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A small piece of well-meant advice for Prime Minister Modi before Yoga Day celebrations.

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Mr. Prime Minister, I strongly advise you to tell the camera-walhahs not to focus too closely on India Gate, despite it being the obvious backdrop to all this activity, because right behind India Gate, not a stone's throw from our country's beautiful war memorial, there are mounds of stinking rubbish lying, strewn all over the patchy grass. In fact, if the truth be told, most of the arterial roads leading to India Gate are strewn with rubbish, day after day after day, but that huge dump on the lawn is one big smelly eyesore, and I would hate a pesky camera to catch it on film, and ruin the International Yoga Day image.

A small piece of well-meant advice for Prime Minister Modi before Yoga Day celebrations.

आप कहेंगे पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या करवाने वाले मंत्री को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वे कहेंगे जगेन्द्रसिंह ने यह जानते हुए भी कि जिसके विरुद्ध वे लिख रहे हैं, वह एक ऐसा खतरनाक माफिया है, जिससे अखिलेश सरकार भी काँपती है, खुद ही अपनी मौत बुलाई.

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मेरे एक मित्र जब से फेसबुक में अवतरित हुए हैं, उनकी प्रस्तुतियाँ औरों से भिन्न होती हैं. जब भी अन्य लोग व्यवस्था की खामियों और सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने का प्रयास करते हैं, वे किसी न किसी बहाने उन विसंगतियों का पारिस्थितिक औचित्य और प्रासंगिकता का पिष्टपेषण करते हुए दिखते हैं. जब वे नैनीताल के डी.एस.बी कालेज के इंटर अनुभाग में मेरे छात्र थे, उनकी तार्किक क्षमता को देख कर मैं उन्हें वैज्ञानिक परिकल्पना से युक्त निबन्ध लिखने के लिए प्रेरित किया करता था आज पचास साल बाद भी उनकी वही तार्किकता यथावत ही नहीं और भी रूढ़ हो गयी है. दिली में एल.जी. और मुख्यमंत्री के बीच सत्ता का जो द्वन्द्व चल रहा है. आपको भले ही लगे कि जनता के द्वारा प्रचंड बहुमत से चुनी हुई सरकार द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार किये जा रहे कार्यक्रमों को इसलिए बाधित नहीं किया जान चाहिए कि वे केन्द्र पर काबिज दल को बुरी तरह पराजित कर दिल्ली की सत्ता पर आसीन हुए हैं. पर वे एल.जी. के पक्ष में खड़े दिखेंगे. आप कहेंगे पत्रकार जगेन्द्र सिंह की हत्या करवाने वाले मंत्री को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वे कहेंगे जगेन्द्रसिंह ने यह जानते हुए भी कि जिसके विरुद्ध वे लिख रहे हैं, वह एक ऐसा खतरनाक माफिया है, जिससे अखिलेश सरकार भी काँपती है, खुद ही अपनी मौत बुलाई. 
हर हाल में यथास्थिति के ऐसे प्रात:स्मरणीय समर्थक के सामने मैं नतमस्तक हूँ.
इस मामले में मेरे ये मित्र अकेले नहीं हैं इस शहर में उन जैसे दीवाने हजारों हैं,

हिमाचल के मंडी स्थित आईआईटी कमांद में मजदूरों पर गोलियां चलने के बाद बवाल मच गया है। गुस्साए मजदूरों के साथ हुई मारपीट में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है। रिपोर्ट: भूपेंद्र राणा

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हिमाचल के मंडी स्थित आईआईटी कमांद में मजदूरों पर गोलियां चलने के बाद बवाल मच गया है। गुस्साए मजदूरों के साथ हुई मारपीट में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है। रिपोर्ट: भूपेंद्र राणा

सभी चारों मृतक पंजाब के रहने वाले थे जिन्हें ठेकेदार ने बुलाया था। बताया जा रहा है कि ठेकेदार के साथ कुल 9 लोग(बाउंसर) थे जिनमें से चार की मौत हो गई जबकि पांच अन्य जख्मी हैं। इन लोगों ने ही मजदूरों पर फायरिंग भी की थी।

सुबह से यहां तनाव की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि मजदूरों का एक दल अपने वेतन को लेकर ठेकेदार से मिलने गया था। मगर बहसबाजी के बाद कुछ लोगों ने मजदूरों पर फायरिंग कर दी। इससे छह मजदूर घायल हो गए। इसके बाद यहां बवाल खड़ा हो गया।

मजदूरों की पिटाई के कारण ठेकेदार के दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दो अन्य ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया।

बाद में गुस्साए मजदूरों ने तीन गाड़ियां भी फूंक डाली। इस घटना में कई लोग घायल हो गए हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने हालात काबू कर घायलों को अस्पताल के लिए रवाना कर दिया है। घटना के बाद इस क्षेत्र में लोगों की भीड़ जमा हो गई है। पुलिस ने मौके से कई हथियार भी बरामद किए हैं। मारपीट में कई लोग घायल हुए हैं जिनका उपचार किया जा रहा है।

Read more: http://hindi.himachalwatcher.com/…/four-killed-and-six-in…/



তীব্র জলকষ্টে ভুগতে থাকা গ্রামের পর গ্রাম দেখেছি । এক একটা খাদান ১৫০ ফিট, ঝাড়খণ্ড লাগোয়া খাদান গুলো ২০০ ফিট আর পাতকুয়া ৭০ ফিট, ফলে রাতে সব জল খাদানে নেমে যায় । সেখানের জলে এতো কেলিক্যাল যে খাওয়া যায় না । নির্জলা উপবাসি একটা জেলা নাম বীরভূম ।

Next: ২৮ মে বহুদিন আগে পেড়িয়ে গেছে। চারদিকের তাবড় বিপ্লবীরাও এদিক ওদিক সুখে শান্তিতে "গাঁও ছোড়াব নেহি"গানটি গেয়ে বিপ্লবের পথ পরিস্কার করতে "স্বচ্ছ বিপ্লব"অভিযানে নেমেছেন। কিন্তু ভগবান, ছত্রধর, পাহাড়, জংগলের লড়াকু কমরেডরা, যারা আমাদের লড়াই করতে শিখিয়েছেন, তারা যখন "সংশোধনাগারে"সংশোধিত হচ্ছেন তখন সবাই চুপ। চলুন আমরা "সংশোধিত"বিপ্লব আনি। দেশে এখনো প্রচুর বাতানুকূল সভাগৃহ খালি পড়ে আছে, প্রচুর লোককে পার্টি লাইন বোঝান বাকি আছে যে।
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২০০৭ এ আমি এক ধুলোভরা বীরভূম দেখেছি । বাইকে করে যেতে যেতে কালো আকাশ দেখেছি । তা আমার প্রেমিকার কোঁচানো চুলের কালো নয়, সে বনলতার ডাগর চোখের কালো নয় । একটা অঞ্চলে ২৫০ টা ক্রাসার চলছে সারাদিনরাতি । পাথর ভাঙছে । আর হুহু ধুলোয় ভরে যাচ্ছে মাঠ ঘাট প্রান্তর । রাত বারোটায় যখন চাটাইতে বসে ঘুমে দুলছি, দূর গ্রাম থেকে ভেসে আসা ঢিক চ্যাক গান শুনেছি । জিজ্ঞাসা করায় জানতে পেরেছি তাঁবু খাটিয়ে গ্রামের মাঝে চলছে পর্ণগ্রাফি । হাটে ফিয়ে দেখেছি মেয়ে কেনা বেচা পর্যন্ত হয় । শুনলে অবাক হবেন একটা ব্লাউল কিনে দিলে, অথবা একটা সাবান কিনে দিলে ক্রাসার মালিকের সাথে হোটেলে গিয়ে রাত কাটাতে রাজি হয়ে যান আদিবাসী মহিলারা । এমন কি বাইক চড়ালেও রাতবিরেতে অঘোর ঘুমন্ত মরদের পাশ থেকে টেনে ক্ষেতের মাঝে নিয়ে গিয়ে যা খুশী করা যায় ।

তীব্র জলকষ্টে ভুগতে থাকা গ্রামের পর গ্রাম দেখেছি । এক একটা খাদান ১৫০ ফিট, ঝাড়খণ্ড লাগোয়া খাদান গুলো ২০০ ফিট আর পাতকুয়া ৭০ ফিট, ফলে রাতে সব জল খাদানে নেমে যায় । সেখানের জলে এতো কেলিক্যাল যে খাওয়া যায় না । নির্জলা উপবাসি একটা জেলা নাম বীরভূম ।

দেখেছি বোল্ডারম্যান দের গ্রাম । বড় বড় পাথর যেগুলো মেশিনে ভাঙা যায় না, সেগুলো হাতুড়ি দিয়ে ভাঙতে হয় । সেই গ্রাম গুলোয় বহু লোকের চোখ নেই, চোখ যদিবা আছে আমাদের চোখের সাদা অংশটা সেটা তাদের টকটকে লাল । তাদের চোখের বিনিময়ে আমরা দুধ সাদা মজেকের মেঝে করেছি । আকরিয়ামে পুষেছি গোল্ডফিস । লাল নীল সবুজ হলুদ পাথর কুঁচির মাঝে হা হয়ে মুখ লুকিয়েছে নিকষ কালো চোখ ।

