिया तो उत्तर बंगाल में ही पांसा पलट जायेगा! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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दीदी का खास सिपाहसालार अनुब्रत मंडल नजरबंद,खेल बदलने लगा!

भूतों को पिंजरे में बंद कर दिया तो उत्तर बंगाल में ही पांसा पलट जायेगा!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

अब भूतों को पिंजरे में बंद कर दिया तो उत्तर बंगाल में ही पांसा पलट जायेगा।क्योंकि चुनाव आयोग के निर्देश से दीदी का खास सिपाहसालार अनुब्रत मंडल नजरबंद हैं।खेल बदलने लगा है।विपक्ष को वैनिश कर देने की धमकी देने वाले अनुब्रत मंडल के खुद चुनाव मैदान से वैनिश हो जाने की नौबत आ गयी है।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  को चुनाव आयोग के नोटिस के जबाव में राज्य सरकार ने चुनाव आयोग पर जल्दबाजी नमें कार्रवाई करने का आरोप भी लगी दिया और कार्रवाई से पहले रिकार्ड देख लेने की सलाह भी दे डाली।


इसके जवाब में दीदी के तमाम सुभाषित के रिकार्ड सीधे दिल्ली रवाना कर दिये गये और अनुब्रत नजरबंद हो गये।दीदी के आग बरसाते बोल भी वीडियो में कैद दिल्ली रवाना हो गये हैं।इस पर तुर्रा यह कि नारद स्टिंग में फंसे तमाम तृणमूली सांसदों को नोटिस देकर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरु हो चुकी है।इस ममले में संघ परिवार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया ,जबकि पहले यह समझा जा रहा था कि बंगाल में चुनाव से पहले कोई कार्रवाई नहीं होगी।


दीदी के जिस खास सिपाहसालार बीरभूम के बाहुबलि अनुब्रत मंडल के दम पर समूचे विपक्ष को बीरभूम और उत्तर बंगाल में वैनिश करने का गेमप्लान था सत्तादल का,अब वह गेमचेंजर में तब्दील है। दीदी की चुनौती का कड़ा जवाब देते हुए आज से ही अनुब्रत मंडल नजरबंद है और उनकी तमाम गतिविधियों का वीडियो रिकार्डिंग होगी।इसके अलावा मतदान खत्म न होने तक अनुब्रत की सेवा में चौबीसों घंटे एक मजिस्ट्रेट रहेंगे जो सीधे आयोग को जवाबदेह होंगे।


वैसे अनुब्रत मंडल की कथा भी कम मिथकीय नहीं है।वै कुछ भी बोले,कुछ भी करें , इसपर अब तक कोई कानून काम नहीं आया।इसके उलट पीड़ितों को और शिकायत समर्थन करने वालों को ही नतीजा भुगतना पड़ा।ऐसा बार बार हुआ है और विपक्ष का मनोबल ध्वस्त करने में मंडल किसी भी तरह की कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते।


वैसे बीरभूम के बाहुबलि अनुब्रत मंडल के सुर्खाव के पर  2013 में हुए पंचायत चुनाव में बैपरदा हो गये थे। तब टीएमसी जिलाध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने एक भाषण में अपने समर्थकों से पुलिस पर बम फेंकने और स्वतंत्र उम्मीदवारों के घर जला देने की अपील की थी.।इसपर राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मंडल के भाषण एक सप्ताह से भी कम वक्त में एक निर्दलीय उम्मीदवार सागर घोष की उसके गांव में ही घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

इस पर विपक्षी दलों ने घोष की हत्या के लिए टीएमसी समर्थकों को उकसाने का आरोप मंडल पर लगाया। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंडल का  हर कदम पर उसी तरह समर्थन किया,जैसा वे अब भी कर रही हैं और उन्हें एक कुशल आयोजक बताते हुए अंत तक उसका साथ देने की बात कही।

बीते 20 सालों में बीरभूम में हुए एक के बाद एक खूनी संघर्ष में तमाम लोगों की जानें गईं। यह सिलसिला  अभी बेरोकटोक जारी है।इसमें भी खास बत यह है कि सत्ताधारी पार्टी के तृणमूल कांग्रेस के अंदर और बाहर दोनों ओर संघर्ष मौजूद है।अनुब्रत पार्टी के अंदर अपने विरोधियों से भी उसी तरह निबटते हैं जैसे पार्टी के बाहर।


इसीकी  प्रतिक्रिया में  2014 में लोगों ने बड़े पैमाने पर वाम दलों और कांग्रेस की बजाए भाजपा को वोट दिए ताकि केंद्र में बनने वाली संभावित नरेंद्र मोदी की सरकार इस कत्लगाह की कैद से उन्हें रिहा कर दें।

शुरुआत में बीरभूम में ताकतवर भाजपा की टीएमसी समर्थकों के साथ कई बार हिंसक झड़पें हुईं। लेकिन कुछ वक्त बाद राज्य पुलिस के साथ मिलकर टीएमसी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया।इससे भी अनुब्रत मंडल की ताकत में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई और दीदी का अंधा समर्थन तो है ही।


गौरतलब है कि नोटिस मिलने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीने शुक्रवार को भी चुनाव आयोग के खिलाफ अपना रुख बरकरार रखते हुए कहा कि वह जो चाहे करेंगी और जो चाहे कहेंगी और पुलिस अधिकारियों के तबादले से उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।


आदर्श चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन पर चुनाव आयोग की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी होने के एक दिन बाद ममता ने नादिया जिले में चुनावी सभाओं में कहा, 'मैं जो चाहे करूंगी और जो चाहे कहूंगी। अगर कोई मुझे धमकाएगा तो मैं चिंघाड़ूंगी। पुलिस अधिकारियों के तबादले से हमारी (तृणमूल की) चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।'


 


गौरतलब है कि इस बार चुनाव आयोग ने काफी तेजी दिखाते हुए चुनाव तिथि की घोषणा से काफी पहले ही एहतियाती बंदोबस्त करना शुरू कर दिया था। यहीं नहीं, आयोग ने राज्य सरकार से उन अधिकारियों के बारे में भी जानकारी मांग ली, जिन्हें 2014 लोकसभा चुनाव के बाद हटा दिया गया था। इसके अलावा गतवर्ष निकाय चुनाव में जिन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई थी उनकी भी सूचना मांग ली।इन तैयारियों से साफ जाहिर है कि चुनाव आयोग ने हिंसा और धांधली के खिलाफ इंतजाम पहले ही कर लिया था।


इसके उलट  दीदी,उनकी पार्टी और सरकार इन तैयारियों से बेकबर रही और अपनी वोटमशीनरी के जरिये एकतफा जीत की उम्मीद लेकर बैठ गयी वैसे ही दीदी और उनके समर्थक लोकप्रियता के गुमान में न अपनी गलतियों से सीखते हैं और न विपक्ष को कोई भाव देते है।इसलिए चुनाव आयोग की दीदी की खुली चुनौती उतनी हैरत अंगेज भी नहीं है।


दीदी को खुशफहमी है कि उनकी मदद के बिना दिल्ली में न लोकसभा और राज्यसभा चल सकती हैं और न भारत सरकार।अन्ना हजारे के ऐन वक्त पीछे हट जाने की वजह से प्रधानमंत्रित्व का दांव उन्होंने आजमाया नहीं है लोकिन वे बार बार कह रही हैं कि अगले लोकसभा चुनावों के बाद सरकार तो उनकी पार्टी की मदद से बनेगी।पिछले चुनावों में भी उन्होंने यही रट लगायी थी।


नतीजा सामने हैं।संघीय ढांचे के बावजूद सत्ता का केंद्रीय करण इतना हो गया है कि किसी कमजोर से कमजोर प्रधानमंत्री के मुकाबले राज्यों के क्षत्रपों की चलती नहीं है।इतने अरसे से राजनीति में रहकर उन्हें समझ में नहीं आया जबकि मायावती से लेकर जयललि तक इस बारे में बेहद चौकन्ना है।


इसके अलावा दीदी को यह भी खुशफहमी है कि चूंकि कांग्रेस वाम गठबंधन से देश के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं तो संघ परिवार का सारा दांव इस गठबंधन का हिसाब किताब बंगाल में ही तय करना है और चूंक वह सीधी लड़ाई में बंगाल में किसी को हरा नहीं सकता तो दीदी को जिताने के लिए सबकुछ सहने के लिए वह मजबूर है।


गुपचुप गठबंधन हुआ तो राज्य के भाजपा नेताओं और संघ परिवार के कार्यक्रताओं का लिहाज भी करना था।राजनेता अमूमन भूल जाते हैं कि किसी की सनक से संघ परिवार का राजकाज नहीं चलता और उसका संगठन संस्थागत है,जिसे अपनी जड़ों की खास परवाह है और राजनीतिक समीकरण के बजाय,जीत हार के बजाय हिंदुत्व के एजंडे को लागू करना उसका असल मकसद है।


उलटे इस गुपचुप गठबंधन का खुलासा हो जाने से दीदी का मुस्लिम वोट बैंक तेजी से टूटने लगा है तो मालदा और मुर्शिदाबाद के अलावा बाकी उत्तर बंगाल में भी मुसलमन कांग्रेस के परंपरागत वोटर हैं।इसलिए कांटे की लड़ाई जीतने के लिए दीदी न हर कीमत पर अपने खास सिपाह सालार बाहुबलि अनुब्रतमंडल को कुछ भी करने की छूट दे रखी है।दीदी को मालदा,मुर्शिदाबाद,बीरभूम और दार्जिलिंग सिलिगुड़ी में भाजपा का दांव समझ में नहीं आया।


चुनाव आयोग के नोटिस के बावजूद दीदी का तेवर नरम हुआ नहीं और उनने समझ लिया कि धमकियों से वे संघ परिवार का हाफ पैंट ढीला कर देंगी तो उनके सिपाहसालारों ने बंगाल भर में वाम कांग्रेस गठबंधन और भाजपा संघ परिवार के कार्यकर्ताओं में कोई फर्क नहीं किया।


चूंकि संगठन और ताकत के लिहाज से भाजपाई और संघी बंगाल में बाकी देश के मुकाबले उतने ताकतवर नहीं है,बेलगाम भूतों ने उन्हें ही निशाना बनाया।इसी वजह से चुनाव आयोग ने कोलकाता में तंबू गाड़ दिया।


इस पर दीदी ने गौर नहीं किया और चुनावसभाओं में उस अनुब्रत मंडल का लगातार बचाव किया जो आरोपों के घेरे में हैं बहुत अरसे से।इसीतरह आसनसोल में उनने भाजपा के किले को ध्वस्त करने के लिए सोहराब का खुलेआम इस्तेमाल किया।


मतदान के पिछले दो चरणों में भूतों के अलावा पुलिस अफसरों ने खास भूमिका निभाई तो केंद्रीयवाहिनी तमाशा देखती रही। अब जबकि दीदी के चहेते कोलकाता के पुलिस कमिश्नर  राजीव कुमार को भाजपा नेता राहुल सिन्हा के खिलाफ स्टिंग करवाने का मामला खुल जाने से चुनाव आयोग ने हटा दिया तो वे चुनाव आयोग पर ही बरस पड़ी।


आयोग ने थानेदारों को भी बदल दिया।


गौरतलब है कि आसनसोल से लोकसभी सीट भाजपा ने जीती तो दार्जिलिंग में भी भाजपा सांसद हैं।जबकि मालदा और मुर्शिदाबाद में हिंदुत्व के तहत वोटों का ध्रूवीकरण का काम भाजपा लंबे अरसे से कर रही हैं।इसी सिलसिले में आज स्मृति ईरानी ने मालदा में चुनाव सभा को संबोधित किया तो सभा से पहले सभास्थल के पास बम बरामद हुए।


भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष द्वारा हाल ही में दी गई हेट स्पीच बीरभूम और प्रदेश में समर्थकों के बीच पार्टी के गिरते मनोबल को पुनर्जीवित करने का हताशा भरा प्रयास था। देशभक्ति पर हाल ही में उपजे विवाद के बाद घोष ने बीरभूम में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में चेतावनी दी थी, "अगर कोई भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाता है तो उसे ऊपर से छह इंच छोटा कर दिया जाएगा।"

दीदी ने इसे बी नजरअंदाज किया।घोष ने कोलकाता में जादवपुर विश्वविद्यालय बंद कराने की मुहिम छेड़ी और विश्वविद्यालय कैंपस णें घुसकर तबाही मचायी।संघ मुख्यालय के सामने और साइंस सिटी में भाजपा विरोधी प्रदर्शन कर रहे छात्रों को दुन डाला तो दीदी तो खामोश रही ही,उनकी पुलिस मौके पर मौजूद होने के बावजूद खामोश रही।

भीतर ही भीतर केसरियाकरण की गतिविधियों को दीदी ने नजरअंदाज किया तो पूरे बंगाल में भाजपा तृणमूल के वोट बैंक में सेंध लगाने की हालत में हैं जबकि दीदी को खुशफहमी रही है कि वामदलों और कांग्रेस के समर्थक ही वोट भाजपा को डालेंगे और मुसलमान तो भाजपो को वोट डालने के बजाय हर हाल में उन्हें वोट देंगे।दीदी की सारी रणनीति इसी आधार पर रही।


दीदी के राजकाज का ही करिश्मा है कि 2011 के बाद से हुए कुछ चुनावों में मतदान कराने का एक बड़ा कामयाब  पैटर्न उभरा है कि विपक्ष की ओर झुके संभावित ग्रामीण मतदाताओं को उनके मतदान स्थल पर पहुंचने ही नहीं दिया जाता। सत्तारूढ़ पार्टी के लोग बाइकों पर हथियार लेकर घूमते हुए मतदान स्थल तक जाने वाले मार्गों पर कब्जा जमा लेते हैं। मतदान केंद्रों के अंदर विपक्षी दलों के पोलिंग एजेंट्स को बैठने की अनुमति तक नहीं थी।यह भूतों की वोट मशीनरी है। जो इस चुनाव के पहले और दूसरे चरण में भारी मतदान की खास वजह है।

यहीं नहीं,गांवों के अलावा कोलकाता और उपनगरों में भी सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थक ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के पास खड़े होकर मतदान प्रक्रिया पर नजर बनाए रहते और यह सुनिश्चित करते कि कोई उनके खिलाफ मतदान न कर पाए। मतदान के पहले दो चरणों में यही होता रहा है।

इस भूत बिरादरी के सबसे बड़े सिपाहसालार हैं अनुब्रतमंडल,ऐसा आरोप बार बार लगता रहा है और अब वे नदजरबंद हो गये।

मतदान केंद्रों पर तैनात चुनाव अधिकारियों और राज्य पुलिसबलों को भी पूरी प्रक्रिया पर आंख बंद करने के लिए कह दिया जाता था और अगर कोई विरोध करता तो उसकी पिटाई की जाती थी। डर का आलम यह था कि काफी संख्या में मतदाता मतदान केंद्रों तक जाने से बचते थे।

पहली बार अबकी दफा पुलिस पर भारी पैमाने पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई कर दी है।

गौरतलब है कि 2014 में आयोजित अंतिम आम चुनाव में जब बसीरहाट विधानसभा स्थित गांव के सैकड़ों मतदाता सत्तारूढ़ पार्टी के गुंडों का विरोध करते हुए वोट डालने जाने लगे तो कथित रूप से स्थानीय तृणमूल कांग्रेस विधायक और उसके पति के कहने पर उनके हथियारबंद गुंडों द्वारा गोलियां चला दी गईं।

राज्य की पुलिस ने इस पर कुछ नहीं किया और वहां पर केंद्रीय अर्धसैनिक बल भी नहीं लगाए गए। वास्तव में मतदान के दिन पूरे राज्य में ज्यादातर केंद्रीय बलों की अनुपस्थिति रही और वे बैरकों-शिविरों तक ही सीमित रहे।

मतदान के पहले दो चरणों में यह सिलसिला जारी रहा है।

ts and friends!

देश में अभूतपूर्व निरंकुश सत्ता है तो क्या यह छात्र युवा प्रतिरोध भी अभूत पूर्व है। ऐसे माहौल में हम लाउडस्पीकर की तरह हमारे साथी हिमांशु जी के इस बयान को प्रसारित करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि आप भी इसे साझा करेंः कश्मीर में भारत की मौजूदगी और उसका व्यवहार आक्रामक अत्याचारी साम्राज्य का है ၊ मैं कश्मीरी जनता के इस दमन को भारतीय राज्य का हमला मानता हूँ ၊ दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी समुदाय के साथ इस तरह का व्यवहार बर्बर और असभ्य है ၊ मैं दुखी हूं, मैं कश्मीरी जनता के साथ हूँ , मैं बेबस सही पर खामोश नहीं रहूँगा ၊ पलाश विश्वास

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-- देश में अभूतपूर्व निरंकुश सत्ता है तो क्या यह छात्र युवा प्रतिरोध भी अभूत पूर्व  है।
ऐसे माहौल में हम लाउडस्पीकर की तरह हमारे साथी हिमांशु जी के इस बयान को प्रसारित करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि आप भी इसे साझा करेंः
कश्मीर में भारत की मौजूदगी और उसका व्यवहार आक्रामक अत्याचारी साम्राज्य का है ၊ मैं कश्मीरी जनता के इस दमन को भारतीय राज्य का हमला मानता हूँ ၊ दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी समुदाय के साथ इस तरह का व्यवहार बर्बर और असभ्य है ၊ मैं दुखी हूं, मैं कश्मीरी जनता के साथ हूँ , मैं बेबस सही पर खामोश नहीं रहूँगा ၊
पलाश विश्वास
अभी जेएनयू के हमारे ब्च्चों के खिलाफ कश्मीर के मसले पर आवाज उठाने के लिए राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल रहा है तो शाट डाउन जेएनयू का संघी आंदोलन बंद नहीं हुआ है।

बंगाल में एकताबद्ध जनता के प्रबल प्रतिरोध के कारण यही आवाजें कोलकाता,जादवपुर विश्वाविद्यालय से गूंजती हुई विश्वभारती तक पहुंची है और खड़गपुर आईआईटी और आईआईएम कोलकाता में भी जेएनयू के हक में नारे बुलंग दो रहे हैं लेकिन वहां जेएनयू,या इलाहाबाद,या बीएचयू या हैदराबाद की तरह बजरंगी पर नहीं मार सके हैं और न बंगाल में किसी छाकत्र के खिलाफ कश्मीर या मणिपुर के हक में आवाज उठाने के जुर्म में राष्ट्रद्रोह का कोई मुकदमा है।

बंगाल में जैसे फासीवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरु हो गयी है,देस के हर हिस्से में आम जनता और छाकत्रों युवाओं की ऐसी लामबंदी हो तो अंधियारे के इस राजकाज और दमन उत्पीड़न के मनुस्मृति एजंडे का अंत तय है।आइये,भगत सिह और अंबेडकर के रास्ते हम लोग सब मत विभेद भूलकर साथ साथ चलें और हातों पर हाथ रखखर बेखौफ सच का समाना करें।

हमारे स्कूली जीवन में आदरणीय काशीनात सिंह का उपन्यास अपना मोर्चा हम लोग लोग खूब पढ़ा करते थे और ख्वाब देखा करते थे कि जनता के मोर्चे के हीरावल दस्ते के तौर हम काम करेंगे,लड़ेंगे।

हम वैसा नहीं कर पाये।फिरभी अफसोस नहीं है।

रोहित वेमुला की संस्थगत हत्या के बाद उनकी मां राधिका वेमुला और भाई ने हिंदू धर्म का त्याग करके बौद्धधर्म अपनाकर बाबासाहेब के रास्ते मनुस्मृति के खिलाफ बगावत कर दी है तो भारत के हर विश्वविद्यालय और शैक्षिक तकनीकी संस्थान में मनुस्मडि राजकाज और हिदू राष्ट्र के एजंडे के खिलाप विद्रोह की आग सुलग रही है।

खड़गपुर के छात्र एकलव्यों की अंगूठी काटने के द्रोण अश्वमेध के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।उन्होंने इस बार शहीदे आजम भगत सिंह और बाबासाहेब का जन्मदिन साथ में मनाकर बाबासाहेब और भगतसिंह के रास्ते देश को आगे ले जाने का संकल्प किया है।गुजरात से लेकर उत्तराखंड तक छात्रों का यही संकल्पहै।

सोशल मूवमेंट की अंबेडकर रैली में कोलकाता में बाबासाहेब की जयंती पर कोलकाता और जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हुए।

देश में अभूतपूर्व निरंकुश सत्ता है तो क्या यह छात्र युवा प्रतिरोध भी अभूत पूर्व  है।

ऐसे माहौल में हम लाउडस्पीकर की तरह हमारे साथी हिमांशु जी के इस बयान को प्रसारित करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि आप भी इसे साझा करेंः
कश्मीर में भारत की मौजूदगी और उसका व्यवहार आक्रामक अत्याचारी साम्राज्य का है ၊ मैं कश्मीरी जनता के इस दमन को भारतीय राज्य का हमला मानता हूँ ၊ दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी समुदाय के साथ इस तरह का व्यवहार बर्बर और असभ्य है ၊ मैं दुखी हूं, मैं कश्मीरी जनता के साथ हूँ , मैं बेबस सही पर खामोश नहीं रहूँगा ၊



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चुनाव मैदान में बंगाल के सितारे गर्दिश में। ज्योतिर्मयी,भूटिया, लक्ष्मीरतन और रूपा गांगुली भारी मुश्किल में एकसकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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चुनाव मैदान में बंगाल के सितारे गर्दिश में।
ज्योतिर्मयी,भूटिया,
लक्ष्मीरतन और रूपा गांगुली भारी मुश्किल में
एकसकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
हो सकात है कि बंगाल के इस चुनाव में सितारों की चमक कुछ ज्यादा ही फीकी हो जाये क्योंकि चुनाव मैदान में बंगाल के सितारे गर्दिश में है और हालत यह कि चमकदार सितारे ज्योतिर्मयी सिकदर, बाइचुंग भूटिया,लक्ष्मीरतन शुक्ला और रूपा गांगुली भारी मुश्किल में हैं।

भारतीय राजनीति इस वक्त सितारों के हवाले हैं।

राजनेताओं की छवि धूमिल होने के अभूतपूर्व संकट से जूझ रही राजनीति को सितारों की चमक दमक में आसान जीत नजर आती है।इन सितारों को हाल में हम खूब जिताते रहे हैं।

दीदी के परिवर्तन में मूनमून लेन से लेकर संध्या राय,तापस पाल से लेकर देवश्री राय तक सितारे ही सितारे हैं।बांग्ला फिल्मों के हार्टथ्राब देब भी दीदी के सांसद हैं।

