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यह रमन नहीं दमन है : छत्तीसगढ़ में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर बर्बर हमले

Previous: Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna 17 hrs · छूटे हुए बच्चों की पोलियो खुराक घर आये स्वास्थ्य कार्यकर्ता से पिलवाएं "यह स्वास्थ्य विभाग का मेसेज है । हाल की घटनाओं से पुष्टि हुयी है कि भक्त जन बौद्धिक रूप से अभी शैशव अवस्था में हैं । अतः उन्हें भी पोलियो की खुराक पिलायें । उन्हें इतिहास , गणित एवं भौतिक विज्ञानं की बेसिक जानकारी दें । यही उनकी पोलियो खुराक है । इससे उनकी विकलांगता दूर होगी ।
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संघर्ष संवाद


यह रमन नहीं दमन है : छत्तीसगढ़ में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर बर्बर हमले


छत्तीसगढ़ में पत्रकार,वकील,सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले : आदिवासियों के ऊपर हो रहे अन्याय,अत्याचार के खिलाफ जो भी मशाल जलायेगा, उस मशाल को सरकार कुचल देगी ?
नक्सल उन्मूलन की सच्चाई उजागर करना इन्हें पुलिसिया प्रताड़ित होकर चूकना पड़ रहा


छत्तीसगढ़ के  बस्तर में आदिवासियों के ऊपर हो रहे अन्याय,अत्याचार के खिलाफ जो भी मशाल जलायेगा, उस मशाल को सरकार कुचल देना चाहती है | बस्तर में अभी वर्तमान में सोनी सोरी के ऊपर हुए हमले से यह साबित होता है की बस्तर में काम कर रहे पत्रकार,सामाजिक कार्यकर्त्ता, और वकीलों जो निशुल्क क़ानूनी लड़ाई लड रहे है सब पुलिस के दुश्मन है, वो ये समझते है की नक्सल उन्मूलन के कार्य में ये हामारी सच्चाई बया करा डालते है | वो हर उस झूट को बेनकाब कर डालते है जो प्रायोजित नक्सल उन्मूलन के नाम पर रची जाती है |

नतीजा यह है की अब सारे पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ताओ वकीलों पर लगातार एक-एक कर बस्तर में हमले हुए है |  सच्चाई उजागर करना इन्हें पुलिसिया प्रताड़ित होकर सहना पड़ रहा है | अभिव्यक्ति,न्याय की आजदी पर पुलिसिया पहरा लगा दिया गया है |

बस्तर में हाल के दिनों में पुलिसिया दमन की कुछ घटनाये

1) बस्तर में बीते सप्ताह पुलिसिया दमन और उसके द्वारा पोषक मंच के द्वारा  पहला हमला महिला पत्रकार मालिनी सुब्रमणयम के निवास में घर के सामने हुडदंग मचाते हुए कार के शीशे तोड़ते हुए धमकी दी जाती है | देश की जानी मानी महिला पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता मालनी सुब्रह्मण्यम के घर गाली गलौच और धमकी चमकी की गई | यह सब कायरता को इस लिये अंजाम दिया गया क्योकि मालिनी बस्तर में नक्सल उन्मूलन के नाम पर चल रहे आदिवासियों की मार -काट की जगदलपुर में रह कर जमीनी स्तर की निष्पक्ष पत्रकारिता को अंजाम दे रही थी वह स्क्रूल मिडिया के लिए लिखती थी | http://scroll.in/authors/1202इस लिंक में उनकी सारी साहसिक खबरे मौजूद है जो बस्तर में वर्तमान में नक्सल उन्मूलन में नाम पर किस तरह मार -काट -लूट मची हुई है उन्होंने बेबाकी से बस्तर के आदिवासियों पर हो रहे अन्याय,अत्याचार के खिलाफ कलम चलाई थी |

अब सवाल उन पुलिस के महकमे से आखिर मालिनी के लिखने  से पुलिसिया अधिकारियो को दिक्कत क्या था ? क्या वो जो मिशन 2016 के नाम पर लगातार आत्मसमर्पण, और मुठभेड़ो की घटनाएँ एक झूट है , जिसकी पोल न खुल जाये इसके चलते एक पत्रकार को प्रताडित  कर उसके साथ धमकी चमकी किया जाता है | की वाह बस्तर में चल रहे सरकार के नक्सल उन्मूलन के नाम पर खुनी मंजर को लिख न सके | हा पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया है , और जिन लोगो ने उनके घर पर हमला किया उसको भी पुलिस का पोषक ही माना जाता है |

2) दूसरा हमला बस्तर में पुलिसिया दमन का शिकार न्याय पर भी हुआ | बड़े ला यूनिवर्सिटी से पढ़कर अपना लाखों का कैरियर छोड़कर आये लीगल एड संस्था के युवा वकीलों ने बस्तर में नक्सल उन्मूलन के नाम पर बेगुनाहों को फ़साये जाने की वकालत करते थे (http://naidunia.jagran.com/madhya-pradesh/mandsaur-forbes-magazine-named-neemuch-isha-khandelwal-303564)
                        

आदिवासियों का निशुल्क क़ानूनी  मामला लड़ने वाले लीगल एड के महिला वकीलों ईशा और शालनी के ऊपर बस्तर के बड़े पुलिस अधिकारी मिडिया की प्रेस वार्ता में हमेशा इन पर आरोप लगाते रहे, नक्सल समर्थक बनाने में तुले रहे, वहा के वकीलों ने भी वकालत पर पाबन्दी लगानी चाही , प्रताड़ित किया जाता रहा, पोषक मंच के द्वारा नारे बाजी हुडदंग मचाते रहे इन्हें इतना प्रताड़ित किया गया की ये बस्तर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया,  इन्हें प्रताड़ित करने का कारण यह था की सैकड़ों आदिवासियों के खिलाफ पुलिस  के काली नीति के तहत बस्तर में बनाये हजारों फर्जी मामलों की यह पैरवी करती थी निर्दोषों, बेगुनाहों की जो फर्जी मामलो में फ़साये गये है उनकी क़ानूनी लड़ाई लड़  न्यायालय से उन्हें बाइज्जत बरी करा लेती थी |
                            
जिस माकान  में यह लोग रह रहे थे उसके माकान मालिक को डरा धमका कर जबरन माकन खाली करवाने को कहा गया, यही नही फिर पुलिस पोषक मंच के द्वारा उनके दफ्तर के सामने नारे बाजी की गई, उन पर मानसिक इतना दबाव बनाया गया की वाह किसी निर्दोष आदिवासी की वकालत ही नही कर पाये| यह दूसरा हमला बस्तर में न्याय व्यवस्था पर था |
       
अब सवाल पुलिसिया महकमे से आखिर इनकी वकालत से पुलिस इतनी डरती क्यों थी ? पुलिस को मालूम था कि हम जिन लोगो को नक्सली बता रहे है वाह लोग निर्दोष -बेगुनाह है और यह लोग उनकी वकालत कर उन्हें बाइज्जत बरी करा लेंगे ? जिससे सरकार और पुलिसिया नुमाइंदो की नाक कट जाएगी? मिशन 2016 धरी की धरी रह जाएगी ? पुलिस इन महिला वकीलों से डरती थी ? इनकी वकालत से डरती थी ? क्योकि इन्होने सैकड़ो बेगुनाहों की पैरवी कर उन्हें निर्दोष साबित किया था | पुलिस चाहती है की नक्सल उन्मूलन के नाम पर जिन बेगुनाहों की की वकालत की जाती है क्या उनकी वकालत कोई न करे उन्हें वैसे ही सड़ने दिया जाए जिसके चलते पुलिस इनसे डरती है ? 

3 ) तीसरा सबसे बड़ा हमला बस्तर में  आप नेत्री सोनी सोरी पर हुआ इस हमले ने सबको झंझोर कर रख दिया | जब वाह अपने घर जा रही थी तब अज्ञात हमलावरों ने उन्हें रोका कर एसिड जैसा ही काला ज्वलन शील पदार्थ उनके चेहरे पर मल कर भाग गये | इस हमले को भी पुलिसिया दमन निति से जोड़ा जा रहा है जिसका कारण है की सोनी सोरी को लगातार धमकी भरे पत्र मिल रहे थे पोषक मंच के द्वारा लगातार उन्हें धमकाया जा रहा था, सोनी पुलिस के निशाने पर थी | हाल ही उसने पुलिस के एक बड़े अधिकारी के खिलाफ fir दर्ज कराने चाहि लेकिन पुलिस ने नही लिया वो लगातार गुहार लगाती रही है मुझे जान का खतरा है लेकिन सरकार और पुलिस ने एक न सुनी | और
 
सोनी सोरी को जान का खतरा और पुलिसिया दमन की शिकार इस लिये हो रही थी क्योकि बस्तर में बेगुनाह आदिवासियों की बुलंद आवाज बन चुकी थी सोनी सोरी |
नक्सल उन्मूलन के नाम जितने मुठभेड़ हो रही है उसकी तहिकिकात कर उसे जनता के सामने ला रही थी सोनी सोरी |

आदिवासियों के हक़ का अधिकार के रैली को नक्सल रैली बताने वालो का विरोध कर रही थी सोनी सोरी |
तमाम धमकियों से जूझते हुए बेबाकी से निडर हो कर आदिवासियों के दमन,शोषण,आत्याचार,अन्याय के खिलाफ आदिवासियों की एक बुलंद आवाज बन चुकी थी सोनी सोरी| मुझे उनके भूतकाल के बारे में चर्चा नही करनी है उनका भूतकाल  पुलिसिया आत्याचार का इतना भयानक रूप था की रोंगटे खड़े हो जाते है |

                     
वही इससे पहले संतोष यादव /सोमारू नाग इसी पुलिस की रणनीति की भेट चढ़ गए | वो भी आदिवासियों की आवाज बनने की जुर्रत कर रहे थे उन्होंने भी हिम्मत दिखाई उनकी हिम्मत को भी काल कोठारी में बंद कर दिया गया |

जाहिर सी बात है जब सरकार और बस्तर पुलिस के नक्सल उन्मूलन की पोल जब ये सामाजिक कार्यकर्त्ता, वकील, पत्रकार खोल रहे है तो उन्हें प्रताड़ित करेगी ही हर वो तरिका अपनाएगी जिससे ये मानसिक तरह से प्रताड़ित हो कर आदिवासियों की आवाज न उठाये , बेगुनाहों की जान जाये, निर्दोष जेल में ठुसे जाए कोई आवाज नही आनी चाहिए और आवाज लगा दिया तो उस आवाज तो दबा दिया जाता है |
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एह लूट मारां ते सरकार दी सियासत होंदी है जट तां बस खेचळ ते बदनामी खट रहे ने हुन सब कासी तों( लूट मात टॉप सरकार करवाती हैं जट तो अब सिर्फ परेशानी और बदनामी ही पा रहे हैं इस सब में )

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Devender Kumar
February 23 at 11:08am
 
"जाट बनाम आरक्षण" 
अपने इलाके के एक सिख जट जोकि हमारे घर दूध डालने आते हैं से मेरी बातचीत :- 

जट सिख : ओ भाई कुछ रोला गोला खत्म होया हुणि के नही( भाई क्या जो दंगा-फसाद हो रही थी कुछ कम हुई है या नही ?) 

मैं : चुटकी लेते हुए बाबा जी इस सब का आखिर में फायदा तो आप लोगों को ही होना है | 

जट सिख : काहदा फायदा भाई आप्पाँ नू तां हुन सारा समान लालयां ने महंगा कर देना अपना घाटा पूरा करण लई ( किस बात का फायदा जी हमें तो अब लाला का घाटा पूरा करने के लिए सामान महंगा मिलेगा ) 

मैं : पर रिज़र्वेशन का फायदा तो आपके बच्चों को ही मिलेगा भविष्य में बाबा जी ! 

जट सिख : हरिजना के बच्चियां नू हुन तक किन्ना क मिल गया ? तकरीबन सारे वेहले धक्के खांदे पये ने बेचारे | सरकारी नौकरियां हुन बचियां ही किन्नी क ने ! सब कुछ तां प्राइवेट होइ जाँदा ! (दलितों के बच्चों को अब तक कितना मिल पाया है लगभग सब तो बेरोजगार धक्के खा रहे हैं | सरकारी नौकरी बची ही कितनी है अब सब कुछ तो प्राईवेट हो रहा है ) 

मैं : हाँ जी यह बात तो सच है | 

जट सिख : साडियां तां खोई होइ ज़मीन वापिस करदे सरकार रिज़र्वेशन नू असि चटना ऐ| सेक्टर कटने दे ना ते ज़मीन मलक लई साडी 6 -7 सालां ते एदां ही रखी होइ ऐ अपने कोल सरकार ने ( हमारी तो छीनी हुई ज़मीन सरकार वापिस कर दे हमें रिज़र्वेशन नही चाहिए | सेक्टर काटने के नाम पर हमारी ज़मीन हड़प ली सरकार ने जो 6 -7 सालों से ऐसे ही पड़ी हुई है सरकार के पास ) 

मैं : सही बात है बाबा जी | 

जट सिख : एह लूट मारां ते सरकार दी सियासत होंदी है जट तां बस खेचळ ते बदनामी खट रहे ने हुन सब कासी तों( लूट मात टॉप सरकार करवाती हैं जट तो अब सिर्फ परेशानी और बदनामी ही पा रहे हैं इस सब में ) 

मैं : हाँ जी बाबा जी | 

यह एक ऐसे किसान से बातचीत थी जिनकी पानी लगती ज़मीनो को जिसमें साल में दो से तीन तक फसलें लोग लेते थे बढ़ते शहरीकरण के कारण सरकार द्वारा बहुत कम मुआवज़ा दे कर ले ली गयी | खेतीबाड़ी से बेरोजगार हुए गाँव के अधिकतर लड़के आज बेहद महंगे और खतरनाक नशों के चंगुल में फंसे हुए हैं | इंडस्ट्री के नाम पर इलाके में HMT ट्रेक्टर जैसी बड़ी कंपनी गलत सरकारी नीतियों की वजह से आखिरी साँसे गिन रही है |

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फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है जुल्म की इंतहा हो गयी है और अब ये हालात बदलने चाहिए हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत कातिलों में दम कहां कि मुल्क से मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला . पलाश विश्वास

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फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है


जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .

पलाश विश्वास

#JusticeForRohith: March for Solidarity in Delhi, CM Arvind ...

Video for jantar mantar solidarity▶ 2:34

https://www.youtube.com/watch?v=5BfGLc8GHBc

6 hours ago - Uploaded by NewsX

Massive march for solidarity from Ambedkar Bhawan to Jantar Mantar to take place today. Hyderabad ...

Rahul Gandhi and Arvind Kejriwal To Join March For ...

Video for march for solidarity▶ 4:37

https://www.youtube.com/watch?v=hosVFBPY3MY

5 hours ago - Uploaded by TIMES NOW

Rahul Gandhi and Arvind Kejriwal To Join March For Solidarity - Rohith Vemula Case. TIMES NOW ..

Justice For Rohith: March for solidarity in capital - YouTube

Video for march for solidarity▶ 12:25

https://www.youtube.com/watch?v=2GM1keVjeMk

58 mins ago - Uploaded by NewsX

Massive march for solidarity from Ambedkar Bhawan to Jantar Mantar took place today. Hyderabad students .


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है!


हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं,

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए!


मुल्क ने फिर अंगड़ाई ली है!

फिर रंग दे वसंती चोला है!


अब तो यकीन मान लें दोस्तों कि शहीदे आजम भगत सिंह मरे नही हैं और न मरे हैं हमारे ख्वाब।न आजादी का सर कोई कुचल सके हैं और न गुलामगिरि की जंजीरें गहने बन सके हैं।


गांधी अगर मरे होते तो फिर फिर नाथुराम को जिंदा बनाने की जरुरत न होती।


अगर हमारे बाबासाहेब मरे होते तो भव्य राममंदिर में उन्हें दफनाने का चाकचौबंद इंतजाम नहीं होता।


अगर दाभोलकर,पनसारे,कलबुर्गी मरे होते तो हजारोहजार ये जवां हुजूम जाति उन्मूलन के खिलाफ नारे बुलंद नहीं कर रहा होता।


हिंदुस्तान की कसम खाने वाले लोगों,सरहदों में कैद लोगों,दीवारों में महाभारत मंडल कमंडला का रचकर इस जन्नत को दोजख बनाने वाले लोगों गौर से देखो कि हमारे जिगर के टुकड़े,हमारे कलेजे के टुकड़े बदलाव के नारे बुलंद कर रहे हैं और मुल्क को कत्लगाह में तब्दील करने वालों के खिलाफ तारीक न रचा है उनका किरदार।

हमारे कलेजे के टुकड़ हर्गिज नहीं हारेगें।


हमारी आंखों की रोशन पुतलियां कटकटेले अंधियारे में भी भोर का आगाज करेंगी और हमारा मुल्क इंसानियत का मुकम्मल मुल्क होगा।अंधेरे  के तमाम विषेले जीवों जंतुओं की जहर सुनामी के खिलाफ आज सड़क पर मार्चाबंद गोलबंद हैं हमारे कलेजे के टुकड़े।


फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।


सियासत की हाथीदांत मीनारों में गहरी पैठी मनुस्मृति देख लें कि उनके बंटवारे की बुनियाद पर खड़ा तिलिस्म अब ढहने को ही है।


बिटिया जिंदाबाद।हमारी तमाम बिटिया हर जुलूस के आगे आगे हैं।उनके हाथों में मशालें हैं।वे रोशनी के सितारे हैं आसमान के फरिश्ते।हमारी माताओं,बहनों और बेटियों की अस्मत की कसम है नौजवानों कि अब कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए।



फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।

फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।


हाथों में हाथ लेकर देखो,दो कदम साथ साथ चलकर देखो,तो देख भी लो शैतानी दोजख में कैसे जलकर खाक होते हैं वे जो इस मुल्क को दोजख बनाने पर आमादा हैं।


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है!


हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं,

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए!


मुल्क ने फिर अंगड़ाई ली है!

फिर रंग दे वसंती चोला है!