যে আদিবাসীরা জঙ্গল থেকে জ্বালানি, মধু, বিভিন্ন ছোট পশু পাখি, শাল পাতা, মহুয়া পেত । সেই সব জঙ্গল কেটে সাফ করে লাগিয়ে দেওয়া হয়েছে আকাশমণি, সোনাঝুরি, ইউক্যালিপ্টাস । যে গাছের কেবল জ্বালানি কাঠ ছাড়া অন্য কিছু দেওয়ার মুরোদ নেই । বনদপ্তর লাগিয়েছেও ইচ্ছা করে, যাতে ভুমিপুত্র কন্যারা শহরের উপর নির্ভরশীল হয়ে পরে । নিজেদের কোন স্বতন্ত্র অর্থনীতি না থাকে । কিন্তু মনে রাখবেন বন্ধুরা দুর্ভিক্ষের সময় শহর উজার হয়ে গেলেও এই আদিবাসী গ্রাম গুলির কিছু হয়নি তাদের নিজেরদের যাপনের জন্য । সেটাই তাদের থেকে কেড়ে নেওয়া হচ্ছে ।

বীরভূম থেকে আসছেন রবিন সরেন । আমার দাদার মতোই হয় বটে । ২০০৯ থেকে অবৈধ খাদান ক্রাসার বন্ধ করে দিয়েছে ওরা । বহুবার খাদান মালিকরা সুপারি দিয়েছে রবিন দা কে মারতে । বাইকে করে ফেরবার পথে পাথর বোঝাই লরি এগিয়ে এসেছে মুখোমুখি সংঘর্ষে । আঁধার নামার পর গ্রামে ঢুকে রবিন দা কে চিনতে না পেরে বন্দুক উঁচিয়েছে খাদান মালিকের দালালরা । তবু আজও জঙ্গলের এই আদিবাসী নেতা লড়াই ছাড়েননি । তুমি ২০০ বছর বাঁচো । শুনবো বীর-ভুমের গল্প ।

২৭শে জুন, বিকাল ৩।৩০, মহাবোধি হল


২৮ মে বহুদিন আগে পেড়িয়ে গেছে। চারদিকের তাবড় বিপ্লবীরাও এদিক ওদিক সুখে শান্তিতে "গাঁও ছোড়াব নেহি"গানটি গেয়ে বিপ্লবের পথ পরিস্কার করতে "স্বচ্ছ বিপ্লব"অভিযানে নেমেছেন। কিন্তু ভগবান, ছত্রধর, পাহাড়, জংগলের লড়াকু কমরেডরা, যারা আমাদের লড়াই করতে শিখিয়েছেন, তারা যখন "সংশোধনাগারে"সংশোধিত হচ্ছেন তখন সবাই চুপ। চলুন আমরা "সংশোধিত"বিপ্লব আনি। দেশে এখনো প্রচুর বাতানুকূল সভাগৃহ খালি পড়ে আছে, প্রচুর লোককে পার্টি লাইন বোঝান বাকি আছে যে।

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Dattatreya Ghosh


২৮ মে বহুদিন আগে পেড়িয়ে গেছে। চারদিকের তাবড় বিপ্লবীরাও এদিক ওদিক সুখে শান্তিতে "গাঁও ছোড়াব নেহি" গানটি গেয়ে বিপ্লবের পথ পরিস্কার করতে "স্বচ্ছ বিপ্লব" অভিযানে নেমেছেন। কিন্তু ভগবান, ছত্রধর, পাহাড়, জংগলের লড়াকু কমরেডরা, যারা আমাদের লড়াই করতে শিখিয়েছেন, তারা যখন "সংশোধনাগারে" সংশোধিত হচ্ছেন তখন সবাই চুপ। চলুন আমরা "সংশোধিত" বিপ্লব আনি। দেশে এখনো প্রচুর বাতানুকূল সভাগৃহ খালি পড়ে আছে, প্রচুর লোককে পার্টি লাইন বোঝান বাকি আছে যে।

 — with Agniswar Serampore and 42 others.
On May 28, 2015, Bhagaban Majhi, a tribal activist of anti-bauxite mining Kashipur struggle of Rayagada district in Odisha and Convener of Prakrutik Sampada...

গাঁও ছোরাব নাহি জঙ্গল ছোরাব নাহি মায় মাটি ছোরাব নাহি লড়াই ছোরাব নাহি

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গাঁও ছোরাব নাহি

জঙ্গল ছোরাব নাহি

মায় মাটি ছোরাব নাহি

লড়াই ছোরাব নাহি 

Chhandak Chatterjee's photo.

'राजपथा'चे रुपांतर झाले 'योगपथा"मध्ये..!

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'राजपथा'चे रुपांतर झाले 'योगपथा"मध्ये..!
नवी दिल्ली - पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी आपल्या संयुक्त राष्ट्रसंघास प्रथमच संबोधित करताना मांडलेल्या संकल्पनेनुसार आज (रविवार) 21 जून हा दिवस भारतासहित जगात इतरत्रही आंतरराष्ट्रीय योग दिन म्हणून साजरा करण्यात येत आहे. या पार्श्‍वभूमीवर आज सकाळी देशाच्या राजधानीमध्ये राष्ट्रपती प्रणब मुखर्जी, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी, दिल्ली राज्याचे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, इतर महत्त्वपूर्ण नेते आणि हजारो नागरिकांच्या उपस्थितीमध्ये योगदिनाचा सोहळा संपन्न झाला. 



योग दिनानिमित्त दिल्लीमधील राजपथ येथे हजारो नागरिकांनी योगासने करीत या मोहिमेमध्ये आपला उत्फुल्ल सहभाग नोंदविला. पंतप्रधानांनी यावेळी देशास संबोधित करताना आंतरराष्ट्रीय योग दिन हा केवळ एक दिवस नसून शांतता व आनंदी साहचर्याच्या नव्या युगाच्या दिशेने टाकण्यात आलेले पहिले पाऊल असल्याची भावना यावेळी व्यक्त केली. आज भारतासहित जगभरातील तब्बल 177 देशांमध्ये आंतरराष्ट्रीय योग दिन साजरा केला जात आहे. 

"हा दिवस आंतरराष्ट्रीय योग दिन म्हणून साजरा करण्यासाठी संयुक्त राष्ट्रसंघ व इतर देशांनी केलेल्या सहकार्याबाबत मी त्यांचे आभार मानतो. याचबरोबर, योगविद्येस मोठे योगदान दिलेल्या ऋषी, मुनींना माझे नमन असो. राजपथाचे रुपांतरही कधीतरी योगपथामध्ये होईल, अशी कोणी कल्पना तरी केली होती काय?! सध्याच्या जगामध्ये नवनवीन तंत्रज्ञानाच्या विकासाने सर्वच घटकांची प्रगती होते आहे. मात्र या भौतिक प्रगतीच्या तुलनेमध्ये मानवच मागे पडल्याची परिस्थिती निर्माण होता कामा नये. अशा वेळी शांततेच्या मार्गावर तणावविरहित जीवन जगणे हे फार मोठे आव्हान आहे. आज आपण केवळ एक दिवस साजरा करत नसून सद्‌भावनेच्या काळाची नवी सुरुवात करण्यासाठी मानवी मनास प्रशिक्षित करतो आहे,''असे पंतप्रधान मोदींनी यावेळी बोलताना सांगितले. 

सहभागींची योगासने व्यवस्थित पाहता यावीत म्हणून राजपथावर दोन हजार डिजिटल सिनेमा स्क्रिन बसविण्यात आले आहेत. याशिवाय नवी दिल्लीबरोबरच लखनौ, पाटणा आणि कोलकता येथेही कार्यक्रम होणार असून, दूरदर्शनबरोबरच इंटरनेटवरही हा कार्यक्रम पाहता येईल. या निमित्ताने टपाल खात्याच्या विशेष तिकिटांचे प्रकाशन आणि अर्थ मंत्रालयाने काढलेल्या दहा आणि शंभर रुपयांच्या नाण्यांचे अनावरण राजपथावर होणार आहे.

दरम्यान, दिल्लीसहित देशामध्ये इतरत्रही योग दिन उत्साहात साजरा करण्यात येत असल्याचे वातावरण आहे. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह यांनी लखनौमध्ये, केंद्रीय उर्जा मंत्री पीयुष गोयल यांनी मुंबईमध्ये व इतर राज्यपातळीवरील नेत्यांनी राज्यांमध्ये साजऱ्या करण्यात आलेल्या योगदिनामध्ये सहभाग घेतला. मुंबईमध्ये भर पावसामध्येही मरीन ड्राईव्ह येथे साजऱ्या करण्यात आलेल्या योग दिनामध्ये नागरिकांनी मोठ्या संख्येने सहभाग नोंदविला. केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी व महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनीही आज सकाळी नागपूरमध्ये योग दिन साजरा करण्याच्या मोहिमेमध्ये सहभाग घेतला. 

परराष्ट्र मंत्री सुषमा स्वराज या सध्या न्यूयॉर्कमध्ये असून राष्ट्रसंघामध्ये होणाऱ्या आंतरराष्ट्रीय योग दिनाच्या समारंभामध्ये त्या भारताचे प्रतिनिधीत्व करणार आहेत. या समारंभास राष्ट्रसंघाचे सरचिटणीस बान की मून हेदेखील उपस्थित राहणार आहेत. 

योगदिनाच्या भव्य कार्यक्रमात बॉलिवूड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी सहभागी झाली होती.

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नवी दिल्ली - आंतरराष्ट्रीय योगदिनाच्या निमित्ताने आज (रविवार) राजधानी दिल्लीमध्ये झालेल्या योगदिनाच्या भव्य कार्यक्रमात बॉलिवूड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी सहभागी झाली होती.