अबकी दफा लगता है कि सितारे भी गर्दिश में हैं,जिन्हें खून पसीना एक करने के बाद भी जीत का रास्ता नजर नहीं आ रहा है।इनमें फिल्मी सितारोंं से कहीं ज्यादा मुश्किल में फंसे हैं खिलाड़ी।वैसे रूपा फिल्म स्टार गांगुली और लाकेट चटर्जी की हालत भी पतली है।

किसी समय दुनियाभर में खेल जगत में भारत का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी अब बंगाल के चुनाव मैदान में लू के बीच झुलसते हुए उसी जन समर्थन की उम्मीद में हैं जो उन्हें खेल के मैदान में मिलता रहा है।

इनमे तेज धाविका ज्योतिर्मयी सिकदर हैं तो भारतीय फुटबाल के अतुल्य फुटबाल सितारा बाइचुंग भूचिया भी हैं।

भारतीय फुटबाल के भूटिया के समकानलीन दिवेन्दु विश्वास भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो हावड़ा में चुनाव मैदान में हैं लक्ष्मी रतन शुक्ला भी,जो बंगाल की रणजी क्रिकेट टीम के हाल तक कप्तान भी रहे हैं।इनके अलावा फुटबाल खिलाड़ी षष्ठी दुलै और रहीम नबी भी मैदान में हैं।

इनमें से अब तक राजनीतिक कामयाबी की नजर से सबसे आगे ज्योतिर्मय सिकदर हैं जो कृष्णनगर से लोकसभा चुनाव तो जीत गयी लेकिन लोकप्रियता जो उनने अपनी खेल उपलब्धियों से हासिल की थी,संसद में पहुंचते न पहुंचते बहुत जल्द खो दी।

साल्टलेक में एक बार रेस्तरां के मालिक उनके खिलाड़ी पति अवतार सिंह रहे हैं,जिसे लेकर अखबारी सुर्खियों में विवादों में रही ज्योतिर्मयी और वे अगला चुनाव उसी कृष्णनगर से हार गयी।

वहीं ज्योतिर्मयी सिकदर दक्षिण 24 परगना के कोलकाता संलग्न उपनगरीय विधानसभा क्षेत्र सोनारपुर से माकपा के प्रत्याशी हैं और उनके सामने जनता की आस्था दोबारा हासिल करना मौराथन दौड़ जीतने के बराबर लग रहा है।

वैसे ज्योतिर्मयी में दम बहुत है लेकिन कभी वाम जमाने में माकपा के गढ़ सोनारपुर में माकपा की हालत अब बहुत अच्छी नहीं है।

सोनारपुर नगरपालिका पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है तो सारे वार्डों में सत्तादल का संगठन मजबूत है।

तृणमूल कांग्रेस ने सोनारपुर के मुसलमानों के वोटों के मद्देनजर फिरदौसी बेगम को चनाव मैदान पर उतारा है हालांकि इस सीट पर इलाके के बिल्डर सिंडिकेट गिरोह के एक बाहुबलि की नजर थी।वे सज्जन हाल में  दक्षिण कोलकाता के कमाल गाजी में एक फ्लाई ओवर के निर्माण के सिलिसिले में विवादों में घिर जाने की वजह से टिकट हासिल नहीं कर सकें और फिलहाल फिरदौसी के साथ हैं।

वैसे पिरदौसी बेगम को लेकर कोई विवाद नहीं है और तृणमूल में कोई झगड़ा फसाद नजर आ रहा है।

मुश्किल यह है कि फिरदौसी खुद राजनीति में उतनी सक्रिय नहीं हैं और उनके पति को ही लोग ज्यादा जानते हैं और दरअसल धारणा यही है कि असल में फिरदौसी पति के लिए डमी बतौर लड़ रही हैं और आगे वे ही राजकाज संभालेंगे और उनके साथ फिर वही बिल्डर सिंडिकेट का लफड़ा है।

बदले हुएहालात में ज्योतिर्मयी के लिए सोनारपुर में पांव रखने की जमीन यही है कि लोग फिरदौसी के मुकाबले उन्हें ज्यादा जानते हैं तो दिक्कत भी वही है कि वोटर ज्योतिर्मयी को कुछ ज्यादा ही जानते हैं।

ज्योतिर्मयी कृषअणनगर से सांसदी गवांकर सौनारपुर पधारी हैं,यह बदहजमी का सबब भी है।लेकिन पिरदौसी के मुकाबले उनका वजन कुछ ज्यादा है और वाम कांग्रेस गठबंधन कैसे हालात बदल पाता है,इसपर उनकी हार जीत निर्भर है।

दूसरी ओर सिलिगुड़ी से फुटबाल सितारा बाइचुंग भूटिया सत्तादल तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार है और उनकी छवि निर्विवाद है और लोकप्रियता उनकी कम भी नहीं हुई है।

भूटिया के मुकाबले हैं कांग्रेस वाम गठबंधन के हैवीवेट उम्मीदवार वाम जमाने के दबंग मंत्री और हाल में सिलीगुड़ी फतह करके मेयर बने अशोक भट्टाचार्य,जिनकी गली गली गहरी पैठ है और लोकप्रियता में भी वे भूटिया से पीछे नहीं है।

हाल में सिलीगुड़ी में तृणमूल समर्थक पार्टी छोड़कर कांग्रेस वाम गठबंधन के हक में चले गये तो शुरुआती झटके से अभी उबरे भी नहीं है भूटिया।उन्हें आगे और झेलना है।

अशोक भट्टाचार्य ने तृणमूल की सारी रणनीति फेल करके बंगाल में वा कांग्रेस गठजोड़ बनाकर सिलीगुड़ी नगर निगम को पिछले साल ही तृणमूल के कब्जे से निकाला है और किसी राजनेता के बूते उनका मुकाबला संभव नहीं है,इसीलिए भूटिया की लोकप्रियता को वहां दांव पर लगा दिया दीदी ने।

नेतृत्व और संगठन,अनुभव के लिहाज से अशोक बाबू का मुकाबला करने के लिए भूटिया को अभी बहुत दौड़ लगानी है।फिरभी गोल का मुहाना खुलेगा यानी नहीं,यह कहना मुश्किल है।

सबसे ज्यादा मुश्किल में हैं  हावड़ा में तृणमूल प्रत्याशी बने क्रिकेटर लक्ष्मीरतन शुक्ला,जहां उनके  मुकाबले हैं भाजपा की ओर से स्टार प्रत्याशी रूपा गांगुली जिनका उनकी पार्टी में ही प्रबल विरोध है।

पहले इस सीट पर शुक्ला और रूपा गांगुला का मुकाबवला सीधा माना जा रहा था।लेकिन अब हालात इतने तेजी से बदले हैं कि वाम समर्थित कांग्रेस के संतोष पाठक बढ़त पर दीख रहे हैं।हालांकि चुनाव प्रचार के नजरिये से शुक्ला और रूपा दोनों की धूम मची है।

चुनाव जीतने के तौर तरीके तुरुप के पत्ते की तरह आजमाने में कांग्रेस के बाहुबलि प्रत्याशी संतोष पाठक की अलग ख्याति है और करोड़पति उम्मीदवारों शुक्ला और रूपा के मुकाबले उनका धनबल भी कुछ ज्यादा ही है।

उत्तार 24 परगना के बसीरहाट से दीपेंदु विश्वास और हुगली के पांडुआ से रहीम नबी तृणमूल प्रत्याशी हैं और कांटे का मुकाबला उनके लिए भी हैं।फिरभी उनकी हालत दूसरे सितारों के मकाबले बेहतर बतायी जा रही है।

षष्ठी दुलै नदिया के धनेखाली में भाजपा प्रत्याशी हैं,जिनकी माली हालत बहुत अच्छी नहीं है और मुकाबले में वे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।भाजपा भी उन्हें लेकर गंभीर नहीं है और उनके साथ न पार्टी के नाता हैं और न कार्यकर्ता।वे अकेले लड़ रहे हैं।

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पहले चरण का मतदान जंगल महल में दो दिन हुआ तो अब उत्र बंगाल में दूसरे चरण का मतदान है।अब पश्चिम बंगालमें 56 विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनावों के दूसरे चरण में मतदान रविवार (17 अप्रैल) होगा। दूसरे चरण का चुनावऐसे समय में हो रहा है जब चुनावआयोग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल चुनावआयोग की निगरानी में हैं। उत्तरी बंगालके छह जिलों- अलिपुरदुआर, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिणी दिनाजपुर और मालदा एवं दक्षिण बंगालके बीरभूम में 1.2 करोड़ से अधिक मतदाता 383 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इन उम्मीदवारों में 33 महिलाएं हैं।

दीदी का सिपाहसालार महाबलि बनकर बाजुओं को तौल रहा है और पूरे बंगाल में मच गयी है खलबली।चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में चार पुलिस अधिकारियों को हटाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जीने शुक्रवार को आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि वह विपक्ष के 'शिकायतों के सिंडिकेट' के इशारे पर ऐसा कर रहा है।

शुक्रवार से उनकी सेवा में एक मजिस्ट्रेट हैं और वे केंद्रीय वाहिनी के जवानों से घिरे हैं।वीडियोग्राफी अलग हो रही है और तमाम टीवी कैमरे उन्हें घेरे हुए हैं ,इसके बावजूद आयोग के रोक के बावजूद उन्होंने बीरभूम के सभी 11 विधानसभा इलाकों का चप्पा चप्पा छानने के बाद उनकी गतिविधियां सिर्फ बोलपुर विधानसभा क्षेत्र तक सीमाबद्ध करने के चुनाव आयोग के आदेश के बाद,22 मई तक नजरबंद की मियाद तय होने के बाद भी अपने जाने पहचाने मिजाज में कह रहे हैं,उस्तादेर मार शेष राते।

ताजा शोकाज बुद्धदेव भट्टाचार्य,सूर्यकांत मिश्र,अधीर चौधरी, विमन बोस और बीरभूम में मयूरेश्वर से भाजपा की फिल्म स्टार प्रत्याशी के बारे में अनुब्रत की टिप्पणियों के मद्देनजर जारी किया गया।अब इस नोटिस के बाद उनने सीधे कहा कि इससे क्या फर्क पड़ेगा।आयोग अपना काम करेगा और अनुव्रत मंडल अपना काम।जाहिर है कि अनुब्रत की इस बेपरवाही से कांग्रेस,वामदलों और भाजपा में खलबली है।

यानी आखिरी वक्त वे पांसा पलट देंगे और फतह हासिल करेंगे।
चुनाव आयोग के ताजा शोकाज के जवाब में अनुव्रत का कहना है कि घर में बहुत कागज है,जवाब भी दे देंगे।उनका कहना है कि चुनाव नतीजे में उन्हेंं घेरने से कुछ फेरबदल नहीं होना है क्योंकि उन्होंने मैदान फतह करने के सारे इंतजाम कर लिये हैं और ऐसे शोकाज का उनकी सेहत पर कोई असर नहीं होने वाला है।

आज के कोलकाता के अखबारों में छपे समाचारों के मुताबिक सिपाहसालार ने भूत ब्रिगेड की तैनाती पहले ही कर दी है और उन्हींके नक्शे पर बीरभूम जीतने का अश्वमेध शुरु हो गया है।बांगला के सबसे बड़े अखबार में एक ग्राफिक में उन्हें रावण की तरह दशानन दिखाया गया है।

ये दस सर उनके खास सहयोगियों के हैं,जिनपर आयोग ने कोई रोक नहीं लगायी है और वे गुड़ जल बताशा लेकर चुनाव आयोग के सारे बंदोबस्त गुड़गोबर कर देने की पूरी तैयारी में हैं।


तीसरे चरण के 56 सीटों के लिए मतदान से पहले बंगाल में चर्चा सिर्फ बीरभूम में नजरबंद दीदी के खास सिपाहसालार की हो रही है जो चुनाव आयोग के तमाम निर्देशों और नोटिसों को कचरा पेटी में डालकर मजिस्ट्रेट और केंद्रीय वाहिनी की मौजूदगी में नजरबंदी के बावजूद कैमरे की नजर में बीरभूम में विपक्ष को वैनिश करने का जादू का खेल जारी रखे हुए हैं।

शायद यह रिकार्ड होगा भारतीय चुनाव के इतिहास में।चुनाव आयोग ने दीदी के खास सिपाहसालार को बंगाल में चुनाव प्रक्रिया खत्म होने तक 22 मई तक नजरबंद करने का आदेश जारी कर दिया है।

सत्ता दल के खस सिपाहसालार की इसतरह नजरबंदी अभूतपूर्व है लेकिन चुनाव आयोग जिन्हे बोतल में बंद करके बंगाल में टुनावों में धांधली और हिसा रोकने की कवायद में लगा है,चुनाव आयोग के नोटिस के बावजूद उनकी सेहत पर कोई असर हुआ नहीं है।

बीरभूम के बोलपुर,नानुर और लाभपुर में इनसे निपटने के लिए समूचा विपक्ष एकजुट है लेकिन उन्हें रोक पाने में चुनाव आयोग की कसरत कितनी काम आयेगी,भूतों का नाच किस हद तक कम या जियादा होगा और कितना खून,किसका खून बहेग,इसका हिसाब किताब जोड़ा जा रहा है।

माहौल ऐसा है कि इस सिपाहसालार के अलावा बंगाल में जैसे कुरुक्षेत्र के मैदानमें कोई रथी महारथी हैं ही नहीं।

बाकायदा चूहा और बिल्ली का खेल जारी है और चुनाव आयोग की साख दांव पर है।

पहलीबार किसी चुनाव में एक जिले के सत्तादल के नेता मुख्यमंत्री और तमाम विपक्षी दलों के मुकाबले फोकस पर हैं।

चुनाव आयोग ने अपनी पूरी ताकत उन्हें बोतल हबंदी करने में झोंक दी है।

वहीं वाम कांग्रेस गठबंधन के नेता सूर्यकांत मिश्र ने चुनाव आयोग के एहतियाती बंदोबस्त पर भरोसा न करके हालात का मुकाबला करने के लिए रकार्यकर्ताओं को आगाह किया है।वाम मोर्चा चेयरमैन ने भी कार्यक्रताओं को अलग चेतावनी दी है।

वामदलों का आरोप है कि चुनाव आयोग भाजपा की शिकायतों के आदार पर संघपरिवार की रणनीति के तहत सारे कदम उहा है और इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता।

कुल मिलाकर वाम,कांग्रेस और भाजपा नेताओं का आरोप है कि पहले चरण से पहले से चुनाव आयोग नानाविध कदम उठाने की कवायद कर रहा है लेकिन आयोग के निर्देशों पर मौके पर कहीं अमल नहीं हो रहा है और भूतों का खेल जारी है।

इसी बीच तृणमूलपंथी बुद्धिजीविययों न यह बयान जारी करके सनसनी फैला दी है कि जितनी हिंसा बंगाल में चुनाव के दौरान हो रही है उतनी तो स्कूलों में भी होती है।इससे पहले वामपंथी बुद्धिजीवियों ने चुनाव आयोग से मिलकर चुनावी हिंसा की शिकायत की थी और उनमें कुछ वैसे चेहरे भी हैं,जैसे नाटककार कौशिक सेन और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजात भद्र।जिनकी अगुवाई मशहूर अभिनेता सौमित्र चटर्जी कर रहे थे।

इसके जवाब में कवि सुबोध सरकार और शास्त्रज्ञ नृसिंहप्रसाद भादुडी के नेतृत्व में तृणमूल पंथी बुद्धिजीवियों का यह उद्गार है।इनमें अमियचौधरी ने दावा किया कि तृणमूल के खिलाफ सारी शिकायतें निराधार है तो अभिरुप ने कहा कि चुनाव आयोग सिर्फ तृणमूल को निशाना बना रहा है।राज्य मानवाधिकार कमीशन के पूर्व चैयरमैन सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक गंगोपाध्याय ने हैरत जतायी कि सत्ता का पक्षले रहे इन बुद्धिजीवियों को पूरे बंगाल में हो रही हिंसा बच्चों का खेल नजर आ रही है।

गौरतलब है कि  ममता बनर्जीने आज पश्चिम बंगाल के प्रमुख विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे क दल विशेष के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से काम कर रहे हैं। उन्होंने बीरभूम जिले में एक चुनावी सभा में कहा, ''सुबह से रात तक कांगे्रस, माकपा और भाजपा के नेता मेरे खिलाफ शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। मैं एक-एक इंच का जवाब मांगूंगी। यह मेरा बुनियादी अधिकार है। मुझे उनसे प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं है। मुझे केवल जनता का प्रमाणपत्र चाहिए। जनता उन्हें मतदान के जरिए मुंहतोड़ जवाब देगी।''

वहीं,वाम कांग्रेस गठबंधन के नेता सूर्यकांत मिश्र ने कहा है कि चुनाव प्रचार के लिए आने पर ममता बनर्जी हेलीपैड से ही पुलिस अफसरों को अनेक तरह के निर्देश दे रही हैं। लेकिन बाद में वही अफसर हम लोगों को सुरक्षा के लिए सावधान रहने के लिए होशियार करते हैं। इसका मतलब है कि ममता सरकार के अफसर अब यह समझ गये हैं कि तृणमूल का पतन निकट है।
सूर्यकांत मिश्र ने कहा है कि ममता सरकार के समय में घूसकांड हुआ, वाम के समय में नहीं। मौजूदा सरकार ने राज्य के सम्मान को नुकसान पहुंचाया है। बीते पांच सालों में तृणमूल के नेता और मंत्री करोड़पति हो गयेहैं।

सूर्यकांत ने आरोप लगाया कि दीदी ने परदे के पीछे से मोदीभाई के साथ सांठ-गांठ कर रखी है इसलिए तृणमूल नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
गौरतलब है कि हाल ही में मतदान के दौरान सूर्यकांत को उनके चुनाव क्षेत्र में ही नारायनगढ़ में बूथ में नहीं घुसने दिया गया था। आरोप है कि ममता बनर्जी ने उन्हें लक्ष्य करके गोबैक कहा था। इसी मामले को उठाते हुए सूर्यकांत ने कहा कि इसके बाद भी वह हालात का जायजा का लेने के लिए बूथ में जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई रोक नहीं पायेगा।
वाम कांग्रेस गठबंधन के नेताने कहा कि चाय बागानों में श्रमिक भूख से मर रहे हैं और ममता दीदी प्रचार में यहां आने पर मां के आगे मौसी की कहानी सुनाते हुए गलत तथ्य पेश करती हैं। उन्होंने कोलकाता के फ्लाई ओवर हादसे का जिक्र करते हुए इसके लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार ठहराया।


वैसे बीरभूम के अलावा कांटे की लड़ाई सिलीगुड़ी में भी हो रही है।गौरतलब है कि द्वितीय चरण के तहत रविवार 17 अप्रैल को सिलीगुड़ी महकमा की तीनों विधानसभा सीटों पर भी मतदान होंगे। कुल 664489 मतदाता विभिन्न दलों के 24 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे।

इन उम्मीदवारों में बड़े नामों में सिलीगुड़ी विधानसभा सीट पर राज्य के पूर्व मंत्री व माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान व तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार बाइचुंग भूटिया कांटे की टक्कर के साथ आमने-सामने हैं।

एहतियात के तौर पर  बिहार-बंगालसीमा की चौकसी बढ़ा दी गई है। मात्र चार किमी एनएच 31 सड़क किशनगंज में पड़ता है। जिससे विधानसभा चुनावको लेकर किशनगंज सीमा से सटे पश्चिम बंगालके उत्तर दिनाजपुर जिले के कई विधानसभा क्षेत्र में चुनावहै। इसके लिए रामपुर चेकपोस्ट और बिहार के अंतिम छोड़ फ¨रगोला में बंगालपुलिस द्वारा सघन वाहन जांच की जा रही है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके का जायजा लिया है। ताकि बिहार से जाकर लोगचुनावको प्रभावित न कर सकें।

चुनावी सरगर्मी के साथ लू की कहर से भी बंगाल में हालात असामान्य हैं लेकिन देखना है कि लू के मध्य और आयोग के तमाम एहतियाती बंदोबस्त के बाद भूतों का खेल कितना जमता है या बिगड़ता है।कोलकाता महानगर सहित राज्य के ज्यादातर जिलों में अगले 72 घंटे तक लू का कहर जारी रहेगा और फिलहाल राज्यवासियों को गरमी से कोई राहत मिलनेवाली नहीं है.।यह जानकारी मौसम विभाग की ओर से दी गयी है। शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे के बाद से ही महानगर सहित पूरे दक्षिण बंगाल के 11 जिले में तापमान चरम पर रहा।

दक्षिण बंगाल के बांकुड़ा, पुरुलिया, बर्दवान, मुर्शिदाबाद, वीरभूम में तापमान अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक रहा। इसके साथ-साथ हावड़ा, हुगली, नदिया, उत्तर 24 परगना व दक्षिण 24 परगना जिलों में भी लोग गरमी से परेशान रहे। हालांकि इस गरमी को देखते हुए राज्य सरकार ने स्कूल, कॉलेजों में छुट्टी की घोषणा कर दी है।

मौसम विभाग के अनुसार काल बैसाखी बनने की संभावना काफी कम है। दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक लू का कहर देखने को मिलेगा, इसलिए मौसम विभाग से इस संबंध में लोगों को सतर्क किया है।



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दस बज गये हैं और जो होना था, हो चुका है। आज ही तय हो जाएगा बंगाल का नया रंग,इसीलिए व्यापक हिंसा! अनुब्रत के इंतजाम मुताबिक जो होना है,दस बजे तक हो गया वरना उत्तर बंगाल में 78 सीटों में 7 या 8 सीटों से ज्यादा दीदी के खाते में जाने के आसार नहीं! वाम कांग्रेस के हक में बीरभूम के बाहर सत्तर फीसद तक मतदान का अंदेशा,सत्ता पक्ष में खलबली और वोट लुटेरों का कच्चा चिट्ठा खोल दिया रेज्जाक मोल्ला ने कैसे चुनाव आयोग और केंद्रीयवाहिनी को जेब में रखकर बंगाल जीतने का इंतजाम है और कितना भयंकर है वोट लुटेरों का गिरोह,भूतों का नाच! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Previous: गुड़ जल बताशा हथियार, बेपरवाह अनुव्रत फतह के लिए तैयार! आयोग को खुली चुनौती,उस्ताद की मार आखिरी मौके पर! बाकायदा चूहा और बिल्ली का खेल जारी है और चुनाव आयोग की साख दांव पर। वामदलों को भाजपाई रणनीति के मताबिक चुनाव आयोग के बंदोबस्त पर कोई भरोसा नहीं,मुकाबले के लिए तैयार! बंगाल में अब कितने भूत कहां कहां नाचेंगे और कितना खून,किसका खून कहां कहां बहेगा! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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दस बज गये हैं और जो होना था, हो चुका है।

आज ही  तय हो जाएगा बंगाल का नया रंग,इसीलिए व्यापक हिंसा!