हमें इन बच्चों पर फक्र हैं जिनने सियासत को हरा दिया है।

सड़क पर तमाम झंडों का रंग एकाकार कर दिया है और इंसानियत का मुकम्मल नक्शा खींचा है।


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


हमें कोई आधा अधूरा कश्मीर नहीं चाहिए।

हमें टुकड़ों में बंडा मुल्क नहीं चाहिए।

हमें इंसानियत को बांटने वाली सियासत नहीं चाहिए।


हमें इंसानियत को बांटने वाला मजहब नहीं चाहिए।

हमें कश्मीर चाहिए तो कश्मीर के हर इंसान के लिए उनके हक हकूक चाहिए।


हमें सोनी सोरी के लिए उतना ही न्याय चाहिए जितना  कि खुदकशी कर रहे किसानों को चाहिए,जितना कि बेदखल होते जल जंगल जमीन को चाहिए,कटे हुए  बेरोजगार हाथों को चाहिए।


हमें रोहित वेमुला के लिए उतना ही न्याय चाहिए जिसका हकदार देश का चप्पा चप्पा है।जिसका हकदार हर मेहनतकश है।


हमें रोहित वेमुला के लिए जितना इंसाफ चाहिए,उतना ही इंसाफ इरोम शर्मिला और नंगी होकर  आजादी की मांग कर रही मणिपुर की माताओं को चाहिए।हमें जुल्मोसितम के इस कयामती मजर से रिहाई चाहिए कि आजादी की जंग अभी खत्म हुई नहीं है।


हमें उतनी ही आजादी नागौर में ट्रैक्टर से कुचल दी गयी औरतों के लिए चाहिए या रोज रोज बलात्कार की शिकार मां बहन बेटी की बेइज्जत अस्मत को चाहिए।


हमें कामदुनी के लिए उतना ही न्याय चाहिए जितना न्याय उजाडे गये आदिवासियों को चाहिए,जिनकी लाशों पर तामीर है उनकी सियासत का शीश महल।


सत्तर के दशक में हमारी पीढ़ी के साथ बाबासाहेब नहीं थे।


हम तब आधी अधूरी मुल्क की आधी अधूरी लड़ाई लड़ रहे थे और इसीलिए सियासत में जमींदोज हो गये।


मुकम्मल इंसानियत के मुल्क के लिए सियासत की शिकस्त जरुरी है।मुकम्मल हिदुस्तान के लिए फिर भागतसिंह चाहिए।


हमारे बच्चे हमारे पुरखों की पूरी विरासत के साथ कदम कदम साथ साथ हैं।

उन्हेें नीला सलाम।

उन्हें लाल सलाम।

जयभीम कामरेड।

हमारी जान,हमारा खून,हमारी हड्डियां उन्हीं के नाम।


यही विरासत की खुशबू हमारी वसीयत है।

यही विरासत हमारी सियासत है।

यही विरासत हमारा मजहब है।


इंसानियत के अलावा हमारी कोई सियासत नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारा कोई मजहब नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारी कोई पहचान नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारा कोई वजूद नहीं है।


न रोहित वेमुला की कोई जात है।

न कन्हैया की कोई जात है।

और न खालिद की कोई जात है।

जात के नाम बज्जाति नहीं चाहिए।

हमें जिहाद नहीं चाहिेए और न हमें कोई मजहबी मुल्क चाहिए।


अब मौका है कि बाबासाहेब का मिशन पूरा हो।

अब सही मौका है कि हमारे कलेजे के टुकड़े जात पांत को खत्म करके ,सियासत को करारी शिकश्त देकर हर आंधी तूफान के मुखातिब हैं।


सात दशक बाद यह पहला मौका है।

हाथ से जाने न दें,साथी।

हाथों में हाथ रखें।

मानव शृंखला बना लें।

मुहब्बत के इस पैगाम को बैरंग न होने दें।


अब मौका है कि बाबासाहेब का मिशन पूरा हो।

अब सही मौका है कि हमारे कलेजे के टुकड़े जात पांत को खत्म करके ,सियासत को करारी शिकश्त देकर हर आंधी तूफान के मुखातिब हैं।



फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है।

फिर वही इंक्लाब है।


हमें टुकड़ों में बंडा मुल्क नहीं चाहिए।

हमें इंसानियत को बांटने वाली सियासत नहीं चाहिए।


हमारे बच्चे बाबासाहेब,गांधी और भगतसिंह के साथ हैं और उनकी यह चीख कि गुलामी का यह मंजर बदलना चाहिए,जुल्मोसितम से आजादी चाहिए,जाति व्यवस्था से आजादी चाहिए,मुक्त बाजार से आजादी चाहिए,हर इसान को इंसान का दर्जा चाहिए,समता चाहिए,न्याय चाहिए,वक्त की पुकार है।


जालिम चाहे तो किसी शख्स को कुचल कर रख दें।


वक्त को कुचल सकें ना कोई।


कायनात तरक्कीपसंद है और इतिहास पीछे नहीं मुड़ता और न ज्ञान विज्ञान में अंधेरे की कोई गुंजाइश है।


सर चाहे कोई काट लें,मजहब की सबसे बड़ी सीख यह है कि मुहब्बत जिंदा है।


मौत वजूद मिटा दें तो रुह फिर आजाद है।


शहादतें और कुर्बानियां फिर बेकार नहीं होतीं कभी,वे कायनात की रहमतों नियामतों बरकतों में तब्दील हैं।


कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है

फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़के बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारे ढगहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


हजारों छात्रों नागरिकों ने देश के कोने कौने से आकर विचारधाराओं और मंचों का भेद भुलाकर एक साथ आए, अम्बेडकर भवन दिल्ली से जन्तर मन्तर तक मार्च किए और रोहित वेमुला के हत्यारों को सजा देने की आवाज गूंजी।


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रों के अधिकारों पर हमलों के खिलाफ, कन्हैया की गिरफ्तारी के खिलाफ, छद्म देशभक्ति के खिलाफ, साम्प्रदायिकता के खिलाफ, देश भर की बेचैनी फिर उभर कर सामने आई।


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


शहादतें और कुर्बानियां फिर बेकार नहीं होतीं कभी,वे कायनात की रहमतों नियामतों बरकतों में तब्दील हैं।


कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है

फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़के बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारे ढगहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .





Shrawan Kumar Paswan

रोहित वेमुला मार्च लाइव दिल्ली

## छात्रों से पंगा लेकर मोदी अच्छा नहीं किया

ब्राह्मणवादी सरकार की उलटी गिनती शुरु !


जॉइंट एक्शन फोरम का दिल्ली मार्च

हैदराबाद विश्व विधालय के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के खिलाफ दिल्ली में देशभर के छात्रों ने मार्च निकला ,छात्र झण्डेवालन( आंबेडकर) भवन से जंतरमंतर में धरने पर बैठ गए और सभा में तब्दील हो गयी।


छात्र दोषी मंत्री मनुस्मृति ईरानी ,बंडारु दत्तात्रेय को बर्खास्त कर अबिलम्ब गिरफ्तार करने JNU में छात्रों के ऊपर लगाये गए झूठे आरोप बापस लेने और कन्हैया की अबिलम्ब रिहाई की मांग भी

कर रहे थे ,पुरे देश के छात्र जातिवादी ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ एक होते जा रहे हैं जो सरकार के लिए गंभीर समस्या उतपन्न हो गयी है और मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो है

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Solidarity with JNU students

Previous: फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है जुल्म की इंतहा हो गयी है और अब ये हालात बदलने चाहिए हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत कातिलों में दम कहां कि मुल्क से मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला . पलाश विश्वास
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Bangalore Research Network's Letter of Solidarity with JNU

We, the undersigned members of the Bangalore Research Network and a consortium of academics and researchers from Bangalore, declare our solidarity with the students and faculty of the Jawaharlal Nehru University, New Delhi protesting the illegal police arrest of JNUSU president Kanhaiya Kumar on charges of sedition. We unequivocally stand by them in affirming that universities are autonomous spaces for the free expression of a plurality of beliefs and cannot become military spaces of thought control that go against the very grain of a democratic society.  With them, we condemn the blatantly authoritarian attempt by the police and the central government to witch hunt students on the basis of their political beliefs. We also condemn the unethical media trial of JNU students such as Kanhaiya Kumar and Umar Khalid. Read more…

 

Statement of Solidarity with Students in JNU, India – by students in KU Leuven, Belgium

, students in the social sciences and humanities programs at KU Leuven, strongly condemn the Indian state's heavy handed and politically motivated action against the students at the Jawaharlal Nehru University (JNU), Delhi.

We condemn the brutal police action against students, especially thearrest of JNU Students' Union (JNUSU) president, Kanhaiya Kumar on 12 February 2016 – who has been charged under colonial-era sedition laws. We equally condemn the witch-hunt against and media trialsagainst JNU, its faculty, and its students – especially Umar Khalid, an atheist-Leftist activist, who is wrongfully being called an 'Islamist' by some in the media.

Over the last few months, Indian universities have become a crucial site to contest and resist the arbitrary and concerted efforts of the Indian state to quash academic autonomy and dissent – from the scrapping ofnon-NET fellowships in 2015, to the death of Dalit PhD scholar Rohith Vemula at the Hyderabad Central University, earlier in January.

We underscore the fact that universities have historically been sites of critical thinking and politics, and need to remain the same. Furthermore, as the recent cases in India have shown, it is often students from under-privileged backgrounds who raise critical questions against the workings of the state, and also question structures of privilege within universities, in peaceful and non-violent ways.

The government and police action against the students at JNU seriously undermines and threatens these values. These (re)actions are based on questionable facts and charges of anti-nationalism and sedition. Indeed, no is within the space of the university that ideas of the 'nation'– who is included within it, and who is excluded – can be questioned and debated.

Manipur Solidarity Statement for JNU

We, the undersigned, are appalled by the conduct of the present regime against Jawaharlal Nehru University where students are being hunted down for debating on an issue which is also close to the heart of Manipur.

There is critical need for deepening dialogue on the very idea of India so that many nations and nationalities have space for their expressions rather than stifling them within a very narrow definition of India. There are very few institutions in India where such a debate can take place, and a healthy debate will allow India to be critical of itself ensuring a more vibrant multicultural and multi-national India.

We strongly believe that universities must be non-militarized spaces where students and teachers are able to freely engage on topics such as the one that took place in JNU. They must not be suppressed ideologically and militarily in the name of national security. Back here, there is military occupation in the heart of Manipur University. Yes, in the name of security. And it is time the military completely withdraws away from the sites of learning and knowledge.

From Concerned Citizens of Gujarat to the President of India on JNU Incidents

MEMORANDUM  To  Shri Pranab Mukherji, The President of India,New Delhi, India

 Sir,

We the citizens of Gujarat would like to share our deep concern about the series of happenings from 9th of February to 18th of February.

While dissociating ourselves from anti India pro Pakistan slogans in JNU campus, we are horrified to watch the unprecedented authoritarian arm twisting punitive measures like witch hunt in the campus and slapping Sedition Charge on President of JNU Students Union, Mr. Kanhaiya Kumar by the BJP led NDA Govt at Centre as per the direction of Home Minister Mr. Rajnath Singh and Human resources Minister Smt. Smriti Irani.

The police interference in JNU Campus, slapping the Sedition Charge on the President of JNU students Union Mr. Kanhaiya is condemnable.

The chain of incidents of hooliganism, like repeated attack on Kanhaiya Kumar in Patiala house court, attack on teachers and students, journalists, hooting the Supreme Court appointed five members panel as anti-National by the forces in the presence of police appeared to be backed by the ruling party BJP and its' outfits expose the absence of safety of the citizens even in the court premises. This open terrorizing tactics has been prompted by the Govt. in power, police and hoodlums to send a loud message to scuttle the freedom of expression endanger democracy and democratic institutions in our country.

Defying the Supreme Court's order tantamounting to contempt, the repeated attacks on Kanhaiya Kumar and journalists is nothing but the fascist onslaught to muzzle the voices of dissent.   Casting anyone anti- BJP and anti-Govt as anti- national and any one pro BJP as patriots is to say the least, quite ridiculous.

The attackers like BJP MLA O.P Sharma, numbers of so- called black coat worn advocates like Mr.Vikram Chauhan are moving freely and side by side the lies are fabricated to mislead the people in the name of Nationalism and patriotism.

There are worldwide condemnation including in our country against of arrests, sedition charge, attacks on journalists, academician but all these have no effect on the attitude of the Govt. and the authority.

We the citizens endorse the voices raised by concerned citizens across the country and world.

Under this circumstances we would like to reiterate that Universities are the space for open debates and polemics and we request your intervention to save the democracy, autonomy of the universities, safeguard the freedom of expression and provide security to all citizens.

 We demand

  • Release of Kanhaiya Kumar
  • Repeal of sedition charge
  • Stop police interference in universities
  • The security of all citizens, media persons be ensured
  • Arrest the BJP MLA and  lawyers like Vikram Chauhan and other identified persons responsible for attacks
  • Institute impartial inquiry into the whole affair.

The Right to Reason and Imagine: Architects in Solidarity with the JNU Community

To: The JNU Teachers Association, JNU Students Union

CC: Vice Chancellor, JNU

We, the undersigned, are writing this in utmost shock and despair regarding the recent events and developments at your campus. We want to extend our full support to the JNU teachers association and the democratically elected JNU Student Union. We believe there is a difference between the nation, the state and the government of the day, and fully support your constitutional right to air your positions, as different or diverse as they may be, without illegal interference from any particular ruling ideology, party or state machinery.

As those engaged in architecture, we believe that imagination and reason are the highest of human faculties. This gift is what we constantly cultivate and rely on – in academia and in practice – when we question what exists, however natural, fixed and irreplaceable it may seem, and fearlessly posit alternatives. Indeed, there is little difference for us between possessing a moral imagination and being able to imagine such alternate worlds and other ways of being.

The inability therefore to envision life in another's shoes, to disagree and to counter ideas with more aesthetic or eloquent ones without resorting to character assassination, violence and charges of anti-nationalism, betray to us an alarming lack of imagination, and we strongly condemn this in all its forms.

We condemn this absence of imagination and the physical and epistemic violence it has unleashed on the university community especially teachers and students. We stand with you in support of the university as a marketplace of ideas where all ideas and opinions are passionately argued, ripped apart, defended and critically re-imagined in ever new ways, leading to a more enlightened citizenry. This must be allowed to happen without fear or favor, risk of persecution or charges of sedition. If nothing else, the imagination of our founding fathers demands it, and we are in solidarity with your right to exercise it.

Purdue University Stands in Solidarity with JNU

We, the undersigned faculty and students at Purdue University, strongly condemn the arrest of JNUSU President Kanhaiya Kumar. We oppose the systematic and deliberate attempts to humiliate, bully and terrorize the university's community of scholars and political activists. It is unethical for a government to spread canards about students with the hope of distracting attention away from its over-zealous, slapdash interventions in academic institutions. We demand that this scapegoating and hounding of Umar Khalid, and all other students, cease immediately.

We salute the courageous JNU community that stands proud and resolute in the face of physical violence, media trials, and sectarian, antediluvian discourses that confuse students for enemies, and dissent – the cornerstone of democracy – for sedition.

More generally, we detect a pattern in this government's deployment of the state machinery against young adults committed to addressing the inequities and discriminations so blatant in our country today. We insist, therefore, that the central government end its programmatic assault on public educational institutions and the spirit of free-thought. Institutions of higher education must be created and preserved as spaces where caste oppression, gender and minority-exclusion can be studied, and their resistance practiced. JNU exemplifies a dual commitment to combining academic rigor with a political-ethical conscience. We stand in solidarity with JNU's vision of a diverse campus, charged with a robust polity, where no monolithic, auto-corrected version of the nation or patriotism dominates. We believe that university campuses, like society at large, can thrive only when celebrations of the myriad manifestations of the nation are accompanied by an honest and fearless capacity to criticize its inadequacies. Read more…

Resolution in support of the student protests in India against the militant suppression of intellectual freedom and dissent by the BJP-government

This is a resolution passed by the Doctoral Students' Council, City University of New York (CUNY)

WHEREAS, on 12 February, the Delhi Police raided student hostels at the Jawaharlal Nehru University (JNU) and arrested the JNU Students' Union President Kanhaiyya Kumar on the arbitrary and anti-democratic charge of sedition; and

WHEREAS, this application of a draconian, colonial law which criminalizes dissent stands in stark contradiction to the very democratic character of the nation that affirms an individual's right to free speech, however radical and unpopular the opinion; and

WHEREAS, this arrest of an elected student representative and the subsequent militarization of the campus with an overwhelming police presence is sanctioned and sponsored by the Bharatiya Janata Party (BJP) led ruling regime, in conjunction with its affiliate organizations RSS and ABVP, its student wing; and

WHEREAS, this coercive presence of the police on the university premises and elsewhere is compounded by their complicity in the physical assaults by lawyers of the Hindu Right on JNU teachers and students at the courthouse before Kanhaiyya's hearing; and

 

Letter of Solidarity from International Association of Women in Radio and Television (India Chapter) for JNU

February 21, 2016

tags: FTIIIAWRTJNURohith Vemulasedition

by Lawrence Liang

We the undersigned, from the India Chapter of the International Association of Women in Radio and Television (IAWRT), would like to place on record our solidarity with the students and teachers of the Jawaharlal Nehru University (JNU). We find the recent events that have taken place in JNU –  arrest of the JNUSU President Kanhaiya Kumar on charges of sedition, and a lookout by the police for several other students who allegedly raised anti-national slogans – extremely disturbing. We also feel that the use of the sedition law, which was enacted by British colonial government, draconian and has no place in India. A fundamental principle in a democracy is the right to free speech. Article 19 of the Indian Constitution grants it as a fundamental right, and the Indian courts have recognised this in the past, including in the case of Balwant Singh vs. State of Punjab. In this context, the framing of charges against the students of JNU is unacceptable, and should have no place in a democratic society.

The events in JNU are a continuation of the systematic attack on students in various campuses across the country by the ruling party and its student-wing, the ABVP. From the ban on the Ambedkar-Periyar Study Circle in IIT-Madras (the ban was eventually lifted), to appointing people not necessarily qualified in various administrative posts at the Film and Television Institute in India (FTII), to the attack and suspension of Dalit students in the Hyderabad Central University (HCU), which eventually led to the suicide of Rohith Vemula, there has been an increasing attempt at controlling students on campuses by the BJP and its affiliates, the ABVP and the RSS.

 

In many instances, the ruling government has used the State machinery, including that of the police, to carry out its agenda, either through intimidation or inaction – the attack by lawyers on Kanhaiya Kumar while he was produced in Patiala House in police presence, or the intimidation of lawyers Shalini Gera, Isha Khandelwal and journalist Malini Subramanian of scroll.in in Chhattisgarh, who are being forced to leave Jagdalpur due to continual police threat and intimidation, are examples of this.