ललित मोदींची भेट घेतल्याची राकेश मारिया यांची माहिती

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ललित मोदींची भेट घेतल्याची राकेश मारिया यांची माहिती
मुंबई - आयपीएलचे माजी प्रमुख ललित मोदी यांची 2014 मध्ये आपण लंडनमध्ये भेट घेतली होती, अशी कबुली आज मुंबईचे पोलिस आयुक्त राकेश मारिया यांनी दिली. मारिया यांच्या आजच्या खुलाशामुळे ललित मोदींमुळे निर्माण झालेल्या वादात भर पडली आहे. अंडरवर्ल्डकडून ललित मोदी यांना धमक्‍या येत असल्यामुळे त्यांनी मुंबई पोलिसांची मदत मागितली होती, असे मारिया यांनी सांगितले. 

ललित मोदी यांच्या वकिलांच्या विनंतीवरून लंडनमध्ये 2014 मध्ये आपण ललित मोदींना भेटलो होतो; तसेच या भेटीची आपण गृहमंत्र्यांना माहिती दिली होती, असेही मारिया यांनी स्पष्ट केले. मारिया आणि ललित मोदींचे एक छायाचित्र आज एका वृत्तवाहिनीवर झळकले होते, त्यानंतर मारिया यांनी वरील खुलासा केला आहे. लंडनमध्ये मुंबई पोलिस कुठलीही मदत करू शकत नाहीत, मोदींनी भारतात परतावे आणि तक्रार दाखल करावी, त्यानंतरच धमक्‍यांप्रकरणी मुंबई पोलिस मदत करू शकतील, असे आपण मोदींना सांगितल्याचे मारिया यांनी म्हटले आहे.

मुसळधार पावसाने मुंबई ठप्प; शाळांना सुट्टी जाहीर

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मुसळधार पावसाने मुंबई ठप्प; शाळांना सुट्टी जाहीर



मुंबापुरीत गुरुवारी रात्रीपासून पडत असलेल्या मुसळधार पावसाने कधीही न थांबणारी मुंबई आज ठप्प झाली आहे. रेल्वेमार्ग पाण्याखाली गेल्याने मध्य, पश्‍चिम आणि हार्बर मार्गावरील रेल्वेसेवा बंद पडली आहे. सखल भागात पाणी साचल्याने वाहतूक मंदावली आहे. मुसळधार पावसामुळे महापालिका प्रशासनाने सर्व शाळांना एक दिवसाची सुट्टी जाहीर केली असून, गरज नसल्यास घराबाहेर न पडण्याचे आवाहन महापालिकेच्यावतीने करण्यात आले आहे.
अरबी समुद्रात कमी दाबाचा पट्टा तीव्र झाल्याने मुंबईत पावसाची जोरदार बॅटींग सुरू आहे. रात्रभरापासून पडणार्‍या पावसाने मुंबईत धुमाकूळ घातला असून, मुंबईचा बहुतांश भाग पाण्याखाली गेला आहे. मध्य, पश्‍चिम आणि हार्बर रेल्वे मार्गावर पाणी साचल्याने या तिनही मार्गावरील रेल्वेसेवा पूर्णपणे ठप्प झाली आहे. त्यामुळे जागोजागी एक्सप्रेस आणि लोकल उभ्या असल्याचे चित्र पहायला मिळत आहे. मुसळधार पावासाने दादर, हिंदमाता, माहीम, अंधेरी, जुहू, सांताप्रुझ, मिलन सबवे, मालाड सबवे पाण्याखाली गेल्याने या भागात वाहतुकीची प्रचंड कोंडी झाली आहे. पावसामुळे सर्व शाळांना एक दिवसांची सुट्टी जाहीर करण्यात आली असून, गरज नसल्यास मुंबईकरांनी घराबाहेर पडू नये, तसेच समुद्रकिनारी जाणे टाळावे, असे आवाहन महापौर स्नेहल आंबेकर यांनी केले आहे.

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जूनमधील उच्चांकी पाऊस
मुंबईत गेल्या 24 तासात तब्बल 283 मिमी पावसाची नोंद झाली असून गेल्या दहा वर्षांमधला जूनमध्ये 24 तासांत पडलेल्या पावसाचा हा उच्चांक आहे. जून महिन्यात पडणार्‍या पावसाची सरासरीदेखील या पावसाने ओलांडली आहे. जूनमध्ये मुंबईत सरासरी 523 मिमी इतका पाऊस पडतो. मात्र 18 दिवसांत 537 मिमी पावसाची नोंद झाली आहे. जून महिन्याचे 11 दिवस बाकी असतानाच पावसाने महिन्याची सरासरी ओलांडली आहे.
नालेसफाईचा दावा फोल
मुंबईतील नालेसफाईचे काम 95 टक्के पूर्ण झाल्याचा दावा करणार्‍या महापालिकेतील सत्ताधारी शिवसेना-भाजपाचा दावा पावसाच्या पहिल्याच सरीने फोल ठरवला आहे. या पावसामुळे सालाबादप्रमाणे यंदाही हिंदमातासह माहीम, सायन, डोंगरी आणि पश्‍चिम उपनगरातील अंधेरी, सांताक्रूझ, मालाड आदी भाग पाण्याखाली गेल्याने नालेसफाईचा दावा पावसाच्या पाण्यात वाहून गेल्याचे उघड झाले आहे.
मुसळधार पावसामुळे दिवसभरात शहरात 11, पश्‍चिम उपनगरात 4 आणि पूर्व उपनगरात 4 अशाप्रकारे एकूण 19 झाडे उन्मळून तसेच काही ठिकाणी तुटून पडली. यात 'बेस्ट'च्या एका बसचे नुकसान झाले. वरळी ग्लॅक्सो कंपनी सिग्नलजवळ बस क्रमांक 88 या मंत्रालयाकडे जाणार्‍या बसवर झाड पडले. यात हानी झाल्याचे वृत्त नाही.
मिठीच्या पातळीत वाढ
मुंबईला मुसळधार पावसाने झोडपल्याने मीठी नदीच्या पाण्याच्या पातळीत वाढ झाली आहे. त्यामुळे माहिमला धोका निर्माण झाला आहे. खबरदारीचा उपाय म्हणून नदी किनार्‍यावर राहणार्‍या नागरिकांना घरे खाली करण्याच्या सूचना महापालिका प्रशासनाच्यावतीने देण्यात आला आहे. मात्र, नागरिकांनी घरे सोडण्यास नकार दिल्याचे समजते.
हवामान खात्याने आगामी 24 तासातच कोकण-मुंबईत जोरदार पाऊस कोसळेल असा अंदाज दिला आहे. त्यामुळेच मुंबईत संभाव्य परिस्थिती हाताबाहेर जाऊ नये यासाठी नौदलाला सतर्कतेचा आदेश देण्यात आला आहे. त्यामुळे लष्कराचे नौदल मुंबईकरांना मदत करताना दिसू शकते. मुंबईतील समुद्र किनार्‍यावर ठिकठिकाणी नौदलाची पथके तैनात करण्यात आली आहेत. तसेच सी किंग हेलिकॉप्टरही प्रसंगी मदतीला धावणार आहेत.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी आपला नियोजित जळगाव दौरा रद्द करून मुंबईत थांबणे पसंत केले आहे. आज दुपारी 12 च्या सुमारास फडणवीस यांनी मुख्य सचिव व मुंबई महापालिकेचे अध्यक्ष अजेय मेहता यांच्यासमवेत पालिकेच्या आपत्ती व्यवस्थापन विभागाला भेट दिली. फडणवीस यांनी या विभागाला व प्रशासनाला संभाव्य धोक्याची कल्पना दिली असून, त्याबाबत सूचना केल्या आहेत.

पावसामुळे मुंबईत झाडे, भिंतींची पडझड

मुसळधार पावसाने मध्यरात्रीपासून घातलेल्या धुमाकुळात मुंबईतील अनेक ठिकाणी घरांच्या भिंती आणि झाडे कोसळल्याच्या घटना घडल्या. नरिमन पॉईंट येथे असलेल्या शालीमार इमारतीच्या दुसऱया आणि तिसऱया मजल्यावरील सज्जा कोसळल्याने 25 वर्षीय युवक जखमी झाला आहे. पावसामुळे मुंबई शहरात 31, पूर्व उपनगरात 10 तर पश्चिम उपनगरात 32 ठिकाणी झाडे कोसळल्याच्या घटना घडल्या. माहीम मधील सिल्वेरा चाळीतील एका घराची भिंत कोसळली असून यामध्ये कोणालाही दुखापत झाली नसल्याचे सांगण्यात आले. वडाळा येथे बॉम्बे डाईंग मिल व ऑटोमॅटिकल इलेक्ट्रिकल कंपनीच्या कंपाऊंडची भिंत बाजूला उभ्या असलेल्या वाहनावर कोसळली तर अन्य एका घटनेत घरावर प्लास्टिक लावण्यासाठी गेलेल्या एका मुलाचा हायटेंशन वायरशी संपर्क आल्याने तो जखमी झाला. उपचारासाठी या मुलाला तात्काळ सायन रुग्णालयात नेण्यात आले.