अनुब्रत के इंतजाम मुताबिक जो होना है,दस बजे तक हो गया वरना उत्तर बंगाल में 78 सीटों में 7 या 8 सीटों से ज्यादा दीदी के खाते में जाने के आसार नहीं!


वाम कांग्रेस के हक में बीरभूम के बाहर सत्तर फीसद तक मतदान का अंदेशा,सत्ता पक्ष में खलबली और वोट लुटेरों का कच्चा चिट्ठा खोल दिया रेज्जाक मोल्ला ने कैसे चुनाव आयोग और केंद्रीयवाहिनी को जेब में रखकर बंगाल जीतने का इंतजाम है

और कितना भयंकर है वोट लुटेरों का गिरोह,भूतों का नाच!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

২০১৪-র লোকসভা ভোটে বিধানসভাওয়াড়ি ফলে দেখা যাচ্ছে, জলপাইগুড়ি, আলিপুরদুয়ার, উত্তরদিনাজপুর, দক্ষিণ দিনাজপুর ও মালদায় বাম-কংগ্রেসের যৌথ ভোট চিন্তার কারণ হতে পারে শাসকদলের।

आज ही तय हो जााएगा बंगाल का नया रंग,इसीलिए व्यापक हिंसा दूसरे चरण के मतदान में अपरिहार्य है।कांटे की टक्कर में वाम कांग्रेस तृणमूल पर भारी है तो दीदी के लिए सबसे बड़ा सरदर्द अब संघ परिवार है।बेदखली के खतरे से जूझ रही सत्ता के लिए इकलौता द्वीप बीरभूम है,जहां सिपाहसालार नजर बंद हैं लेकिन ढाक के बोल पर चमड़ी उतर जाने की चेतावनी है और घरों में सफेद थान भेजे जा रहे हैं हुक्मउदुली रोकने के लिए।


हालात के मुताबिक अनुब्रत के इंतजाम मुताबिक जो होना है,दस बजे तक हो गया वरना उत्तर बंगाल में 78 सीटों में 7 या 8 सीटों से ज्यादा दीदी के खाते में जाने के आसार कतई नहीं है।सत्तापक्ष की जीत की जिद इसलिए हिंसक है कि इस चरण के चिन्ह जब दक्षिण बंगाल में संक्रमित होगें तो कितान अटूट रहेगा उनका किला,अभी से कहना मु्शिकल है।पूर्व वाममंत्री रेज्जाक मोल्ला ने वोटलुटेरों गिरोह का गोरखधंधा खुल्ला बताकर दीदी की मुश्किवलें और बढ़ा दी हैं।


रेज्जाक ने बीरभूम में अनुब्रत,मनिरुल इस्लाम के अलावा  उत्तर 24 परगना में अपने चुनावक्षेत्र में उनके लिए भयंकर प्रतिद्वंद्वी अराबुल इस्लाम की वोट मशीनरी का खुलासा कर दिया है।


आनंदबाजार में उनकी कथा ब्य़था आज ही छपी है जिसमें उनने कहा है कि भयंकर लोगों के भरोसे हैं दीदी की सत्ता।चुनाव आयोग और केंद्रीय वाहिनी को जेब में डालकर वोट लूचने की पूरी तैयारी है।


वाम पक्ष चोड़कर दीदी के टिकट पर भांगड़ में दोबारा रास्ता बना रहे रेज्जाक के मुकाबले दीदी के खास सिपाहसालार अराबुल तैनात हैं और चक्रव्यूह में फंसे रेज्जाक सरे हाट कच्चा चिठ्ठा खोलकर बैठ गये हैं।यह दीदी के लिए नया सरदर्द है।अब अगर अनुब्रत का मिशन फेल हो गया और भूतों का आंगन ही टेढ़ा हो गया तो कोलकाता के भरोसे नबान्न में दखलदारी असंभव है।


इसलिए सारा दारोमदार है बीरभूम पर।वहीं तय होना है आज कि बंगाल के कुरुक्षेत्र में आखिर वीरगति किसकी हो रही है।


अनुब्रत के इंतजाम मुताबिक जो होना है,दस बजे तक हो गया वरना उत्तर बंगाल में 78 सीटों में 7 या 8 सीटों से ज्यादा दीदी के खाते में जाने के आसार नहीं हैं कतई।


बीरभूम में दुर्गा पूजा के मौके पर शारदोत्सव के मौसम में जो ढाक के बोल पर धुनुची नाचते हैं श्रद्धालु,इस लू से दहतकती लाल माटी के देस बीरभूम में वसंती पूजा के मौके का फायदा उठाते हुए भोर तड़के से वे ही मीठे बोल हुक्म उदुली करने पर वोटरों के खाल उधेड़ने का संदेश जारी कर रहे हैं


।चुनाव आयोग के फतवे की धज्जियां उड़ाते हुए नजरबंदी का खुल्लमखुल्ला उल्लंगन करते हुए खासमखास सिपाहसालार चुनाव आयोग को समर्पित गीत हेथाय तोरे मानाइछे ना गाते हुए बाकायदा मजिस्ट्रेट और केंद्रीयवाहिनी के काफिले के साथ बोलपुर में ही समीमाबद्ध हो जाने का आदेस लागू करने से पहले सभी ग्यारह सीटों पर फतह का पुख्ता इंतजाम कर आये।


उनका बहुचर्चित गुड़ जल का मतल है कि पहले प्यार से मीठा मीठा समझाओ।समझें तो बेहतर वरना फिर जल का इंतजाम यानी दहशत ऐसा फैलाओ कि हग मूत दें,लेकिन बूथ पर जायें तो वोट सही जगह दें वरना उधर रुख ही न करें।


अनुब्रत के दस सर आजाद हैं और उन्हें सिहासालार की चेतावनी है कि लीड चाहिए। सारी सीटें चाहिए।सरकार तृणमूल की ही बनेगी।सीट बनी रही तो थाना पुलिस आईन कानून बिजनेस सिंडिकेड सब बहाल रहेंगे,साड्ढे नाल मौज करोगे वरना समझ जाओ।


इसी तर्ज पर दीदी ने खुद सूर्यकांत मिश्र के चुनाव क्षेत्र में फतवा जारी किया था कि हर हाल में सूर्यकांत को हराओसूर्यकांत को हराओगे तो जो चाहोगे वैसा ही मिलेगा।


अनुब्रत का अंतिम हथियार है बतासा यानी जो विपक्ष में हो,उसे बम मारकर उड़ा दो।रास्ते में जो आये,उसे बम से उड़ा दो।वैनिश करदेने का मतलब यही है।

बीरभूम में लगातार सत्ता वर्चचस्व का राज यही है।


बीरभूम में नजरबंद हो जाने से पहले भूत ब्रिगेड को सिपाहसालार का फतवा है,सुबह दस बजे तक जीत तय हो जानी चाहिए।जो करना है,वह सुबह दस बजे के बीतर कर दो।अनुब्रत बूथों पर निशाना साधे नहीं हैं,वहां तो परिंदा भी पर ना मार ककें ,ऐसा उनका इंतजाम है और केंद्रीय वाहिनी उन्हीं बूथों की रखवाली कर रहे हैं।


अनुब्रत के दसों सिर वोटरों की रखवाली कर रहे हैं।उनके घरों,खेतो और खलिहानों और आवाजाही उनके नजरबंद हैं भले ही वे खुद नजरबंदी है।


वाम कांग्रेस को पहले ही चुनाव आयोग के इंतजामात पर भरोसा न था,हालात देख संग परिवार में भी खलबली मची है और भाजपा के नेता कोलकाता औरनई दिल्ली में सुबह से ही त्राहिमाम कर रहे हैं।


दस बज गये हैं और जो होना था, हो चुका है।


बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में रविवार को 56 सीटों पर बंपर वोटिंग चल रही है, लेकिन बंगाल में कई जगह हिंसा की खबरें भी आई हैं। बीरभूम में बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में झड़प होने से 8 लोग घायल हो गए तो मालदा में सीपीएम और टीएमसी कार्यकर्ता भिड़ गए. मालदा में चुनावी हिंसा में 7 लोग घायल हुए हैं। बंगाल में अलीपुर द्वार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा और बीरभूम में मतदान शुरू हो गया। कुल 56 विधानसभाओं के लिए वोटिंग चल रही है।


গুড়, বাতাসার টোটকা...

http://ebela.in/…/voters-offered-refrehment-by-tmc-in-birbh…

কেষ্টদার পরামর্শ মেনে বুথে যাওয়া আসার সময়ে বীরভূমের অনেক জায়গাতেই প্রকাশ্যে শাসক দলের কর্মীরা ভোটারদের গুড়, বাতাসা খাওয়ালেন। ভোট চলাকালীন রবিবার সেই ছবিই ধরা পড়ল বীরভূমের…

EBELA.IN|BY আশিস মণ্ডল, রামপুরহাট

অনুব্রতর ভোট স্পেশাল...

http://ebela.in/…/anubrata-challenges-election-commission-d…

নির্বাচন কমিশনকে থোড়ই কেয়ার। ভোটের দিন সকালেও নির্বাচন কমিশনকে ফুৎকারে উড়িয়ে দিচ্ছেন বীরভূমের কেষ্ট।

EBELA.IN|BY নিজস্ব প্রতিবেদন

তৃণমূলের প্রতীক বুকে লাগিয়ে ভোট দেওয়ায়, তাঁর বিরুদ্ধে উঠল নির্বাচনী আচরণবিধি ভঙ্গের অভিযোগ।

রাজ্যের দ্বিতীয় দফার ভোটে বিক্ষিপ্ত গোলমাল হলেও বড় সংঘর্ষের খবর এখনও পর্যন্ত পাওয়া যায়নি। ভোট গ্রহণ শুরুর একটু পরেই গোলমাল বাধে বোলপুরে।

রাজ্যে দ্বিতীয় দফার বিধানসভা নির্বাচনে নজর থাকবে যে সব কেন্দ্রের দিকে, তারই এক ঝলক।

অনুব্রত মণ্ডলকে নজরবন্দি রাখার সিদ্ধান্ত নিয়েছে নির্বাচন কমিশন৷ এবার নাম না করে নির্বাচন কমিশনকে বিদ্রুপ করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়৷




বিরাট একটা ঝড় আসতে চলেছে। পদ্মফুল আর ঘাসফুল সেই ঝড়ে মিলিয়ে যাবে। সব ছাপ্পা ধাপ্পা উড়িয়ে দেবে মানুষ।

Left Front Daily's photo.

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सत्ता के साथ नहीं हैं सौरभ गांगुली मंत्री की फिरकी पर दादा ने उड़ाया छक्का,गेंद मैदान से बाहर शोधपत्र विवाद के बाद दादा का नाम तृणमूली सितारों में अव्वल रखकर इश्तहार जारी करके बुरे फंसे शिक्षा मंत्री एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है! बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया,हारकर चुनाव आयोग ने दर्ज किया एफआईआर! फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या! संघ परिवार के हमले तेज और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा नहीं! भाजपा ने बीरभूम की नौ सीटों पर दोबारा मतदान की मांग की तो विमान बोस ने आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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सत्ता के साथ नहीं हैं सौरभ गांगुली
मंत्री की फिरकी पर दादा ने उड़ाया छक्का,गेंद मैदान से बाहर
शोधपत्र विवाद के बाद दादा का नाम तृणमूली सितारों में अव्वल रखकर इश्तहार जारी करके बुरे फंसे शिक्षा मंत्री
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লিলুয়ার মাঠে ক্রিকেট খেলবেন সৌরভ গঙ্গোপাধ্যায়। ভারতীয় ক্রিকেট দলের প্রাক্তন অধিনায়কের এই খেলাকে অবশ্য খেলা বলে দেখছে না রাজৈনিতক মহল।
EBELA.IN|BY পিনাকপাণি ঘোষ, এবেলা.ইন
जगमोहन डालमिया के साथ अंतरंग संबंधों की वजह से वैशाली डालमिया के हक में तृणमूल कांग्रेस के प्रचार की खबर का दादा ने अभी तक खंडन नहीं किया।उनकी मनस्थिति समझी जा सकती है।लेकिन इसीका फायदा उठाने की कोशिश दादा के मोहल्ले में ही पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने सीथे उनके मिडिल स्टंप को निशाना बांधकर फिरकी गेंद फेंकी तो दादा ने सीधे बल्ला घूमाकर गेंद मैदान से बाहर फेंक दी।


दादा अभीतक किसी लालच या उकसावे में सियासत की गली में भटके नहीं हैं।वैशाली के हक में अभीतक वे सड़क पर उतरे नहीं हैं तो उन्हें दादा के समर्थन की वजह समजी जा सकती है।उनकी चुप्पी का मतलब यह लगाया गया कि दादा दीदी के खेमे में हैं।इसकी बड़ी तीखी प्रतिक्रिया होने लगी ,लेकिन दादा फिर भी  खामोश रहे।मंत्री की हरकत से दादा को यह बताने का मौका मिल गया कि वे वैशाली के हक में जरुर हैं लेकिन सत्ता के साथ नहीं।


अब हुआ यह कि दादा के बेहाला विधानसभा चुनाव क्षेत्र से शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी मैदान में हैं। वैशाली को दादा का समर्थन जानकर पार्थ बाबू ने अपने समर्थन में तृणमूली विद्वजनों और टालीगंज के सितारों का एक इश्तहार बांट दिया और अपने समर्थन में बयान जारी करने वालों में दादा सौरभ गांगुली का नाम अव्वल ंबर पर सबसे ऊपर टांक दिया।


मंत्री महोदय के लिए यह कोई नया करिश्मा नहीं है और हाल में वे अपने शोध पत्र में पुराने बीस पच्चीस शोध पत्रों की लाइन बाई लाइन हूबहू बिना सूत्र का हवाले दिये डिग्री हासिल करने के विवाद में फंसे हैं और इस मामले में सुर्खियों का सिलसिला जारी है।
वैसे बंगाल के विद्वतजन और सितारे सत्ता पक्ष में इस तरह नत्ती हैं कि उनके नाम सत्तापक्ष के हक में कहीं भी जोड़े जा सकते हैं और राजकाज के सिपाहसालार किसी के नाम के साथ कोई बयान जारी करने के लिए उनकी सहमति जरुरी नहीं मानते और न जिनका नाम आता है,वे विरोध करने की जुर्रत करते हैं।


तृणमूल के पाले में धकेल दिये जाने से दादा वैसे ही मुश्किल में थे क्योंकि वैशाली जगमोहन डालमिय की बैटी हैं और उनको समर्थन का खंडन वे किसी सूरत में कर नहीं सकते।


शिक्षा मंत्री के इस करिश्मे से दादा को राहत मिली और उनकी पिरकी पर छक्का जड़कर दादा ने जतला दिया कि वे सत्ता के साथ नहीं है।इस सिलसिले में उनका साफ कहना है कि ऐसा इश्तहार उनने देखा नहीं है और मंत्री के हक में किसी बयान पर उनके दस्तखत नहीं है।


दादा ने तो खुद को खुली हवा में निकाल लिया लेकिन मंत्री जी की बची खुची साख हवा हवाई हो गयी।
अंग्रेजी दैनिक दि टेलीग्राफ के सौजन्य से मंत्री की थीसिस का नजारा भी देख लेंः
Both Chatterjee and Bhuimali today asserted that the thesis had appropriately cited the sources of material used to write the document.

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दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है! बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया,हारकर चुनाव आयोग ने दर्ज किया एफआईआर! फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या! संघ परिवार के हमले तेज और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा नहीं! भाजपा ने बीरभूम की नौ सीटों पर दोबारा मतदान की मांग की तो विमान बोस ने आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया! एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: न्हें कैसे वोट दें दीदी, जिन्हें आप पहले जानतीं तो टिकट ही नहीं देतीं? कृपया फिरदौसी रहमान का यह गीत जरुर सुन लें, आगे जानले तोर भांगा नौकाय चोढ़ताम ना,टूटहा नाव पर सवार दीदी मंझधार नोटिस का जवाब पहले सरकार की तरफ से देने वाली तृणमूल सुप्रीमो पर प्रधानमंत्री के सीधे प्रहार के बाद अब चुनाव आयोग ने भी दीदी के जवाब से नाखुशी जतायी है और अब यह देखने की बात है कि अनुब्रत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद दीदी के खिलाफ आयोग क्या कार्वाई कर सकती है। आडवाणी की झोली में अब दीदी की किस्मत कैद हैं।झोली से कब बिल्ली बाहर निकलकर दही मछली खा जायेगी ,कुछ अता पता नहीं है।दीदी अब वोटरों से कह रही है कि नारद कथा पहले जान रही होती तो उन्हें टिकटही नहीं देती तो वोटर असमंजस में हैं कि जिन्हें दीदी खुद खारिज कर रही हैं तो उन्हें टिकट कैसे दें और दीदी के इस बयान से घूसखोरी में फंसे भाइयों की हवा खराब है कि कभी भी सर पर लटकती तलवार की धार वार कर सकती है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है!
बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया,हारकर चुनाव आयोग ने दर्ज किया एफआईआर!
फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या!
संघ परिवार के हमले तेज और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा नहीं!
भाजपा ने बीरभूम की नौ सीटों पर दोबारा मतदान की मांग की तो विमान बोस ने आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया!
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दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है।
उत्तर बंगाल में बीरभूम के विपरीत धूमधड़ाके से उनके किलाफ मतदान हुआ है और उन्हें खबर भी नहीं हुई।पुलिस और प्रशासन की वफादारी भी अब टल्लीदार है और आम जनता के साथ साथ एक धमाके की शुरुआत वहां भीतर ही भीतर हो गयी है।

पश्चिम बंगालविधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में छिटपुट हिंसा की खबरों के बीच 56 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आज बंपर वोटिंग हुई। शाम छह बजे तक तकरीबन 80 फीसदी वोट पड़ चुके थे जबकि कुछ केंद्रों पर छह बजे के बाद भी वोटिंग जारी रही।येआंकडे बदल सकते हैं।

नई दिल्ली में भाजपा ने बीरभूम में नौ सीटों रपर दोबारा चुनाव की मांग की है,यह रपट हस्तक्षेप पर लगे गयी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न दीदी पर सत्ता के लिए सरकार के गलत इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाया।

वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने बेलगाम अनुब्रत की हैरतअंगेज कामयाबी के बाद आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया।हालांकि  पूर्व केन्द्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार यहां कहा कि 2016 में बंगालमें सत्ता परिवर्तन होगा और 2019 में देश वही परिर्वतन देखेगा।फिर रमेश ने दावा किया, 'पश्चिम बंगालमें चुनाव आयोग के अधिकारियों का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी की ओर है। वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि ममता बनर्जी के इशारे पर काम कर रहे हैं।'

यही नहीं,भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगालके मुख्य निर्वाचन अधिकारी पर 'तृणमूल कांग्रेस को चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने देने' का आरोप लगाते हुए रविवार को चुनाव आयोग से उन्हें हटाने की मांग की है।

कृष्णनगर में उनकी सभी में बहती हुई लू में जो भीड़ दिखी और चैसे चुन चुनकर तरकश से तीर निकालकर दीदी को बिंधा मोदी ने,दीदी को अब समझ में आ जानी चाहिए कि संघ परिवार से गुपचुप गठबंधन की वजह से सत्ता में उनकी वापसी कितनी मुश्किल है।संघ परिवार के  तेवर बदल गये और इस तेवर की झलकियां अभिनेत्री लाकेट चटर्जी की दबंगई के वीडियो से अबतक पूरे देश को दीख गयी होंगी।

मतलब साफ है कि बार बार राज्यों में हारते हुए क्षत्रपों की मनमनी के भरोसे राजकाज चलाने के लिए संघ परिवार तैयार नहीं है और खासपर जिसतरह बंगाल में संघी पिटे हैं और घिरे हैं,उसके मद्देनजर दीदी की खिदमत करते रहने का नतीजा दिल्ली की सत्ता खोने की नौबत में भी बदल सकता है।

बहरहाल बीरभूम में असमय दुर्गापूजा का माहौल रहा और ढाक के बोल पर भूतों का नाच भी जलवा बहार हो गया।सुबह से ही गुड़ जल बताशे के जादू से खलबली मची हुई थी और चुनाव आयोग के दरबार में त्राहिमाम त्राहिमाम गुहार लगती रही।

अभूतपूर्व नजरबंदी,वीडियोग्राफी और मजिस्ट्रेट के साथ केंद्रीय बल और मीडिया को धता बताकर बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया और उनने पलटकर कहा,चुनाव आयोग की क्याऔकात कि वह अनुब्रत मंडल को रोक दें।दिल्ली और कोलकाता में मची खलबली से साफ जाहिर है कि कितना महाबलि है दीदी का यह बाहुबलि।

खिंसियानी बिल्ली के खंभा नोंचने की तर्ज पर शामतक चुनाव आयोग ने हारकर सरकारी आदेशों का उलंघन करने के आरोप में महाबलि अनुब्रत मंडल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया।अब इससे कोई मसला हल नहीं होगा,अनुब्रत गिरप्तार हो जाये तो भी बीरभू में हुए मतदान को पलटा जा नहीं सकता बशर्ते कि दोबारा मतदान का आदेश जारी न हो।बहरहला संघ परिवार की शिकायतों का संज्ञान लेकर बहुत संभव है कि बीरभीम में कुछ क्षेत्रों में दोबारा मतदान हो जाये।कुल मिलाकर यह लोकतंत्र के लिए शर्म जितनी है ,उससे ज्यादा संवैधानिक संस्था बतौर चुनाव आयोग के सिरे से फेल हो जाने का सबूतउससे कहीं ज्यादा है।

फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या।संघ परिवार की गुपचुप मदद के बिना दीदी के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल है,यह बात शुरु से साफ रही है।शारदा और नारदा के घनचक्कर में दीदी बीच में अपनी रणनीति में ही कनफ्यूजा गयी और भिड़ गयी संघ परिवार से तो संघ परिवार भी उन्हें बख्शने के मूड में नहीं है।

जाहिर है कि संघ परिवार के हमले तेज से तेज से तेज हो रहे हैं और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा अब  नहीं है।दीदी भूतों के दम पर जंगल महल के पचासेक सीटें जीत लेने की  खुशफहमी विपक्षा को वैनिश कर देने के फिराक में थी और अनुब्रत के सहारे उनने बंगाल जीत लेने की ठान ली और ओवर कांफिडेंस में जमीनी  हलचल को सिरे से नजरअंदाज कर दिया।