 

We fear that this environment that has been created by the State and some members of the media fraternity, where labels like "anti-national" and "traitor" are freely thrown around, is creating an atmosphere of fear and will suppress voices of dissent. Many media houses have been filing stories and conducting debates that do not adhere to basic principles of journalistic practices. The strength of a democratic nation is its ability to give space to its dissenters, as also to those who raise questions about the excesses of the State and about what the idea of a nation-state means. The fundamental right to free speech and dissent has been guaranteed to the citizens of India by the Constitution and cannot be violated for any political agenda if we are to remain a vibrant democracy.

 

We, the members of the International Association of Women in Radio and Television (IAWRT), India, demand:

 

1) JNUSU President Kanhaiya Kumar be immediately released

2) Stop the witch-hunt against Umar Khalid and other students of JNU

3) Segments of the media have been whipping up mass hysteria against students of JNU. They should be reined in by their own Press Councils and Broadcast Associations.

4) Repeal Section 124(A) of the Indian Penal Code

Aaradhna Kohli, Independent Filmmaker

Ananya Chakraborti, Filmmaker, Film Teacher, Activist

Anjali Monteiro, Academic and Filmmaker, Tata Institute of Social Sciences

Anupama Chandra, Film Editor and Director

Anupama Srinivasan, Filmmaker

Archana Kapoor, Managing Trustee, IAWRT, Filmmaker and Radio Producer

Bina Paul

Geeta Sahai, Media Professional

Iffat Fatima, Independent Documentary Filmmaker

Iram Ghufran, Independent Filmmaker

Kavita Joshi, Filmmaker and Media Trainer

Mallika Sarabhai

Nina Sabnani

Nupur Basu, Journalist and Media Educator

Padmaja Shaw

Priya Goswami

Priyanka Chhabra, Filmmaker

Radha Misra, Academic

Reena Mohan, Filmmaker and Editor

Renuka Sharma

Samina Mishra, Independent Filmmaker and Writer

Sania Farooqui, Journalist

Shikha Jhingan

Smriti Nevatia, Film Festival curator, Researcher and Writer, Text Editor

Subasri Krishnan, Filmmaker

Teena Gill, Filmmaker and Development Consultant

Uma Chakravarti, Feminist Historian and Filmmaker

Uma Tanuku

Vani Subramanian, Filmmaker and Women's Rights Activist

Yashodara Udupa, Filmmaker


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Hastakshep for Panchsheel,tolerance and pluralism!Truth!इतिहास और सच की भूमिका

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इतिहास और सच की भूमिका

ईशावास्योपनिषद के 'हिरण्यमयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्. तत्त्वं पुषन्नपावृणु सत्य धर्माय दृष्टये'

( सत्य का मुख सोने के पात्र ( निहित स्वार्थ) के ढक्कन से ढका हुआ है. हे सूर्य देवता तुम उसे हटा दो तकि हम यह जान सकें कि सत्य और और धर्म क्या हैं. दूसर शब्दों में निहित स्वार्थ यथार्थ बोध के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा हैं.

इस छन्द से विदित होता है कि वैदिक युग में भी धार्मिक परंपराओं में घुस आये अंधविश्वासों को दूर कर सच को सामने लाने वाले मनीषियों को निहित स्वार्थों का घोर विरोध का सामना करना पड़़ता होगा.

अतीत में अधिक दूर जाने की आवश्यकता नहीं है. तुलसीदास के जीवनकाल में ही काशी के पंडितों द्वारा रामचरितमानस को केवल इसलिए नष्ट करने का प्रयास किया गया कि वह धर्म के लिए निर्धारित भाषा संस्कृत में न होकर जनभाषा में थी. यदि उदारमना आचार्य मधुसूदन मिश्र हस्तक्षेप न करते तो संभवतः तुलसीदास के जीवनकाल में ही काशी के पंडितों के द्वारा रामचरितमानस नष्ट कर दी गयी होती.

यह स्थिति केवल भारतीय धर्म साधनाओं में ही नहीं अपितु विश्व की लगभग सभी धर्म साधनाओं रही है. अनहलक या मैं वही हूँ कहने पर सूफी सन्त मंसूर की हत्या कर दी गयी. ईसाई परंपराओं मे निहित भ्रान्तियों का निवारण कर प्रयोगों के माध्यम से सच को सामने लाने पर गैलीलियो को चर्च का कोप-भाजन बनना पड़ा. औषधियों की खोज करने वाले शैतान घोषित किये गये और उनको चर्च द्वारा जिन्दा जला देने का फतवा जारी हुआ.


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ताराचंद्र त्रिपाठी, लेखक उत्तराखंड के प्रख्यात अध्यापक हैं जो हिंदी पढ़ाते रहे औऐर शोध इतिहास का कराते रहे। वे सेवानिवृत्ति के बाद भी 40-45 साल पुराने छात्रों के कान अब भी उमेठते रहते हैं। वे देश बनाने के लिए शिक्षा का मिशन चलाते रहे हैं। राजकीय इंटर कॉलेज नैनीताल के शिक्षक बतौर उत्तराखंड के सभी क्षेत्रों में सक्रिय लोग उनके छात्र रहे हैं। अब वे हल्द्वानी में बस गए हैं और वहीं से अपने छात्रों को शिक्षित करते रहते हैं।
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Is Arnab Goswami
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Kanhaiya Kumar, जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार
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वाम दलों की मांग- कन्हैया को रिहा करो, झूठे सबूत गढ़ने वालों पर हो कार्रवाई

कन्हैया को रिहा
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
बहस

आज़ादी के आन्दोलन के ग़द्दार, अंग्रेजों के मुखबिर राष्ट्रभक्ति के ठेकेदार हो गए!

देश कागज़ पर बना नक्शा
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अभय कुमार दुबे
देश

अभय कुमार दुबे ने ताल ठोंककर ज़ी न्यूज़ पर ही ज़ी न्यूज़ का बैंड बजा दिया (देखें वीडियो)

आलोक वाजपेयी, लेखक इतिहासकार हैं।
आजकल

जेएनयू से पंगा भाजपा कंपनी की ऐतिहासिक भूल, इनकी बर्बादी का कारण बनेगी

कोई भी जमीर वाला राष्ट्रभक्त
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कन्हैया की रिहाई की मांग को लेकर देश भर में आंदोलन जारी, रेल परिचालन बाधित

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Kanhaiya Kumar, जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार
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केंद्र सरकार की गले की फांस बना कन्हैया

कन्हैया कुमार के मामले पर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग
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कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई शुरू

नई दिल्ली। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
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RESIST ONSLAUGHT ON LEFT FORCES- CPI(M)

Resist Onslaught on Left Forces New Delhi. The Central Committee of the
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Lanka Vijay. लंका विजय के बाद
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लंका विजय के बाद

Lanka Vijay. लंका विजय के बाद
राष्ट्रवाद के नाम पर भय व खैफ का माहौल बनाया जा
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आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में PhD विवेक मेहता स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।
खबरनामा

एक डरा हुआ वकील एक मरी हुई न्याय-प्रणाली बनाता है

तमाम टीवी चैनलों पर छाई हुई दिल्ली में
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Randheer Singh Suman, रणधीर सिंह सुमन
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डियर बस्सी ! खूब बाँट रहे हो कन्हैया कुमार की अपील

गृह मंत्री व दिल्ली पुलिस कमिश्नर के
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
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RSS THY NAME IS CONSPIRACY! WHAT DO THE RSS DOCUMENTS DISCLOSE?

 | 2016/02/18
RSS like any other fascist organization thrives
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Triparna Dey sarkar
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नरेंद्र मोदी सेना वेस्ट बंगाल 2 ने दी जाधवपुर विश्वविद्यालय की छात्रा को जान से मारने की धमकी

देहरागून में जनसभा को संबोधित करते राहुल गांधी
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PATRIOTISM IS IN MY BLOOD : RAHUL GANDHI

New Delhi. Addressing the media after meeting the President, Congress
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Kanhaiya Kumar, जेएनयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार
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THE STATE CANNOT DICTATE ON THE MANY MEANINGS OF WHAT IT IS TO BE 'INDIAN'– FACULTY OF IIT BOMBAY

जहां जेल


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इसीलिए तमाम विश्वविद्यालयों को बंद करने की यह केसरिया मुहिम, 'हार्वर्ड को टक्कर'देंगे बाबा रामदेव, दिल्ली में बनाएंगे इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी!

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इसीलिए तमाम विश्वविद्यालयों को बंद करने की यह केसरिया मुहिम, 'हार्वर्ड को टक्कर' देंगे बाबा रामदेव, दिल्ली में बनाएंगे इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी!


भाजपा विधायक कैलाश चौधरी के बाद अब अलवर के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने जेएनयू मामले पर विवादित बयान दिया है। विधायक ने कहा, जेएनयू में गद्दार रहते हैं। जेएनयू में छात्राओं से कुकर्म किया जाता है। हर रोज़ 3000 कंडोम और 500 गर्भ गिराने के इंजेक्शन मिलते हैं। विधायक ने राहुल गांधी को देश का गद्दार कहते हुए कहा, ऐसे शख्स को जीने को कोई अधिकारी नहीं है। विधायक साहब यहां भी नहीं रुके और बोले, जेएनयू में नशे और ड्रग्स का जमकर इस्तेमाल किया जाता है।


योगगुरु बाबा रामदेव अब शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना हाथ आजमाने जा रहे हैं। दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले उत्पादों के बाद अब वे उच्च शिक्षा के मामले में हार्वर्ड और कैंब्रिज को टक्कर देने की तैयारी में है।

रामदेव ने शनिवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अगले 5 सालों में वह दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक यूनिवर्सिटी स्थापित करेंगे। 'डीएनए' की रिपोर्ट के मुताबिक, रामदेव ने वृंदावन के वात्सल्य ग्राम केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "यूनिवर्सिटी मे विभिन्न क्षेत्रों में एक लाख छात्र पढ़ाई कर सकेंगे। शिक्षा का स्तर ऐसा होगा कि हार्वर्ड और कैंम्ब्रिज के छात्र भी यहां पढ़ाई करने के लिए उत्सुक रहेंगे।"



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The absolute Monarch created the mess!He ordered to kill the universities! What is the urgency of yet another Ram Mandir somewhere else while the Parliament is reduced to a religious place.They might worship God Ram Lala in the Parliament? যাদবপুর নিয়ে কেশরীর কাছে ক্ষোভ মোদীর!

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The absolute Monarch created the mess!He ordered to kill the universities!

What is the urgency of yet another Ram Mandir somewhere else while the Parliament is reduced to a religious place.They might worship God Ram Lala in the Parliament?

Palash Biswas

জনগণমন ম্লান করে সংসদে 'জয় শ্রীরাম'ধ্বনি

24 Feb 2016, 0837 hrs IST,

  • জনগণমন ম্লান করে সংসদে 'জয় শ্রীরাম'ধ্বনি

জাতীয় সঙ্গীত শেষ হতেই, আরও জোরে রব উঠল, 'ভারতমাতা কি জয়৷'অন্য সময়ে দিনের শুরুতে লোকসভায় '...

It is Kalijug in accordance to the holy scripts of Hindutva and the Kalki Avtar has emerged with landslide mandate.We have made him the monarch of the destiny.


Since Rohit`s institutional killing,the masses have been seeing the faces of the killers in open daylight.But it is all the way a fascist time in which our nation is subjected to ethnic cleansing under Manusmriti Discipline.We recognize the Manusmriti.


But we failed to frame the Absolute Monarch who has an world famous reputation for his unprecedented expertise for genocide culture.


He is branded for fashion statement worldwide so that no one should see the blood on his face and hands which he might not wash with all the oceans.


The Monarch visited Kolkata recently to inject blid religous nationalim in this part of the country.Media reports that he interacted with the governor in extreme anger as the students of Jadavpur university has been spared and Jadavpur has not become JNU!


The Monarch ordered his party men to behave as the  Kesria lawyers have showcased their Swaraj Ramrajya in Delhi.The party has indulged in hate campaign accordingly and the children in Jadavpur university have to face the sedition trial sooner or later.


In democracy,the head of the government is responsible for governance as rule of law.


It is not a democracy anymore and we have no freedom,no right and reduced to pet subject.Thus,no one else is responsible.

We have tasted his diplomacy in Nepal.


His war cry has shifted the middleeast warzone right into our heart and his regime is reduced to Mandal V/S Kamandal as Bharat is Mahabharat yet again and we citizens stand Nimitt Matra to be killed sooner of later.Thus,we have allowed him to kill our children first.It is all about his business friendly governance!


We have our crusaders and others have their crusaders.

Every action is answered with reaction.


Thus,the Hindutva agenda has created a Jihad against Bangladesh Hindus who are unwanted in India and they are destined to bear the burns of Hindutva as those who crossed the border during partition holocaust have been bearing.


The Parliament has become the Bhavya Rama Mandir as we witnessed live telecast of Jai Shri Ram in the parliamnet.


What is the urgency of yet another Ram Mandir somewhere else while the Parliament is reduced to a religious place.They might worship God Ram Lala in the Parliament.

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प्रधानमंत्री के नाम पत्र:भारत को समझो मोदी जी!

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प्रधानमंत्री के नाम पत्र


प्रिय मित्र, पिछले कुछ समय से चल रही जेएनयू की घटनाएं जटिल होती जा रही हैं। ​कल  केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्‍मृति इरानी ने संसद में जो भाषण दिया, उसमें महिषासुर दिवस का भी जिक्र किया। इस संदर्भ में हम फारवर्ड प्रेस के आगमी अंक में कई सामग्री प्रकाशित कर रहे हैं। लेकिन मासिक पत्रिका होने की दिक्‍कत यह है कि जब तक वह अंक आपके हाथों में आएगा, तब तक कई बातें शायद पुरानी लगने लगें। इसलिए, अगले अंक में प्रकाि‍शित हो रहे प्रधानमंत्री के नाम हिंदी लेखक प्रेमकुमार मणि का पत्र आप लोगों को इस मेल के साथ भेज रहा हूं। कुछ और सामग्री कल भेजूंगा। इनसे आपको संदर्भ को समझने में सुविधा होगी। 

कायदे से होना तो यह चाहिए था कि इन तथ्‍यों को जनतांत्रिक व समाजवादी, साम्‍यवादी मुल्‍यों के पक्षधर सांसद सदन में रखते, जिससे यह बात दूर तक पहुंचती। कल राज्‍य सभा में इसी विष्‍य पर चर्चा है, देखना यह है कि कल सत्‍ताधारी पक्ष क्‍या कहता है और विपक्ष में बैठे सांसद उसका कितना विरोध कर पाते हैं। 
-प्रमोद रंजन 
9811994495 

भारत को समझो मोदी जी!

मान्यवर मोदी जी,

मैं समझता हूं हर नागरिका को अपने प्रधानमंत्री से सीधा संवाद करने का अधिकार है और यह पत्र के द्वारा होतब दुर्लभ एप्वाइंटमेंट का झंझट भी नहीं आता। इसलिए मैंने यही माध्यम चुना है। 

देश में पिछले दिनों कई तरह की वारदातें हुईं। मैं नहीं समझता इसे आपको बताने की जरूरत है। यह सही है इतने बड़े देश में अनेक तरह की घटनाएं घटती रहेंगी और छोटी-छोटी घटनाओं की नोटिस  लेने के लिए आपका कीमती वक्त बर्बाद भी करना नहीं चाहूंगा। लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं कि लगता है हमारा वजूद हिल जाएगा। आज कुछ हद तक हम इसी स्थिति में आ चुके हैं। पिछले दिनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जो हुआ और उसके बाद पहले दिल्ली और फिर देश के अन्य हिस्सों में जो हो रहा हैवह सब बेहद गंभीर है और मैं चाहूंगा कि पूरे मुद्दे पर पहले आप स्वयं गंभीरता से चिंतन करें। मैं आपको व्यक्तिगत स्तर पर सोचने की बात इसलिए कह रहा हूं कि मुझे प्रतीत होता है आप स्वयं इस विषय पर गडमड हैं। यह आपके क्रियाकलापों से प्रकट होता है। संसद के प्रवेश द्वार पर माथा टेकने से लेकर सभा-सम्मेलनों में दोनों हाथ उठा-उठाकर भारत माता की जय के उद्घोष जैसे क्रियाकलापों से आपके अंतरभाव प्रकट होते हैं। क्या कभी आपने अपना मनोविश्लेषण किया हैमेरा आग्रह होगासमय निकालकर यह जरूर कीजिए। क्योंकि इससे पूरे देश का भवितव्य जुड़ा है। रूसी लेखक चेखव ने कहा है मनुष्य को केवल यह दिखला दो कि वास्तविक रूप में वह क्या हैवह सुधर जाएगा। इसी भरोसे मैं आप में सुधार की एक संभावना देख रहा हूं। प्रधानमंत्री जीसबसे पहले तो आप अपनी स्थिति समझिये। आप कोई सवा सौ करोड़ लोगों के चुने हुए भाग्य विधाता हो। एक महान राष्ट्र के प्रधानमंत्री,वास्तविक शासक। कभी चंद्रगुप्तअशोकअकबर जैसे लोग जिस स्थिति में थेवैसे। उन लोगों के समय में भी भारत इतना बड़ा कभी नहीं रहा। चंद्रगुप्त और अशोक के समय हमारी सीमाएं पश्चिम में तो बढ़ी हुई थीलेकिन दक्षिण मौर्यों के हाथ नहीं था। अकबर के समय भी इतना बड़ा भारत नहीं था। 

लेकिन भारत केवल भौगोलिक भारत ही नहीं रहा है। एक सांस्कृतिक भारत भी है हमारे पास। जैसा की रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है कि 'भारत एक विचार है न कि एक भौगोलिक तथ्य।'इस भारत की रचना शासकों ने नहीं कवियोंमनीषीयोंदार्शनिकोंसंतों और सच पूछें तो प्रकृति ने स्वयं की है। यह भारत हजारों साल में बना है। इसकी रचना प्रक्रिया सहज भी है और जटिल भी। जाने कितने आख्यानकितनी पौराणिकता,कितने काव्यकितने गीतकितना भूतकितना भविष्य मिला है इसमें और यह भारत आज सवा सौ करोड़ लोगों की धड़कन बन गया है।