विजेचा शॉक लागून दोघांचा मृत्यू

दरम्यान, रात्री उशीरा पासून सुरु असलेल्या जोरदार पासावामुळे कोणतीही दुर्घटना होऊ नये, याकरीता ठिकठिकाणी विजेचा पुरवठा खंडीत केला होता. मात्र वडाळा येथे विजेचा शॉक लागून दोन चिमुरडय़ांचा मृत्यू झाला. मृतांमध्ये गोरख कर्णिक (5), रणजीत बुखता (7) या दोघांचा समावेश आहे.

शहरातील ठिकठिकाणचा वीजपुरवठा खंडीत

पावसाच्या तडाख्याने कोणतीही दुर्घटना होऊ नये, याकरीता दक्षिण मुंबई, मध्य मुंबई, पश्चिम उपनगर आणि पूर्व उपनगरातील अनेक ठिकाणचा वीजपुरवठा खंडीत करण्यात आला आहे.

समुद्रावर सतर्कता बाळगण्याचे आवाहन

नागरिकांनी मुंबईच्या पावसाचा आनंद जरूर घ्या. मात्र, समुद्र बीचवर जाताना नागरिकांनी सतर्कता बाळगावी असे आवाहन पालिकेतर्फे करण्यात आले आहे. चौपाटय़ावरील कठडय़ावर नागरिकानी मौजमस्ती अथवा चालण्याचे टाळावे कारण शनिवारी पहाटे 2 वाजून 29 मिनिटांनी समुद्रात भरती असल्याने, 3.82 मीटर उंचीच्या लाटा उसळणार आहेत. दुपारी 3 वाजून 10 मिनिटांनी पुन्हा भरती येणार असल्याने यावेळी 4.33 मीटर उंचीच्या लाटा उसळणार असल्याची शक्यता वर्तविण्यात आली आहे.

पहिल्या पावसामुळे राजकीय वातावरण तापले

पावसामुळे वातावरणात गारवा आला असला तरी पहिल्याच पावसात मुंबई तुंबल्याने राजकीय वातावरण तापले आहे. आरोप-प्रत्यारोपांच्या फैरी झाडण्यास सुरुवात केली आहे. पालिका विरोधकांनी शिवसेनेवर गरळ ओकण्यास सुरुवात केली आहे. तर सत्ताधाऱयांनी पालिका अधिकाऱयांना धारेवर धरले आहे. मात्र, यामध्ये सामान्य मुंबईकरांची दयनीय अवस्था झाली आहे.

पुढचे 24 तास धोक्याचे

हवामान खात्याने दिलेल्या माहितीनुसार पुढील 24 तासांत मुंबई आणि परिसरात अतिवफष्टी होण्याची शक्यता आहे. शनिवारी देखील शाळा बंद ठेवण्यात येणार आहेत.

http://ekarnala.com/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A4%B3%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%88-%E0%A4%A0%E0%A4%AA/

Friends, look at the mentality of educated peoples in Bengal..!.

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Friends look at the mentality of educated peoples in Bengal...
Read the comments.....
This type of mentality proves that casteism works in their blood and mind. 
Why sc/st/obc peoples need political power, the youth of our society should think and understand.




शाहजहांपुर, जून और विश्‍वासघात: 157 बरस पहले का एक पन्‍ना

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शाहजहांपुर, जून और विश्‍वासघात: 157 बरस पहले का एक पन्‍ना


पहली जंग-ए-आज़ादी के महानायक डंका शाह की भुला दी गयी शहादत


शाह आलम 
शाह आलम इतिहास की कब्र को खोदकर आज़ादी के वीर सपूतों की रूहों को आज़ाद कराने के काम में बरसों से जुटे हैं। इस बार उन्‍होंने 1857 की पहली जंग-ए-आजा़दी के योद्धा सूफ़ी फ़कीर डंका शाह को खोज निकाला है जिनकी कब्र उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर में है। डंका शाह अपनों के ही विश्‍वासघात के कारण 15 जून 1858 को शहीद हुए थे। संयोग है कि 157 वर्षों बाद उसी शाहजहांपुर में जून के ही महीने में एक पत्रकार को काले अंग्रेज़ों ने जलाकर मार दिया। जगेंद्र सिंह की ख़ता बस इतनी थी कि उसने अपनी ज़बान एक सत्‍ताधारी के खिलाफ खोली थी। उसने अपनी जान को ख़तरा भी बताया था, लेकिन अपनी बिरादरी ने ही गद्दारी कर दी। बेशर्मी की इंतिहा देखिए कि पत्रकारों ने जगेंद्र को पत्रकार मानने से ही इनकार कर दिया। 1857 की जंग की नाकामी का सबक शाह आलम कुछ यूं गिनाते हैं, ''आप बिकेंगे तो हर मोर्चे पर हारेंगे।'' 2015 के शाहजहांपुर पर भी यह सबक हूबहू लागू होता है। फि़लहाल पढि़ए डंका शाह के शहादत दिवस 15 जून पर यह विशेष प्रस्‍तुति - (मॉडरेटर) 



मतलबपरस्ती की इस दुनिया में किसी भी जननायक को भुला देने के लिए 157 साल कम नहीं होते। जब हमारे ही लोग उस गौरवशाली विरासत की शानदार धरोहर को सहेज कर न रख पा रहे हों तो सत्ता को कोसने का क्या मतलब? दरअसल, इतिहास की भी दो किस्में हैं: एक तो राजा, रजवाड़े, रियासतों, तालुकेदारों, नवाबों, बादशाहों, शहंशाहों का और दूसरा जनता का। सत्ता का चरित्र होता है कि वह अपने फ़रेब, साजिशों और दमन के सहारे हमें बार-बार आभास कराती है कि जनता बुजदिल, कायर होती है और जनता के बलिदानों का कोई इतिहास नहीं है। हमारे लोग भी जाने-अनजाने ऐसी साजिशों का हिस्सा बन जाते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर हम सब कुछ भूलने पर ही उतारू हो जाएं. तो भला याद क्या और किसे रखेंंगे? 

पहली जंग-ए-आज़ादी के सबसे काबिल पैरोकार एक सूफी-फ़कीर थे। जब आज़ादी की कहीं चर्चा भी नहीं थी उस वक्‍त फिरंगियोंं की बर्बरता के विरुद्ध उन्होंने पर्चे लिखे, रिसाले निकाले और देश में घूम-घूम कर अपने तरीके से लोगों को संगठित किया। वे मौलवी हाफिज अहमद उल्लाह शाह, सिकंदर शाह, नक्कार शाह, डंका शाह आदि नामो से मशहूर थे। जैसे उनके कई नाम थे ठीक वैसे ही उनकी शख्सियत के कई आयाम भी थे।

1857 की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि अंग्रेजों की 'डिवाइड एंड रूल'नीति को धता बता कर हिन्दू-मुसलमान कदम से कदम मिलाकर साथ-साथ लड़े थे। हर मोर्चे पर हालात यह थे कि इंच-इंच भर जमीन अंंग्रेजों को गवानी पड़ी या देशवासियों के लाशों के ऊपर से गुज़रना पड़ा। सवाल उठता है कि फिर हम हार क्यों गए? वजह साफ़ है कि ऐसे नाज़ुक दौर में हवा का रुख देखकर आज़ादी में शामिल हुए नायक 'खलनायक'बन गए और ऐन मौके पर अपनी गद्दारी की कीमत वसूलने दुश्मनों से जा मिले। इसी विश्वासघात की वज़ह से जंगे आज़ादी के सबसे बहादुर सिपहसालार मौलवी को शहादत देनी पड़ी। 1857 का सबसे बड़ा सबक यह है कि 'आप बिकेंंगे तो हर मोर्चे पर हारेंगे।'

उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर में डंका शाह का स्‍मारक 

मौलवी को कलम और तलवार में महारत हासिल होने के साथ ही आम जनता के बीच बेहद लोकप्रियता प्राप्‍त थी। इस योद्धा ने 1857 की  शौर्य गाथा की ऐसी इबारत लिखी जिसको आज तक कोई छू भी नहीं पाया। पूरे अवध में नवंबर 1856 से घूम-घूम कर इस विद्रोही ने आज़ादी की मशाल को जलाए रखा जिसकी वजह से फरवरी 1857 में उनके सशस्त्र जमावड़े की बढ़ती ताकत को देखकर फिरंगियों ने कई लालच दिए, अपने लोगों से हथियार डलवा देने के लिए कहा तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया। इस गुस्ताखी में फिरंगी आकाओं ने उनकी गिरफ्तारी का फ़रमान जारी कर दिया। मौलवी की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अवध की पुलिस को मौलवी को गिरफ्तार करने से मना कर दिया गया। 19 फरवरी 1857 को अंग्रेज़ी फौजों और मौलवी में कड़ी टक्कर के बाद उन्‍हें पकड़ लिया गया। बागियों का मनोबल तोड़ने के लिए घायल मौलवी को सिर से पांव तक जंजीरों में बांधकर पूरे फैज़ाबाद शहर में घुमाया ही नहीं गया बल्कि फांसी की सजा सुनाकर फैज़ाबाद जेल में डाल दिया गया।