वाम कांग्रेस गठबंधन नुक्ताचीनी से कमजोर होने के बजाय मजबूत होता गया।समर्थन का समीकरण नजदीकी हो गया और आम जनता को भी तदनुसार संदेश गया लेकिन दीदी को ख्याल ही नहीं रहा कि शारदा से भयंकर मामला नरदा है,जिसे मोदी फोकस किये हुए हैं।रोजगार की समस्या भयावह है और विकास का छलावा साफ है,जिसे धुआंधार विज्ञापनों से सही साबित नहीं किया जा सकता।

खास कोलकाता में भी दीदी के पांवों तले मिट्टी खिसकने लगी क्योंकि उसकी निर्माण समाग्री और तकनीक मे वही प्रोमोटर बिल्डर राज है।सही नेतृत्व के विकास के बजायतानाशही रवैया और चमचों के हवाले राजकाज और बिल्डर माफिया सिंडिकेट के दुश्चक्र में  उनने अपनी लड़ाकू और ईमानदार छवि को ही मैली कर दी औय ये बातें उनके खिलाप अचूक रामवाण साबित हो रहे हैं।

बहरहाल उत्तर बंगाल के छह जिले की 45 व वीरभूम जिले की 11 विधानसभा सीटों पर छिटपुट घटनाओं के बीच शाम पांच बजे तक 79.70 फीसद मतदान हुआ। पांच बजे तक 77.33 फीसद मतदान हुआ था। एक बजे तक 56 फीसद मतदान हुआ था। 11 बजे तक 39.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। शुरू के दो घंटे में 21.54 प्रतिशत वोट पड़े थे।
दोपहर एक बजे तक अलीपुर दूआर में 45.56 प्रतिशत, जलपाईगुड़ी में 59.98 प्रतिशत, दार्जिलिंग में 53.03 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 55.50 प्रतिशत, दक्षिण दिनाजपुर में 56.09 प्रतिशत, मालदा में 54.33 प्रतिशत और सर्वाधिक वीरभूम में 62.49 प्रतिशत मतदान हुआ।

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न्हें कैसे वोट दें दीदी, जिन्हें आप पहले जानतीं तो टिकट ही नहीं देतीं? कृपया फिरदौसी रहमान का यह गीत जरुर सुन लें, आगे जानले तोर भांगा नौकाय चोढ़ताम ना,टूटहा नाव पर सवार दीदी मंझधार नोटिस का जवाब पहले सरकार की तरफ से देने वाली तृणमूल सुप्रीमो पर प्रधानमंत्री के सीधे प्रहार के बाद अब चुनाव आयोग ने भी दीदी के जवाब से नाखुशी जतायी है और अब यह देखने की बात है कि अनुब्रत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद दीदी के खिलाफ आयोग क्या कार्वाई कर सकती है। आडवाणी की झोली में अब दीदी की किस्मत कैद हैं।झोली से कब बिल्ली बाहर निकलकर दही मछली खा जायेगी ,कुछ अता पता नहीं है।दीदी अब वोटरों से कह रही है कि नारद कथा पहले जान रही होती तो उन्हें टिकटही नहीं देती तो वोटर असमंजस में हैं कि जिन्हें दीदी खुद खारिज कर रही हैं तो उन्हें टिकट कैसे दें और दीदी के इस बयान से घूसखोरी में फंसे भाइयों की हवा खराब है कि कभी भी सर पर लटकती तलवार की धार वार कर सकती है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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न्हें कैसे वोट दें दीदी, जिन्हें आप पहले जानतीं तो टिकट ही नहीं देतीं?

कृपया फिरदौसी रहमान का यह गीत जरुर सुन लें, आगे जानले तोर भांगा नौकाय चोढ़ताम ना,टूटहा नाव पर सवार दीदी मंझधार

नोटिस का जवाब पहले सरकार की तरफ से देने वाली तृणमूल सुप्रीमो पर प्रधानमंत्री के सीधे प्रहार के बाद अब चुनाव आयोग ने भी दीदी के जवाब से नाखुशी जतायी है और अब यह देखने की बात है कि अनुब्रत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद दीदी के खिलाफ आयोग क्या कार्वाई कर सकती है।

आडवाणी की झोली में अब दीदी की किस्मत कैद हैं।झोली से कब बिल्ली बाहर निकलकर दही मछली खा जायेगी ,कुछ अता पता नहीं है।दीदी अब वोटरों से कह रही है कि नारद कथा पहले जान रही होती तो उन्हें टिकटही नहीं देती तो वोटर असमंजस में हैं कि जिन्हें दीदी खुद खारिज कर रही हैं तो उन्हें टिकट कैसे दें और दीदी के इस बयान से घूसखोरी में फंसे भाइयों की हवा खराब है कि कभी भी सर पर लटकती तलवार की धार वार कर सकती है।
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यह रपट पढ़ने से पहले किंवदंती गायिका फिरदौसी रहमान की आवाज में यह मशहूर बांग्ला गीत जरुर सुन लें। चाहे तो भारत बांग्लादेश में समान लोकप्रिय गीत को मुक्तबाजार के परिदृश्य में देख सुन लें।दोनों वीडियो लिंक दे रहे हैं।हार के मुहाने खड़ी हमारे समय की सबसे लड़ाकू और लोकप्रिय नेता की त्रासदी समझने के लिए यह गीत बेहद मददगार है।

इस पर पता चला है कि नोटिस का जवाब पहले सरकार की तरफ से देने वाली तृणमूल सुप्रीमो पर प्रधानमंत्री के सीधे प्रहार के बाद अब चुनाव आयोग ने भी दीदी के जवाब से नाखुशी जतायी है और अब यह देखने की बात है कि अनुब्रत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद दीदी के खिलाफ आयोग क्या कार्वाई कर सकती है।

জবাবে সন্তুষ্ট নয় কমিশন , ব্যবস্থা কি মমতার বিরুদ্ধে

18 Apr 2016, 0830 hrs IST,
  • জবাবে সন্তুষ্ট নয় কমিশন , ব্যবস্থা কি মমতার বিরুদ্ধে
আদর্শ আচরণবিধি ভাঙার জন্য মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিরুদ্ধে কি ব্যবস্থা নিতে চলে...


Age Janle Tor Bhanga Noukay Chortham Na

Ferdousi Rahman - O Amar Darodi Age Janle Tor Bhanga Noukai Chortam Na


आडवाणी की झोली में अब दीदी की किस्मत कैद हैं।झोली से कब बिल्ली बाहर निकलकर दही मछली खा जायेगी ,कुछ अता पता नहीं है।दीदी अब वोटरों से हह रही है कि नारदकथा पहले जान रही होती तो उन्हें टिकटही नहीं देती तो वोटर असमंजस में हैं कि जिन्हें दीदी खुद खारिज कर रही हैं तो उन्हें टिकट कैसे दें और दीदी के इस बयान से घूसखोरी में फंसे भाइयों की हवा खराब है कि कभी भी सर पर लटकती तलवार की धार वार कर सकती है।

कृष्णनगर और कोलकाता के शहीद मानर में नरेंद्र मोदी ने नारद स्टिंग को तुरुप के पत्ते के हिसाब से इस्तेमाल किया है तो उत्तर बंगाल में सफाये के बाद कोलकाता और दक्षिण बंगाल में भाजपा और संग परिवार की जिदगी के लिए जल्द से जल्द नारद स्टिंग के सच का खुलासा और कार्रवाई जरुरी है।

संघ परिवार दोबारा मतदान कराकर नतीजे बदल नहीं सकती लेकिन आडवाणी की झोली में घात लगाकर बैठी बिल्ली को खुल्ला छोड़ देंतो भाजपा को बंगाल में फिर नई जिंदगी मिल सकती है और ऐसा बहुत संभव है।

इसी के मद्देनजर दीदीन का आक्रामक तेवर अचानक रसगुल्ला की तरह रसीला और नरम गरम हो गया है और मशहूर गीत आगे जानले तोर भांगा नौकाय चोड़ताम ना,पहले से जानती तो इस टूटहे नाव पर सवार मंजदार में ना फंसती ,के तर्ज पर दीदी ने कहा हैःजानले टिकिट दिताम ना। मतलब कि नारद स्टिंग के बारे में पहले जान रही होती तो दागियों को टिकट ही नहीं देती।

अपना पाक दामन बचाने के फेर में दीदी ने जाने अनजाने दक्षिण बंगाल में सत्तादल के तमाम उम्मीदवारों को दांव पर लगा दिया है और एक झटके से मोदी के आरोपों को उनने वैधता देकर अपने ही किले को दावानल के हवाले कर दिया है।

इसीपर आज के बांग्ला अखबारों ने लीड बनायी है कि भाईदेर पथे बसालेन दीदी।यानी दीदी ने अपने शागिर्दों को दिवालिया कर दिया।

गौरतलब है कि  दूसरे चरम के मतदान से पहले तक दीदी पूरे जेहादी तेवर में थीं।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को तृणमूल कांग्रेस के 'पीछे लगाने' के प्रयास करने का आरोप लगाया, क्योंकि वह उनके खिलाफ बोलती हैं।

ममता दीदी ने बारंबार आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर कार्य कर रहा है।

उनके तीखे तेवर का नमूनाःतृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जीने मध्य कोलकाता के सत्यनारायण पार्क में आयोजित पार्टी की एक रैली में कहा, 'मोदी, भाजपा, कांग्रेस और माकपा भी यदि हाथ मिला लें फिर भी मैं उनसे भयभीत नहीं। आप चाहें तो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को (हमारे पीछे) छोड़ सकते हैं।

गौरतलब है कि  चुनाव आयोग को 'धमकाने' के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीको आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि राजनीतिक पार्टियों से मुकाबले के बजाय वह आयोग से लड़ने में व्यस्त हैं, क्योंकि उन्होंने और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही हार मान ली है।

जंगल महल में एकतरफा वोट नहीं पड़े।इसी वजह से सौ फीसद वोट वाले बूथों में भी दोबारा मतदान की मांग विरोधियों ने नहीं की है।जंगल महल में माओवादी दीदी के साथ थे नंदीग्राम सिंगुर विद्रोह काल से।अब वे दीदी के खिलाफ हैं।भूतों का वहां मुकाबला माओवादियों से हुआ है।

बीरभूम के सात विधानसभाई इलाकों में माओवादियों का जंगल महल जितना न हो तो कमोबेश असर है।अनुब्रत के दावों के बावजूद बीरभूम में भी एकतरफा वोट नहीं पड़े।

खास अनुब्रत के इलाके में तृणमूल के एजंट लापता थे तो नानुर में बागी काजल शेख ने खेल खराब कर दिया।

गौरतलब है कि काग्रेस या वाम दलों ने बीरभूम में भी दोबारा मतगणना की मांग नहीं की है।

बवाल भाजपाी अभिनेत्री ने मनुस्मृति की तर्ज पर जबर्दस्त सिनेमाई अभिनय के साथ किया है क्योंकि पिछले चुनावों में बीरभूम में बड़ीशक्ति बनकर उभरी भाजपा का सफाया हो गया है।इसीलिए चुनाव आयोग से बीरभूम की सभी नौ सीटों पर दोबारा मतदान कराने की मांग की है भाजपा ने।

बारी उत्तर बंगाल में छिटपुट हिंसा के बावजूद अस्सी फीसद से ज्यादा वोट पड़े।कालियाचक केंद्रित हिंदुत्व भूचाल और भाजपा की पूरी ताकत झोंकने के बावजूद सत्ताविरोधी वोट बंटे नहीं है।

ताजा चुनाव सर्वेक्षण में वामदलों को 106 सीटें मिलने की बात कही गयी है तो भाजपा को चार सीटों की उम्मीद बतायी गयी है।वे सीटें कहीं बनती नजर नहीं आ रही है।

कांग्रेस को सिर्फ आठ फीसद वोट के साथ 21 सीटें मिलने की बात कही गयी है।जो उत्तर बंगाल में उनकी ताकत के हिसाब से और वामदलों के साथ कांग्रेस के गठबंधन के समीकरण के मुताबिक कमसक डाबल होनी चाहिए।




दूसरे चरण के बाद अभी डेढ़ सौ सीटों के आसपास हैं वाम कांग्रेस गठबंधन 294 सीटों वाले बंगाल में।पांच टरण के मतदान अभी बाकी है और अनुब्रत मणिरुल की बीरभूम में नहीं चली,जंगल महल से लेकर उत्तर बंगाल तक कड़ा मकाबला किया गठबंधन ने,हार रहे संघपरिवार तिलमिलाकर आल आउट अटैक कर रहा है और नारद स्टिंग के गुल कभी भी खिलखिलाकर किया कराया गुड़गोबर कर सकते हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में जारी विधान सभा चुनावों के मद्देनजर रविवार को नादिया जिले के कृष्णनगर में एक रैली को संबोधित किया और अपने पूरे भाषणा में पीएम मोदी राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जीपर हमलावर रहे। पीएम मोदी ने चुनाव आयोग पर की गई ममता बनर्जीकी टिप्पणी पर उनसे जवाब मांगे। चुनाव आयोग ने ममता बनर्जीको आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर नोटिस जारी किया था। पीएम मोदी ने कहा, 'ममता जी आपका काम था अपनी बात बताना लेकिन उसकी बजाय आप कहती हैं कि 19 तारीख के बाद मैं देख लूंगी।'



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बलि के लिए बकरों की खोज जारी है और बकरों में खलबली है कि किस किस बकरे की गर्दन नपने वाली है। वर्धमान में माकपा प्रत्याशी पर हमला और माकपाइयों से मारपीट मुर्शिदाबाद में हिंसा से निबटने के लिए आंसूगैस के गोले बीरभूम में मतदान के बाद हिंसा,नजरबंद अनुब्रत ने धमकी दी है कि चुपचाप मार नहीं सहेंगे।मार के बदले मार,अनुब्रत ने ऐलान कर दिया है। मोदी के चुनावी भाषणों की सीडी की जांच,लाकेटके खिलाफ एफआईआर नारद स्टिंग के मामले में दीदी के बयान के बाद घूसखोरी के आरोप में फंसे मंत्रियों और सासंदों की नींद हराम है।समझा जाता है कि आडवानी की झोली से देर सवेर बिल्ली निकलने वाली है और दीदी को सिर्फ अपना पाक दामन बचाने की फिक्र नहीं है।दीदी के बजाय वे अब संघ परिवार की मेहरबानी के मोहताज हैं। बहरहाल एक टीवी चैनल पर सांसद मुकुल राय ने दीदी की निश्चित जीत का दावा करते हुए उनके बायां हाथ होने का दावा कर दिया है।गौरतलब है कि मुकुल राय भी आरोपों के घेरे में हैं। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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वर्धमान में माकपा प्रत्याशी पर हमला और माकपाइयों से मारपीट
मुर्शिदाबाद में हिंसा से निबटने के लिए आंसूगैस के गोले

बीरभूम में मतदान के बाद हिंसा,नजरबंद अनुब्रत ने धमकी दी है कि चुपचाप मार नहीं सहेंगे।मार के बदले मार,अनुब्रत ने ऐलान कर दिया है।

मोदी के चुनावी भाषणों की सीडी की जांच,लाकेटके खिलाफ एफआईआर

नारद स्टिंग के मामले में दीदी के बयान के बाद घूसखोरी के आरोप में फंसे मंत्रियों और सासंदों की नींद हराम है।समझा जाता है कि आडवानी की झोली से देर सवेर बिल्ली निकलने वाली है और दीदी को सिर्फ अपना पाक दामन बचाने की फिक्र नहीं है।दीदी के बजाय वे अब संघ परिवार की मेहरबानी के मोहताज हैं। बहरहाल एक टीवी चैनल पर सांसद मुकुल राय ने दीदी की निश्चित जीत का दावा करते हुए उनके बायां हाथ होने का दावा कर दिया है।गौरतलब है कि मुकुल राय भी आरोपों के घेरे में हैं।
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बंगाल में तीसरे चरण के मतदान में हिंसा का अंदेशा है और कोलकाता और आसपास माहौल गरमाने लगा है।उधर बीरभूम में मतदान कमोबेश अमन चैन के साथ निबटजाने के बाद बेलगाम वोटरों को सबक सिखाने का सिलसिला शुरु हो गया है तो वर्धमान में माकपा प्रत्याशी पर हमला और माकपाइयों से मारपीट की खबर है तो खास कोलकाता के जादवपुर में वोटरों के डराने धमकाने की शिकायत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष चुनाव प्रचार में बंगाल आकर गर्मागर्म बातें की तो चुनाव आयोग और दीदी के बीच तकरार तेज हो गयी है।कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबादजिले के कांदी व जंगीपुर और नदिया में चुनावी जनसभा के दौरान तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे प्रहार किये।

उधर नजरबंद अनुब्रत ने धमकी दी है कि चुपचाप मार नहीं सहेंगे।मार के बदले मार,अनुब्रत ने ऐलान कर दिया है।यही सभी पक्षों का थीमसांग है।

मुर्शिदाबाद में हिंसा से निबटने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े।बेलघरिया में आक्रांत आमरा और नदिया में सेव डेमोक्रेसी पर भी हमले का आरोप है।दोनों जगह तृणमूल कांग्रेस पर हमले का आरोप है।दोनों जगह विपक्ष की सभा में हमले हुए।

बीरभूम के पाड़ुई में मतदान के बाद रातभर बम बाजी होती रही।गोली भी चली।

सुबह बहुत हल्ला था कि चुनाव आयोग दीदी के खिलाफ कार्वाई करने जा रहा है।ऐसा अभी नहीं हुआ है।प्रधानमंत्री से लेकर संग परिवारे के छोटे बड़े नेताओं के जुबानी जमाखर्च के बावजूद नारद स्टिंग का सचसामने नहीं आ रहा है,जिससे पानी का पानी और दूध का दूध हो जाये।उल्टे प्रिजाइडिंग अफसर को धमकाने के मामले में भाजपा की स्टार प्रत्याशी अभिनेत्री लाकेट चटर्जी के खिलाफ एफआई आर दर्ज हो गया है।एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अनुब्रत अभी खुल्ला हैं और जैसे नजरबंदी के मध्य मोबाइल और फोन के जरिये वे कमान संभाले हुए थे,उसीतरह अब भी कमान उन्हींके हाथों में है।

नारद स्टिंग के मामले में दीदी के बयान के बाद घूसखोरी के आरोप में फंसे मंत्रियों और सासंदों की नींद हराम है।समझा जाता है कि आडवानी की झोली से देर सवेर बिल्ली निकलने वाली है और दीदी को सिर्फ अपना पाक दामन बचाने की फिक्र नहीं है।बलि के लिए बकरों की खोज जारी है और बकरों में खलबली है कि किस किस बकरे की गर्दन नपने वाली है।दीदी के बजाय वे अब संघ परिवार की मेहरबानी के मोहताज हैं। बहरहाल एक टीवी चैनल पर सांसद मुकुल राय ने दीदी की निश्चित जीत का दावा करते हुए उनके बायां हाथ होने का दावा कर दिया है।गौरतलब है कि मुकुल राय भी आरोपों के घेरे में हैं।

इसीबीच दादा सौरभ गांगुली बाली की तृणमूल प्रत्याशी वैशाली डालमियां के हक में एक क्रिकेट शो में उनके साथ खड़े होकर उनके लिए शुभकामनाें तो दी लेकिन न उनके लिए और तृणमूल के लिए वोट मांगा।यह सत्ता दल को बड़ा झटका है कि दादा के नाम का किसी तरह के इस्तेमाल की अब गुंजाइश बची नहीं है।

दूसरी तरफ  चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषणों की सीडी की जांच करने का निर्देश दिया गया हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के कृषनगर में चुनावी आमसभा को संबोधित करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदर्श आचरण संहिता का उल्लंघन किया था। क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस का उत्तर मुख्य सचिव ने दिया था। पीएम मोदी के भाषण वाली सीडी को मुख्य चुनाव अधिकारी सुनील गुप्ता ने चुनाव आयोग के पास भेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी देखेंगे कि इस मामले में क्या करना है।

गौरतलब है कि  मोदी ने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को या फिर तृणमूल कांग्रेस या उसके वकील को जवाब देना चाहिए था जबकि इसका उत्तर मुख्य सचिव ने दिया। एक तरह से यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

प्रधानमंत्री के नक्शेकदम पर हालाकि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कानून-व्यवस्था के मुद्दों और राजनीतिक हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर सोमवार को तीखा हमला बोला। उन्होंने कह दिया  कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में पश्चिम बंगाल में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
नदिया जिले में गृहमंत्री ने कहा, "पांच साल पहले जब ममता सरकार राज्य में आई थी, तब लोगों को उम्मीद थी कि वाम मोर्चा के 34 साल के शासन के दौरान राजनीतिक हिंसा का जो चक्र फला-फूला था, वह खत्म हो जाएगा। दीदी(ममता) बदलाव लाएंगी।"
फिर उन्होंने कहा, "लेकिन तृणमूल के शासन में राजनीतिक हिंसा और बढ़ गई है। जनता को समर्थन देने के लिए डराया जा रहा है। तृणमूल 'मां, माटी, मानुष' के नारे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन पिछले पांच सालों में मां, माटी और मानुष कोई भी सुरक्षित नहीं रहा।"
गृहमंत्री ने कहा, "तृणमूल और वाम मोर्चा दोनों के नेताओं को यह सच्चाई समझ लेनी चाहिए कि जनता को डरा कर उनका समर्थन नहीं लिया जा सकता।"
मंच से भीड़ को संबोधित करते हुए राजनाथ ने बुनियादी ढांचे की कमी को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस का उपहास किया।
राजनाथ ने भीड़ से पूछा, "सड़कें नहीं हैं, स्कूल नहीं हैं, किसानों के लिए पानी नहीं है, यहां तक कि अस्पताल भी नहीं हैं। कम से कम आपके पास डॉक्टर्स और दवाएं तो होनी चाहिए?"
उन्होंने कहा, "कम से कम यहां कोई उद्योग तो होना चाहिए। वह भी नहीं है, तो यहां क्या है? यहां की स्थिति बेहद खराब है। यहां केवल एक उद्योग फलफूल रहा है, वह है, बम बनाने का उद्योग।"
राजनाथ ने इस साल पहले मालदा में एक पुलिस थाने पर एक भारी भीड़ के हमले का जिक्र करते हुए कहा, "यहां स्थिति ऐसी है कि पुलिस थानों पर भी हमला किया जा रहा है और हमले के जिम्मेदार लोगों को बचाया जा रहा है।"
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शराब के कुटीर उद्योग के विरोधी बारासात के सौरभ की हत्या के मामले में आठ को फांसी बंगाल में चुनावी हिंसा के मध्य थोक फांसी का सिलसिला सत्ता वर्ग के लिए कयामत ही समझिये। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