आप जरा अतीत में जाइए अपने सांस्कृतिक आख्यानों और पौराणिकता में। इतना तो जानते हीं होंगे कि यह जो भारत शब्द है भरत से बना हैदुष्यंत और शकुंतला के प्यार-परिणय से उद्भूत भरतजिनका जन्म और पालन किसी राजमहल में नहीं ंएक ऋषि के आश्रम में हुआ। ये आश्रम वनांचलों में होते थेजहां आज आपकी सरकार ग्रीनहंट कर रही हैक्योंकि आपकी नजर में वहां देशद्रोही पल-बढ़ रहे हैं। अत्यंत मनोरम और मर्मस्पर्शी कथा है भरत और उनकी मां शकुंतला की। और फिर हमारे महान ऋषि द्वैपायन कृष्णजिन्हें वेद व्यास भी कहा जाता हैने एक खूबसूरत महाकाव्य लिखा महाभारत- जो आरंभ में 'जय'और 'भारत'   था। महाभारत हमारी सबसे बड़ी सांस्कृतिक धरोहर है। अब इस भारत-महाभारत को बस सौ साल पहले कुछ लोगों ने भारत माता बना दिया। आपने कभी सोचा कि भारतवर्ष भारत माता कैसे बन गया?दरअसल इंग्लैंड के लोग अपने देश को मदरलैंड कहते हैं। भारत में जन्मभूमि को पितृभूमि कहने का प्रचलन था। आप तो संघ के प्रचाारक रहे हो। इस तथ्य को ज्यादा समझते होंगे। अंगे्रजी संस्कृति के प्रभाव में कुछ लोगों ने इसमें मातृत्व जोड़ा और भारत,  भारतमाता में परिवर्तित हो गया। चूंकि यह कारीगरी करने वाले बड़े लोग थे,सामंत जमींदार थे-जिनके बैठकखानों में बाघशेर के खाल लटके होते थेने इस भारत माता को बाघशेर पर बैठा दिया। इन बड़े लोंगंो की माता गायभैंस पर कैसे बैठतीं। सोचा है कभी आपने कि सामान्य जन ने भारत माता की निर्मिति की होती तो कैसी होंतीं भारतमाताशायद वह कवि निराला की एक कविता पंक्ति की तरह 'वह तोड़ती पत्थर'होती। हिंदी के प्रख्यात कवि पंत ने भी एक भारत माता की मूर्ति गढ़ी-

भारत माता ग्रामवासिनी

तरुतल निवासिनी।

पंत की भारत माता पेड़ तले रहती हैंनिराला की पत्थर तोड़ती हैं। यदि किसी ग्रामीण सर्वहारा ने मूर्ति गढ़ी होती तो चरखा चलाती या बकरी चराती भारत माता होतीं।

लेकिन आप इस भारत माता के प्रधाानमंत्री नहीं हो। आप उस भारतवर्ष और अब केवल उस भारत-जिसे संविधान में दैट इज इंडिया कहा गया है के प्रधानमंत्री हो। इस भारत की रचना हमारे महान स्वतंत्रता आंदोलन के बीच से हुई। जिसे पूर्णता हमारी संविधान सभा ने दिया। हमने 26 जनवरी 1950 को इसे अंगीकार किया। 'हम भारत के लोग इसे आत्मसात और अंगीकार करते हैं'। हमने एक महान सांस्कृतिक पीठिका पर विकसित राजनीतिक भारत को आत्मसात किया। संविधान हमारी आत्मा बन गई,जैसा कि आप भी कहते हो हमारा धर्मग्रंथ बन गया। 

लेकिन कुछ लोगों ने इसे आत्मसात नहीं किया। हमारा संविधान समानताभाईचारा और स्वतंत्रता के उन नारों को आत्मसात करता है जिसे कभी फ्रांसीसी क्रांति ने तय किया था। यह हर तरह के विभेद को नकारता है और सबको अवसर की समानता दिलाने का भरोसा देता है। इसमें अपने को लगातार विकसित करनेसुधारने और समय से जोडऩे की ताकत है और समय-समय पर हमने यह किया भी है। सब मिलाकर यह एक ऐसा आदर्श संविधान है जिसपर पूरे देश ने अपनी सहमति जतायी है। कुछ लोगों ने इससे खिलवाड़ करने की भी कोशिश कीजैसे 1975 में इमरजेंसीलेकिन उन्हें भी आखिर झुकना पड़ा।

और आज जो भारत है वह इस संविधान की पीठ पर हैकिसी बाघशेर की पीठ पर नहीं। वह भारत माता नहीं हैसबकी सहमति से निर्मित भारत है जो हमारे बल पर है और उसके बल पर हम हैं। कुछ-कुछ बूंद ओैर समुद्रवाला रिश्ता है हमारा। बूंद जैसे ही समुद्र से बाहर होता है मिट जाता है। हम भारत से अलग होंगे मिट जाएंगे। 

प्रधानमंत्री जीलेकिन इस भारत भक्ति को कुछ लोंगो ने खिलवाड़ बना दिया है। न वह संस्कृति को समझते हें न राजनीति को। कुल मिलाकर उनकी दिलचस्पी एक फरेब विकसित करने में होती है जिसके बूते वे अपना वर्चस्व बनाये रखें। पुराने जमाने में कई तरह के सामाजिक-सांस्कृतिक फरेब विकसित कर इन लोगों ने अपना वर्चस्व बनाए रखावर्तमान संविधान ने इनके हाथ बांध दिये तब ये नये तरीके ढूंढ रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कभी अपने बैठकखानों में शेर की खाल लटकाने वाले इन महाप्रभुओं ने आज अपने ड्राइंग रूम में भारत माता की खाल लटका ली है और राष्ट्र के स्वयंभू पुरोहित बन देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं। ये लोग संविधान की जगह मनुस्मृति और शरीयत संहिताओं पर यकीन करते हैं। इनका भारत साधुओंफकीरों और पाखंडियों का लिजलिजा भारत है जिसमें इनके मनुवाद पर कोई आंच नहीं आती। यही इनका देश हैयही इनका राष्ट्र है। 

जवाहरलाल नेहरू वि.वि. की एक घटना पूरे देश की ऐसी घटना बन गई है जिसपर हर जगह चर्चा हो रही है। मैं तो उन लोगों में हूं जो इसे सकारात्मक रूप से ही देखते हैं और समझता हूं इस बहस से हमारा मुल्क और मजबूत बनेगा। लेकिन आप से अनुरोध है कि पूरे मामले पर नजर रखें ओैर उन ताकतों को हतोत्साहित करें जो समाजिक प्रतिगामी हैंक्योंकि उनका इरादा भारत को कमजोर करना है। आज दुनिया का कोई भी देशकोई भी समाज पुरानी ओैर घिसी-पिटी सोच के बूते आगे नहीं बढ़ सकता। गति तो पीछे लौटने में भी होती है यही तो प्रतिगामिता है। हमेे तय करना होगा कि हमे आगे बढऩा है या पीछे लौटना है। धर्मांधता और संकीर्णता के बूते हम आगे नहीं बढ़ सकते। इस सदी में हमें आगे बढऩा है तो विज्ञान द्वारा उपलब्ध कराये गए ज्ञान और सोच का ही सहारा लेना पड़ेगा। ग्लोबल हो रही दुनिया में हमारी सार्वजनिक चुनौतियां गंभीर होती जा रही है। हमनें बड़ी छलांग नहीं लगाई तो हम पिछडऩे के लिए अभिशप्त हो जाएंगे। एक बार पिछड़ गए तो फिर कहीं के नहीं रहेंगेे। 

इसीलिए आप स्वयं अपना परिमार्जन कीजिए। आप और आप के लोग बार-बार राष्ट्रवाद की बात करते हैं। कभी सोचा है कि यह है क्याएक पत्र में विस्तार से स्पष्ट करना संभव नहीं होगा लेकिन इतना बताना चाहूंगा कि देश किन विशेष परिस्थितियों में राष्ट्र बनता है। पश्चिम में राष्ट्रों का निर्माण और विकास जिन स्थितियों में हुआ उससे हमारे देश की स्थिति कुछ भिन्न थी। लेकिन दोनों जगहों पर यह आधुनिक जमाने की परिघटना है। औद्योगिक क्रांति के साथ यह पनपा और अपने कारणों से पूंजीवादी जमाने में विकसित हुआ। पश्चिम में जब राष्ट्र बन रहे थे तब  एक निश्चित भूभाग संप्रभुता,आबादी और भाषा के साथ जो सबसे प्रमुख तत्व इसमें नत्थी था वह था इसके निवासियों का सामूहिक स्वार्थ। इसी सामूहिक स्वार्थ की व्याख्या हमारा संविधान अवसर की समानता के रूप में करता है। 

लेकिन पश्चिम का राष्ट्रवाद एक स्थिति में आकर भयावह हो गया और आज वहां उसकी कोई चर्चा भी नहीं करना चाहता। इस राष्ट्रवाद की तख्ती लेकर यूरोप ने दो-दो विश्वयुद्ध किये और तबाह हो गए। कुल मिलाकर यह राष्ट्रवाद एक ऐसा भयावह देवता साबित हुआ जिसने मानव समाज की सबसे ज्यादा बलि ली। इसी परिप्रेक्ष्य में हमारे महान कवि और चिंतक रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी तीखी आलोचना की। 14 अप्रैल1941 को,यानी मृत्यु के कुछ ही समय पूर्व कवि ने 'सभ्यता का संकट'शीर्षक से एक लेख लिखा और व्याख्यान दिया। प्रधानमंत्री जीआपको समय निकालकर वह लेख पढऩा चाहिए।

भारत में औद्योगिक क्रांति नहीं हुई और पंूजीवाद भी सामंतवाद के रक्त मांस मज्जा के साथ विकसित हुआ। इसलिए यहां पश्चिम की तरह का नहीं एक अजूबे किस्म का राष्ट्रवाद विकसित हुआ। इसका राजनीतिक पक्ष उपनिवेशवाद के खिलाफ  रहा तो सामाजिक पक्ष पुरोहितवाद के खिलाफ। दोनों स्थितियों में मुक्ति की कामना इसका अभीष्ट रहा। इसके निर्माण में एक तरफ  तिलकगांधी और सुभाषभगत सिंह की कोशिशें थीं तो दूसरी ओर ज्योतिबा फुलेरानाडेआंबेडकर जैसे लोग सक्रिय थे। उपनिवेशवाद की समाप्ति के बाद सामाजिक आर्थिक वर्चस्व से मुक्ति की कामना ही अधिक प्रासंगिक हो गया। जवाहरलाल नेहरू ने सच्चे राष्ट्रनायक की तरह नये भारत की रूप-रेखा बनाई और उसमें प्रतिगामी सोच के लिए कोई जगह नहीं रखी। नये भारत के निर्माण के लिए उन्होंने साधू-संन्यासियों की जगह वैज्ञानिकोंमजदूरों और किसानों का आह्वान किया। देश में वैज्ञानिक चेतना विकसित करने पर जोर दिया। 

लेकिन प्रधानमंत्री जीआप राष्ट्रवाद की इस धारा की बात नहीं करते। आप का राष्ट्रवाद शिवाजीसावरकर और गोलवलकर का रहा है जो हमेशा विवादों में रहा है। सावरकर,गोलवलकर का राष्ट्रवाद भारतीय नहीं हिंदू है। इसके लिए हमेशा एक अवलंब राष्ट्र चाहिए जैसे कोई दूसरा धार्मिक राष्ट्र। शिवाजी के वक्त उनका जो हिंदवी राज्य था वह मुगल राज के सापेक्ष था और सावरकर का हिंदुत्व इस्लाम के सापेक्ष। हेडगेवार गोलवलकर का हिंदू राष्ट्रवाद भी मुस्लि या इसाई राष्ट्रवाद के सापेक्ष ही संभव होगा। लेकिन भारतीय राष्ट्र की विशेषता इसकी अपनी स्वतंत्र सत्ता है जिसमें अवसर की समानाता विकसित करने की अकूत क्षमता है। 

जहां तक मैंने समझा है जवाहरलाल नेहरू वि.वि. इस राष्ट्रवाद की सबसे खूबसूरत पाठशाला है। वहां कभी-कभार जाता रहा हूं और मैंने अनुभव किया है कि जैसे भयमुक्त भारत की कामना कवि टैगोर ने की थी वैसा ही भारत वहां के ज्यादातर छात्र गढऩा चाहते हैं। सच है कि वहां माक्र्सवादियों का गढ़ था और एक हद तक अभी भी है। मनुवादियों ने माक्र्सवादियों को तो बखूबी बर्दाश्त किया लेकिन इधर परेशानी होने लगी जब वहां नए छात्र फूले आंबेडकरवाद बांचने लगे और माक्र्सवादियों ने पहली दफा उनसे हाथ मिलाया। पहली घटना तो महिषासुर प्रसंग को लेकर हुई। मनुवादी छात्र वहां दुर्गा की पूजा करने लगे थे। फूले आंबेडकरवादी छात्रों ने महिषासुर दिवस का आयोजन किया। दुर्गा और महिषासुर इतिहास के हिस्से नहीं है हमारी पौराणिकता के हैंऔर प्रधानमंत्री जीकेवल वर्चस्व प्राप्त तबकों का ही इतिहास नही होता केवल उन्हीं की पौराणिकता,केवल उनहीं की संस्कृति नहीं होती। शासित तबकों का भीतथाकथित 'नीच'लोगों का भी - जो चुनाव के वक्त आप भी बन गए थे - एक इतिहास होता हैउनकी पौराणिकता भी होती है। वर्चस्व प्राप्त तबकों की पौराणिकता में दुर्गा हैं तो दलितपिछड़े तबकों की पौराणिकता में महिषासुर। आपने देवासुर संग्राम के बारे में सुना होगा। वर्चस्व प्राप्त लोग अपनी पौराणिकता के बहाने अपने वर्चस्व को धार देते हैंसमाज के पीछे रह गए लोग अपनी पौराणिकता की नई व्याख्या कर सांस्कृतिक प्रतिकार-प्रतिरोध करते हैं। वर्चस्व प्राप्त लोग राम की पूजा करने के लिए कहते हैं हमें अपने शंबूक की याद आती है जिसकी गर्दन राम ने केवल इसलिए काट दी थी कि वह ज्ञान हासिल करना चाहता था। आपने कभी सोचा है कि एक दलित पिछड़े वर्ग से आये खिलाड़ी को कभी अर्जुन पुुरस्कार मिलेगा तब उसे कैसा लगेगा। उसके मन में अपने एकलव्य की याद क्या नहीं आएगी

आप जरा कलेजे पर हाथ रखकर सोचिए प्रधानमंत्री जीकि महिषासुरशंबूक और एकलव्य कौन थेवे विदेशी थे या विधर्मीउनकी चर्चा करनाउनको रेखांकित करना आपको राष्ट्रद्रोही कदम लगता है। अब अपने संघ के लोगों को कहिये कि वे अपने हिंदुत्व पर पुनर्विचार करें। उनका भारत तो अखंड भारत नहीं ही है उनका हिंदुत्व भी अखंड नहीं है। खंडित हिंदुत्व है उनकाब्राह्मण-हिंदुत्व है। आपके लोग इसी हिंदुत्व की बात करते हैं।

हम जे.एन.यू की ओर एक बार फिर चलें। 9 फरवरी2016 की घटना थी। यदि किसी छात्र ने देश विरोधी नारे लगाये हैं तो यह गलत है। जैसा कि मुझे बताया गया है कि भारत की बर्बादी तक जंग जारी रखने जैसे जुमले बोले गए। मैं इसकी तीखी भत्र्सना करना चाहूंगा। किसी की बर्बादी की बात हमें नहीं करनी चाहिए। पाकिस्तान की भी नहीं। वह हमारा पड़ोसी हैफले-फूले। दुनिया के तमाम देश फलेें-फूलें। आपका एक नारा मुझे सचमुच पसंद है सबका साथसबका विकास। लेकिन यह जमीन पर तो उतरे। 

प्रधानमंत्री जीवि.वि. इसी के लिए तो बनते हैं। वहां अनेक देशों के लोग पढ़ते हैं। पुराने जमाने में जब हमारे यहां नालंदा था चीन के ह्वेनसांग और फाहियान वहां पढऩे आये थे। ब्रिटिश काल में भी हमारे लोग ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जाते थे। आपको पता होगा भारतीय छात्र वहां भारत की आजादी पर भी चर्चा करते थे। उनका संगठन था। उनकी कार्यवाही थी लेकिन ब्रिटेन के लोगों ने इसके लिए उनपर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलाया। आपके सावरकर भी वहां पढऩे गए थे और अपनी प्रसिद्ध किताब 'इंडियन वॉर ऑफ  इंडिपेंडेंस: 1857'उन्होंने ब्रिटेन में रहकर पूरी की। वहीं उन्होंने 'फ्री इंडिया सोसायटी'की स्थापना की। हमें भी अपनी यूनिवर्सिटियों को इतनी आजादी देनी चाहिए कि वहां लोग मुक्त मन से विचार कर सकें। विश्वविद्यालय में जो जो विश्व शब्द है उस पर ध्यान दीजिये। आप उसे संघ का शिशुमंदिर बनाना चाहते हैंयूनिवर्सिटियां मानव जाति पर समग्रता से विचार करती हैंउसे देशभक्ति की पाठशाला मत बनाइए। हममें तो अभी वि.वि. पालने का शउर ही विकसित नहीं हुआ है। मान लीजिये जे.एन.यू में सौ-दो सौ पाकिस्तानी छात्र पढ़ते तो वह पाकिस्तान की बात नहीं करेंगे। विदेशों में हमारे छात्र पढ़ते हैं तो अपने भारत की बात नहीं करते हैं?