क्रांति का पौधा जो उन्होंने रोपा था उसका असर यह हुआ कि 8 जून 1857 को फैज़ाबाद की बहादुर जनता ने बगावत कर दी। हजारों हज़ार बागियों ने फैज़ाबाद जेल का फाटक तोड़कर अपने प्रिय मौलवी और साथियों को आजाद कराय। पूरे फैज़ाबाद से अंग्रेज़ डरकर भाग खड़े हुए। फैज़ाबाद आजाद हो गया। मौलवी की रिहाई का जश्न मनाया गया और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गयी। फिर तो मौलवी ने सिर्फ फैज़ाबाद तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखा बल्कि पूरे अवध-आगरा  में जमकर अपनी युद्धनीति का करिश्मा दिखाया। फ़रारी के दिनों में मौलवी को सुनने कई हजार की भीड़ जमा हो जाती थी। प्रसिद्ध पुस्तक 'भारत में अंगरेज़ी राज़'के लेखक पंडित सुन्दरलाल लिखते हैं कि 'वास्तव में बगावत की उतनी तैयारी कहीं भी नहीं थी जितनी अवध मेंं। हजारों मौलवी और हजारों पंडित एक-एक बैरक और एक-एक गांवं में स्वाधीनता युद्ध के लिए लोगों को तैयार करते फिरते थे।'इतिहासकार होम्स ने उत्तर भारत मेंं अंग्रेजों का सबसे जबदस्त दुश्मन मौलवी को बताया है। 

स्‍मारक पर लगा मौलवी का जीवन-परिचय 
अंग्रेजों का आधिकारिक इतिहास लिखने वाले के. मालीसन ने लिखा कि 'मौलवी एक असाधारण आदमी थे। विद्रोह के दौरान उसकी सैन्य क्षमता और रणकौशल का सबूत बार-बार मिलता है। उनके सिवाय कोई और यह दावा नहीं कर सकता कि उसने युद्धक्षेत्र में कैम्‍पबेल जैसे जंग में माहिर उस्ताद को दो-दो बार हराया और न जाने कितनी बार गफ़लत में डाला और उनके हमले को नाकाम किया। वह अपने देश के लिए जंग लड़ता है, तो कहना पड़ेगा कि मौलवी एक सच्चा राष्ट्रभक्त था। न तो उसने किसी की कपटपूर्ण हत्या करायी और न निर्दोषों और निहत्थों की हत्या कर अपनी तलवार को कलंकित किया बल्कि पूरी बहादुरी, आन, बान, शान से फिरंगियों से लड़ा, जिन्होंने उसका मुल्क छीन लिया था।'

हर मोर्चे पर फिरंगियों को भागना पड़ रहा था, तब 12 अप्रैल 1858 को गवर्नर जनरल कैनिंग ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए 50,000 रुपये ईनाम का एलान किया जिस पर भारत के सचिव जी. एफ. ऐडमोंस्टन के दस्तखत थे। इधर मौलवी से पुवायां का राजा जगन्नाथ अपनी दोस्ती का दम भरता था। मौलवी राजा से मदद मांगने जब पुवाया पहुंचे. तो उन्हें दाल में कुछ काला लगा लेकिन इस बहादुर ने वापस लौटना अपनी शान के खिलाफ समझा। पैसों और रियासत की लालच में धोखे से मौलवी को शहीद कर दिया गया। उनके सिर को काटकर अंग्रेज़ जिला कलक्टर को राजा ने सौंपा और मुंहमांगी रकम वसूल की। इस विश्वासघात से देश के लोग रो पड़े। फिरंगियों ने अवाम में दहशत फैलाने की नीयत से मौलवी का सिर पूरे शहर में घुमाया और शाहजहांपुर की कोतवाली के नीम के पेड़ पर लटका दिया। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनियों ने रात में सिर को उतारकर लोधीपुर गांव के नज़दीक खेतों के बीच दफना दिया जहां आज भी मौलवी का स्मारक मौजूद है।

फैज़ाबाद के स्वतंत्रता सेनानी रमानाथ मेहरोत्रा ने अपनी किताब 'स्वतंत्रता संग्राम के सौ वर्ष'में लिखा है कि '...फैज़ाबाद की धरती का सपूत मौलवी अहमद उल्लाह शाह शाहजहांपुर में शहीद हुआ और उसके खून से उस जनपद की धरती सींची गयी तो बीसवी सदी के तीसरे दशक में शाहजहांपुर की धरती से एक सपूत अशफाक उल्ला खां का पवित्र खून फैजाबाद की धरती पर गिरा। इतिहास का यह विचित्र संयोग है... एक फैज़ाबाद से जाकर शाहजहांपुर में शहीद हुआ तो दूसरा शाहजहांपुर में जन्मा और फैज़ाबाद में शहीद हुआ।'शहीद–ए-वतन अशफाक ने अपनी जेल डायरी में एक शेर दर्ज किया है, 'शहीदों की मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।' दिल पर हाथ रहकर आज अपने आप से खुद पूछें, इस अजूबे फकीर के वारिसों को शहादत पर याद करने की कितनी फुर्सत है? इस मुक्ति योद्धा की जिंदगी के ज्यादातर पन्ने अब भी रहस्य के गर्भ में हैं। 

...यही बाकी निशां होगा 

ICHR के सदस्य सचिव गोपीनाथ रविन्द्रन के इस्तीफे की बात कोने में दब गयी. वहाँ भाजपा-संघ द्वारा बिठाए गए जिस तरह के लोगों के बीच गोपीनाथ रविन्द्रन घिरे थे, उसे देखते हुए यह दुर्घटना देर-सबेर होनी ही थी.

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कल ललितासन, फ़िक्सासन, मूर्खासन आदि की इतनी चर्चा रही कि ICHR के सदस्य सचिव गोपीनाथ रविन्द्रन के इस्तीफे की बात कोने में दब गयी. वहाँ भाजपा-संघ द्वारा बिठाए गए जिस तरह के लोगों के बीच गोपीनाथ रविन्द्रन घिरे थे, उसे देखते हुए यह दुर्घटना देर-सबेर होनी ही थी. अभी कुछ समय पहले यह खबर भी आई थी कि ICHR की वेबसाइट पर डालने के लिए जब उन्होंने नए सदस्यों से उनका बायोडाटा माँगा तो गंभीर लिखत-पढ़त से धेला भर मतलब न रखने वाले इन पुराणपंथीयों में ख़ासा हडकंप मच गया था. ऐसे असुविधाजनक व्यक्ति का इस्तीफा अविलम्ब मंज़ूर होगा, इसमें संदेह नहीं, जैसे सेंसर बोर्ड वालों का हुआ था.

हिमालय में जीवन लेकिन हानीमून नहीं है पलाश विश्वास

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हिमालय में जीवन लेकिन हानीमून नहीं है

पलाश विश्वास

introআমার পরম সৌভাগ্য, আমি থাকি একটা আশ্চর্য খোলামেলা জায়গায়, অবারিত সবুজের মধ্যে। এখানে আমার পড়শিই বলুন, শত্তুরই বলুন— কোনও মানুষ নয়, বাদামের খোঁজে চরকি-পাক দেওয়া উড়ুক্কু কাঠবেড়ালি, জাঙ্গল ক্রো আর পিগমি পেঁচারা। রাত থাকতেই তারা উঠে পড়ে, আমাকেও জাগিয়েও দেয়। ভোর না হতেই থ্রাশ আর ব্ল্যাকবার্ডরা ঝালাপালার কম্পিটিশন শুরু করে দেয়, আর আমি কানে বালিশ চেপ্পে পাশ ফিরে শুই।

http://www.anandabazar.com/#


विक्टर बनर्जी बालीवूड टालीवूड के मशहूर स्टार हैं और कोलकाता से भाजपा के टिकटपर चुनाव लड़ने वाले शायद पहले सितारा भी।

विचारधारा के मामले में शायद वे बदले न हों।


कोलकाता के बजाये वे उत्तराखंड के मंसूरी में रहते हैं जबकि हम जनमजात उत्तराखंडी होते हुए कोलकाता में पिछले 25 साल से वर्क परमिट पर एनआरआई हैं।


बहरहाल,बंगाल में लोग हमें एनआरआई जैसी मान्यता देते नहीं हैं उनकी नजर में हम अछूत शरणार्थी हैं।


आज ही हमने बंगाल के भद्रसमाज के वैज्ञानिक प्रगतिशील नजरिया बहुजन समाज के बारे में साझा किया है,उस भी मेरे ब्लागों पर देख लें।


विक्टर बनर्जी सत्यजीत राय की फिल्म घरे बाइरे में स्वातीलेखा और सौमित्र चटर्जी के मुकाबले हैं।उनकी फिल्मों पर चर्चा के लिए यह आलेख लेकिन नहीं है।


पहाड़ों पर जब भी वे लिखते हैं,दिलो दिमाग को छू जाता है।


इसे पहले ,बरसों पहले मुजफ्परनगर बलात्कारकांड के सिलसिले में पहाड़ों में कर्फ्यू और बंद पर एक रपट उन्होंने दि टेलीग्राफ में लिखी थी,जिसका अनुवाद राजीव लोचन साह दाज्यू ने नैनीताल समाचार में छापा था।


आज जो रविवारी आनंदबाजार में हिमालय के हाल हकीकत के बारे में उनने लिखा है,हालांकि वह बांग्ला में है और बंगाल के नागरिकों को संबोधित है,लेकिन उम्मीद है कि राजीवदाज्यू पहाड़वालों से इस बेहतरीन आलेख को साझा जरुर करेंगे।


सुबह सुबह जब मैं बिजली गुल रहने के मौके पर यह रपट बेहद गंभीरत सा पढ़ रहा था,तभी दिनेशपुर से दीप्ति का फोन आ गया।


सीधे पूछा कि भाभी है या नहीं।

हमने फोन उनकी भाभी को थमा दिया।


दरअसल सविताबाबू जो पिछले दिनों बसंतीपुर गयी थी,उसकी खबर दीप्ति को आज लगी और उसने फौरन सविता बाबू से जबावतलब कर लिया।