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शराब के कुटीर उद्योग के विरोधी बारासात के सौरभ की हत्या के मामले में आठ को फांसी
बंगाल में चुनावी हिंसा के मध्य थोक फांसी का सिलसिला सत्ता वर्ग के लिए कयामत ही समझिये।
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বামনগাছির সৌরভ চৌধুরী হত্যা মামলায় ৮ জনকে মৃত্যুদণ্ড দিল বারাসত আদালত।


फिर बम इंडस्ट्री में धमाका हो गया।कामदनि बलात्कार कांड और नदिया हत्याकांड के बाद बामून गाछी सौरभ हत्याकांड में आठ लोगों को फांसी की सजा सुनायी गयी है।वोट बाजार में खलबली है कि ऐन मतदान से पहले इतने भारी पैमाने पर बाहुबलियों की वैदिकी बलि का सत्ता समीकरण पर क्या क्या असर होना है।क्योंकि इन तीनों मामलों में न्याय प्रक्रिया में सत्ता का हस्तक्षेप विवाद बना हुआ था और पीड़ितों को लगातार मामला रफा दफा करने के लिए डराया धमकाया जा रहा था।

बारासात  अदालत ने बामूनगाछी में अवैध शराब के कारोबार का विरोध करने वाले नौजवान सौरभ चौधरी की हत्या के मामले में आठ लोगों को पांसी की सजी सुना दी है।इसके अलावा एक को उम्र कैद की सजा हुई है और हत्यारों को पनाह देने के आरोप में तीन लोगों को बामशक्कत तीन तीन साल की कैद की सजा सुनायी गयी हैं।कुल ऐसे 12 बाहुबलियों को अदालत ने दोषी ठहराकर सजा सुना दी है,जिनकी अहम भूमिका उत्तर 24 परगना के मतदान में होनी थी क्योंकि सत्ता को समर्तन की कमीमत पर उनका यह सहकारिता का कारोबार वैध और जायज तरीके से बेरोकटोक चलता है।

अपहरण और हत्या के मामले में श्यामल कर्मकार समेत नौ लोग दोषी माने गये। इनके खिलाफ धारा 302 के तहत सजा सुनायी गयी।
गौरतलब है कमादुनि मशहूर बारासात इलाके के गैरकानूनी कुटीर उद्योग शराब के धंधे और उसके साथ सट्टा रके बेलगाम कारोबार के खिलाफ प्रतिरोध करने के अराध में 4 जुलाी 2014 को मां माटी मानुष सरकार के सत्ताकाल में घर से उठाकर सौरभ को ले गये अपराधी।अगले दिन बारासात और दत्तपुकुर रेलवे स्टेशनों के मध्य उसका क्षत विक्षत शव मिला।

बहुत बुरी खबर  है कुटीर उद्योंग में बदल सत्ता संरक्षण के शराब सिंडिकेट के लिए,क्योंकि उनके आठ लोगों को फांसी हो गयी है।चुनावी हिंसा के मध्य थोक फांसी का सिलसिला सत्तावर्ग के लिए कयामत ही समझिये।गौरतलब है कि फिलवक्त सरहदी इलाकों में कानून व्यवस्था बरसों से लापता है और वहां तस्करों, माफिया, प्रोमोटरों ,बिल्डरों का राजकाज है।अदालती फैसलों से इस नायाब उद्योग और कुटीर उद्योग को भारी झटका एक के बाद एक लग रहा है।


वैसे ही मूसल पर्व जारी है।घमासान मचा हुआ है बंगाल के कुरुक्षेत्र में।आसमान से आग के गोले बरस रहे हैं और जमीन तोड़कर धदकने लगी है भूमिगत आग।महाभूकंप की चेतावनी जारी हो चुकी है और मौसम लू का है तो फिजां खून की होली से रंगारंग है।आम जनता के लिए अमन चैन लापता है और दसों दिशाओं में कयामत है।तो सत्ता का चीरहरण जारी है और केशव कल्कि पधार रहे हैं तो लज्जा ढकने के बजाय उगड़ रही हैं क्योंक हर बार चीर पकड़कर खींच रहे हैं सत्ता सखा द्वारका नरेश।

प्रोमोटर बिल्डर माफिया सिंडिकेट के अलावा बलात्कारियों का राजकाज है कामदुनि से लेकर काकद्वीप तक।ससिर्फ अच्छी बात यह है कि धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण की हर कोशिश बंगाल की बौद्धमय विरासत की सरजमीं पर नाकाम है और सत्ता वर्चस्व की ऩफरतों का हवा पानी में असर नहीं है।हिंदुत्व का एजंडा सिरे से फेल है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगालविधानसभा चुनाव के तीसरे और चौथे चरण में 107 प्रत्याशी करोड़पति हैं। 128 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्मीदवारों के शपथ-पत्र से यह खुलासा हुआ है कि तीसरे चरण के 418 उम्मीदवारों में से 61 और चौथे चरण के 345 में से 46 करोड़पति या कई करोड़ के मालिक हैं।
'द वेस्ट बंगाल इलेक्शन वाच' ने सोमवार को कहा कि तीसरे चरण के 80 प्रत्याशी और चौथे चरण के 48 प्रत्याशियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने की घोषणा की है। इनमें कई के खिलाफ हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर मामले भी लंबित हैं।

इसी बारासात में ट्रेन से दफ्तर से लौट रही बहन से छेड़खानी करने का विरोद करने पर एक भाई की हत्या कर दी गयी रेलवे स्टेशन के पास,जहां तमाम अफसरान की मौजूदगी में शाम के बाद अपराधियों का राजकाज चलता है ।

हाल में पिछले मार्च में बारासातइलाके में एक नाबालिग लड़की  राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी संगीता आईचकी गला रेत कर नृशंस हत्या हो गयी। पीड़िता 30 अन्य लड़कियों के साथ वॉलीबॉल खेल रही थी, तभी एक युवक ने कथित रूप से चापड़ (छुरे जैसा धारदार हथियार) से उसकी गरदन पर हमला कर दिया।

बैरकपुर पुलिस आयुक्त के कार्यालय के डीसीडीडी अजय ठाकुर ने बताया कि 18 वर्षीय सुब्रत सिन्हा उर्फ राजा ने जगददल पुलिस थाना में आत्मसमर्पण कर दिया।यह घटना उस वक्‍त घटी, जब संगीता बारासातमें एक ट्रेन कैंप में हिस्‍सा ले रही थी।

सुब्रत ने दरांती से उस पर कई बार वार किए। उस वक्त घटनास्‍थल पर तीन कोच और 25 वॉलीबॉल प्‍लेयर मौजूद थे। कोच ने लड़की को बचाने की कोशिश की, लेकिन सुब्रत ने उन पर भी वार कर दिया। इसके बाद संगीता को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी।

कोच स्वपन दास के मुताबिक, 'मैंने देखा कि राजा, संगीता की ओर चाकू लेकर दौड़ रहा है। मैंने राजा को पकड़ने की कोशिश की। अगर संगीता मेरे पीछे छिप जाती तो शायद राजा पहले मुझ पर हमला करता। लेकिन उसने भागने की कोशिश की और राजा ने उसे बेरहमी से मार दिया।'.


गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कानून-व्यवस्था के मुद्दों और राजनीतिक हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में पश्चिम बंगालमें कोई भी सुरक्षित नहीं है।

गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक कभी देश के औद्योगिक राजधानी कहे जानेवाले बंगालमें उद्योग व वाणिज्य धराशायी होता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में यहां फैक्टरियां तो लगी हैं, लेकिन वह बम की हैं। जिसका काम लोगों को रोजगार देना नहीं, बल्कि उनकी जान लेना है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह पश्चिम बंगालके करीमपुरा में चुनावी रैली के दौरान आक्रोश में दिखे. राजनाथ ने कहा कि 'जिस मां के लाल ने यहां बम बनाने का काम किया, मैं उसकी खाट खड़ी कर दूंगा'। राजनाथ ने बेहद आक्रामक होते हुए कहा कि बंगालमें कानून का तमाशा बना दिया गया है। यहां कोई इंडस्ट्री नहीं चल रही है, केवल यहां बम इंडस्ट्री चल रही है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह उत्तर 24 परगना जिले के भाटपाड़ा में भाजपा उम्मीदवार पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ रुमेश कुमार हांडा के समर्थन में चुनावी सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भाटपाड़ा क्षेत्र में आठ जूट मिले हैं, लेकिन सभी जूट मिलों की हालत खराब है। जूट मिलें बंद हो रही हैं और बम की फैक्टरियां तैयार की जा रही है।

गौरतलब है कि इससे पहले इस बारासात के नजदीक बहुचर्चित कामदुनी सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में अदालत ने तीन अभियुक्तों को फांसी की सज़ा सुनाई है।इस मामले के तीन अन्य अभियुक्तों को उम्र क़ैद की सज़ा दी गई है।मुख्यमंत्री ने इस मामले में आंदोलन करने वाली महिलाओं को माओवादी घोषित कर दिया था।क्योंकि कामदुनी के लोगों ने न्याय व दोषियों को कड़ी सज़ा दिए जाने की मांग में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। इसके लिए कामदुनी प्रतिवादी मंच नामक एक संगठन भी बनाया गया था।

उत्तरी 24-परगना ज़िले के बारासात में 7 जून 2013 को कॉलेज से घर लौट रही 21 साल की छात्रा का नौ लोगों ने अपहरण कर लिया था। उसे एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी थी।
अगले दिन एक खेत से छात्रा का शव बरामद किया गया था।



गौरतलब है कि दूसरे दौर के मतदान में नदिया में मतदान है और उसी नदिया में २०१४ में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में हुई एक सनसनीखेज हत्या के मामले में अदालत ने हाल में तृणमूल नेता सहित ११ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई हैं।तृणमूल नेता लंकेश्वर घोष सहित ११ अन्य आरोपियों को कृष्णानगर अदालत ने मंगलबार को दोषी करार देते हुए आज सजा का एलान किया।
२०१४ के २३ नबंबर को तृणमूल नेता के रूप से जाने जाने वाले लंकेश्वर और उसके साथियो ने नदिया जिले के घुघुरागाची में एक बिबादित जमीन को जबरदस्ती हड़पने के कौशिश के दौरान प्रतिरोध कर रहे अपर्णा बाग़ नाम के एक महिला की गोली मरकर हत्या कर दी थी.
लंकेश्वर तृणमूल के कृष्णगंज ब्लॉक प्रेजिडेंट लक्ष्मण घोष चौधुरी के का करीबी मन जाता हैं और ज़मीन सिंडिकेट से लेकर स्मगलिंग तक उसकी कारोबार बताया जाता है।
বামনগাছির প্রতিবাদী ছাত্র সৌরভ চৌধুরী খুনের ঘটনায় কী সাজা ঘোষণা করল বারাসত আদালত? পড়ুন নিচের লিঙ্কে ক্লিক করে।
বামনগাছির প্রতিবাদী ছাত্র সৌরভ চৌধুরী খুনের ঘটনায় ৮জনকে ফাঁসির সাজা শোনালো বারাসত আদালত। ১জনকে যাবজ্জীবন কারাদণ্ড দেওয়া হয়েছে। অপরাধীদের আশ্রয় দেওয়ার জন্য বাকি ৩জনের ৫ বছরের সশ্রম কারাদণ্ডের নির্দেশ দিয়েছে আদালত। গত সপ্তাহেই দোষী সাব্যস্ত হন অভিযুক্ত ১২জন।

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बेशर्म इतना है सत्ता से नत्थी जनमजात मेधा वर्चस्व कि भाषा और संस्कृति में सिर्फ पितृसत्ता की गूंज और फिर वहीं धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद दृष्टिहीन! पलाश विश्वास

Next: दीदी की जुबान फिसली तो आ गया जलजला भयंकर सिंडिकेट छत्ते में दीदी के तीर धंसते ही मूसल पर्व शुरु बांग्ला महाभारत का लाल पीले तेवर में सिपाहसालार अपनी अपनी खैरियत की सोच रहे हैं और बहुत अरसे बाद उन्हें अपने भाई और साथी जेल में बंद कुणाल घोष और मदन मित्र की खूब याद आ रही है। खास बात तो यह है कि घूसखोरी में फंसे ऐसे सिपाहसालार और मंत्री सांसद ही दीदी के चुनावक्षेत्र भवानीपुर में दीदी के किलेदार हैं।भाइयों का जो हो सो हो,दीदी को अपना किला बचाना मुश्किल पड़ रहा है। X Files: Narada News sting operation exposes Trinamool Congress https://www.youtube.com/watch?v=fsWCZ4NNZhg एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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बेशर्म इतना है सत्ता से नत्थी  जनमजात मेधा वर्चस्व कि भाषा और संस्कृति में सिर्फ पितृसत्ता की गूंज और फिर वहीं धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद दृष्टिहीन!
पलाश विश्वास

और यह है दिल्ली खालसा कालेज की राष्ट्रीय खिलाड़ी शिवांजलि


हम दीपा कर्मकार की उपलब्धियों पर लिख नहीं रहे हैं ।इस बारे मेंं अगर आपकी दिलचस्पी हैं तो मीडिया के सौजन्य से आपको काफी कुछ जानकारी अबतक मिली होगी,जिसे हम दोहराना नहीं चाहते।

हम तो पालमपुर में देशभर के सामाजिक कार्यकर्ताओं,छात्र युवाजनों में सबसे छोटी पूर्वी उत्तर प्रदेश की शिवांजलि की बात करना चाहेंगे जो जूनियर लेवल पर भारतीयराष्ट्रीयक्रिकेटटीम के लिए खेलती है तो जंतर मंतर पर आजादी के नारे भी लगाती है,खूब पढ़ती लिखती है,खालसा कालेज दिल्ली के छात्र संघ का चुनाव लड़ कर जीत चुकी है और अब दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ना चाहती है लेकिन उसके जनसरोकार हमसे कम नहीं है।उसके खेल,उसकी पढ़ाई में उसके जनसरोकार बाधक नहीं है और यह हमारी नई पीढ़ी की नई सोच है,नई समझ है।

ये हमारी बेटियां हैं जो पितृसत्ता के खिलाफ स्वतंत्रता और न्याय के लक्ष्य के साथ खेल का मैदान भी फतह करना चाहती है।

कार्यशाला में एकदिन उसका हाथ टूट गया तो अगले दिन हमने देखा कि उसी टूटे हाथ के साथ वह खेल भी रही है।उड़ान के बच्चों के साथ।ये हमारी बेटियांं हैं और हम समझतें हैं कि दीपा भी कमोबेश इसीतरह होंगी।ये बेटियां ही इस पृथ्वी को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और बेहतर बना सकती हैं।यही हमारी कुल पूंजी है।

आज के छात्र युवा समाज के दिलोदिमाग और उनकी बहुमुखी सक्रियता के इस ऐतिहासिक काल में हमें अपने पढ़े लिखे मेधावी बुद्धिजीवी के मौकापरस्त धर्मोन्मादी तौर तरीके से कोफ्त होती है कि हम इन बच्चो से क्यों नहीं सीखते कि नागरिकता क्या होती और देश और समाज के लिए समर्पण किसे कहते हैं।

इन छात्रों और युवाओं की  संवेदनाओं,हर समस्या से जूझने के उनके सरोकार,सत्ता के हर केंद्र से टकराने के उनके साहस और संवेदनाओं से सराबोर हर नागरिक और देश के हर हिस्से के हर नागरिक की चीखों की गूंज बनती उनकी आवाज से पुरानी पीढ़ियों को सीखने की जरुरत है।उनका राष्ट्रवाद उऩका विवेक है।

हम यह तब लिख रहे हैं  जबकि देश वातानुकूलित विद्वतजन तेजी से केंद्र या राज्य की सत्ता से नत्थी होते जा रहे हैं और तमाम माध्यमों,विधाओं और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्रों मे उनके ही अमोघ वर्चस्व की वजह जनविरोधी जनसंहारी सत्ता ही मजबूत होती है।

इसके हाल फिलहाल अनेक उदाहरण हैं,जिसका उल्लेख करना भी शर्मनाक है।सारी असिष्णुता की जड़ें उऩकी विद्वता में है।

एक वाकया कल कोलकाता में हुआ जो शायद बेहद शर्मनाक है।

हुआ यह कि दो ही चरणों में किले में सेंध होती नजर आने के बाद,साख ध्वस्त हो जाने के बाद,जनता की आस्था हासिल करने में नाकाम सत्ता को अपने दागी सिपाहसालारों की बजाये चमकदार चेहरों की जरुरत आन पड़ी तो उन्होंने हमारी अत्यंत आदरणीया वयोवृद्ध और अस्वस्थ महाश्वेता देवी को प्रेस के सामने वोट मांगनेके लिए खड़ा कर दिया।

अभी अभी फिल्मों और चेली सीरियलों में चमकी कुछ एकदम युवा अभिनेत्रियों के साथ महश्वेता दीदी और उनकी संगत के लिए अर्थशास्त्री अभिरुप सरकार और कवि सुबोध सरकार जैसे लोग वहां खड़े पाये गये दागी राजनेताओं का पक्ष रखने के लिए।

मेरे ख्याल से बाकी नाम गिनाने की जरुरत नहीं है और इस पर और शब्द खर्च करना भी शर्मनाक है।

बहरहाल,रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली त्रिपुरा की दीपा कर्मकार को मैं नहीं जानता।लेकिन हमारे दिवंगत मित्र और त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री कवि अनिल सरकार के सौजन्य से त्रिपुरा से मेरा अच्छा खासा परिचय है।

इसी तरह मेरीकाम को भी मैं नहीं जानता लेकिन हमारे फिल्मकार मित्र जोशी जोसेफ की वजह से मुझे मणिपुर को नजदीक से जानने का मौका मिला है।

किन कठिन परिस्थितियों से जूझकर दीपा और मेरी काम ने भारत के हर नागिरक को गर्वित किया है,इसे समझने की जरुरत है।

इरोम शर्मिला के 14 साल से जारी सैन्य शासन के खिलाफ,सशस्त्र सैन्य विशेषाधिकार कानून के खिलाफ अनशन की निरंतरता को समझे बिना पूर्वोत्तर को समझना बेहद मुश्किल है।

हम यह भी नहीं जानते कि दीपा कर्मकार के पुरखे त्रिपुरा मूल के हैं या वे भी हमारी तरह पूर्वी बंगाल की शरणार्थी परिवार से है लेकिन मैं बंगाल और त्रिपुरा के अलावा भारत भर में बसे कर्मकार बिरादरी के लोगों को बचपन से जानता समझता रहा हूं और हम समझते हैं जनमजात मेधा के रंगभेदी वर्चस्व की दीवारें तोड़कर,पितृसत्ता के निषेधात्मक अनुशासन को तोड़कर चुनौतियों को जीत लेनी की अदम्य जीजिविषा ने दीपा को विजेता बनाया है।जैलसे मेरा काम की उपलब्धियों और उनके संघर्ष की कथा हम जानते हैं।

यही बात सानिया मिर्जा के बारे में कहूं तो लोगों को सानिया की पृष्ठभूमि नजर नहीं आयेगी और उनके ग्लेमर,उनके पैसे और उनके निजी जीवन ही लोगों को समझ में आयेगा।

इसीतरह पूर्वोत्तर के बदले मैं कश्मीर में जूझती महिलाओं की बातें करुं तो शायद पढ़ने सुनने वालों में से ज्यादातर लोगों को मैं कन्हैया या खालिद की तरह राष्ट्रविरोधी हिंदू विरोधी नजर आउंगा।

यह हमारा नजरिया है जो मनुष्यता को भी उसकी पहचान के मुताबिक तौलता है।

हम उपलब्धियों के भी जाति धर्म क्षेत्र और भूगोल के तहत सियासती या मजहबी पैमाने से तौलते हैं।

यह बेहद खतरनाक है।

यही वजह है कि इरोम शर्मिला का बेमिसाल बलिदान और उनका अभूतपूर्व संघर्ष का हमने सम्मान करना नहीं सीखा और देश के अलग अलग हिस्सों में मनुष्यता पर बर्बर अमानुषिक मुक्तबाजारी सैन्य राष्ट्र के हमलों को हम अंध राष्ट्रवाद के चश्मे से देखते हैं।

यह हमारी दृष्टि की सीमाएं हैं।तो यह सीमाबद्धता  हमारी नागरिकता,हमारी भाषा,हमारी संस्कृति, हमारे ज्ञान विज्ञान इतिहास बोध,शिक्षा दीक्षा और विवेक का मामला है।

हाल में हमने जब राजस्थाने के दलित बच्चों की पिटाई के मामले को उठाते हुए नंगे जख्मी बच्चों की तस्वीर जारी की तो देश भर से खासकर दलितों और पिछड़ों ने उसका संज्ञान लिया और हस्तक्षेप पर सिर्फ फेसबुक लाइक साढ़े सोलह हजार अबतक है।लेकिन बाकी मुद्दों परप फिर वे लोग मूक वधिर हैं।

मसलन हमारे भाई दिलीप मंडल हमसे कहीं ज्यादा मशहूर हैं और वे दलितों पिछड़ों ौर बहुजनों के बारे में लिखते रहते हैं।फेसबुक पर उनके किसी भी पोस्ट पर लंबी चौड़ी प्रतिक्रिया होती है।

हम दिलीप को बेहद नजदीक से जानते हैं और यह भी जानते हैं कि वे सटीक लिखते हैं और सोशल मीडिया के अलावा वे कारपोरेट मीडिया के भी कामयाब पत्रकार हैं।

अफसोस यह है कि  उनके लिखे पर प्रतिक्रिया विशुद्ध जाति आधारित होती है।दलित और पिछड़े तो बेहद खुश होते हैं लेकिन सवर्णों में तीखी प्रतिक्रिया होती है।

हमारे लिखे की हम बात नहीं कर रहे हैं और न हम अपने उन मित्रों के लिखे की बात कर रहे हैं जो सत्ता पक्ष के खिलाफ लामबंद हैं और हमेशा ज्वलंद मुद्दों को संबोधित करते हैं।

हम अपने गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी की बात कर रहे हैं जो जाति धर्म के पूर्वग्रह से मुक्त विशुद्ध आस्थावान हिंदू की तत्सम भाषा में अपनी संस्कृति लोक जमीन से इतिहास बोध की बात करते हैं बिना किसी पूर्वग्रह के,जिसमें किसी राजनीतिक रंग होत नहीं है।उन्हें पढ़ने में बहुजनों को हिचकिचाहट होती है।तो सवर्ण भी नहीं पढ़ते।