थोड़ी बात काश्मीर मुद्दे पर भी कर लेें। अफजल गुरु पर कतिपय छात्रों ने चर्चा की। इसके लिए इतना कोहराम मचाकर हमने केवल कश्मीरी समस्या को रेखांकित ही किया है। यह हमारा मूर्खतापूर्ण कदम कहा जाएगा। कश्मीर की समस्या पूरे भारत की समस्या से कुछ अलग और जटिल है। आपने वहां उस पी.डी.पी. के साथ सरकार बनाईजो अफजल को शहीद मानता है। आपका कदम सही है। सरकार बनाकर आपने संवाद बनाने की कोशिश की है। संवाद बनाकर ही बातें आगे बढ़ती हैबढऩी चाहिए यही तरीका है। पाकिस्तान की बार-बार की हरकतों के बावजूद हम उससे संवाद बनाने की कोशिश करते हैं काश्मीर तो अपना है। और मैं समझता हूं कि काश्मीर के मसले को आप मुझसे बेहतर समझते हैं क्योंकि मेरी जानकारी के अनुसार आप कुछ समय तक वहां रहे हैं। काश्मीर की समस्या थोड़ा पेचीदा हैवह ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थाअलग रियासत था। वह एक खास परिस्थिति में भारत से जुड़ाजो स्वाभाविक था। इस तरह उसकी स्थिति कुछ वैसी है जैसा किसी परिवार में गोद लिए बच्चे की होती है इसलिए हमारे संविधान में वहां के लिए एक विशेष धारा है। ऐसी धाराओं का सम्मान होना चाहिए। ऐसी ही धाराओं की बदौलत भविष्य में कभी अन्य देश भी भारतीय संघ में जुड़ सकते हैं। इसमें पाकिस्तानबांग्लादेशनेपाल भी हो सकता है। हमें सपने देखने नहीं छोडऩे चाहिए। सपने कभी सच भी होते हैं।

तो प्यारे प्रधानमंत्री जीनाराज नागरिकोंखासकर युवाओं से संवाद विकसित करना चाहिएतकरार नहीं। दंड देकरजबर्दस्ती देशभक्ति नहीं थोपी जा सकती। मुझे उन नाराज नौजवानों से अधिक खतरा आपके उन भक्तों से है जो राष्ट्रवाद की ताबीज-कंठी लटकाकर देश को लूट रहे हैं। कभी आपने अपने मित्र बड़े अंबानी से नहीं पूछा कि भाई जिस देश में किसानछोटे-छोटे कर्जांे को लेकर आत्महत्या कर रहे हैंवहां तुम हजार करोड़ का अपना घर क्यों बना रह होआपने पूंजीपतियों के लिए लाखों करोड़ के कर्ज माफी की घोसना की है लेकिन भारत के किसानों-मजदूरों की चिंता आपको नहीं है। हैदराबाद वि.वि. का एक होनहार छात्र रोहित वेमुला आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ। आपको इसपर रोना भी आया। आपको समझ सकता हू। आप ही के शब्दोंमें आप नीच जात हो,पिछड़ी जमात के आदमी होमाक्र्सवादी शब्दावली के सर्वहारा हो आपबचपन में चाय बेचने वालेदूसरों के घर मजदूरी करनेवाली महान मां के बेटे। आप पर कुछ भरोसा है। आपसे संवाद करने से बात बन सकती है। कुछ समय पहले आंबेडकर की मूरत पर जब आप माला चढ़ा रहे थेे तब मेरे मन में ख्याल आया था कि काश उनके विचारों की माला अपने गले में डाल लेते। एक मौन क्रांति हो जाती। इसीलिए विवेकानंद के शब्द उधार लेकर कहना चाहूंगा कि उठोजागो और रूको नहीं। तुम्हारे संस्कार संघ के संस्कार नहीं हैंतुम मनुवादियों के घेरे से विद्रोह करोउन्हें ध्वस्त करो। उनका देश झूठा है,रास्ट झूठा हैधर्म झूठा है। आप झूठ के लाक्षागृह से निकल जाओ मोदी जी। आपका तो कमरास्ट का ज्यादा भला होगा।

 

सादर
आपका

प्रेमकुमार मणि


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#Shut Down JNU #Shut Down Jadavpur University যাদবপুরের বেয়াড়া বাচ্চাগুলান নিকেশ না করা অব্দি বাংলার জল বাতাসে বিষ ঢালো,কল্কি মহারাজের রায়

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#Shut Down JNU #Shut Down Jadavpur University

যাদবপুরের বেয়াড়া বাচ্চাগুলান নিকেশ না করা অব্দি বাংলার জল বাতাসে বিষ ঢালো,কল্কি মহারাজের রায়

পলাশ বিশ্বাস

সাক্ষাত সম্রাট অশোক বংশ ধ্বংস করে বৌদ্ধময় ভারতবর্ষকে যে পুষ্যমিত্র সুঙ মনুস্মৃতি চালূ কইরাছিলেন এবং যাহার মহিমামন্ডনে মহাকাব্য,পূরাণ ইত্যাদি রচনা হইল,তাহার আবার পুন্রজন্ম হইয়াচে কল্কি মহারাজ অবতারে।


জেএনউর আসল কেস্সা হরিকথা অনন্তের আদানি অম্বানী মুনাফা উসুল রাজকার্যের থেকে ভিন্ন নহে।


কোনো এক যোগী বিশুদ্ধতা ও আযুর্বেদের নামে ভারতের তামাম ব্রান্ডকে রাজ সহযোগে ডাস্টবিনে ফেলাউয়া কনজুমার বাজার দখল কইরাছেন।চাল তেল আটা ঘী মাখন সাবান থেকে নিয়া ওষুধ এবং এমনকি কস্মেটিক ফেয়ারনেস ইন্ডাস্ট্রিতেও এহন তেনারই আধিপাত্য।


এহন খবর হইল সেই যোগী মহারাজ কল্কি মহারাজের প্রোমোশানে সংরক্ষণে সরকারি খরচে আম জনতার পযসায় হাভার্ড বিশ্ববিদ্যালয়ের পদানুসরণে দেশ ভক্ত স্বযংসেবক তৈরি করার লক্ষ্যে একটি গ্লোবাল বিশ্ববিদ্যালয় ভারতের রাজধানীতে তৈরি করতাছেন।


অতএব  #Shut Down JNU

জেএনউ মিছিলের মুখ দেখলে মনে হইবে মাতৃতান্ত্রিক গণ আন্দোলন।জেএনউতে ভারতবর্ষের যে কোনো বিশ্ববিদ্যালয় থেকে ছাত্রী সংখ্যা অনের বেশি।বেনারস বিশ্ববিদ্যালয়ে ও ছাত্রী সংখ্যা অন্যান্য বিশ্ববিদ্যালয় থেইকা বেশি।


তবে জেএনউতে ছাত্রীদের সংখ্যা হয়ত ছাত্রদের তুলনায় দ্বিগুণ,মোট বাহাত্তর শতাংশ।


আইআইটি বা আইআইএমে দলিত ওবিসি ও আদিবাসী ছাত্রদের সংখ্যা রিজার্বেশান সত্বেও হাতে গোণা।দেশের সমস্ত বিশ্ববিদ্যালয়ের তুলনায় জেএনউতে ওবিসি দলিত ও আদিবাসী ছাত্রদের অনুপাতও বেশি।


দিল্লীতে যাদের পিটিয়ে মারা হয়,পূর্বোত্তর ভারতের ছাত্র ছাত্রী,দন্ডকারণ্য,দ্বীপসমুহ ও হিমালয়ের ছাত্রেরা,পূর্ব ভারতেও উপেক্ষিত বিহার,অসম এবং উড়ীষ্যার ছাত্র ছাত্রীরাও জেএনউতে অনেকি বেশি।


অতএব  #Shut Down JNU এর প্রকৃত তাত্পর্য্য মহিলা,ওবিসি,দলিত ও আদিবাসী ছাত্রদের শিক্ষার অধিকার হইতে বন্চিত করার মনুস্মৃতি বিধান।মনুস্মৃতি মোতাবেক কোনো পবিত্র অনুষ্ঠানে বৈদিকী কর্মকান্ডে,মন্ত্রপাঠে অধিকার থেকে মহিলা,ওবিসি,দলিত ও আদিবাসীর অধিকার নিষিদ্ধ।


বৌদ্ধময় ভারত ধ্বংস করে,সম্রাট অশোকের বংশ নিকেশ করে এই পুষ্যমিত্র সুঙই মনুস্মৃতি বিধান চালু কইরাছিলেন,জ্ঞানের অধিকার থেকে বন্চনার এই মনুস্মৃতি বিধানই এহন মেকিং ইন মুনাফাউসিলি ফর সুখিলালা টু কিল মাদার ইন্ডিযা এন্ড হার সানস এন্ড ডটার্স।


মনুস্মৃতি বিধানই যে মূল হিন্দুত্ব এজেন্ডা তাহারই পরিণাম


 #Shut Down Jadavpur University



যাদবপুরের বেয়াঢ়া বাচ্চাগুলান নিকেশ না করা অব্দি বাংলার জল বাতাসে বিষ ঢালো,কল্কি মহারাজের রায়।



যেহেতু যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালের পঠন পাঠন ঐতিহ্য অন্যান্য বিশ্ববিদ্যালয় থেকে ভিন্ন এবং আধুনিক জ্ঞান বিজ্ঞানে এখানকার ছাত্র ছাত্রীরা জেএনউ থেকে পিছিয়ে নেই,যেহেতু জেএনউর মতই যাদবপুরেও ছাত্রীদের বিরুদ্ধে জেন্ডার বায়াস নেই বলতেই চলে এবং জেএনউর মতই যাদবপুরেও ছাত্রীরাই যাদবপুর বিশ্ববিদ্যালযের মুখ, তাই দেশদ্রোহিতার অভিযোগে জেএনউর মতই #Shut Down JNU পরপর  #Shut Down Jadavpur University


যেমন #RSS counts condomes,তেমনিই বাংলাতেও প্রতিবাদী স্বাধীনচেতা ছাত্রীকে কন্যাশ্রীর বাংলায় জ্যান্ত পুড়িযে মারার হুমকি বার বার বারম্বার।


রাজনীতিতে সব মন্চে সবার অভিনয় সেই মনুস্মৃতিরই বাচাল আবেগ সর্বস্ব প্রোমোশান।


আজ সকালের কাগজ যাহারা পড়ন নাই তাহারা দেখুনঃ




The absolute Monarch created the mess!He ordered to kill the universities!
What is the urgency of yet another Ram Mandir somewhere else while the Parliament is reduced to a religious place.They might worship God Ram Lala in the Parliament?

  • যাদবপুর নিয়ে কেশরীর কাছে ক্ষোভ মোদীর!
  • জনগণমন ম্লান করে সংসদে 'জয় শ্রীরাম'ধ্বনি

    24 Feb 2016, 0837 hrs IST,
    • জনগণমন ম্লান করে সংসদে 'জয় শ্রীরাম'ধ্বনি
    জাতীয় সঙ্গীত শেষ হতেই, আরও জোরে রব উঠল, 'ভারতমাতা কি জয়৷'অন্য সময়ে দিনের শুরুতে লোকসভায় '...
    It is Kalijug in accordance to the holy scripts of Hindutva and the Kalki Avtar has emerged with landslide mandate.We have made him the monarch of the destiny.

    Since Rohit`s institutional killing,the masses have been seeing the faces of the killers in open daylight.But it is all the way a fascist time in which our nation is subjected to ethnic cleansing under Manusmriti Discipline.We recognize the Manusmriti.

    But we failed to frame the Absolute Monarch who has an world famous reputation for his unprecedented expertise for genocide culture.

    He is branded for fashion statement worldwide so that no one should see the blood on his face and hands which he might not wash with all the oceans.

    The Monarch visited Kolkata recently to inject blid religous nationalim in this part of the country.Media reports that he interacted with the governor in extreme anger as the students of Jadavpur university has been spared and Jadavpur has not become JNU!

    The Monarch ordered his party men to behave as the  Kesria lawyers have showcased their Swaraj Ramrajya in Delhi.The party has indulged in hate campaign accordingly and the children in Jadavpur university have to face the sedition trial sooner or later.

    In democracy,the head of the government is responsible for governance as rule of law.

    It is not a democracy anymore and we have no freedom,no right and reduced to pet subject.Thus,no one else is responsible.
    We have tasted his diplomacy in Nepal.

    His war cry has shifted the middleeast warzone right into our heart and his regime is reduced to Mandal V/S Kamandal as Bharat is Mahabharat yet again and we citizens stand Nimitt Matra to be killed sooner of later.Thus,we have allowed him to kill our children first.It is all about his business friendly governance!

    We have our crusaders and others have their crusaders.
    Every action is answered with reaction.

    Thus,the Hindutva agenda has created a Jihad against Bangladesh Hindus who are unwanted in India and they are destined to bear the burns of Hindutva as those who crossed the border during partition holocaust have been bearing.

    The Parliament has become the Bhavya Rama Mandir as we witnessed live telecast of Jai Shri Ram in the parliamnet.

    What is the urgency of yet another Ram Mandir somewhere else while the Parliament is reduced to a religious place.They might worship God Ram Lala in the Parliament.


    P



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Bengal becomes the phoenix and rises from the dust,united rock solid to defend Indian Children crying equality and justice!Rest of India has to follow suit!

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#Resist Shutter Down Democracy #Resist Absolute  Monarchy of Fascism#Save children #Save Universities#Stand for the unity of Working masses breaking caste and religious barrier#Save India and integrity of India#Resist partition and holocaust invoked by RSS#Resist those poisonous worms who eat the heart and mind,humanity and nature!


Bengal becomes the phoenix and rises from the dust,united rock solid to defend Indian Children crying equality and justice!Rest of India has to follow suit!

Prof. Sugata Bose speaks on the Motion of Thanks on the .

visit:..http://letmespeakhuman.blogspot.in/

Video for sugata bose speech▶ 11:34

https://www.youtube.com/watch?v=ClrK_UMC_mA

Jun 11, 2014 - Uploaded by AITCofficial

Sugata Bose speaks on the Motion of Thanks on the President's ... Narendra Modi 1st Speech in Lok Sabha ...

Sugata Bose speaks in LS on a discussion about the current ...

Video for sugata bose speech▶ 20:00

https://www.youtube.com/watch?v=VcqtrFgWZPY

20 hours ago - Uploaded by AITCofficial

Sugata Bose speaks in LS on a discussion about the current ...Sugata Bose speaks in Lok Sabha on the ...

Sugata Bose speaks in Lok Sabha on the intolerance ...

Video for sugata bose speech▶ 13:03

https://www.youtube.com/watch?v=_RXb1DyZotE

Dec 1, 2015 - Uploaded by AITCofficial

Sugata Bose speaks in Lok Sabha on the intolerance debate ... Smt. Kirron Anupam Kher speech in Lok ...


Palash Biswas

অবশেষে জেএনইউ-কাণ্ড নিয়ে সরব হল মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের দল! লোকসভায় বিষয়টি নিয়ে বিতর্কে অংশ নিয়ে তৃণমূল সাংসদ সুগত বসু দেশের ঐতিহাসিক প্রেক্ষিত বর্ণনা করে চাঁছাছোলা ভাষায় অভিযোগ তুললেন মোদী সরকারের বিরুদ্ধে। তাঁর বক্তব্য, ''স্বনিযুক্ত দেশপ্রেমীদের খবরদারির নিন্দা করছি। এর ফলে আতঙ্কের পরিবেশ তৈরি হচ্ছে। আমি মনে করি ছাত্র, শিক্ষক, বিশ্ববিদ্যালয়ের কর্মী, সকলের অধিকার রয়েছে নিজের মতামত নির্ভয়ে ব্যক্ত করার। যদি সেই মতামত সরকারের রাজনৈতিক অবস্থানের বিরুদ্ধে যায়, তবুও। দেশদ্রোহীর ভূত খোঁজা এবং লজ্জাজনক ভাবে বিশ্ববিদ্যালয়ের ছাত্রদের বলির পাঁঠা বানানো বন্ধ করুক সরকার!''এখানেই না থেমে ইতিহাসের অধ্যাপক সুগতবাবু আরও বলেছেন, ''সন্দেহজনক, জোর করে বানানো কিছু তথ্যপ্রমাণের ভিত্তিতে ছাত্রসমাজের বিরুদ্ধে কোনও ব্যবস্থা নেওয়া চলে না।''

নীরবতা ভাঙতে সংসদই মঞ্চ সুগতের

Thanks Anand Bazar Patrika!

Rohith Vemula got a Mother in Blue Sari after death!Let her soul get peace!Had he knew that there is some mother India ,he perhaps would not committed suicide without any cause as Manusmriti teried to prove!


Dead Rohith could be Alive if students were not to resist Manusmriti regime!


Excellent performance!


Reference:#Shut DOWN JNU #Shut DOWN Jadavpur University#Burn Alive our daughters#RSS counts condoms#Shutter DOWN Democracy#Shut DOWN All Universities to revive Manusmriti Rule,complete denial of right to education#AYURVEDIC HAVARD Central Universities to replace all universities


My Guruji Tara Chandra Tripathi from Nainital still teaches us the lessons of history.You also may join his class on Hastakshep:

इतिहास और सच की भूमिका

हस्तक्षेप | 2016/02/23 | धर्म - मज़हब, हस्तक्षेप |



Misinterpretation of myths all on the name of history,religion,caste,identity,nationalism is the root of disintegration,he warns!


He explains the fall of Maurya and Gupta Empires in India,demise of Buddhism,unity status during Mughal regime and British India and shows us how we disintegrate time and again in every century break!


Guruji warns that we celebrate 69th year of Independence and it is RED Alarm again!


We should be united rock solid to defend India`s independence!Bengal leads to make the way ahead amidst the regime of darkness!


Bengal becomes the phoenix and rises from the dust,united rock solid to defend Indian Children crying equality and justice!Rest of India has to follow suit!



Guruji explains how glorification of Monarchs,landlords and killers ends in ethnic cleansing creating blind nationalism!


Rohit Vemula did never knew that he had a mother in Manusmriti in Blue Sari!Had he know it I am sure that he would not have committed suicide!


It has been a super performance of soap opera which is sure to overwhelm the conscience of the nation injected with high voltage extreme Nationalism!The lady overtakes the Monarch!


Only Manusmriti might know how the dead man might be saved as she cried for humanity that students continued the protest to delay the medical care!


Knowingly or quite unknown in an impulsive outburst,the Manusmriti cried Bharat Mata time and again,invoked Goddess Durga and waged a war against the Asuras shedding crocodile tears for the dalits!Enough!


Medical care after death!


You may join his class on Hastakshep!

#Resist Shutter Down Democracy

#Resist Absolute  Monarchy of Fascism

#Save children

#Save Universities

#Stand for the unity of Working masses breaking caste and religious barrier

#Save India and integrity of India

#Resist partition and holcaust invoked by RSS

#Resist those poisonous worms who eat the heart and mind,humanity and nature!


Bengal stands for JNU united Rock solid!

bengal stands for Jadavpur University Rock Solid!

bengal stands for Democracy united rock solid!

Bengal stand for our children countrywide and those institutions where they study,United Rock solid!

Bengal stands for the autonomy of all universities!

Bengal stands for the cry to annihilate caste!

Bengal stands united for CRY FREEDOM!

Bengal stands for CRY Justice!

Bengal stands for Cry Equality!

Bengal stands for Pluralism!Tolerance!

Monarchy and Manusmriti together might not Provoke bengal for yetanother direct action all on the name of Goddess Durga.


Dr,Sugato Bose invoked the Bengali nationalism merged in Indian Nationalism and all Indian great Icons from Bengal to defend the idea of India!