दीप्ति मेरे बचपन के पुराने मित्रों में है टेक्का के बाद सबसे पुराने।

वह पढ़ने का खास शौकीन था और हम दोनों मिलकर किताबें साथ साथ खोजा करते थे और साझा करते थे।


नैनीताल जीआईसी में दाखिले के लिए जब वह मेरे साथ गया तो दिवंगत हरीश चंद्र सती ने कहा,दीप्ति सुंदर,यह लड़कों का कालेज है,लड़कियों का दाखिला यहां हो नहीं सकता।दीप्ति ने उठकर कहा ,सर,मैं लड़की नहीं,लड़का हूं।


हम 1973 में नैनीताल गये थे।बीच में जिस अवधि में मैं ताराचंद्र त्रिपाठी जी के घर मोहन भोज के साथ रहता था,उसके अलावा बाकी वक्त हम मालरोड पर बंगाल होटल में रूम पार्टनर थे।


हमने बहुत सारा हिमपात,बहुत सारे भूस्खलन भी किताबों के साथ साझा किये हैं।इंटरमीडिएट में खासतौर पर हम नैनीताल और आसपास के पहाड़ों और झीलों में,जंगलों में साथ साथ पूरी टोली के साथ घूमा करते थे।उन्हीं दिनों मुझे कविताएं लिखने का शौक चर्राया था और दीप्ति तभी से संगीत में रमा है।


जंगलों में तो भटकने का सिलसिला भूमिगत  नक्सलियों के साथ मित्रता की वजह से पढ़ाई लिखाई छोड़ देने के अपराध में जब मुझे शक्तिफार्म में नौवीं में दाखिला दिया गया,जबस तेज हो गया।असली सिलसिला तो जनमजात है।


अभी दिनेशपुर में बड़े भाई सुधारंजन राही हैं जो अबभी सिलिसेलवार बता सकते हैं कि जिम कार्बेट प्रसिद्ध आदमखोर बाघो से भरे तराई के गहरे जंगल में बंगाल शरणार्थियो को कैसे फेंक दिया गया।हम तो जनमें ही बसंतीपुर में और झंगल के साये से कभी रिहा नहीं हुए।यूं कहिये कि इस देश के आदिवासी जितने जंगली हैं,उनसे कोई कम जंगली मैं हूं नहीं।


बसंतीपुर को चारों तरफ से सिडकुल का जंगल घेरे हुए है इन दिन।कोई वरनम वन भारतीयकृषि के खिलाफ युद्धरत है।जिस युद्ध के खिलाफ कोई किलेबंदी नहीं है।गूलरभोज और लालकुंआ के जंगल में जिस ढिमरीब्लाक में पुलिनबाबू और उनके साथी कामरेडों की अगुवाई में तराई के किसानों ने तेलंगना रचने का विद्रह किया था,वहां भी अब जंगल नहीं है।गूलरभोज और शक्तिफार्म के बीच जंगल अब आबाद है।

जिम कार्बेट का वह प्रसिद्ध जंगल अब कितना जंगल है और कितना अभयारण्य,हमें लेकिन पता नहीं है।


1971 -72 के दौरान शक्तिफार्म के जिस रतनफार्म नंबर दो गांव में मैं पिता के मित्र के घर रहता था,वहां खेतों के पार जंगल ही जंगल थे।तब मैं फुरसत में उस जंगल में बेखटके भटकता रहता था।जिस जंगल में शेर थे,जिस जंगल में जंगली हाथी थे,उनसे मैं डरा नहीं कभी,कमसकम उतना तो नहीं जितना कोलकाता और नई दिल्ली के सीमेंट के जंगलों से डरता हूं,जहां इंसानियत की कोई खुशबू मुझे घेरे नहीं रहती।


जंगल की गंध जैसी कोई चीज मेरे हिसाब से सभ्यता और मनुष्यता के लिए,इस कायनात और उसकी तमाम बरकतों और नियामतों के लिए जरुरी नहीं है।


इसीलिए जल जमीन जंगल की लड़ाई लड़ने वाले आदिवासी मेरे सबसे अपने हैं और मैं पूर्वोत्तर से लेकर मध्य भारत,कच्छ के रण,नीलगिरि से लेकर हिमालय में आदिवासी भूगोल का हिस्सा बनकर जीता हूं।


विक्टर बनर्जी ने हिमालयी शिवालिक श्रेणी के अकूत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ पक्षी संसार का जो ब्यौरा दिया है,उसमें हमारा भी कोई बसेरा कभी था।उनका आलेख पढ़ते हुए दीप्ति के फोन पर यह अहसास हुआ।हालांकि दीप्ति से मेरी कोई बात हुई नहीं।


इस आलेख में पहाड़ों में चिकित्सा के लिए दूर दराज के गांवों से मरीजों को अस्पताल लाने की जो सूचना विक्टर ने दी है,वह मेरे लिए सुखद है।इसके साथ साथ केदार जलआपदा के दौरान राहत के नाम पर हेलीकाप्टर सेवा के लिए सत्ता नाल से जुड़े लोगों को हुए बेहिसाब भुगतान का उल्लेख करना भी वे भूले नहीं।


पहाड़ों में मानसून बाकी देश की तुलना में बहुत घना और मूसलाधार होता है।आपदाओं का अनंत सिलसिला पहाड़ों का जनजीवन है।


आजकल मित्रों का कहना है कि नैनीताल में हर मौसम सीजन है।


पूरा पहाड़ बाकी देश के लिए हानीमून है।


पहाड़ के सारे धर्मस्थल भी हानीमून।

नवउदारवादी अर्थव्यवस्था में आस्था का यह कायाकल्प है।


बहरहाल हिमालयी जीवनचर्या में कोई हानीमून लेकिन होता नहीं है।


हिमालय के वजूद पर गहराते संकट को हिमालय के प्राकृतिक सौॆंदर्य और विकास कार्यों को सिलिसलेवार बताते हुए रेखांकित किया है विक्टर ने और साफ कर दिया है कि अंधाधुंध जंगलों की कटान की नींव पर मैदानों से चली पूंजी ने पहाड़ों से स्थानीय जनता कि किस हद तक बेदखल करके सीमेंट के जंगल में अमंगल का सिलसिला रचा है।


विचारधारा विक्टर की चाहे जो हो नदियों को बांधकर ऊर्जा प्रदेश के  बने विध्वंसक नक्शे को उनने बेनकाब किया है।


कोलकाता में पर्यावरण चेतना न के बराबर है।


प्रदूषण का आलम यह कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज कोलकाता में हैं तो इस महानगर और उसे घेरे उपनगरों में सत्तर फीसद आबादी सांस की बीमारियों से पीड़ित है।मधुमेह कोलकाता में महामारी है तो पेट की बीमारियों की कुछ कहिये मत।


बरसात में कोलकाता और हावड़ा में जल मल एकाकार है।

पहाड़ों में कम से कम ऐसा फिलहाल होता नहीं है।


कोलकाता को सुंदरवन की कोई परवाह नहीं जबतकि हिमालय जैसे इस पूरे महादेश को सीमाओं के आरपार जीवनचक्र से बांधे हुए है,सुंदरवन की भूमिका उससे कमतर नहीं है।समुद्री तूफानों और सुनामियों से निचले सतह पर बसे कोलकाता और सारा पूर्वी भारत जो अब तक बचा है,वह मैनग्रोव जंगल की मेहरबानियां हैं।


विक्टर ने गढ़वाल के पहाड़ों में विकास के नाम पर विनाश का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा है कि केदार जलआपदा समेत तमाम आपदायें प्रकृति की रची हुई  नही हैं हरगिज,वे मानवनिर्मित है।


कोलकाता में जो शहरीकरण की सुनामी चल रही है और तमाम झीलों,नदी नालों,कल कारखानों पर उगाये जा रहे हैं सीमेंट के जंगलवे हिमालयी विनाश का महानगरीय स्पर्श है।


जो भी पत्रकार जागेंद्र हैं,जिदा जलाये जायेंगे। अब बताना मुश्किल कि कब कहां किस पत्रकार के जिंदा जलाये जाने की बारी है।

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जो भी पत्रकार जागेंद्र हैं,जिदा जलाये जायेंगे।
अब बताना मुश्किल कि कब कहां किस पत्रकार के जिंदा जलाये जाने की बारी है।
पलाश विश्वास
निनानब्वे फीसद पत्रकारों की कूकूरदशा और फासीवादी राज्यतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केखतरे के बारे में हम लगातार आगाह करते हुए जनपक्षधर ताकतों के साथ वंचित ईमानदार पत्रकारों की देश व्यापी लामबंदी की अपील यशवंत की गिरफ्तारी के दिन से करते रहे हैं।
हाल में हमें लिखना पड़ा कि जो भी जागेंद्र होगा ,जिंदा जला दिया जायेगा।सिर्फ यूपी में ही नहीं,बाकी देश में बी पत्रकार कहीं सुरश्क्षित नहीं है।
अब बांग्लादेश में ब्लागरों,पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की हत्याओं का सिलसिला भारत में दोहराया जा रहा है और हम योग कर रहे हैं हिंदुत्वकरण का।
केसरिया भूगोल के बालाघाट में केसरियाविदर्भ के एक पत्रकार को अगवा कर देश की तरक्की और अच्छे दिनों की सौगात मिली है और अंदेशा है कि यह सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि सत्ता के वर्ग वर्ण वर्स्वी अरबपति करोड़पति तबके के साथ मीडिया विभीषणों का चोली दामन का रिश्ता है।
यूपी में जो विरोध हो रहा है,उसमें पत्रकारों की आवाज गूंज बनकर जनता के बाच कहीं पहुंच नहीं रही है और न मसला यह है कि अब मीडियाकर्मियों पर हमला हुआ तो बचेंगे नहीं अपराधी।
यही वजह है कि हत्यारों के हौसले बुलंद हैं और सत्ता बिना प्रतिरोध उनका संरक्षण कर रही है।
अब बताना मुस्किल है कि कब कहां किस पत्रकार के जिंदा जलाये जाने की बारी है।
बालाघाट से सातियों ने जो खबरें दी हैं,उसके मुताबिक चिटफंड कंपनी, भू-माफिया और अवैध उत्खनन से जुड़े कारोबारियों के खिलाफ संघर्ष ने कटंगी निवासी युवा पत्रकार संदीप कोठारी की जान ले ली। अपहरण के मामले में पकड़े गए दो आरोपियों से जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो हत्या के मामले का पटाक्षेप हो गया।