इसीतरह हमारे बहुजनवादियों को नजर नहीं आता कि हम देशव्यापी जनसुनवाई के लिए बहुजनों की पीड़ा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं हस्तक्षेप पर और अंबेडकरी विचारधारा और मिशन को आगे बढ़ाने में हम निरंतर सक्रिय है क्योंंकि हस्तक्षेप के संपादक जनमजात ब्राह्मण हैं और बहुजनों को उनपर भरोसा नहीं है।इसलिए हमारी बार बार अपील करने के बावजूद हमारे साथ हमारे अंबेडकरी मित्र नहीं हैं।

हम उन तमाम लोगों को जानते हैं जो समाज सेवा के नाम पर,बाबासाहेब के मिशन के नाम पर या खालिस राजनीति के नाम पर सालाना एक एक करोड़ का चंदा दे सकते हैं और देशभर में ऐसे अनेक लोग हैं जो प्रतिबद्ध और ईमानदार भी हैं और उनमें से दस पंद्रह लोग भी खड़े हो जायें हमारे साथ तो कारपोरेट मीडिया का हम मुकाबला कर सकते हैंं,लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।

रंगभेदी वर्ण व्यवस्था के महातिलिस्म को तोड़कर समता और न्याय का लक्ष्यहासिल करने के लिए पूर देश और दुनिया को जोड़ने के लिए हमें सभी मुद्दों ,सभी विषयों,सभी भाषाओं,सभी संस्कृतियों और भौगोलिक इकाइयों के सभी जनसमुदाओं से संवाद करना ही होगा और उनकी समस्याओं को समझना होगा और जाति मजहब के सीमित दायरे के आर पार राजनीति से ऊपर उठकर वस्तुनिष्ठ विधि से उन तमाम समस्याोओं की गुत्थियों को सुलझाना पड़ेगा,जिनपर सत्ता वर्ग का निर्णय ही निर्णायक होता है और हमारा उसमें कोई हस्तक्षेप होता नहीं है क्योंकि उन मुद्दों से हमारा लेना देना नहीं है।हम तो हर हाल में सत्ता के सात खड़े हैं।

सामान्य जनता की रहने दें,पढे लिखे बडी बड़ी डिग्रियों से लदे फंदे ज्ञान विज्ञान और तकनीक की विविध धाराओं से जो लोग जुड़े हैं,उनकी दिलचलस्पी किसी तरह के संवाद में नहीं है और उनकी भाषा में गालियों की ऐसी बौछार है,ऐसे ऐसे फतवे हैं कि जानवर भी अगर पढ़ना लिखना सीख जायें तो उन्हें शर्मिदा होना पड़ेगा।

यह हमारी सभ्यता और संस्कृति है।

अभी कश्मीर के मुद्दे पर बाबत करना देशद्रोह से कम नहीं समझते पढ़े लिखे लोग और चाहते हैं कि आजाद कश्मीर भी अखंड हिंदू राष्ट्र का हिस्सा बन जाये लेकिन कश्मीर के लोगों के दुःख  दर्द का रोजनामचा साझा करते ही उनका बयान है कि कश्मीर को सीधे सेना के हवाले कर देना चाहिए क्योंकि उनकी नजर में हर मुसलमान और खासकर हर कश्मीरी राष्ट्रद्रोही हैं।

हमें आप गाली दें,इससे कोई फर्क नहीं पडता क्योंकि हम इसे आपकी प्रतिरक्रिया ही मानते हैं।लेकिन इस रवैये के साथ इस देश का आप क्या बना रहे हैं,इसपर तनिक ठंडे दिमाग से सोचें।

ऐसा नहीं है कि असहिष्णुता सिर्फ सवर्णों की होती है।

सवर्णों में फिरभी एक प्रगतिशील उदार तबका है लेकिन बाबासाहेब जैसे अद्भुत विद्वान राजनेता के अनुयायी भी कम असहिष्णु नहीं है। जिसका सबूत जाति और आरक्षण के मुद्दों को छोड़कर बाकी मुद्दों पर उनकी संवादहीन खामोशी है।

आदिवासियों, कश्मीर और पूर्वोत्तर के मुद्दों को लेकर बहुजनों का अंध राष्ट्रवाद हमारे लिए सरदर्द का सबब है कि हम आखिर किस बदलाव की बात कर रहे हैं और सिर्फ चेहरे बदल रहे  हैं,राजनीतिक रंग बदल रहे हैं जबकि देश और समाज निरंतर कबीलाई होता जा रहा है और हमारा आचरण मध्ययुगीन होता जा रहा है।




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दीदी की जुबान फिसली तो आ गया जलजला भयंकर सिंडिकेट छत्ते में दीदी के तीर धंसते ही मूसल पर्व शुरु बांग्ला महाभारत का लाल पीले तेवर में सिपाहसालार अपनी अपनी खैरियत की सोच रहे हैं और बहुत अरसे बाद उन्हें अपने भाई और साथी जेल में बंद कुणाल घोष और मदन मित्र की खूब याद आ रही है। खास बात तो यह है कि घूसखोरी में फंसे ऐसे सिपाहसालार और मंत्री सांसद ही दीदी के चुनावक्षेत्र भवानीपुर में दीदी के किलेदार हैं।भाइयों का जो हो सो हो,दीदी को अपना किला बचाना मुश्किल पड़ रहा है। X Files: Narada News sting operation exposes Trinamool Congress https://www.youtube.com/watch?v=fsWCZ4NNZhg एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

Next: दीदी के बाद मुकुल राय ने पूरी जिम्मेदारी लेकर कह दिया,जिसने भी पैसे लिये,अपने लिए नहीं लिये! फिर हाईकोर्ट ने वीडियो देखते ही मंतव्य किया,भयंकर! आम वोटरों को फसले के लिए और क्या सबूत चाहिए? पूर्व रेल मंत्री मुकुल राय ने सीधे कह दियाः‘‘দায়িত্ব নিয়ে বলছি আমাদের কেউ নিজের স্বার্থে টাকা নেয়নি’’! मतलब यह कि खास कोलकाता में दीदी ने नारदा स्टिंग में फंसे सांसदों,मंत्रियों,विधायकों और मेयरों की रिश्वतखोरी से अपने को अलग कर लिया तो स्टिंग में पैसे लेते हुए दीख रहे मुकुल राय ने मान लिया कि रिश्वत सभी ने ली है लोकिन रिश्वत का पैसा किसी ने अपने पास रखा नहीं है और न किसी ने अपने लिए रिश्त ली है। जाहिर है कि अब रिश्वतखोरी हुई है,इसे अलग से साबित करने की जरुरत नहीं है क्योंकि मुकुल राय ने पूरी जिम्मादारी लेते हुए यह इकबालिया बयान सीधे कुरुक्षेत्र के मैदान वर्धमान जिले के कालना के एक चुनाव सभा में जारी कर दिया है। अब सवाल है तो रिश्वत किसी ने रखी नहीं है तो यह रकम किस खाते में जमा हो गयी और किसके हाथों में पहुंची। कुणाल घोष और मदन मित्र के जेल में सड़ते रहने से शारदा मामला रफा दफा हो ही गया तो दीदी क
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दीदी की जुबान फिसली तो आ गया जलजला भयंकर

सिंडिकेट छत्ते में दीदी के तीर धंसते ही मूसल पर्व शुरु बांग्ला महाभारत का

लाल पीले तेवर में सिपाहसालार अपनी अपनी खैरियत की सोच रहे हैं और बहुत अरसे बाद उन्हें अपने भाई और साथी जेल में बंद कुणाल घोष और मदन मित्र की खूब याद आ रही है।

खास बात तो यह है कि घूसखोरी में फंसे ऐसे सिपाहसालार और मंत्री सांसद ही दीदी  के चुनावक्षेत्र भवानीपुर में दीदी के किलेदार हैं।भाइयों का जो हो सो हो,दीदी को अपना किला बचाना मुश्किल पड़ रहा है।

X Files: Narada News sting operation exposes Trinamool Congress



एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
पहले जानतीं तो उन्हें टिकट ही नहीं देतीं,कहकर तृणमूल सुप्रीम ने अपनी ही पार्टी के सिपाहसालारों को रगहरे संकट में डाल दिया है और माना जा रहा है कि दीदी का आशय यह है कि घूसखोरी तो जरुर हुई है,वे नही जानतीं और जान रही होती तो ऐसे लोगों को हरगिज टिकट जारी नहीं करतीं।गौरतलब है कि चुनाव सभा में और वह भी तृणमूल के गढ़ खास मध्य कोलकाता में नारदा वीडियो स्टिंग ऑपरेशन सामने आने के बाद ये पहला मौका है, जब उन्होने स्टिंग के आरोपों को स्वीकारा है।

इससे पहले ममता बनर्जी स्टिंग को केवल राजनैतिक चाल पर मामले से पल्ला झाड़ रही थी।उनने खुद को पाक साफ बताने के चक्कर में अपने तमाम मंत्रियों, सांसदों, मेयरों,विधायकों को फंसा दिया है।

चुनाव प्रचार में निकलना मुश्किल हो गया है भाइयों के लिए।
आज सुबह के बांग्ला दैनिक में की लीड खबर यह हैछ
Mamata Banerjee

নেত্রীর বাণে ঘায়েল ভাইয়েরা খেপে লাল



रातोंरात दक्षिण बंगाल के जिन सीटों पर सत्तादल की जीत तय मानी जा रही थी,वहां तृणमूल प्रत्याशियों को दीदी ने दिवालिया घोषित कर दिया।विपक्ष को ज्यादा कुछ करने की जरुरत नहीं है और नकिसी को नारदा का सच जानने का इंतजार करना है।

खास बात तो यह है कि घूसखोरी में फंसे ऐसे सिपाहसालार और मंत्री सांसद ही दीदी  के चुनावक्षेत्र भवानीपुर में दीदी के किलेदार हैं।भाइयों का जो हो सो हो,दीदी को अपना किला बचाना मुश्किल पड़ रहा है।

खास बात यह है कि दीदी जितना कह रही हैं कि जुबान फिसल गयी या रणनीति के तहत ऐसा बोला ,उससे बात उतनी बिगड़ रही है।

लाल पीले तेवर में सिपाहसालार अपनी अपनी खैरियत की सोच रहे हैं और बहुत अरसे बाद उन्हें अपने भाई और साथी जेल में बंद कुणाल घोष और मदन मित्र की खूब याद आ रही है।

कोलकाता के साथ लगे उपनगरीय विधाननगर नगर निगम के मेयर सव्यसाची दत्त ने पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि सिंडकेच के खिलाफ कार्रवाई हुई तो सरकार गिर जायेगी।

अंग्रेजी टीवी  चैनल टाइम्स नाउ के उस रपट को दोबारा देख लें।

उन्हीं सव्यसाची दत्ता ने सिंडिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले के जवाब में चुनौती दी कि सारे से सारे सिडिकेट कानूनी तौर पर सहकारी संस्थाएं हैं और बैंकों में उनके खाते हैं।प्रधानमंत्री चाहें तो उन्हें बंद कराके देख लें।

सव्यसाची दत्त सच कह रहे थे।

उनका सच का सामना करने का वक्त आ गया है।

बंगाल में सिंडिकेट सिर्फ सहकारिता नहीं है।सिंडिकेट अब राजकाज और राजनीति है तो सत्ता की नींव भी सिंडिकेट है।

कहावत है कि सबसे कुशल सपेरे की मौत फिर नाग के दंश से ही होती है।सांपो से खेल खतरनाक होता है तो सपेलों से खेल बी कम खतरनाक नहीं होता।

नारदा स्टिंग का सच क्या है,कोई नहीं जानता।

खास लोगों को कमसकम पांच पांच लाख नकद पहुंचाने वाले लोग कौन हैं,अभी वे चेहरे परदे के पीछे हैं।

अभी आरोप ही लगे  हैं,साबित कुछ नहीं हुआ है।लेकिन आशंका यही है कि कभी भी धमाका हो सकता है और उसमें किस किसके लपेटे जाने की आशंका है,जो लपेेटे जायेंगे , उनसे बेहतर कोई नहीं जानता।


बहरहाल दीदी ने दिनदहाड़े मध्य कोलकाता में टीवी पर घूस लेते दिखे अपने भाइयों और सिपाहसालारों के बारे में जो उच्च विचार प्रकट किये,उससे समय समय पर अपने खास लोगों से पल्ला झाड़ लेने के उनके इतिहास का पाठ शुरु हो गया है।

शारदा मामले में दीदी का ऐसा ही एक खासमखास राज्यसभा में तृणमूल के सांसद अभी जेल में सड़ रहे हैं।

हाईकोर्ट ने नारदा स्टिंग के कैमरे,वीडियों और सारे उपकरण बैंक लाकर में रखने का आदेश जारी किया है,जिसे स्टिंग करनेवालों ने हाईकोर्ट की गठित समिति को सौंप दी है।उस समिति में सीबीआई के एक अधिकारी भी शामिल हैं।

हाईकोर्ट की सुनवाई कब हो पायेगी और फैसला जांच पड़ताल के बाद कब आयेगा,कहना मुश्किल है।लेकिन लोकसभा की एथिक्स कमेटी के चैयरमैन लाल कृष्ण आडवाणी ने अगर कोई अंतरिम आदेस भी जारी कर दिया तो बंगाल के सारे चुनावी समीकरण उलट जायेंगे।

जाहिर है कि प्रधानमंत्री अपने संवैधानिक पद की मर्यादा का अतिक्रमण करके मुख्यमंत्री के खिलाफ शारदा से नारदा तक भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाये हैं,तो उन्हें साबित करने की जिम्मेदारी भी उनकी है।

चूंकि आडवाणी सत्ता दल से हैं तो तकाजा संघ परिवार का भी है कि बंगाल में संघियों और भाजपाइयों की खाल बचाने के लिए वे इस किस्से का खुलासा कर दें कमसकम दक्षिण बंगाल के मतदान से पहले।

ऐसा अगर संभव न हो तो समझा जायेगा कि जुबानी जमाखर्च के अलावा दीदी के खिलाफ लड़ना ही नहीं चाहता संघ परिवार और जैसे शारदा मामला रफा दफा हो गया वैसे ही नारदा भी दफा रफा हो जायेगा।इसकी कीमत बंगाल भाजपा को ही अदा करनी होगी।यह सीधा मुकाबला दीदी और संघ परिवार के बीच है।

गौरतलब है कि  पश्चिम बंगाल में जोरदार चुनाव प्रचार के बीच तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने पहली बार नारदा वीडियो स्टिंग ऑपरेशन में पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं पर लगे भ्रष्‍टाचार के आरोपों की सच्‍चाई को स्वीकारा है। रविवार को कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि मामले की जांच के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे। बनर्जी के ताजा रूख और बयान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

याद करें कि  तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद जिले में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कैसे  गुर्राते हुए कहा कि प्रधानमंत्री अकसर झूठ बोलते हैं। उन्हें मुझे जेल में डालने दें। तब भी मैं भारी बहुमत से चुनाव जीतूंगी।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में हाल की रैलियों में प्रधानमंत्री ने ममता पर भ्रष्टाचार से समझौता करने और बदलाव के नारे लगाकर लोगों को गुमराह करने के आरोप लगाये ।इसी सिलसिले में  मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा था कि टीएमसी का मतलब है 'टेरर, मौत और करप्शन'।

नरेंद्र मोदी ने हाल में कृष्णनगर और कोलकाता की चुनाव सभाओं में भी कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ नारदा स्टिंगऑपरेशन को टीवी पर दिखाया गया था।

इससे पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वह नारदा स्टिंग की आतंरिक जांच करेगी, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता कथित तौर पर रिश्वत लेते पकड़े गए थे।इससे गिरती साख बची नही है,यही समझकर दीदी को आखिर यब जुबाल फिसलने का करतब करना पड़ा।



तबा तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा था कि इस 'साजिश' में कांग्रेस नेता अहमद पटेल, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी की भूमिका की जांच की जाएगी।



चटर्जी ने कहा, "आतंरिक जांच में इसकी रिलीज के समय से लेकर इसकी सामग्री समेत सभी पहलुओं की जांच की जाएगी और अगर कोई दोषी पाया जाएगा तो पार्टी उचित कदम उठाएगी।"



चटर्जी ने कहा, "इस जांच में अहमद पटेल, सिद्धार्थ नाथ सिंह और सीताराम येचुरी जैसे उन लोगों की भूमिका की जांच की जाएगी, जिनका नाम इस मामले में आया है। अगर उनके शामिल होने की बात साबित होगी तो हम प्रयास करेंगे कि उनके खिलाफ कदम उठाए जाएं।"



स्टिंग में पकड़े गए नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर दायर की गई कई जनहित याचिकाओं पर कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करने के एक दिन बाद यह घोषणा की गई है।



पोर्टल नारदा न्यूज द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को एक काल्पनिक कंपनी का पक्ष लेने के बदले कथित रूप से रिश्वत लेते दिखाया गया था। उसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य के वर्तमान मंत्री और सांसद नजर आए थे।

নারদের ক্যামেরায় ঘুষ নিল তৃণমূলের নেতা মন্ত্রীরা | X Files by Narad Exposed TMC leaders, Ministers







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दीदी के बाद मुकुल राय ने पूरी जिम्मेदारी लेकर कह दिया,जिसने भी पैसे लिये,अपने लिए नहीं लिये! फिर हाईकोर्ट ने वीडियो देखते ही मंतव्य किया,भयंकर! आम वोटरों को फसले के लिए और क्या सबूत चाहिए? पूर्व रेल मंत्री मुकुल राय ने सीधे कह दियाः‘‘দায়িত্ব নিয়ে বলছি আমাদের কেউ নিজের স্বার্থে টাকা নেয়নি’’! मतलब यह कि खास कोलकाता में दीदी ने नारदा स्टिंग में फंसे सांसदों,मंत्रियों,विधायकों और मेयरों की रिश्वतखोरी से अपने को अलग कर लिया तो स्टिंग में पैसे लेते हुए दीख रहे मुकुल राय ने मान लिया कि रिश्वत सभी ने ली है लोकिन रिश्वत का पैसा किसी ने अपने पास रखा नहीं है और न किसी ने अपने लिए रिश्त ली है। जाहिर है कि अब रिश्वतखोरी हुई है,इसे अलग से साबित करने की जरुरत नहीं है क्योंकि मुकुल राय ने पूरी जिम्मादारी लेते हुए यह इकबालिया बयान सीधे कुरुक्षेत्र के मैदान वर्धमान जिले के कालना के एक चुनाव सभा में जारी कर दिया है। अब सवाल है तो रिश्वत किसी ने रखी नहीं है तो यह रकम किस खाते में जमा हो गयी और किसके हाथों में पहुंची। कुणाल घोष और मदन मित्र के जेल में सड़ते रहने से शारदा मामला रफा दफा हो ही गया तो दीदी क

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दीदी के बाद मुकुल राय ने पूरी जिम्मेदारी लेकर  कह दिया,जिसने भी पैसे लिये,अपने लिए नहीं लिये!

फिर हाईकोर्ट ने वीडियो देखते ही मंतव्य किया,भयंकर!

आम वोटरों को फसले के लिए और क्या सबूत चाहिए?

पूर्व रेल मंत्री मुकुल राय ने सीधे कह दियाः''দায়িত্ব নিয়ে বলছি আমাদের কেউ নিজের স্বার্থে টাকা নেয়নি''!

मतलब यह कि खास कोलकाता में दीदी ने नारदा स्टिंग में फंसे सांसदों,मंत्रियों,विधायकों और मेयरों की रिश्वतखोरी से अपने को अलग कर लिया तो स्टिंग में पैसे लेते हुए दीख रहे मुकुल राय ने मान लिया कि रिश्वत सभी ने ली है लोकिन रिश्वत का पैसा किसी ने अपने पास रखा नहीं है और न किसी ने अपने लिए रिश्त ली है।

जाहिर है कि अब रिश्वतखोरी हुई है,इसे अलग से साबित करने की जरुरत नहीं है क्योंकि मुकुल राय ने पूरी जिम्मादारी लेते हुए यह इकबालिया बयान सीधे कुरुक्षेत्र के मैदान वर्धमान जिले के कालना के एक चुनाव सभा में जारी कर दिया है।


अब सवाल है तो रिश्वत किसी ने रखी नहीं है तो यह रकम किस खाते में जमा हो गयी और किसके हाथों में पहुंची।


कुणाल घोष और मदन मित्र के जेल में सड़ते रहने से शारदा मामला रफा दफा हो ही गया तो दीदी को अभी उम्मीद है कि दो चार दागी मंत्री सांसद वगैरह वगैरह अगर फिर जेल में सड़ने के लिए चले भी जायें तो वे कोलकाता बचा लेंगी।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

ব্যক্তিগত কাজের জন্য কেউ কোনও পয়সা নেয়নি। স্টিংকাণ্ডে চাঞ্চল্যকর মন্তব্য মুকুল রায়ের। কার্যত স্বীকার করলেন দলের স্বার্থে টাকা নেওয়ার কথা। খোঁচা বিরোধীদের।


बांग्ला महाभारत के मूसलपर्व का सीधा असर 21 अप्रैल को हो रहे तीसरे चरण के मतदान पर होने वाला है।हांलाकि भूतों के नाच का पूरा पुख्ता इंतजाम है और दिशा दिशा में एक एक इंच जमीन के दखल के लिए हिंसा का सिलसिला जारी है लेकिन चुनाव का फैसला तो नारदा स्टिंग से हो जाने का  अंदेशा है।


उत्तर कोलकाता में भी 21 को मुर्शिदाबाद,नदिया,वर्धमान जिले के साथ तासरे चरण के लिए वोट पड़ने हैं।कुल 62 विधानसभा सीटों के लिए वोट पड़ने से पहले ही सत्तादल सही मायने में दो फाड़ है।


अब देख सुनकर लग रहा है कि विपक्ष की चाहे जो हालत हो या केंद्र सरकारी और लोकसभा एथिक्स कमेटी फैसला करें या नहीं करें,हाईकोर्ट का फैसला जल्ज से जल्द हो या न हो,दीदी से लेकर तृणमूल का हर सिपाहसालार नारदा दंश से बचाव के लिए घूसखोरी को सही बताकर अपने को पाक साफ बताने के फिराक में है।


अब लगता है कि किसी फारेंसिक जांच की भी जरुरत नहीं है और न वीडियो की प्रामाणिकता पर मुहर लगाने की नौबत आने वाली है।दीदी के बाद उनके खास सिपाहसालारमुकुल राय ने भी डंके की टोच पर कह दिया कि रिश्वत ली है।