Media reports:Many speakers on the first day of the budget session of the Parliament talked about the prevailing education system in Indian universities. While Smriti Irani, Jyotiraditya Scindia and Owaisi's speeches were high on political rhetoric, TMC MP from Jadavpur Sugata Bose touched a chord with his scholarly oration.


While he also toed the line of his party, he spoke in such an erudite manner that it impressed many people. Even those who are generally opposed to TMC praised the speech.

Meanwhile Bengal continues the protest march on Streets and Jadavpur University represents the Bharat Tirth as Every other Bengali connects with Jadavpur,visits Jadavpur and protest the Monarch`s fatwa #Shut DOWN JNU #Shut Down Jadavpur # Shut Down All Universities for Manusmriti Regime

Those who might not visit the university,have expressed their solidarity.


The Monarch and Manusmriti could Not Invoke Goddeess Durga waging war against Asuras but provoked a few reptiles and worm who intend to eat the blood,flesh and bones of Humanity and Nature!

We never count inhuman elements in democracy!

Democracy must be Human!

Nationalism might not be inhuman!

Excerpts from land mark SUGATO Bose speech:

"Rohith's tragedy should have stirred our collective conscience, including that of our government. Unfortunately, we have a heartless government. That refuses to listen to the cries of despair coming from the marginalised sections of our society. Instead of assuring social justice to all, the ruling party wishes to use the unrest in our universities to claim a monopoly on nationalism, and tar all of their critics with the brush of anti-nationalism. I am not a communist.. but I stand today in support of the right to freedom of expression by young students who may be inspired by Marx as well as Ambedkar. Madam Speaker, I am a nationalist… I believe in a kind of nationalism that instils a spirit of selfless service in our people and inspires their creative efforts… I deplore the kind of nationalism espoused by the members of the treasury benches that I find narrow, selfish and arrogant."

Thus,Bengal becomes the phoenix and rises from the dust,united rock solid to defend Indian Children crying equality and justice!Rest of India has to follow suit!






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Railway Budget -- Disappointing

Next: TaraChandra Tripathi · विचार के दुश्मन बुद्धि से लठैत देश को अराजकता के गर्त में धकेल देंगे. आपका मौन देश के लिए घातक सिद्ध होगा मोदी जी. इस्लामिक स्टेट की तर्ज पर हिन्दू स्टेट उभरता दिख रहा.दिल्ली में वकील और बंगलूर में भगुआ उत्पात में मुस्लिम पुलिस कर्मी को थाने से घसीट कर अधमरा करना. क्या यही आपके वादे के अच्छे .दिन हैँ ? सारी बीमारी की जड़ वह नाम है जो हमें विदेशी अक्रांताओं ने दिया है. वह नाम है हिन्दू . हमारे पूर्वजों ने तो हमें 'भारती'नाम दिया था . उन्होने दुनिया को अपना परिचय देते हुए कहा था : उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रिश्चैव दक्षिणं वर्षम तद्भारतं नामा भारती यत्र संतति
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Press Statement



The Polit Bureau of the Communist Party of India (Marxist) has issued the
following statement:



Despite delivering probably the longest railway budget speech the budgetary
proposals do not evoke any sense of well being in the Indian railways.
Having hiked the passenger and freight charges several times prior to the
budget, it was only natural that further hikes in the budget were not
announced. The people of India were hoping that the budget will address the
issue of expanding railway connectivity and take substantive measures for
improving passenger amenities. On both these counts the budget was very
disappointing.



Most importantly, given the alarming rise in rail accidents it was hoped
that better measures for ensuring safety standards and financial allocations
for enhancing safety measures would be taken up. Unfortunately, the budget
does not generate any greater confidence amongst the Indian people for whom
the railways constitute the most important link in the country's
connectivity and therefore its unity.



The most worrisome aspect of the budget concerns the financial health of the
railways. Last year's performance has been much below the anticipated
earnings by the railways. Both freight and passenger earnings have
significantly dropped and the gap between the budgetary estimates and the
revised estimates of railway revenue is around a massive Rs. 17,000 crores.
Further, the railways require around Rs. 32,000 crores to fulfill the
obligations and recommendations of the 7th Pay Commission. This means that
the railways are starting the financial year with a shortfall of nearly Rs.
50,000 crores. This shortfall, the railway minister hopes, will be bridged
and surplus funds would be available for improving the railways through a
massive dose of public-private partnership and the selling of the assets
currently held by the Indian railways. The PPP model has globally proved to
be a failure in improving the railways all across the world. Selling assets
is like selling family silver to meet the day to day expenditure. This makes
neither economic nor common sense.



Consequently, the grandiose projects announced by the railway minister, will
in all probability, remain on paper like most of the earlier announcements
made during the recent years.



Another disturbing aspect is that there is very little in the budget for
protecting, leave aside improving the welfare of the railway workers. The
railway minister praised the railway workers as the mainstay of the Indian
Railways. This however appears mere lip service. Most of the services have
already been privatized and the remaining few are also to enter the PPP
mode. The workers discharging these services do not have any protection and
in some cases are not even paid the stipulated minimum wages. This does not
augur well for the future health of the Indian railways.



The CPI(M) has all along demanded that the Indian Railways must maintain its
role in providing better services to the people as its foremost objective
and not be reduced into a mere accounting exercise balancing its revenues
and expenditures. We will have to wait for the general budget to see if
there is any significant improvement in the budgetary support for the
railways. Given the fiscal constraints and the overall economic slowdown in
the Indian economy under this BJP government this however will not be
forthcoming.



The consequent increased burdens on the people, the privatization of its
assets and the abdication of the responsibility towards its workforce
together mounts a further attack on the Indian people, who are crying for
relief.













(Hari Singh Kang)

For Central Committee Office 


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TaraChandra Tripathi · विचार के दुश्मन बुद्धि से लठैत देश को अराजकता के गर्त में धकेल देंगे. आपका मौन देश के लिए घातक सिद्ध होगा मोदी जी. इस्लामिक स्टेट की तर्ज पर हिन्दू स्टेट उभरता दिख रहा.दिल्ली में वकील और बंगलूर में भगुआ उत्पात में मुस्लिम पुलिस कर्मी को थाने से घसीट कर अधमरा करना. क्या यही आपके वादे के अच्छे .दिन हैँ ? सारी बीमारी की जड़ वह नाम है जो हमें विदेशी अक्रांताओं ने दिया है. वह नाम है हिन्दू . हमारे पूर्वजों ने तो हमें 'भारती'नाम दिया था . उन्होने दुनिया को अपना परिचय देते हुए कहा था : उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रिश्चैव दक्षिणं वर्षम तद्भारतं नामा भारती यत्र संतति

Next: .एड्स से अधिक ख़तरनाक अराजनैतिकों का राजनीति करना ...... मेरी चिंता jnu की लड़कियों से अधिक विधायक ज्ञानदेव आहूजा के घर की लड़कियां हैं और साथ ही उस प्रांत की लड़कियां जहां वे विधायकी चलाते हैं। ऐसा संभव है कि वे या तो अपने यहाँ की लड़कियों को पढ़ने नहीं देते होंगे और जो लड़कियां कॉलेज जाती होंगी उनका वे दिनभर टेस्ट ही करवाते होंगे. जो बेचारा कॉलेज पूरा भी न कर सका हो उसके प्रति चिंता अधिक जरूरी है. इस सरकार में एक रस्म सी चली है कि जो मूर्ख होंगे वही ज्ञान की परिभाषा तय करेंगे। स्मृति ईरानी जैसे देश को जाने वगैर(शिक्षा के क्षेत्र में तो पहले से ही हाथ तंग है) राष्ट्रीय स्तर पर मूर्खता पूर्ण विज्ञापन कर रही हैं ठीक उसी प्रकार भक्त भी लगे हैं. जबकि कहते-बोलते वक़्त उनके विश्वास को देखा जा सकता है... किसी ने सच ही कहा है कि उच्च स्तरीय विश्वास देखना हो तो मूर्खों में देखो। यहाँ जरूरी है मुक्तिबोध को याद करना वो लेखन के संदर्भ में कहते हैं कि-- मूर्ख ईमानदार बहुत ख़तरनाक होता है। वह जो भी कहता-लिखता है, उसे विश्वास होता है कि वही सही है। ईरानी जी jnu को नहीं बर्दाश्त करने के क्रम में सबसे अधिक व
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सारी बीमारी की जड़ वह नाम है जो हमें विदेशी अक्रांताओं ने दिया है. वह नाम है हिन्दू . हमारे पूर्वजों ने तो हमें ' भारती' नाम दिया था . उन्होने दुनिया को अपना परिचय देते हुए कहा था :
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रिश्चैव दक्षिणं 
वर्षम तद्भारतं नामा भारती यत्र संतति

उन्माद गर्त में धकेल देता है. मोदी के आने के बाद हिन्दुओं में राजनीतिक उन्माद का बढ़ना भारतीय इतिहास की वह नियति है जो हर बार इसकी एकता को 90 साल से अधिक जिन्दा नहीं रहने देती .सावधान ! स्वाधीन भारत 69 साल का हो चुका है.

विचार के दुश्मन बुद्धि से लठैत देश को अराजकता के गर्त में धकेल देंगे. आपका मौन देश के लिए घातक सिद्ध होगा मोदी जी. इस्लामिक स्टेट की तर्ज पर हिन्दू स्टेट उभरता दिख रहा.दिल्ली में वकील और बंगलूर में भगुआ उत्पात में मुस्लिम पुलिस कर्मी को थाने से घसीट कर अधमरा करना. क्या यही आपके वादे के अच्छे .दिन हैँ ?
मेरी संस्कृति वह संस्कृति है जो पठान को भी रसखान बना देती है. कुतुबन, मंझन,जायसी, उसमान और शेख नबी को भी हिन्दुओं की प्रेम गाथाओं में तन्मय कर देता है, नबाब मुहम्मद शाह रंगीले को भी होलियों में छैला बना देता है. ज़िसमें पीर और औलिया सांझी विरासत बन जाते हैँ. मेरा आदर्श अमीर खुसरो है. न वह हिन्दू है न मुसलमान वह मौला है, मस्तमौला. आपके और मेरे बचपन में जो मनिहार, जिसे कलुवा कहा जाता था, हमारी माताओं बहिनों को चूडी पहनाता था ,ज़िससे से हमारी भाभिय़ां ठिठोली भी करती थीं, कभी किसी को उसके मजहब को जानने की इच्छा हुई.मेरे सपनों का भारत वही है. जिसे वोट बैंक की राजनीति ने उजाड़ दिया हैँ .

मैं हिन्दू नहीं हूँ. मैं पहले मानव हूँ और उसके बाद भारतीय. मेरे लिए मेरी संस्कृति सब को गले लगाने वाली संस्कृति है.

Madan Pande मोदी को उन्मादी की संज्ञा देना कतई स्वीकार्य नही हे। मोदी के आने के बाद सही मायने में हिंदुत्व जो विलुप्त सा हो ने जा रहा था, वह प्रकाशमान हो ने लगा हे। इस सत्य को स्वीकार करे।
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TaraChandra Tripathi
TaraChandra Tripathi उन्मादी शब्द मोदी के लिए नहीं है. वह अपने आप को कानून से भी ऊपर समझने वाले लोगों के लिए है जो अपने आप को हिन्दुत्व का झंडा बरदार समझ बैठे हैँ. मोदी से नाराजी तो इस बात से कि जब उसके चेले विचारकों या भिन्न विचार वाले लोगों की हत्या और उत्पीड़न करते हैं तो वह चुप चाप तमाशा क्यों देखता रहता है.
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TaraChandra Tripathi
TaraChandra Tripathi हिन्दुत्व क्या है बता सकते हो


Jagmohan Rautela यही तो नई देशभक्ति है .
Yogesh Bahuguna
Yogesh Bahuguna इतनी भयावह स्थित पहली बार देखने मे आ रही है जब स्थिति को नियंत्रित करने मे सेना भी अपने को असहाय पा रही है
Jagmohan Rautela
Jagmohan Rautela सेना को तो असहाय किया गया . जो बहुत ही खतरनाक स्थिति है .
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.एड्स से अधिक ख़तरनाक अराजनैतिकों का राजनीति करना ...... मेरी चिंता jnu की लड़कियों से अधिक विधायक ज्ञानदेव आहूजा के घर की लड़कियां हैं और साथ ही उस प्रांत की लड़कियां जहां वे विधायकी चलाते हैं। ऐसा संभव है कि वे या तो अपने यहाँ की लड़कियों को पढ़ने नहीं देते होंगे और जो लड़कियां कॉलेज जाती होंगी उनका वे दिनभर टेस्ट ही करवाते होंगे. जो बेचारा कॉलेज पूरा भी न कर सका हो उसके प्रति चिंता अधिक जरूरी है. इस सरकार में एक रस्म सी चली है कि जो मूर्ख होंगे वही ज्ञान की परिभाषा तय करेंगे। स्मृति ईरानी जैसे देश को जाने वगैर(शिक्षा के क्षेत्र में तो पहले से ही हाथ तंग है) राष्ट्रीय स्तर पर मूर्खता पूर्ण विज्ञापन कर रही हैं ठीक उसी प्रकार भक्त भी लगे हैं. जबकि कहते-बोलते वक़्त उनके विश्वास को देखा जा सकता है... किसी ने सच ही कहा है कि उच्च स्तरीय विश्वास देखना हो तो मूर्खों में देखो। यहाँ जरूरी है मुक्तिबोध को याद करना वो लेखन के संदर्भ में कहते हैं कि-- मूर्ख ईमानदार बहुत ख़तरनाक होता है। वह जो भी कहता-लिखता है, उसे विश्वास होता है कि वही सही है। ईरानी जी jnu को नहीं बर्दाश्त करने के क्रम में सबसे अधिक व

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...एड्स से अधिक ख़तरनाक अराजनैतिकों का राजनीति करना ......
मेरी चिंता jnu की लड़कियों से अधिक विधायक ज्ञानदेव आहूजा के घर की लड़कियां हैं और साथ ही उस प्रांत की लड़कियां जहां वे विधायकी चलाते हैं। ऐसा संभव है कि वे या तो अपने यहाँ की लड़कियों को पढ़ने नहीं देते होंगे और जो लड़कियां कॉलेज जाती होंगी उनका वे दिनभर टेस्ट ही करवाते होंगे. जो बेचारा कॉलेज पूरा भी न कर सका हो उसके प्रति चिंता अधिक जरूरी है. इस सरकार में एक रस्म सी चली है कि जो मूर्ख होंगे वही ज्ञान की परिभाषा तय करेंगे। स्मृति ईरानी जैसे देश को जाने वगैर(शिक्षा के क्षेत्र में तो पहले से ही हाथ तंग है) राष्ट्रीय स्तर पर मूर्खता पूर्ण विज्ञापन कर रही हैं ठीक उसी प्रकार भक्त भी लगे हैं. जबकि कहते-बोलते वक़्त उनके विश्वास को देखा जा सकता है... किसी ने सच ही कहा है कि उच्च स्तरीय विश्वास देखना हो तो मूर्खों में देखो। यहाँ जरूरी है मुक्तिबोध को याद करना वो लेखन के संदर्भ में कहते हैं कि-- मूर्ख ईमानदार बहुत ख़तरनाक होता है। वह जो भी कहता-लिखता है, उसे विश्वास होता है कि वही सही है। ईरानी जी jnu को नहीं बर्दाश्त करने के क्रम में सबसे अधिक विश्वास से जो बात उठती हैं वह है--- महिषासुर की पूजा..... अब उन्हें कितनी बातें पढ़ाई जाय... खैर इससे एक बात तो साबित होता है कि पढ़ाई की उम्र में पढ़ाई ही करनी चाहिए, बालाजी नहीं.... इससे आगे इतिहास और मिथक के बीच फर्क जैसे मसलों पर बात करने की इजाजत तो मैं समझता हूँ कि इस घनघोर मूर्ख-पंचवर्षीय योजना में बिलकुल भी नहीं है।ऐसे में राष्ट्रवाद के कान्सैप्ट पर कौन बात करेगा उनसे, मुंह नहीं तोड़ देंगी मोहतरमा।यह अपने आप में कम चौंकाने वाला मसला नहीं कि जो लोग अपने जीवन में कॉलेज देख नहीं पाये वो jnu को तोड़ने की बात करते हैं.... और उन्हें लगभग सफलता भी मिलती है... खैर यह बुरा वक़्त है टल जाएगा, लेकिन जो टलेगा नहीं वह है बीजेपी द्वारा abvp नामक नस्ल को ठीक अपने जैसा मूर्ख बनाकर बर्बाद करना। इस देश का भविष्य बड़े विध्वंस की प्रतीक्षा कर रहा है जिसकी शुरुआत शायद हो चुकी है।
''तेरा कौन मददगार होगा आलम
तूने मूर्खों को मुहब्बत अदा की है...''