आरोपी कार से उनका अपहरण कर बालाघाट से करीब दो किमी दूर महाराष्ट्र के वर्धा जिले के बुटीबोरी में सिंधी रेलवे थाना क्षेत्र ले गए थे, जहां उनकी जलाकर हत्या कर दी। संदीप का 19 जून की रात बालाघाट से कटंगी लौटते समय अपहरण किया गया था। इस दौरान आरोपियों ने संदीप के साथी के साथ मारपीट कर भगा दिया था।

मामले में पुलिस ने चिटफंड कंपनी से जुड़े बालाघाट के तिरोड़ी निवासी विशाल तांडी और जमीन की प्लाटिंग के कारोबार से जुड़े महाराष्ट्र बुटीबोरी निवासी ब्रजेश डहरवाल की हिरासत में लिया था, जिन्होंने पूछताछ में संदीप की हत्या कबूल की है। एक आरोपी राकेश नर्सवाली अभी फरार है।

पुलिस के अनुसार पकड़े गए आरोपियों के कारोबार को लेकर मृतक ने उच्चाधिकारियों से शिकायतें की थी। विशाल तांडी के खिलाफ संदीप ने चिटफंड कंपनी के मामले में शिकायत की थी। जिसके खिलाफ उदयपुर (राजस्थान) के हिरणमगरी थाने में पुलिस ने अपराध भी दर्ज किया था।

वहीं संदीप ने ब्रजेश डहरवाल के खिलाफ अवैध रूप से जमीन की प्लाटिंग करने की शिकायत की थी। अन्य मैगनीज माफियाओं के अलावा उन्होंने यहां के पूंजीपतियों के गलत कारोबार की भी शिकायत की थी। जिसे इस वारदात की वजह बताया जा रहा है।

वर्धा जिले के सिंधी थाना क्षेत्र में जली हालत में मिली लाश

महाराष्ट्र के वर्धा जिले की सिंधी थाना पुलिस ने शनिवार को अज्ञात मानकर संदीप की लाश को पीएम कराने सिविल अस्पताल भेजा था, लेकिन शाम हो जाने के कारण पीएम नहीं हो सका था। बालाघाट पुलिस ने सिविल अस्पताल से शव बरामद कर लिया है।

19 जून को बालाघाट आए थे संदीप

संदीप 19 जून को बालाघाट आए थे। शाम को वह अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान कटंगी रोड पर आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के साथ उनका अपहरण कर लिया था। कटंगी एसडीओपी जगन्नाथ मरकाम के अनुसार रात्रि करीब 9.30 बजे संदीप का अपहरण हुआ था। जिसकी शिकायत करीब 12.30 बजे कटंगी थाने में दर्ज हुई थी।

इनका कहना...

पत्रकारिता से जुड़े संदीप कोठारी का 19 जून को विशाल व ब्रजेश ने अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण किया था। पूछताछ में दोनों ने अपहरण कर हत्या करने की बात पुलिस को बताई थी। जिसकी निशानदेही पर पुलिस वर्धा जिले सिंधी थाने से सिविल अस्पताल पहुंची।

-संजय चौकसे, थाना प्रभारी

मामले का एक आरोपी राकेश नर्सवाली अभी फरार है। एसआईटी का गठन कर मामले की एसडीओपी से जांच कराई जाएगी। संदीप के खिलाफ उससे रंजिश रखने वाले लोगों ने पुलिस में शिकायत की थी। जिसमें अपराध भी दर्ज हुए हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

-गौरव तिवारी, एसपी बालाघाट



Ram Madhav questions VP Hamid Ansari‘s absence at Yoga Day, later apologises

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Ram Madhav questions VP Hamid Ansari's absence at Yoga Day, later apologises

Last Updated: Sunday, June 21, 2015 – 22:28

New DelhiBJP general secretary Ram Madhav on Sunday stoked a controversy by questioning Vice President Hamid Ansari's absence at the Yoga Day event in the capital but later apologised after he was criticised on the social media platform.

Madhav, a prominent RSS leader, also accused Rajya Sabha TV, the public service broadcaster run by Parliament's Upper House, of blacking out the Yoga Day event "completely" despite being run on taxpayers money. As Rajya Sabha Chairman, Ansari is the controlling authority for the channel.

In his first tweet, Madhav said, "Two questions. Did RS TV dat runs on tax payers money completely black out Yoga Day event? While President participated d VP gave a miss (sic)."

The BJP leader's allegation against RS TV was immediately countered by others, who tweeted screen shots of the channel's coverage of the yoga events.

Madhav later apologised in another. "I am informed dat d VP was unwell. I withdrew my tweet. My apologies because d institution of VP deserves respect (sic)," he said in another tweet. As the topic trended, he subsequently deleted both the tweets.

Some pro-BJP commentators complained on Twitter that RS TV, which is funded by the taxpayer, had not shown live the yoga mega event at Rajpath.

Social media attacked Madhav with some dubbing his criticism of the Vice President as 'shameful and embarrassing", that he was doing "foot in the mouth asan" and that he can destroy the divinity of yoga in the name of religious fundamentalism.

Madhav also drew flak for making an issue of Ansari's absence when participation in Yoga Day events was meant to be voluntary.http://zeenews.india.com/news/india/ram-madhav-questions-vp-hamid-ansaris-absence-at-yoga-day-later-apologises_1617617.html

Was Not Invited To Yoga Day Event, Says Vice President Hamid Ansari

hamid-ansariMAINVice President Hamid Ansari's office said on Sunday that he was not invited to the Yoga Day event in the capital after his absence was questioned by senior BJP and RSS leader Ram Madhav.

Earlier stoking a controversy BJP general secretary Ram Madhav questioned Vice President Hamid
Ansari's absence at the Yoga Day event in the capital but later apologised and deleted the tweet after he was criticised on the social media platform.

Vice President Hamid Ansari's office immediately reacted to Madhav's remarks and said that the facts put by Madhav on VP's illness is totally 'incorrect'.

"Vice President was not sick. He was never invited for the yoga programme," it said, adding, "the Vice President only attends those programmes in which the Minister concerned invites him as per protocol".

Madhav also accused Rajya Sabha TV, the public service broadcaster run by Parliaments Upper House, of blacking out live telecast of the Yoga Day event "completely" despite being run on taxpayers money. As Rajya Sabha Chairman, Ansari is the controlling authority for the channel.

This was contradicted by Gurdeep Singh Sappal, CEO of Rajya Sabha TV. "Baseless rumours. RSTV not just did live telecast of Rajpath event. But also had 3 documentaries, 1 special report today on Yoga", he tweeted.

Vice President Hamid Ansari's office said on Sunday night that he was not invited to the Yoga Day event in the capital after his absence was questioned by senior BJP and RSS leader Ram Madhav.

Mr. Madhav had deleted a tweet questioning Mr. Ansari's absence and then apologising to him saying he later learnt that the Vice President was unwell.

The Vice President's office said that was not correct.

"Vice President was not sick. He was never invited for the yoga programme," it said, adding, "the Vice President only attends those programmes in which the Minister concerned invites him as per protocol."

Mr. Madhav also accused Rajya Sabha TV, the public service broadcaster run by Parliament's Upper House, of blacking out live telecast of the Yoga Day event "completely" despite being run on taxpayers money. As Rajya Sabha Chairman, Mr. Ansari is the controlling authority for the channel.

This was contradicted by Gurdeep Singh Sappal, CEO of Rajya Sabha TV. "Baseless rumours. RSTV not just did live telecast of Rajpath event. But also had 3 documentaries, 1 special report today on Yoga", he tweeted.

As the topic trended, Mr. Madhav deleted both the tweets including his apology.

http://focusnews.com/india/was-not-invited-to-yoga-day-event-says-vice-president-hamid-ansari/61641/

Journalist Burnt to Death by Mining Mafia in Madhya Pradesh #WTFnews

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Journalist Burnt to Death by Mining Mafia in Madhya Pradesh #WTFnews



BALAGHAT, MADHYA PRADESH:  A journalist was allegedly killed by mining mafia in Madhya Pradesh after he refused to withdraw a case he had filed in court. According to the police, Sandeep Kothari had been kidnapped and set on fire.The burnt body of Mr Kothari was found in Wardha district on Saturday night. He was allegedly abducted from Katangi tehsil in Balaghat district on Friday night.