गौरतलब है कि  है कि स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के पांच लोकसभा सांसद सौगत राय, प्रसुन मुखर्जी, सुल्तान अहमद, काकुली घोष दस्तीदार अपरूपा पोद्दार और राज्यसभा सांसद मुकुल रायसहित पार्टी के 12 नेता और मंत्री रिश्वत लेते देखे गए हैं। एथिक्स कमेटी ने इनमें से पार्टी के पांच लोकसभा सांसदों को नोटिस दिया है। जब उनसे पूछा गया कि मामले की जांच कर तृणमूल कांग्रेस के दोषी सांसदों को सजा देने के लिए क्या समय-सीमा निर्धारित की गई है। जवाब में उन्होंने कहा कि एथिक्स कमेटी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होती। कमेटी जल्दबाजी में नहीं है।


उत्तर कोलकाता की सीटें तो पहले ही दांव पर थीं।बड़ा बाजर वैसे ही बंगाल में संघ परिवार का गढ़ है और बंगाल की राजनीति के लिए तमाम संसाधन वहीं से पैदा होते हैं और बाजार की ताकते भी वहीं फैसला करती है कि किसकी सरकार बनाये या किसकी सरकार गिरा दें।उली बड़ा बाजार में सत्तादल कटघरे में है।


गिरीश पार्क से हावड़ को जोडने वाले अधबने फ्लाईओवर के धंस जाने से सिंडिकेट का जो मलबा बह निकला है ,वह सूखती हुई गंगा की धार से भी ज्यादा तेज है तो कोलकाता और आसपास,पूरे बंगाल में 42 डिग्री सेल्सियस से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर बह रही लू से भी भयंकर है।


जोड़ासांको में रवींद्र का पुशतैनी मकान है तो उसी जोड़ासांको सीट पर 21 को वोट पड़ने हैं जहां फ्लाईओवर निर्माण घोटाले के सिंडिकेट से तृणमूली सत्ता के नाभिनाल से एकदम शुरुआत से जो बख्शी परिवार का नाम नत्थी है,उसकी बहू स्मिता खड़ी हैं अपनी सीट बचाने के लिए और मुकाबले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राहुल सिन्हा है।


कोलकाता दांव पर है और शहरी मतदाताओं में निर्मायक दीदी की ईमानदारी की छवी है जिसे नारदा स्टिंग ने मटमैला कर दिया है।


वहीं मध्य कोलकाता के चौरंगी में बंगाल की राजनीति के चाणक्य वाम समर्थित कांग्रेस के सिपाहसालार सोमेन मित्र मैदान में हैं,जिनके मुकाबले सासंद सुदीप बदोपाध्याय की अभिनेत्री पत्नी नयना बंदोपाध्याय हैं।


याद करने की जरुरत है कि शुरु से दीदी कोलकाता में बेहद लोकप्रिय रही है और कामरेड ज्योति बसु के जमाने में उनने कोलकाता फतह किया है और लोकसभा चुनाव भी वे लगातार 1984 से कोलकाता से जीतती रही हैं और कोलकाता के भवानीपुर में ही दीदी का विधानसभा केंद्र हैं।


जाहिर है कि बाकी बंगाल में कुछ भी हो जाये,दीदी कोलकाता हारने के लिए तैयार नहीं हैं।


लोकसभा की समिति और हाई कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है और लाजिमी तौर पर कोलकाता और दीदी के गढ़ दक्षिण बंगाल में इसका असर भयंकर होने वाला है।


कल कोलकाता के सात विधानसभा इलाकों में वोट पड़ने हैं। काशीपुर-बेलगाछिया,बेलेघाटा,माणिकतला,श्यामपुकुर,एंटाली,जोड़ासांको और चौरंगी में भारी संख्य में मुसलमान वोटर हैं,उनकी नजर में भी दीदी का दमान पाक साफ नजर आना चाहिए।


कोलकाता में पहला वोट पड़ने से पहले चुनाव आयोग ने इस बीच दीदी को जोरदार झटका दे दिया है।


ममता बनर्जी के नाम शो काज का जवाब कैसे दे दिया है राज्य सरकार के मुख्यसचिव ने,कोलकाता के शहीद मीनार के अपने भाषण में दीदी के खिलाफ इसे बड़ा मुद्दा बना दिय़ा ता प्रधानमंत्री ने और अब चुनाव आयोग के सचिव आर के श्रीवास्तव ने मुख्यसचिव से जवाब तलब किया है कि उनने ममता की ओर से जवाब क्यों दिये हैं उन्हें कोलकाता में वोट की तारीख 21 अप्रैल के भीतर जवाब देना है।इसके साथ ही आयोग ने साफ कर दिया है कि दीदी को दिये गये नोटिस का जवाब उन्हें ही देना है।



जाहिर है  कि इस संगीन हालात में दीदी के पास कोई दूसरा रास्ता ही खुला नहीं ता कि नारदा स्टिंग के वीडियो में पकड़े गये लोगों से अपने को अलग खड़ा करें वरना वे भली भांति जानती हैं कि कोलकाता में सोमेन मित्र और राहुल सिन्हा अगर चुनाव जीत गये तो उनका ताश का महल भरभराकर गिरेगा।


कुणाल घोष और मदन मित्र के जेल में सड़ते रहने से शारदा मामला रफा दफा हो ही गया तो दीदी को अभी उम्मीद है कि दो चार दागी मंत्री सांसद वगैरह वगैरह अगर फिर जेल में सड़ने के लिए चले भी जायें तो वे कोलकाता बचा लेंगी।



दीदी की इस रणनीति से हड़कंप ही नहीं मचा बाकायदा दीदी के घर से मूसलपर्व शुरु हो गया।


शारदा फर्जीवाड़े में क्लीन चिट पाने के बावजूद भारत के पूर्व रेलमंत्री और दीदी के खासमखास सिपाहसालार शारदा की आग मे अब भी झुलस रहे हैं।दीदी से अलगाव के बाद ऐन चुनाव से पहले उनकी घर वापसी हुई है।


अब पूर्व रेल मंत्री मुकुल राय ने सीधे कह दियाः''দায়িত্ব নিয়ে বলছি আমাদের কেউ নিজের স্বার্থে টাকা নেয়নি''!


मतलब यह कि खास कोलकाता में दीदी ने नारदा स्टिंग में फंसे सांसदों,मंत्रियों,विधायकों और मेयरों की रिश्वतखोरी से अपने को अलग कर लिया तो स्टिंग में पैसे लेते हुए दीख रहे मुकुल राय ने मान लिया कि रिश्वत सभी ने ली है लोकिन रिश्वत का पैसा किसी ने अपने पास रखा नहीं है और न किसी ने अपने लिए रिश्त ली है।

जाहिर है कि अब रिश्वतखोरी हुई है,इसे अलग से साबित करने की जरुरत नहीं है क्योंकि मुकुल राय ने पूरी जिम्मादारी लेते हुए यह इकबालिया बयान सीधे कुरुक्षेत्र के मैदान वर्धमान जिले के कालना के एक चुनाव सभा में जारी कर दिया है।


अब सवाल है तो रिश्वत किसी ने रखी नहीं है तो यह रकम किस खाते में जमा हो गयी और किसके हाथों में पहुंची।


पहले ही आरोप है कि शारदा के खजाने से गाड़ियों में भर भर कर पैसे विधानसभा चुनाव से पहले मौकों पर रवाना कर दिये गये और हवा बनाने के लिए तृणमूल के समर्थन में मीडिया खड़ा करने में शरदा का दिवालिया निकल गया और इस सिलसिले में शारदा के मालिक जेल में बंद सदीप्त सेन का इकबालिया बयान रिकार्ड है।मीडिया प्रमुख कुणाल घोष ने तो जेल डायरी में यही किस्सा बयान किया है और जब भी उन्हे जेल से अदालत ले जाया जाता है वे खुलेआम चीख चीखकर नाम लेकर कहते हैं कि शारदा का पैसा दबाने वाले छुट्टा घूम रहे हैं।


अब मुकुल राय की आवाज में न सिर्फ फंसे हुए मंत्रियों,सांसदों और मेयरों की आवाजें है,बल्कि उसीमें कुणाल घोष और सुदीप्तो सेन की आपबीती की गूंज भी है।


Ei Samay

শেষ পর্যন্ত নতুন করে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়কে নির্বাচনী বিধিভঙ্গের শো -কজ নোটিস পাঠাল নির্বাচন কমিশন৷



নারদ-কাণ্ডে তদন্ত চায় হাইকোর্ট, ভিডিও পুরনো হলেও দোষীরা সাজা পাবে না? বললেন প্রধান বিচারপতি

নারদ-কাণ্ডে তদন্ত চায় হাইকোর্ট, ভিডিও পুরনো হলেও দোষীরা সাজা পাবে না? বললেন প্রধান বিচারপতি

কলকাতা: নারদ-কাণ্ডে তদন্ত চায় কলকাতা হাইকোর্ট। সত্য উদঘাটনে দ্রুত শুনানি চান হাইকোর্টের প্রধান বিচারপতি। না হলে জনমানসে সংশয় তৈরি হবে বলে উদ্বেগ জানিয়েছেন তিনি। পাশাপাশি মঙ্গলবার নারদা মামলার শুনানিতে তিনি প্রশ্ন তোলেন, নারদ নিউজের ভিডিও ফুটেজ যদি দু বছরের পুরনোও হয়, তা হলে কি দোষীরা শাস্তি পাবে না?

নারদ-ফুটেজে যাঁদের দেখা গিয়েছে তাঁদের পক্ষের আইনজীবী তথা তৃণমূল সাংসদ কল্যাণ বন্দ্যোপাধ্যায় এ দিন আদালতে দাবি করেন, নারদ নিউজের ফুটেজটি দু বছর আগে তোলা। এখন এটাকে রাজনৈতিক উদ্দেশ্যে ব্যবহার করা হচ্ছে। সম্প্রতি মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ও একাধিকবার এই তত্ত্ব খাড়া করেছেন। পুরনো ভিডিও, ভোটের আগে ইচ্ছে করে ব্যবহার করছে বলে মন্তব্য করে অভিযোগ খারিজ করতে চেয়েছেন।

কিন্তু প্রধান বিচারপতির এদিনের বক্তব্যের অর্থ, দু বছরের পুরনো ফুটেজ-তৃণমূলের এই তত্ত্বকে গুরুত্ব দিচ্ছে না হাইকোর্ট। ঘটনা যা-ই হোক না কেন, স্টিংকাণ্ডে অভিযুক্তরা প্রত্যেকেই জনপ্রতিনিধি। তাই সত্যি সামনে আসুক। দোষীদের বিরুদ্ধে পদক্ষেপ হোক। জনগণের আস্থাই গুরুত্বপূর্ণ, এমনই মন্তব্য করেছে আদালত।

প্রধান বিচারপতি বলেন, নারদ নিউজের ভিডিও ফুটেজ প্রকাশ্যে আসার পর থেকে সমাজে আলোড়ন সৃষ্টি হয়েছে। জনমানসে চাঞ্চল্য দেখা দিয়েছে। সত্য সামনে আসা দরকার। ভিডিও ফুটেজ যদি জালও হয়, তা হলেও সেটা অত্যন্ত বিপজ্জনক। ফুটেজটি সত্যি হলেও এটা অত্যন্ত বিপজ্জনক। জনগণের ভরসা এবং বিশ্বাস সবথেকে গুরুত্বপূর্ণ বিষয়। ভিডিও ফুটেজে যাঁদের দেখা গিয়েছে, তারা প্রায় প্রত্যেকেই জনপ্রতিনিধি। সত্য প্রকাশ্যে আসা জরুরি।

প্রধান বিচারপতি এও বলেন, এই ভিডিও ফুটেজ ফরেন্সিক পরীক্ষার জন্য কোনও একটি পরীক্ষাগারে পাঠাবার কথা ভাবছি। রিপোর্ট আসলে তা গোপন রাখা হবে মামলার শুনানি শেষ না হওয়া পর্যন্ত।

এরপর প্রধান বিচারপতি নির্দেশ দেন, নারদ নিউজের সম্পাদক ম্যাথ্যু স্যাম্যুয়েলের পক্ষ থেকে যে দুটি হলফনামা দেওয়া হয়েছে, তার বিরোধিতায় অন্যান্য পক্ষের কারও কোনও বক্তব্য থাকলে, তা আগামী ২৭ এপ্রিলের মধ্যে হলফনামা আকারে জমা দিতে হবে।

২৭ তারিখ ফের মামলার শুনানি।

নারদ-ফুটেজে যাঁদের দেখা গিয়েছে তাঁদের পক্ষের আইনজীবীরা হলফনামা জমা দেওয়ার সময়সীমা বাড়ানোর অনুরোধ করেন। তখন প্রধান বিচারপতি বলেন, এই মামলা দিনের পর দিন চলতে পারে না। তদন্ত এবং মামলার নিষ্পত্তি দ্রুত করতে হবে। সত্য সামনে আনতে হবে। তাই আপনাদের এই অনুরোধ মানতে পারছি না।

নারদের ফুটেজ এ দিন জমা পড়ে হাইকোর্টে। কোর্ট যে কমিটি গড়ে দিয়েছিল, তারা স্যামুয়েলের থেকে আনা একটি মোবাইল ফোন, পেন ড্রাইভ এবং সিডি কোর্টে জমা দেয়। এগুলিকে রাষ্ট্রয়াত্ত ব্যাঙেকর লকারে রাখার নির্দেশে দিয়েছে আদালত। বলা হয়েছে, গোটা বিষয়টি গোপন রাখতে হবে। লকারের চাবি থাকবে হাইকোর্টের কাছে।

এদিকে আদালতের বক্তব্যের পরিপ্রেক্ষিতে সিপিএম নেতা মহম্মদ সেলিমের দাবি, মুখোশ উন্মোচিত হোক। দাবি ধামাচাপা দেওয়া যাবে না, বুঝেছেন মমতাও। এমনই  কটাক্ষ করেছেন আবদুল মান্নান।

নারদকাণ্ডে মুকুলের মন্তব্য অস্ত্র বিরোধীদের, অস্বস্তিতে তৃণমূল

স আমদানি হল। কি না..স্টিংকাণ্ড। স্টিংকাণ্ডে ছবি দেখানো হচ্ছে। এ টাকা নিচ্ছে, ও টাকা নিচ্ছে। মমতা ব্যানার্জি বলেছেন, দলীয় পর্যায়ে তদন্ত হবে। এটা আমি অত্যন্ত দায়িত্বের সঙ্গে বলে যেতে চাই, যাঁদের ছবি দেখছেন, তাঁরা কেউ ব্যক্তিগত কাজে, নিজের স্বার্থ চরিতার্থ করার জন্য নিজের সুবিধের জন্য এক পয়সা খরচ করেনি। তদন্ত হোক। তদন্তে সব বেরিয়ে যাবে।

এর আগে অবশ্য নারদ নিউজ স্টিং ফুটেজ নিয়ে মুকুল রায়ের গলায় শোনা গিয়েছে ভিন্ন তত্ত্ব। কখনও তিনি দাবি করেছেন, ফুটেজ জাল।

এরপর মুকুল দাবি করেন, তহেলকাকাণ্ডের সময় বিজেপির তৎকালীন সর্বভারতীয় সভাপতি বঙ্গারু লক্ষ্মণের ঘুষ নেওয়ার যে ভিডিও সামনে এসেছিল, তাও না কি নকল ছিল!

যদিও, বাস্তবটা হল, বঙ্গারু লক্ষ্মণের ঘুষের অভিযোগ প্রমাণিত হয়েছিল। তাঁর সাজাও হয়েছিল। বিরোধীরা কটাক্ষ করে বলছে, নারদের চাপ কতটা তা মুকুল রায়ের বার বার সুর বদল থেকেই বোঝা যাচ্ছে। এখন তাঁর দাবি,

এটা আমি অত্যন্ত দায়িত্বের সঙ্গে বলে যেতে চাই, যাঁদের ছবি দেখছেন, তাঁরা কেউ ব্যক্তিগত কাজে, নিজের স্বার্থ চরিতার্থ করার জন্য নিজের সুবিধের জন্য এক পয়সা খরচ করেনি।

মুকুল রায়ের এই মন্তব্য ঘিরে রাজনৈতিক মহলে শোরগোল পড়ে গিয়েছে। বিরোধীদের প্রশ্ন, মুকুল রায় কি তা হলে বোঝাতে চাইলেন, সবই দলের জন্য? কিন্তু, তাঁর দলে তো একজনই সব! তা হলে কি শীর্ষ নেতৃত্বের ঘাড়ে দায় চাপালেন মুকুল? এই জল্পনার মাঝেই, নারদকাণ্ড নিয়ে বিরোধীরা এ দিন ফের সুর চড়ায়।

পর্যবেক্ষকদের একাংশের মতে, ভোটের মধ্যে নতুন তত্ত্ব খাড়া করতে গিয়ে নয়া বিতর্ক উস্কে দিলেন মুকুল রায়।

দিদির 'তারকাপ্রীতি'কেই আক্রমণ করে বসলেন সদ্য তাঁর দলে আসা স্বঘোষিত 'চাষার ব্যাটা'! তবে রেজ্জাক যা বলেছেন, একান্ত আলোচনায় তা আগে অনেকবারই তৃণমূলের একাধিক নেতা স্বীকার করেছেন।

EBELA.IN|BY নিজস্ব সংবাদদাতা


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संघ परिवार पूरी ताकत झोंककर बंगाल जीत नहीं सकता,कभी नहीं बंगाल में हिंसा के मध्य जो सत्ता समीकरण बन बिगड़ रहे हैं,उससे जनादेश जैसा भी होगा ,वह संघ परिवार के फासिज्म के राजकाज के खिलाफ होगा।रंग चाहे जो हो बंगाल का रंग केसरिया नहीं है और न बजरंगियों की यहां चलने वाली है।पिछले लोकसभा चुनाव से बार बार बंगाल में पेशवाई हमले जारी हैं लोकिन धर्मोन्माद की फसल अभी पैदा ही नहीं हुई है।न यहां जाति की पहचान का कोई मायने है।बाकी देश में ऐसा नहीं है। भारत में फासिज्म के राजकाज के लिए संयुक्त मोर्चे की नींव बंगाल में बन सकती है तो हम इस नरसंहारी अश्वमेधी रंगभेदी वर्ण वर्चस्वी मुक्तबाजार का सही मायने में प्रतिरोध कर सकते हैं। पलाश विश्वास

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संघ परिवार पूरी ताकत झोंककर बंगाल जीत नहीं सकता,कभी नहीं

बंगाल में हिंसा के मध्य जो सत्ता समीकरण बन बिगड़ रहे हैं,उससे जनादेश जैसा भी होगा ,वह संघ परिवार के फासिज्म के राजकाज के खिलाफ होगा।रंग चाहे जो हो बंगाल का रंग केसरिया नहीं है और न बजरंगियों की यहां चलने वाली है।पिछले लोकसभा चुनाव से बार बार बंगाल में पेशवाई हमले जारी हैं लोकिन धर्मोन्माद की फसल अभी पैदा ही नहीं हुई है।न यहां जाति की पहचान का कोई मायने है।बाकी देश में ऐसा नहीं है।

भारत में फासिज्म के राजकाज के खिलाफसंयुक्त मोर्चे की नींव बंगाल में बन सकती है तो हम इस नरसंहारी अश्वमेधी रंगभेदी वर्ण वर्चस्वी मुक्तबाजार का सही मायने में प्रतिरोध कर सकते हैं।


पलाश विश्वास



बंगाल में चुनाव हो रहे हैं और हिंसा भी हो रही है।बाकी देश की तरह यहां भी धनबल और बाहुबल दोनों का वर्चस्व है।फिर भी बाकी देश से बंगाल में हो रहा चुनाव अलग है।


हम सत्ता परिवर्तनकी बात नहीं कर रहे हैं और इसे लेकर हमारा कोई सरदर्द नहीं है क्योंकि हम समता और न्याय के आधार पर स्वतंत्र और संप्रभु नागरिकता का लोकतंत्र चाहते  हैं और फासिस्ट औपनिवेशिक राष्ट्र का दमनकारी उत्पीड़क जनविरोधी चरित्र बदलना हमारा मिशन है जो फिर वहीं बाबासाहेब का जाति उन्मूलन का मिशन है क्योंक फासिज्म के इस राजकाज के पीछे मनुस्मृतका मुक्तबाजार है तो इस मुक्तबाजार की नींव जाति व्यवस्था है जिसे वैदिकी सभ्यता बताकर भारत को मध्ययुगीन अंधकार में धकेलने के लिए धर्मोन्मादी अंध राष्ट्रवाद है।


बंगाल में हिंसा के मध्य जो सत्ता समीकरण बन बिगड़ रहे हैं,उससे जनादेश जैसा भी होगा ,वह संघ परिवार के फासिज्म के राजकाज के खिलाफ होगा।रंग चाहे जो हो बंगाल का रंग केसरिया नहीं है और न बजरंगियों की यहां चलने वाली है।


पिछले लोकसभा चुनाव से बार बार बंगाल में पेशवाई हमले जारी हैं लोकिन धर्मोन्माद की फसल अभी पैदा ही नहीं हुई है।न यहां जाति की पहचान का कोई मायने है।बाकी देश में ऐसा नहीं है।


बंगाल बुद्धमय रहा है ग्यारहवीं शताब्दी तलक और धर्म चाहे किसी का कुछ भी हो,उनके पुरखे कमसकम ग्यारहवीं शताब्दी तक गौतम बुद्ध के अनुयायी रहे हैं जबकि बाकी भारत में गौतम बुद्ध के के धम्म का  पुष्यमित्र शुंग के राजकाज के साथ ही खत्म हो गया था।बंगाल में वैदिकी सभ्यता कभी नहीं रही है और हिंदूकरण के बावजूद यहां उपनिषद,चार्वाक और लोकायत लोक की संस्कृति फिर साधु संत बाउल पीर फकीर की साझा विरासत है।


यह जमीन नवजागरण के समाज सुधारों से जितनी पकी है उससे ज्यादा खुशबू यहां आदिवासी किसानों की साम्राज्यवाद और सामंत वाद के के खिलाफ लगातार खिलने वाले बगावत और बलिदान के फूलों से है।वैदिकी सभ्यता के ब्राह्मणवाद के मुकाबले भारत में रहने वाले तमाम नस्लों की मनुष्यता के लोकविरासत की यह जमीन है।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी बंगाल का .योगदान देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले कम नहीं है।तो फासिज्म के खिलाफ उसका प्रतिरोध भी निर्णायक साबित होने जा रहा है।


बंगाल में पंचशील का अनुशीलन भले अब न होता हो लेकिन धर्म और जाति के नाम मारकाट उस तरह नहीं है ,जैसे बाकी देश में है।