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जाट आंदोलन के दौरान सोनीपत के मुरथल में 10 महिला यात्रियों के साथ गैंग रेप की घटना के मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शेम फुल, वैरी शेम फुल फॉर गवर्नमेंट-हरियाणा में महिलाएं घर से निकलने में डर रहीं हैं

Next: Anil Tarkik February 26 at 5:39am 1:- तीनों-गुंडेसंघी-वकीलों पर रासुका लगे और तीनों को गैंगेस्टर व गुंडा-एक्ट के तहत् निरुद्ध करके करके जेल भेजा जाना चाहिये!:---Atk 2:-मुझे स्टैम्प व ओटोग्राफ कलेक्शन का तो ज्ञान था किंतु एक नयी जानकारी मिली कि #RSS / #AVBP संघपरिवारी कंडोम-कलेक्शन का शौक रखते हंै वो भी #यूस्डकंडोम? छीः घिन आती है! मेरी सलाह है कि हर कालोनी-मोहल्ले व हास्टल में एक-एक डस्टविन रखवा दे, The डस्टविन आफ कंडोम-कलेक्शन आनली फार संघपरिवार! कलेक्शन तथा पर-डे यूस्डकंडोम सर्वे में असानी होगी!:---Atk 3:-संघी-सरकार से पता चला था कि देशद्रोह-षडयंत्र(तथाकथित) में 800 काल देश-विदेश में किये गये, आश्चर्य कि बात है सोंचें कि इतना बडा षडयंत्र है तो काल के आधार पर अब तक एक भी छापा और गिरफतारी न हुई न ही कोई नाम खुला, ऐसा क्यों व कैसे?:---Atk 4:-#मनुस्मृतिइरानी कहतीं है किं एक छात्र की मौत पर राजनीति हो रही है, मैं याद दिलाता हूं यह हत्या की मौत है #मनुकीस्मृतिजी,जब #RohitVemula के हत्यारे सत्ताधारी-राजनीतिज्ञ मंत्री हों तो उन्हें दण्ड दिलाने हेतु होती राजनीति ही नैतिक-न्यायमय संविधानसुरक
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जाट आंदोलन के दौरान सोनीपत के मुरथल में 10 महिला यात्रियों के साथ गैंग रेप की घटना के मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

शेम फुल, वैरी शेम फुल फॉर गवर्नमेंट-हरियाणा में महिलाएं घर से निकलने में डर रहीं हैं


चंडीगढ़।जाट आंदोलन के दौरान सोनीपत के मुरथल में 10 महिला यात्रियों के साथ गैंग रेप की घटना के मामले में हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
जानिए क्या कहा कोर्ट ने
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- जैसे ही मामला सुनवाई के लिए खंडपीठ के सामने आया तो जज ने कहा 'शेम फुल, वैरी शेम फुल फॉर गवर्नमेंट'।
- इसके साथ ही खंडपीठ ने हरियाणा को नोटिस जारी करके पूरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट 29 फरवरी तक देने को कहा है।
- इसमें भी डीजीपी और एसीएस होम से अलग जांच रिपोर्ट मांगी है।
- हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि हालांकि ऐसे मामलों की संख्या के बारे में अभी पता नहीं है और न ही इस बारे में किसी की शिकायत मिली है।
- कोई शिकायत सामने आती है तो सीबीआई जांच के आदेश देना भी कोर्ट की परिधि से बाहर नहीं है।
घटना की पुष्टि अब तक नही
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इससे पहले हाईकोर्ट के जज एन. के. सांघी ने मीडिया में अाई खबरों पर चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर स्वयं मोटो कॉग्नीजेंस लेने का आग्रह किया था। मामले की सुनवाई गुरुवार को जस्टिस एस.के. मित्तल और एन.के. सांघी की कोर्ट में हुई। कोर्ट में सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल बी.आर. महाजन पेश हुए। जब कोर्ट ने शेम फुल की टिप्पणी की तो एजी ने कहा कि इस तरह की कोई घटना अभी सामने नहीं आई है। प्रशासन के आला अधिकारियों और महिला आयोग की टीम ने भी घटनास्थल और आसपास के इलाकों का दौरा किया है। गांव के लोगों से बात की है, लेकिन किसी ने भी घटना की पुष्टि नहीं की है।
कोर्ट ने कहा- हरियाणा में महिलाएं घर से निकलने में डर रहीं हैं
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कोर्ट ने कहा कि समाचार पत्र के माध्यम से यह घटना सामने आई है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पीडि़तों की मदद करने के बजाय उन्हें वहां से जाने के लिए कह रहे थे। यह शर्मनाक है। ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो लोगों का न्याय व्यवस्था से विश्वास ही उठ जाएगा। जस्टिस मित्तल ने कहा कि आज हालात ऐसे लग रहे हैं कि हरियाणा में मां-बहनें और अन्य लोग घर से बाहर निकलने में भी डर रहे हैं। पुलिस थानों में जाने से उन्हें डर लग रहा है। प्रदेश की कानून व्यवस्था कहां गुम हो गई है।
चश्मदीद अदालत पहुंचा, सुरक्षा की उठाई मांग
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मामले में सुनवाई के दौरान घटना का चश्मदीद गवाह हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट को बताया कि आई.जी. सोनीपत चश्मदीदों को डरा-धमका रहे हैं, ताकि मामले को ठंडा किया जा सके। ऐसे में उसे सुरक्षा मुहैया करवाई जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने अभी तत्काल सुरक्षा मुहैया करवाने से इंकार करते हुए अपनी शिकायत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कम सीजेएम को देने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई किसी चश्मदीद गवाह को धमका नहीं सकता। कोर्ट के दरवाजे खुले हुए हैं देश की कोर्ट अभी बंद नहीं हुई हैं।
पीड़ित सीधे शिकायत करें, हम देखेंगे
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कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन के दौरान हरियाणा के किसी भी हिस्से में किसी के भी साथ यौन अपराध हुआ है तो वह खुद या अपने रिश्तेदार के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सीजेएम को सीलबंद लिफाफे में शिकायत दे सकता है। ई मेल या किसी अन्य माध्यम से भी शिकायत भेजी जा सकती है। सीजेएम उस शिकायत को थाने में भेजकर तुरंत जांच शुरू करवाएंगे। शिकायतकर्ता की पहचान हर हाल में गोपनीय रखी जाएगी। इनके अलावा जिन लोगों की चल-अचल संपत्ति का नुकसान हुआ है, वे भी सीजेएम को अपनी शिकायत दे सकते हैं।

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Anil Tarkik February 26 at 5:39am 1:- तीनों-गुंडेसंघी-वकीलों पर रासुका लगे और तीनों को गैंगेस्टर व गुंडा-एक्ट के तहत् निरुद्ध करके करके जेल भेजा जाना चाहिये!:---Atk 2:-मुझे स्टैम्प व ओटोग्राफ कलेक्शन का तो ज्ञान था किंतु एक नयी जानकारी मिली कि #RSS / #AVBP संघपरिवारी कंडोम-कलेक्शन का शौक रखते हंै वो भी #यूस्डकंडोम? छीः घिन आती है! मेरी सलाह है कि हर कालोनी-मोहल्ले व हास्टल में एक-एक डस्टविन रखवा दे, The डस्टविन आफ कंडोम-कलेक्शन आनली फार संघपरिवार! कलेक्शन तथा पर-डे यूस्डकंडोम सर्वे में असानी होगी!:---Atk 3:-संघी-सरकार से पता चला था कि देशद्रोह-षडयंत्र(तथाकथित) में 800 काल देश-विदेश में किये गये, आश्चर्य कि बात है सोंचें कि इतना बडा षडयंत्र है तो काल के आधार पर अब तक एक भी छापा और गिरफतारी न हुई न ही कोई नाम खुला, ऐसा क्यों व कैसे?:---Atk 4:-#मनुस्मृतिइरानी कहतीं है किं एक छात्र की मौत पर राजनीति हो रही है, मैं याद दिलाता हूं यह हत्या की मौत है #मनुकीस्मृतिजी,जब #RohitVemula के हत्यारे सत्ताधारी-राजनीतिज्ञ मंत्री हों तो उन्हें दण्ड दिलाने हेतु होती राजनीति ही नैतिक-न्यायमय संविधानसुरक

Next: वे क्या बातें हैं कि #JNU-कांड के मुख्यजांचकर्ता को बीच जांच के हटाकर दूसरा जांचकर्ता लाया गया और सिर्फ हटाया ही नहीं गया बल्कि सजा के तौर पर उन्हें अंडमाननिकोबार भेजा गया है,क्या कारण होगा? क्या #मोदीसरकार/#संघमुख्यालय के शतप्रतिशत हिसाब से जांच नहीं कर रहे थे?:---Atk #कांग्रेस को समझना होगा कि यह अमेरिका नहीं है जो #अभिव्यक्तिकीआजादी और #असहिष्णुता पर सरकार जबाब-देह हो,यह #अराजकदेगाईRSSकीसत्ता में चलती सरकारवाला-देश है! #RSS/ABVP के सघी सब गठ्ठमठ्ठकर रहे है, अतःसंघियों को उन्ही की भाषा में जबाब देना होगा! #पीडीपी(जोअफजलगुरुको शहीदबतातीहै)उससे गठबंधन पर देशभर में प्रदर्शन कर जबाव मांगें,अच्छे-बुरे-नारों का भेद-स्पष्ट करें यानि छात्रों की आवाज दबाने की बात तथा #भारतविरोधीनारे के बीच के अन्तर को फोकसकर हमलावर हों! कन्हैया का भाषण हर #संघविरोधी के पास हो तथा प्रचार हो कि किन-मुदुदे-बिंदुओं को उठाने से संघियों को कष्ट हैं तथा कन्हैया को फंसाया है!:---Atk #मोदीसरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुऐ #राहुलगांधी खुलकर हमलावर हों कि #भारतविरोधीनारे के दोषियों को पकडने से ज्यादा उसकी आड में
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Anil Tarkik
February 26 at 5:39am
 
1:- तीनों-गुंडेसंघी-वकीलों पर रासुका लगे और तीनों को गैंगेस्टर व गुंडा-एक्ट के तहत् निरुद्ध करके करके जेल भेजा जाना चाहिये!:---Atk
2:-मुझे स्टैम्प व ओटोग्राफ कलेक्शन का तो ज्ञान था किंतु एक नयी जानकारी मिली कि #RSS / #AVBP संघपरिवारी कंडोम-कलेक्शन का शौक रखते हंै वो भी #यूस्डकंडोम? छीः घिन आती है! मेरी सलाह है कि हर कालोनी-मोहल्ले व हास्टल में एक-एक डस्टविन रखवा दे, The डस्टविन आफ कंडोम-कलेक्शन आनली फार संघपरिवार! कलेक्शन तथा पर-डे यूस्डकंडोम सर्वे में असानी होगी!:---Atk 
3:-संघी-सरकार से पता चला था कि देशद्रोह-षडयंत्र(तथाकथित) में 800 काल देश-विदेश में किये गये, आश्चर्य कि बात है सोंचें कि इतना बडा षडयंत्र है तो काल के आधार पर अब तक एक भी छापा और गिरफतारी न हुई न ही कोई नाम खुला, ऐसा क्यों व कैसे?:---Atk 
4:-#मनुस्मृतिइरानी कहतीं है किं एक छात्र की मौत पर राजनीति हो रही है, मैं याद दिलाता हूं यह हत्या की मौत है #मनुकीस्मृतिजी,जब #RohitVemula के हत्यारे सत्ताधारी-राजनीतिज्ञ मंत्री हों तो उन्हें दण्ड दिलाने हेतु होती राजनीति ही नैतिक-न्यायमय संविधानसुरक्षा की मांग है!:---Atk

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वे क्या बातें हैं कि #JNU-कांड के मुख्यजांचकर्ता को बीच जांच के हटाकर दूसरा जांचकर्ता लाया गया और सिर्फ हटाया ही नहीं गया बल्कि सजा के तौर पर उन्हें अंडमाननिकोबार भेजा गया है,क्या कारण होगा? क्या #मोदीसरकार/#संघमुख्यालय के शतप्रतिशत हिसाब से जांच नहीं कर रहे थे?:---Atk #कांग्रेस को समझना होगा कि यह अमेरिका नहीं है जो #अभिव्यक्तिकीआजादी और #असहिष्णुता पर सरकार जबाब-देह हो,यह #अराजकदेगाईRSSकीसत्ता में चलती सरकारवाला-देश है! #RSS/ABVP के सघी सब गठ्ठमठ्ठकर रहे है, अतःसंघियों को उन्ही की भाषा में जबाब देना होगा! #पीडीपी(जोअफजलगुरुको शहीदबतातीहै)उससे गठबंधन पर देशभर में प्रदर्शन कर जबाव मांगें,अच्छे-बुरे-नारों का भेद-स्पष्ट करें यानि छात्रों की आवाज दबाने की बात तथा #भारतविरोधीनारे के बीच के अन्तर को फोकसकर हमलावर हों! कन्हैया का भाषण हर #संघविरोधी के पास हो तथा प्रचार हो कि किन-मुदुदे-बिंदुओं को उठाने से संघियों को कष्ट हैं तथा कन्हैया को फंसाया है!:---Atk #मोदीसरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुऐ #राहुलगांधी खुलकर हमलावर हों कि #भारतविरोधीनारे के दोषियों को पकडने से ज्यादा उसकी आड में

Next: भाषण की ताकत इसे कहते हैं | पर भाषण में जो तथ्य दिए गये थे अब उनका सच भी सामने आरहा है | कल राज्यसभा में सांसद जावेद अली खान ने कुछ खुलासे किए | फिर हैदराबाद विश्विद्यालय के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर ने मंत्रीजी के दावे को झूठ साबित कर दिया उसका विडिओ भी उपलब्ध है कल रवीश कुमार के कार्यक्रम में देखा उसे और प्रो. प्रकाश बाबु ने भी कह दिया कि उन्होंने सजा का समर्थन नहीं किया था | तो , भाषण की लीला अद्भुत है | है न ?
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भाषण की ताकत इसे कहते हैं | पर भाषण में जो तथ्य दिए गये थे अब उनका सच भी सामने आरहा है | कल राज्यसभा में सांसद जावेद अली खान ने कुछ खुलासे किए | फिर हैदराबाद विश्विद्यालय के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर ने मंत्रीजी के दावे को झूठ साबित कर दिया उसका विडिओ भी उपलब्ध है कल रवीश कुमार के कार्यक्रम में देखा उसे और प्रो. प्रकाश बाबु ने भी कह दिया कि उन्होंने सजा का समर्थन नहीं किया था | तो , भाषण की लीला अद्भुत है | है न ?

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हम भारतवासी बहुत भावुक होते हैं | हम पर भाषण का बहुत गहरा असर पड़ता है | अरे बाबा भाषण सुन कर , प्रभावित होकर ही तो हम मतदान करते हैं | भाषण के कारण उन्माद में भीड़ बनकर दंगों में कूद पड़ते हैं | किसी को पीट देते हैं | यह सब भाषण की ताकत है | अभी दो दिन पहले लोकसभा में भी एक बढ़िया भाषण हुआ आक्रोश और भावुकता से भरा हुआ भाषण | इतना उत्तेजित और भावपूर्ण भाषण था कि हम भारत के निवासी इतने प्रभावित हुए कि youtube पर 22 लाख लोगों ने उसे सुना | हम सुनते गये और सुनते गये और सुनते हुए हमने एक बार भी यह नहीं सोचा कि चीखकर या आँसू बहाकर कहने से झूठ सच नहीं हो जाता | हैरानी तो इस बात पर हुई कि उस भाषण को सुनने के बाद बड़े -बड़े लोग फेसबुक पर पोस्ट लगाये और कुछ एक ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें खेद है कि उन्होंने फलां मंत्री जी को कभी अनपढ़ कहा था और उसके लिए वे माफ़ी चाहते हैं | 
भाषण की ताकत इसे कहते हैं | पर भाषण में जो तथ्य दिए गये थे अब उनका सच भी सामने आरहा है | कल राज्यसभा में सांसद जावेद अली खान ने कुछ खुलासे किए | फिर हैदराबाद विश्विद्यालय के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर ने मंत्रीजी के दावे को झूठ साबित कर दिया उसका विडिओ भी उपलब्ध है कल रवीश कुमार के कार्यक्रम में देखा उसे और प्रो. प्रकाश बाबु ने भी कह दिया कि उन्होंने सजा का समर्थन नहीं किया था | 
तो , भाषण की लीला अद्भुत है | है न ?

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Bhaskar Upreti इस हिमालय को उठा ले जाओ, हमें हमारा पहाड़ लौटा दो