The police have arrested two persons in connection with the murder — the accused have been identified as Vishal Dandi and Brijesh Duharwal. A third, Rakesh Nasvani, is absconding.All three were from Katangi, were engaged in illegal mining and running chit fund companies, say police sources.

"They are related to manganese mafia… My brother was a good journalist. He exposed many of their corrupt practices," Naveen Kothari, the brother of Sandeep Kothari, told news agency ANI.

Mr Kothari was abducted on the night of June 19, while going to Umri village in Balaghat. He was travelling on a bike with a friend, but on the way, the bike was hit by a car.

The three abductors, who were in the car, beat up his friend before making off with the journalist.
"He was murdered in the car and his body was set on fire near a railway track," inspector Sanjay Chaukse told ANI. The body was later dumped at Wardha, around 50 km away.

The 40-year-old was working as a local correspondent for a Jabao abalpur-based Hindi daily. He was allegedly under pressure to withdraw a case of illegal mining that he had filed against some persons at a local court.

Earlier this month, a journalist, Jagender Singh, was allegedly set on fire by policemen during a raid at his house in ShahjahanpurUttar Pradesh. He died a week later, on June 8.

Five policemen were suspended but the state minister for horticulture provoked outrage by saying, "There are some incidents that happen in the course of nature and destiny."

http://www.ndtv.com/india-news/journalist-burnt-to-death-allegedly-by-mining-mafia-773904


(हस्तक्षेप.कॉम) सबसे आसान आसन- पद्मासन भी सही नहींकर पाए मोदी

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An appeal to journalists to come forward for the protest being organised for Jagendra's justice on the eve of Emergency Day in Lucknow on 25 june, 4 pm Gandhi statue GPO Hazratganj, Lucknow U.P.

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An appeal to journalists to come forward for the protest being organised for Jagendra's justice on the eve of Emergency Day in Lucknow on 25 june, 4 pm Gandhi statue GPO Hazratganj, Lucknow U.P.

जगेन्द्र तो मर गए, क्या आप जिंदा हैं ?

पत्रकार दोस्तों,
जगेन्द्र सिंह के जिंदा जलाकर मार दिए जाने के बाद उनका परिवार अब बिखर
चुका है। बीबी-बच्चे सड़क पर आ गए हैं और अचानक जिंदगी की छोटी-मोटी
जरूरतों तक के लिए भी वे दूसरों पर मोहताज हो गए हैं। आप सभी जानते हैं
कि इस स्थिति में आपका अपना परिवार भी कभी भी पहुंच सकता है, यदि आप
ईमानदारी से अपनी पेशेगत जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो। हालांकि वो लोग
जरूर सुरक्षित हैं जिनमें पेशेवाराना ईमानदारी नहीं है और जो छोटी-छोटी
खबरों पर भी समझौते कर लेते हंै। खैर, हम उनकी बात भी नहीं कर रहे हैं।

हम आपकी बात कर रहे हैं जो खबरों को सिर्फ इसलिए नहीं दबा देते हैं उससे
कोई गुंडा-माफिया या सरकारी दबंग नाराज हो जाएगा। आप ही की बदौलत आज भी
लोग करोड़ो की तादात में खबरें पढ़ते या देखते हैं क्योंकि लोगों को
मालूम है कि तमाम बुराईयों, कमजोरियों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद
आप सच्चाई को बयान करते हैं। इसीलिए आप सब लोगों ने महसूस किया होगा कि
जब आप के बीच के ही एक साथी को जलाकर मार दिया जाता है तो किस तरह पूरे
देश और दुनिया की संवेदनाएं दिवंगत पत्रकार के परिवार के साथ जुड़ जाती
हैं और लोग जगह-जगह विरोध-प्रर्दशनों में स्वतः स्फूर्त शामिल होते हैं।

ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि जनता की इन भावनाओं के साथ आपको भी मुखर
होकर एकाकार होना चाहिए। पत्रकारिता के वसूलों को जिंदा रखने, लोगों के
भरोसे को कायम रखने और खुद अपने मां-बाप, बीवी-बच्चों को किसी और के
सामने मोहताज होने से बचाने के लिए।

हमें उम्मीद है कि आप जगेन्द्र सिंह में अपनी और उसके बर्बाद हो चुके
परिवार में अपने परिवार का अक्स जरूर देखते होंगे। इसलिए जगेन्द्र के
इंसाफ की लड़ाई आप की अपनी लड़ाई है। अपने बीबी-बच्चों और परिजनों के साथ
आप आपातकाल की पूर्व संध्या पर 25 जून 2015, गुरूवार शाम 4 बजे गांधी
प्रतिमा, हजरतगंज लखनऊ में हम सभी के साथ संघर्ष में शामिल हों।

25 जून 2015, गुरुवार, शाम 4 बजे
गांधी प्रतिमा के सामने, जीपीओ हजरतगंज, लखनऊ

राजीव यादव, शाहनवाज आलम, आदियोग, हरेराम मिश्र, मो0 शुऐब, अनिल यादव,
रामकृष्ण, अखिलेश सक्सेना, आरिफ, तैयब बारी खान, राघवेंद्र सिंह, ज्योति
राय, लक्ष्मण प्रसाद, तारिक शफीक, मसीहुद्दीन संजरी
9415254919, 7379393876, 9415012666, 9454292339, 9452800752

https://www.change.org/p/journalists-and-media-persons-justice-for-jugendra

https://www.facebook.com/events/354018074807760/?acontext=%7B%22ref%22%3A3%2C%22ref_newsfeed_story_type%22%3A%22regular%22%2C%22feed_story_type%22%3A117%2C%22action_history%22%3A%22null%22%7D
____________________________________________________________
Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon (E), Latouche
Road, Lucknow
 facebook.com/rihaimanch -  twitter.com/RihaiManch

पढ़ते रहें भड़ास और उससे ज्यादा जरुरी है कि लमाबंद हों उत्पीड़ित शोषित वंचित मीडिया बिरादरी

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पढ़ते रहें भड़ास और उससे ज्यादा जरुरी है कि लमाबंद हों उत्पीड़ित शोषित वंचित मीडिया बिरादरी
पलाश विश्वास
हम किसी भी कीमत पर इस कारपोरेटमीडिया के तिलिस्म को किरचों में बिखेरना चाहते हैं।मजीठिया के नाम पर धोखाधड़ी से जिन्हें संशोधित वेतनमान के सिवाय कुछभी हासिल नहीं हुआ है और अपने अपने दफ्तरों में गुलामों जैसी जिनकी जिंदगी है,बेड़ियां उतार फेंकने की चुनौती वे अब स्वीकार करें।पांचवे स्तंभ बनाना असंभव नहीं है और असंभव नहीं है चुप्पियां तोड़ना भी।अपनी कलम और उंगलियों के एटम बम को फटने दो और देखते रहो कि मेहनतकशों के खून पसीने से सजे ताश के महल कैसे भरभराकर गिरते हैं।

इसी सिलसिले में भड़ास की भूमिक अभूतपूर्व है ,जहां मीडिया का रोजनामचा दर्ज होता रहता है राउंड द क्लाक।हमारे युवा साथी यशवंत ने यह करिश्मा कर दिखाया है।
लेकिन यथार्थ का खुलासा काफी नहीं होता है दोस्तों,इस यथार्थ को बदलने के लिए एक मुकम्मल लड़ाई जरुरी है।अब रोज रोज पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं।जान माल के खतरे बढ़े हैं।क्योंकि हमारी क्रांति सिर्फ आपबीती सुनाने की है।हमें अपने सिवाय किसी की परवाह होती नहीं है।

दावानल इस सीमेट के जंगल में भी भयंकर है और इस दावानल में वेबी नहीं बचेंगे जो स्वीमिंग पूल में मदिरापान करके मजे ले रहे हैं।आग के पंख होते हैं और फन भी होते हैं आग के।बेहतर हो कि झुलसने से पहले इस कारपोरेट तंत्र को तहस नहस करने की कोई जुगत बनाये।

साथी हाथ बढ़ाना।हाथों में हों हाथ,हम सब हो साथ साथ तो देख लेंगे कातिल बाजुओं में आखिर दम कितना है कि हममें से हर किसी का सर कलम कर दें।

इस देश में प्रकृति और मनुष्य के विरुद्ध जो जनसंहारी अश्वमेध हैं,उसके सिपाहसालार वे तमाम चेहरे हैं,जो मीडियाकर्मियों के खून पसीने से तरोताजा हैं।

इस जनसंहार संस्कृति के खिलाफ इस तिलिस्म में कैद जनगण को जगाना तब तक नामुमकिन है जब हमारी एटम बम बिरादरी कुंभकर्णी नींद से जागती नहीं।
जागो दोस्तों।
बहरहाल अब हम अपने ब्लागों में मौका मिलते रहने पर भड़ास की खबरों के लिंक भी शेयर करते रहेंगे ताकि कोई बंदा अलग थलग मरे नहीं बेमौत।
जगेन्द्र के परिवार को लालच और धमकियां, डीएम दफ्तर के सामने पत्रकारों ने की तेरहवीं

जगेन्द्र के परिवार को लालच और धमकियां, डीएम दफ्तर के सामने पत्रकारों ने की तेरहवीं

June 22, 2015 by B4M डेस्क

शाहजहांपुर : पत्रकार जगेंद्र सिंह की मौत के बाद उनके परिवार को धमकी और लालच देने का...


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