न यहां मंडल या कमंडल का गृहयुद्ध है,इसी वजह से शीर्ष स्तर पर सत्ता के तमाम रंग बिरंगे तमाशे के बावजूद विष वृक्ष की केती यहां होती नहीं है और दल मत निर्विशेष जाति धर्म निर्विशेष बंगाल में जनता का मोर्चा फासिज्म के खिलाफ है।


गौरतलब है कि बंगाल में आजादी के नारों पर रोक नहीं है और मनुस्मृति के हक में कोई नहीं है और विवाह और दहेज के लिए प्रताड़ना बाकी देश के मुकाबले कम है।विवाह संबंधों के लिए जाति गोत्र धर्म बंगाल में अब निर्मायक नहीं है और इसीलिए जाति और धर्म की दीवारें उतनी मजबूत नहीं है।


संघ परिवार पूरी ताकत झोंककर बंगाल जीत नहीं सकता और यहां सत्ता चाहे किसी की हो,फासिज्म और साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई तेज से तेज होती रहेगी।


भारत में फासिज्म के राजकाज के लिए संयुक्त मोर्चे की नींव बंगाल में बन सकती है तो हम इस नरसंहारी अश्वमेधी रंगभेदी वर्ण वर्चस्वी मुक्तबाजार का सही मायने में प्रतिरोध कर सकते हैं।


जो भी जीते या हारे बंगाल में फासिज्म की हार तय है।


इस मोर्चाबंदी को देश व्यापी बनाने की आज सबसे ज्यादा जरुरत है और यह जरुरत धार्मिक लोगों को सबसे ज्यादा,बहुसंख्य हिंदुओं को सबसे ज्यादामहसूस करनाचाहिए क्योंकि धर्म के नाम पर अधर्म का बोलबाला है और धर्म संकट में है।


बंगाल में दुर्गापूजा यहां की संस्कृति में शामिल हो गयी है जो कुल मिलाकर मातृत्व का उत्सव है क्योंकि बंगाल में अब भी समाज में स्त्री का स्थान आदरणीय है और समाज व परिवार में उनकी भूमिका पुरुषों से कम महत्वपूर्ण नहीं है।


यहां भी महिषासुर का वध होता है लेकिन महिषासुर दुर्गापूजा में वध्य है तो यहां नस्ली तौर पर दुर्गा भक्त असुरों के वंशज भी हैं।


इसलिए दुर्गा मां का अवाहन करके दुर्गाभक्तों के जरिये धर्मोन्मादी राजनीति की कोई खिड़की खोलने में नाकाम है मनुस्मृति।


क्योंकि महिषासुर वध की कथा के मुकाबले दुर्गा की मायके में आयी बेटी का मिथक ज्यादा प्रबल है।


देवी का विसर्जन इसलिए बिटिया की विदाई है,जहां महिषासुर का प्रसंग प्रासंगिरक है ही नहीं।


गौतम बुद्ध जैसा क्रांतिकारी दुनिया के इतिहास में दूसरा मिलना असंभव है,जिनने बिना रक्तपात सत्य और अहिसां की नींव पर समता और न्याय पर आधारित वर्गहीन शोषणविहीन समाज का निर्माण कर दिखाया।


भले ही भारत अब बौद्धमय नहीं रहा लेकिन भारतीय संस्कृति धार्मिक पहचान के आरपार उसी माहन क्रांतिकारी की विरासत की वजह से अब भी इंसानियत का मुल्क है विभिन् नस्लों और रक्तधाराओं के विलय से बना बहुलता विविधता सहअस्तित्व और सहिष्णुता,साझे चूल्हे का यह भारत तीर्थ।


कविगुरु रवींद्रनाथ की कविताओं में जहां बुद्धं शरणं गच्छामि की गूंज है तो गांधी के नेतृत्व में पूरा देश एकताबद्ध होकर भारत की स्वतत्रता के लिए जो ऐतिहासिक लड़ाई की,उसका मूल मंत्र फिर वही सत्य और अहिंसा है।जो परम आस्थावान थे तो कट्टर हिंदी भी थे और पंचशील गांधी दर्शन की नींव है।


इसीतरह जिन बाबासाहेब के मिशनकी बात हम करते हैं ,वे भी भारत को बौद्धमय बनाने का संकल्प लेकर जिये और मरे और उनसे कोई बेहतर नहीं जनाता रहा होगा कि गौतम बुद्ध के रास्ते से ही समता और न्याय की मंजिल हासिल होगी।


बाबासाहेब अछूत थे लेकिन भोगी हुई अस्पृश्यता उनकी आपबीती नहीं है और वे इस अस्पृश्यता के विरुद्ध जाति उन्मूलन के लिए अपना पूरा जीवन होम कर दिया।


गौतम बुद्ध अछूत नहीं थे और वे राजकुमार थे।


जनमजात पहचान और हैसियत के दायरे तोड़कर जो क्रांति उनने की,भारत में बौद्धमत के अवसान के बावजूद दुनिया की एक बड़ी आबादी अब भी बुद्ध के अनुयायी हैं और जाति धर्म निर्विशेष दुनियाभर में जो भी सामाजिक क्रांति करते हैं,वे गौतम बुद्ध के धम्म का अनुसरण और अनुशीलन के जरिये ही परिवर्तन का रास्ता बनाते हैं।


इसीलिए साम्राज्यवादी अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के कंठस्वर में भी हमें गौतम बुद्ध के दर्शन की गूंज सुनायी पड़ती है तो नेल्सन मंडेला ने गांधी की तरह सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का अंत किया।


भारत में ब्रिटिश राज के अवसान के बाद रंगभेद नहीं है लोकिन जनमजात जाति व्यवस्था रंगभेद से भयानक है और मुक्तबाजार की अर्थव्यवस्था की जनसंहारी धर्मोन्मादी सियासत रंगभेद और फासिज्म का मिला जुला घातक रसायन है।


इस बिंदू पर हमें फिर सोचना है कि जाति धर्म भाषा नस्ल क्षेत्र की पहचान के आधार पर हम इस मुक्तबाजार,इस रंगभेद और इस फासिज्म का मुकाबला कैसे कर सकते हैं।


इस देश के बहुजन सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य का हवाला अपनी विरासत बतौर अमूमन पेश करते हैं।


उस इतिहास की परख करके हमें भविष्य का रास्ता तय करना चाहिए वरना उस विरासत का कोई मतलब नहीं है।


भारतीय इतिहास की सही समझ के बिना हम आगे एककदम भी नहीं बढ़ सकते और इसलिए हम गुरुजी की रामकथा जैसे बांच रहे हैं वैसेही इतिहास पर उनकी कक्षा लगा रहे हैं।


भारत में चंद्रगुप्त मोर्य नामक कोई नेतृत्व बहुजनों को कभी नहीं मिलता अगर उनके पीछे चाणक्य नहीं होते,जो ब्राह्मण हैं।


संजोग से ताराचंद्र त्रिपाठी ब्राह्मण भी हैं और हमारी तरह नास्तिक तो कतई नहीं है।फिरभी उनकी आस्था अंध नहीं है और आज हस्तक्षेप पर लगी उनकी कक्षा में भारतीय संस्कृति और ब्राह्मणवाद के अवरोध पर जिस ईमानदारी से चर्चा हुई है,उसपरबहुजनों को खासद्यानदेने की जरुरत होती है।


वैसे भी गुरु की कोई जात नहीं होती है और ज्ञान का कोई धर्म नहीं होता।वैदिकी हिंसा के ब्राह्मणवाद और जनता के उपनिषद भित्तिक लोक संस्कृति की जमीन औरशोषण,दमन उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध की जमीन को पहचानने के लिए हस्तक्षेप पर गुरुजी की कक्षा में शामल जरुर हैं।



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Next: ममता बनर्जी की अब ताजा दलील है कि रिश्वतखोरी बच्चों की शरारत है! दीदी ने कहा, 'केंद्र ने कोई कदम उठाया? केवल तृणमूल कांग्रेस चोर है, बाकी आप सब साधु हैं? मैथ्यू सैमुअल ने यहां तक दावा कर दिया कि अगर कोई आतंकी संगठन भी उन्हें रुपये की पेशकश करता, तो वे ले लेते और कुछ भी नहीं कहते या पूछते! चुनावी हिंसा में तीम माकपाइयों की हत्या अब दक्षिण बंगाल में इंच इंच जमीन के लिए खूनी लड़ाई मुर्शिदाबाद और नदिया में वाम कांग्रेस गठबंधन के बिखराव से फिर दीदी को बढ़त অলিগলিতে গেরিলা যুদ্ধ বহিরাগত আর বাহিনীর , মাঠে নেই জোট एक्सेकैलिब स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप
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नारदा स्टिंग का खुलता हुआ हिसाब बराबर कर देगा

भूत बिरादरी और सिंडिकेट की वफादारी पर हार जीत का फैसला और इसीलिए पूरे बंगाल में हिंसा,तृणमूली हमले मेंमाकपा कार्यकर्ता की मौत


चुनाव नतीजे तमाम अनुमानों के विपरीत होंगे क्योंकि यह राजनीति का आईपीएल है,कहां कैसे गुल खिलेंगे और कौन सा विकेट गिर कर खेल खराब कर देगा,कहना मुश्किल है

हिंसा चाहे जितनी हो,भूतों का नाच चाहे जितना हो,बंगाल में बड़ा धमाका होने वाला है

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में बुधवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कथित कार्यकर्ताओं ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक कार्यकर्ता को हमला कर घायल कर दिया। बाद में उसकी मौत हो गई।चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा, हमले की यह घटना बुधवार को जिले के हारोवा नामक जगह पर हुई। इस सिलसिले में एक मुकदमा दर्ज किया गया है।


नारदा स्टिंग का खुलता हुआ हिसाब बराबर कर देगा,इसके आसार तेजी से बनते नजर आ रहे हैं और हिंसा चाहे जितनी हो,भूता का नाच चाहे जितना हो,बंगाल में बड़ा धमाका होने वाला है।चुनाव आयोग सख्ती बरत रहा है और संघ परिवार भी दीदी को हराने में लगा है,अगर यह सच है तो बंगाल में कुछ भी हो सकता है।


फिलवक्त वामदल और संघ परिवार दोनों तरफ से जमकर मोर्चाबंदी है तो चुनाव आयोग के दरबार में घंटी टनाटन बजने लगी है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए।


बहरहाल  महत्वपूर्ण तीसरे चरण के मतदान से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के 75,000 जवानों सहित 1 लाख सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिसबलों के करीब 75,000 जवानों वाली लगभग 700 कंपनियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। निर्देशों के मुताबिक मतदाताओं में विश्वास पैदा करने के लिए वे अपने इलाके में मार्च निकाल रहे हैं।


कोलकाता और बाकी बंगाल में लू के बीच तीसरे चरण के मतदान के बाद पूरे राज्य में भूतों का नाच शुरु हो गया है।


पश्चिम बंगालके विधानसभा चुनाव की चर्चा वैसे तो पूरे देश में है, लेकिन एक खास वजह से यह चुनाव चर्चा का कारण बना हुआ है, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में भी काफी हो रही है। चुनाव में किस्मत आजमा रहे उम्मीदवारों के पास बेशुमार दौलत और उनके क्राइम रिकॉर्ड के कारण भी यह उम्मीदवार चर्चा का विषय बने हुए हैं।


वेस्ट बेंगाल इलेक्शन वॉच द्वारा हलफनामों का विश्लेषण किया गया, जिसके अनुसार, इस चरण में 418 प्रत्याशी मैदान में हैं और उनमें से 61 लोगों ने अपनी संपत्ति एक करोड़ रूपए से ज्यादा की बताई है। इन 61 में से 13 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास पांच करोड़ रूपए से से ज्यादा की संपत्ति है।

गौरतलब है कि  तीसरे और चौथे चरण में 107 प्रत्याशी करोड़पति हैं।भाजपा  के उम्मीदवार सबसे अमीर हैं, तो तीसरे चरण में ही तृणमूल कांग्रेस के 62 प्रत्याशियों में से 27 करोड़पति हैं।


जहां इस बार धनी उम्मीदवारों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हुआ है, वहीं बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी इस चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या व दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले तक शामिल हैं। इस मामले में सभी दल लगभग एक समान हैं।गौरतलब है कि 128 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उम्मीदवारों के शपथ-पत्र से यह खुलासा हुआ है कि तीसरे चरण के 418 उम्मीदवारों में से 61 और चौथे चरण के 345 में से 46 करोड़पति या कई करोड़ के मालिक हैं।


'द वेस्ट बंगालइलेक्शन वाच' ने सोमवार को कहा कि तीसरे चरण के 80 प्रत्याशी और चौथे चरण के 48 प्रत्याशियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने की घोषणा की है। इनमें कई के खिलाफ हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर मामले भी लंबित हैं।


2011 के विधानसभा चुनावों के दौरान सत्ता पलट की दिशाएं साफ हो गयी थी क्योंकि बाजार की सारी ताकतों के सात वमविरोधी सारी शक्तियां और माओवादी एक तरफ थे तो दूसरी तरफ अंधाधुंध शहरीकरण और जमीन अधिग्रहण की जिद पर बहुमत के उन्माद में अंद कामरेढ थे।


अबकी दफा बाजार का रुख समझ में नहीं आ रहा है और न जनआक्रोश उबाल पर है।


यह सुरक्षित पिच पर आईपीएल मैच का जैसा मामला है और दीदी की टीम इसवक्त केकेआर की तरह मैच खेल रही है।


आखिरी ओवरों तक क्या क्या गुल खिलेंगे,मतदान के तीसरे चरण में भी कहना मुश्किल है।बीच के ओवर तो बेहद खतरनाक है।


विपक्ष की धुंआधार फील्डिंग की वजह से पावर प्ले में ही  रन रेट जीत के लिए काफी नहीं है और जंगल महल में भारी मतदान के बावजूद क्या हुआ है,किसी को मालूम नहीं है तो उत्तर बंगाल और बीरभूम में भी समीकरण सत्ता के खिलाफ है।


अब हर हाल में येन तेन प्रकारेण आखिरी ओवरों में दक्षिण बंगाल को फतह करना होगा तो दीदी के गढ़ खास कोलकाता में अग्निपरीक्षा है।अंपायर का रवैया भी सख्त नजर आ रहा है।


ऐसे हालात में लू के माहौल में जब मतदान में तापमान 42 से 45 डिग्री रहने का पूर्वाभास है और कालवैशाखी से किसी को राहत नहीं मिलना है,मौसम जितना दमघोंटू है उससे ज्यादा दमघोंटू है सत्ता के लिए रोज बदलता हुआ यह माहौल।


कमसकम पिछले चुनाव में अलोकप्रिय हो चुके वाम शासन का संगठन अटूट था और वामदलों को ऐसी बेमिसाल बगावत का समाना नहीं करना पड़ा था,जैसे सत्तादल का गहराता हुआ मूसल पर्व घमासान है।


वोटर अभी तक दीदी की सादगी और ईमानदारी और सड़क पर उतरने की उनकी हिम्मत और शैली से मत्रमुग्ध थी लेकिन चुनाव के तीसरे मतदान में दीदी के गढ़ कोलकाता में दीदी की वह छवि सद्दाम हुसैन की मूर्ति की तरह गिरती हुई नजर आ रही है।दीदी के निजी करिश्मे के सहारे सत्तादल का वजूद है,इसे समझने के लिए कोई राजनीतिक पांडित्य की जरुरत नहीं है।


सच यह है कि प्रबल जन समर्थन के बावजूद सत्तादल का संगठन कार्यकर्ताओं और नेताओं के संगठन के भरोसे नहीं है।यहां दीदी के अलावा किसी को कुछ बोलने की इजाजत किसी की नहीं है और मंत्री सांसद विधायक सारे के सारे दीदी के हुक्म के गुलाम हैं, जिन्हें दीदी जब चाहेंतब किनारे कर सकती हैं।उनके पास वाम दलों की क्या कहें,संघ परिवार का जैसा संगठन भी नहीं है।


चुनाव विशेषज्ञों और विश्लेषण वीरों की इस चुनाव में फजीहत तय है कि यह टुनाव किसी अपराध कथा के थ्रिलर से कम पेंचीदा नहीं है।


जन समर्थन की बजाय दीदी की जीत का सारा दारोमदार भूतों और सिंडिकेट पर निर्भर है और इसी वजह से चुनाव आयोग के एहतियाती बंदोबस्त के बावजूद आठ कंपनी केंद्रीय बलों की मौजूदगी के बावजूद पूरे राज्य में भूतों का नाच चल रहा है और सिंडिकेट की ताकत दीदी के करिश्मे पर भारी पड़ने लगी है।

दीदी के तेवर अभी ढीले नहीं पड़े हैं।भाजपा , कांग्रेस और वाम मोर्चा के केंद्रीय नेताओं के शब्दवाणों से आहत तृणमूल प्रमुख व पश्चिम बंगालकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 19 मई के बाद दिल्ली को बंगालकी ताकत का अहसास कराने की चेतावनी दी है। मंगलवार को हावड़ा जिले के जगतबल्लभपुर और सांकराइल में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य की पिछली वाम मार्चा सरकार की कड़ी आलोचना की। बीजेपी नेतृत्व वाली मोदी सरकार पर बदले की भावना और ब्लैकमेलिंग राजनीति करने का आरोप लगाया।


गौरतलब है कि दीदी और मुकुल राय के इकबालिया बयान के बाद आम जनता की भी शारदा और नारदामामले में रही सही असमंजस खत्म सी हो गयी है।अब केंद्र सरकार और केंद्रीय एजंसियों पर यह चुनाव निर्भर नहीं है।


भूत बिरादरी के सारे सिपाहसालार भी असहाय से नजर आ रहे हैं क्योंकि छप्पा वोट का भयंकर प्रतिरोध हो रहा है और भूतों के मुकाबले सड़क पर जनता का हुजूम उतरने लगा है।


अनुब्रत मंडल और मनिरुल इस्लमाम बीरभूम जिता नहीं पाये तो अब दक्षिण बंगाल के बाहुबलि इस मूसल पर्व में उनके हक में कितने वफादर हैं या दागियों और बागियों का साथ कितना देंगे,विपक्ष की चुनौती से भयंकर यह परिस्थिति है।


घबड़ाहट जितनी ज्यादा है,उसकी अभिव्यक्ति हर जिले से आ रही हिंसा की बैलगाम खबरें हैं।उत्तरी 24 परगना जिले में विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत 25 अप्रैल को मतदान होना है।

नादिया, बर्दवान और मुर्शिदाबाद जिलों से भी हिंसा की खबरें हैं। इन जिलों में गुरुवार को मतदान होना है।

बर्दवान में माकपा समर्थकों के साथ झड़प के बाद तृणमूल कांग्रेस के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।

नादिया जिले के शांतिपुर में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के एक प्रत्याशी पर हमला किया। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।


चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत सत्ता झोंक रही है तो भीतरघात की भी प्रबल संभावना है और वाम कांग्रेस गठबंधन के अलावा कोलकाता में मजबूत भाजपा का प्रतिरोध दिनोंदिन तेज होता जा रहा है।


जाहिर है कि खून खूब बह रहा है और खूनकी गर्माहट फिजां को संक्रमित भी खूब कर रही है।यह गर्मी हवाओं और पानियों तक पर अपना असर छोड़ रही है।


केंद्रीयबलों की मौजूदगी और चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद हिंसा का सिलसिला खूब जारी है और कानून और व्यवस्था का अता पता नहीं चल रहा है।


कोलकाता,कोलकाता से जुड़े उपनगरों,हुगली के उस पार हावडा़ जिले में,नदिया,वर्धमान से लेकर उत्तर बंगाल के पश्चिम दिनाजपुर से हिंसा और संघर्ष की खबरें लगातार आ रही हैं।ज्यादातर मामलों में आरोप सत्ता दल के भूत ब्रिगेड के खिलाफ हैं।

दक्षिण कोलकाता में भूतों की गतिविधियां तेज हो गयी हैं तो महानगर कोलकाता और उपनगरीय तमाम इलाके अतृप्त आत्माओं के हवाले हैं और शक की सुई तेज तेज घूम रही है कि कहां किसके खिलाप क्या साजिशें रची जा रही हैं।किसी पर भरोसा नहीं है।


कमार हट्टी से लड़ रहे हाल तक जेल से मंत्रीगिरि कर रहे मदन मित्र के इलाके में चुनावी हिंसा के सिलसिले में सत्तादल के काउंसिलर की गिरफ्तारी और रिहाई के बावजूद तनाव बना हुआ है और लोग वहां मंत्री को जिताने वालों की दबंगई से परेशां हैं।

वृहस्पति वार कोलकाता में जिन सात विधानसभा इलाकों में वोट पड़ने हैं,उनमें काशीपुर बेलगाछिया भी हैं।वहां तृणमूल नेता और उम्मीदवार स्वपन चक्रवर्ती के खिलाफ आरोप है कि वे वोटरों को डरा धमका रहे हैं।चक्रवर्ती ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है।

हावड़ा में माकपा पर हमला

दक्षिण हावड़ा में माकपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप है सत्तादल के किलाफ।आरोपहै कि मतदान से पहले वाम कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार अरिंदम बोस के समर्थन में इस्तहार बांटते वक्त खूब बवाल हुआ।माकापा का आरोप है कि अचानक माकपाइयों पर तृणमूल के बाहुबलियों ने हमला बोल दिया।हालांकि तृणमूल नेता मसूद आलम ने इस आरोप का खंडन किया है।

नदिया में भी माकपा पर हमला

21 को नदिया में वोट पड़ने हैं और उससे पहले ही माकपा पर हमले जारी हैं।चाकदह के मदनपुर अलाईपुर में माकपा कार्यक्रता प्रणय बसु के घर में घुसकर तोड़फोड़ करने का आरोप तृणूल के खिलाफ है।कहते हैं कि उनसे मारपीटभी की गयी।


तृणमूल ने इंकार किया है।

दक्षिम दिनाजपुर में भी हिंसा

मंगलवार को बालुरघाट के एक नंबर वार्ड में आरएसपी कार्यकर्ता के घर में आगजनी हुई।उसवक्त घर में कोई नहीं था।तृणमूल की सफाई है कि पार्टी की छवि खराब करने के लिए साजिश है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगालविधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए मंगलवार की शाम पांच बजे चुनावी शोर थम गया। गुरुवार को उत्तर कोलकाता की सात, मुर्शिदाबाद की 22, बर्धमान की 16 और नदिया की 17 विधानसभा सीटों पर सुबह सात से शाम छह बजे तक मतदान होगा। 1.37 करोड़ से अधिक मतदाता 34 महिलाओं सहित 418 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। आयोग ने मतदान की सारी तैयारी पूरी कर ली है और निष्पक्ष,निर्बाध व शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। खबर है कि केंद्रीय बलों की आठ सौ कंपनियां तैनात रहेंगी।




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