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Bhaskar Upreti

इस हिमालय को उठा ले जाओ, हमें हमारा पहाड़ लौटा दो

नैनीताल का रामगढ ब्लॉक उत्तराखंड राज्य में निर्माण और तबाही का सबसे बड़ा उदाहरण है. कोई विकास का दीवाना चाहे तो इसे 'उत्तराखंड टाइप का स्वित्ज़रलैंड' कह ले. लेकिन हकीकत ये है कि पूरे उत्तर भारत में अपने आडूओं के लिए ख्यात रहा रामगढ़ अपनी जमीनें खोता जा रहा है. कहीं सलमान खुर्शीद ने 200 नाली जमीन ले ली है तो कहीं महर्षि ने उससे भी अधिक. पूर्व मुख्यमंत्री बी.सी. खंडूड़ी के बेटे का बंगला भी बन रहा है और सतखोल का आधा पहाड़ 'रामचंद्र मिशन' वालों के खाते में है. मल्ला रामगढ़ तो पहले से ही सिंधिया परिवार के कब्जे में है. अभी कुछ दिन पहले शीतला के नीचे तल्ला छतोला में करीब 600 नाली जमीन एक बिल्डर ने खरीदी है. गाँव वाले बताते हैं इसमें 800 कॉटेज बन रहे हैं- जो अरुण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे वी.आई.पीज. के लिए बुक हो चुके हैं. गाँव वालों के विरोध के बावजूद उनकी जमीन से वहां तक सड़क ले जायी गयी है. मशहूर शीतला स्टेट हेरीटेज भवन हरियाणा के एक संभ्रांत परिवार के पास है. प्युडा का डाक बंग्ला कोई पंजाबी सज्जन लीज पर चलाते हैं.
श्यामखेत और गागर बहुत पहले हाथ से चला गया था. पास के ब्लॉक धारी में पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा का परिवार भी एक पूरा पहाड़ कंक्रीट के महलों से सजाये हैं. लगता है यहाँ से हिमालय का दिखना ही यहाँ के लोगों के लिए श्राप बन गया है. तल्ला रामगढ़, नथुआखान, ओड़ाखान, प्युडा, सिनौली, भ्याल गाँव, कफोड़ा, खेरदा, दनकन्या, हरिनगर, बड़ेत, चिन्खान, डेल्कुना, गड्गाँव, द्यारी, शीतला, मौना, ल्वेशाल, सरगाखेत, गगुवाचौड़ में हिमालय-दर्शन और सड़क किनारे की कोई जमीन नहीं बची. नव-उपनिवेश के चरण अब गहना तल्ला, देवद्वार, रीठा, दाड़िम तक भी जा पहुंचे हैं. कदम-कदम पर 'लैंड फॉर सेल' और 'प्लाट फॉर सेल' के होर्डिंग लगे हैं. मानो पूरा ही पहाड़ नीलामी के लिए तैयार कर दिया गया हो. 
विदित हो सम्पूर्ण भारतीय हिमालय में उत्तराखंड ही ऐसा एकमात्र राज्य है, जहाँ कोई भी और कितनी भी जमीन खरीद सकता है. अब ये नए ज़माने के धनिक पहले यहाँ आकर बसे महादेवी वर्मा, अज्ञेय, राहुल सांकृत्यायन जैसे लेखकों और चिंतकों जैसे तो नहीं, जिनका स्थानीय समाज और उसके सरोकारों से नाता बने. इस ज़माने के आगंतुक तो काले धन से भरी थैलियाँ लेकर आते हैं और 100 नाली/ 200 नाली जमीन की मांग करते हैं, जितनी जमीन में पहाड़ का एक तोक बसा होता है. ऐसे लोगों को यहाँ लाते हैं स्थानीय नेता, ठेकेदार और प्रॉपर्टी डीलर- जिनके मुंह पर कमीशन का खून लग चुका है. 
संतों और साधुओं के लिए भी उत्तराखंड हमेशा से अपने आध्यात्मिक-अभ्यास की अनुकूल जगह रही है, जो नदी-जंगल की किसी शांत जगह पर अपनी कुटिया बनाते थे. लेकिन नए ज़माने के साधू तो बड़े-बड़े रिसॉर्ट्स बनाने पर तुल गए हैं. बाबागीरी काले धन के निवेश का बड़ा जरिया बन चुका है. 
जाहिर है धनी, समर्थ और सभ्य लोग पहाड़ों पर अपने आशियाने बना रहे हैं, पहाड़ के मूल निवासी हल्द्वानी जैसी जगहों पर 100/ 200 गज की जमीन में ठिकाना तलाश रहे हैं. पहाड़ में बागवानी. खेती, पशुपालन पर भारी खतरा है. जो यहाँ बचे रह गए हैं वे या तो ऐसे लोग हैं जहाँ सड़कें नहीं पहुंची हैं, या जिनके पास बेचने को जमीन है ही नहीं. हिमालय दर्शन वाली जगहें, सिमार यानी पानी की उपलब्धता वाली जगहें काबिल लोग झटक ले रहे हैं. ठेकेदार लोगों का सपना अब उन बची-खुची जगहों पर सड़कें पहुँचाने का है, जहाँ भी जमीन बेची जा सकती है. 
रामगढ़ ब्लॉक में अनुमान है अगले पांच साल में ऐसी सभी जगहें बिक जायेंगी, जो रहने लायक हैं. एक तरफ स्थानीय लोग बेहतर जीवन की आस में बाहर जा रहे हैं. उन्हें लगता है किसी होटल में बर्तन मांजकर, किसी फैक्ट्री में दो-चार हज़ार का काम पाकर या सिक्यूरिटी की वर्दी पहनकर वे अपनी नयी पीढ़ी का भविष्य संवार सकेंगे. जबकि कहीं दूर देश में ऑनलाइन बुकिंग के जरिये कुछ लोग अपने रिसॉर्ट्स और होटलों से प्रतिदिन 30 से 50 हज़ार या इससे अधिक घर बैठे पा जा रहे हैं. उनके कमाने के रास्ते में पहाड़ बाधा नहीं है, बल्कि कल्पवृक्ष का पेड़ है. 
होटल और रिसॉर्ट्स वाले गाँव वालों का पानी अपने मजबूत पंपों से सोख ले रहे हैं. हिमालय को अब उनके कमरों में लगे बड़े शीशों से ही देखा जा सकता है. उनके पास सूरज की ऊष्मा को सोखकर ऊर्जा पैदा करने वाले संयंत्र हैं. कुछ-कुछ उपनिवेशवादी सेब, आडू, खुबानी, चेरी और प्लम भी उगा रहे हैं. और अपनी गाड़ियों में भरकर दिल्ली की मंडियों में बेच भी सकते हैं. गाँव वालों के हिस्से वही पैकेट वाला दूध, वहीँ हलद्वानी से आने वाली सड़ी सब्जी और हर तरह का नकली माल. 
क्या 1994 में गांवों की महिलाएं और युवक इसी तरह के विकास के लिए सड़कों में उतरे थे? क्या गिर्दा का सपना- 'धुर जंगल फूल फूलो, यस मुलुक बडूलो' इसी उत्तराखंड के सृजन का सपना था? क्या नरेंद्र नेगी इसी- 'मुट्ठ बोटीक रख' की बात करते थे? क्या हीरा सिंह राणा इसी दिन को लाने के लिए चीख रहे थे- 'लस्का कमर बाँधा'? 
कोई आकर हिमालय का आनंद ले इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है लेकिन कोई आकर यह कहे कि 'ये मेरी जमीन है, बिना अनुमति प्रवेश वर्जित' तो दिल पे क्या गुजरेगी? कल के दिन हल्द्वानी-देहरादून की संकरी गलियों में बसे लोग अपने बच्चों को बताएँगे- 'हाँ कभी उस पहाड़ में हमारा भी एक गाँव था'!
चलिए मान लेते हैं जो जा सकते थे चले गए, उन्हें पहाड़ सूट नहीं करता होगा, लेकिन जो बचे रह गए हैं और कुछ भी कर लें जा नहीं सकेंगे, उनके बच्चों के लिए अच्छे स्कूल, अच्छी शिक्षा और रोजगार की कोई आवाज अब कभी बन सकेगी? कौन उठाएगा अब ये आवाज?
(ये कहानी तो एक ब्लॉक की है, जहाँ में पिछले कुछ दिन से भटक रहा हूँ. पूरे उत्तराखंड की तस्वीर सोचें तो!)

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वैशाली की नगरवधू और सोप ओपेरा में तब्दील लोकतंत्र का बेनकाब चेहरा पलाश विश्वास

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वैशाली की नगरवधू और सोप ओपेरा में तब्दील लोकतंत्र का बेनकाब चेहरा

पलाश विश्वास

हकीकत की जमीन,हिमांशु कुमार की जुबानः

अगर आप किसी पतीली में उबलते हुए पानी में मेढक को डाल दें तो वह मेढक झट से कूद कर बाहर आ जाएगा

लेकिन अगर आप एक पतीली में ठंडा पानी भरें और उसमें एक मेंढक को डाल दें

और उस पतीली को आग पर रख दें तो मेंढक बाहर नहीं कूदेगा

और पानी उबलने पर मेंढक भी उसी पानी में मर जाएगा

ऐसा क्यों होता है ?

असल में जब आप मेंढक को उबलते हुए पानी में डालते हैं तो वह जान बचाने के लिए बाहर कूद जाता है .

लेकिन जब आप उसे ठन्डे पानी में डाल कर पानी को धीरे धीरे उबालते हैं

तब मेंढक अपने शरीर की ऊर्जा खर्च कर के अपने शरीर का तापमान पानी के तापमान के अनुसार गरम करने लगता है ,

धीरे धीरे जब पानी इतना गर्म हो चुका होता है कि अब मेढक को जान बचाना मुश्किल लगने लगता है तब वह पानी से बाहर कूदने का इरादा करता है

लेकिन तब तक उसमें कूदने की ऊर्जा नहीं बची होती

मेढक अपनी सारी ऊर्जा पानी के तापमान के अनुरूप खुद को बदलने में खर्च कर चुका होता है

और मेढक को गर्म पानी में उबल कर मर जाना पड़ता है

यह कहानी आपको सुनानी ज़रूरी है

अभी भारत के नागरिकों को भी गरम पानी की पतीली में डाल दिया गया है

और आंच को धीरे धीरे बढ़ा कर पानी को खौलाया जा रहा है

भारत के नागरिक अपने आप को इसमें चुपचाप जीने के लिए बदल रहे हैं

लेकिन यह आंच एक दिन आपके अपने अस्तित्व के लिए खतरा बन जायेगी

तब आपके पास इसमें से निकलने की ताकत ही नहीं बची होगा

मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूँ

सरकार नें अमीर कंपनियों के लिए छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों के साढ़े छह सौ गाँव जला दिए

सारे देश नें चुपचाप सहन कर लिया

सरकार नें आदिवासियों को गाँव से भगाने के लिए महिलाओं से बलात्कार करना शुरू किया

सारे देश नें चुपचाप सहन कर लिया

सरकार नें आदिवासियों के लिए आवाज़ उठाने के लिए सोनी सोरी को थाने में ले जाकर बिजली के झटके दिए

और उसके गुप्तांगों में पत्थर भर दिए

सारे देश नें सहन कर लिया

अब सरकार नें सोनी सोरी के चेहरे पर एसिड डाल कर जला दिया

हम सब चुप हैं

सरकार अमीर सेठों के लिए ज़मीन छीनती है

हम चुप रहते हैं

सरकार के लोग दिल्ली की अद्लातों में लोगों को पीट रहे हैं हम चुप हैं

हम चाहते हैं हमारा बेटा बेटी पढ़ लिख लें

हमारे बच्चों को एक नौकरी मिल जाएँ

हमारे बच्चे सेटल हो जाएँ बस

हम क्यों पचडों में पड़ें

हम महज़ पेट के लिए चुप हैं

कहाँ गया हमारा धरम , नैतिकता , बड़ी बड़ी बातें ?

मेंढक की तरह धीरे धीरे उबल कर मर जायेंगे

लाश बचेगी बस

पता भी नहीं चलेगा अपने मर जाने का

लाश बन कर जीना भी कोई जीना है

जिंदा हो तो जिंदा लोगों की तरह व्यवहार तो करो



संदर्भः

  • 'वैशाली की नगरवधू'चतुरसेन शास्त्री की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह बात कोई इन पंक्तियों का लेखक नहीं कह रहा, बल्कि स्वयं आचार्य शास्त्री ने इस पुस्तक के सम्बन्ध में उल्लिखित किया है -

मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ, और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।

  • भूमिका में उन्होंने स्वयं ही इस कृति के कथानक पर अपनी सहमति दी है -

यह सत्य है कि यह उपन्यास है। परन्तु इससे अधिक सत्य यह है कि यह एक गम्भीर रहस्यपूर्ण संकेत है, जो उस काले पर्दे के प्रति है, जिसकी ओट में आर्यों के धर्म, साहित्य, राजसत्ता और संस्कृति की पराजय, मिश्रित जातियों की प्रगतिशील विजय सहस्राब्दियों से छिपी हुई है, जिसे सम्भवत: किसी इतिहासकार ने आँख उघाड़कर देखा नहीं है।


प्रसंगः

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

आम्रपालीबौद्ध काल में वैशालीके वृज्जिसंघ की इतिहास प्रसिद्ध लिच्छवि राजनृत्यांगना थी।[1]इनका एक नाम 'अम्बपाली' या 'अम्बपालिका' भी है। आम्रपाली बेहद खुबसूरत थी और कहते हैं जो भी उसे एक बार देख लेता वह उसपर मुग्ध हो जाता था|[2][3]अजातशत्रुउसके प्रेमियों में था और उस समय के उपलब्ध सहित्य में अजातशत्रु के पिता बिंबसारको भी गुप्त रूप से उसका प्रणयार्थी बताया गया है। आम्रपाली को लेकर भारतीय भाषाओं में बहुत से काव्य, नाटकऔर उपन्यासलिखे गए हैं।

अंबपाली बुद्ध के प्रभाव से उनकी शिष्या हुई और उसने अनेक प्रकार के दान से बौद्ध संघ का महत् उपकार किया। उस युग में राज नर्तकी का पद बड़ा गौरवपूर्ण और सम्मानित माना जाता था। साधारण जन तो उस तक पहुँच भी नहीं सकते थे। समाज के उच्च वर्ग के लोग भी उसके कृपाकटाक्ष के लिए लालायित रहते थे। कहते हैं, भगवान तथागत ने भी उसे "आर्या अंबा" कहकर संबोधित किया था तथा उसका आतिथ्य ग्रहण किया था। धम्मसंघ में पहले भिक्षुणियाँ नहीं ली जाती थीं, यशोधराको भी बुद्ध ने भिक्षुणी बनाने से इन्कार कर दिया था, किंतु आम्रपाली की श्रद्धा, भक्ति और मन की विरक्ति से प्रभावित होकर नारियों को भी उन्होंने संघ में प्रवेश का अधिकार प्रदान किया।

भगवान बुद्ध राजगृह जाते या लौटते समय वैशाली में रुकते थे जहाँ एक बार उन्होंने अंबपाली का भी आतिथ्य ग्रहण किया था। बौद्ध ग्रंथों में बुद्ध के जीवनचरित पर प्रकाश डालने वाली घटनाओं का जो वर्णन मिलता है उन्हीं में से अंबपाली के संबंध की एक प्रसिद्ध और रूचिकर घटना है। कहते हैं, जब तथागत एक बार वैशाली में ठहरे थे तब जहाँ उन्होंने देवताओं की तरह दीप्यमान लिच्छवि राजपुत्रों की भोजन के लिए प्रार्थना अस्वीकार कर दी वहीं उन्होंने गणिका अंबपाली की निष्ठा से प्रसन्न होकर उसका आतिथ्य स्वीकार किया। इससे गर्विणी अंबपाली ने उन राजपुत्रों को लज्जित करते हुए अपने रथ को उनके रथ के बराबर हाँका। उसने संघ को आमों का अपना बगीचा भी दान कर दिया था जिससे वह अपना चौमासा वहाँ बिता सके।[4][5]

इसमें संदेह नहीं कि अंबपाली ऐतिहासिक व्यक्ति थी, यद्यपि कथा के चमत्कारों ने उसे असाधारण बना दिया है। संभवत वह अभिजात कुलीना थी और इतनी सुंदर थी कि लिच्छवियों की परंपरा के अनुसार उसके पिता को उसे सर्वभोग्या बनाना पड़ा। संभवत उसने गणिका जीवन भी बिताया था और उसके कृपापात्रों में शायद मगध का राजा बिंबिसार भी था। बिंबिसार का उससे एक पुत्र होना भी बताया जाता है। जो भी हो, बाद में बुद्ध के उपदेश से प्रभवित हो आम्रपाली ने बुद्ध और उनके संघ की अनन्य उपासिका हो गई थी और उसने अपने पाप के जीवन से मुख मोड़कर अर्हत् का जीवन बिताना स्वीकार किया।


वैशाली की नगरवधू में वैजयंती माला का अभिनय और नृत्य कास्मरण हो आया।यह उस लोकतंत्र की कथा है,जिसमें शासक नगरवधू का निर्वाचन करता था और लोकतंत्र में वैशाली की नगरवधू की भूमिका भी निर्णायक होती है और उसकी उस भूमिका का चरमोत्कर्ष वैशाली का विध्वंस है।


आज फिर लोकतंत्र में अभिनय दक्षता निर्णायक होती जा रही है।आवेश,आवेग और मुद्राओं का लोकतंत्र है यह,जहां चिंतन मनन सत्य असत्य मतामत सहमति विरोध जैसे तमाम लोकतांत्रिक शब्द बेमायने हैं।


संवाद और स्मृति और अभिनय के साथ मुद्राओं की पेशावर दक्षता से जनता का दिलोदिमाग दखल कर लो और यही निर्णायक है।


अब संसदीय बहस के लिए बेहद जरुरी है कि सभी पक्ष जनता की नुमाइंदगी के लिए पेशेवर अभिनेता और अभिनेत्रियों को चुन लें क्योंकि इस लोकतंत्र में फिर वही वैशाली की नगरवधू की पूनम की रात है।


हिमांशु जी ने अभी अभी सोनी सोरी को मिले धमकी भरे पत्र को शेयर किया है,हकीकत की जमीन पर लोकतंत्र का यही असल चेहरा है,संसदीय सोप ओपेरा तो अभिनय दक्षता की टीआरपी है।


सोनी सोरी के घर पर नया धमकी का पत्र। अपनी बेटी को गार्ड देकर खुश मत हो। तेरा बेटा भी है और तेरी बहनें भी हैं।



हिमांशु जी ने लिखा हैः

राष्ट्र हित सत्ता से बड़ा होता है ।

राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने वाली सत्ता को उखाड़ फेंकना ही राष्ट्र की सबसे बड़ी भक्ति है

-चाणक्य

इसलिए जो भारत माता का अपमान करेगा उस सत्ता का विरोध किया जाएगा ।

और भारत माता कौन है

भारत माता भारत की महिलाएं हैं

भारत माता वो महिला है जो दूसरों की टट्टी उठा रही है

भारत माता वो महिला है जो ईंट भट्टे पर काम कर रही है और मजदूरी मांगने पर जिसके साथ भट्टा मालिक द्वारा बलात्कार किया जाता है

भारत माता वो महिला है जिसे पुलिस वाला सत्ता की मदद से पीट रहा है

भारत माता वो महिला सोनी सॉरी है जिसके मूंह पर सत्ता के गुंडे कालिख और एसिड मल रहे हैं

भारत माता वो महिलाएं हैं जो अपनी बेटियों के साथ सैनिकों द्वारा बलात्कार करने के बाद नग्न होकर खुद के साथ बलात्कार करने की चुनौती देने को मजबूर हैं

भारत माता खेतों मे काम करने वाली महिलाएं हैं जो दिन भर मेहनत करने के बाद भी एक समय खाना खा पाती हैं

कैलेंडर छाप धर्म ।

और कैलेंडर छाप राष्ट्रवाद नहीं चलेगा

सब कुछ असली चाहिए

राष्ट्र्वादी हो तो राष्ट्र की महिलाओं के साथ होने वाले ज़ुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ेगी

राष्ट्र की महिलाओं की योनी में पत्थर भरने वाले सिपाहियों का समर्थन और भारतमाता की जय का नारा एक साथ नहीं चलेगा

फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा

हमारे पुरखों ने भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी

इसलिए हमें भारत माता की जय के नारे लगा कर अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने की ज़रूरत नहीं है

लेकिन तुम्हारे पूर्वज उस वख्त अंग्रेजों से माफियां मांग रहे थे

इसलिए तुम अपना एतिहासिक अपराध छिपाने के लिए भारत माता की जय के फर्जी नारे लगाते हो ताकि सब तुम्हें राष्ट्रभक्त मान लें

हम ये होने नहीं देंगे

फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा



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Some videos related to the Mahishasur tradation

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Pramod Ranjan

Dear friend, 

After Smriti Irani raising the bogey of Mahishasur and using objectionable words about Hindu Goddess Durga, the entire issue has taken a new colour. What the TV channels are showing is only one side of the issue. They are not presenting the side of the Tribals, Backwards and Dalits of the country, who consider Mahishasur their ancestor. 

Some time back, I had travelled to different parts of the country in connection with a book I was planning to compile on this issue. Some videos shot during these visits are available on my YouTube channel. 

These include:

1) Conversation with Shibu Soren in which he calls upon the people to celebrate Mahishasur Day in a big way. 
2) Conversation with Shri Tyagi, the priest of a Mahishasur Temple in Bundelkhand, in which he describes Mahishasur as a valiant god of Yadavs. 
3) A 1500-year-old memorial of Mahishasur, which has been declared protected monument by the ASI and conversations with the residents of the village Chauka Soren, where this memorial is located.
4) Conversations with young girls and elderly persons of the primitive 'Asur' tribe of hills of Chotanagpur and their songs etc. They have talked in detail about tribal beliefs regarding Mahishasur. 
5) Many other videos. 

If you are interested, you can see these videos on the following link:

https://www.youtube.com/channel/UCOIyPyrPjrW_OXo-ptwSL9Q

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